RTE / TET : आने वाले दो दिन टीईटी अभ्यर्थियों के लिए ऐतिहासिक
यह फैसला देश के लाखों बी. एड धारी अभ्यर्थीयों के लिए महत्वपूर्ण है कारण आर टी ई के जरिए सर्वाधिक भर्ती प्राइमरी शिक्षकों की होनी है और योग्य शिक्षकों की कमी को देखते हुए , बी एड धारी अभ्यर्थीयों को नजरंदाज करना बेहद मुश्किल है |
अभी अधिकांश राज्यों में भर्ती शुरू नहीं हुई है जैसे कि - बिहार , उत्तरांचल , हरयाणा , दिल्ली , राजस्थान , गुजरात , पंजाब , उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश में भर्ती तो समय सीमा से प्रारंभ हुई पर कोर्ट के आदेश से स्टे लग गया , और इसको देखते हुए एन सी टी ई द्वारा छूट इतना गंभीर मुद्दा नहीं है , पर आगामी भर्ती प्रक्रियाओं के लीए एक गंभीर मुद्दा है ) आदि
इसको देखते हुए लगता है कि - सुप्रीम कोर्ट के निर्णय बी एड धारी टी ई टी अभ्यर्थीयों के लीए राहत दे सकता है |
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के हजारों अभ्यर्थी लखनऊ में धरने पर बेठे हुए हैं जो कि सरकार का रूख जानने के लिए परेशान हैं | शायद इसका भी फैसला जल्द ही आ जाये |
३१ मई को हाई कोर्ट में टी ई टी मामले पर विज्ञापन को लेकर सुनवाई होनी है | और यह दिन उत्तर प्रदेश के टी ई टी अभ्यर्थियों के लिए बेहद महवपूर्ण हैं क्योंकि इसके बाद इलाहबाद हाई कोर्ट की समर वेकेशन
शुरू होनी हैं और फिर हाई कोर्ट १ जुलाई को खुलेगी
आज मीडिया जिस तरह से टीईटी मामले को दिखा रहा है, उससे लगता है कि वह वास्तविक स्थिति से भटका रहा है |
उत्तर प्रदेश में जिस तरह से टीईटी परीक्षा हुई और ओ . एम् . आर की तीन कापी बनाई गयी परिणाम , Answer Key ऑनलाइन जारी की गयी ,
और धांधली हुई है तो कितने अभ्यर्थी धांधली में लिप्त पाए गए ऐसा कोई प्रमाण अभी तक सामने नहीं आया है
उत्तर प्रदेश में टीईटी अभ्यर्थियों की भर्ती का मामला एक विज्ञापन को लेकर अदालत में चल रहा है , जिसका फैसला जानने के लीए अभ्यर्थी काफी समय से बैचेन हैं
ऐसे पूरे मामले पर चर्चा कराई जाये , तब पता पड़ेगा की अभ्यर्थियों की पीड़ा क्या है - कैसे उन्होंने रात रात जागकर पढाई की , कितने रूपए की फीस ड्राफ्ट के माध्यम से दी , कितने फार्म भरे ,
कितनी बार लाइन में लगे, बहुत सारे अभ्यर्थी दूसरे राज्यों से आवेदन करने तथा परीक्षा देने भी आये
इन मीडिया वालों से पूछना चाहिए कि किसी और परीक्षार्थी के नक़ल करने के कारण क्या इनको भी हाई स्कूल या १२ वी की परीक्षा में फेल कर दिया जाये, और तब तक परीक्षा कराई जाये , जब तक परीक्षा शत प्रतिशत शुद्धता से पूर्ण न हो जाये | तो उनको कैसा लगेगा
कई बार मीडिया ने भ्रामक ख़बरें दी - जैसे टीईटी सिर्फ पात्रता परीक्षा है, माया सरकार ने चयन का आधार बदल कर गलत किया
जिसका खंडन हाई कोर्ट के आदेश व एन सी टी ई गाइड लाइन स्वत करती है
U are right sir.
