मोंटेक ने शौचालयों पर खर्च को जायज बताया
Montek Singh Ahluvalia (Vice President Planing Commission of India ) have no problem on expenditure of Rs 35 Lakh on Toiletsनई दिल्ली। दो शौचालयों की मरम्मत पर 35 लाख रुपये के खर्च को योजना आयोग ने जायज ठहराया है। बुधवार को आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि यह नियमित मरम्मत व रखरखाव का हिस्सा था। उनके मुताबिक, इस खर्च को फिजूलखर्ची बताना दुर्भाग्यपूर्ण है।
आयोग ने कहा कि मरम्मत पर खर्च किए गए 30 लाख रुपये की जानकारी पूरी तरह सही है, लेकिन यह खर्च केवल दो शौचालयों पर करने की बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। अहलूवालिया ने कहा कि यह खर्च दो शौचालयों पर नहीं, बल्कि 50 वर्ष पुरानी योजना भवन की इमारत के दो शौचालय ब्लॉक के आधुनिकीकरण व मरम्मत पर किया गया है। उन्होंने कहा कि इन ब्लॉकों में पाइप मरम्मत के साथ ही बिजली का काम भी कराया गया है। एक्सेस सिस्टम पर मोंटेक ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से पहले इसे महिला शौचालय के लिए सोचा गया था, लेकिन बाद में इस योजना को बंद कर दिया गया।
आरटीआइ के जवाब में आयोग ने बताया था कि योजना भवन के दो शौचालयों के डोर एक्सेस कंट्रोल सिस्टम पर पांच लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं।
आयोग ने कहा कि नियमित मरम्मत व रखरखाव को गैरजरूरी खर्च बताना दुखद है। इससे पहले कई बार शौचालयों में चोरी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं। इसके लिए पहले भी एक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम को आजमाया गया था, लेकिन वह व्यवहारिक नहीं था। लिहाजा, इस बार स्मार्ट कार्ड वाला सिस्टम लगवाया गया। आयोग ने दलील दी है कि ये शौचालय सार्वजनिक हैं, न कि सिर्फ योजना भवन के अधिकारियों और सदस्यों के लिए।
कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि सरकारी धन आखिरकार जनता का ही पैसा है। लिहाजा, इसे खर्च करते समय एहतियात बरती जानी चाहिए। शौचालयों पर हुए खर्च के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में आयोग ही जवाब दे सकता है।
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि योजना आयोग ने कहा था कि रोज 32 रुपये से ज्यादा कमाने वाला गरीब नहीं है। इसी आयोग ने दो शौचालयों की मरम्मत पर 35 लाख रुपये खर्च कर डाले। सरकार की खर्च कटौती और मितव्ययिता की घोषणाओं का क्या हुआ?
News Source : Jagran.com (6.6.12)