SUPREME COURT OF INDIA Case StatusStatus : PENDING Status of:Special Leave Petition (Civil)29390OF2013 RAM PRAKASH SHARMA & ORS.Vs.STATE OF U.P & ORS Pet. Adv.:MR. SAJITH. PRes. Adv.:MR. M.R. SHAMSHAD
Subject Category:SERVICE MATTERS-RECRUITMENT/TRANSFER/COMPASSIONATE APPOINTMENT
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Next Date of listing is:25/03/2014 Last updated on Mar 3 2014
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Jaisa ki Pata chala hai ki Mushkil se 2-5 Minute Behas Huee Aur Next Date 25 March 2014 ho gayee.
Case ki 2-3 Sunvaiyan Aur Sambhav Hain, Kyunki Dono Pakshon Ki Behas Honee Baki Hai, Aur TET se Jude Kafee Saare Muddon ka Samadhaan Baki Hai
April 2014 Mein Case Ka Result / Final Order Aana Sambhav Hai.
Bhrtee Ka 31 March 2014 ki samay seema Ya Fir Chunav Achaar Sanhita Se Koeee Prbhav Nahin Padegaa.
टीईटी मामले की सुप्रीमकोर्ट में अगली सुनवाई 25 मार्च को नई दिल्ली(ब्यूरो)। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को परिषदीय प्राथमिक विद्यालयोंमें 72,825 सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति के मसलेकी सुनवाई को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जवाब न पेश किए जाने पर टाल दिया। सर्वोच्च अदालत नेराज्य सरकार को 25 मार्च तक इस मसलेपर जवाब दाखिलकरनेका निर्देश दिया है। याद रहे किइलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों के चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर किए जाने का आदेश दियाथा और बसपा सरकार में30 नवंबर, 2011 को जारी हुए भर्ती विज्ञापन को सही ठहराया। साथ ही मौजूदा सरकार के31 अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ नेराज्य सरकार से कहा कि वह इस मसले पर होने वाली अगली सुनवाई (25 मार्च) तक टीईटी की अनिवार्यता व मेरिट के मसलेपर दायर याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल करे। पिछली सुनवाई में प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट केआदेश पर रोक लगानेकी मांग की थी। मगर पीठ ने कहा था कि इस मसलेपर टीईटी की अनिवार्यता को लेकर पहले से एक मसला पीठ के समक्ष लंबितहै। ऐसे में अदालतउस मसलेके निपटारे तक रोक नहींलगा सकती है। अब राज्य सरकार को दोनों ही मसलों पर अभ्यर्थियों कीओर सेदायर याचिका पर अगली सुनवाई तक जवाबदेना है। अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट नेसहायक अध्यापकोंकी नियुक्ति प्रक्रिया इस साल 31 मार्च तक पूरी करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने शीर्षस्थ अदालत से अपनी याचिकामेंकहा हैकि अगस्त, 2012 केशासनादेश को रद्द करनेऔर पूर्व मुख्यमंत्रीमायावतीके शासनकाल में जारी किए गए नवंबर, 2011 को जारी भर्ती विज्ञापन को सही ठहराए जाने के हाईकोर्ट का आदेश उचित नहींहै। सपा सरकार की ओर से 2012 में जारी किए गए शासनादेश मेंटीईटी को मात्र अर्हता माना गया थाऔर चयन का आधार शैक्षणिक गुणांक कर दिया गया था।
ReplyDeleteऔरत ने5 साल के बच्चे को सिगरेट पीते देखा तो बच्चे सेकहा औरत :- क्या तुम्हारे पेरेंट्स को मालूम है कीतुम सिगरत पीते हो ? (बच्चा धुवाछोड़तेहुए) बच्चा :- मोहतरमा ! क्या आपके शोहर को मालूम है की आप एक गैर मर्द सेबाते कर रही है...??? बच्चा रॉक्ड आंटी शॉक्ड.
ReplyDeleteशिक्षकों केबैकलागपदोंपर भर्ती शुरू इलाहाबाद (ब्यूरो)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पहले चरण में इंटरव्यूके बाद खालीरह गए शिक्षकों केपद पर दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरूहो गईहै। ओबीसी, एससी और एसटी के 41 पदों के लिए विश्वविद्यालय ने 31 मार्च तक आवेदन मांगेहैं। इसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर तीनों तरह के पद शामिल हैं। सामान्य केखाली रह गए पदोंके लिए अलग से भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाएगी। विवि में अब तक 18 विभागों मेंशिक्षकों केलिए हुए इंटरव्यूके रिजल्ट घोषित कर दिए गए हैं। इनमेंसे 13 विभागोंके रिक्त पदोंके लिए आव
ReplyDeleteटीईटी की ‘आंसर की’ जारी कर सकेंगेउत्तर का मिलान इलाहाबाद (ब्यूरो)। सचिवपरीक्षा नियामक प्राधिकारी ने 22 और 23 फरवरी को आयोजित टीईटी की आंसर की जारी कर दी है। परीक्षार्थी मंगलवार से अपने उत्तरों का मिलान कर सकेंगे। आपत्तियां लेने के लिए भीनयाप्रारूप तैयार किया गयाहै। शासनादेश के मुताबिक आंसर की 27 फरवरी को ही जारी हो जानी चाहिए थी। जबकि तकनीकी परेशानीके कारण निर्धारित तिथिपर ऐसा नहीं किया जा सका। आपत्तियां लेने के लिए भी नया प्रारूप तैयार किया गया है। येप्रारूप भी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। निर्धारित प्रारूप में परीक्षा का नाम, स्तर, बुकलेट सिरीज, सवाल की क्रम संख्या, विकल्प और आंसर की पर जारी विकल्प समेत कई जानकारियांदेनी होगी। सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने बताया आंसर की www. upbasiceduboard.up.in पर अपलोड कर दी गई है। मिलान के बाद परीक्षार्थी आपत्ति secretarypnp.up@ gmail.com पर ई-मेल कर सकतेहैं। •साक्ष्यों केसाथ स्वीकार होगी अभ्यर्थियोंकी आपत्तिया
ReplyDeleteAAJ ITNI KHAMOSI KYON H KOI B JAI TET YA JAI ACADMIC NHI KR RHA. KYA SB SACCHAI JAN CHUKE Hain
ReplyDeleteअर्जेंसी लगा है तो ये हाल है। फैसलाभी शायद वैसा न हो जैसा हम लोगो ने उम्मीद पाल रखी है। अब तो समय की भी दिक्कत नहीं रही , अब ये भर्ती २०१७ तक नही होगी । सच है -Delay is the deadliest form of denial. ये देरी एक आम टेटियन पर बहुतभारी पड़ रही है ।
ReplyDelete** *ll यतो धर्मस्ततो जयः ll* * * यह नीतिवचन अपना तेज़ खोताजा रहा है । देरी से मिला न्याय, न्याय नही, अन्याय होता है ।
