मुजफ्फरनगर। टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अभ्यर्थियों ने बरेली में हुए लाठीचार्ज के विरोध में प्रदर्शन करते हुए डीएम को मुख्यमंत्री ने नाम ज्ञापन दिया है।
टीईटी उत्तीण अभ्यर्थियों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष बलकेश चौधरी के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान विगत 13 मई को बरेली में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे टीईटी उत्तीण अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज पर विरोध दर्ज कराया गया। भाकियू राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने धरने के समर्थन की घोषणा की। मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में टीईटी मेरिट के आधार पर ही प्राइमरी स्कूलों में नियुक्ति की सिफारिश की गई। निर्णय न होने पर 24 मई को लखनऊ कूच करने की भी चेतावनी दी गई। दीपक शर्मा, महेन्द्र सैनी, प्रदीप कुमार, पतंजली सैनी, साकिब, विनोद, शालनी, सुषमा, अमित, रूचि सैनी व विरेन्द्र आदि मौजूद रहे।
News : Jagran ( 22.5.12)
We shall overcome someday.
ReplyDeleteK
ReplyDeleteK
ReplyDeleteFast moovment cm hil jayega
ReplyDeleteGaddho ko mantri banaya hai akhilesh ne.
ReplyDeletedear all jiske pass carbon copy hai vo select other candidate tyari suru kar do.
ReplyDeleteEk maha andolan ki taiyari ki jaye jisme har b.ed tet pass candidate apni bhagidari sunischit kare,ghar par baithne se kam nahi chalega.kyoki is bharti par keval rajniti ho rahi hai.
ReplyDeleteWRIT - A
ReplyDelete198. DF-PH 76039/2011
YADAV KAPILDEV LAL
BAHADUR ALOK KUMAR
YADAV
RAJESH YADAV
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS
C.S.C.
Cases for Final Hearing/Disposal starting from the oldest of the category assign
ReplyDelete-ed.
-
For Further Hearing
WRIT - A
198. DF-PH 76039/2011 YADAV KAPILDEV LAL BAHADUR ALOK KUMAR YADAV
RAJESH YADAV
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
K.S. KUSHWAHA
WITH WRIA- 76355/2011 SARASWATI SRIVASTAVA SAROJ YADAV
Vs. THE STATE OF U.P. AND OTHE C.S.C.
-RS C.N.TRIPATHI
R.A.AKHTAR
WITH WRIA- 76392/2011 SHIVANI ABHISHEK SRIVASTAVA
Vs. THE STATE OF U.P. AND OTHE C.S.C.
-RS RAJEEV JOSHI
C.N.TRIPATHI
WITH WRIA- 76595/2011 SABA ANJUM & OTHERS INDRASEN SINGH TOMAR
AMIT KUMAR SRIVASTAVA
Vs. STATE OF U.P. & ANOTHER C.S.C.
K.S. KUSHWAHA
WITH WRIA- 1442/2012 VASUDEV CHAURASIA & OTHERS RAVINDRA PRAKASH SRIV.
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
AKHILESH KUMAR
R.A. AKHTAR
WITH WRIA- 75392/2011 VIJAY KUMAR TRIPATHI & ANOTHER AJOY KUMAR BANERJEE
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
K.A. USMANI
WITH WRIA- 2614/2012 MAHESH CHANDRA BHUPENDRA PAL SINGH
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
S.S. BHADAURIYA
WITH WRIA- 2608/2012 MOHD. SADAB SYED IRFAN ALI
MOHD. NAUSHAD
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
ILLEGIBLE
WITH WRIA- 6826/2012 VIMLESH KUMAR ALOK KUMAR YADAV
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
R.S. PRASAD
R.A. AKTAR
WITH WRIA- 17607/2012 PAWAN KUMAR BHAWESH PRATAP SINGH
Vs. STATE OF U.P. & ANOTHER C.S.C.
WITH WRIA- 29/2012 SHIV PRAKASH KUSHWAHA S.K. MISHRA
Vs. STATE OF U.P. & OTHERS C.S.C.
RAJESHWAR SINGH
R.A. AKTAR
K.S.KUSHWAHA
WITH WRIA- 24062/2012 KAUSHAL KUMAR SHUKLA AND OTHER SUDEEP DWIVEDI
-S
Vs. STATE OF U.P. AND OTHERS C.S.C.
