UPTET : बीएड डिग्रीधारक बनेंगे प्रशिक्षु शिक्षक
लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 72,825 रिक्त पदों पर अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों को चयन के बाद पहले प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्त किया जाएगा। प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में उन्हें 7300 रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की मंशा के अनुसार प्रशिक्षु शिक्षक जैसे प्रारंभिक शिक्षा शास्त्र में छह महीने की ट्रेनिंग पूरी करते जाएंगे, वैसे-वैसे उन्हें स्थायी शिक्षक की मौलिक नियुक्ति दी जाती रहेगी। मौलिक नियुक्ति होने पर उन्हें स्थायी शिक्षक का वेतनमान मिलने लगेगा। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी की अध्यक्षता में गुरुवार को विभाग के आला अधिकारियों की बैठक में इस पर सहमति बनी। प्रदेश में पहली बार प्रस्तावित इस व्यवस्था को अमली जामा पहनाने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन करके परिषदीय स्कूलों में प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्त करने और ट्रेनिंग के बाद उन्हें मौलिक नियुक्ति देने का प्राविधान जोड़ा जाएगा। यह भी तय हुआ है कि टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों का प्रशिक्षु शिक्षक के तौर पर चयन करने के लिए अभ्यर्थियों के हाईस्कूल के प्राप्तांक प्रतिशत के 10, इंटरमीडिएट के 20, स्नातक के 40 व बीएड के 30 प्रतिशत अंकों को जोड़कर मेरिट तैयार की जाएगी। इसके आधार पर ही चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग का क्रम तय किया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग की मंशा है कि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में नवंबर के अंत तक संशोधन किया जाए। फिर दिसंबर से टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये जाएंगे। इससे पहले यह तय हुआ था कि 72,825 पदों पर भर्ती के लिए टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों का मेरिट के आधार पर चयन कर पहले उन्हें छह महीने का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण दिया जाएगा। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें नियुक्ति दी जाएगी। यह भी तय हुआ था कि चयन की जो मेरिट बनेगी उसमें अभ्यर्थियों द्वारा हाईस्कूल में प्राप्तांक प्रतिशत के 10, इंटरमीडिएट के 20 व स्नातक के 40 प्रतिशत अंकों को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, यदि अभ्यर्थी को बीएडके थ्योरी और प्रैक्टिकल में प्रथम श्रेणी प्राप्त हुई है तो उसे प्रत्येक के लिए 12-12, द्वितीय श्रेणी के लिए 6-6 और तृतीय श्रेणी के लिए 3-3 अंक मिलेंगे। मेरिट निर्धारण में बीएड के अंकों को लेकर सवाल उठाये जा रहे थे। कहा जा रहा था कि श्रेणियों के आधार पर मनमाने तरीके से अंक तय करना उचित नहीं है। विभाग को शिक्षकों की भर्ती में नयी व्यवस्था लागू करने के बारे में इसलिए सोचना पड़ा क्योंकि एनसीटीई ने बीएड डिग्रीधारकों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए 31 मार्च 2014 तक का समय दिया है। यदि अभ्यर्थियों का पहले विशिष्ट बीटीसी ट्रेनिंग के लिए चयन करने के बाद उन्हें नियुक्ति दी जाती तो प्रदेश में एक बैच में अधिकतम 20,000 अभ्यर्थियों को ही ट्रेनिंग देने की क्षमता है। चार बैच को ट्रेनिंग देने में कम से कम दो वर्ष का समय लगता और तब तक स्वीकृत समयसीमा बीत जाती। समय बीतने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाती। दूसरा, जो नयी व्यवस्था सोची गई है, उसमें मेरिट निर्धारण में बीएड के अंकों को लेकर उठायी जा रही आपत्ति भी दूर हो सकेगी।
News Source : Jagran (2.11.12)
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Recruitment matter may be delayed for some more time.
marao salo
ReplyDeletesp gov walo
ye kami waki thi
mc.
bosadi
9
walo.