ReplyDeleteSATHIO HAM APNA HAQUE MANG RAHA HAI AUR HAMA LATHIYA MIL RAHAI HAI YA LATHIYA HAMARA SARIYER PER CHOOT KAR RAHI HAi theek hai mara tum sabhi sathiyo sa anurodh hai ke ya lathiya sapa sarkar ka taboot ke keel sabit honi chiya
ReplyDeleteaj pran lo na to ham sapa ko vot danga aur na he apna parichito ko dana danga
aur ak bat sabhi tet pas sathi hai
mitro ham teacher hai aur hamara kartivya hai ke apna niji suarth tayag kar hum tetians ka sath da
acd aur tet merit ko bhool kar sabhi nukti ke mang karo hila do in darindo ke sarkar ko jo santi porn virodh pridarshaN KO BHI DABANA CHITI HAI YA TO ANGRAJO KA BHI BAP HAI GHANONA
UTHO DHARA KA VEER SAPOTO PUNHA NAYA NIRMAN KARO KUCH SARAM KARO KUCH LKNU JAKAR KAM KARO
APNA TET SATHIYO KO MAJBOTI DE AUR JAM KAR DO SARAB PRADASH KO SUCHANA TANTRA KO MAJBOOT KARO AUR ROOD TRAIN ROKO ABHIYAN SURU KARO VIDHIYAKO KA GHARAV KARO UNKA GHAR KA AAGA BHAJAN KIRTAN KARO JO LKNOU NI JA RAHA KINTU PRITAK KO VIRODH DARAJ KARNA HAI JISKI GUNGH LKNU TAK PONCHAY HAR AK KI AVOTHI JARORI HAI KINTU SANTI PORAN DHANG SA
MAJBOOTI DO APNA SATHIYO KO
BHALAY HI LKNOU MA AK SATHI HO PER SARKAR KO PATA HONA CHIYA AK KO CHUNA KA MATLAB 2LAKH KO CHUNA KABARABAR HI TABHI HAMA JEET MIL SAKTI HAI
JAI HIND
JAI BHARAT
JAI TET TEACHERS
JINDABAD LATHI KHANA VALA TET SATHI
MUJHE LAGTA HAI HAME APNE AUR VIKALP BHI TAIYAR RAKHNE CHAHIYE. MANA KI BAHUT SE LOGO KE LIYE YE NAUKRI EK VARDAN HOGI AUR UNHE ISKE LIYE LADAI JARI RAKHNI CHAHIYE PAR JO LOG ABHI NAYE HAI AUR JINKE PAS AUR FARE CHANCES HAI UNHE IS TARAF LAGNE WALE SAMAY + FRUSTATION KE BARE ME BHI SOCHNA CHAHIYE. JINHONE CTET QUALIFY KIYA HAI UNHE DSSSB KI TARAF SE ACCHA MAUKA MILA HAI. MAI KHUD IS SAMAY IBPS PO/MT KI TAIYARI KAR RAHA HU. SATH HI MAINE CTET BHI QUALIFY KIYA HAI.
ReplyDeleteKUKI SAWAL KEWAL NAUKRI MILNE YA NA MILNE KA NAHI SAWAL IJJAT SE JEENE KA HAI. KYA HUMNE KABHI YE SOCHA HAI KI HUM JAB UPTET KI TAIYARI KAR RAHE THE TO HUM IN SAB BAATON (DHARNA, ANSHAN, LATHICHARGE)KE LIYE TAIYAR THE.YE INDIA HAI AUR USME BHI U.P TO AP BAHUT JYADA KISI SE UMMED NAHI KAR SAKTE. YAHA KAI HAJAR CRORE KE GHOTALE HOTE HAI PHIR UPTET TO ISKI EK BANGI BHAR HAI. SO KEEP IT UP AND USE YOUR POTENTIAL.
WITH WARM REGARDS.
great views.
ReplyDeleteHamare desh ki media netao ki tarah bhrast hai, aaj media bhi netao ki rakhel ban chuki hai. kya media ko tet ki 3 copy(Two carbon+One orignal) ke visay mei nahi pata. Sathiyo gov kevel bahana bana rahi hai varna kyo nahi sheets ko kissi dusri agency se check karvati. yadi kisi ki sheet badli gayi hai to kya omr ki series nahi badlegi, media aur neta puri tarah se chor chor mossere bhai hai.
ReplyDeleteSabhi jante hai kis perkar media gov se adv. lene ke liye uske talve chatti hai.
ReplyDeleteyadi koi kissi neta per ungli uthaye to ye samast manniya use saja ki mang karte hai but aaj hum logo per barsi lathiyo ki sambandh mei koi kuch nahi bola.
ReplyDeleteBAR BAR SAMAY DENA AUR FIR JAWAB NA DENA SARKAR KA AHANKAR NAHIN TO AUR KYA HAI USKI MANSHA ACHCHHI NAHIN HAI.
ReplyDeletebaap se bhi badttar hai bete ki sarkar.