यूपीके मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट का झटका नई दिल्ली (पीयूष पांडेय)। यूपीके मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को अब शिक्षकों की भर्ती के मामले मेंइलाहाबाद हाईकोर्ट में निजी तौर पर पेश होना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 6 मार्च कीपेशी से उन्हें छूट देने की राज्य सरकार के आग्रह को खारिज कर दियाहै। सर्वोच्च अदालत नेकहा कि मुख्य सचिव महज अपनेअहम के चलतेहाईकोर्ट में नहीं पेश होना चाहते। लेकिन, हम हाईकोर्ट को यह निर्देश नहीं जारी कर सकते कि वह कैसा व्यवहार करे। जस्टिस एसएस निज्जर और जस्टिस एके सीकरी की पीठ के समक्ष पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष इस मामले में प्रमुख सचिव, शिक्षा की ओर से हलफनामा दिया गया था। उसमें यह बताया गया था कि यूपी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोगकी ओर से चयनितकिए गए शिक्षकों के मामलों को शीर्षस्थ अदालत मेंचुनौती दी गई है। इसके बावजूद हाईकोर्ट नेमुख्य सचिवको हलफनामा देने और अगली सुनवाई में निजी तौर पर पेश होने का आदेश जारी कर दिया। पीठ ने कहा कि मुख्य सचिव को हाईकोर्ट में पेश होनेमें क्या दिक्कतहै। राज्य सरकार ने कहा कि जबहाईकोर्ट में विभाग सेसंबंधित प्रमुख सचिव हलफनामा पेश कर रहा है और पूरीसूचना दे रहा हैतो ऐसी स्थिति में मुख्य सचिव को तलब किए जाने का क्या औचित्य है। तब पीठ ने कहा कि हमें तो यह प्रतीत होता है कि मुख्य सचिवमहज अपने अहम के चलते हाईकोर्ट में नहीं पेश होना चाहते। राज्य सरकार के अधिवक्ता नेआग्रह करते हुए कहा मसला महज इतना है कि संबंधित विभाग केशीर्षअधिकारी केहोने के बावजूद मुख्य सचिव को तलब किया जानाक्या उचित है। पीठ ने राज्य सरकार के तर्कों को नकारते हुए सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशों का अनुपालन मुख्य सचिव करें। गौरतलबहैकि हाईकोर्ट में मानदेय पर राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों की ओर से रिट याचिका दायर की गईहै। याचिका में गत वर्ष जारी किए गए उस शासनादेश को चुनौती दी गई है जिसमेंकहा गया है कि पूर्वशिक्षकों को मानदेय पर कॉलेजों में नियुक्तकिया जाएगा। हाईकोर्ट ने गत वर्ष रिट याचिकाओं पर नोटिस जारी कर जवाबतलब कियाथा। प्रमुख सचिव के हलफनामे सेअसंतुष्ट हाईकोर्ट ने कहा था कि जुलाई, 2014 तक नियुक्तियांकैसे पूरी होंगी और गत20 फरवरी को हाईकोर्ट नेमुख्य सचिव को तलब किया। शिक्षक भर्ती मामला •शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट में पेशी सेछूट देने के आग्रह को किया खारिज —
ReplyDeleteशुभ प्रभात दोस्तों,
ReplyDeleteअग्रिम पंक्ति के नेतृत्व से निवेदन/सलाह है कि अब अगली तारीख के लिए निम्न अधिवक्ताओ को ही आगे केस की पैरवी के लिए रखे :-
1.परमजीत सिंह पटवालिया जी,
2.अमरेन्द्र शरण जी,
3.मीनाक्षी अरोड़ा जी,
4.छोटे लाल पाण्डेय जी,
5.पिता श्री एस●सी● महेश्वरी जी के साथ
विपुल महेश्वरी जी,
6.सतीश चन्द्र मिश्र जी,
धन्यबाद।
में ये बात हर बार कहता हूँ और आज एक बार फिर दौहरा रहा हूँ कि "केस हम ही जीतेंगे लेकिन उसके लिए आवश्यक है कि हम अंत तक लड़े।"
जय हिन्द जय टेट जय भारत
me kal bhi.... SC me maujood tha
ReplyDelete.....
mera sujhav hai ki saaathi kal ki date lagne se dare ya ghabrayen nahi.....
...
yeh deri NON TET wale mudde ki wajah se hai .. naki hamare mudde ko latkane ke liye ...
......
jis mudde par HIGH COURT ne muhar lagai thi ..us par ab SUPREME COURT bhi apni muhar lagayegi.....
....
is sab se kewal UP ka hi nahi poore desh ka bhala hoga.....
...
kyonki ab koi bhi state TET ko nazar andaz nahi kar payega ... aur kewal padhe likhe log hi teacher ban payenge...... raddi ke bhaw Digriyan lene wale nahi ..
.....
to ab bas intezar kijiye SC ke ek achche faisle ka ... jisse poora BHARAT desh fayeda uthayega... aur haan .... waakeelo ki fees ka intezam karo bhaiyo.... yeh zaroori hai....
...
jai hind ... jai tet
...
zubair nasir, moradabad
""लड़के जीन्स ऐसी पहनने लगे हैं
ReplyDeleteकि चड्डी दिखती है - फैशन
का हवाला दे कर ।
लड़कीयाँ दुपट्टा नही लेने
लगी - फैशन
का हवाला दे कर ।
लड़कों को शराब
जरूरी हो गया - ग़म
का हवाला दे कर ।
बातें बहुत है मेरा मकसद
उधेड़ना नही ।
बस कुछ सवाल है ।
१. क्या अश्लील फिल्में
देखना आधुनीकरण है ?
२. क्या तंग कपड़े ही तन ढकने
का एक विकल्प है ?
३. क्या नशा करना आपके वयस्क
होने का प्रमाण है ?
४. क्या लड़कीयों को छेड़ना ही मर्दानगी है ?
सवाल भी बहुत हैं पर सबसे
जरूरी सवाल ये
है की क्या हम भारतीय हैं ?
अगर आपके मन में ये सवाल घुमने
लगा तो आपको जानकर
खुशी होगी की आप देशभक्त हैं
बस महोल नही मिला ।
मेरी विनती पर एक कार्य जरूर
करें ।
आईने के सामने खड़े होकर ये खुदसे
सवाल करें *
तुझमे ऐसा क्या है जो लोग तुम्हे पसंद करें ?
पोस्ट हेतु सभार : अंजान मित्र
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ReplyDelete.
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मे
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री
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वा
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ली
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Everything would be fine ......
if I could just go somewhere with you.
अभी
ReplyDeleteकम
से
कम
दिन
पर
तो
मै
पीछे
की
खबर
मे
ही
मिलूँगा ।
उमाशंकर जी मैं कुछ कहना चाहता हूँ, लेकिन कुछ भी कहने से पहले इस बात को फिर से दुहरा देना चाहता हूँ कि कोई भी टैट मैरिट समर्थक मुझे ऐकेडेमिक समर्थक समझने की भूल न करे। मैं न ही ऐकेडेमिक का समर्थक हूँ और न ही टैट मैरिट का, फिर भी अगर किसी को ये बात समझ में नहीं आती है तो भाड़ में जाएँ टैट और भाड़ में जाएँ ऐकेडेमिक, मुझे किसी से कोई मतलब नहीं। अब मैं अपनी बात कह रहा हूँ। मैं इस बार पूरी तरह से आश्वस्त था कि सुप्रीम कोर्ट टैट मैरिट से भर्ती के लिए सरकार को आदेश देगी। लेकिन फिर एक बार वही जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। क्या अर्जेंसी ऐसी होती है, अर्जेंसी के केस सुप्रीम कोर्ट इस प्रकार देखता है। अगर ऐसा है तो इन न्यायाधीशों को ही बीच चौराहे पर खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए। मेरी समझ में नहीं आता कि जब सरकारी पक्ष अगली तारीख माँगता है तो कोर्ट ये क्यों नहीं कहता कि आपको तारीखें बहुत दी जा चुकी हैं और अब फैसले का वक्त है। कोर्ट क्यों हर बार एक अगली तारीख दे देता है। भले ही कोई इस बात को माने या न माने, मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अब ये भर्ती लोक सभा चुनावों के बाद भी नहीं होने वाली। अब ये भर्ती 2017 तक ही पूरी होगी, बिना किसी शर्त के टैट मैरिट से। किसी मुझे कितना भी बड़ा हरामी क्यों न कहे पर ये सत्य है कि ये भर्ती जब फरवरी में काउंसलिंग शुरू हो रही थी, तभी हो सकती थी, लेकिन कुछ लोगों की एक गलती के कारण अब एक लम्बा समय और काटना पड़ेगा।