Shakul Gupta
ReplyDeletedainik jagran
hats off to navin pandey
बीएड डिग्रीधारक बनेंगे प्रशिक्षु शिक्षक
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 72,825 रिक्त पदों पर अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों को चयन के बाद पहले प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्त किया जाएगा। प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में उन्हें 7300 रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की मंशा के अनुसार प्रशिक्षु शिक्षक जैसे प्रारंभिकशिक्षा शास्त्र में छह महीने की ट्रेनिंग पूरी करते जाएंगे, वैसे-वैसे उन्हें स्थायी शिक्षक की मौलिक नियुक्ति दी जाती रहेगी। मौलिक नियुक्ति होने पर उन्हें स्थायी शिक्षक का वेतनमान मिलने लगेगा।
बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी की अध्यक्षता में गुरुवारको विभाग के आला अधिकारियों की बैठक में इस पर सहमति बनी। प्रदेश में पहली बार प्रस्तावित इस व्यवस्था को अमली जामा पहनाने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक)सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन करके परिषदीय स्कूलों में प्रशिक्षुशिक्षक नियुक्त करने और ट्रेनिंग के बाद उन्हें मौलिक नियुक्तिदेने का प्राविधान
"5 NOVEMBER KO LUCKNOW CHALO"
ReplyDeleteBLOG EDITOR agar tum sarkar se mile huye nahi ho to plz 5 NOVEMBER ko sabhi ko LUCKNOW aane ka blog show karen.
ye sarkar Hume kahin ka nahi chodegi
plz jyada se jyada log Lucknow andolan m shamil hon.
B.Ed ko sirf 30% dena bilkul galat h aur nakal mafiyaon k hak m hai.
Agar B.Ed ko 30% dena h to TET ko bhi weitage diya jaye.
Ye sarkar bharti ko bar bar lamba talne k liye naye naye hathkande apna rahi h
aur UPTET 2012 ko karakar paisa kamana chahti h.
Plz sarkar ko iski aukat dikhane and bharti jaldi se jaldi karane k liye jyada se jyada log 5 NOVEMBER ko Lucknow pahunche plz.
"5 NOVEMBER KO LUCKNOW CHALO"
ReplyDeleteBLOG EDITOR agar tum sarkar se mile huye nahi ho to plz 5 NOVEMBER ko sabhi ko LUCKNOW aane ka blog show karen.
ye sarkar Hume kahin ka nahi chodegi
plz jyada se jyada log Lucknow andolan m shamil hon.
B.Ed ko sirf 30% dena bilkul galat h aur nakal mafiyaon k hak m hai.
Agar B.Ed ko 30% dena h to TET ko bhi weitage diya jaye.
Ye sarkar bharti ko bar bar lamba talne k liye naye naye hathkande apna rahi h
aur UPTET 2012 ko karakar paisa kamana chahti h.
Plz sarkar ko iski aukat dikhane and bharti jaldi se jaldi karane k liye jyada se jyada log 5 NOVEMBER ko Lucknow pahunche plz.
Sarkar dwara lia gaya sakaratmak kadam ye hai ki ab spcl BTC Ki jagah apko pahle he teacher bana diya jayega.
ReplyDeleteYane ab sikkshak bharte ka add ayega na ki sbtc ka.
bharti mai TET ka weighteg bhi hona chahiye.
ReplyDeleteRecruitment of teachers with regard to ELECTIONS-
ReplyDeleteAfter changing power in U.P Akhilesh yadav govt. Appeared to acclerate the recruitment of teachers, but gradually started to hang out. By the govt. On completion of this process will take at least 3-4 months &then will come in MARCH 2013. Recruitment process to begin in march or April under a parliamentary election will increase & the situation will be susceptible to political advantage. 8126779831
ab bharti prakriya patri par aa rahi h lekin ye aur achhi ho sakti h agar isme TET ko 30-50% k beech weightage dekar use b merit me joda jaye.aur iski puri sambhavna b h.Please comment if anyone is on d blog....
ReplyDeleteab bharti prakriya patri pr aa rahi h lekin ye aur b achhi ho sakti h agarTET ko 30-50% k beech weitage dekar usko b merit me joda jaye.Aur iski puri sambhawna h.Please comment if anyone is there on d blog....
