आरटीई का सम्पूर्णता में लागू नहीं होना ऐतिहासिक विफलता होगी: सिब्बल
If RTE not apply entirely then it is historic failure : Kapil Sibbal
देश के बड़े राज्यों में छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) ठीक ढंग से लागू नहीं किये जाने पर चिंता प्रकट करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर यह कानून पूरे देश में उचित तरीके से सम्पूर्णता में लागू नहीं होता तो यह एक ऐतिहासिक विफलता होगी.
आरटीई पर एक समारोह को संबोधित करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘अगर यह कानून सम्पूर्णता में लागू नहीं होता तो यह ऐतिहासिक विफलता होगी.’ अभी तक 18 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों ने आरटीई कानून को अधिसूचित किया है, जबकि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल समेत कुछ बड़े राज्यों ने इन नियमों को अधिसूचित नहीं किया है.
सिब्बल राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को सबोधित कर रहे थे, जिसमें पूरे देश में आरटीई के बारे में सामुदायिक जागरूकता फैलाने के बारे में चर्चा की जा रही है.
मंत्री ने कहा कि इस महत्वपूर्ण कानून के विभिन्न पहलुओं के बारे में सामुदायिक जन जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय किया गया है.
‘शिक्षा का हक’ नामक यह अभियान राजस्थान के मेवात से 11 नवंबर से शुरू होगा.
मंत्रालय का मानना है कि इस अभियान से शिक्षा के अधिकार के बारे में लोगों के बीच सामुदायिक स्तर पर रूचि बढ़ेगी. इसके तहत एक वर्ष में अनुमानित 13 लाख स्कूलों में गतिविधियां आयोजित किये जाने की योजना है. इस विषय पर राज्यों को भी शामिल किया गया है जिसे अंतिम रूप देने की दिशा में काम किया जा रहा है.
गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार कानून को लागू हुए एक वर्ष से अधिक समय गुजर चुका है, लेकिन अभी तक देश में 18 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इस कानून को अधिसूचित किया है जबकि 11 राज्यों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण परिषद का गठन किया जा सका है.
ताजा जनगणना के अनुसार पिछले 10 वर्ष में महिला साक्षरता दर 11.8 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 6.9 फीसदी की दर से बढ़ी है, हालांकि महत्वाकांक्षी सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसए के तहत आरटीई लागू होने का एक वर्ष गुजरने के बाद देश में अभी भी 81 लाख 50 हजार 619 बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है, 41 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है और 49 प्रतिशत स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है.
प्राथमिक स्कूलों में दाखिल छात्रों की संख्या 13,34,05,581 है जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में नामांकन प्राप्त 5,44,67,415 छात्र हैं. साल 2020 तक सकल नामांकन दर को वर्तमान 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन सर्व शिक्षा अभियान के 2009.10 के आंकड़ों के अनुसार, बड़ी संख्या में छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे में लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश में अभी कुल 44,77,429 शिक्षक ही हैं.
सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़ों के अनुसार, शैक्षणिक वर्ष 2009.10 में प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.46 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.12 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों की नामांकन दर 19.81 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों की नामांकन दर महज 10.93 प्रतिशत दर्ज की गई.
ताजा जनगणना के अनुसार पिछले 10 वर्ष में महिला साक्षरता दर 11.8 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 6.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है, हालांकि महत्वाकांक्षी सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसए के तहत आरटीई लागू होने के एक वर्ष बाद देश में अभी भी 81 लाख 50 हजार 619 बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है, 41 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं हैं और 49 प्रतिशत स्कूलों में खेल के मैदान नहीं है.
News Source : http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/66314/13/0
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