Anudeshak Samvida Teacher Recruitment UP : अनुदेशक भर्ती में फर्जीवाड़ा
कला शिक्षण के बाद स्वास्थ्य शिक्षा व कार्यानुभव शिक्षा में भी मिले संदिग्ध प्रमाण पत्र
इलाहाबाद (ब्यूरो)। प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालेयों में शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए संविदा अनुदेशकों की भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आया है। कला शिक्षण में फर्जी डिग्री हासिल करके आवेदन करने वालों का मामला सामने आने के बाद अब स्वास्थ्य शिक्षा तथा कार्यानुभव शिक्षा में अनुदेशकों की भर्ती में भी फर्जी बीपीएड/डीपीएड के साथ आईटीआई एवं होम साइंस में फर्जी डिग्री लगा अभ्यर्थियों ने मेरिट में जगह पा ली है। संविदा अनुदेशकों के पदों पर नियुक्ति के लिए फरवरी-मार्च में आवेदन मांगा गया था।
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से मेरिट जारी होने और पहले चरण की काउंसिलिंग के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को बड़ी संख्या में सिक्किम व मेघालय के विवि से जारी डिग्री मिली। इलाहाबाद में इतने बड़े पैमाने पर एक ही विवि की डिग्री मिलने का मामला सामने आने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में भी एलर्ट जारी किया है। आरंभिक जांच में कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी में इस प्रकार के मामले सामने आए हैं। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से भी बीएसए को फर्जी डिग्री लगाने वालों पर अंकुश लगाने की बात कही गई है। इलाहाबाद में कला शिक्षण से जुड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद स्वास्थ्य शिक्षा तथा कार्यानुभव शिक्षा के प्रमाण पत्रों की जांच में भी फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। इसमें बड़ी संख्या बीपीएड, डीपीएड एवं आईटीआई के प्रमाण पत्र ऐसे संस्थान से जारी हो गए हैं जो पहली ही नजर से देखने में फर्जी लगते हैं। इन प्रमाण पत्रों को हासिल कर मेरिट में जगह बनाने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों को संदिग्ध मानने वाले अधिकारी भी जांच के बाद कार्रवाई की बात कर रहे हैं। बीएसए इलाहाबाद पीके शर्मा का कहना है कि काउंसिलिंग के बाद सभी प्रमाण पत्रों की जांच संबंधित संस्थानों से कराई जाएगी। इसके बाद ही कोई कार्रवाई संभव होगी।
News Sabhaar : Amar Ujala
सभी प्रकार के रोगों की दवा दूध
ReplyDelete(Milk Solution Of All Diseases)
दूध पुराने समय से ही मनुष्य को बहुत
पसन्द है। दूध को धरती का अमृत कहा गया है।
दूध में विटामिन `सी´ को छोड़कर शरीर के
लिए सभी पोषक तत्त्व यानि विटामिन हैं।
इसलिए दूध को पूर्ण भोजन माना गया है।
सभी दूधों में माता के दूध को श्रेष्ठ
माना जाता है, दूसरे क्रम में गाय का दूध
है। बीमार लोगों के लिए गाय का दूध
श्रेष्ठ है। गैस
तथा मन्दपाचनशक्ति वालों को सोंठ,
इलायची, पीपर, पीपरामूल जैसे पाचक मसाले
डालकर उबला हुआ दूध पीना चाहिए। दूध
को ज्यादा देर तक उबालने से उसके पोषक
तत्व कम हो जाते हैं और दूध
गाढ़ा हो जाता है।
दूध को उबालकर उससे मलाई निकाली जाती है।
मलाई गरिष्ठ, शीतल (ठण्डा), बलवर्धक,
तृप्तिकारक, पुष्टिकारक, कफकारक और
धातुवर्धक है। यह पित, वायु, रक्तपित एवं
रक्तदोष को खत्म करती है। गुड़ डाला हुआ
दूध मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) को खत्म
करता है, यह पित्त और बलगम को बढ़ाती है।
सुबह का दूध विशेषकर शाम के दूध
की तुलना में भारी व ठण्डा होता है। रात
में पिया हुआ दूध बुद्धिवर्द्धक,
टी.बी.नाशक, बूढ़ों के लिए वीर्यप्रद
आदि दोषों को खत्म करने वाला होता है।
खाने के बाद होने वाली जलन को शान्त करने
के लिए रात में दूध पीना चाहिए।
दूध ज्यादा जलन वालों, कमजोर शरीर वालों,
बच्चों, जवानों और बूढ़ों सभी के लिए
अत्यन्त लाभकारी है। यह जल्दी ही वीर्य
पैदा करती है। भैंस के दूध में
चर्बी की मात्रा होने से वह पचने में
भारी रहता है। `चरक´ के अनुसार गाय का दूध
स्वादिष्ट, शीतल (ठण्डा), कोमल, भारी और मन
को खुश करने वाला होता है।
बकरी का दूध कषैला, मीठा, शीतल, मन
को रोकने वाला तथा हल्का होता है। यह
रक्तपित्त, अतिसार (दस्त), क्षय (टी.बी.),
खांसी तथा बुखार को दूर करता है।
बकरियां कद में छोटी होती हैं और तीखे व
कड़वे पदार्थ सेवन करती हैं, पानी कम
पीती है, मेहनत अधिक करती हैं। अत:
उनका दूध सारे रोगों को खत्म करता है।
स्वस्थ बकरी का दूध ज्यादा निरोग
माना जाता है। गाय के दूध की तुलना में
बकरी का दूध जल्दी पचता है। अत: छोटे
बच्चों के लिए यह लाभकारी है।
स्त्री का दूध हल्का, ठण्डा, जलन एवं वायु,
पित, आंखों के रोग और ‘शूलनाशक है। यह नाक
से सूंघने से तथा आंखों में डालने के लिए
गुणकारी है।
अलग-अलग प्राणियों के दूध की अलग-अलग
विशेषताएं हैं। भैंस का दूध निद्राकारक
(नींद लाने वाला) है। बकरी का दूध खांसी,
अतिसार (दस्त) और बुखार को दूर करता है।
भेड़ का दूध गर्मी और पथरी को दूर करता है।
घोड़ी का दूध गर्म और बलकारी होता है।
ऊंटनी का दूध जलोदर (पेट में पानी भरना)
को मिटाता है। गधी का दूध
बच्चों को शक्ति प्रदान करता है, और दिल
को मजबूत बनाता है यह खांसी में
भी ज्यादा लाभकारी है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार-दूध
ReplyDeleteपाचक, दिल-दिमाग को खुश करने वाला, शरीर
को कोमल तथा मजबूत बनाने वाला, शरीर
की रौनक बढ़ाने वाला, बुद्धिवर्द्धक एवं
अर्श (बवासीर), क्षय (टी.बी.) और बुढ़ापे
की बीमारियों में लाभकारी है।
दुग्धकल्प और दुग्ध आहार : दूध एक
सम्पूर्ण आहार होता है। इसमें सभी आवश्यक
तत्व उपस्थिति होते हैं। सभी दूधों में
भी गाय का दूध सर्वाधिक लाभदायक होता है।
बशर्तें गाय को आहार अच्छा दिया जाए और
दूध दुहने में स्वच्छता बरती जाए यदि गाय,
भैंस और बकरी स्वस्थ है तो सीधे थन से
ही अथवा एक उबाल का दूध पीना चाहिए।
दूध आहार और दुग्धकल्प में थोड़ा अन्तर
है। दूध आहार में दूध के साथ अन्य आहार
भी लिया जाता है किन्तु दुग्धकल्प में
सिर्फ दूध ही पिया जाता है, वह
भी योजनाबद्ध तरीके से।
1 : शिशु शक्तिवर्धक
बच्चे बड़े होने पर कमजोर हो या उन्हें
सूखा रोग (रिकेटस) हो तो उन्हें दूध में
बादाम मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
2 : शक्तिवर्धक
आधा किलो दूध में 250 ग्राम गाजर
को कद्दूकस से छोटे-छोटे पीस करके उबालकर
सेवन करने से दूध जल्दी हजम हो जाता है।
दस्त साफ आता है व दूध में लोहे
की मात्रा अधिक हो जाती है।
3 : स्त्रीप्रसंग के बाद
की कमजोरी
स्त्री प्रसंग करने के बाद एक
गिलास दूध में 5 बादाम पीसकर मिलाएं और
इसमें 1 चम्मच देशी घी डालें और पी जाएं।
इस प्रयोग से बल मिलता है। नामर्दी दूर
करने के लिए सर्दियों के मौसम में दूध में
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर डालकर
पीना चाहिए।
4 : अम्लपित्त
जिन्हें अम्लपित्त (पेट से कंठों तक जलन)
हो, उन्हें दिन में 3 बार ठण्डा दूध पीने
से लाभ होता है।गाय या बकरी के दूध
का प्रयोग करना चाहिए। भैंस के दूध
का सेवन हानिकारक होता है, इसलिए
इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
आधा गिलास कच्चा दूध, आधा गिलास पानी, 2
पिसी हुई छोटी इलायची मिलाकर सुबह पीने
से अम्लपित्त में लाभ होता है।
5 : थकान
थकावट दूर करने के लिए 1 गिलास गर्म दूध
सेवन करना चाहिए।
6 : होठों का सौन्दर्य
1 चम्मच कच्चे दूध में थोड़ा-सा केसर
मिलाकर होंठों पर मालिश करने से
