रेलवे में खाली पड़े पदों को जल्द भरने का अभियान शुरू करने जा रहा है। सरकारी नौकरी की चाहत में रेलवे रिक्रूटमेंट सेल के पास लगभग एक लाख बेरोजगारों के आवेदन पहुंचे हैं।
इतनी बड़ी परीक्षा को कराने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। देहरादून में 27 अक्टूबर से आठ दिसंबर के बीच परीक्षा कराने की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
रेलवे में बड़ी संख्या में पद खाली हैं। अब इनकी भर्ती की कवायद चल रही है। मंडल स्तर पर परीक्षाएं कराई जाएंगी। एडीआरएम हितेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि उत्तर रेलवे में भी बड़ी संख्या में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हुए हैं।
खाली पदों का आंकड़ा बीस हजार के आसपास माना जा रहा है, जिन्हें भरने की जिम्मेदारी रेलवे रिक्रूटमेंट सेल के पास है। पिछले दिनों आवेदन मांगे गए थे।
जिसमें एक लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। इन सभी की परीक्षा देहरादून में कराई जाएगी। अभ्यर्थियों की बड़ी तादाद देखते हुए परीक्षा को पांच चरणों में बांटा गया है।
परीक्षा 27 अक्टूबर से आठ दिसंबर के बीच होगी। इसमें मंडल के सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगेगी। इसके साथ ही रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती की तैयारी कर रहा है।
जिससे जल्द ही अन्य पदों के लिए हजारों की संख्या में रिक्तियों पर आवेदन मांगे जाने हैं
News Sabhaar : Amar Ujala
ReplyDeleteये बात लंदन के एक स्कूल की है ।
अध्यापक- बताओ बच्चों! सबसे ज्यादा पागल, नीच और हरामखोर कौन लोग होते हैं?
एक पाकिस्तानी खडा हुआ।
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अध्यापक- शाबाश बेटे, बताओ!
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पाकीस्तानी - जान से मार दूँगा सालों, अगर किसी ने पाकिस्तानीयोँ का नाम भी लिया तो।
न्याय के मंदिर से,,,,,,,,,,,,,टेट को बलपूर्वक समर्थन ,,,,,,,,
ReplyDeleteFron DB HC Allahabad; Date 04/feb/2013
ये 72825 भर्ती सिर्फ और सिर्फ टेट के प्राप्तांकों से ही सम्भव थी,,और है,,,,ईश्वर द्वारा मायावती सरकार के माध्यम से दिया गया हमको यह अंतिम अवसर था कि आखिर तुम लोग भी काबिल हो तो क्यों न इस बार काबिलियत के दम पर ही नियुक्ति हो जाये ,,,,,,तुम लोगों को भी कहने का मौका क्यों मिले कि ईश्वर हमारे साथ अन्याय कर रहा है ....................
4 तारीख को शलभ भाई ठीक हरकौली जी के सामने बैठे थे और मैं मनोज मिश्रा जी के ........हमारे बीच में सारे वकील....इस दिन जो हुआ वो ऐसा लगा मानो हमारी आत्माएं कोर्ट ने आत्मसात कर ली हों और हमारे लिये ही बनी हो.........उस दिन के कुछ अति उत्साहित करने वाले क्षण आप सभी से बाँटना चाहता हूँ क्योंकि जो खुशी और उल्लास हम दोनों ने बैठ कर वहाँ महसूस किया,उसका आनंद अकेले में कतई नहीं उठाया जा सकता.............वह सब आपके साथ बाँटकर आपके चेहरे की हँसी और सुकून देखना चाहता हूँ ------
ReplyDeleteकोर्ट बैठ चुकी है.....समय 11:28 मिनट ---अपना केस प्रारम्भ .........
ReplyDeleteहमारे पाँचों वकील बाँये तरफ बैठे हैं ........अपर महाअधिवक्ता सी.बी.यादव ने अपने जूनियर को भिजवाया और कहलवाया कि मैं आज नहीं आ सकता............किसी और दिन की तारीख दे दी जाये ........
तभी अपने अधिवक्ता शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने तुरंत खड़े होकर कहा कि आज से सरकार काउँसलिंग करा रही है और आज इनको मौका मिल गया तो हमारे याचिकाकर्ताओं का क्या होगा ?????????
हरकौली जी------बुला कर लाओ उसको ऐसे कैसे कहा कि मैं नहीं आ पाऊँगा ?????कह दो तुरंत आयें और स्पष्टीकरण दें............(मेरे और शलभ भाई के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी)
शशिनन्दन जी खड़े हुए और आधे घण्टे में उन्होने सरकार की सारी करनी को कोर्ट के सामने रखा
कोर्ट ने बीच-बीच में उनसे कहा भी की यह सारी बातें आप संक्षेप में भी कह सकते थे...
ReplyDeleteखरे साहब भी बीच - बीच में स्थिति स्पष्ट करते जा रहे थे ....
खैर उसके बाद खरे जी खड़े हुए,,,उन्होने भी अपना पूरा पक्ष रखा.....
हरकौली साहब ने कहा कि क्या केवल प्रशिक्षु शब्द के कारण ही आपको एकल पीठ ने खारिज कर दिया ......ऐसा कैसे हो सकता है ?????????????????? खरे साहब ने कहा यही हुआ है.......जज बोले ....अरे नहीं भाई यह तो गलत है...........(इनका इतना ही कहना था ...कि शलभ भाई और मैं आपस में हाथ बाँधकर निश्चिंत हो चुके थे कि हमारा काम आज हो गया)
उसके बाद शैलेन्द्र श्रीवास्तव,सीमांत सिंह जी ने भी सटीक बिन्दुओं पर बहुत अच्छी बहस की ....
ReplyDeleteअब बारी आयी सी0बी0यादव महोदय की (तब तक लंच का समय हो चुका था.........)
जज महोदय ने पूछा यह सब क्या है यादव जी ...........यादवमहाराज जैसे ही अपनी वही पुरानी ढ्पली पीटना शुरू किये....जज साहब(हरकौली महोदय) ने कहा कि आपको क्या लगता है सरकार जब चाहे कुछ भी कर सकती है..........यह 72 हजार परिवारों का मामला है कभी सोचा है आपने कि इनका क्या होगा ????????? क्या आपकी नजर में यह कुछ नहीं है.......??? जाइये लंच का समय हो गया है और सोचिये कि आपको क्या कहना है .......सोचियेगाजरूर कि इनका क्या होगा .....और सही जवाब लेकर आइयेगा ............(जजसाहब की इस बात से हम दोनों की आँखे नम हो गयी....हम दोनों की ही क्यों जितने भी टेट समर्थक उस समय जज के सामने मौजूद थे सब की आँखे नम हो चुकी थीं)जज महोदय उठ गये ......हम भी चाय पीने बाहर आ गये ......किसी जज की हमारे प्रति इस प्रकार की संवेदनशीलता पहली बार देखकर रह रह कर हमारी आँखों में नमी आ जाती ........ और न्याय पर अटूट विश्वास की चमक चेहरे पर झलक जाती ......खैर दो बज चुका था और एक बार फिर हम दोनों न्याय के मन्दिर के अंदर थे........