ReplyDeleteउमाशंकर जी मैं आपसे पूछता हूँ कि जब भी कोई नई तारीख मिलती है और समर्थकों का धैर्य जवाब देने लगता है तो आप हर बार एक झूठा दिलासा देते हो। आखिर ये कब तक चलेगा। आपने इस बार भी यही कहा था कि अंतिम फैसला जायेगा और इस झंझट से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जायेगी, लेकिन फिर वही हुआ जो हर बार होता है। उमाशंकर जी ये भर्ती शायद लोकसभा चुनावों के बाद हो जाये, किंतु अगर आप इस भर्ती को लोकसभा चुनावों के बाद भी नहीं करवा पाये तो समर्थकों का विश्वास हमेशा के लिए खो देंगे। भगवान से मेरी यही प्रार्थना है कि आपके समर्थकों का विश्वास आपने बना रहे और आप उनकी उम्मीदों पर खरा उतरें। मैं तभी आपको सफल कह सकता हूँ जब आप इस निकम्मी सरकार को ठीक लोकसभा चुनावों के दौरान ही या फिर चुनावों के ठीक बाद भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ कराने के लिए विवश होना पड़े। (मेरी कोई भी ऐसी बात जो किसी को अच्छी न लगी हो वो मुझे भला-बुरा कहने या फिर गालियाँ देने के लिए स्वतंत्र है)
You are 100% right
Deleteuma shankar ji aap log high court me avmanna dakhil kyo nahi karwa rahe ho
ReplyDeleteशुभ प्रभात मित्रों,
ReplyDeleteसभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
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"कश्चित् कस्यचिन्मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा॥"
( अर्थात् ना तो कोई किसी का मित्र है और ना ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं )
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साथियों,
समय चक्र की गति ना कोई रोक सका है और ना ही कोई रोक सकता है, सुअवसर अथवा दुर्दिन सब नियति का खेल है। यदि समय साथ देता है तो प्रशंशा करने वाले और आपके कार्यों का समर्थन करने वाले अनेक अवसरवादी सहयोगी आपके साथ चलने को तत्पर हो उठेंगें किन्तु यदि परिस्थितियाँ प्रतिकूल हो उठतीं हैं तो शुभ समय में आपकी विश्वसनीयता का दम भरने वाले वही अवसरवादी मित्र तत्काल आपसे विलग हो उठते हैं, आपको सहयोग करना तो दूर रहा वह आपके शत्रुओं से भी हाथ मिला बैठते हैं और उनके साथ मिलकर आपके ऊपर अनर्गल आक्षेप लगाने से भी बाज नहीं आते हैं। किन्तु यही विपरीत परिस्थितियाँ आपको कुछ ऐसे दृढ़प्रतिज्ञ मित्र भी प्रदान करती है जो आपके संकट काल में आपको कभी अकेला होने का अहसास नहीं होने देते और अपने सहयोग से ऐसा नैतिक और मानसिक बल प्रदान करते हैं कि आप हर प्रकार की परिस्थितियों से निपटने में स्वयं को सक्षम पाते हैं। निरहुआ को भी कुछ ऐसे ही मित्र कल की विपरीत परिस्थितियों ने प्रदान किये हैं और अवसरवादियों की पहचान भी करवा दी है। आज निरहुआ को समयानुकूल यह पंक्तियाँ बहुत ही तर्कसंगत प्रतीत हो रही हैं-
" रहिमन विपदा हू भली जो थोड़े दिन होय,
हित अनहित जग में जान परत सब कोय "।।
हमारे कुछ टेट बन्धु कल से ही ऐसे आक्रामक स्वाभाव इस फेसबुक पर प्रदर्शित कर रहे हैं कि जैसे उनका सम्पूर्ण भविष्य टेट योद्धाओं द्वारा ही विनष्ट किया जा रहा हो या टेट लीडर्स ही जानबूझकर इन्हें अध्यापक नहीं बनने दे रहे हैं। यह अवसरवादी जयचंद हैं जो ना तो कुछ करते हैं और ना ही किसी दूसरे के कर्मयोग के प्रति इनकी आस्था ही होती है। जरा सोचिये की यदि कल ही 'निर्णय' आ जाता तो आज ऊँगली उठाने वाले यही चाटुकार इन्हीं टेट योद्धाओं की जयजयकार कर रहे होते, किंतु दुर्भाग्य से निर्णय ना आ सका तो यह अपनी असलियत पर उतर बैठे हैं। इन अवसरवादियों ने हमारे टेट प्रतिनिधियों की निष्ठा, कर्तव्यपरायणता, कर्मयोग और अथक परिश्रम को सिर्फ 'चंदे' में तौलकर देखना शुरू कर दिया है। यही अवसरवादी सपा सरकार के द्वारा फर्जी विज्ञापनों, जिनसे इन्हें आज तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ उसपर 25-30 हजार बेधड़क खर्च करेंगे किन्तु जो नेतृत्व अपने साथ-साथ इनके लिए भी लड़ रहा है उसे एक नोट पकड़ा कर आजीवन उनकी माँ-बहनों को कोसने का अधिकार प्राप्त कर लेते हैं। मैं आपसे पूछता हूँ की यदि कोई आपको हजार दो हजार मदद कर आपकी माँ-बहन के प्रति अपशब्द कहे तो आपको कैसा लगेगा ? आप उसकी गर्दन काटने पर उतारू हो जायेंगे किन्तु हमारा नेतृत्व अपने स्वनामधन्य सहनशीलता के गुणों और संस्कारों से परिपूर्ण है जो कदापि अपशब्दों का प्रयोग नहीं करेगा क्योंकि उनके अभिभावकों ने उन्हें माँ-बहनों की अस्मिता की रक्षा का मूल्यवान पाठ पढ़ाया है। अपशब्द का प्रयोग वही करते हैं जिन्हें ऐसे ही संस्कार मिले हों। अब निरहुआ आप सभी अवसरवादी भाइयों से करबद्ध निवेदन करता है की भविष्य में आप कदापि कोई आर्थिक सहयोग ना करें क्योंकि हमें हजार अवसरवादियों की अपेक्षा चंद सच्चे सहयोगियों की ही आवश्यकता है। आप स्वयं अपनी लड़ाई लड़ें और साबित करें की आप कर्मठी हैं और हमारा नेतृत्व निकम्मा है, निरहुआ भी देखना चाहता है की घरों में बैठकर कर्मयोग की परिभाषा बतलाने वाले यथार्थ में कितने बड़े कर्मयोगी हैं। रही बात टेट मेरिट की तो इतना जान लीजिये की टेट मेरिट की अस्मिता और गरिमा की रक्षा हेतु अवसरवादी भाइयों की हमे आवश्यकता कदापि नहीं है, इसकी आन-बान-शान को कायम रखने के लिए हम मुट्ठी भर जियाले ही काफी हैं। टेट मेरिट कल भी विजयी थी आज भी अपराजेय है और भविष्य में भी विजेता बनेगी।
जय टेट जय हिन्द।
सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
ReplyDeleteआज लिखना तो नहीं चाहता था किन्तु टेट बंधुओं की बढ़ती बेचैनी और निराशा मुझसे देखी नहीं जा रही है,ऊपर से यह अकेडमिक वीर भी अपनी पुरानी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं और बिलावजह उछल रहे हैं क्योंकि 'बिल्ली के भाग्य से छींका जो फूट पड़ा है' । कुछ टेट बन्धु भी आवेग में आकर नैतिक-अनैतिक का अंतर भुला बैठे हैं और अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, आज जो कुछ भी हुआ वह वास्तव में निराशाजनक है और खुद निरहुआ भी दुखी है किन्तु जो भी टेट बन्धु आज हमें अपशब्द कह रहे हैं या हमारी कार्यशैली पर ऊँगली उठा रहे हैं उनसे निरहुआ का सवाल है कि - 'आज टेट लीडर्स की क्या गलती थी ? क्या उन्होंने जानबूझकर डेट ले ली ? या , क्या टेट लीडर्स के पास कोई काम धंधा नहीं है जो सिर्फ अदालती कार्यवाही पर राजनीति करें'?