होंठों का कालापन दूर होकर रौनक बढ़ती
7 : चेहरे का सौन्दर्य
ReplyDeleteचेहरे पर से झांई, मुंहासे और दाग-धब्बे
हटाने के लिए रात को सोने से पहले गर्म
दूध चेहरे पर मलें, फिर आधे घंटे के बाद
साफ पानी से धोयें इससे चेहरे
की सुन्दरता बढे़गी, दूध की झाग चेहरे पर
मलने से दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं।
चेहरे पर झांई, कील, मुंहासे, दाग, धब्बे
दूर करने के लिए सोने से पहले गर्म दूध
चेहरे पर मले, चेहरा धोएं। आधा घंटे बाद
साफ पानी से चेहरा धोएं। इससे चेहरे
का सौन्दर्य बढ़ेगा। चेहरे के धब्बों पर
ताजे दूध के झाग मिलने से धब्बे मिट जाते
हैं। सोते समय चेहरे पर दूध की मलाई लगाने
से भी कील-मुहांसे तथा दाग-धब्बों पर
ताजे दूध के झाग मलने से धब्बे मिट जाते
हैं।
8 : खुजली
दूध में पानी मिलाकर रूई के फाहे से ‘शरीर
पर रगड़ने के थोड़ी देर बाद स्नान करने से
खुजली मिट जाती है।
9 : आधासीसी का दर्द
सूर्योदय (सुबह सूरज उगने से पहले) से
पहले गर्म दूध के साथ जलेबी या रबड़ी खाने
से आधाशीशी (आधे सिर के दर्द) का दर्द दूर
हो जाता है।50 ग्राम बकरी के दूध में लगभग
50 ग्राम भांगरे के रस को मिलाकर धूप में
गर्म होने के लिए रख दें। अब इस मिले हुए
दूध में लगभग 5 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण
को मिलाकर सिर में मलने से आधे सिर
का दर्द दूर हो जाता है। सूरज के उगने से
पहले दूध के साथ गर्म-गर्म जलेबी खाने से
आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द दूर
हो जाता है।
10 : आंखों के रोग
आंखों में चोट लगी हो, जलन हो रही हो,
मिर्च-मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर
गया हो या दर्द होता हो, तो रूई के फाहे
को दूध में भिगोकर आंखों पर रखने से आराम
मिलता है। दूध की 2 बूंदे दूध आंखों में
भी डालने से भी लाभ होता है।
11 : आंखों में अवांछित चीज गिर जाना
आंखों के अन्दर तिनका या कोई चीज गिर जाए
और वह निकल न रहा हो तो आंख में दूध की 3
बूंदे डालें। दूध की चिकनाहट से अवांछित
चीज आंख से बाहर निकल जाएगी।
12 : सांस की नली के रोग
दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें
चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से सांस
की नली के रोग जैसे खांसी, जुकाम, दमा,
फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग
दूर होते हैं।
13 : वीर्य की पुष्टता
सुबह नाश्ते में 1 केला, 10 ग्राम
देशी घी के साथ खाकर ऊपर से दूध पी लें।
दोपहर के बाद 2 केले, लगभग 30 ग्राम खजूर,
1 चम्मच देशी घी खाकर ऊपर से दूध पीयें।
ऐसा रोजाना करने से ‘शरीर में वीर्य
की मात्रा बढ़ जाती है।
14 : मूत्राशय के रोग
मूत्राशय के रोग में दूध में गुड़ मिलाकर
पीने से लाभ होता है।
15 : बच्चों के दांत गलना
बच्चों को दूध पिलाने के बाद थोड़ा-
सा पानी पिलायें। बच्चे को कोई भी चीज
खाने-पीने के बाद थोड़ा-सा पानी पिलाएं और
कुल्ले करायें। इससे बच्चों के दांत
नहीं गलते हैं।
16 : दस्त
ReplyDeleteछोटे बच्चों को दस्त हो तो गर्म दूध में
चुटकीभर पिसी हुई दालचीनी डालकर पिलाने
से दस्त बंद हो जाते हैं। बड़ों को इसे
दोगुनी मात्रा में पिलाना चाहिए।
17 : दूध पीने का उपयोगी समय
सुबह के समय दूध पीना बहुत
ही लाभकारी होता है। दूध का पाचन सूर्य
की गर्मी से होता है। अत: रात को दूध
नहीं पीना चाहिए। साधारणतया दूध सोने से
तीन घंटे पहले पीना चाहिए। रात
को ज्यादा गर्म दूध पीने से स्वप्नदोष
होने की संभावना रहती है।
18 : दूध कैसा पीयें
ताजा गर्म दूध पीना अच्छा रहता है। यदि यह
सम्भव न हो तो दूध गर्म करके पीयें। गर्म
उतना ही करें जितना गर्म पिया जा सकता है।
दूध को ज्यादा उबालने से दूध के
प्राकृतिक गुण समाप्त हो जाते हैं। दूध
को बहुत उलट-पुलट कर झाग पैदा करके धीरे-
धीरे पीने से दूध पीने में मजा आता है।
19 : दूध में मिठास
चीनी में मिला दूध कफकारक होता है। अक्सर
दूध में चीनी मिलाकर मीठा करके पीते हैं।
चीनी मिलाने से दूध में जो कैल्शियम
होता है वह खत्म हो जाता है। इसलिए दूध
में चीनी मिलाना उचित नहीं होता है। दूध
में प्राकृतिक मिठास होती है। फीके दूध
को पीने से थोड़े ही समय में उसके
प्राकृतिक मिठास का आभास होने लगता है और
उसमें बाहर की कोई चीज डालकर मीठा करने
की जरूरत नहीं होती है। जहां तक हो सके
दूध में चीनी न मिलाएं अगर मिठास की जरूरत
हो तो शहद, मीठे फलों का रस,
मुनक्का को भिगोकर इसका पानी, गन्ने का रस
या ग्लूकोज मिलायें।
बूरा या मिश्री मिला हुआ दूध
वीर्यवर्द्धक और त्रिदोषनाशक होता है।
20 : दूध का शीघ्र पाचन
किसी-किसी बच्चे या व्यक्ति को दूध हजम
नहीं होता या उन्हें दूध
अच्छा नहीं लगता। इसके लिए दूध उबालते
समय उसमें 1 पीपल डालकर दूध उबालकर
पीयें। इससे पेट में गैस नहीं बनती। दूध
में शहद मिलाकर पीने से भी पेट में गैस
नहीं बनती है। दूध जल्दी पच जाता है। दूध
के साथ नारंगी, मौसमी का रस मिलाकर पीने
से या दूध पीकर ऊपर से नारंगी खाने से दूध
जल्दी पच जाता है। अगर दूध बादी करता हो,
गैस बनाता हो तो अदरक के टुकड़े या सोंठ
का चूर्ण और किशमिश मिलाकर सेवन
करना चाहिए।
21 : किन रोगों में दूध नहीं पीना चाहिए
खांसी, दमा, दस्त, पेचिश, पेट दर्द और अपच
के रोग में हमें दूध नहीं पीना चाहिए।
इनमें ताजा छाछ (मट्ठा) पीना चाहिए
एक ठलुआ हास्पिटल मे रो रहा था
ReplyDeleteमुल्ला :- क्यो रो रहे हो ?
ठलुआ :- ब्लड टेस्ट करवाना है
उगली काटनी पडेगी
यह सुनकर मुल्ला भी रोने लगा
ठलुआ :- तुम क्यो रोने लगे ?
मुल्ला :- मुझे भी पेसाब टेस्ट कराना है !
एक बार एक भला आदमी नदी किनारे बैठा था। तभी उसने देखा एक बिच्छू पानी में गिर गया है। भलेआदमी ने जल्दी से बिच्छू को हाथ में उठा लिया। बिच्छू ने उस भले आदमी कोडंक मार दिया। बेचारे भले आदमी का हाथ काँपा औरबिच्छू पानी में गिर गया। भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए दुबारा उठा लिया। बिच्छू ने दुबारा उस भले आदमी को डंक मार दिया। भले आदमी का हाथ दुबारा काँपा और बिच्छू पानी में गिर गया। भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए एकबार फिर उठा लिया। वहाँ एक लड़का उस आदमी का बार-बार बिच्छू को पानी से निकालना और बार-बार बिच्छू का डंक मारना देख रहा था। उसने आदमी से कहा, "आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?" भले आदमी ने कहा, "बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना। जब बिच्छू एक कीड़ा होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव क्यों छोड़ूँ?"
ReplyDeleteप्रिय मित्रो,
ReplyDeleteसुप्रभात।
क्या रावण जगद्जननी मां जानकी का हरण कर सकता था???
जी नहीं, हरण तो बहुत दूर की बात है, उन जैसी पतिव्रता नारी को छूना तक असम्भव था। उनके सतीत्व में इतना बल था कि अगर कोई भी उनको स्पर्श तक करता तो तत्काल भस्म हो जाता। रावण ने जिनका हरण किया वो वास्तविक माता सीता ना होकर उनकी प्रतिकृति छाया मात्र थी। इसके पीछे एक गूढ रहस्य है, जिसका महर्षि बाल्मीकि कृत रामायण व गोस्वामी तुलसी कृत रामचरित मानस में स्पष्ट वर्णन है…
पंचवटी पर निवास के समय जब श्री लक्ष्मण वन में लकडी लेने गये थे तो प्रभु श्री राम ने माता जानकी से कहा-
“तब तक करो अग्नि में वासा।
जब तक करुं निशाचर नाशा॥”
प्रभु जानते थे कि रावण अब आने वाला है, इसलिए उन्होंने कहा- हे सीते अब वक्त आ गया है, तुम एक वर्ष तक अग्नि में निवास करो, तब तक मैं इस राक्षसों का संहार करता हूँ..
यह रहस्य स्वयं लक्ष्मण भी नहीं जानते थे..