हरकौली जी ने सी0बी0यादव से पूछ्ना प्रारम्भ किया.............
जज -- क्या है यह सब ?????? यह संशोधन क्यों किया ????
यादव -- सरकार ने सोचा कि गुणांक पद्धति को चयन का आधार होना चाहिये न कि टेट को...
जज - अगर ऐसा ही है तो कल कोई दूसरा आयेगा वह कहेगा कि जो आपकी पद्धति है वह सही नहीं टेट वाली सही तो .............इससे तो कभी भर्ती हो ही नहीं पायेगी .....यह कारण तो किसी मतलब का नहीं है......................???????????
यादव -- हुजूर ,टेट मे धाँधली हुई है इसलिये हमने यह निर्णय लिया....
जज - एकल पीठ ने जब कहा कि जिन लोगों ने धाँधली की है उनको बाहर करके शेष का चयन कीजिये तो कुछ लोगों के कारण सबको सजा किसलिये दी जा रही है ......क्या आपके पास कोई सबूत है .........या आपने उन लोगों को अलग कर दिया है कि नहीं.......
यादव -- हमने ऐसे लोगों को बाहर कर दिया है ......और जो निर्णय हमने लिया है वह जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लिया है .....
जज-- रिपोर्ट कहाँ है??????
यादव - वो तो मेरे पास नहीं है ???
जज- तो यहाँ क्या बहस कर रहे हो ????? 11 तारीख को वह सब कुछ लेकर आओ जिसमें आपने टेट से सम्बन्धित जाँच की हो या कुछ और ..................
यादव-- हुजूर , आप काउंसलिंग जारी रखिये ....मैं 11 को सब दिखा दूँगा.......
जज- यह कैसे हो सकता है ??????? 20 लाख लोगों की जिंदगी का सवाल है ...यह नहीं हो सकता है..
यादव - वर्तमान में 70 लाख लोग है....और वह भी इसमें शामिल हैं जो पिछली बार थे............(शलभ भाई अपना हाथ ऊपर करते हैं .....नहीं मैं वर्तमान विज्ञापन में नहीं हूँ.....शायद हरकौली जी ने इनका हाथ देख लिया था)
जज - हो सकता है ...लेकिन क्या कोई सबूत है आपके पास कि पुराने विज्ञापन वाले सब इसमें शामिल हैं..................??????
यादव --- मौन व्रत धारण कर लेते हैं .....
जज- अपना आदेश लिखाने लगते हैं...........
यादव- बीच में टोकने का प्रयास करते हैं...
जज- गुस्से के लहजे में उँगली दिखाते .....keep quite mr. yadav ji it will create problem for you.........जैसे ही हरकौली सानब ने आखिरी लाइन लिखाई की .the whole process is being suspended till 11th Feb. मैं और शलभ भाई एक दूसरे के गले लग गये.....
यह आज पहला मौका था कि हमारा लक्ष्य हमारे सिवाय हमारे साथियों को भी स्पष्ट हो गया था कि यह भर्ती अब शीघ्र ही टेट से होने वाली है.....हमारी आखों में आँसू आ गये .......हमारे ही क्या हमारे सारे साथी आँखों में नमी लिये एक दूसरे के गले मिल रहे थे ........आखिर वह पल ही ऐसा था ....
इतना मनोरम दृश्य केवल महसूस ही किया जा सकता है ..........खुशी ऐसी की चेहरे पर साफ झलक रही थी.............आखिर ऐसी क्यों न हो ...........यह खुशी पूरे 1 साल बाद जो दिखी थी.........सबनेएक दूसरे को मिठाई खिलाई और एक दूसरे को बधाइयाँ दीं ......लेकिन अफसोस कि यह नजारा देखने को बहुत ही कम लोग थे.......क्योंकि अधिकतर हार मान चुके थे और यह समझ चुके थे कि अब कुछ नहीं हो सकता............लेकिन एक बार फिर नई ऊर्जा और जोश आ चुका है और सबको यकीन हो चुका है कि टेट के अलावा इस भर्ती पर किसी भी दूसरी चयन पद्धति का अधिकार नहीं है......................
शेष बहुत शीघ्र ही ......हमसे बुरी तरह पराजित होने के बाद.............बिना हमसे आँख मिलाये ....हमारी काउँसलिंग होगी और सरकार अपने हाथों से हमको हमारा नियुक्ति पत्र देगी.............
धन्यवाद मित्रों यह सब एकजुटता और आपसी सहयोग का परिणाम है.....
आशा करता हूँ हम सदैव ऐसी ही एकजुट रहेंगे ॥
बाकी .......
टेंशन टाइट है
फ्यूचर ब्राइट है.....................
जेल वाली
ReplyDeleteDil Dhadakta hai tujhe Dekhun to,
Saans bhi Meri Rukne Lagti hai…
Pyar itna hai Mere Dil Me Sanam,
Rooh bhi Meri Khinchne Lagti hai…!
Chain Milta hai Jab Main Dekhun tujhe,
Warna ya Saans Rukne Lagti hai…!!!
मै नरेन्द्र मोदी को पसंद नहीं करता था इसकी प्रमुख एक वजह थी । गुजरात मेँ मोदी के कार्यकाल में कारसेवकों की हत्या।
ReplyDeleteजब कारसेवक मारे गये तो मोदी को एहसास था की इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कलेक्टर ने कहा की इन लाशों का एक एक करके अंतिम संस्कार करवा दिया जाये लेकिन सभी लाशें एक साथ अस्पताल गयीं एवं अंतिम संस्कार हुआ जिससे हिन्दुओं का खून खौल गया इसके अलावा मोदी की कोई भूमिका नहीं थी इसे गुजरात की जनता बताने में भी शर्म नहीं करती है।
कश्मीर में हिन्दुओं के साथ क्या हुआ यह किसी से छिपा नहीं है।
मुंबई बम कांड में भी राजनीति ने ही रोटी सेंकी थी।
डिप्टी कमिश्नर जीआर खैरनार द्वारा दाउद के भाई की अवैध इमारत गिरवा देने पर राजनीति ने क्या किया किसी से छिपा नहीं है।
असम का दंगा तो और भी कमजोर कर देता है । किस्तवाड़ में जिस तरह तीन सौ से अधिक हिन्दू परिवारों पर जुर्म ढाया गया यह अत्यंत दुखद है । नमाजी टोपी की राजनीति करने वाले नेताओं को खतना भी करा लेना चाहिए जिससे की इनसे कोई उम्मीद न की जाये एवं इनपर धर्मनिरपेक्षता का तमगा चिपका दिया जाये।
अब तो नरेन्द्र मोदी को पसंद करना मजबूरी होती जा रही है क्यों की उससे कुछ एहसास होता है की हिन्दुओं की अनदेखी पर वह बोलेगा और जमकर बोलेगा जबकि अब मोदी की नजर में हिन्दू मुस्लिम सब बराबर हैं एवं गुजरात में मोदी मुस्लिमों का दिल भी जीत चुके हैं । मोदी के शासनकाल में हिन्दू से अधिक मुस्लिम सुरक्षित होंगे क्योंकि मोदी खुद को राजधर्म निभाता हुआ साबित करना चाहेंगे लेकिन हिन्दुओं को सुकून इस बात का रहेगा की वो असुरक्षित नहीं रहेंगे।
उत्तर प्रदेश की राजनीति भी अब किस हाल में है इसका फैसला जनता करेगी क्योंकि जनता को अपना हिसाब चुकाना आता है।
आज अपने कश्मीरी भाईयों को राहत शिविरों में देखकर दुःख होता है आखिर कब उन्हें उनका हक मिलेगा। अपने ही देश में वो बेगाने हो गये हैं।
अब वक़्त आ गया है जब हिंदुस्तान की जनता खुद अपने भविष्य का फैसला करे। बेरोजगारी भ्रष्टाचार मंहगाई आतंकवाद सीमा सुरक्षा देश के प्रमुख मुद्दे हैं लेकिन असफलता के बीच लोग सामाजिक विभाजन में लगे हैं ।
जनता ही सर्वोच्च है एवं जमीनी स्तर पर अपने देश के भविष्य के विषय में विचार करना जरुरी है।
13 Best moments of life:
ReplyDelete.