ReplyDeletejo srkar kr rhi h krne do bhai,kisi ka to bhala ho
ReplyDeleteTet bahyoo sarakar bharti nahi karawana chati hay
ReplyDelete
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती में
सपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती में
सपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती में
सपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती में
सपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
शिक्षकों की भर्ती में
ReplyDeleteसपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती में
सपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
शिक्षकों की भर्ती में
ReplyDeleteसपा को सियासी लाभ की तलाश
शैलेंद्र श्रीवास्तव/लखनऊ
अखिलेश सरकार प्राइमरी स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती में शायद
सियासी फायदे तलाश रही है। भर्ती से
होने वाले नफा-नुकसान
को देखा जा रहा है। यह
तलाशा जा रहा है कि तुरंत
शिक्षकों की भर्ती से
क्या फायदा होगा और कुछ माह बाद
भर्ती से कितना फायदा होगा।
क्योंकि शिक्षकों की भर्ती से भले
ही फौरी तौर पर 72 हजार 825 युवक
और युवतियां लाभाविंत होंगे, लेकिन
फायदा लाखों परिवारों को मिलेगा।
जानकार तो यह भी कहते हैं
कि शिक्षकों की तुरंत भर्ती से सरकार
को कोई फायदा नहीं दिख रहा है। शायद
इसीलिए भर्ती प्रक्रिया के लिए बार-
बार नियम बदल कर इसे
लटकाया जा रहा है। वजह साफ है,
क्योंकि वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनाव
होने हैं और सरकार इसका फायदा जरूर
लेना चाहेगी।
शिक्षकों की भर्ती चुनावी दाव
बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक रखने
की योग्यता स्नातक व दो वर्षीय
बीटीसी है, लेकिन यूपी में
किसी भी सरकार ने नियमित
बीटीसी सत्र चलाने में रुचि नहीं ली।
इसके पीछे वजह साफ है। नियमित
बीटीसी सत्र न चलने से
शिक्षकों की कमी बनी रहेगी और सरकार
जब चाहेगी बीएड डिग्रीधारकों को छह
माह की विशिष्ट बीटीसी की ट्रेनिंग
देकर शिक्षक बना देगी। जिससे चुनाव में
शिक्षक बनाने वालों के साथ उनके परिजन
सरकारी पार्टी की ओर रुख करेंगे।
विशिष्ट बीटीसी से वोट बटोरने
का काम
यूपी में विशिष्ट बीटीसी की भर्ती सबसे
पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन कल्याण
सरकार ने शुरू की। उस समय 27 हजार
विशिष्ट बीटीसी की सीटों के लिए चयन
प्रक्रिया आयोजित की गई। इसके बाद
बसपा हो या सपा सभी पार्टियों की सरकारों ने
विशिष्ट बीटीसी की भर्ती कर वोट
बटोरने का काम किया।
चुनाव की वजह से बसपा सरकार ने
की थी टालमटोल
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने
के बाद राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने यूपी को 1
जनवरी 2012 तक
शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी। इसके
लिए जारी नियमावली में
व्यवस्था दी गई कि राज्य सरकारें
टीईटी पास करने वाले बीएड
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में
प्रशिक्षु शिक्षक के पद पर सीधे
भर्ती कर सकती हैं, लेकिन तत्कालीन
बसपा सरकार ने राजनीतिक फायदे के
लिए वर्ष 2010 में मिली अनुमति के
आधार पर भर्ती तुरंत शुरू न कर नवंबर में
2011 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की।
तत्कालीन बसपा सरकार के
रणनीतिकारों का मानना था कि नवंबर
में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से वर्ष
2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में
इसका फायदा मिलेगा, लेकिन टीईटी में
धांधली की शिकायत के बाद
भर्ती प्रक्रिया रुक गई।
शिक्षकों की भर्ती से लोकसभा चुनाव
का संबंध
यूपी में सत्ता बदलने के बाद अखिलेश
सरकार ने
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में
तेजी तो दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इस
सरकार ने भी लटकाना शुरू कर दिया।
पहले शिक्षकों की सीधी भर्ती के स्थान