“लक्ष्मनहु ये मरम न जाना।
जो कछु चरित रचा भगवाना॥”
इसीलिए रावण वध के पश्चात जब श्री राम ने लक्ष्मन से अग्नि प्रज्वलित करने के लिए कहा कि सीता अग्नि पार करके ही मेरे पास आयेंगी.. तो सुमित्रानंदन क्रोधित हो गये कि भइया आप मेरी माता समान भाभी पर संदेह कर र्हे हैं.. मैं ऐसा नहीं होने दुंगा.. तब राम ने लक्ष्मण को सारा रहस्य बताया और कहा हे लक्ष्मण सीता और राम तो एक ही हैं.. सीता पर संदेह का अर्थ है मैं स्वयं पर संदेह कर रहा हूँ… और छायारुपी सीता की बात बताई और कहा कि रावण वास्तविक सीता को अगर छू भी लेता तो तत्काल भस्म हो जाता…
इसके बाद स्वयं माता जानकी ने लक्ष्मण से कहा…
“लक्ष्मन हो तुम धर्म के नेगी।
पावक प्रगट करो तुम वेगी॥”
हे लक्ष्मण अगर तुमने धर्म का पालन किया है तो शीघ्रता से अग्नि उत्पन्न करो… उसके बाद छायारुप मां जानकी अग्नि में प्रविष्ट हो गई और वास्तविक सीता मां श्री राम के पास आ गई..॥
वैसे तो उपरोक्त वृतांत रामचरितमानस की चौपाइयों को आधार बनाकर मैंने वर्णन किया है, फिर भी बहुत से ज्ञानी या कहूं मतिमूढ, नकली(छायारुप) सीता वाली बात पर विश्वास नहीं करेंगे… उनके लिए कुछ तथ्य व प्रमाण नीचे सादर प्रस्तुत हैं…
आधुनिक विज्ञान ने ज़ेरोक्स (Xerox) मशीने बनायीं। एक पेपर मशीन में डालो और उसकी जितनी चाहो ज़ेरोक्स कापियाँ (प्रतिलिपियाँ) निकाल लो। आधुनिक विज्ञान ने बॉयलर, कंदैंसर और रेफ्रिज़रेटर जैसी सुविधाजनक तकनीकों को भी आयाम दिया। बॉयलर में ठोस बर्फ डालो और उसे चुटकियों में भाप में बदल दो। इसी तरह भाप को कंदैंसर और रेफ्रिज़रेटर की मदद से वापिस बर्फ में भी बदला जा सकता है।
परन्तु क्या विज्ञानी कोई ऐसी तकनीक बना पाए हैं, जिससे पलक झपकते ही अपनी देह, एक मानव शरीर की ज़ेरोक्स कापियाँ (प्रतिलिपियाँ) बनायी जा सकें? क्या आज की उन्नत लैबोरेटि्यों (प्रयोगशालाओं) में कोई ऐसी तकनीक विकसित हुई है, जिससे अपनी साकार देह को भाप और फिर उसी भाप को ठोस आकार देकर साकार बनाया जा सके? निःसंदेह, वर्तमान वैज्ञानिकों के लिए ये अभी एक परी-कथा ही है। बहुत संभव है कि आपको भी ये बातें कल्पना-जगत की बेलगाम दौड़ लगे।
परन्तु वास्तविकता बिल्कुल अनूठी और विराट है! वास्तव में, एक क्षेत्र ऐसा है जिसके शीश पर इन परमोन्नत तकनीकों के आविष्कारों का सेहरा बंधा है। यह क्षेत्र है- अध्यात्म ज्ञान अथवा वैदिक विज्ञान का! अध्यात्म- पोषित हमारे संत-सत्गुरु और प्राचीन कालीन ऋषिगण इन विलक्षण तकनीकों के कुशल आविष्कारक एवं अनुभवी रहे हैं। वे अपनी देह को इच्छानुसार अदृश्य और प्रकट- वह भी मनचाही गिनती में कई स्थानों पर एक साथ करते रहे हैं।
त्रेताकाल के एक बहु-चर्चित देवी सीता की अग्नि-परीक्षा का प्रसंग इसका उदाहरण है, वर्णानानुसार देवी-सीता के लंका से लौटने पर श्री राम ने उन्हें ज्यों-का-त्यों स्वीकार नहीं किया। रूखे वचन कहकर उन्हें अपनी चारित्रिक विशुधता प्रमाणित करने को कहा। देवी सीता ने तुरंत इस चुनौती को स्वीकार किया और प्रचण्ड अग्नि से गुज़रकर ‘अग्नि परीक्षा’ दी। यह ऐतिहासिक दृष्टांत विद्वानों, समाजवादियों, खासकर तथा-कथित नारी-संरक्षकों के लिए सदा से विवाद का विषय रहा है। वे इसे नारी की अस्मिता के प्रति घोर अन्याय मानते आए हैं।
परन्तु ऐसा केवल इसलिए है, क्यूँकि वे इस परीक्षा के तल में छिपे वैज्ञानिक सत्य को नहीं जानते। दरअसल यह लीला एक अनुपम विज्ञान था। इसकी भूमि सीता हरण से पहले ही रची जा चुकी थी।
अध्यात्म रामायाण (अरण्य काण्ड, सप्तम सर्ग) में स्पष्ट रूप से वर्णित है-
अथ रामः अपि —- शुभे
ReplyDeleteअर्थात रावण के षड़यंत्र को समझ, प्रभु श्री राम देवी सीता से एकांत में कहते हैं- ‘है शुभे! मैं जो कहता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनो। रावण तुम्हारे पास भिक्षु रूप में आएगा। अतः तुम अपने समान आकृति वाली प्रतिबिम्ब देह कुटी में छोड़कर अग्नि में विलीन हो जाओ। एक वर्ष तक वहीं अदृश्य रूप में सुरक्षित वास करो। रावण वध के पश्चात्त तुम मुझे अपने पूर्ववत स्वरुप में पा लोगी।’ आगे (अरण्य काण्ड २३/२) में लिखा है कि प्रभु का यह सुझाव पाकर श्री सीता जी अग्नि में अदृश्य हो गयी व अपनी छायामुर्ति कुटी में पीछे छोड़ गयीं-
जबही राम ———- सुबिनीता
माँ सीता के इस वास्तविक स्वरुप को पुनः प्राप्त करने के लिए ही अग्नि-परीक्षा हुई थी। सो, यही अग्नि-परीक्षा के पीछे की सच्ची वास्तविकता है।
परन्तु आज का बौधिक व युवा वर्ग इसे एक अलंकारिक अतिशयोक्ति या जादुई चमत्कार मान बैठता है। किन्तु ऐसा बिल्कुल नहीं है। दार्शनिक स्पिनोजा कहतें हैं ‘ Nothing happens in nature which is in contradiction with its Universal laws’. डॉ. हर्नाक कहते है ‘जिन्हें हम चमत्कार समझते हैं, वे घटनाएँ भी इस सृष्टि और काल के व्यापक नियमों के आधीन हैं। हाँ, यह बात अलग है कि हम उन उच्च कोटि के नियमों को नहीं जानते हों।’
ऋषि पातंजलि इस प्रतिबिम्ब शरीर को निर्माण देह, बोध शास्त्र निर्माण काया कहते हैं। ‘ एकोअहं बहुस्याम’ की ताल पर श्री कृष्ण का रासलीला के अंतर्गत अनेक स्वरूपों में प्रकट होना; कौशल्यानंदन का शयनकक्ष व रसोईघर में एक समय में ही विद्यमान होना- ये सभी योगविज्ञान के साधारण से प्रयोग हैं। विपत्ति काल में सत्गुरु अपने दीक्षित शिष्यों की पुकार पर वे एक ही समय में विश्व के अनेकों भागों में समान रूप, रंग, गुण, कौशल व अभेद देह में प्रकट होते रहे हैं और अपना विरद निभाने के लिए आगे भी यूँ ही प्रकट होते रहेंगे।
किस प्रकार यह प्रकटिकरण होता है? दरअसल, इस सृष्टि में जीव, वस्तु या किसी भी प्रकार की सत्ता के निर्माण में दो अनादी तत्त्वों का मेल चाहिए होता है।
उपादान तत्त्व- यह प्रकृति का सूक्ष्म जड़ तत्त्व है। इसके स्थूल रूप को विज्ञान ‘मैटर’ कहता है। यह तत्त्व त्रिगुण (सत्त्व, रजस, तमस) से युक्त होता है। यह एक तरह से सृष्टि की प्रत्येक सत्ता का raw material माना जाता है।
निमित्त तत्त्व- यह एक चैतन्य शक्ति है, जो चेतना के रूप में सम्पूर्ण सृष्टि व उसके कण-कण में समाई हुई है। इसे वैज्ञानिक शब्दावली में ‘cosmic conciousness’ भी कहा गया है।
इन दोनों तत्वों के परस्पर संयोग से ही ‘निर्माण’ सधता है। किस प्रकार? आईये, इसके लिए हम एक सरसरी दृष्टि ‘Creation of Universe’ पर डालें, जहाँ ये दोनों तत्त्व अपने शुद्धतम रूप में प्रकट थे और ‘सृष्टि निर्माण’ में विशुद्ध भूमिका निभा रहे थे।
उपादान( Matter ) + निमित्त ( Conciousness ) = सृष्टि (Universe)
दरअसल इस देह रचना में भी ठीक ‘सृष्टि रचना’ का ही विज्ञान काम करता है। वही दो अनादी तत्वों का प्रयोग होता है-ब्रह्मचेतना तथा प्रकृति के उपादान तत्त्व। यूँ तो चेतना प्रत्येक मनुष्य में क्रियाशील रहती है। परन्तु यह प्रगाढ़ वासनाओं, करम- संस्कारों, अविद्या, अज्ञानता से ढ़की और दबी रहती है। अध्यात्म-ज्ञान या ब्रह्मज्ञान की साधना से ये समस्त आवरण दूर होते हैं व चेतना शुद्धतम प्रखर रूप में प्रकट होती है।