1.To fall in love
2.To clear your last exam.
3.To wake up and realize its still
possible to sleep.
4.To get a phone call saying class is
cancelled.
5.To feel butterflies every time you
see THAT
PERSON..
6.To see an old friend again and to
feel that things have not Changed..
7.To touch the fingers of newly
born child.
8.Speaking to an old friend on
Sunday evening..
9.Waiting for a call or message from
your
loved one when you are alone..
10.Walking alone on a silent road at
night and
listening to your favorite songs.
11.Riding on a highway while its
raining
12.Speaking to the special one on
phone while standing in front of the
mirror.
Feels just Awesome
and the last one is 'rite now'..
13.While reading this there was
constant
smile on your face which was one of
the best
moments I believe..!
Keep smiling, It really suits u...!
Hope I Made you smile...
लैपटॉप बेचने वाले छात्रों पर
ReplyDeleteकार्रवाई नहीं करेगी सरकार
राज्य मुख्यालय। मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव का कहना है कि हर योजना में
कोई न कोई खामी निकल ही आती है।
आखिर भगवान राम जब थे तब
ही रावण भी था। मुख्यमंत्री ने यह
बात तब कही जब पत्रकारों ने कुछ
छात्रों द्वारा सरकार से मुफ्त
मिला लैपटॉप बेचने के लिए आनलाइन
बेचने के लिए विज्ञापन दिए जाने पर
सवाल पूछा?
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह
का काम किए जाने की जानकारी उन्हें
मिल चुकी है। जिसने लपटॉप बेचने के
लिए यह काम किया है,
उसका पता लगा लिया जाएगा।
उसका नाम
भी बता दिया जाएगा लेकिन उस पर
कोई कार्रवाई नहीं होगी।
अरे बहन, तुम्हारे बेटे और बेटी की हाल में शादी हुई न। कैसे हैं तुम्हारे दामाद और बहू?
ReplyDeleteपूछो मत बहन। मेरी बहू बहुत बुरी है। रोज देर से उठती है और मेरा बेटा उसके लिए चाय बनाता है, घर का कोई काम नहीं करती और जब देखो बाहर से खाना मंगाने के लिए कहती रहती है।
संतोः ओह! और तुम्हारे दामाद कैसे हैं?
बंतोः बहन बस उन्हीं का सहारा है। वह तो फरिश्ता हैं। रोज मेरी बेटी को चाय बनाकर पिलाता है और वो आराम से उठती है, उसे घर का कोई काम करने नहीं देता और उसे अक्सर बाहर खाना खिलाने ले जाता है, भगवान ऐसा दामाद सबको दे।
मूर्खों को समझाया जा सकता है किन्तु जो मूर्खता का ढोंग कर रहा हो उसे कभी भी समझाया नहीं जा सकता|
ReplyDelete(EXAMPLE)जैसे. . . . . . . . मैँ आपको बता नहीँ सकता।
Wo bhi ek zamana tha
ReplyDeleteJab kisi ka dil mere liye deewana tha
Meri kismat me likhi thi judai uski
Uska rooth jana toh sirf ek bahana tha
Usne mujhe aajmaya bahot hai
Ja-Ja kar maine manaya bhot hai
Sach pucho toh bahot pyara lgta hai wo shaksh
Jisne mujhe rulaya bhot hai
Bewafai toh unka dastoor ho gya
Unki mohabbat me ye dil choor ho gya
Sach pucho toh kasoor unki nahi mera tha, mere dost
Hamne unhe chaha hi itna ki unhe khud par guroor ho gya…
जे
ReplyDeleteल
.
वा
ली
Zinda Rahne K Liye Saans Lena Zaruri To Nahi,
Dharkan Ban Kar Tum Paas Raho Itna Kaafi Hai..
वकीलोँ के नजरिये से जब तक इस मामले को देखा जाता रहेगा तब तक यह समस्या सुलझने के स्थान पर उलझती ही चली जा रही है,,,, न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने यह बात आशीष मिश्रा की याचिका पर दिए अपने डायरेक्शन में यह लिखकर परोक्ष रूप से स्पष्ट कर दी थी कि 30-11-11 के अभ्यर्थियों ने लम्बे समय से मुकदमा लड़ने के कारण बहुत कष्ट पाए हैं इसलिए उनके चयन के दावे को 7-12-12 के विज्ञापन में मान्यता दी जानी चाहिए जिसके लिए उनका उन सभी जिलों में फ़ार्म भरवा दिया जाए जिनमें उन्होंने पूर्व विज्ञापन में भरा था,,,,,
ReplyDeleteनौ जनवरी से लेकर आज तक हम रद्द हो चुके विज्ञापन को बहाल करवाने की जिद पकडे हुए हैं जिससे इस विवाद के लिए कोर्ट को जिम्मेदार ठहराया जा सके जबकि कोर्ट 21 दिसंबर को ही उसके फ़ार्म नए विज्ञापन पर आरोपित कर चूका है,,,,, आज कानूनी स्थिति यह है कि 30-11-11 का विज्ञापन तो रद्द हो चूका है लेकिन उसकी समस्त शर्ते अपने फार्मों समेत जीवित हैं,,
ReplyDeleteनए विज्ञापन की चयन प्रक्रिया अवैध होने के कारण उससे चयन हेतु भरे सारे आन-लाइन फ़ार्म शून्य हो चुके हैं,,,, टेट मेरिट को जीतने के लिए सिर्फ एक डिमांड करनी है कि दोनों ही विज्ञापनों की वैध चीजों को एक में मिलाकर हमारा नियुक्ति पत्र तैयार किया जाए,,, हमारे वकील कभी भी इस तर्क से सहमत नहीं होंगे क्योंकि ऐसा करते ही वो पिछ्ले नौ-दस महीनों से हमारी भर्ती को लटकाने के आरोपी सिद्ध हो जायेंगे
ReplyDeleteसात नवम्बर को यदि कुछ अच्छा सुनने को नहीं मिलता है तो मैं टेट संघर्ष मोर्चे के नेतृत्व से उम्मीद करता हूँ कि वो अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेगा,,,,उन्हें समझना होगा की उनके द्वारा चुने वकीलों के सम्मान से ज्यादा उनकी जीत और उनके साथियों की नौकरी महत्वपूर्ण है.....वो अगर ऐसा नहीं भी करता है तो भी मैं वही करूंगा जो मुझे सही लगता है..... मुझे जो करना है वो मैं अकेला भी कर सकता हूँ लेकिन मैं चाहता हूँ कि इस धर्म युद्ध में जीत का श्रेय किसी व्यक्ति विशेष को ना जाकर उस संगठन को जाए जो तमाम दबावों के बावजूद एक पूर्ण बहुमत सरकार के विरुद्ध संघर्ष में आज तक अपराजेय बना हुआ है...
