टीईटी भर्तीः खाली रहेंगी बीटीसी की सीट
(Due to UPTET exam some BTC seats are going to be vacant)
अमर उजाला ब्यूरो
हापुड़। टीईटी की भर्ती बीटीसी की सीट खाली रहने की वजह हैं। टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण जिले की ६ सौ सीटों में से करीब दो सौ सीटों के खाली रहने की संभावना बन गई है। यही वजह है कि मेरिट लिस्ट में शामिल डेढ़ गुना अभ्यर्थियों को मौका मिल सकता है। टीईटी के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि शासन और कोर्ट कुछ अभ्यर्थियों की बात पर ध्यान न देकर प्रदेश के लाखों उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ध्यान में रखेगी। इसी सोच के चलते बीटीसी की मेरिट में शामिल रहे और डायट में प्रवेश के लिए योग्य करार दिये करीब दो सौ अभ्यर्थी अब बीटीसी में प्रवेश लेने के लिए बच रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के रूप में किसी न किसी जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में अवश्य हो जायेगी। यही वजह है कि जिला गाजियाबाद और पंचशील नगर में बीटीसी की छह सौ सीटों के लिए भी डायट को अभी एक और मेरिट लिस्ट जारी करनी पड़ सकती है। वही वर्तमान में बीटीसी कर रहे अनेक अभ्यर्थी भी टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण बीटीसी बीच में ही छोड़ने के लिए तैयार है। इसका न केवल टीईटी की भर्ती में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों को लाभ होगा बल्कि ऐसे अभ्यर्थियों को भी लाभ मिलेगा जोकि बीटीसी में शामिल नहीं हो सके थे। डायट प्राचार्य का कहना है कि बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया अभी जारी है। सीट खाली रहने या न रहने की स्थिति बाद में ही पता चल सकेगी।
सीबीसीआईडी करेगी फर्जी प्रमाण पत्रों की जांचहापुड़। बीटीसी दो वर्षीय प्रशिक्षण २०१० में फर्जी प्रमाण पत्रों से प्रवेश लेने वाले ५१ अभ्यर्थियों के खिलाफ डायट प्रशासन ने तो मुकदमा दर्ज कराने की औपचारिकता पूरी कर दी थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने भी प्रदेश शासन को मामले की गंभीरता देखते हुए इसकी जांच कराने का निर्देश दिया है। इसके बाद शासन ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी है। जिला गाजियाबाद के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की बीटीसी दो वर्षीय के प्रशिक्षण में डायट प्रशासन को जांच के दौरान ५१ अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र संदिग्ध मिले थे। इनकी जांच के बाद भी डायट प्रशासन की शंका दूर नहीं हुई थी तो डायट ने इन सभी अभ्यर्थियों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमे दर्ज करा दिये थे। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन को भी इसकी गंभीरता समझने के लिए निर्देशित किया है। जिसके बाद शासन ने पुलिस अधीक्षक डा. रामस्वरूप को मामले की जांच का जिम्मा सीबीसीआईडी को सौंपते हुए पत्र भेजा है। अगर सीबीसीआईडी ने मामले की गंभीरता से जांच की तो संपूर्णानंद विश्वविद्यालय सहित कुछ अन्य विश्वविद्यालयों से फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अभ्यर्थियों की पोल खुल सकती है। डायट प्राचार्य इस तरह की सूचना से इंकार कर रही है जबकि पुलिस अधीक्षक डा. रामस्वरूप भारती ने कहा कि शासन ने जांच सीबीसीआईडी को सौंपी
हापुड़। टीईटी की भर्ती बीटीसी की सीट खाली रहने की वजह हैं। टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण जिले की ६ सौ सीटों में से करीब दो सौ सीटों के खाली रहने की संभावना बन गई है। यही वजह है कि मेरिट लिस्ट में शामिल डेढ़ गुना अभ्यर्थियों को मौका मिल सकता है। टीईटी के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि शासन और कोर्ट कुछ अभ्यर्थियों की बात पर ध्यान न देकर प्रदेश के लाखों उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ध्यान में रखेगी। इसी सोच के चलते बीटीसी की मेरिट में शामिल रहे और डायट में प्रवेश के लिए योग्य करार दिये करीब दो सौ अभ्यर्थी अब बीटीसी में प्रवेश लेने के लिए बच रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के रूप में किसी न किसी जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में अवश्य हो जायेगी। यही वजह है कि जिला गाजियाबाद और पंचशील नगर में बीटीसी की छह सौ सीटों के लिए भी डायट को अभी एक और मेरिट लिस्ट जारी करनी पड़ सकती है। वही वर्तमान में बीटीसी कर रहे अनेक अभ्यर्थी भी टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण बीटीसी बीच में ही छोड़ने के लिए तैयार है। इसका न केवल टीईटी की भर्ती में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों को लाभ होगा बल्कि ऐसे अभ्यर्थियों को भी लाभ मिलेगा जोकि बीटीसी में शामिल नहीं हो सके थे। डायट प्राचार्य का कहना है कि बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया अभी जारी है। सीट खाली रहने या न रहने की स्थिति बाद में ही पता चल सकेगी।
सीबीसीआईडी करेगी फर्जी प्रमाण पत्रों की जांचहापुड़। बीटीसी दो वर्षीय प्रशिक्षण २०१० में फर्जी प्रमाण पत्रों से प्रवेश लेने वाले ५१ अभ्यर्थियों के खिलाफ डायट प्रशासन ने तो मुकदमा दर्ज कराने की औपचारिकता पूरी कर दी थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने भी प्रदेश शासन को मामले की गंभीरता देखते हुए इसकी जांच कराने का निर्देश दिया है। इसके बाद शासन ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी है। जिला गाजियाबाद के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की बीटीसी दो वर्षीय के प्रशिक्षण में डायट प्रशासन को जांच के दौरान ५१ अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र संदिग्ध मिले थे। इनकी जांच के बाद भी डायट प्रशासन की शंका दूर नहीं हुई थी तो डायट ने इन सभी अभ्यर्थियों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमे दर्ज करा दिये थे। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन को भी इसकी गंभीरता समझने के लिए निर्देशित किया है। जिसके बाद शासन ने पुलिस अधीक्षक डा. रामस्वरूप को मामले की जांच का जिम्मा सीबीसीआईडी को सौंपते हुए पत्र भेजा है। अगर सीबीसीआईडी ने मामले की गंभीरता से जांच की तो संपूर्णानंद विश्वविद्यालय सहित कुछ अन्य विश्वविद्यालयों से फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अभ्यर्थियों की पोल खुल सकती है। डायट प्राचार्य इस तरह की सूचना से इंकार कर रही है जबकि पुलिस अधीक्षक डा. रामस्वरूप भारती ने कहा कि शासन ने जांच सीबीसीआईडी को सौंपी
News : Amar Ujala ( 12.12.11)