साथियों, हजार-पांच सौ चंदा देकर अपने घरों में बैठकर जितना दुःख आपको होता है उससे कहीं ज्यादा दुःख हमारे उन टेट योद्धाओं को होता है जो अपना परिवार और बीवी बच्चे छोड़कर हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जो भाई आज कह रहे हैं की यह भर्ती नहीं होगी या टेट लीडर कभी भर्ती नहीं होने देंगे, उन्हें मैं याद दिलाना चाहूँगा की इसी प्रकार की नकारात्मक बातें तब भी हुईं थीं जब अकेडमिक मेरिट से काउंसलिंग शुरू हो गयी थी तब यही टेट लीडर थे जो शेर के मुंह से मांस छीन कर लाए थे यानी काउंसलिंग पर रोक लगवाते हुए टेट मेरिट को मरणासन्न अवस्था से पुनर्जीवित किया था। वही इतिहास पुनः दोहराया जायेगा इसमें कत्तई शक नहीं है किन्तु समय सीमा के बारे में सटीक टिपण्णी कर पाना अब संभव नहीं है। चूँकि निरहुआ को टेट मेरिट से नियुक्ति में पूर्ण आस्था है और उसका आत्मविश्वास भी प्रबल है अतः वह अंत समय तक टेट संघर्ष से जुड़ा रहेगा किन्तु जो भाई आज टेट मेरिट का अपमान कर रहे हैं और इसे छलावा बता रहे हैं उनसे किसी भी प्रकार के सहयोग की आशा मैं नहीं रखता किन्तु इन भाइयों को यह वचन देना होगा की भविष्य में वे कभी टेट मेरिट से काउंसलिंग नहीं करायेंगे। है कोई जो यह वचन दे सके ?? शायद नहीं क्योंकि कहीं ना कहीं हमारे अंदर उम्मीद की आखिरी किरण अब भी बाकी है, दिल पर हाथ रखकर देखिये की क्या आप इस लड़ाई से अब पीछे लौट सकते हैं?? या क्या अब टेट मेरिट से आप पूरी तरह निराश हो चुके हैं?? अरे भाइयों आपका गुस्सा जायज है किन्तु आज जो घटित हुआ उसमे हमारे टेट लीडरों का दोष कत्तई नहीं है, मैं उनकी हिमायत नहीं कर रहा हूँ और ना ही उनका अंधभक्त हूँ। याद कीजिये मैंने ही उनकी लापरवाही के लिए कल कैसी फटकार लगाई थी और कितने उलाहने दिए थे, बदले में उन्ही टेट लीडरों ने सिर्फ और सिर्फ आम टेटियन की भावनाओं का सम्मान करते हुए भूखे प्यासे भाग-दौड़ करके अथक परिश्रम से आज के संग्राम की तैयारी पूरी की थी किन्तु जज के निर्णय को प्रभावित करने की सामर्थ्य ना उनमे थी और ना ही आपमें हो सकती है। जो टेट भाई इन पर ऊँगली उठा रहे हैं उनसे निरहुआ का आग्रह है की वे आगे आयें और नेतृत्व की कमान संभालें या जमीनी स्तर पर विचार करें कि गलती किसकी थी। अगर गलती टेट लीडरों की होती तो मैं स्वयं इनकी बखिया उधेड़ देता और कई बार उधेड़ भी चुका हूँ, किन्तु आज इनकी गलती नहीं थी। जो भाई टेट संगठन से अलग होना चाहते हैं वो बाखुशी अलग हो सकते हैं किन्तु स्मरण रहे कि जिस टेट मेरिट का आज तक गुणगान किया है उसे छोड़ते समय कोई ऐसा विद्रुप भाषण ना करें की हमें आपके बंधुत्व पर लज्जित होना पड़े अथवा अकेडमिक बन्धु इसे परिहास का विषय बना लें, साथ ही ये भी जान लीजिये की यदि कहीं से भी टेट मेरिट की मर्यादा भंग हुई या इसकी अस्मिता पर आंच आयी तो इसका एक अंग होने के नाते आप भी अपना सम्मान कदापि सुरक्षित ना समझें।
अंत में निरहुआ बस इतना कहेगा की चाहे कुछ भी हो जाए, चाहे अपने प्राणों की आहुति क्यों न देनी पड़े या अंत समय तक प्रतीक्षा करनी पड़े निरहुआ एक सच्चे टेटियन की तरह टेट मेरिट की अस्मिता के लिए लड़ता रहेगा और एक दिन कामयाब होकर ही लौटेगा। इतना ही नहीं मुझे यह भी यकीन है की आवेग में आकर आज हमारे भाई भले ही हमे कुछ भी कहें किन्तु दिल-ओ-दिमाग में टेट मेरिट का दीपक जला चुके ये भाई कल फिर हमारे साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े होंगे क्योंकि "फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी"।
जय टेट जय हिन्द।
Log khte hai k sabr ka fal meetha hota hai to mere tet sathiyo mera aap sabhi se ye vinamr nivedan hai k bs ab wo ghadi aane hi wali hai jb hm sb is anmol job ka lutf uthayege. Aap sbi bs thoda sa or dhairya rakhe hmri jeet bs hone ko hi hai. Jai shri ram
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ReplyDeleteशुभ प्रभात दोस्तों,
ReplyDeleteअग्रिम पंक्ति के नेतृत्व से निवेदन/सलाह है कि अब अगली तारीख के लिए निम्न अधिवक्ताओ को ही आगे केस की पैरवी के लिए रखे :-
1.परमजीत सिंह पटवालिया जी,
2.अमरेन्द्र शरण जी,
3.मीनाक्षी अरोड़ा जी,
4.छोटे लाल पाण्डेय जी,
5.पिता श्री एस●सी● महेश्वरी जी के साथ
विपुल महेश्वरी जी,
6.सतीश चन्द्र मिश्र जी,
धन्यबाद।
में ये बात हर बार कहता हूँ और आज एक बार फिर दौहरा रहा हूँ कि "केस हम ही जीतेंगे लेकिन उसके लिए आवश्यक है कि हम अंत तक लड़े।"
जय हिन्द जय टेट जय भारत
Is UP SARKAR KI SASHAN KAAL MEIN KITNEE BHRTIYAN HUEE???
ReplyDeleteBHRTEE MEIN KAMIYAN HOTEE HAIN, ADANGE LAGAYE JAATE HAIN JIS SE SARKAR KEH SAKE KU HAMNE TO BHRTEE KI KOSISH KEE THEE LEKIN KYA KAREN BHRTEE COURT MEIN ATAK GAYEE.
SHIKSHA MITRON KO BHEE DEKHO VE BHEE NA GHAR KE RAHE NA GHAAT KE.
UNKI BHEE CHUNAVON TAK LOLLYPOP DEKAR BHRTEE THANDE BASTE MEIN DAAL DEE JAYEGEEE
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In duriyon ko bewfayi mat samjhna,
In khamoshiyo ko narazgi mat samjhna,
Har pal aapko yaad karte hain,
Har pal saath denge hum aapka,
Humare pyaar ko kabhi bhi aap kamzor mat samjh na....!!
I miss you PARI........G
Kal jis taran Justice Chauhan ne date dia, to Mahapatra ki yad aa gayi. Isi tarah Mahapatra ke pas bhi hamare liye time nahi hota tha, kabhi A.C kharab hona, kabhi leave par chale jana is tarah ke bahane banakar wo mamle to talta raha. Usi prakar ki mansa bhi Chauhan sahab ki dikh rahi hai.. Ho bhi kyon nahi bhai S.P ke ticket par loksabha chunav ladne wala hai aur khud bhi S.P ke sahare H.C se S.C tak ka safar tay kiya hai. Ab wafadar kutte ki tarah karj utarne ka waqt aaya hai. Koi kuchh bhi kahe ,lekin mujhe loksabha chunav ke pahle sunwai ki ummeed najar nahi aati. Ye India hai, yaha par Lalu Yadav aur Sanjay Dutt jaise log saja pane ke bad bhi aajadi se ghum sakte hain to kisi mamle ko latkana koun si badi bat hai. Mera agrah hamre Tet leaders se hai ki paise ko soch samajhkar istemal kare. S.C me bhi date ka lamba khel khela jayega.
ReplyDeleteSAANCH ko AANCH nahi
ReplyDelete++++++++++++
(1) Kal se hee ACEDAMIC GUNANK k KHEME me maatam chaaya hai. Unke kheme me udasi aur nirasha ka maahoul hai, qki kal bhe gov.ko stay nahi mila. Kal acedamic gunank k taabut me antim kil thhook gayi.
(2) TET MERIT k KHEME me kal se hee jashn ka maahoul hai, qki High court ka order aaj bhee prabhavi hai. Hum kal bhee VIJETA thay, aaj bhee VIJETA hai aur kal bhee VIJETA rahege,
qki SAANCH ko AANCH nahi.
So enjoy friends.
