लखनऊ। बेसिक शिक्षा से सहायता प्राप्त उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रबंधन द्वारा सीधे रखे गए शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। राज्य सरकार ने सहायता प्राप्त स्कूलों में रखे गए शिक्षकों की ब्यौरा मांगा है। पूछा है कि सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती से पहले नि:शुल्क एवं शिक्षा के अधिकार नियमावली का पालन किया है या नहीं। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने पूछा है कि किन-किन जनपदों में इसका पालन किया गया है और कहा पालन नहीं किया गया है।
यूपी में शिक्षा का अधिकार अधिनियम जुलाई 2011 से लागू है। इसके लागू होने के साथ ही सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में कक्षा आठ तक के शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। तत्कालीन बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश चंद्र कनौजिया ने प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी दिया था कि कक्षा आठ तक के सहायता प्राप्त स्कूलों में अब उसे ही शिक्षक बनाया जाएगा, जो टीईटी पास होगा।
सूत्रों का कहना है कि इसके बाद भी प्रदेश के कई जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षकों ने कक्षा आठ तक के सहायता प्राप्त स्कूलों में बिना टीईटी पास लोगों को शिक्षक बनाया है। बताया जाता है कि सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक बनाने के लिए लोगों से मोटी रकम भी वसूली गई है। इसकी शिकायत शासन स्तर पर भी की गई है कि सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में भारी गड़बड़ियां हुई हैं।
इसके आधार पर उप शिक्षा निदेशक भूपेंद्र कुमार सिंह ने प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर पूछा है कि जुलाई 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम नियमावली लागू कर दी गई है। इसलिए 27 जुलाई के बाद नियुक्त शिक्षकों के चयन प्रक्रिया में इसका पालन किया गया है या नहीं।
News : Amar Ujala (28.5.12)
To Muskan mam plz plz display my mail as your post on the blog 29-5-2012 LUCKNOW CHALO SHIKSHAK BANO ITS VERY URGENT AND IMPORTANT POST
ReplyDeleteIs ka matlab U.P Govt TET ke aage Jhukegi. Aur wo log hume tal rahe hai ki aap bhool jai aur wo nahi prakriya chalu kr de.
ReplyDeleteBata do Yadav Ji aur Chaudhri Ji ki ki 72825 Teacher Bharti Sirf TET2011 ki Merrit pr hi Hogi.
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