पूर्ण आध्यात्मिक विभूतियों ने चेतना के इसी ब्रह्ममय स्वरुप को पाया हुआ होता है। जब भी आवश्यक होता है, ये पूर्ण चैतन्य विभूतियाँ अपनी ब्रह्ममयी चेतना को प्रकृति के उपादान-तत्त्वों पर आरूढ़ करती हैं। उनकी यह चेतना प्रकृति के परमाणुओं पर लगाम कसती है ओर उनमें विक्षोभ पैदा कर देती है। फिर अपनी इच्छानुसार परमाणुओं में आकर्षण- विकर्षन कर स्वयं अपनी आकृति की देह निर्मित्त कर लेती हैं। वह भी मनचाही संख्या में!! अंततः इस ‘निर्माण देह’ में ‘निर्माण चित्त’ को भी प्रवेश कराके उसे पूर्ण रूप से सजीव कर देती हैं।
देवी सीता के विषय में भी ठीक यही अनादी विज्ञान प्रयोग में लाया गया था। सीता स्वयं में साक्षात चेतना-स्वरूपिणी माँ भगवती थीं। उनके लिए प्रकृति के जड़- तत्त्वों से छेड़छाड़ करके एक प्रतिबिम्ब देह निर्मित कर्म दर्पण देखने के समान सहज था।
परन्तु उनके सन्दर्भ को पूरी तरह प्रकाशित करने के लिए हमें एक तथ्य और जानना होगा। वह यह की वेदों में आदिकालीन ब्रह्म-चेतना को ‘वैश्वानर अग्नि’ भी कहा गया है। ब्रह्मसूत्र में इस अग्नि के विषय में यह बताया गया की यह अग्नि न तो कोई दैविक अग्नि है, न ही भौतिक है। यह निःसंदेह आदिकाल की ब्रह्म-अग्नि ही है।
ऋगवेद में कहा गया है (१-५८-१)-
जब यह अग्नि प्रकट होती है, तो अंतरिक्ष में फैल जाती है। यह प्रकृति के परमाणुओं को सही मार्गों पर ले चलती है और उनका निर्माण कार्य में प्रयोग करती है।
यहीं नहीं ऋग्वेद में एक अन्य ऋषि का कहना है –
केवल प्रकृति के कण-कण में ही नहीं, यह अग्नि मनुष्य के अंग-अंग में भी विद्यमान होती है। परन्तु ध्यान दें, यह अग्नि विद्यमान तो सब में होती है। लेकिन विशुद्ध रूप से प्रकट केवल विकसित आत्माओं में ही होती है-
ReplyDelete(ऋग्वेद १-१-२)
यह अग्नि पूर्व (कल्प) के ऋषियों को ज्ञात थी। इस युग के ऋषियों को भी ज्ञात है। यह सभी दैव-स्वरुप आत्माओं को ज्ञात होती है।
अब इन समस्त जानकारियों को साथ लेकर हम सीता-अग्नि-परीक्षा के प्रसंग का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं।
देवी सीता की अग्नि-परीक्षा का वैज्ञानिक विश्लेषण :
ऋग्वेद (१-५८-२ ) में वैश्वानर अग्नि की त्रि-स्तरीय भूमिका दर्शायी गई है।
वैश्वानर अग्नि शाश्वत चेतना है । यह प्रकृति के परमाणुओं को -
1. Integrate – संयुक्त करती है।
2. Disintegrate- पृथक भी करती है ।
3. Preserve- सुरक्षित भी रखती है।
यह तीनों वही भूमिकाएँ हैं, जो सृष्टि-निर्माण-कार्य में ब्रह्म-चेतना की थीं। और यही वे वैज्ञानिक क्रियाएँ हैं, जो सीता-अग्नि-परीक्षा में भी प्रयोग की गईं। सीता-हरण से पूर्व जब श्री राम ने देवी सीता को अपना प्रतिबिम्ब पीछे छोड़कर अग्नि में निवास करने को कहा , तो वास्तव में क्या हुआ? क्या वैज्ञानिक-लीला घटी ? सीता ने तत्क्षण अग्नि प्रकट की। कदाचित यह कोई लौकिक अग्नि नहीं, वैश्वानर अग्नि ही थी। अर्थात सीता ने अपनी ब्रह्म चेतना को सक्रिय किया। फिर उसके द्वारा प्रकृति के परमाणुओं में हस्तक्षेप किया। उन्हें प्रयोजनानुसार जोड़कर एक अन्य निज-देह प्रकट कर ली। यह पहली वैज्ञानिक क्रिया थी।
इसके पश्चात माँ सीता ने ब्रह्म-चेतना या वैश्वानर अग्नि के द्वारा अपनी वास्तविक देह के परमाणुओं को अलग-अलग कर दिया। प्रसंग के अनुसार माँ सीता कि वास्तविक देह अग्नि में विलीन हो गयी थी। अग्नि में यह विलीनता वैज्ञानिक स्तर पर वैश्वानर अग्नि द्वारा देह का उपादान तत्व में बिखर जाना अर्थात ‘disintegration of body’ ही था। यह दूसरी वैज्ञानिक क्रिया थी।
फिर ये पृथक तत्त्व या परमाणु एक वर्ष तक उनकी वैश्वानर अग्नि के संरक्षण में रहे। उसी वैश्वानर अग्नि अथवा ब्रह्म-चेतना के, जो सकल सृष्टि के परमाणुओं की रक्षा करती है व जिसका आह्वान कर ऋषियों ने कहा- (ऋग्वेद १-१-१) – हे अग्नि स्वरूप ब्रह्म-चेतना! पिता स्वरुप में , अपनी संतान की तरह हमारी रक्षा करो। कहने का आशर्य यह है कि सीता सशरीर नहीं, परमाणुओं के रूप में ब्रह्माण्ड की वैश्वानर अग्नि में समाहित रहीं। यह तीसरी वैज्ञानिक प्रक्रिया थी ।
एक वर्ष बाद … विजय बिगुल बजे और पुनर्मिलन की बेला आई। तब पुनः यहीं विज्ञान दोहराया गया। रामायण (युद्धकाण्ड सर्ग १२/७५ ) के प्रसंगानुसार -
राघव ने एक विशेष कार्य के लिए निर्मित मायावत सीता को देखा और अग्नि-परीक्षा देने को कहा। श्री राम का यह कथन, वास्तव में देवी सीता को पुनः उसी वैज्ञानिक प्रक्रिया का संधान करने की प्रेरणा ही थी। उस समय प्रतीकात्मक रूप में भौतिक अग्नि जलाई गयी। परन्तु सीता जी का आह्वान तो वैश्वानर अग्नि के प्रति ही था।
(युद्धकाण्ड सर्ग -१३ )- हे सर्वव्यापक! अति पावन! लोक साक्षी अग्नि !…स्पष्ट है, ये संबोधन लौकिक अग्नि के लिए नहीं हो सकते थे। अतः लौकिक अग्नि की आड़ मेंवैश्वानर-अग्नि (ब्रह्मचेतना) पुनः सक्रिय हुई। उसने सीता जी की प्रतिबिम्ब देह के परमाणुओं को बिखेर कर पुनः प्रकृति में मिला दिया। फिर वास्तविक देह के परमाणुओं को एकत्र कर पूर्ववत जोड़ दिया। देवी सीता को सुरक्षित रूप में श्री राम के समक्ष प्रकट किया। यहीं वैज्ञानिक विलास प्रतीकात्मक शैली में इस प्रकार रखा गया- लोक साक्षी भगवन वास्तविक जानकी को पिता के समान गोद में बिठाए हुए प्रकट हुए और रघुनाथ जी से बोले- मेरे पितास्वरूप संरक्षण में सौंपी हुई जानकी को पुनः ग्रहण कीजिये।
वह प्रतिबिंबरुपिणी सीता जिस कार्य के लिए रची गयी थी, उसे पूरा करके पुनः अदृश्य हो गयी है।
यह वचन सुनकर श्री राम ने अत्यंत प्रसन्नता से जानकी जी को स्वीकार कर लिया। उसी क्षण इस विज्ञान के ज्ञाताओं – ब्रह्मा, महेश आदि देवताओं ने आकाश से फूल बरसाए। परन्तु अवैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वालों ने उस काल से आज तक कभी सीता पर कलंक, तो कभी राम पार आक्षेप लगाए।
धन्यवाद..............
सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा..
ReplyDeleteमनमोहन जी कोयला खा गये ,
लालू खा गये चारा ll
सारे जहाँ से अच्छा ,
लोकतंत्र हमारा
घोटाले के रेलमंत्री कहते , भांजा नही हमारा ll
महगाई की मार से रोता ,
आम आदमी सारा ll
सज्जन कुमार को बरी करके ,
कहते है निर्दोष बेचारा ll
भारत को लूटने के चक्कर मे , राहुल रहा कुवारा ll
सारे जहाँ से अच्छा, लोकतंत्र हमारा...
फोन काल अब सस्ती हो गयी,
दाल का चढ गया पारा ll
घोटालो पे घोटाला करके,
कहते है दोष नही हमारा ll
राजनीति के चक्कर मे ,
शहीद हुआ सरबजीत बेचारा ll
आईपीएल की धूम मची है ,
काम छोड गये साराll
नेता जी यह देख रहे है ,
किसने छक्का मारा ll
सारे जहाँ से अच्छा ,
लोकतंत्र हमारा....
चारो तरफ लूट मची है ,
देश बेच गये सारा ll
जात पात के चक्कर का है ,
वोट बैंक ये सारा ll हिन्दु मुस्लिम के चक्कर मे ,
हर हिन्दुस्थानी हारा ll
सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा ...
bhai humne kabhi koi galat baat nahi kahi hai
ReplyDeletemera kaam logon ko ++++++++++++++++++ karna hai
kyonki
1-sochoge achchha to result kaisa aayega?
2-karenge bura to result kaisa aayega
3-aur jab apne baare me karna sochna ho to hume kaisa sochna chahiye............
आखिर क्यों नही बन सकती टी०ई०टी० के अंको की मेरिट?
ReplyDeleteजवाब जिसका कोई तोड़ नहीं......विश्लेषण पढ़ें......एंव राय दें.....
सवाल- टी०ई०टी० एक पात्रता परीक्षा है ??
जवाब- बिल्कुल पात्रता है भाई ......
लेकिन कौन सी अकादमिक परीक्षा पात्रता नहीं यह भीअवश्य बताएँ ?
चलिये मैं ही बताएं देता हूँ......
