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Wednesday, February 6, 2013

UNEMPLOYED ALLOWANCE up : बढ़े बेरोजगार, सांसत में अखिलेश सरकार

UNEMPLOYED ALLOWANCE : बढ़े बेरोजगार, सांसत में अखिलेश सरकार


लखनऊ । भत्ते के लिए बढ़ रही बेरोजगारों की लाइन ने जहां अधिकारियों की नींद उड़ा दी है वहीं, प्रदेश सरकार भत्ते के लिए बजट को लेकर मंथन करने में जुट गई है। पिछले वर्ष नौ लाख बेरोजगारों के लिए 1105 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन वर्ष 2013-14 के लिए दो हजार करोड़ से ज्यादा के बजट के अनुमान को लेकर सरकार सांसत में है

प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 62 लाख के करीब है। उनमें से भत्ते के लिए निर्धारित 25 से 40 वर्ष बीच की आयु सीमा वाले करीब 30 लाख बेरोजगार हैं। पंजीयन की निर्धारित तिथि बढ़ते ही करीब 10 लाख और बेरोजगार भत्ते के लिए आवेदन करेंगे। सूत्रों का कहना है कि बढ़ते बजट को देखते हुए पंजीयन की निर्धारित तिथि को बढ़ाने से पहले सरकार मंथन करेगी।

पंजीयन की तिथि का निर्धारण न होने तक सेवायोजन विभाग ने सरकार से भत्ता के एवज में 1200 करोड़ की डिमांड भेजी है। बेरोजगारी भत्ता योजना-2012 सरकार के गले की फांस बनने लगी है। योजना को चालू रखने के लिए सरकार को जहां पिछले वर्ष के मुकाबले दो गुना से ज्यादा बजट का इंतजाम करना पड़ेगा, वहीं बेरोजगारों की लाइन अधिकारियों के लिए मुसीबत से कम नहीं होगी। 17 मई 2012 को बेरोजगारी भत्ते के लिए जारी शासनादेश के बाद से भत्ते के लिए बेरोजगारों की भीड़ उमड़ पड़ी। नौ लाख के मुकाबले 11 लाख से अधिक बेरोजगारों ने भत्ते के लिए आवेदन करके सरकार को भत्ता देने की चुनौती क्या दी, सरकार की नींद ही उड़ गई

News Sabhar : Jagran (6.2.13)

1 comment:

  1. lets have a look
    up board average 60%
    icsc\ cbsc bord average 75%
    universities
    professional courses average 70%
    bachelor of Art average 55%
    bachelor of Science average 60%
    bed jugad 85%
    bed non jugad have no money average 65%
    if you are agree on above record then
    there is no similarity between board universities and bed colleges
    and all these exams are being conducted only for promoting one student to the upper class not for any competition.
    if these exams are the real checker of knowledge and eligibility then these would have been the selection criteria for other posts and vacancies in other field also.
    the constitution of india provides that the equality must be among equals.
    and above mentioned exams no where have equality and even not comparable each exam has its own method and own criteria.
    so the process govt has adopted is arbitrary and lapse the principal of equality.

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