20 नवम्बर को उच्च न्यायलय द्वारा पारित आदेश को मानाने की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है| इस बीच उच्चतम न्यायालय में हमारे केस की सुनवाई नहीं हो पा रही हैं| अब हमारे पास २० दिनों का समय है| मुझे जितनी कानूनी जानकारी है उसके अनुसार जब सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील कर चुकी हैं तो हम उच्च न्यायलय में सरकार के ऊपर अवमानना का मुक़दमा नहीं कर सकते| लेकिन विजय तोमर जी के विचारो पर अमल किया जाना चाहिए| अपने इस कदम से हम सेफ जोन में हो जायेंगे| इस मसले पर हमारे संघटन को वरिष्ठ वकीलों से सलाह लेकर अपने अगले कदम को उठाना चाहिए| इस प्रक्रिया में कुछ पैसों का अपव्यय हो सकता हैं लेकिन संघर्ष के इस दौर में छोटी से गलती भी जीत को कुछ दिनों के लिए हमसे दूर कर सकती है|
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उसने मिलने की भी बड़ी अज़ब शर्त रखी है।
खुश्क़ पत्तो पर आना मगर आहट ना हो॥
राखी बहन ने कहा है अगर मोदी प्रधानमंत्री बने तो मैं परिधान मंत्री बनूँगी
ReplyDeleteजिन्हे हमारी अंतिम दौर की लड़ाई में चंदे को लेकर ज्यादा तकलीफ है में उनके सामने कुछ आप्शन रखना चाहता हूँ, ध्यान रहे ये केवल उन टी.ई.टी साथियो के लिए हे जो इस आख़िरी दौर में अपना धैर्य खो चुके हे या अपने घरो में बैठकर ये सोच रहे हे की सब तो दे रहे हे मुझे क्या करना देकर-
ReplyDelete1- अगर 14 तारीख को मान लीजिये वकीलोँ की फ़ौज हमने खड़ी न की होती या 3 को और सरकार की तरफ से बहस छिड़ जाती और हम केस हार जाये तो हमारी 2 साल की मेहनत, और जीवन दोनों बर्बाद हो जाते और न जाने कितनोँ को तो फांसी लगाना ही एक अंतिम चारा बचता.... |
ReplyDelete२- अगर इस आख़िरी दौर में टी.ई.टी नेताओ ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी के साथ केस फाइनल करने की सोची तो क्या ये गलत था, ये नेता अगर ये जानते होते की ये फैसला आज आएगा या कल तो ये आदमी नहीं भगवान् होते,
ReplyDeleteइन्होने कोशिश की इसके लिए हमे इनका शुक्रिया करना चाहिए ना की गालियो से स्वागत|1- अगर 14 तारीख को मान लीजिये वकीलोँ की फ़ौज हमने खड़ी न की होती या 3 को और सरकार की तरफ से बहस छिड़ जाती और हम केस हार जाये तो हमारी 2 साल की मेहनत, और जीवन दोनों बर्बाद हो जाते और न जाने कितनोँ को तो फांसी लगाना ही एक अंतिम चारा बचता.... |
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ReplyDelete३- सशर्त चंदा देने वालोँ और चंदे का विरोध करने वालो से में एक अपील करना चाहता हूँ की टी.ई.टी$ संघर्ष मोर्चा यदि चाहे तो वो ऐसे याची अपने साथ जोड़ ले जो उसे हर तारीख पर 5 से 10 हजार रूपये दे क्यों की इस अंतिम दौर में ज्यादा से ज्यादा 5 तारीख और बढ़ सकती है और एक महीने की तनख्वाह न सही, लेकिन ये लड़ाई फिर केवल याचियों के लिए कर दे तो में पहला याची बनने के लिए तैयार हूँ। …………।
ReplyDelete4- मेरी इस शर्त को पड़ने के बाद जायज सी बात हे घरो में बैठे और सालोँ से डबल रजाई में फेसबुक पर बैठे लोग सुजीत, सदानंद, गणेश, नवीन और टी.ई.टी संघर्ष मोर्चा के बाकी साथियो का घर ढूढ़ते हुऐ याची बनने पहुच जायेगे और इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अगर उनमे जरा सी भी शर्म होगी तो इस बार चंदा तो देंगे और टी.ई.टी संघर्ष मोर्चा पर कोई उँगली नहीं उठा पाएगा|
ReplyDelete5- वकीलोँ की फ़ीस की चिंता अगर मुझसे पूछा जाये तो ........उसका इंतजाम करना हर डेट पर बड़ा ही आसान हो जायेगा 400 याची ऐसे सक्रिय कार्यकर्ता और नौकरी की चाहत रखने वाले ऐसे लोग टी.ई.टी संघर्ष मोर्चा में हैँ जो 5,000 हर तारीख पर देकर इन उल्लूओँ से बचकर अपनी लड़ाई लड़ सकते हैँ और अपने आप को इनसे अलग कर सकते हैं
ReplyDeleteमैं फिर से कह रहा हूँ कि अगर मुझे याची बनाया जाये और ये लड़ाई इन डबल रजाई में पड़े घर बैठे लोगोँ की जगह सक्रिय लोगोँ के लिए लड़ाई लड़ी जाये तो में हर तारीख पर इतना पैसा वहन करने के लिए तैयार हूँ और 400 में यदि 5000 का गुणा किया जाये तो 20 लाख हर तारीख पर बड़े आराम से आयंगे और इन फालतू लोगो की बातो का हम 400 लोगो को जबाब भी नहीं देना होगा, अगर और सक्रिय कार्यकर्ता जुड़ना चाहे तो में इस संख्या को में 2,000 भी कर सकता हूँ और फिर तो हमे केवल 1000-1000 रूपये ही हर तारीख को जताने होंगे और हमारे अवनीश जैसे कई साथियो को इन फालतू लोगो के लिए आमरण अनशन भी नहीं करना होगा। ............. टी.ई.टी संघर्ष मोर्चा जिंदाबाद जिंदाबाद आवाज दो हम एक हैँ.…………
टीईटी मामले की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई
ReplyDelete25 मार्च को
नई दिल्ली(ब्यूरो)।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार
को परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 72,825
सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति के
मसले की सुनवाई को उत्तर प्रदेश सरकार
की ओर से जवाब न पेश किए जाने पर टाल दिया।
सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकार को 25 मार्च
तक इस मसले पर जवाब दाखिल करने का निर्देश
दिया है।
याद रहे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों के
चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर किए जाने
का आदेश दिया था और बसपा सरकार में 30
नवंबर, 2011 को जारी हुए भर्ती विज्ञापन
को सही ठहराया। साथ ही मौजूदा सरकार के 31
अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द कर
दिया है।
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ
ने राज्य सरकार से कहा कि वह इस मसले पर होने
वाली अगली सुनवाई (25 मार्च) तक
टीईटी की अनिवार्यता व मेरिट के मसले पर दायर
याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल करे।
पिछली सुनवाई में प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के
आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। मगर पीठ ने
कहा था कि इस मसले पर
टीईटी की अनिवार्यता को लेकर पहले से एक
मसला पीठ के समक्ष लंबित है। ऐसे में अदालत
उस मसले के निपटारे तक रोक
नहीं लगा सकती है। अब राज्य सरकार
को दोनों ही मसलों पर अभ्यर्थियों की ओर से
दायर याचिका पर अगली सुनवाई तक जवाब
देना है।
अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट ने सहायक
अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया इस साल 31
मार्च तक पूरी करने का निर्देश दिया है। राज्य
सरकार ने शीर्षस्थ अदालत से अपनी याचिका में
कहा है कि अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द
करने और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के
शासनकाल में जारी किए गए नवंबर, 2011
को जारी भर्ती विज्ञापन को सही ठहराए जाने के
हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है। सपा सरकार
की ओर से 2012 में जारी किए गए शासनादेश में
टीईटी को मात्र अर्हता माना गया था और चयन
का आधार शैक्षणिक गुणांक कर दिया गया था।
नकल केआगेनतमस्तक
ReplyDeleteTue, 04 Mar 2014 11:47 AM (IST)
जागरण संवाददाता, अलीगढ़: सरकारी व्यवस्थाओं को धता बताते रहेमाफिया केआगेसरकारी तंत्र यूपी बोर्डपरीक्षा के पहलेही दिन नतमस्तक नजर आया। नकलके गढ़ अतरौली में सरकारीअमला गायब रहा। हाईस्कूल और इंटर की हिंदी की परीक्षा में नकल का खुला खेल देखने कोमिला। हालांकि पहले ही दिन हाईस्कूल और इंटर के21 हजार परीक्षार्थी परीक्षा से नदारद दिखे।
21 हजार ने छोड़ी परीक्षा
यूपीबोर्ड की परीक्षा के पहले ही दिन 21 हजार परीक्षार्थी परीक्षा की दौड़ से बाहर हो गए। परीक्षामेंहाईस्कूल के 92971 विद्यार्थी पंजीकृतहुए थे। सोमवार को पहली पाली में हिंदी की परीक्षा में17101 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। इसी तरह इंटर हिंदी कीपरीक्षा में करीब चार हजार परीक्षार्थी गायब रहे।
सच आया सामने
अवैध रूप से बढ़ी हुई संख्या को नकारते हुए आ रहे अधिकारियों के सामने वास्तविक छात्र संख्या आ ही गई। स्थानीय अधिकारियों की ओर सेदिए जा रहे आंकड़ों केअनुसार इंटर में 69,013 परीक्षार्थी थे, जबकि हाईस्कूल में 80,569। सोमवार को परीक्षामें 92971 विद्यार्थियोंका पंजीकरण सामने आया है। चार्ज लेने वाले नए डीआइओएस राजू राणा ने कहा है कि प्रकरण की जांच कराई जाएगी। जो दोषीहोगा उस पर कार्रवाई होगी।
माफिया का खेल
हाईस्कूल की पहलीपाली की परीक्षा सुबह साढे़ सातबजे शुरू हुई। परीक्षा मेंगड़बड़न हो, इसके लिए माफिया ने अपनी फील्डिंग पहले सेही तैयार कर ली थी। सरकारी गाड़ियों पर नजर रखने केलिए हर केंद्र से एक किलोमीटर पहलेहर रास्ते मेंमुखबिर लगा दिए गए थे। वे हर आने जानेवाली गाड़ी की खबर माफिया को देरहे थे।
साइलेंट नकल
किसी तरह का व्यवधान न पडे़, इसकेलिए साइलेंट नकल का जुगाड़ किया गया। परीक्षा केंद्रों में इमला बोलकर नकल कराई गई। गाड़ी आने की सूचना पर नकल सामग्री को गायब कर दियाजाता था। परीक्षा के दौरान निरीक्षण भी होतातो परीक्षार्थियों की कलमवहीं पर रुक जाती। सचलदल केजाते ही फिर से नकल का खेलशुरू हो जाता।
अतरौली ही नहीं और भी
अतरौली केसाथ इगलास व गौंडा क्षेत्र मेंभी जमकर नकल हुई। यहां तो कुछ सहायता प्राप्त विद्यालयों मेंभी खिड़की से लटकर लोग सामग्री अंदर फेंकतेहुए नजर आए।
........