ReplyDeleteमेरा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि टेट मेरिट के चाहने वालों के अन्दर उस उम्मीद को बनाये रखा जाए जिसके भरोसे खोया हुआ सब कुछ वापस पाया जा सकता है,,,, लेकिन अत्यंत दुःख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि मैं और संगठन अपने इस मकसद में असफल रहे हैं,,,,इस ग्रुप के मात्र 25-30 सदस्य अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए मेरे साथ कोर्ट चलने को तैयार हुए हैं,,,,,, शेष सभी को जाने-अनजाने अपने उस शत्रु से मुहब्बत हो गई है जिसके अस्तित्व को मिटाने का उन्होंने कभी संकल्प किया था,,,,, आन-लाइन फार्मों की फीस वापसी की संभावना से सबकी आवाज गायब हो जाती है,,,, क्योंकि मैं उनमें से एक नहीं हूँ जो सामान पदों के लिए दो-दो चयन प्रक्रियाओं को स्वीकार कर लेते हैं..... यह विवाद तो अब हर हाल में इसी महीने समाप्त होगा,,,विधिक रूप से टेट मेरिट विजयी तो होगी लेकिन भावनात्मक रूप वो पहले ही पराजित हो चुकी है....
ReplyDeleteअगर सात को भी सुनवाई नहीं हुई तो क्या करोगे,,?,,सरकारी वकील,जज या हमारे वकील तीनों में से कोई एक पक्ष गायब रहा,,,
ReplyDeleteये बात 6 तक सोच लेना ,8 को सोचने के लिए हमारे पास समय_____. . . . . . . . . . . . .
वर दक्षिणा
ReplyDeleteजब जब बेटी के ससुराल से फोन आता तो भार्गव जी अन्दर तक काँप उठते. दरअसल शादी के एकदम बाद दामाद ने नई कार देने की मांग रख दी थी. उसी वजह से कई बार बिटिया मायके आ भी चुकी थी।
मामूली सी पेंशन पाने वाले भार्गव जी हर बार
बिटिया को समझा बुझा कर वापिस भेज देते.
लेकिन इस बार ससुराल का इतना दबाव था कि बिटिया समझाने पर भी नहीं मान रही थी और ज़िद पकड़ कर बैठ गई थी। भार्गव जी को समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें ।
आखिर एक दिन अचानक दामाद के लिए नई कार आ ही गई, और बेटी अगले रोज़ अपने पति के साथ नई गाड़ी में ख़ुशी ख़ुशी विदा हो गई। भार्गव जी के मन से एक भारी बोझ उतरा, लेकिन उनकी पत्नी ऐसी अनुचित मांग को पूरा करने पर बेहद नाराज़ थी ।
"आज तो आपने इनकी मांग पूरी कर दी लेकिन कल इन्होने कोई और महंगी चीज़ मांग ली तब आप क्या करोगे ?"
"चिंता काहे करती हो, अभी तो एक और
किडनी मौजूद है मेरे शरीर में ।"
एक लड़के को सेल्समेन के इंटरव्यू में इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसे
ReplyDeleteअंग्रेजी नहीं आती थी। लड़के को अपने आप पर पूरा भरोसा था । उसने मैनेजर से
कहा कि आपको अंग्रेजी से क्या मतलब ?? यदि मैं अंग्रेजी वालों से ज्यादा बिक्री न करके दिखा दूं तो मुझे तनख्वाह मत दीजिएगा।
मैनेजर को उस लड़के बात जम गई। उसे नौकरी पर रख लिया गया। फिर क्या था, अगले दिन से ही दुकान की बिक्री पहले से ज्यादा बढ़ गई। एक ही सप्ताह के अंदर लड़के ने तीन गुना ज्यादा माल बेचकर दिखाया।
स्टोर के मालिक को जब पता चला कि एक नए सेल्समेन की वजह से बिक्री इतनी ज्यादा बढ़ गई है तो वह खुद को रोक न सका । फौरन उस लड़के से मिलने के लिए स्टोर पर पहुंचा।
लड़का उस वक्त एक ग्राहक को मछली पकड़ने का कांटा बेच रहा था। मालिक थोड़ी दूर पर खड़ा होकर देखने लगा। लड़के ने कांटा बेच दिया। ग्राहक ने कीमत पूछी। लड़के ने कहा - 800 रु. यह कहकर लड़के ने ग्राहक के जूतों की ओर
देखा और बोला - सर, इतने मंहगे जूते पहनकर मछली पकड़ने जाएंगे क्या ? खराब हो जाएंगे। एक काम कीजिए, एक जोड़ी सस्ते जूते और ले लीजिए। ग्राहक ने जूते भी खरीद लिए।
अब लड़का बोला - तालाब किनारे धूप में बैठना पड़ेगा। एक टोपी भी ले लीजिए। ग्राहक ने टोपी भी खरीद ली। अब लड़का बोला - मछली पकड़ने में पता नहीं कितना समय लगेगा। कुछ खाने पीने का सामान भी साथ ले जाएंगे तो बेहतर होगा। ग्राहक ने बिस्किट, नमकीन, पानी की बोतलें भी खरीद लीं। अब लड़का बोला - मछली पकड़ लेंगे तो घर कैसे लाएंगे। एक बॉस्केट भी खरीद लीजिए। ग्राहक ने वह भी खरीद ली। कुल 2500 रु. का सामान लेकर ग्राहक चलता बना।
मालिक यह नजारा देखकर बहुत खुश हुआ । उसने लड़के को बुलाया और कहा - तुम तो कमाल के आदमी हो यार ! जो आदमी केवल मछली पकड़ने का कांटा खरीदने आया था उसे इतना सारा सामान बेच दिया ?
