मंत्री की ख्वाहिश पर फूला दम
(Uttrakhand : Recruitment of unemployed trained graduate teachers may get stucked)
Recruitment procedure other than TET , BTC is not easier as per RTE act.
देहरादून, जागरण ब्यूरो:
शिक्षा महकमे में प्रशिक्षित बेरोजगारों को खपाने की वरिष्ठ मंत्री मातबर सिंह कंडारी की ख्वाहिश पर कदम आगे बढ़ाने में महकमे का दम फूल रहा है। तदर्थ काम कर रहे शिक्षा बंधुओं के नियमितीकरण की राह तकनीकी कारणों के चलते बाधित हो रही है।
प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार देने में अव्वल शिक्षा महकमे के लिए आगे की राह मुश्किल होती जा रही है। 868 पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षितों को एक साल के लिए संविदा पर नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। इस मामले में कैबिनेट नोट की टिप्पणी में भी ठोस तथ्य नहीं रखे गए। यह तय है कि इस मामले में ठोस औचित्य हाईकोर्ट में पेश नहीं किया गया तो पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षितों की तैनाती अधर में लटक सकती है। शिक्षा का अधिकार नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी और इसे अपनाने के बाद सरकार के लिए हाईकोर्ट में बीटीसी और टीईटी के बजाए अन्य तरह से प्राइमरी शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति का औचित्य साबित करना आसान नहीं होगा। आरटीई नियमावली में सरकार ने केंद्रीय एक्ट के तहत प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के निर्देशों को स्वीकार किया है। हालांकि, पत्राचार बीटीसी मामले में कैबिनेट के फैसले पर रोलबैक करने की स्थिति में भी इस पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी। इसे लेकर महकमा पसोपेश में है। शिक्षा सचिव ने शिक्षा निदेशक और विधि अधिकारी समेत महकमे के आला अफसरों के साथ इस मुद्दे पर बुधवार को विचार-विमर्श भी किया।
कमोबेश यही स्थिति तदर्थ कार्यरत शिक्षा बंधुओं के विनियमितीकरण को लेकर भी बन पड़ी है। शिक्षा मंत्री के करीब नौ बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देशों में उक्त मामला भी शामिल है। प्रवक्ता संवर्ग में कार्यरत शिक्षा बंधुओं के विनियमितीकरण की राह आसान नहीं है। प्रवक्ता पद राज्य लोक सेवा आयोग के दायरे में है। टीईटी तीन दिन में आयोजित करने के निर्देशों पर अमल की संभावना न के बराबर है।
प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार देने में अव्वल शिक्षा महकमे के लिए आगे की राह मुश्किल होती जा रही है। 868 पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षितों को एक साल के लिए संविदा पर नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। इस मामले में कैबिनेट नोट की टिप्पणी में भी ठोस तथ्य नहीं रखे गए। यह तय है कि इस मामले में ठोस औचित्य हाईकोर्ट में पेश नहीं किया गया तो पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षितों की तैनाती अधर में लटक सकती है। शिक्षा का अधिकार नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी और इसे अपनाने के बाद सरकार के लिए हाईकोर्ट में बीटीसी और टीईटी के बजाए अन्य तरह से प्राइमरी शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति का औचित्य साबित करना आसान नहीं होगा। आरटीई नियमावली में सरकार ने केंद्रीय एक्ट के तहत प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के निर्देशों को स्वीकार किया है। हालांकि, पत्राचार बीटीसी मामले में कैबिनेट के फैसले पर रोलबैक करने की स्थिति में भी इस पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी। इसे लेकर महकमा पसोपेश में है। शिक्षा सचिव ने शिक्षा निदेशक और विधि अधिकारी समेत महकमे के आला अफसरों के साथ इस मुद्दे पर बुधवार को विचार-विमर्श भी किया।
कमोबेश यही स्थिति तदर्थ कार्यरत शिक्षा बंधुओं के विनियमितीकरण को लेकर भी बन पड़ी है। शिक्षा मंत्री के करीब नौ बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देशों में उक्त मामला भी शामिल है। प्रवक्ता संवर्ग में कार्यरत शिक्षा बंधुओं के विनियमितीकरण की राह आसान नहीं है। प्रवक्ता पद राज्य लोक सेवा आयोग के दायरे में है। टीईटी तीन दिन में आयोजित करने के निर्देशों पर अमल की संभावना न के बराबर है।
News : Jagran (8.12.11)
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