ReplyDeleteLUCKNOW PAHUNCHO NAUKRI PAAO WARNA TET KO BHOOL JAAO!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeletepd g u r right. v r agree with u.
ReplyDeleteक्या मीडिया टीईटी मेरिट के मुद्दे पर विमर्श से बच रही है ॽ
ReplyDeleteपत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। सवाल उठता है कि मीडिया समाजिक मुददों पर आज क्यों इतना मौन है। शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिस पर मीडिया की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए।
शिक्षा अधिकार कानून आने के बाद राज्य सरकारें टीईटी और नियुक्ति जैसे मामले में कोई सार्थक फैसला नहीं ले रही है और ना ही एनसीटीई की गाईड लाइन को ठीक ढंग से लागू कर पा रही है। प्राथमिक टीचर भर्ती पर विवाद बना है लेकिन मीडिय तनिक भी रूचि नहीं ले रही है। क्या टीईटी मेरिट सही हैॽ एकेडमिक मेरिट से अंतिम चयन कहां तक जायज हैॽ इसके प्रभाव क्या हैॽ क्यों नियमों में परिवर्तन किया जा रहा हैॽ इसके पीछे क्या मंशा है। जैसे मुद्दों पर मीडिया भी सही पत्रकरिता नहीं कर रही हैॽ कहीं कहीं तो अपनी रिपोर्ट में आरटीई एक्ट और एनसीटीई आदि के गाईड लाइन को बिना समझें खबरें बनाई जा रही है। मीडिया एक तरफ स्कूलों में नकल की खबरें छापती है तो दूसरी तरफ एकेडमिक मेरिट की आलोचना से दूर रहती है। मीडिया में विमर्श नहीं हो रहा हैॽ नकल माफियों के मन मुताबिका सब हो रहा है। अनिवार्य निशुल्क शिक्षा एक कानून है जिसके अंतर्गत गुणवत्तायुक्त शिक्षा की बात करता है। परिषदीय विद्यालयों की हालत किसी से छिपी नहीं है। पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। टीचर सही से पढा नहीं रहे हैं। मीडिया में इस तरह की खबरें आती रही हैं। आखिर टीईटी मेरिट या प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से प्राइमरी टीचर की भर्ती होना कितना सही हैॽ इस पर कोई बहस नहीं छपती है। बस सूत्रों के मुताबिक हर दिन वहीं खबर को चटकारेदार बनाकर तोड़ मड़ोरकर छपती रहती हैं। यहां अखबारों में भी टीआरपी का खेल जारी है। एकेडिमिक मेरिट की बात करें तो ज्यादा लोग अखबार पढ़ेंगे। और अगर टीईटी मेरिट की बात करेंगे तो टीआरपी कम होगी और टीईटी निरस्त की खबर में टीईटी फेल वाले रूचि लेंगे जिनकी संख्या अधिक है वे पढ़ेंगे और सरकुलेशन अखबार का बढ़ेगा। ऐसी मानसिकता के साथ पत्रकारिता की जा रही है।
जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर अखबार कभी कभी उचित स्थान नहीं देती है तो इन मुद्दों को विज्ञापन के माध्यम से प्रकाशित करना आज की जरूरत हैॽ
इस तरह अब मीडिया में जनसरोकार और समाजिक मुद्दों पर रूचि अखबार के प्रंबधन समिति अपने फायदें को देख कर लेती है। जिससे इन मुददों को अखबार में स्थान नहीं मिलता है। तब जनसरोकार के मुद्दों पर अखबारों में बकायदा पैसे देकर विज्ञापन द्वारा अपनी बात कहना ज्यादा प्रभावशाली है। इससे लोगों के हित की बात पहुंचेगी और सरकार चेतेगी। वहीं किसी अखबार को इन मुद्दों पर किसी कारणवश रूचि न होने पर वह कम से कम विज्ञापन के तौर पर तो छापने से इंकार तो नहीं कर सकता है। और लोगों में यह स्पष्ट रहेगा की यह समाजिक मुदृदा विज्ञापन है अगर आपाकों उचित लगता है तो इस मुददे का समर्थन कीजिए लेकिन हम जानते है कि सच्चाई की समर्थन सभी करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक खबरें बाद में पलट जाती है लेकिन उस समय अपना प्रभाव छोड़ जाती हैॽ