HON'BLE MR. JUSTICE ARUN TANDON
HON'BLE MR. JUSTICE AMRESHWAR PRATAP SAHI
Tied Up and Part Hearing/disposal of applications.
-
------------------------------------------------------------------
वहाँ एक पेड़ था
ReplyDeleteउस पर कुछ परिंदे रहते थे
पेड़ उनकी आदत बन चुका था
फिर एक दिन जब परिंदे आसमान नापकर लौटे
तो पेड़ वहाँ नहीं था
फिर एक दिन परिंदों को एक दरवाजा दिखा
परिंदे उस दरवाजे से आने-जाने लगे
फिर एक दिन परिंदों को एक मेज दिखी
परिंदे उस मेज पर बैठकर सुस्ताने लगे
फिर परिंदों को एक दिन एक कुर्सी दिखी
परिंदे कुर्सी पर बैठे
तो उन्हें तरह-तरह के दिवास्वप्न दिखने लगे
और एक दिन उनमें
शासक बनने की इच्छा जगने लगी !
कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं सुबह सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह भयानक है इसे विवरण के तरह लिखा जाना लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें क्या दीमकों ने खा लिया हैं सारी रंग बिरंगी किताबों को क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं सारे मदरसों की इमारतें क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन खत्म हो गए हैं एकाएक तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में? कितना भयानक होता अगर ऐसा होता भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह कि हैं सारी चीज़ें हस्बमामूल पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजते हुए बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं।
ReplyDeleteयह पृथ्वी सुबह के उजाले पर टिकी है
ReplyDeleteऔर रात के अंधेरे पर
यह चिड़ियो के चहचहाने की नोक पर टिकी है
और तारों की झिलमिल लोरी पर
तितलियाँ इसे छूकर घुमाती रहती हैं
एक चाक की तरह
बचपन से सुनता आया हूँ
उन किस्साबाजों की कहानियों को जो कहते थे
कि पृथ्वी एक कछुए की पीठ पर रखी है
कि बैलों के सींगों पर या शेषनाग के थूथन पर,
रखी है यह पृथ्वी
ऐसी तमाम कहानियाँ और गीत मुझे पसन्द हैं
जो पृथ्वी को प्यार करने से पैदा हुए हैं!
मैं एक आवारा की तरह घूमता रहा
लगातार चक्कर खाती इस पृथ्वी के
पहाड़ों, जंगलों और मैदानों में
मेरे भीतर और बाहर गुज़रता रहा
पृथ्वी का घूमना
मेरे चेहरे पर उकेरते हुए
उम्र की एक एक लकीर
Pad Yatra ka kya hua ? Abhi bhi chal rahi hai kya ?
ReplyDeleteनामुमकिन है यह बतलाना कि एक कवि
ReplyDeleteकविता के भीतर कितना और कितना रहता है
एक कवि है
जिसका चेहरा-मोहरा, ढाल-चाल और बातों का ढब भी
उसकी कविता से इतना ज्यादा मिलता-जुलता सा है
कि लगता है कि जैसे अभी-अभी दरवाजा खोल कर
अपनी कविता से बाहर निकला है
एक कवि जो अक्सर मुझसे कहता है
कि सोते समय उसके पांव अक्सर चादर
और मुहावरों से बाहर निकल आते हैं
सुबह-सुबह जब पांव पर मच्छरों के काटने की शिकायत करता है
दिक्कत यह है कि पांव अगर चादर में सिकोड़ कर सोये
तो उसकी पगथलियां गरम हो जाती हैं
उसे हमेशा डर लगा रहता है कि सपने में एकाएक
अगर उसे कहीं जाना पड़ा
तो हड़बड़ी में वह चादर में उलझ कर गिर जायेगा
मुहावरे इसी तरह क्षमताओं का पूरा प्रयोग करने से
आदमी को रोकते हैं
और मच्छरों द्वारा कवियों के काम में पैदा की गयी
अड़चनों के बारे में
अभी तक आलोचना में विचार नहीं किया गया
ले देकर अब कवियों से ही कुछ उम्मीद बची है
कि वे कविता की कई अलक्षित खूबियों
और दिक्कतों के बारे में भी सोचें
जिन पर आलोचना के खांचे के भीतर
सोचना निषिद्ध है
एक कवि जो अक्सर नाराज रहता है
बार-बार यह ही कहता है
बचो, बचो, बचो
ऐसे क्लास रूम के अगल-बगल से भी मत गुजरो
जहां हिंदी का अध्यापक कविता पढ़ा रहा हो
और कविता के बारे में राजेंद्र यादव की बात तो
बिलकुल मत सुनो.
