पदोन्नति में गड़बड़ी, गर्दन बचा रहे अफसर (Manipulation of Promotion in LT Grade and Lecturer, officers saving there neck )
देहरादून। एलटी और प्रवक्ता संवर्ग से प्रधानाध्यापक पदों पर हुई पदोन्नति में जमकर खेल हुआ है। कुछ शिक्षकों को प्रतिकूल प्रविष्टि के बावजूद पदोन्नत कर दिया गया है। शिक्षा निदेशक ने अनुपयुक्त अभ्यर्थियों को पदोन्नति मिल जाने की पुष्टि की है। हैरत की बात यह है कि इस मामले में शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल जिस अधिकारी को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई की बात कर रहे हैं, वह अधिकारी पहले ही उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किया जा चुका है।
शिक्षा विभाग में एलटी और प्रवक्ता संवर्ग से हाईस्कूल के 239 प्रधानाध्यापक पदों के लिए हुई पदोन्नति में गड़बड़ियां सामने आई हैं। कई वर्षों की प्रतिकूल प्रविष्टि के बावजूद कुछ शिक्षकों को पदोन्नति दे दी गई। सूत्रों के अनुसार, इनमें कुछ शिक्षकों की मूल सीआर तक उपलब्ध नहीं थी। इसके बावजूद, पदोन्नति दी गई। इस पूरे मामले में शिक्षा निदेशक ग्वाल हाल ही में उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जा चुके उप शिक्षा निदेशक एके सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ ही कार्रवाई की भी बात कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जा चुके उप शिक्षा निदेशक के खिलाफ कैसे कार्रवाई की जाएगी। यह भी सवाल खड़ा किया जा रहा है कि विभागीय चयन समिति (डीपीसी) में जब खुद शिक्षा निदेशक ग्वाल भी शामिल थे, तो इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?
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‘पदोन्नति को निरस्त नहीं किया जा सकता। ऐसा किया, तो ये लोग कोर्ट चले जाएंगे। विभागीय चयन समिति में खुद मैं भी शामिल था, लेकिन उप शिक्षा निदेशक ने समिति को गुमराह किया। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
-चंद्र सिंह ग्वाल (शिक्षा निदेशक)
‘प्रतिकूल प्रविष्टि वह होती है, जो सर्व हुई हो। शिक्षक उस पर प्रत्यावेदन देता, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। एकतरफा प्रतिकूल प्रविष्टि दे दी गई। जिन लोगों को दी गई, उन्हें इसके बारे में जानकारी तक नहीं थी। ऐसी प्रतिकूल प्रविष्टि मान्य नहीं है।’
-गोविंद जायसवाल (उप निदेशक-विधि)
Source : http://www.amarujala.com/state/Uttarakhand/39155-2.htmlशिक्षा विभाग में एलटी और प्रवक्ता संवर्ग से हाईस्कूल के 239 प्रधानाध्यापक पदों के लिए हुई पदोन्नति में गड़बड़ियां सामने आई हैं। कई वर्षों की प्रतिकूल प्रविष्टि के बावजूद कुछ शिक्षकों को पदोन्नति दे दी गई। सूत्रों के अनुसार, इनमें कुछ शिक्षकों की मूल सीआर तक उपलब्ध नहीं थी। इसके बावजूद, पदोन्नति दी गई। इस पूरे मामले में शिक्षा निदेशक ग्वाल हाल ही में उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जा चुके उप शिक्षा निदेशक एके सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ ही कार्रवाई की भी बात कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जा चुके उप शिक्षा निदेशक के खिलाफ कैसे कार्रवाई की जाएगी। यह भी सवाल खड़ा किया जा रहा है कि विभागीय चयन समिति (डीपीसी) में जब खुद शिक्षा निदेशक ग्वाल भी शामिल थे, तो इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?
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‘पदोन्नति को निरस्त नहीं किया जा सकता। ऐसा किया, तो ये लोग कोर्ट चले जाएंगे। विभागीय चयन समिति में खुद मैं भी शामिल था, लेकिन उप शिक्षा निदेशक ने समिति को गुमराह किया। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
-चंद्र सिंह ग्वाल (शिक्षा निदेशक)
‘प्रतिकूल प्रविष्टि वह होती है, जो सर्व हुई हो। शिक्षक उस पर प्रत्यावेदन देता, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। एकतरफा प्रतिकूल प्रविष्टि दे दी गई। जिन लोगों को दी गई, उन्हें इसके बारे में जानकारी तक नहीं थी। ऐसी प्रतिकूल प्रविष्टि मान्य नहीं है।’
-गोविंद जायसवाल (उप निदेशक-विधि)
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