१० वीं को ही लीजिए......३३% अंको पर सभी अभ्यरथी पास (पात्र) हो जाते हैं ।
लेकिन जो ४५% से कम तथा ३३%से अधिक अंक पाते हैं उनको तृतीय डिविजन....
जो ४५% या ४५ से अधिक एवं ६०% से कम अंक पाते हैं वे दिव्तीय श्रेणी पाते हैं.....
इसी प्रकार ६०% या अधिक वालों को प्रथम श्रेणी...
ऐसी ही व्यवस्था १२वी , स्नातक ,बी0एड0 इत्यादी मेंहै ।
लेकिन यदि आप शिक्षक चयन में 10 वी ,12वी आदि को वेटेज देते हें तो फिर 70% वाले को 60% वाले से अधिक वेटेज क्यों ??
जबकि दोनों ही प्रथम श्रेणीसे पास हें .....
ये नाइसांफी क्यों ?????
और यदि ये सही है तो टी०ई०टी० में 90% या 80% अंक वाले को 60% वाले से अधिक लाभांक क्यों नहीं??
लेकिन NCTE के अनुसार टी०ई०टी० के अंको को चयन में वेटेज दिया जा सकता है वो भी कितना भी
साथ ही ये नही लिखा की 100% वेटेज नही दिया जा सकता है ।
अत: पिछली सरकार का टी०ई०टी० मेरिट के आधार पर चयन करना गलत नहीं था ।
तो फिर गलत क्या है ?????
लोगों की मानसिकता और क्या????
अब कुछ स्वार्थी लोग कहेंगेकी टी०ई०टी० परीक्छा में धांधली हुई थी इसलिए इसको चयन काआधार नही बनाना चाहिए।
तो में उनको याद दिला दूं उनके चाचू मुख्य सचिव जावेदउस्मानी ने इसकी खूब जांच क्र ली लेकिन आज तक एक भी फर्जी अभ्यर्थी हाथ नही लगा।
फिर धांधली कैसे साबित हो गयी ?? बोलो
मा0 सरवोच्चन्यायालय एवं हमारे सविंधान के अनुसार जबतक कोइ व्यक्ति दोषी साबित नही होता तो वो सजा का हकदार नही फिर यहाँ तो 2,90000 लोग हैं ।
वैसे उत्तरप्रदेश में नकल का हल्ला बच्चा -बच्चा जानता है तो अकादमिक पर चयनकहाँ तक सही है इसका जवाब कोर्ट में कौन देगा ????
धांधली सिर्फ ठगी थी जो स्पस्ट भी हो चुकी है कोर्टमें
अब आप ही बताये कि सत्य क्या है और असत्य क्या
पढने के लिए धन्यवाद ।
विज्ञापन आ रहा है चाकलेट का लडकी अपने बाप को चाकलेट खिला के एक बार फिर टहलने भेज देती है और फिर एक लडके के साथ ....
ReplyDeleteविराट कोहली लडकी पटाने के तरीके सीखाता है !!
परफ्यूम लगाया और कईं लडकियाँ तन मन से पीछे लग जाती है !
हर किसी में लडकी को ही मुददा पर क्यूँ ?
क्या यही हैं हमारी भारतीय नारी ? क्या भारतीय नारी इतनी कमजोर है कि परफ्यूम की खुशबु से अपनी इज्जत गँवा दे..........
दिखाते ये चोकलेट खाओ प्यार हो जायेगा, जरा सोचो जब ये चोकलेट भारत में नही थी तब क्या भारतीय प्यार नही करते थे क्या ??
perfume नही था तो क्या हमारे पूर्वज से बदबू आती थी ??
क्या सीखते इन सब से हम जरा सोचिये ....
जब हमे कोई एतराज नही है तो ये तो दिखायेंगे ही ना ,,,,
इन सब का विरोध करे और इन से दूर रहे....
समझदारी से काम लीजिये .....
.
- कोलगेट नही था तो क्या भारतमेंपति पत्नी साथ नही सोते थे ?
- चाय नहीं थी तो क्या सब सुस्त और आलसी थे सुबह खडे नही हो पाते थे ?
- क्रिकेट नही था तो क्या भारतीय खेलते ही नही थे ?
- वैलेनटाइन नही था तो क्या भारतीय प्रेम नही करते थे ?
- फेयर n लवली नही थी तो क्या सब भारतीय नारी काली थी ?
- स्कर्ट नही थी तो क्या भारत में लडकियां पढती नही थी ?
- अमूल माचो नही था तो क्या भारतीय नंगे रहते थे ?
- डिस्को नही था तो क्या भारत में संगीत नही था ?
- ओह माई गोड शब्द नही था तो क्या भारतीय भगवान नही मानते थे ?
- लाइफबाय, लक्स नहीं था तो भारतीय गले-सडे रहते थे ?
- पैंटीन नही था तो क्या सब गंजे हो जाते थे ?
- अंग्रेजी नही थी तो क्या भारत में कोई ज्ञानी नही था ?
हर चीज़ में नारी का देह क्यों दिखाया जाता है भोग की वास्तु बनाकर...?? ऐसी घटनाओ में बहुत हद तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया और बॉलीवुड का भी हाथ है, नैतिक पतन किया जा रहा बच्चों का मात्र पांच-छ: वर्ष की उम्र से...!!
TET MERIT:- सेलेक्सन बेस डिसाईड करना गवर्नमेँट का पॉलिसी मैटर हैँ इसमेँ NCTE के गाइड लाईन का कहीँ भी उलंघन नहीँ किया गया हैँ
ReplyDeleteजिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार को दिनाँक 12 फरवरी 2011 को NCTE का लेटर प्राप्त हुआ जिसमेँ राज्य सरकार को TET परीक्षा आयोजित कराने के सम्बन्ध मेँ आदेश दिये गये हैँ इसमेँ स्पष्ट लिखा हैँ कक्षा 1से 5 और कक्षा 6 से 8तक के लिये अध्यापक बनने केइच्छुक अभ्यर्थी को TET की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। साथ ही TET के NOTIFICATION मेँ अध्यापकोँ के चयन मेँ TET मेँ प्राप्त अंको को महत्व दिया जा सकता हैँ इस इस बात का स्पष्ट उल्लेख भी किया गया हैँ। बाकी नियम राज्य सरकार के द्वारा बनायी गई नियमावली के अनुशार रहेगा। विज्ञापन जारी करने के पहलेराज्य सरकार ने अपनी अध्यापक सेवा नियमावली को
9 नवम्बर 2011 को संशोधन द्वारा TET परीक्षा मेँ प्राप्त अंको के आधार पर अध्यापकोँ के चयन किये जानेका प्रावधान कर दिया तोयह NCTE गाइडलाईन और 1981 RULES के खिलाफ कहाँ हैँ। यदि पुर्व मेँ निर्मित नियममेँ परिवर्त करना राज्य सरकार या नियोक्ता प्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र के बाहर होता तो, इस तरह पुर्व मेँ बनाई गयी किसी भी नियमावली मेँ परिवर्तन करना अबैध ठहरा दिया जाता।।
अगर ऐसा ही होता तो UPSC 2011 से पहले G.S. और SUBJECT पेपर के आधार पर
PRI.EXAM कराता था लेकिन उसने 2011 का EXAM
G.S. और CSAT के आधार पर लिया क्योँकी सबजेक्ट की स्केलिँग मेँ सबको समान अवसर नहीँ मिल पाता था। को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती थी कि पहले लोकसेवा नियमावली मेँ CSAT का कोई प्रावधान नहीँ था तो अब इसेनहीँ लागू किया जा सकता ये कहना बिल्कुल गलत हैँ। राज्य सरकार या नियोक्ता प्राधिकारी को अपने नियम निर्धारित करने व उसमेँ समय-समय पर संशोधन करनेँ कापूर्ण अधिकार हैँ बशर्ते येनियम प्रक्रिया प्रारम्भहोने के पहले निर्धारित किये गये होँ प्रक्रिया के बीच मेँ नियमोँ का बदलाव न्यायसंगत नहीँ हैँ इसे अबैध ठहराया जाना ही विधि संगत माना जायेगा।।
बाप के मरते ही जायदाद यूँ बंटते देखी..
ReplyDeleteथोड़े से कमरे और गलियारों में बिकते देखी..
बर्तनों-राशनों के हिस्से भी लगाये गए..
थालियाँ,लोटे और कटोरियाँ कटते देखी..
बेचारा चूल्हा भी बच पाया कहाँ फैसले से..
दाल तेरी तो रोटियां बने मेरी देखीं..
चांदी-सोना तो बिके कबके सब पढाई में..
घंटियाँ बैलों के गले की भी उतरते देखीं..
बाप ने छोड़ा कहाँ कुछ भी सिवा कर्जों के..
पूरी पंचायतों में यही शिकायत देखी..
बहन की शादी में भाई ने किये खर्चे बहुत..
एक-एक रूपया,रेजगारी भी गिनते देखी..
बीज दे कौन,खाद किसकी,कौन पानी दे..
पट्टीदारी में पड़ी खेतों की परती देखी..
बाग़ और बगीचों की शपा फिर से पैमाइश हो..
एक-एक पौधे,फल में घटत और बढ़त देखी..
अनाज डेहरी के बँटने चाहिए दाना-दाना..
आजकल चूहों की नीयत भी फिसलते देखी..
मवेशी पहले ही बहुत हैं माँ को रक्खे कहाँ..
बूढ़ी चूड़ियों संग कलाई भी सिसकते देखी...!