लड़का बोला - कांटा खरीदने ? अरे वह आदमी तो केयर फ्री सेनिटरी पैक खरीदने आया था । मैंने उससे कहा अब चार दिन तू घर में बैठा बैठा क्या करेगा । जा के मछली पकड़ ।।। ये सुनकर स्टोर मालिक बहुत खुश हुआ और लडके
को सम्मानित किया ।
Moral....आप ये न सोचे कि आप किसी क्षेत्र मेँ कमजोर है तो कुछ नही कर सकते । दिमाग से काम लोगे तो कामयाबी आपके कदम चूमने लगेगी ।
ऐ मुल्क तेरी बर्बादी के आसार नज़र आते है;
ReplyDeleteचोरों के संग पहरेदार नज़र आते है !
ये अंधेरा कैसे मिटे, तू ही बता ऐ आसमाँ;
रोशनी के दुश्मन चौकीदार नज़र आते है !
हर गली में, हर सड़क पे, मौन पड़ीहै ज़िंदगी;
हर जगह मरघट से हालात नज़र आते है !
सुनता है आज कौन द्रौपदी की चीख़ को;
हर जगह दुस्साशन सिपहसालार नज़र आते है !
सत्ता से समझौता करके बिक गयी है लेखनी;
ख़बरों को सिर्फ अब बाज़ार नज़र आते है!
सच का साथ देना भी बन गया है जुर्म अब;
सच्चे ही आज गुनाहगार नज़र आते है !
मुल्क की हिफाज़त सौंपी है जिन के हाथों मे;
वे ही हुकुमशाह आज गद्दार नज़र आते है !
खंड खंड मे खंडित भारत रो रहा है ज़ोरों से;
हर जाति, हर धर्म के, ठेकेदार नज़र आते है !
Tet mrt nhi to bhrti nhi, tum eaise hi blog pr din bhr comment krte raho... Juniar k counsling k bad mai 72825 radd kra duga... Bhir blog pr din bhr baith kr chut kule likhna aur khud hi padna... Ha ha ha ha ha... Bs jrt k mrt list me kuch dino me aane wale hai, waha tet mrt jaise koi paglpanthi nhi hai...
ReplyDeleteलो छु लो आसमान ,,,,उड़ान के लिये तैयार रहो ,
ReplyDelete,
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यह लाइनें टण्डन साहब के 16 जनवरी के निर्णय में लिखी हैं ,,It is the set rule that appointing authority has the power to drop the selection process at any stage,but it must not be arbitrary.,,,, नियुक्ति प्राधिकारी को यह अधिकार है कि वह किसी भी समय चयन प्रक्रिया को त्याग सकता है,,लेकिन यह मनमाने तरीके से नहीं होना चाहिए,,
हमारे मामले में बस एक ही समस्या थी,,,सरकार जब तक नया विज्ञापन नहीं लाती तब तक यह नहीं कहा जा सकता था कि वह किस चयन प्रक्रिया से 72825 पदों को भरने जा रही है,,,,,टेट मेरिट के स्थान पर पहले बी.एड में 12,6,3 का फार्मूला आया,,बाद में बी.एड.के 30% नंबर जोड़े गये,,,
ReplyDeleteविज्ञापन निकलने से पहले इस बात कि क्या गारंटी थी कि टेट मेरिट नियमावली में पुनः ना आ जाती?कोर्ट में अमूर्त बातों पर चर्चा ना होकर प्रत्यक्ष तथ्यों (Exa.उस्मानी रिपोर्ट)पर होती है,,,,,सरकार चाहती थी कि हम लंबे समय तक यूं ही अदालतों के चक्...कर लगाते रहें और अंत में थक कर टेट मेरिट से किनारा कर लें,,,,उत्तर प्रदेश टेट संघर्ष मोर्चा बिखर जाए,,,,वो अखबारों के माध्यम से हमारे दिमाग पर लगातार हमला कर रही थी,,समाज सरकार के साथ था,,हमारे साथ तो कोई नहीं,बस हम ही थे,,,,
ReplyDeleteइस मामले की बारीकियों को ना समझ पाने की वजह से भले ही आज आप टण्डन साहब को टेट मेरिट से भर्ती में देरी का दोषी ठहराएं,लेकिन इसमें दोष आपकी विधि संबंधी अज्ञानता और अविश्वास का है का है, ना कि टण्डन साहब का,,,,वो चाहते तो दो पेशियों में ही पूर्व विज्ञापन के रद्दीकरण को खारिज कर सकते थे,,लेकिन इसका नतीजा क्या होता,,हमें फिर से आंदोलन करना होता,,या एक दो साल और अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते,,,लेकिन भर्ती नहीं होती,
ReplyDeleteइस मामले में निर्णायक सुनवाई 21 दिसंबर को हुयी थी जिसके बाद टण्डन साहब ने कहा था कि अगर पूर्ववर्ती सरकार ने इन पदों को भरने के लिए NCTE से अनुमति ली थी तो मैं पूर्व विज्ञापन के फ़ार्म बहाल करने जा रहा हूँ,,इससे पहले तक जो कुछ भी हुआ वो नया विज्ञापन निकालने के लिए सरकार को बाध्य करने की कवायद मात्र थी,,,21 दिसंबर को SCERT विवरण भेजने वाला आदेश नए विज्ञापन की चयन प्रक्रिया पर टेट मेरिट को आरोपित कर रहा है,,आयु सीमा वाला आदेश भी उसी का विस्तार मात्र है,,,दोनों ही आदेशों के विरूद्ध अपील करने की बात सरकार कहती तो रही लेकिन की नहीं,,,अवमानना अदालत ने एक महीने में एफिडेविट ना देने पर सचिव महोदय पर आरोप तय करने को कहा है,,अपील का समय निकल चुका है,,वैसे भी अपील करेंगे कहाँ,, सुप्रीम कोर्ट तो अब सी.बी.यादव जाने से रहा,,
ReplyDelete4 तारीख को पूर्व विज्ञापन बहाली का संकेत तो हो ही चुका है,,,अब निर्णय तो बस इस बात का होना है कि राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर भर्ती प्रक्रिया रुकवाने का प्रयास करने के लिए सरकार के ऊपर कितना जुर्माना लगाया जाए जिससे कि भविष्य में कोई भी सरकार इस तरह की हरकत करके हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ ना कर सके,,,,मुझे आशा है कि जल्द से जल्द काउंसिलिंग फिर से शुरू हो जायेगी,,,टेट मेरिट से,,,,सरकार इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय नहीं ले जायेगी,,,,,,सुनील कुमार,जावेद उस्मानी को जेल जाने से बचाने का अब सिर्फ एक ही तरीका बचा है,,,,,,आप घबराएं ना,,आप लोगों के आन लाइन फ़ार्म के पैसे भी वापस होंगे,,,आपके पैसे हजम कोई नहीँ कर पायेगा
ReplyDeleteसर जी
ReplyDeleteआप हमारे फिल्म के हीरो हैँ , हम आपका दिल से सम्मान करते हैँ ,कम से कम आप तो ZERO वाली बात मत किया कीजिए।
वैसे भी आप नकली (डुप्लीकेट) हीरो हो , इसलिए आप से ज्यादा बात/संवाद करने की हममेँ सामर्थ्य नहीँ हैं।
Pagla gaya hai kya bey......