जबकि ऐसी भ्रामक खबरें टीईटी को लेकर आती है। जहां पत्रकारिता पर सवाल उठना लाजिमी है। आरटीई एक्ट संसद में पारित हुआ है और इसे संसद ही संशोधित कर सकती है। लेकिन मीडिया में तथ्यों को बिना समझे खबरें लिखी जाती है। एकपक्षीय खबरें होती है कि दूसरें पक्ष की बातें नहीं कही जाती है। और एक पक्ष का विश्लेषण होता है जबकि उसी मुद्दे के दूसरे पक्ष का विश्लषण निश्पक्ष नहीं किया जाता है। वहीं यह बात टीईटी एकेडमिक मेरिट वर्सेज एकेडमिक मेरिट में क्या सही हैॽ आज के इस प्रतियोगिता के इस दौर में इस पर मीडिया बहस करने से बचती है और केवल सरकार की बातों को उठाती हैं। और एक तरह से समर्थन करती है। और यहां कितने ऐसे छात्र है जो टीईटी मेरिट के चयन के लिए मेंहनत की। और सरकार बदलने के बाद चल रही प्रक्रिया को निरस्त करने की खबरों को ही ज्यादा प्रमुखता दी जा रही है। वहीं दूसरा पक्ष यानी टीईटी मेरिट या प्रतियोगी परीक्षा यानी इस लोकतंत्रिक तरीके बारे में कोई बहस नहीं हाती है। टीईटी भर्ती पर अभी कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है। लेकिन जो खबरें दी जा रही है वह सूत्रों के मुताबिक है। लेकिन निश्पक्ष विश्लेषण की संभावना तो बनती है।
अभिषेक कांत पाण्डेय
शिक्षा अधिकार कानून के दो साल बाद भी नहीं चेती राज्य सरकारें
ReplyDeleteहमारे देश की शिक्षा व्यवस्था हाशिए पर है। शिक्षा अधिकार कानून के लागू होने के दो साल बाद भी हमारी सरकारें सो रही हैं। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन करने का प्रावधान है। लेकिन अभी तक शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी के बाद शिक्षकों का चयन नहीं हो पाया है। इससे पता चलता है कि राज्य सरकारें शिक्षा जैसे जरूरी मुद्दे पर सरकार मौन है। उत्तर प्रदेश में टीईटी परीक्षा और प्राईमरी शिक्षक भर्ती के विज्ञापन पर पेच उलझा हआ है। वहीं राजस्थान टीईटी और शिक्षक चयन में भी वहां की सरकार कोई ठोस पहल नहीं कर रही है। हरियाणा टीईटी और चयन प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार और छात्रों के बीच मतभेद है। राज्यों का हाल ये तब है जब एनसीटीई के गाइड लाइन के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षकों की योग्यता स्पष्ट है। लेकिन राज्य सरकार की इच्छा शक्ति की कमी के चलते भर्ती प्रक्रिया बाधित है। भर्ती प्रक्रिया और चयन के मामलों का निपटारा अब कोर्ट के हाथों में है। शिक्षकों के चयन संबधित सरकार के उचित फैसला न लेने से मामला कोर्ट में चला जाता है। जिससे नौकरी की आस लगाये हजारों बेरोजगार केवल इंतिजार करना पड़ता है। और वहीं प्राथमिक सरकारी स्कूलों में टीचरों का अकाल है। ऐसे में शिक्षा के अधिकार कानून का पालन नहीं हो रहा है। राज्य सरकार जल्द टीचरों की नियुक्ति नहीं की तो प्राथमिक स्कूलों की पढाई की स्थिति और भी बत्तर हो जाएगी। इसके लिए कौन जिम्मेदार होगाॽ
उत्तर प्रदेश में उलझी है– टीईटी और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया
इन दिनों उत्तर प्रदेश में नवगठित सरकार को टीईटी और पिछली सरकार के प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति के प्रक्रिया को पूरा करने का दायित्व है। बता दें कि सबके लिए अनिवार्य शिक्षा के अधिकार कानून के लिये सरकार को इस लटकी हुई प्रक्रिया को सुचारू रूप से जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्ति करनी है। लेकिन पिछली सरकार ने टीईटी के नंबरों से चयन करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया और अध्यापक नियमावली में परिवर्तन कर दिया जो एक सरहानीय कदम था क्योंकि पहली बार विशिष्ट बीटीसी चयन किसी परीक्षा के माध्यम से हो रहा है लेकिन टीईटी मेरिट के आधार