मैं एक ही बात सोच रहा हूँ कि आखिर इस सरकार में बी.एड,टेट से जुड़े मामलों में अंतिम निर्णय ले कौन रहा है,,,,जाहिर है कि इन निर्णयों से जिसका फायदा हो रहा होगा ,,या बिना उसका नुकसान हुए किसी ऐसे व्यक्ति क नुकसान हो रहा होगा जिसे वो अपना शत्रु मानता है ,,वही निर्णय ले रहा होगा,,,,,दिमाग पर कितना भी जोर डाल लूं लेकिन अखिलेश यादव को तो टेट मामले में अभी तक तो कोई फायदा नहीं हुआ है,,,ना ही भविष्य में इसकी कोई संभावना नजर आ रही है,,,, नुकसान कम किया जा सके यही बड़ी बात होगी,,,,,,अभी तक जितने भी निर्णय लिए गये हैं वो सब निहायत ही बेवकूफी भरे कहे जा सकते हैं,,,अगर उस्मानी कमेटी ने अपना काम ईमादारी से किया होता तो अखिलेश यादव की जय-जयकार ही होती और जनता में पूर्वाग्रह से रहित होकर काम करने वाली एक अच्छी इमेज बनती,,,,लेकिन उस्मानी ने तो जैसे गुणांक से भर्ती कराने की सुपारी ली थी,,,,नए टेट में बी.एड वालों को प्राथमिक के टेट से वंचित रखने का प्रयास करके सरकार ने अपने लिए एक नई मुसीबत को दावत दे दी है,,,,NCTE की अनुमति विस्तार की शर्तों कि चाहे NCTE व्याख्या करे चाहे सरकार लेकिन कोर्ट के आदेश से अंततः नए टेट में बी.एड वालों को शामिल करना ही होगा,,,,यदि नए विज्ञापन के लिए सरकार ने पदों के सृजन की घोषणा ना की तो उसकी फीस वापसी सरकार को उससे कहीं ज्यादा महंगी पड़ सकती है जितना आज की तारीख में कोई सोच सकता है,,,,
ReplyDeleteतो सवाल यह है कि ये सब आखिर हो किसके इशारे पर रहा है,,,,यदि यह सब मुख्यमंत्री की मर्जी से हो रहा है तो मुझे ज्ञान प्राप्ति से पूर्व के कालीदास याद आ रहे हैं,,यदि उनके पिताश्री या चाचा की मर्जी से हो रहा है तो मुझे अफ़सोस है कि हमारा मुख्यमंत्री ना सिर्फ परतंत्र है,,,बल्कि डरपोक भी है,,,,,,अपने अधिकारियों और मंत्रियों से डरने वाला मुख्यमंत्री बनने से बेहतर था कि अखिलेश किसी कंपनी में एक-दो लाख की नौकरी कर लेते,,,,,,
भाई आप लोगो को कितनी बार ,,,मैंने कहा है की,,,अकादमिक वाले भाइयो की बातो का आप ऐसे आँख बंद कर के कैसे विश्वाश कर लेते है,,,अरे भाई आप टेट पास है ,,,टेट मेरिट से अध्यापक बन ने जा रहे हो,,,,अब अकादमिक चाहने वाले थोडा परेशां हतास ,,और बौख्लायेंगे,,, तो है ही न ,,,,हमे
ReplyDeleteआपको बर्गालायेंगे,,,आने वाले ३-४ दिनों तक ,,हमें और उलझा कर रखेंगे,,,,ये अपनी हरकत से बाज़ थोड़े न आयेंगे,,,
हमारी जीत से हमे अब कोई नहीं रोक सकता,,,भगवन और सत्य पर विश्वाश है,,,आपको है क्या?
अगर है तो सब उनके सहारे छोड़ दो?नुस बिना किसी रुकावट के अपना कार्य करते रहे हो,,,,मजदूरी तो मालिक दे ही देगा,,,अगर नहीं देगा ,,,तो क्या हो जायेगा??
बस ये समझ कर हम उसे भूल जायेंगे की ,,,हम नी बेगारी कर दी और क्या?
वैसे ,,,,,
जो अकादमिक भाई कह रहे है,,की ट्रिपल बेंच में बसे ऑफ़ सिलेक्शन और ओल्ड विज्ञापन पर चर्चा हुयी है ,,,उनके लिए मै ,,,
इन दोनों मुद्दों से सम्बंधित केसों के स्टेटस डाल रहा हु,,,,
प्रत्यक्षम किम प्रमाणं ,....
सी..
अब आप लोग देख के decide करे की अब तक ,,जब ट्रिपल बेंच में ,,,और कोर्ट नो. २९ में हमारा मैटर कभी टेक उप ही नहीं हुवा,,तो,,,,हमारी slp पर सुनवाई की खबरे कहा तक सही है??,,,,आने वाला निर्णय सिर्फ नॉन टेट का होगा,,,और हमारा मैटर ..उसी दिन decide ...होगा की,,db में जाये या ,,tb में ही रहे,,,,
अभी अपनी एकता बनाये रखे,,,,यहाँ हम सब ऐसे है,,जिनको अपने टेट संघर्ष मोर्चे के हर १ व्यक्तियों के बारे ,,कुछ ऐसी जानकारिया है ,,,जिनको सार्वजानिक करने से ,,,,अबी कोई फायदा,,नहीं,,,और न ही बाद में होगा,,,
क्रिकेट में ऐसी कहावत है की जब तक आपकी टीम जीत रही हो,,तब तक आपको अपनी विनिंग टीम कम्पोजीसन को चेंज नहीं करना चाहिए,,,
तो अभी फालतू की बातो को इगनोरे करो,,,हम बीत गयी बातो को लेकर बैठ जाते है,,,
अरे भाई जो गलती हुयी या ,,,पूर्व में जो कुछ भी हुवा उसको भूल कर,,,आगे की रणनीति पर चर्चा करनी चाहिए,,,
बाकि आप लोगो की मर्जी,,,आप लोगो के विचार,,
आपस में १ दुसरे पर विश्वाश बनाये रखे ,,,केस देख रहे भाइयो को भी टेट मेरिट के अलावा अन्य किसी विधि से नौकरी नहीं चाहिए,,,इतना तो विश्वाश रखो अपने साथियों,,,पर,,
जब वोडाफोन के एक विज्ञापन में दोपैसो मे लड़की पटाने की बात की जाती है तब कौन ताली बजाता है?
ReplyDeleteहर विज्ञापन ने अध्-नंगी नारी दिखा कर ये विज्ञापन एजेंसिया / कम्पनियाँ क्या सन्देश देना चाहते है इस पर कितने चेनल बहस करेंगे ?
पेन्टी हो या पेन्ट हो, कॉलगेट या पेप्सोडेंट हो, साबुन या डिटरजेण्ट हो , कोई भी विज्ञापन हो, सब में ये छरहरे बदन वाली छोरियो के अधनंगे बदन को परोसना क्या नारीत्व के साथ बलात्कार नहीं है?
फिल्म को चलाने के लिए आईटम सॉन्गके नाम पर लड़कियो को जिस तरह मटकवाया जाता है या यू कहे लगभग आधा नंगा करके उसके अंग प्रत्यंग को फोकस के साथ दिखाया जाता है वो स्त्रीयत्व के साथ बलात्कार करनानहीं है क्या?
पत्रिकाए हो या अखबार सबमे आधी नंगी लड़कियो के फोटो किसके लिए और क्या सिखाने के लिए भरपूर मात्र मे छापे जाते है? ये स्त्रीयत्व का बलात्कार नहीं है क्या?
दिन रात , टीवी हो या पेपर , फिल्मे हो या सीरियल, लगातार स्त्रीयत्व का बलात्कार होते देखने वाले, और उस पर खुश होने वाले, उस का समर्थनकरने वाले क्या बलात्कारी नहीं है ?
संस्कृति के साथ , मर्यादाओ के साथ, संस्कारो के साथ, लज्जा के साथ जो ये सब किया जा रहा है वो बलात्कार नहीं है क्या? निरंतर हो रहे नारीत्व के बलात्कार के समर्थको को नारी के बलात्कार पर शर्म आना उसी तरह है जैसे मांस खाने वाला , लहसुन प्याज पर नाक सिकोडे
जिस देश में "आजा तेरी _ मारू , तेरे सर से _ _ का भूत उतारू" जैसा गाना गाने वाला हनीसिंह , सीरियल किसर कहे जाना वाला इमरान हाशमी, और इसी तरह का नंगा नाच फैलाने वाले भांड युवाओ के " आइडल" बन रहेहो वहा बलात्कार और छेडछाड़ की घटनाए नहीं तो और क्या बढ़ेगा?
कुल मिलाकर मेरे कहने का अर्थ ये है भाई कि जब हम स्त्रीयत्व का सम्मान करना सीखेंगे तभी हम नारी का सम्मान करना सीख पाएंगे।
Ye bharti abhi nahi hogi july me faisla ayega
ReplyDeleteSarkar hi nahi chahti bharti jald ho
ReplyDeleteJuly august tak faisla ane k bad bharti chalegi aur phir thand k mausam me stay lag jayega jawani aise hi khatam ho jayegi.
ReplyDeletesarkar ke chahne se kuchh nahi hota hai
ReplyDeletenahi to sabse pahle stay hatwa leti
tet merit ke liye 100 date bhi kam hai
agar next july me bhi ho to koi baat nahi
Hmare tet sprtr dosto n pichhle 17 Mah m bahut snghrsh kiya h dharna,prdrsn,lathi jail n court case sabhi kuchh to jhella h ,lekin hmare gunank sprtr bhaiyo n is time m agr kuchh kiya h to sirf o sirf govt p viswas.Govt kuchh b kr skti h ka trk ,lekin ab wo trk unhi p lagu hone wala h..Ab agr gunank sprtr bhaiyo ko job hasil krni h to unhe sdk p utrna hi hoga tabhi govt unke liye nye pd srjit kregi new add k liye.Jago n taiyar ho jao snghrs k liye, hm aap k sath h..Vrna dhyan rhe govt kuchh b kr skti h..
ReplyDeleteHi Brother`s
ReplyDelete1...mujhe to court par hi sak hai, court kahta hai ki CBI ko sarkar istemal kar rahi hai/na kare. lekin meri ray me court hi sabhi bhrastachar,lut khori,jama khori, balatkar, chori,dalali,jaise kam court k hi aine me ho rahe hain. to court in sab par lagam kyon nahi lagata.jab yahi court nirnay 1year,2year,5year,ya 10year 20year me suna pata hai to kise dar hai saja ka.