ReplyDeletePagla gaya hai kya bey......
ReplyDeleteएक् वोट देश के नाम ------------
ReplyDeleteमित्रों जैसा की हमें ज्ञात है की दिसम्बर के बाद कभी भी उत्तर-प्रदेश में लोक सभा चुनाव हो सकते है और हम सबने तय कर लिया है वोट किसे देंगे, एक् गरीब मजदूर से लेकर एक् अधिकारी तक सबकी अपनी अपनी सोच है सबका अपना अपना मत है,पर हमारी सोच सबसे हटकर होनी चाहिए क्यूँ की कल को हम इस देश के भविष्य को तराशेंगे हमारी सोच सिर्फ बच्चों की शिक्षा तक सीमित नहीं होनी चाहिए वल्कि सामाजिक गतिविधियों में भी हमारा योगदान होना चाहिए .
अपने विचारोँ की समीक्षा करें--------
हम में से कुछ लोग तो किसी पार्टी के पक्के सपोर्टर होते है,उदहारण के लिए कुछ तो सामाजवादी पार्टी के पक्के सपोर्टर है ,चाहे ये पार्टी यू,पी में अंधेर नगरी चौपट राजा का शासन कर रही हो फिर भी इनका दिल
जब भी वोट देने की बारी आती है तो हम धर्म,मजहब ,जाति,बर्ग का क्यूँ सोचते हैं जब की हम सभी जानते हैं की नेता किसी के नहीं होते ,छोडिये मुद्दे पर आ जाते है वोट किसे दिया जाये ???
पहले तो मै ये स्पस्ट कर दूँ की मै किसी पार्टी का प्रचार नहीं कर रहा हूँ,ना ही मैंने अभी तक पार्टी के प्रचार-प्रसार का कोई पोस्ट किया है,--
सबसे पहले तो हमें ये समझना होगा ये लोकसभा चुनाव है बात बहुत छोटी सी है महत्ब बहुत रखती है, हमें PM चुनना है CM नहीं,भले ही स.पा ,बा.स.पा और अन्य छोटी पार्टी हमारी फेवरेट पार्टी हों पर इनके नेता कभी PM नहीं बन सकते,अगर हमने वोट दे भी दिया तो हो सकता है इन पार्टी को कुछ सीट मिल जाएँ पर वोट तो हमारा वेकार चला गया ये पार्टी अब तक बिना पेंदी के लोटे की तरह लुढ़कती रही है बाद में भी भी लुढ़क जाएँगी .
It doesn't mean that role of Regional parties is not important......... It's a Democracy & India has Multi party system.
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ReplyDeleteकेन्द्र में सरकार के लिए सिर्फ दो पार्टी में टक्कर है एक् है कांग्रेस जो अभी शासन कर रही है दूसरी है भा.जा.पा ,वाकी सभी पार्टी तो पिछलग्गू है जिसका बहुमत अधिक होगा उसे समर्थ दे देंगी.
ReplyDeleteअब जरा ठन्डे दिमाग में सोचिये (टेट की टेंसन भूल जाइये ) और छोटी-छोटी पार्टी को निकाल फेकिये क्यूँ की ना तो इनका कोई सरकार चलाने में मत होता है ना कोई राय,ये पार्टी तो लिफ्ट लेने वाले पैसेंनजर की तरफ होती हैँ ।.
केन्द्र में सरकार के लिए दो आप्शन में पहला आप्शन है कांग्रेस ------इस पार्टी का हम झेल ही रहे है,इस पर बात करना समय को बर्बाद करना होगा,कुछ अच्छा है ही नहीं लिखने को जो लिखा जाये .
ReplyDeleteकेन्द्र में या तो भा.जा.पा की सरकार आएगी या फिर कांग्रेस की और हमें चुनाव इन दो पार्टी में से करना है-- (यहाँ आम आदमी पार्टी का जिक्र नहीं किया गया है,पार्टी अच्छी है और देश में बदलाव भी ला सकती है पर अभी इस पार्टी को केन्द्र में आने में समय लगेगा )--
कांग्रेस को फिर से चुनना बेवकूफी होगी बची भा.जा.पा ,इस पार्टी ने मोदी जी का नाम प्रधानमंत्री के पद के लिए घोषित कर दिया है,गुजरात का विकास माडल हमारे सामने हैं और भी बहुत कुछ है इसके साथ साथ कुछ घब्बे भी हैं सच कहू तो धब्बे कम हैं और धुँआ अधिक है,सभी को पता है गुजरात अन्य राज्य के कितना आगे है,जो लोग एक् दंगे को लेकर चीखते रहते है वो ये जबाब नहीं दे पाते की गुजरात में लास्ट दंगा कब हुये था, उत्तर-प्रदेश में सपा की सरकार में ऐसे दंगे तो मामूली बात हो गई है।
ReplyDeleteहाँ ये सच है कोई भी पार्टी दूध की धुली नहीं है,भा.जा .पा भी उनमे से एक् है,पर हमारे पास कोई दूसरा आप्शन भी तो नहीं है हमें या तो कांग्रेस को चुनना होगा या भा.जा.पा को चुनना होगा कांग्रेस को हम भूल कर भी नहीं चुन सकते,भा .जा.पा ही एक् बैटर आप्शन है .
ReplyDeleteहो सकता है आपके विचार मुझ से अलग हो पर छोटी-छोटी पार्टी को वोट देने से अच्छा है उस पार्टी को वोट दीजिए जिसका नेता प्रधानमंत्री बन सके और देश का विकास कर सके .
ReplyDelete------" दिल "---------
ReplyDeleteभले ऊपर से दिल शांत लगता है
अन्दर ही अन्दर, तूफ़ान रखता है
इसकी गहराई में डूबकर देखिये
ऊपर से तैरना, आसान लगता है
गुज़रे, इश्क के रस्ते से, गर ये कभी
सभी गलियों की पहचान रखता है
बहुत लोगों को इसने घायल किया
हाथ में ये तीर-ए-कमान भी रखता है
कभी अंजानो को ये अपना सा लगे
कभी अपनों को अनजान लगता है
कभी देखो तो जन्नत का नज़ारा
कभी मौत का सामान लगता है
दिल की जो माने, उसका क़त्ल हो !!