उजली धूप में
ReplyDeleteपानी बरस रहा है
"चिड़िया का ब्याह हो रहा होगा"
कहती है मुनिया।
कहती है मुनिया।
चिड़िया का एक पंख
धूप है
एक पंख
पानी।
चोंच में
जो दाना है
वह दाना
दाना पानी भी भी है
और आकाश भी।
WITH WRIA- 41365/2006
ReplyDeleteJOKHAN SINGH
K.N. RAI
P.S. TRIPATHI
A. CHAUBEY
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
S.C.
A.M. TRIPATHI
R.K. SRIVASTAVA
***********************
***********************
***********************
***********
THEN
COURT NO. 7
For
Further Hearing
WRIT -
A
1. DF-PH 76039/2011
YADAV KAPILDEV LAL
BAHADUR ALOK KUMAR
YADAV
RAJESH YADAV
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
K.S. KUSHWAHA
WITH WRIA- 76355/2011
SARASWATI
SRIVASTAVA SAROJ
YADAV
Vs. THE
STATE OF U.P. AND OTHE
C.S.C.
-
RS
C.N.TRIPATHI
R.A.AKHTAR
WITH WRIA- 76392/2011
SHIVANI
ABHISHEK SRIVASTAVA
Vs. THE
STATE OF U.P. AND OTHE
C.S.C.
-
RS RAJEEV
JOSHI
C.N.TRIPATHI
WITH WRIA- 76595/2011
SABA ANJUM &
OTHERS INDRASEN
SINGH TOMAR
AMIT KUMAR
SRIVASTAVA
Vs. STATE OF
U.P. & ANOTHER
C.S.C.
K.S. KUSHWAHA
WITH WRIA- 1442/2012
VASUDEV CHAURASIA &
OTHERS RAVINDRA
PRAKASH SRIV.
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
AKHILESH KUMAR
R.A. AKHTAR
WITH WRIA- 75392/2011
VIJAY KUMAR TRIPATHI &
ANOTHER AJOY KUMAR
BANERJEE
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
K.A. USMANI
WITH WRIA- 2614/2012
MAHESH
CHANDRA
BHUPENDRA PAL SINGH
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
S.S. BHADAURIYA
WITH WRIA- 2608/2012
MOHD. SADAB
SYED IRFAN ALI
MOHD. NAUSHAD
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
ILLEGIBLE
WITH WRIA- 6826/2012
VIMLESH KUMAR
ALOK KUMAR YADAV
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
R.S. PRASAD
R.A. AKTAR
WITH WRIA- 17607/2012
PAWAN
KUMAR
BHAWESH PRATAP
SINGH
Vs. STATE OF
U.P. & ANOTHER
C.S.C.
WITH WRIA- 29/2012
SHIV PRAKASH
KUSHWAHA S.K.
MISHRA
Vs. STATE OF
U.P. & OTHERS
C.S.C.
RAJESHWAR SINGH
R.A. AKTAR
K.S.KUSHWAHA
WITH WRIA- 24062/2012
KAUSHAL KUMAR SHUKLA
AND OTHER SUDEEP
DWIVEDI
-S
Vs. STATE OF
U.P. AND OTHERS
C.S.C.
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चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती
ReplyDeleteअगर रात जागने और सड़कों पर फ़ालतू भटकने की
लत न लग गई होती मुझे स्कूल के ही दिनों में
उसकी कई आदतें तो
तक़रीबन मुझसे मिलती-जुलती-सी हैं
मसलन वह भी अपनी कक्षा का एक बैक-बेंचर छात्र है
अध्यापक का चेहरा ब्लैक बोर्ड की ओर घुमा नहीं
कि दबे पाँव निकल भागे बाहर...
और फिर वही मटरगश्ती सारी रात
सारे आसमान में
श्रेणियाँ: चांद | कविता
एक बच्चा
ReplyDeleteकरीब सात-आठ के लगभग।
अपनी छोटी-छोटी हथेलियों में
गोल-गोल घुमाता
एक बड़ी गेंद
इधर ही चला आ रहा है
और लो...
उसने गेंद को
हवा में उछाल दिया !