2...ab tet par aate hai - to me ab un madarchodon acadmic balon se poochhta hoon ki shikshamitra ki main exam me table par book rakh kar nakal karte media ne dikhaya,10th, 12th,me har sal kitne hi center nakal me pakde jate hai to kya ye sab acadmic balon ke liye nakal nahi hai.
are murkho yahi aage chalkar tumhare chote brother/sister ko peeche dhakel denge tab tumhe akal ayegi ki aaj tumhari 1 naukari ne tumhare paribar ki 10 naukari chhen li.
ab bhi bakta hai jag jao age badne aur apno ko age badane k liye....
क्या आप जानते हैं पिछले 100 वर्षों में भारत के कितनी बार टुकडे किये गए और उसके पीछे किसकी सरकार और सोच रही है ......
ReplyDeleteसन 1911 में भारत से श्री लंका अलग हुआ ,जिसको तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं का समर्थन प्राप्त था
सन 1947 में भारत से बर्मा -म्यांमार अलग हुआ ,
सन 1947 में भारत से पाकिस्तान अलग हुआ । कारण कांग्रेस ही थी
सन 1948 में भारत से आज़ाद कश्मीर काटकर अलग कर दिया गया और नेहरु जी की नीतियों ने सरदार पटेल के हाथ बांधे रखे
सन 1950 में भारत से तिब्बत को काटकर अलग कर दिया गया और नेताओं ने मुह बंद रखा
सन 1954 में बेरुबादी को काट कर अलग कर दिया गया
सन 1957 में चीन ने भारत के कुछ हिस्से हड़प लिए और नेहरु ने कहा की यह घास फूंस वाली जगह थी
सन 19262 में चीन ने अक्साई चीन का 62000 वर्ग मिल क्षेत्र भारत से छीन लिया ,और नेहरु जी हिंदी चीनी भाई-भाई कहते रहे । जब हमारी सेनाओं ने चीन से लड़ाई लड़ने का निर्णय किया और कुछ मोर्चों पर जीत की स्थिति में थी तो इन्ही नेहरु ने सीज फायर करा दिया
सन 1963 में टेबल आइलैंड पर बर्मा ने कब्ज़ा कर लिया ,और हम खामोश रहे । वहां पर म्यामांर ने हवाई अड्डा बना रखा है
सन 1963 में ही गुजरात का कच्छ क्षेत्र छारी फुलाई को पाकिस्तान को दे दिया गया
सन 1972 में भारत ने कच्छ तिम्बु द्वीप सर लंका को दे दिया
सन 1982 में भारत के अरुणांचल के कुछ हिस्से पर चीन ने कब्ज़ा कर लिया , और हम बात करते रहे
सन 1992 में भारत का तीन बीघा जमीनी इलाका बांगला देश ने लेकर चीन को सौंप दिया ।
सान 2012 मे भी बांग्लादेश को कुछ वर्गमील इलाका कॉंग्रेस ने दिया और कहा की ये दलदली इलाका था
इसके अलावा भी अनेक छोटी बड़ी घटनाएं होती रहती हैं जिनका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है , जैसे कि हाल ही की चीन की घटना है , जिस पर कोई अधिकारिक दस्तावेज अभी जारी नहीं किया गया है।
वैसे एक बात और ध्यान देने वाली है की जब भारत की धरती यूंही बंजर, घास-फूस वाली तथा दलदली है तो इन कोंग्रेसियों को हमारी इस धरती मे इतनी दिलचस्पी क्यूँ है। या जैसे अमुक सारे देशों से ये कोंग्रेसी खतम हो चुके हैं वैसे ही यहाँ से भी खतम हो कर ही मानेंगे।
अब आप स्वयं विचार करें की हम कहाँ जा रहे हैं ?
http://www.youtube.com/watch?v=2s8X0Xh_XME
सोर्स ---विश्व विधायक समाचार (आचार्य अवस्थी )
हमारे सितारे कभी गर्दिश मे नही थे ।इतना तो मै भी समझता हूँ। कुछ लोगों ने अज्ञानता वश लोगों मे भ्रम फैला रखा था ।पता नही ऐसा करके उन्हे क्या मिला । आप लोगों ने अगर इस लड़ाई को जीवित रखने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका न निभाई होती तो टेट मैरिट और पुराने विज्ञापन की अवधारणा कभी मूर्त रूप न ले पाती । हम और हमारे साथियो की एक मात्र उम्मीद कब की दम तोड़ चुकी होती।न जाने कितने लोग झूठी निराशा के भँवर मे डूब चुके होते। हमारी जीत हमारे किसी काम की न होती । यही तो मैने कहने का प्रयास किया है । बुरे से बुरे समय मे भी हम सबको हताशा से दूर रखा। जिसके चलते हमे आज सिर उठाकर चलने का अवसर प्राप्त हुआ है ।
ReplyDeleteएक ऐसी घटना, जिसे सोच कर इंसान की रूह तक कांप
ReplyDeleteजाएगी
मगर जालिमों के हाथ तक नहीं कांपे...
दिल्ली में 22 साल का एक मासूम लड़का , जिसने पिछले साल
ही बी.एड पास किया था...
और अभी उसके दिन इंज्वॉय करने के थे...
उसके सगे बाप और उसके घरबालो ने बहला फुसला कर...
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उसे UPTET 2011 का फॉर्म भरवा दिया।।
कांग्रेस जिन्दाबाद
ReplyDelete.
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.ये बात सुनने मेँ ऐसा लगता है जैसे सुअर oink oink करता हो |
ये अविवेकशील मूर्ख मुख्यमंत्री अच्छी तरह जानता है कि ये टेट के स्वरूप और उसकी विषय वस्तु मे बदलाव का अधिकार नहीं रखता है लेकिन फिर भी निम्नतम दर्जे के राजनीतिज्ञ अपने पिता श्री के छदम सेकुलरवाद के झंडे को बुलंद करने के लिए अनपढ़ों वाली हरकतें कर रहा है,,,,,,,,, सरकार बनने से लेकर अब तक कई बार मुँह की खाकर थूंक के चाटना इस सरकार की पहिचान बन गई है,,,,,इस मुद्दे पर भी यही होगा बस फर्क इतना होगा कि अबकी बार कोर्ट मजबूर करेगा|
ReplyDeleteएक समय था जब हम लोग आंदोलन कर रहे थे तो यह किसी भी तरह भर्ती चाहने वाले घरों मे बैठ कर हम पर हँस रहे थे । इन्हे हम पर पानी की बौछार देखकर मजा आ रहा था । यह समय की मार ही है जो आज यह सरकार द्वारा लुटे जाने पर रो रहे है और इन पर टेट मैरिट सपोर्टर के साथ साथ अकेडमिक वाले भी हँस रहे है । शलभ जी ने ठीक कहा कि जाँब तो इन्हे भी मिलेगी लेकिन भीख की तरह जिसे पाकर भी यह जीवन भर शर्म से घुटते रहेंगे।
ReplyDelete
ReplyDeleteजब भी आप सिला हुआ वस्त्र खरीदें तो ये
मत सोचें कि आपके पास पैसे थे और आपने
खरीद लिया. आप ये सोचिये कि इसके लिए
किसी गरीब ने 40-45 डिग्री तापमान
पर खेत में काम करते हुए कपास
उगाया होगा. किसी गरीब ने उसमें से रुई
को अलग किया होगा. किसी मजदूर ने अपने
रंग की परवाह नहीं करते हुए उसे
रंगा होगा. किसी विधवा मां ने रात-रात
भर जाग कर अपनी अंगुली में चुभते सुई और
निकलते रक्त की परवाह नहीं करते हुए उसे
सिला होगा, ताकि उससे मिले पैसे से
उसकी बेटी की शादी हो सके. किसी युवक
ने स्टॉल पर खड़े होकर उसे बेचा होगा. तब
जा कर आपके सीने पर वो वस्त्र सुशोभित
हुआ होगा. जिस दिन आप पल भर उन
श्रमवीरों के लिए सोचना शुरू कर देंगे,
कृतग्य होंगे तो देश का चेहरा बदल
जाएगा :
..................- नरेंद्र मोदी
टेट का पेपर देने से लेकर स्टे लगने तक का समय शायद आप में से अधिकाँश के लिए बहुत कठिन समय था,,लेकिन मेरे लिए वो सब निरपेक्ष भाव से पर्यवेक्षण की विषयवस्तु मात्र था,,,,एक शानदार संघर्ष का पर्यवेक्षण,,,मुझे अपनी जीत के बारे में कभी रत्ती भर भी संदेह नहीं रहा,,,लेकिन टेट प्राप्तांकों से चयन की घोषणा होते ही यह निश्चित हो गया था कि नियुक्तिपत्र हासिल करने के लिए हमें अपनी राजनीतिक एवं सामजिक व्यवस्था से मोर्चा लेना होगा,,हमें एक नया इतिहास रचना होगा,,,हमने रचा भी,,,,हाँ,,टेट मेरिट के लिए किया गया हमारा संघर्ष इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है,,,, हो सकता है आपको ऐसा लगता हो कि इस सबके लिए मायाबती या अखिलेश यादव या अरुण टण्डन जिम्मेदार हैं,,,नहीं,,,ये हमारी नियति थी,,,,कोई कुछ भी कर लेता लेकिन होना तो वही था जो अंततः होने वाला है,,,,हमारी जीत के रास्ते में अब कोई बाधा नहीं है,,,,,अब ऐसा लग रहा है कि संविधान पीठ नॉन टेट मुद्दे के साथ-साथ पहले नियुक्ति बाद में ट्रेनिंग के सम्बन्ध में सारे भ्रम दूर करने के बाद मामले को वापस हरकौली साहब के पास वापस भेज देगी और वो संविधान पीठ के निर्णय के प्रकाश में पहली या दूसरी तारीख को अपना फैसला सुना देंगे,,,,नए विज्ञापन को जीवित छोड़कर टण्डन साहब ने सरकार को यह अवसर दिया था कि अगर वो चाहे तो एकैडमिक से भर्ती करने का अपना वादा पूरा करने के लिए नए पदों का सृजन करके उनपर नियुक्ति कर ले,,,लेकिन कोर्ट ऐसा करने के लिए सरकार को बाध्य नहीं कर सकता,,,यह सरकार का नीतिगत मामला है,,,,यदि अखिलेश सरकार ऐसा करना चाहेगी तो संविधान पीठ के निर्णय के बाद हम टेट मामले पर कैबिनेट की एक और मीटिंग होते देखेंगे,,, सरकार के अंदर क्या पक रहा है ये तो मैं निश्चित रूप से नहीं जानता लेकिन यदि मामला एक अनुभवहीन मुख्यमंत्री को दिग्भ्रमित करने का है तो जल्द ही आप सरकार एवं प्रशासन में व्यापक परिवर्तन होते भी देखेंगे,,,,,,