किसी फतवे का फरमान लगता है
मज़हबी टुकड़े न करो इस दिल के
कभी गीता, कभी कुरान लगता है
दिल तोड़ने वाले कभी सुधर नहीं सकते
भला हैवान भी कभी, इंसान लगता है।
प्रिय मित्रों,भाइयों एवं बहनों नमस्कार।
ReplyDeleteमुझे भली प्रकार ज्ञान है कि आप एक शिक्षक बनना चाहते थे अधिवक्ता या विधि का जानकर बनना आपका मकसद नहीं था।
आज मै आपसे कोर्ट में क्या हुआ किसने कहाँ गलत सही किया या अब क्या करेंगे इसपर बहस नहीं करूँगा।
कोर्ट में जो कुछ करना है यह जज या अधिवक्ताओं का काम है।
आज मै आपको बताना चाहता हूँ कि अगर यह भर्ती सपन्न होगी तो उसका किस प्रकार समापन होगा ।
मै एक शिक्षक से अधिक राजनीतिक व्यक्ति और थोड़ा बहुत विधि के बारे में जानता हूँ लेकिन आज शिक्षक के रूप में आपको समझाने का प्रयास करूँगा जिसमें विधि से हटकर समझाने का प्रयास होगा।
अब तक प्राइमरी में शिक्षक बनने के लिये बीएड के बेरोजगारों का प्रशिक्षण सरकारी शासनादेश के अधीन होता था ।
ReplyDeleteबेसिक शिक्षकों की न्युक्ति के लिये निर्मित नियमावली का प्रभाव उनपर नहीं होता था ।
वे नियुक्ति प्राप्त कर लेने के उपरांत ही बेसिक शिक्षक नियमावली १९८१ के अधीन आते थे।
शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने पर इस में बहुत विवाद और मतभेद पैदा हो गया।
मायावती सरकार में अनिल संत ने ७२८२५ पदों की रिक्ति के लिये शासनादेश जारी किया जो की शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण बीएड बेरोजगारों के लिये थी।
सहायक शिक्षकोँ के चयन का आधार शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्राप्तांकों को बनाया गया था।
ReplyDeleteपरन्तु जब तक प्रदेश में एक भी टीईटी उत्तीर्ण बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगार रहता बीएड बेरोजगारों की बेसिक में नियुक्ति ना हो सकती थी ।
उन लोगों द्वारा केस दाखिल करते ही उनको भी सरकार ने इसी में शामिल कर दिया ।
यही से इस भर्ती पर बाधा की शुरुवात हुयी क्योंकि बीटीसी प्रशिक्षुओं की न्युक्ति बीएसए करता।
सरकार को इनके लिये अलग रिक्ति निकालना चाहिये था क्योंकि इनके इसमें शामिल रखने से दो बाधा थी ।
पहला - ट्रेंड (बीटीसी) एवं अनट्रेंड (बीएड) की मेरिट एक साथ नहीं बनायीं जा सकती थी।
दूसरा - बीटीसी के बेरोजगार नियमावली के अधीन आते हैं इसलिये सचिव के विज्ञापन पर बीएसए को कानूनन एतराज हो
सकता था।
इसी के साथ इस भर्ती पर मुकदमों की बाढ़ आ गयी।
जिसमे मै कुछ महत्त्वपूर्ण मुकदमों का जिक्र करता हूँ।
सरिता शुक्ला ने याचिका की कि सिर्फ पांच जिलों से आवेदन गलत है। जिसपर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने सभी जिलों से आवेदन का अधिकार दिया और सरकार ने तत्काल संशोधित विज्ञप्ति जारी की।
ReplyDeleteशिव प्रकाश कुशवाहा ने मांग की कि बीएड के साथ बीटीसी की मेरिट नहीं बनायीं जा सकती है क्योंकि बीटीसी प्राइमरी के लिए पहले से ट्रेंड हैं जबकि बीएड वालो को अभी छः माह की ट्रेनिंग प्राप्त करनी होगी।
(न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने बहुत बाद में जाकर बीटीसी को उससे बाहर निकालकर अलग से विज्ञापन निकलवाकर ही नियुक्ति कराई।)
बहुत से मुक़दमें चयन के आधार को लेकर दाखिल हुये की टीईटी के अंकों से चयन की मेरिट नहीं बनायीं जा सकती है लेकिन सुधीर अग्रवाल ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया ।
ReplyDeleteन्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता ने भी बहुत से मुक़दमे निपटाये।
आवेदन की प्रक्रिया चल रही थी उसी समय यूपी में चुनाव की आचार संहिता लग गयी और आवेदन करने की अंतिम तिथि मात्र पांच दिन शेष थी और कपिल देव यादव ने कोर्ट से मांग की कि विज्ञापन बीएसए को निकालना था लेकिन सचिव ने निकाला है।
उस भर्ती में बीटीसी/ एसबीटीसी वालों की उपस्थिति के कारण बीएसए के महत्व,
कुछ तकनीकी खामियों एवं कुटनीतिक चालों के कारण न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने भर्ती पर स्थगन लगा दिया आवेदन पर स्टे नहीं लगता है इसलिये अंतिम तिथि तक आवेदन चलता रहा लेकिन प्रक्रिया प्रारंभ ना हो सकी।
उसके बाद उत्तर प्रदेश में सरकार बदल गई
ReplyDeleteउसी समय टीईटी में धांधली ने जोर पकड़ा और चयन
के आधार को लेकर सपा सरकार ने ऐतराज जताया एवं
उस्मानी कमेटी बिठाकर जाँच करायी तथा कमेटी ने
यह रिपोर्ट दी कि टीईटी में धांधली हुयी है लेकिन
परीक्षा रद्द हो इतनी धांधली नहीं हुयी है।
न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने प्याज के छिलको की तरह
पूरी प्रकिया को निकोलना शुरू किया ।
बीटीसी को उससे अलग कराकर अलग से
न्युक्ति करायी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट के सुझाव पर उस
विज्ञापन को प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन बताकर
वापस ले लिया ।
जिसकी कोर्ट ने पुष्टि की तथा विज्ञापन वापस होते
ही कपिल देव की याचिका निष्प्राण हो गयी ।
कोर्ट के दबाव में सरकार दूसरा विज्ञापन
ReplyDeleteलायी जिसके लिए सरकार ने नियमावली में परिवर्तन
किया जबकि कोर्ट ने कहा था कि नियमावली में
परिवर्तन बाध्य नहीं है लेकिन नियमावली आपकी है
अगर आप चाहें तो उसमे परिवर्तन करें।
विज्ञापन वापस लेते ही अखिलेश त्रिपाठी आदि ने
मुकदमा किया कि सरकार विज्ञापन वापस नहीं ले
सकती है पुराना विज्ञापन सही है ।
नया विज्ञापन आने के बाद अखिलेश
त्रिपाठी की याचिका ख़ारिज कर दी गयी ।