गुरुजी तनिक धीरे
दादों क्षेत्र केएक केंद्र में कक्ष निरीक्षक ही इमला बोलकर नकल करा रहे थे। वहां कुछ ऐसे भीपरीक्षार्थी थे, जो लिख नहीं पा रहे थे। जैसे ही गुरुजीने एक लाइन बोली, तुरंत आवाज आती गुरुजी तनिक धीरे। कुछ परीक्षार्थी ऐसेभीथे, जो बिल्कुल भी नहीं लिख पा रहे थे। उनके लिए मॉडल पेपर पर निशान लगाया गया।
मुझेदेश की फ़िक्र है , पर मैं सत्य मेव नही देखता , पर देखने लगूंगा अगर आमिर खान -1. वन्दे मातरमऔर भारतमाता के जयकारे लगवा दे....... 2. बुर्का प्रथा बंद करवादे.... 3. औरतो को मस्जिद में जाने का अधिकार दिलवा दे.... 4. गौ हत्या बंद करनेकी अपील करे...... 5. लवजिहाद बंद करवा दे...... 6. common civil code का समर्थन करे....... 7. फतवेबंद करवा दे,.......
ReplyDeletehc me avmanna dakhil kar apne aap ko majboot banaya ja sakta hai tatha samay ka sadupayog kia ja sakta hai..jo future ko secure karta hai
ReplyDeletehc me avmanna dakhil kar apne aap ko majboot banaya ja sakta hai tatha samay ka sadupayog kia ja sakta hai..jo future ko secure karta hai
ReplyDeleteरोहित ,प्रभात और चिराग कोचिंग से लौट रहे थे .
ReplyDeleteप्रभात की नज़र तभी सुनसान पड़ें खाली प्लॉट में चार लड़कों से घिरी मदद के लिए पुकारती लड़की पर गयी .
प्रभात ने अपना बैग कंधें से उतार कर सड़क पर फेंका और ''मेरी बहन को छोड़ दो कमीनों '' कहता हुआ उसी दिशा में दौड़ पड़ा .
रोहित और चिराग प्रभात की बात सुनकर अपना बैग वहीँ फेंककर उसके पीछे दौड़ पड़े .
तीन लड़कों को गुस्से में दौड़कर अपनी ओर आते देख वे चारों लडकें लड़की को छोड़कर भाग लिए .
उनमे से केवल एक ही को प्रभात पकड़ पाया और फिर वही पहुंचे रोहित व् चिराग ने उसकी जमकर लातों -घूसों से खातिरदारी कर दी .
वो भी किसी तरह खुद को छुड़ाकर भाग निकला .
प्रभात को उस पीड़ित लड़की से उसका नाम-पता पूछते देखकर चिराग ने प्रभात से पूछा -''तू तो ये कहकर भागा था मेरी बहन को छोड़ दो ...
ये तेरी बहन नहीं है ...
यूँ ही अपने साथ हमारी जान भी दांव पर लगा दी!!''
प्रभात मुस्कुराता हुआ बोला -'' मैं ऐसा न करता तो तुम बहाना बनाकर निकल लेते और हम भाइयों के होते एक बहन की अस्मत लुट चुकी होती .''
रोहित प्रभात की बात सुन मुस्कुराता हुआ बोला -
'' कुछ भी कहो ..मुझे भगवान ने कोई बहन नहीं दी थी आज प्रभात के कारण एक बहन मिल गयी .''
रोहित की बात सुनकर प्रभात ने उसे गले लगा लिया और पीड़ित लड़की की आँखे भर आई ....
दोस्तो अगर आपके सामने भी ऐसा कुछ हो तो इन्सानियत के नाते आपका फर्ज बनता है कि आप लडकियोँ की जरूर मदद करेँ..
" रिश्ते चाहे कितने भी बुरे क्यों न हो
ReplyDeleteजहाँ तक हो सके उन्हें मत तोड़ना "
" क्योंकि पानी चाहे कितना भी गंदा हो
प्यास नही तो आग तो बुझाता ही है.
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I miss you when am sad,
Cause you always made me smile..
I miss you when am Happy,
Cause we always shared our joys..
I miss you when am angry ..
because you always claimed me down.
I miss you all the time ..
because you are still my everything..!!!
टेट संघर्ष मोर्चे के एक बड़े हिस्से द्वारा, (जिनमें से कई मूर्ख ऐसे भी हैं जो अपने आपको उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के जजों एवं सीनियर काउंसिलों से बड़ा विधिवेत्ता समझने में ही अपने आपको धन्य समझते हैं) अमरेन्द्र शरण जी को इंगेज किये जाने का विरोध किया गया था,,,,,, लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि शरण साहब हमारे एक साथी के रिश्तेदार हैं और 1,85,000 में पूरा मुकदमा लड़ेंगे मैंने लखनऊ में हुई मीटिंग में उनका समर्थन किया था जिसके बाद नेतृत्व के किसी भी हिस्से ने शरण साहब को hire किये जाने का विरोध नहीं किया गया,,,,,,,
ReplyDeleteलेकिन अब हालात बदल चुके हैं,,,25 और उसके बाद लगातार या बहुत कम अंतराल पर पड़ने वाली एक या दो तारीखों में फैसला रिजर्व या डिलीवर हो जाने की उम्मीद है,,,,
ReplyDeleteयह तो स्पष्ट हो ही चुका है कि पहले लार्जर बेंच के निर्णय के विरुद्ध हुई अपील पर बहस होगी जिसमे इससे भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना यह होगी कि उत्तर प्रदेश सरकार मूकदर्शक रहेगी और लार्जर बेंच में दिए अपने तर्कों पर मजबूरी में ही सही लेकिन सहमति देगी और उसके तुरंत बाद हमारे मामले पर बहस होगी ।
लार्जरबेंच के निर्णय पर SC की मुहर लगने के बाद बहस में ना तो टेट मेरिट के आधार पर चयन के विरुद्ध बोले जाने की कोई गुंजाइश बचेगी और ना ही एकेडमिक से चयन के पक्ष में,,,,,, लेकिन ट्रेनी टीचर,ओल्ड एड की फीस वापसी,15th संशोधन के आधार पर नियुक्त हो चुके अभ्यर्थियों के हितों और सचिव द्वारा जारी विज्ञापन की वैधता पर जोरदार बहस होने से कुछ छाद्म्विधिवेत्ता नहीं रोक सकेंगे,,,,, इस बहस के लिए ना सिर्फ दो तेजतर्रार अधिवक्ताओं की हमारे पक्ष में मौजूदगी आवश्यक है बल्कि उनको मामले के सभी पहलुओं से अवगत कराना भी आवश्यक है ,,,,,
ReplyDeleteअब हमें लगातार तीन सुनवाइयों के लिए वकीलों की फीस का प्रंबंध करना है और इसके लिए यह आवश्यक है की वकीलों की संख्या घटाई जाए,,,,टेट मेरिट आर्थिक संकट का सामना करने वाली है,,,,, चूँकि निर्णायक सुनवाइयों में खड़े होने के लिए फिलहाल अमरेन्द्र शरण जी के यहाँ से 1,75,000 की माँग आई हैै,,,,, किफायत बरतने के उद्देश्य से दूसरों को अपने पसंदीदा वकीलों को हटाने की सलाह देने से पहले मेरा यह कर्तव्य है कि टेट मेरिट चाहने वालों के हितों को वरीयता देते हुए सबसे पहले मैं अपने पसंदीदा वकील को withdraw करूँ जोकि मैं कर रहा हूँ ,,, टेट मेरिट से बड़ा कोई नहीं है और ना ही कोई उससे ऊपर है ,,,, चाहे वो कोई भी हो...
