लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 रिक्त पदों पर तीन महीने के अंदर हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक शिक्षकों की भर्ती के सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश ने अखिलेश सरकार को तगड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने शिक्षकों की भर्ती शिक्षक पात्रता परीक्षा [टीईटी] की मेरिट के आधार पर करने के मायावती सरकार को सही ठहराया था। हालांकि इस लंबी जिद्दोजहद का सुखद पहलू यह है कि शीर्ष अदालत के आदेश पर लगभग ढाई साल से लटकी इस भर्ती का रास्ता खुल गया है।
चुनावी मौसम में सरकार को एक ओर जहां मुंह की खानी पड़ी है, वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन को लेकर भी बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के माथे पर बल पड़ गए हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो टीईटी मेरिट के आधार पर शिक्षक भर्ती के लिए आये आवेदन पत्रों की भारी संख्या को लेकर है। भर्ती के लिए तकरीबन 68 लाख आवेदन पत्र आये थे। इनकी छंटनी कराने में ही अफसरों को पसीने छूटना तय है। एक और व्यावहारिक दिक्कत यह है कि प्राथमिक स्कूलों में बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 31 मार्च 2014 तक की समयसीमा तय की है।
जाहिर है कि इस समयसीमा में भर्तियां होना नामुमकिन है। ऐसे में राज्य सरकार को केंद्र से समयसीमा बढ़ाने की मंजूरी लेनी होगी। सरकार के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अखिलेश सरकार की ओर से नियमावली में किये गए जिस संशोधन को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया था, उसके आधार पर सरकार लगभग दस हजार शिक्षकों की नियुक्तियां कर चुकी है। इसके अलावा उर्दू शिक्षकों के 4280 और जूनियर हाई स्कूलों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों के 29334 पदों पर भर्तियों के लिए सरकार ने नियमावली के जिस नियम को आधार बनाया था, उसे हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। 2012 में नये सिरे से शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत आये 69 लाख आवेदन पत्रों के आवेदकों से आवेदन शुल्क के तौर पर वसूले गए 350 करोड़ रुपये उन्हें वापस करना भी विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।
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एक और समस्या यह है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश की बाबत पूछने पर सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार ने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें आदेश की प्रति नहीं मिली है। आदेश को पढ़ने के बाद ही विभाग अपना अगला कदम तय करेगा।
पूरी हुई मुराद :
शिक्षकों की भर्ती टीईटी की मेरिट के आधार पर करने के लिए चली इस लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाले शिव कुमार पाठक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि देर भले लगी हो लेकिन देश की सर्वोच्च अदालत ने उनकी और उन जैसे लाखों अभ्यर्थियों के हितों की रक्षा की है। इस अंतरिम आदेश से न्यायपालिका में लाखों अभ्यर्थियों की आस्था और बलवती हुई है। उम्मीद है कि सरकार शिक्षकों की भर्ती जल्द शुरू करेगी।
कब क्या हुआ : -
9 नवंबर 2011 : बसपा सरकार ने बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन किया, टीईटी की मेरिट को चयन का आधार बनाया
13 नवंबर 2011 : राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित हुई
25 नवंबर 2011 : परिणाम घोषित, दो लाख से अधिक सफल
30 नवंबर 2011 : प्राथमिक शिक्षकों के 72825 रिक्त पदों के लिए विज्ञापन जारी
31 अगस्त 2012 : सपा सरकार ने नियमावली में संशोधन किया, शैक्षिक गुणांक को चयन का आधार बनाया
छह सितंबर 2012 : सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
पांच दिसंबर 2012 : राज्य सरकार ने टीईटी उत्तीर्ण बीएड पास अभ्यर्थियों को प्रशिक्षु शिक्षकों के रूप में नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की
16 जनवरी 2013 : सरकार के संशोधन के खिलाफ याचिका खारिज
29 जनवरी 2013 : विशेष अपील दाखिल, एकल पीठ के आदेश को चुनौती
4 फरवरी 2013 : अंतरिम आदेश में खंडपीठ ने काउंसिलिंग पर रोक लगाई
20 नवंबर 2013 : हाई कोर्ट का फैसला, टीईटी की मेरिट ही चयन का आधार, सपा सरकार के संशोधन असंवैधानिक करार
18 दिसंबर 2013 : राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील की
25 मार्च 2014 : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश, राज्य सरकार को हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक तीन महीने में शिक्षक भर्ती करने का आदेश दिया
72825 Teacher Recruitment : सुप्रीम कोर्ट के फैसले खिले चेहरे
ReplyDeleteवाली
खबर
पर
आ
जाओ
मैं
दिन
भर
वहीं
मिलूँगा
suprabhat umashanker ji
ReplyDelete2012 bed ka kya hoga apply for akhilesh gov