पर विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से
भर्ती का निर्णय किया गया। इसके लिए
बार-बार मेरिट की प्रक्रिया बदली गई
और अंतत: यह तय किया गया कि पूर्व
की भांति प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी।
विभागीय जानकारों की माने तो इसके
लिए अध्यापक सेवा नियमावली में
प्रावधान करना होगा। सबसे पहले बेसिक
शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव प्राप्त
करना होगा। इसके बाद शासन स्तर पर
इसका परीक्षण कर वित्त व न्याय
विभाग से मंजूरी लेकर इसे कैबिनेट से पास
कराया जाएगा। इसके बाद
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तय
की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने में
कम से कम तीन से चार माह लग जाएंगे और
तब तक मार्च 2013 आ जाएगा। मार्च
या अप्रैल में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के
साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़
जाएंगी और इस स्थिति में सियासी लाभ
की संभावना बढ़ जाएगी
ph
ReplyDeletesathiyo is news ke dwara sarkar hame sabj baag dikha rahi hai.isi news me aapne padha hoga ki sikshak bharti prakriya ko december me shuru kiya jayega.per aab sab abhi se ye jaan le ki december me bhi kuchh nahi hoga.SARKAR TO BHARTI KARNA HI NAHI CHAHTI HAI HA LATKAANA AVASYA CHAHTI HAI.KRIPYA IS BAAT KO SAMJHE KI SARKAR KI BAATON AUR WAADO PER BHAROSO KARNE SE AUR HAATH PER HAATH DHARE BAITHE REHNE SE AB KUCHH NA HOGA.BAS DOSTO EK AAKHRI PRAYAAS EK AAKHRI KOSIS- JEE JAAN SE-KARO YA MARO SOCH KAR-AB NAHI TO KABHI NAHI SOCHKAR-Aaiye Lakhnau chale-5 november ko-hame apna hak to lena hi hoga-JAI SHRI RAAM JAY SHRI HANUMAAN JAY TET.
ReplyDelete2013 mein aap sab prt banege lekin UPTET2013 ke aadhaar par.
ReplyDeleteB.Ed ki 30 % lena ka matlab hai sarkar puri tarah se nakal mafyao or B.Ed Colg walo k dabao me hai.TET k marks ko undekha kar rahi hai.Talent k is govt ki nazar me koi value nahi h.
ReplyDeleteB.Ed ki 30 % lena ka matlab hai sarkar puri tarah se nakal mafyao or B.Ed Colg walo k dabao me hai.TET k marks ko undekha kar rahi hai.Talent k is govt ki nazar me koi value nahi h.
ReplyDeleteYeh Merit method to flat merit ka hi dusra roop hai.
ReplyDeleteYAR HAR ROJ NAI KAHANI AB HAME TO LAGTA HAI KE SARKAR HAME DHOKHA DE RAHI HAI LUCKNOW CHALO AUR DHARNA DO TABHI BAT BANEGE
ReplyDeleteI THANK AB GUDANK SYSTEM HI SAHI HAI AUR ISI PAR BHARTI HONI CAHIE
ReplyDeletelakhnaw jaker kuch ni hone wala bhrtee ruk gai h,,,,,,,,,,,,,,
ReplyDeletelakhnaw jaker kuch ni hone wala bhrtee ruk gai h,,,,,,,,,,,,,,
ReplyDeleteHi
ReplyDeletekya hoga tet pass logo ka bharti hogi bhi or nahi hogi yah bat na to tet wale jante hai aur na sarkar ki kab hogi 72825 teachero ki bharti
ReplyDeleteOLD ADVERTISEMENT ME LAGE 6 NO'S DRAFT RS.500/-EACH=3000 PER TET HOLDER
ReplyDeleteI.E. 270000*3000=810000000.00 APPOX
81.0 CRORE kaha hai aur kyo tet holder ko vapsa nahi kia ja raha hai if advertisement cancle kar dia gai hai iska jawab na to court ke pass hai aur na up government ke pass
kya hoga tet holder ki mehnat ki kamai ka
आपके शब्द आपकी सभ्यता का प्रतीक हैं|
ReplyDeleteशब्दों का प्रयोग आपके व्यक्तित्व का परिचय
है ।
अभद्र भाषा के प्रयोग पर
आपकी प्रतिक्रियाओ को बाधित
किया जा सकता है ।
Kya hona he bharti ka?
ReplyDeleteSabhi log itne khamosh ho gaye hain kyu?kuch apne khyal share karo tum log
ReplyDeleteपर
ReplyDeletekya upper primary vacancy bhi saath saath hogi
ReplyDeletekya upper primary
ReplyDelete