ReplyDeleteab sab tet pass ko ek jut hone ka time aa gaya hai..sarkar ki mansa kucch aur hai paisa khao becoof banao..agar sarkar bharti chahti to tet aur acd dono add se bharti kar sakti thee lekin usne aisa nahi kia ye future k saath khel rahi hai.vote k chakkar me eski gand fadni hi hogi nahi ye hamari fad degi savdhan ho jai ..abhi tet pass walo k pass time hai
ReplyDeleteab sab tet pass ko ek jut hone ka time aa gaya hai..sarkar ki mansa kucch aur hai paisa khao becoof banao..agar sarkar bharti chahti to tet aur acd dono add se bharti kar sakti thee lekin usne aisa nahi kia ye future k saath khel rahi hai.vote k chakkar me eski gand fadni hi hogi nahi ye hamari fad degi savdhan ho jai ..abhi tet pass walo k pass time hai
ReplyDeleteab sab tet pass ko ek jut hone ka time aa gaya hai..sarkar ki mansa kucch aur hai paisa khao becoof banao..agar sarkar bharti chahti to tet aur acd dono add se bharti kar sakti thee lekin usne aisa nahi kia ye future k saath khel rahi hai.vote k chakkar me eski gand fadni hi hogi nahi ye hamari fad degi savdhan ho jai ..abhi tet pass walo k pass time hai
ReplyDeleteUPON hearing counsel the Court made the following
ReplyDeleteO R D E R
List the matters on Tuesday, the 25th
March, 2014 as first item subject to overnight
part-heard.
In the meanwhile, parties may exchange the
affidavits.
SLP(C)No...../2014 (CC4107 of 2014) may
also be listed along with these matters on the next
date.
यह हमारे केस के आर्डर का अंतिम और महत्वपूर्ण अंश है|
यानी २५ तारीख को लगातार हमारे केस की सुनवाई होगी, और यह एक लिखित आर्डर है इस पर तो विस्वास करना ही होगा| सबसे अच्छी बात ये है की सबसे पहले इसकी सुनवाई होगी| इस कारन समय की कमी होने की संभावना अत्यंत ही अल्प है|
कल से कुछ गधे शेर की खाल ओढ़कर हमारे बीच बैठकर हमारे साथियों को उल्टा-सीधा कहने की हिमाकत कर रहे हैं,अफसोस की बात तो ये है कि अपने कुछ साथी आवेश मे आकर उनका प्रतिरोध करने के बजाय उन्ही के सुर मे सुर मिला रहे हैं।हमारे अग्रणी साथी नेता कब से हो गए?क्या उनको दो तनख्वाह मिलेगी?एक दिन के आंदोलन मे जाना हो या दो दिन रूक जाना पड़े तो सबका रोजगार छूटने लगता है,परिवार नाराज होने लगता है,उनके पास परिवार नहीं है?आप मे भी आगे बढ़कर कार्य करने की क्षमता हो,लोग आपके नेतृत्व मे विश्वास करते हों,आप इनसे बेहतर कर सकते हों तो आगे बढ़िए आपको रोकने की हिमाकत कोई नहीं कर सकता है,हम सभी बेहतर करने वाले के साथ हैं,ये हम सभी के नौकरी के साथ ही जिंदगी का सवाल है,कुछ भी इसके आड़े नहीं आएगा,और यदि इनसे बेहतर करने की क्षमता नहीं है तो अनर्गल प्रलाप बंद करके इनका हौसला आफ़जाई करिए।आप खुद ही सोचिए आप ने इन्हे आगे कर दिया दुश्मन सीने पर वार कर रहा है और उसकी डेट लेने की चाल कामयाब होने पर उसे मुंहतोड़ जबाब देने के बजाय साथियों पर ही हमला कर रहे हैं।जज़ ने 3 मार्च को फाइनल करने को कहा था आप जिम्मेदारी लिए होते तो क्या कोई कोरकसर छोड़ते,जज़ चाहता तो क्या समय से अपना केस लग नहीं गया था?बंहस हो गई होती तो?पैसा होते हुए बेहतर व्यवस्था न करने का आरोप लगाकर पैसा खाने वाला कहकर गाली नहीं देते?मान लिया कुछ मतभेद थे लेकिन बेहतर वकील करने का प्रयास कोई अपने घर के केस के लिए किया था क्या?आवेश मे आकर अपने ही साथियों का मनोबल तोड़कर खुद के पांव में कुल्हाड़ी मारना कहाँ की बुद्धिमत्ता है?पैर पर कुल्हाड़ी मारना हो या मनोबल तोड़ना हो तो जो आपकी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है,जी जान से उसे निशाना बनाइए,समय आ रहा है।क्या हमारा संकल्प यही था कि एक झटके में टूटकर बिखर जाएंगे?हम तो अपने जनपद के साथियों के साथ अंतिम दम तक सहयोग करेंगे लेकिन साथ ही नेतृत्वकर्ता साथियों से शर्त रखना चाहेंगे या कहिए आग्रह करना चाहेंगे कि निःशुल्क सेवा कर रहे वकीलों के साथ ही एक या दो मुंहतोड़ जबाब देने मे सक्षम शुल्कवाले वकील ही रखें जिससे विपरीत परिस्थिति में भी हमे बहुत अधिक परेशानी न हो।मित्रों ये समय की मांग है,आगे बढ़िए,एक दूसरे का उत्साह बढ़ाइए,100 वार में टूटने वाली बाधा पर 98 वार करके 2 वार के लिए हिम्मत हारने के बजाय कई गुना जोश के साथ वार कीजिए।
ReplyDeleteजय टेट,
जय हिंद।
If you really love someone then love them truly,madly,deeply...
ReplyDeleteAnd if your not then...Don't play with emotions and feelings of them because...
A broken heart is like broken ribs...
You can't see the damage but every breath hurts...!!
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The best feeling is when you look at him and she is already Looking.
आज पुनः मै अपने भाइयों , बहनों और मित्रों को विचलित
ReplyDeleteहोता हुआ देख रहा हूँ
मगर मेरे चेहरे पर कोई शिकन नहीं है क्योंकि मुझे अंतिम
निर्णय जो होना है वह साक्षात् दिखाई पड़ रहा है।
कल जो कुछ हुआ इससे किसी पर आरोप
नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि हम सब पीड़ित बेरोजगार
हैं कोई मुकदमेबाज नहीं हैं।
यह सरकार हम लोग को मुकदमेबाज बना डाली है
अतः किसी रणनीति में चूक होना कोई बड़ी बात नहीं है।
हमारे साथी हाई कोर्ट के आदेश की सुरक्षा के लिए
कृतसंकल्पित हैं अतः अपनी सर्वोच्च शक्ति को सामने
लाते हैं।
हर कोई धन अपव्यय से चिंतित है लेकिन किसी पर आरोप न
लगाया जाये ।
मुझे सुजीत , अनिल, नवीन , अलोक
राजीव एवं अवनीश व पाठक पर पूरा भरोसा है।
सब एकजुट होकर कार्य करें , सफलता सुनिश्चित है।
सब मिलकर अब अवमानना निकालने के विषय में विचार कर
लें जो उचित लगे उस कार्य को अंजाम दें।
३१ मार्च का हमारी भर्ती से कोई लेना-देना नहीं है।
बेरोजगार बिलकुल न घबराएं ।
हमारी हार हो ही नहीं सकती है।
धन्यवाद।
Justice BS Chauhan ne ye saaf
ReplyDeletekaha hai ki Non TET ke case hamse
related hai aur use decide kiye bina
hamari merit tay nahi ho sakti..