सूरज !
तुम्हारी उम्र
क्या रही होगी उस वक़्त?
लड़की की इच्छा है
ReplyDeleteछोटी-सी इच्छा
हाट इमलिया जाने की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- काजर की
बिन्दिया की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- तोड़े की
बिछिया की।
लड़की की इच्छा है
छोटी-सी इच्छा
हाट इमलिया जाने की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- सुग्गे की
फुग्गे की।
फुग्गा उड़ने वाला हो
सुग्गा ख़ूब बातूनी हो।
लड़की की इच्छा है
छोटी-सी।
लड़की की इच्छा है
ReplyDeleteछोटी-सी इच्छा
हाट इमलिया जाने की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- काजर की
बिन्दिया की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- तोड़े की
बिछिया की।
लड़की की इच्छा है
छोटी-सी इच्छा
हाट इमलिया जाने की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- सुग्गे की
फुग्गे की।
फुग्गा उड़ने वाला हो
सुग्गा ख़ूब बातूनी हो।
लड़की की इच्छा है
छोटी-सी।
लड़की की इच्छा है
ReplyDeleteछोटी-सी इच्छा
हाट इमलिया जाने की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- काजर की
बिन्दिया की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- तोड़े की
बिछिया की।
लड़की की इच्छा है
छोटी-सी इच्छा
हाट इमलिया जाने की।
सौदा-सूत कुछ नहीं लेना
तनिक-सी इच्छा है-- सुग्गे की
फुग्गे की।
फुग्गा उड़ने वाला हो
सुग्गा ख़ूब बातूनी हो।
लड़की की इच्छा है
छोटी-सी।
सबको चकमा देकर एक रात
ReplyDeleteमैं किसी स्वपन की पीठ पर बैठ कर उड़ जाऊँगा।
हैरत में डाल दूँगा सारी दुनिया को
सब पूछते बैठेंगे ?
कैसे उड़ गया ?
क्यों उड़ गया ?
तंग आ गया हूँ मैं हर पल नष्ट हो जाने की
आशंका से भरी इस दुनिया से
और भी ढेर तमाम जगह हैं इस ब्रह्मांड में
मैं किसी भी दूसरे ग्रह पर जाकर बस जाऊँगा
मैं तो कभी का उड़ गया होता
चाय की गुमटियों और ढाबों पर गरम होते तंदूर पर
सिकती रोटियों के लालच में हिलगा रहा इतने दिन
ट्रक ड्राइवरों से बतियाते हुए
मैदान में पड़ी खटियों पर
गुजार दीं मैंने इतनी रातें
क्या यह सुनने को बैठा रहूँ धरती पर
कि पालक मत खाओ ! मैथी मत खाओ !
मत खाओ हरी सब्जियाँ
मैं सारे स्वपनों को गूँथ-गूँथकर
एक खूब लम्बी नसैनी बनाऊँगा
और सारे भले लोगों को ऊपर चढ़ाकर
हटा लूँगा नसैनी
ऊपर किसी ग्रह पर बैठ कर
ठेंगा दिखाऊँगा मैं सारे दुष्टों को
कर डालो कर डालो जैसे करना हो नष्ट
इस दुनिया को
मैं वहीं उगाऊँगा हरी सब्जियाँ और
तंदूर लगाऊँगा।
देखना एक रात
मैं सचमुच उड़ जाऊँगा।
hum sab apenay swarth ke liye acd aur tet ka raag alaap rahe hai sabhi tet paas abyarthiyon jo 6 mahinay se apnay saari ashayay is bharti per lagay hai sabki persthiti ek se he hai serkaar per yeh dabaav banana hoga ki yadi u.p. may prt teachers ki jo bhi vacency un sabhi per tet paas teachers ko appoint kiya jay tubhi sab uptetien ke sath saccha insaaf hoga ,sirf apna nahi sabka hit socho sabhi uptet pass ko naukari milay
ReplyDeletejub tak uptet 2011 pass sabhi abhyathiyon ko serkaar bharti nahi kerti hai tub tak uptet ki periksha ka ayojan na kiya jaye
ReplyDeleteऊट की पीठ पर अपनी खटिया बाँध कर
ReplyDeleteचल देंगे अभी बंजारे
दूर तक उनके साथ साथ जायेगी मेरी बेचैन आत्मा.