को चुनौती हाईकोर्ट में दी गई। जहां इसके खिलाफ याचिका खारिज कर दी गई और हाईकोर्ट इलाहाबाद ने टीईटी मेरिट की तारीफ भी की। वहीं अभी कुछ कहना जल्द बाजी होगी। टीईटी उतीर्ण छात्रों ने मुख्यमंत्री से इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द टीईटी मेरिट से कराने के लिए कहा। लेकिन अभी मुख्यमंत्री सचिव के रिपोर्ट के बाद ही कोई निर्णय लेंगे। देखना है कि यह निर्णय टीईटी के मेरिट से चयन प्रक्रिया के पक्ष में आती है या पिछली सरकार के नियमों को पलट कर अधिक वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित होती है। जाहिर है अगर पिछली सरकार के समय निकाले गए विज्ञापन के अनुसार चयन प्रक्रिया टीईटी मेरिट से कराकर अब तक के सबसे बड़े विवाद का हल इंमानदारी से निकालती है या फिर एक बार नकल माफियाओं के हाथ में नंबरों से पैसा बनाने का गोरखधंधा के खेल खेलने के लिए सरकार मौका दे देगी। ये तो कुछ दिनों में साफ हो
Abhishek Pandey
प्राइमरी टीचर की भर्ती कंपटीशन से क्यों नही होतीॽ
ReplyDeleteहम सब जानते है कि किसी भी पद के लिए काम्पीटीशन सही होता है उसी के अंक के आधार पर चयन होता है। लेकिन जब टीईटी अनिवार्य है और सरकार प्राइमरी टीचर की भर्ती हेतु कोई कंपटीशन कराके प्राइमरी टीचर की भर्ती करने से बचती रही है लेकिन जब आज शिक्षा अधिकार कानून के अंतर्गत टीईटी परीक्षा अनिवार्य कर दिया गया तो इसके अंकों की मेरिट से चयन क्यों नहीं हो सकता है हम सब जानते है कि सरकार कंपटीशन कराने की प्रक्रिया से बचती रही है। अब सरकार अपनी जिम्मदारियों से पल्ला नहीं झाड़ सकती है। क्योंकि टीईटी अनिवार्य है और प्राइमरी टीचरों का चयन प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर होना चाहिए। फिलहाल टीईटी के नंबरों के आधार पर चयन उचित है। मुख्यमंत्री को भेजे जाने वाले इस रिपोर्ट में जिसमें केवल चयन का आधार एकेडमिक मेरिट से हो कि सिफारिश को नहीं मानना चाहिए क्यों की इससे सभी मेधावी छात्रों के साथ न्याय नहीं होगा। समझना चाहिए कि इस रिपोर्ट से केवल नकल करने वाले छात्र और शिक्षा माफियों की दुकान चल पड़ेगी। और यह भी ध्यान रखना चाहिए की एकेडमिक मेरिट चयन सही नहीं है क्योंकि सभी बोर्ड और विश्वविद्यालय की नंबर देने और परीक्षा कराने में जमीन आसमान अंतर है ऐसे में लोग पिछले चार पांच सालों में ऐसे संस्थानों से हाईस्कूल इण्टर बीए और बीएड कर जिन पर हमेशा संदेह रहा है और वहां पैसे के बल पर रेवड़ी की तरह अंक बांटे जाते हैं। यहां 70 से 80 प्रतिशत अंक छात्रों को आसानी से मिलता है जबकि कई ऐसे यूनिवर्सिटी हैं जहां टापर मुश्किल से 70 प्रतिशत अंक पाते है। ऐसे में प्राइमरी टीचर की भर्ती के चयन का आधार केवल कंपटीशन या टीईटी मेरिट होना चाहिए।मिलता है।
आरटीई कानून में टीर्इटी परीक्षा है गणवत्ता की कसौटी
ReplyDeleteइधर आरटीई के तहत जिस तरह उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा की कवायद शुरू हई है ऐसे में चयन प्रक्रिया को एकेडमिक आधार रखने का कोई उचित उचित तर्क नहीं बनता है। देखा जाये तो अब वह समय आ गया जब चयन के आधार को बदला जाये और टीईटी के मेरिट से शिक्षकों की नियुक्ति होने से अलग–अलग बोर्ड और यूनिवर्सिटी के मार्किंग प्रथा से होने वाले नुकसान की बहस पर हमेशा के विराम लग जाएगा। जबकि जानकारों का भी यही मानना है कि आरटीई कानून के तहत टीईटी के मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया तर्कसंगत है इससे बेहतर शिक्षक मिलेंगे।
abhishek kant pandey
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