News पीजीआई में 2003 में नर्सों की भर्ती में धांधली का मामला
घोटालेबाज अफसर को सजा क्यों नहीं
लखनऊ। हाईकोर्ट ने राजधानी के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में वर्ष 2003 में हुई नर्सों की भर्ती में कथित धांधली के मामले में रिव्यू कमेटी को जल्द निर्णय लेने व तीन माह में कार्रवाई पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके बाद अनियमितताओं में शामिल व लापरवाह पाए जाने वाले किसी भी अफसर के खिलाफ कानून के मुताबिक वांछित जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ संस्था की पीआईएल का निपटारा करके दिया। इसमें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने तथा वर्ष 2013 में हुई भर्ती प्रक्रिया की जांच कराए जाने के निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया था। याची की तरफ से आरोप लगाकर कहा गया कि 2003 में नर्सों की भर्ती में कई अनियमितताएं मिली थीं। पीजीआई के अतिरिक्त निदेशक ने जांच के बाद 22 सितंबर 2008 को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में पहली नजर में दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसजीपीजीआई के वकील ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त निदेशक की रिपोर्ट पर गौर करने के लिए एक रिव्यू समिति बनाई गई है जो अपनी सिफारिशें देगी।
अदालत ने फैसले में कहा कि 2003 के मुद्दे को लंबित रखा जाना तर्कसंगत नहीं है और यह जरूरी व उचित है कि 22 सितंबर 2008 की रिपोर्ट को किसी तर्कपूर्ण नतीजे पर लाया जाए। कोर्ट ने रिव्यू समिति को निर्देश दिया कि मामले में जल्द निर्णय ले व कार्रवाई तीन माह में पूरी करे।
कोर्ट ने 2013 की भर्ती प्रक्रिया के संबंध में कहा कि इसकी बाबत बताया गया है कि 435 पदों के लिए गत 17 व 19 नवंबर को लिखित परीक्षा हो चुकी है। करीब 7000 आवेदन मिले थे और देशभर से 4229 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए। परीक्षा के पहले भाग का परिणाम घोषित हो चुका है और 1588 अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास कर ली है। इसके बाद दूसरे भाग की परीक्षा हुई। यह भी बताया गया कि इसके लिए अफसरों की कोर कमेटी भी बनाई गई है।
अदालत ने कहा, चूंकि पर्याप्त सामग्री कोर्ट के समक्ष नहीं पेश की गई है, ऐसे में वर्ष 2013 की भर्ती प्रक्रिया के संबंध में हम कोई निर्देश जारी नहीं करते हैं। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ 2013 की भर्ती प्रक्रिया में दखल देने से इन्कार कर दिया
News Sabhaar : Amar Ujala (23.11.13)
घोटालेबाज अफसर को सजा क्यों नहीं
लखनऊ। हाईकोर्ट ने राजधानी के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में वर्ष 2003 में हुई नर्सों की भर्ती में कथित धांधली के मामले में रिव्यू कमेटी को जल्द निर्णय लेने व तीन माह में कार्रवाई पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके बाद अनियमितताओं में शामिल व लापरवाह पाए जाने वाले किसी भी अफसर के खिलाफ कानून के मुताबिक वांछित जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ संस्था की पीआईएल का निपटारा करके दिया। इसमें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने तथा वर्ष 2013 में हुई भर्ती प्रक्रिया की जांच कराए जाने के निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया था। याची की तरफ से आरोप लगाकर कहा गया कि 2003 में नर्सों की भर्ती में कई अनियमितताएं मिली थीं। पीजीआई के अतिरिक्त निदेशक ने जांच के बाद 22 सितंबर 2008 को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में पहली नजर में दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसजीपीजीआई के वकील ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त निदेशक की रिपोर्ट पर गौर करने के लिए एक रिव्यू समिति बनाई गई है जो अपनी सिफारिशें देगी।
अदालत ने फैसले में कहा कि 2003 के मुद्दे को लंबित रखा जाना तर्कसंगत नहीं है और यह जरूरी व उचित है कि 22 सितंबर 2008 की रिपोर्ट को किसी तर्कपूर्ण नतीजे पर लाया जाए। कोर्ट ने रिव्यू समिति को निर्देश दिया कि मामले में जल्द निर्णय ले व कार्रवाई तीन माह में पूरी करे।
कोर्ट ने 2013 की भर्ती प्रक्रिया के संबंध में कहा कि इसकी बाबत बताया गया है कि 435 पदों के लिए गत 17 व 19 नवंबर को लिखित परीक्षा हो चुकी है। करीब 7000 आवेदन मिले थे और देशभर से 4229 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए। परीक्षा के पहले भाग का परिणाम घोषित हो चुका है और 1588 अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास कर ली है। इसके बाद दूसरे भाग की परीक्षा हुई। यह भी बताया गया कि इसके लिए अफसरों की कोर कमेटी भी बनाई गई है।
अदालत ने कहा, चूंकि पर्याप्त सामग्री कोर्ट के समक्ष नहीं पेश की गई है, ऐसे में वर्ष 2013 की भर्ती प्रक्रिया के संबंध में हम कोई निर्देश जारी नहीं करते हैं। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ 2013 की भर्ती प्रक्रिया में दखल देने से इन्कार कर दिया
News Sabhaar : Amar Ujala (23.11.13)