UPTET : वोट के लिए मोअल्लिम वालों को शिक्षक बनाने की जुगत
निबंध का टेस्ट देने को भी तैयार नहीं
•कैबिनेट के लिए तैयार प्रस्ताव रुका
लखनऊ। प्रदेश में मुस्लिमों का अच्छा खासा वोट है। इसके सहारे सपा ने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया। सपा लोकसभा चुनाव में भी इसका पूरा लाभ लेना चाहती है। इसीलिए मोअल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों को शिक्षक बनाने के लिए नित नई जुगत बैठाई जा रही है। राज्य सरकार इन्हें प्राइमरी स्कूलों में उर्दू शिक्षक बनाना चाहती है, लेकिन केंद्रीय नियम आड़े आ रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग ने बीच का रास्ता निबंध टेस्ट का निकाला पर मोअल्लिम वाले इसके लिए तैयार नहीं हैं।
प्रदेश में शिक्षक बनाने और इसका राजनीतिक लाभ लेने का खेल काफी पुराना है। सभी पार्टियां इस कार्ड को खेलती हैं। बसपा की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2011 में भी इस कार्ड को खेला था। इसके लिए एक साथ तीन प्रमुख घोषणाएं हुईं। महिला शिक्षकों को मनचाहे जिले में स्थानांतरण, टीईटी पास बीएड डिग्री धारकों को शिक्षक के 72 हजार 825 पदों पर रखने और उर्दू शिक्षक के लिए मोअल्लिम-ए-उर्दू तथा डिप्लोमा इन टीचिंग वालों को पात्र माना गया। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने और कानूनी विवाद के चलते बसपा इस पर अमल नहीं कर पाई। पर सत्ता में आते ही सपा ने इस पर अमल किया।
सत्ता परिवर्तन के बाद महिला शिक्षकों को मनचाहे जिलों में तैनाती देने के साथ 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। पर सबसे बड़े वोट बैंक मोअल्लिम वालों को शिक्षक बनाने में केंद्रीय नियम रोड़ा बना है। राज्य सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इन्हें उर्दू शिक्षक बनाना चाहती है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग नित नए रास्ते तलाश रहा है। विभाग ने टीईटी की जगह उर्दू निबंध का प्रस्ताव तैयार किया। इस पर सहमति भी बनी, लेकिन मोअल्लिम वालों ने इसे खारिज कर दिया। सूत्रों का कहना है कि मोअल्लिम वाले टेस्ट नहीं देना चाहते हैं। इसलिए बार-बार कैबिनेट के लिए तैयार होने वाला प्रस्ताव रुक जाता है। बेसिक शिक्षा विभाग अब इस पर नए सिरे से माथापच्ची कर रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में उर्दू शिक्षक के 2911 पद खाली हैं। इन पर 11 अगस्त 1997 से पहले मोअल्लिम व डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों को रखा जाना है।
News Source : अमर उजाला (10.2.2013)
********************
It looks NCTE rule can be a problem as NCTE prescribed some criteria for Quality Teachers and performance examination of teachers like Teacher Eligibility Test.
However, Many muslim candidates cleared TET examination and therefore it can be possible that they can clear other eligibility test as well.