न्यूज़ साभार - जागरण
ALLAHABAD : बेरोजगारों के लिए भत्ता बांट कर गवर्नमेंट वाहवाही लूटने में जुटी है. लेकिन उससे कहीं ज्यादा गवर्नमेंट ने इन्हीं बेरोजगारों से लूट लिया. जी हां. ये सच है. स्टेट में प्रशिक्षु शिक्षक के लिए 72 हजार से अधिक पदों पर भर्ती में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. मास्टर बनने की इस दौड़ में कौन बाजी मारेगा और कौन हारेगा, यह तो मेरिट जारी होने के बाद पता चलेगा, लेकिन सरकार की इस मास्टरी से ही उसके खजाने में करीब 500 करोड़ से ज्यादा रुपए आ जाएंगे, जबकि सरकार का बेरोजगारी भत्ते का बजट 114 करोड़ है. अब जरा आंकड़ों पर गौर फरमाइए.
मजबूरी को कैश करा रहे गवर्नमेंट ने 75 जिलों से कुल 72,825 वैकेंसीज आउट की हैं. इनमें सीतापुर, लखीमपुर जैसे जिलों में 6000 से अधिक पोस्ट हैं जबकि कानपुर नगर, मेरठ, लखनऊ जैसे जनपदों में सिर्फ 12 पोस्ट हैं. सभी जिलों की अलग-अलग मेरिट तैयार की जा रही है. ऐसे में जाहिर है कि कानपुर नगर में 85 फीसदी माक्र्स वाले का सेलेक्शन न हो और लखीमपुर में 65 फीसदी वाले को नौकरी मिल जाए. आवेदकों की इसी दुविधा का गवर्नमेंट कैश से कैश करा रही है.
सरकारी नौकरी है risk कौन लेआवेदकों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि सरकारी नौकरी की चाहत में वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. इसलिए वो ज्यादा से ज्यादा जिलों से आवेदन कर रहे हैं. कई स्टूडेंट्स तो ऐसे हैं जो 50-60 जिलों से आवेदन कर रहे हैं, जिससे किसी न किसी जिले से उनका नाम मेरिट में आ जाए. औसतन हर आवेदक 35 जिलों से अप्लाई कर रहा है. हर आवेदन के साथ 500 रुपए का बैंक चालान लगाना है. स्टेट लेवल के बजाए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर प्राइमरी टीचर्स की वैकेंसीज जारी की गई थी.
इसमें भी रहे profit में इतने सारे जिलों से आवेदन करना ही स्टूडेंट्स के लिए माउंट एवरेस्ट फतह करने जैसा है. क्योंकि हर फॉर्म के साथ 500 रुपए का बैंक चालान सबमिट करना है. इसके अलावा डोमिसाइल बनवाने का खर्च. यूनीवर्सिटी से डिग्री या प्रोविजनल सर्टिफिकेट लेने के लिए मारामारी. डोमिसाइल बनवाने का सरकारी खर्च ही करीब 150 रुपए है. जबकि तहसीलों में सक्रिय दलाल मौके की नजाकत का फायदा उठाकर डोमिसाइल के लिए 500 से 2000 रुपए तक वसूल रहे हैं.
कब से था इंतजार
भारत सरकार नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, प्राइमरी और जूनियर स्कूल्स में टीचर की पोस्ट के अप्लाई करने वाले को टीईटी या सीटीईटी (टीचर इलिजबिलिटी टेस्ट) पास होना मस्ट है. यूपी में अब तक 2011 में सिर्फ एक बार ही टीईटी एग्जाम कंडक्ट कराया गया था. इसके अलावा दो बार सीटीईटी एग्जाम हो चुका है. प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख कैंडीडेट्स टीईटी होल्डर और करीब 50 हजार कैंडीडेट्स सीटीईटी सर्टिफिकेट होल्डर्स हैं. ये सभी बड़ी बेसब्री से प्राइमरी टीचर्स की वैकेंसीज का इंतजार कर रहे थे.
सरकार का गणित
कुल आवेदन-69 लाख
डिस्ट्रिक्ट-75
प्रत्येक जनपद के लिए चालान-500 रुपए
विकलांग वर्ग-चार लाख
कुल राशि-345 करोड़ रुपए
यहां भी हुआ खर्च
एक डोमिसाइल का खर्च-150(फॉर्म, एफिडेविट, नोटरी फीस आदि)10.35 करोड़ रुपए
ये तो सरासर लूट है भाई !