धूप के साथ सरकती किसी पेड़ की छाँव में
डाल देंगे वे अपना डेरा और पकायेंगे
बाटियाँ और दाल
छाँह के साथ सरकते रहेंगे वे दिनभर
घड़ी की सुइयों के साथ जैसे सरकता रहता है समय.
कितनी अनमोल, कितनी अद्वतीय होती हैं वे साधरण चीजें
जिनके सहारे चलता है यह महाजीवन.
वो छोटी सी काली हंडिया जिसमें पकाई जाती है दाल
और रख ली जाती है जीवन की छोटी छोटी खुशियाँ.
पुराने अखबार का वो कोई छोटा सा टुकड़ा
जिसमें बाँध कर रखा जाता है नमक
इतने सहेज कर रखती है वह बंजारन औरत नमक को
काग़ज में बाँध लिया हो जैसे उसने पूरा अरब सागर.
बंजारों ने अभी डेरा डाला है मेरे घर के ऎन सामने
किसी फल की फाँक की तरह आसमान पर लटका है
कार्तिक की सप्तमी का चाँद
सड़क के एक किनारे, पान की गुमटियों के पीछे
एक छोटे से टाट की आड़ और लालटेन की मद्धिम रोशनी में
बंजारन बहू ने जन्म दिया है अभी अभी
एक बच्चे को!
Akshay ji your poems are very nice. Keep it up...
Deleteandolan kero per jismay sabka hit ho sirf apna nahi sabkay liye senghash kero sirf apni merit ko dyaan mai rekh ker nahi to all uptetien and also all acd supporters
ReplyDeletemai pareshaan pareshaan pareshaan pareshaan kwahison ka sama gud night
ReplyDeleteIndia ke top most kavi akhaya apko kavita karne ka jo suavsar mila vo mubarak ho. Aapki kavita time patrika me bahut pahle chapi thee. Kavi maharaj ke anuthe prayas ko sat sat naman!
ReplyDeletedfghjkl; hjkm m nnn nnnnm mnbnv b c hhjhjh jjhhc jhjhc h jjhhc jc ucjb j]hcbhc
ReplyDeleten bhch'' jh hhsj ;
b kjbbbv mmh
hsg bu7syscbbu7sbbb7b uu u us ygf\hgffuh hxfh ftx ygd ytd ii
tdx igddg f
Ye UpTet chat box hai ya mazak ka adda?
ReplyDeleteUp tet ek gambher mudda hai is par mazak na kre!
ReplyDeletesathiyo kya yahi loktantra hai jisme humare dwara chune gaye log hamari hi what..... lagane per tule hue hai.
ReplyDeleteRespected Sir,
ReplyDeleteAccording to news there are three formula advice for TET merit. According to 1 & 2 the merit would be based on the marks obtained in Highschool, Intermediate, Graduation,.B.Ed.
There are two demerits of these two formulas:
(i) There is too much difference in the scaling of the marks used by CBSE, ICSE, & U.P Board.
(ii) Difference between the marks obtained by Professional degree and traditional course students.
(iii) The examination of TET has been qualified by students of age born between 1970 to 1990 i.e. a gap of one generation. There is lot of difference between marks. Now a days there is too much linear marking in U.P Board.
(iv) There is lot of difference between the B.Ed. examination passed from different universities and the universities of other states.
(v) There is lot of difference between the marks of Private and Regular course Degree.
Due to these five reasons it is not possible to get the justice based on marks percentage of Highschool, Inter, Graduation and B.Ed.
Merit based on the marks obtained in TET examination, according to formula three:
Demerit of this formula:
(i) The TET carbon copy is not available to some candidates and also carbon copy is not in readable state/position by latest.
(ii) There were no instructions in UP TET Prospectus regarding to keep safe carbon copy for future reference.
(iii) According to the acknowledgement by some people some candidate retained their answer sheet blank whose answer sheet were filled by ‘Nakal Mafia’ and these candidates were successfully passed with good marks.
Advices:
1. The coming generation could only get better by right choice of primary teacher because only the good teacher can construct the right foundation for the development of future generation. Why not the entrance exam for primary teachers when there is procedure for the entrance exam for TGT and PGT by UP government.
2. The UP government should take aptitude or screening test of TET qualified candidates like the Delhi and Haryana government and should make the merit based on it so that the illegal passed candidate could be isolated easily.
I requested you to take advice of your staff and forward this advice to concerned government department.