जिसका कारण न्यायमूर्ति टंडन ने
बताया कि पुराना विज्ञापन सहायक अध्यापक
का विज्ञापन नहीं था बल्कि प्रशिक्षु के लिये
था सरकार ने अपनी भूल स्वीकारते हुये विज्ञापन
वापस ले लिया जो की उसका अधिकार है।
नये विज्ञापन में चयन के आधार में परिवर्तन
को कोर्ट ने जावेद उस्मानी कमेटी का हवाला देकर
स्वीकार किया कि जिससे की धांधली के प्रभाव
को कम किया जा सके।
न्यायमूर्ति टंडन ने अपने कई अंतरिम आदेशों से इस
ReplyDeleteभर्ती को और भी विवादित बना दिया।
नया विज्ञापन लाने के पूर्व यह आदेश
दिया था कि याची का हित प्रभावित
नहीं होना चाहिये।
टीईटी के ख़राब हिस्से अर्थात धांधली वाले भाग
को निकालकर अच्छे भाग से न्युक्ति की जा सकती है।
सबसे विवादित फैसला टंडन जी ने ओवर ऐज और
अंडर ऐज को लेकर दिया ।
जिस विज्ञापन को प्रशिक्षु बताया था उसी के
आवेदक आशीष मिश्र को नये विज्ञापन में आवेदन
करने का आदेश दे दिया जो कि यह प्रमाणित करती है
कि पुराना आवेदन सही था ।
न्यूनतम ऐज को निर्धारित करने का अधिकार सरकार
को नहीं है इसी के साथ इसी के साथ कम उम्र
वालों को भी सुरक्षित कर दिया।
सरकार के इस निर्णय से आहत होकर नवीन
ReplyDeleteश्रीवास्तव ने दो जजों की पीठ में गुहार
लगायी कि हमारे हक को मारा जा रहा है ,
सरकार बेवजह हमारी पुरानी प्रक्रिया को नाम में
त्रुटि होने के कारण ख़ारिज कर रही है ।
हम एक बार टीईटी मेरिट से चयन का दावा कर चुके हैं
अब उस रिक्ति पर चयन का आधार
नही बदला जा सकता है जबकि सरकार
फर्जी धांधली बताकर उसे भी बदल रही है।
कई रिट पर एक साथ सुनवाई करते हुए जज को उसमे
साजिस की बू आई।
क्योंकि एकल बेंच का फैसला रेमेडी से परे था एवं
डीबी में उसे चुनौती देने के लिये कई रिट
का सहारा लिया गया था।
न्यायमूर्ति हरकौली ने मनोज मिश्र के सहयोग से
सरकार की प्रक्रिया पर स्थगन दे दिया।
२० फरवरी २०१३ को टीईटी में धांधली के आरोप
को ख़ारिज कर दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाम में त्रुटी से
पूरी प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता है ।
जब किसी निश्चित रिक्ति पर प्रशिक्षण कराना है
तो चयन का आधार ट्रेनिंग पर रखा गया है
न्युक्ति के समय चयन का आधार बदलते समय फर्क
नहीं पड़ेगा क्योंकि न्युक्ति तो सबको मिलनी है।
कोई नयी सरकार पूर्ववर्ती सरकार
की प्रक्रिया को चयन के आधार पर नाटक नहीं कर
सकती है।
अगर सरकार उनको छात्रविति पर रखती फिर
भी अध्यापक ही बनाती।
इस प्रकार आशीष मिश्र
की याचिका भी पुराना आवेदन सही मानती है।
नये विज्ञापन में आशीष मिश्र आदि ( ओवर ऐज )
आवेदन ना कर पायें इसके लिये सरकार ने टंडन के
आदेश को डीबी में challange किया जिसे
हरकौली ने स्वीकार कर लिया और कहा की नवीन
श्रीवास्तव की याचिका पर फैसला आते
ही आपका विवाद स्वतः ख़तम हो जायेगा।
अर्थात पुराना आवेदन या फिर उसका विज्ञापन बहाल
होते ही नया आवेदन निरस्त हो जायेगा।
अगर पुराना विज्ञापन ना बहाल हो सका तो आवेदन
बहाल होते ही नये विज्ञापन पर वह छा जायेगा साथ
ही टेट मेरिट भी बहाल हो जायेगी।
फिर सरकार को नये आवेदकों के लिए रिक्ति और
विज्ञप्ति देनी पड़ेगी या फिर
पैसा लौटाना पड़ेगा या कोर्ट अपने विवेक से उन
आवेदनों को भी शामिल कर लेगी।
वादी और प्रतिवादी पर निर्भर करता है
अब सवाल यह है कि किस तरह
ReplyDeleteकी बहस भूषण की कोर्ट में करेंगे
या फिर सरकार भी कुछ विकल्प निकालेगी।
लेकिन निष्कर्ष इसी निम्नलिखित में से एक आयेगा।
१. अगर सरकार पुराने विज्ञापन को बहाल
करेगी तो पुरानी भर्ती संशोधित विज्ञप्ति से संपन्न
होगी। नये विज्ञापन पर रिक्ति देकर संपन्न भी कर
सकती है और विज्ञापन वापिस लेकर
पैसा भी लौटा सकती है।
( यह फैसला सरकार के विवेक पर ही संभव है।)
२. अशोक भूषण नये आवेदन को ख़ारिज करके नये
विज्ञापन पर पुराना आवेदन थोप सकते हैं और
नया आवेदन ख़ारिज करके उनका पैसा लौटाने
का आदेश कर सकते हैं या फिर पुराने आवेदन
की शर्तों पर उनको भी शामिल करने का विकल्प दे
सकते हैं।
३. पुराना आवेदन और विज्ञापन बहाल कर नये
को यथास्थिति में पद शून्य करके छोड़ सकते हैं।
अब कपिल इस बहाली को challange नहीं कर
पायेंगे क्योंकि सरकार कपिल की याचना की त्रुटी दूर
करके ही विज्ञापन जारी करेगी।
४. पुराना विज्ञापन की मांग को ख़ारिज करके पुराने
विज्ञापन की शर्तों पर पुराने आवेदक को नये
विज्ञापन में आवेदन करने का फैसला सुना सकते हैं।
विधि के सिद्धांत के तहत याची को न्याय की तरजीह
पर कोर्ट रेमेडी पर विचार कर सकती है।
न्यायाधिकार क्षेत्र से परे फैसले की उम्मीद कम है
क्योंकि ऐसे फैसले सर्वोच्च अदालत में challange
कर दिये जाते हैं।
न्यायाधिकार क्षेत्र से परे
का अयोध्या मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया।
भूषण जी एक सुलझे हुये जज हैं।
वो बहुत सीधा-सीधा सा फैसला करेंगे।
धन्यवाद।
अरबो रूपये खर्च कर के सुदूर अंतरिक्ष एवं अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश करना विज्ञान के नजरिये से तो ठीक है लेकिन धरती का क्या ? यहाँ जो जीवन प्राप्त हुआ उसे कब संरक्षित किया जाएगा,
ReplyDeleteओह गॉड व्हेयर आर यू...यहाँ इंसान तो कुपोषित-भूखे-नंगे मर ही रहे है, साथ ही साथ पेड़-पौधे, वनस्पतियों, वन्य जीव-जन्तुओ एवं पर्यावरण को भी प्रदूषण की जहरीली मौत दे रहे है...
जल्द ही वो दिन भी आएगा जब पृथ्वी पर भी जीवन की तलाश होगी...
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