लोग सरकार के इस रवैए से बेहद खफा हैं. ट्रेनी टीचर्स के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट अमित प्रजापति का कहना है कि सरकार रोजगार देने के नाम पर बेरोजगारों को लूट रही है. आखिर सरकार सभी वैकेंसीज के लिए प्रदेश स्तर पर भी आवेदन ले सकती थी. जिलेवार आवेदन लेने के पीछे सरकार की सिर्फ एक ही मंशा, अपने खजाने को भरने की है. एक तरफ सरकार बेरोजगारी भत्ता, लैपटॉप व टेबलेट वितरण और कन्या विद्या धन के नाम पर पैसे बांट रही है और दूसरी तरफ आवेदन के नाम पर बेरोजगारों को ही लूट रही है
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ऐसा कहीं होता है..एडवोकेट संजीव द्विवेदी सरकार के इस प्रॉसेस को ठीक नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि बैंक, रेलवे, एसएससी या कोई भी दूसरा विभाग एक कंबाइंड एंट्रेंस ऑर्गनाइज करता है. बीएड एंट्रेस एग्जाम भी हर साल स्टेट की कोई एक यूनीवर्सिटी कंडक्ट कराती है. इसके बाद काउंसिलिंग में स्टूडेंट अपनी च्वॉइस के अकॉर्डिंग कॉलेज में एडमिशन लेता है. फिर जिलेवार आवेदन कराने का मतलब क्या है?
और वो करोड़ों रुपए... 2011 में भी टीईटी एग्जाम कराने के बाद टीचर्स की वैकेंसीज निकाली गई थी. जिलेवार मेरिट के तहत लाखों स्टूडेंट्स ने आवेदन भी किया था, लेकिन मेरिट जारी होने से पहले ही मामला खटाई में पड़ गया. टीईटी माक्र्स के आधार पर मेरिट बनाए जाने के खिलाफ बहुत सारे अप्लीकेंट्स कोर्ट की शरण में चले गए. तभी आचार संहिता भी लागू हो गई और पूरी भर्ती प्रक्रिय को कैंसिल कर दिया गया, लेकिन किसी आवेदक के पैसे वापस नहीं किए गए. सरकार के पास करोड़ों रुपए आज भी जमा हैं.
हाईकोर्ट ने इन आवेदकों को इस बार आवेदन में फीस न लेने के आदेश दिए हैं. मगर, कोई अप्लीकेंट रिस्क नहीं लेना चाहता. सभी कैंडीडेट फ्रेश अप्लीकेशन डाल रहे हैं. सचिव की मानें तो करीब 11 हजार इस तरह के आवेदन प्राप्त हुए हैं.
News Source : http://inextlive.jagran.com/applications-of-345-cro-res-201301090023 / Jagran (9.1.13)
ISKA JABAB LOKSABHA KE ELECTION ME MILEGA
ReplyDeleteBhai mai ccs university meerut se 10-11 ka b.ed hu mere provisonal par nov11 aur marksheet par 2dec11 hai kya mai bharti se bahar hu? Please help me.
ReplyDeleteKya betuki baat kar rhe ho yar. Bharti se bahar kisi ka baap bhi nhi kar sakta. Jo bhi galat hai use samay rahate shi kar lo aur councelling ke samay affadavit ke saat submitt kar dena. Dont worry.
ReplyDeletedharmendra same situation mere sath hai mujhe kuch samjh nahi aa raha, koi bataye jaise dharmendra ki situation vaale to bharti me rahege na ??
ReplyDeleteSAPA KI SARKAR ME
ReplyDeleteLUT GAYE BEECH BAJAR ME
ISASE TO ACHCHHE THE HAM MAYA KI SARKAR ME
2012 B.Ed. ke bharti se bahar hone ki khabar puri tarah se afwah hai, court ne apne prees release mai iska koi jikra nahi kiya hai , isi liye U.P. ke kisi bhi news papaer mai ye khabar nahi nikli hai
ReplyDelete2012 B.Ed. ke bharti se bahar hone ki khabar puri tarah se afwah hai, court ne apne prees release mai iska koi jikra nahi kiya hai , isi liye U.P. ke kisi bhi news papaer mai ye khabar nahi nikli hai
ReplyDelete2012 B.Ed. ke bharti se bahar hone ki khabar puri tarah se afwah hai, court ne apne prees release mai iska koi jikra nahi kiya hai , isi liye U.P. ke kisi bhi news papaer mai ye khabar nahi nikli hai
ReplyDelete2012 B.Ed. ke bharti se bahar hone ki khabar puri tarah se afwah hai, court ne apne prees release mai iska koi jikra nahi kiya hai , isi liye U.P. ke kisi bhi news papaer mai ye khabar nahi nikli hai
ReplyDeleteRajveer yadav I passed B.ed in 2012 and TET 2011 I fullup for from 30 distric write now I am tense due to this news that B.ed 2012 out of race from 72825 its true or not
ReplyDeletewhat will happen about B.ed 2012
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