/* remove this */ Blogger Widgets /* remove this */

Sunday, May 27, 2012

मायावती के राइट हैंड शशांक शेखर पर मुकदमा

मायावती के राइट हैंड शशांक शेखर पर मुकदमा


पिछली सरकार में सेकेण्ड टू सीएम का रूतबा रखने वाले पूर्व कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। श्री सिंह के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमें में सिर्फ शशांक शेखर सिंह ही नहीं बल्कि धार्मिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल समेत पांच लोग हैं। 

ज्ञात हो कि माया सरकार में इन अधिकारियों की तूती बोलती है लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ ही अधिकारियों को खुद को बचाना मुश्किल हो रहा हैपुलिस के अनुसार हजरतगंज कोतवाली में देर रात शशांक शेखर सिंह, नवनीत सहगल, एमिटी विश्वविद्यालय प्रशासन अशोक चौहान और अजय सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 143, 504, 506, 507 और 452 के तहत मामला दर्ज किया गया है। 



चूकि यह मामला गोमतीनगर इलाके का है लिहाजा इसे गोमती नगर थाने भेज दिया गया। महिला अनुपमा सिंह ने आरोप लगाया है कि इन अधिकारियों ने ताज कारीडोर मामले में मायावती के खिलाफ जांच के लिये दर्ज करायी गयी पुनर्विचार याचिका वापस लेने के लिये दबाव बनाया। महिला ने कहा कि उसे धमकी मिली थी कि यदि ऐसा नहीं होता है तो उसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे। 

पुलिस ने कहा कि दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि अनुपमा सिंह ने 2009 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में मायावती और बसपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ ताज कारीडोर मामले में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका के बाद मंत्रिमंडलीय सचिव रहे शशांक शेखर सिंह के दवाब के कारण उन्हें एमिटी कालेज के लाइब्रेरियन पद से हटा दिया गया तथा नकली दवा बेचने के नाम पर उनके पति की दुकान पर छापा मारा गया। 

अनुपमा सिंह ने प्राथमिकी में कहा है कि कई बार उन पर जानलेवा हमले हुये और कुछ अज्ञात लोगों उनके आवास पर आकर उन्हें मुकदमा वापस लेने की धमकी दी। उन्होंनें में कहा है कि शशांक शेखर सिंह के दबाव में उनके मकान मालिक ने आवास खाली करने को कहा। 

इन अधिकारियों ने लगातार मुकदमा वापस लेने और वकील को हटाने के लिये दबाव बनाया। उन्होंनें कहा कि उनकी 15 साल की बेटी शुभा शंकर को अगवा करने की धमकी भी दी गयी। अनुपमा सिंह ने कहा कि पिछली 16 मई को ताज कारीडोर मामले की सुनवाई भी हुई थी। उसी दिन एमिटी विश्वविद्यालय के प्रशासक एके ओहरी ने उनकी बात विश्वविद्यालय के संस्थापक अशोक चौहान से करायी और उन्होंनें भी मुकदमा वापस नहीं लेने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी। इन्कार करने पर बर्खास्तगी का पत्र उन्हें दे दिया गया। श्री चौहान का कहना था कि मुकदमा वापस लेने पर विश्वविद्यालय में उन्हें फिर से नौकरी मिल सकती है।