MAIN APKO BATA RHA HUN KITNE CANDIDATES 2011 ME PASS HUE HAI YE HAI AKHIRI SANSODHAN KA RESULT ( Ye hai original TET DATA HINDUSTAN PAPER)
ReplyDelete135-140=34
134-131 =168
130 -128 =342
127 -125 =1074
124 -120 =3750
119 -115 =5000
114 -110 =6240
109 -105 =7900
104 -100= 8800
99 -95 =10000
total=43308
94 -90 =17500
83 -89= 148918
महत्त्वपूर्ण चर्चा:
ReplyDeleteआप सब भाइयों , बहनों के मन में एक बात आती होगी कि मै
कोर्ट की प्रक्रियाओं से कभी भयभीत क्यों नहीं होता हूँ।
मै कोई घमंड की बात नहीं कर रहा हूँ लेकिन मुझे उत्तर
प्रदेश में हुयी समस्त शिक्षक भर्तियों का कोर्ट कार्यकाल
याद है।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बलबीर सिंह चौहान ने
जिन विवादों में टीईटी शब्द का प्रयोग था उसे देखा जाये
तो बंच कर दिया है ।
जैसे : नॉन टीईटी एसबीटीसी, नॉन टीईटी बीटीसी , नॉन
ReplyDeleteटीईटी मृतक आश्रित , टीईटी मेरिट और टीईटी उत्तीर्ण
शैक्षिक मेरिट आदि।
आपकी नजर में इसे बंच करना जरुरी नहीं है और मेरी नजर में
अगर मै स्वार्थी हो जाऊँ तो जरुरी नहीं है
परन्तु सत्य यह है कि इसे बंच करना कोर्ट की नजर में
अच्छा कदम हो सकता है।
बीएड उत्तीर्ण करके वे बेचारे २००८ से प्रशिक्षण प्राप्त
करने के बावजूद भी बेरोजगार हैं।
दिसम्बर २०११ से प्रारंभ आपकी पीड़ा उनकी पीड़ा से
बढ़कर नहीं है।
मैंने एकल बेंच से नॉन टीईटी का मामला देखा है और डिवीज़न
ReplyDeleteबेंच में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और अभिनव उपाध्याय ने
नॉन टीईटी के पक्ष में आदेश सुनाया था।
मै उस आदेश से संतुष्ट था।
इस लिए जब अपना मामला न्यायमूर्ति महापात्रा के बाद
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बेंच में गया तो मै खुश था।
मैंने परेशान लोगों से कहा था कि आप लोग घबरायें नहीं , हम
लोग जीत जायेंगे।
आपने देखा कि नॉन टीईटी के पक्ष में फैसला सुनाने वाले
जज ने २० नवम्बर २०१३ को टीईटी मेरिट के पक्ष में
फैसला सुनाया।
अगर आपको फुर्सत मिले तो नॉन टीईटी का एकल बेंच और
ReplyDeleteडिवीज़न बेंच का आदेश पढिये।
एकल बेंच में नॉन टीईटी को एसबीटीसी नाम के कारण राहत
नहीं मिली ।
डिवीज़न बेंच में अशोक भूषण साहब ने एसबीटीसी शब्द
की बजाय बीएड शब्द का प्रयोग
किया क्योंकि एसबीटीसी कहने से वह बीटीसी के समतुल्य
एकल बेंच में हो गया था और राहत न मिल सकी थी।
बीटीसी मात्र एक प्रशिक्षण है उसके लिए
रिक्ति प्रशिक्षण के समय निर्धारित नहीं होती है
जबकि एसबीटीसी की नियुक्ति सुनिश्चित थी एवं उनके लिए
पद सृजित था।
अतः RTE लागू होने बाद उनके ऊपर नियुक्ति में
ReplyDeleteटीईटी प्रभावी नहीं होगी।
नियमावली में संशोधन १६ के कारण नॉन टीईटी वाले
७२८२५ में बांधा बन रहे थे इसलिए श्री अशोक भूषण ने
उसे रद्द करके नॉन टीईटी का दुष्प्रभाव अपनी भर्ती से
समाप्त किया।
सुप्रीम कोर्ट में बीटीसी को टीईटी से छूट
ReplyDeleteनहीं मिलेगी इसलिए शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण
भी बीटीसी का है अतः उनको बिना टीईटी पास किये
नियुक्ति नहीं मिलेगी। इनका प्रशिक्षण भी विवादों के घेरे में
लंबित है।
मृतक आश्रित को भी सुप्रीम कोर्ट राहत बीटीसी के
प्रशिक्षण प्राप्त करने के आधार पर नहीं देगी।
एसबीटीसी को टीईटी से राहत मिलेगी ।
७२८२५ पदों पर टीईटी मेरिट की विजय पताका फहरेगी।
१.९८ लाख पद टीईटी उत्तीर्ण लोगों से भरने की नौबत
आयेगी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने २.७ लाख पद बताकर इंसाफ
ReplyDeleteऔर न्याय को एक नयी परिभाषा दी है।
अवमानना निकालने के विषय में शीर्ष नेतृत्व चर्चा कर ले
तदुपरांत उचित कदम उठाया जाये।
-धन्यवाद।
चाणक्य के 15 अमर वाक्य
ReplyDelete1)"दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी।"
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।"
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए।"
4) "हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह कड़वा सच है।"
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।"
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है।"
8)"काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।"
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।"
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ।"
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं। "
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे। समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं।"
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो। छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो। सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो। आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।"
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।"
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं।
उच्च न्यायालय में सरकार के विरुद्ध contempt of court की कार्यवाही प्रारम्भ करने या ना करने को लेकर कल से ही विभिन्न प्रकार के विचार हमारे साथियों द्वारा व्यक्त किये जा रहे हैं इसलिए यह आवश्यक है कि इस सम्बन्ध में सभी पहलुओं पर विचार करके स्पष्ट घोषणा की जाए ,,,,,
ReplyDeleteनिजी रूप से मेरा मानना है ना तो contempt से हमें कोई लाभ होगा और ना ही कोई हानि,,,,, अगर contempt फ़ाइल करने से किसी पूर्ण बहुमत सरकार की इच्छा के विरुद्ध उसके अधीन 72825 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो सकती तो अब तक आप स्कूलों में होते,,,,contempt फ़ाइल करने पर ज्यादा से ज्यादा ये होगा कि कोर्ट सरकार को धमकी भरा एक नोटिस जारी कर देगा और सी बी यादव के कोर्ट में जाकर मामला sc में होने का हवाला देने पर अवमानना कोर्ट उनसे sc से स्टे लाने या नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने में से एक विकल्प चुनने को कह देंगे...... फिर भी अगर किसी को contempt फ़ाइल करना ही हो तो शौक से करे ,,,,,,,contempt से रुपयों के सिवाय और किसी प्रकार की हानि नहीं होगी लेकिन आज रुपयों की ही हानि ही हम नहीं झेल सकते, ,,,,,
ReplyDeleteजितने भी लोग contempt फ़ाइल करने की सलाह दे रहे हैं इलाहाबाद में मौजूद किसी पैरवीकार के खाते में वकील की फीस डाल दें उनकी तमन्ना पूरी कर दी जायेगी,,,,,
ReplyDeleteHow can i help....
ReplyDeleteसभी टेट मैरिट की सुरक्षित और संयमित विजय के लिए अपने अहम को छोड़कर एक मंच पर आकर संघर्ष करे तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे
ReplyDeleteGOOD NIGHT 8923003803
Dear All
ReplyDeleteWe need Correct answer .
A. He is learning Chinese language.
B. He is learning the Chinese language.