ReplyDeleteआंदोलन में हम जीतने के लिए संघर्ष कर रहे थे,,,फिर कोर्ट में जीतने के लिए संघर्ष शुरू हुआ,,,नया विज्ञापन आने के बाद हमें अपनी हार बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा,,, पूर्व विज्ञापन रद्द होने के बाद भी जीतने की बात कहना पागलपन की निशानी माना जाने लगा,,,स्टे लगने के बाद सरकार अपनी हार बचाने या यूं कहें कि उसे टालने के लिए संघर्ष करने लगी,,,,,चार फरवरी को स्टे लगने के साथ ही हमारी जीत की घोषणा हो गई थी,,,उसके बाद से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जो हुआ, या जो हो रहा है या होने वाला है वो मात्र औपचारिकता ही है,,, ,,लेकिन मुझे यह वक्त सबसे ज्यादा भारी लग रहा है,,,जीत निश्चित होने के बाद जीतने की तारीख का इन्तजार करना संघर्ष करने से भी ज्यादा मुश्किल प्रतीत हो रहा है,,,,,जिन सवालों के घेरे में जीने की आदत हो गई थी अब वो सवाल ही खत्म हो गये हैं,,,,,, अगर ईश्वर ने चाहा तो नए सत्र के प्रारम्भ होते ही टेट मेरिट से चयनितों को नियुक्ति पत्र जारी होने लगेंगे,,,,,तब तक आपके पास वक्त है कि टेट मेरिट के लिए हुए संघर्ष में निभाई अपनी भूमिका के बारे में ईमानदारी से विचार करें,,,,,,इस बीच हम सभी ने बहुत कुछ खोया होगा,,,लेकिन उससे भी ज्यादा पाया होगा,,,,जिंदगी बहुत बड़ी है,,,जटिल भी,,,,इस संघर्ष के दौरान जो भी सीखा है उसे भूलना मत,,,,,सारी जिंदगी काम आएगा,,,,,
आप प्रतिदिन 5 लाख रूपये खर्च करो
ReplyDelete__________________________________________________________-
तो 10 दिन मे खर्च करोगे 50 लाख
और 1 महीने मे खर्च करोगे 1 करोड़ 50 लाख
और 1 साल मे खर्च करोगे 18 करोड़
और 10 साल मे खर्च करोगे 180 करोड़
और 100साल मे खर्च करोगे 1800 करोड़
और 1000 साल मे खर्च करोगे 18000 करोड़ (18 हजार करोड़ )
और 10000 साल मे खर्च करोगे 1,80,000 करोड़ (1लाख 80 हजार करोड़)
मतलब अगर आप 5 लाख रूपये रोज खर्च करते हैं तो 1 लाख 80 हजार करोड़ रूपये खर्च करने के लिए आपको 10000 साल चाहिए !
मनमोहन सिंह ने जो कोयला घोटाला किया है वो 1 लाख 86 हजार करोड़ का है !
क्या कहेंगे आप ???
कल एक सज्जन पुरुष ने मुझे मैसेज किया कि भाजपा ने हमे क्या दिया!!!
ReplyDeleteतो आज मैं पूरी जिम्मेदारी के साथयह स्वीकार करता हूँ की हाँ भाजपा ने हमे कुछ नही बल्कि बहुत कुछ दिया है
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१ . भाजपा ही है जिसने हमें विकास क्या होता है करके दिखाया |
२ . भाजपा ही है जिसने दूरसंचार में क्रांति लाई थी |
३. भाजपा ही है जिसने परमाणु परिक्षण करके दिखा दिया की हम किसी से कम नही |
४. अटल जी ही थे जिन्होंने 12 एम्सअस्पताल बनवाने की शुरवात की थी|पहले सिर्फ एक था |
५. भाजपा ही थी जिसने इसरो में “चंद्रयान” की नीव रखवाई थी |
६. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बी सी खंडूरी जी थे जिन्होंने विश्व का सबसे कम खर्च (मात्र 15000 रु०) में M.B.B.S. करवाने वाला कालेज उत्तराखंड के श्रीनगर में खोला है जिसमे गरीब लड़के भी आसानी से डॉ. बन सकते हैं |
७ . वो भाजपा का ही शाशन था जिसने देस में सबसे अच्छी और मजबूत सड़केबनवाई हैं .|
८. आज जिस मेट्रो पर दिल्ली को नाज है वो अटल जी की ही सोच का परिणाम है |
९. गुजरात में 24 – 24 घंटे बिजली दी है |
१०. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जी ने एक पिछड़े राज्य को आज अग्रम पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया है, किसानों के लिए आवश्यक पानी और बिजली दी है |
११. भाजपा ही है जिसने शहीद सैनिकों के शवों को राजकीय सम्मान के साथ उनके घर तक पहुँचाया |
१२. गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर जी एक साधारण तौर तरीके से अपना शासन चलाते हैं आज सच्चाई और ईमानदारी के प्रतिक हैं |
१३ . भाजपा शासित राज्य ही हैं जो आज विकास की दौड में सबसे आगे हैं, कांग्रेस शासित राज्य कहीं भी नजर नही आते |
१४. भाजपा का ही शासन था जिसमे देश की अर्थव्यवस्था सबसे मजबूत थी |
१५. भाजपा शाषित राज्य में ही माताये - बहने सबसे सुरक्षित हैं| उन्हें सभी स्थानों पर समान स्थान और सम्मान मिला है |
१६ . सब लोग गुजरात दंगों की बात करते हैं मगर ये देखते की उसके बाद गुजरात में कोई दंगा नही हुआ ,क्राईम वहाँ पर सबसे कम है .और आज सबसे ज्यादा विकसित राज्यों में से एक है |
गिनाने को तो बहुत सी उपलब्धियां हैं मित्रों मगर ये प्रमुख हैं , दोष निकालने वालों का काम तो बस दोष निकलना ही है , दोष निकालने वालों ने तो श्री राम जी और सीता माता पर दोष भी निकाल दिया था फिर हम तो मनुष्य मात्र हैं | अब इतना सब कुछ देने वाली पार्टी का गुणगान भी न करें ,हाँ दो - चार कमियां सबमे होती है सर्व गुण सम्म्पन कोई नही होता , बस इसीलिए हम भाजपा का समर्थन करते हैं ... करते रहेंगे ____________से देस को बचाना है ....
---------फिर भाजपा को लानाहै ....
जय हिंद ...
वन्देमातरम ...
वो तो भला है की भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है की तीन तरफ समुद्र है .......
ReplyDeleteवर्ना अगर चारो तरफ से दुसरे देशो से घिरे होते तो अब तक सिर्फ
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मध्यप्रदेश
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ही भारत कहलाता
अमीर की औलाद.."
ReplyDeleteबेटा : पापा आज बहुत गर्मी है!!
पापा : बेटा हम आज ही ए.सी. लगवाएँगे!!
"गरीब की औलाद.."
बेटा : पापा आज कितनी गर्मी है!!
पापा : चल तुझे
गंजा करवा देता हूँ!!
50 रुपये मेँ 1 लीटर कोल्डड्रीँक आता है,
ReplyDeleteजिसमे सिर्फ स्वाद आता है,
पोषण शुन्य..!
और कमाता कौन?
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मल्टीनेशनल कम्पंनीया..!!
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और
उसके सामने 50 रुपये 1 किलो फल आते है,
जिसमेँ स्वाद बेमिसाल,
उत्तम पोषण
और
कमाता कौन?
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धुप मेँ,बरसात मेँ, शर्दी मेँ
लारी लेकर,
तनतोड मेहनत करता
अपना गरीब
भारतवासी....!!
सभी टेट मेरिट चाहने वाले भाई परेसान
ReplyDeleteना हो हम लोग
दिन- रात एक कर
के आप लोगो को जीत पक्का करना चाह रहे हैँ
Kaise dawa karte ho dost tet merit banegi ya gunak idhar aap tet merit aur udhar s.singh gunak kya hoga confirm nahi hai
ReplyDeleteJo bhi ho yar jald ho mujhe kisi merit se elergy nahi hai tet 123 hai lekin sarkar ki taraf decision lag raha hai.
ReplyDeleteKya aap ye bata sakte hai ki junior ki bharti me kewal math aur science ki seat hai kewal ya english ya social k liye bhi hoga
ReplyDeleteKya graduation me last year me jo subject hota hai wahi mana jata hai ya fir sab yani teeno mane jate hai
ReplyDeletePls reply plsssssssssssssssss
ReplyDeleteBlogger TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI said...
ReplyDeletesarkar ke chahne se kuchh nahi hota hai
nahi to sabse pahle stay hatwa leti
tet merit ke liye 100 date bhi kam hai
agar next july me bhi ho to koi baat nah
TERI GAAND ME KEEDE PADE
BHARTI CHOR
SALE TERE BAAP KE PAAS DAULAT HE..
ARE GALAT KAH GAYA
KAMINE TU HARAM KHOR YAHI CHAHATA HE KI BHARTI DER TAK NA HO KYU KI LOG TUJHE CHANDA DE KE AMIR BANA RAHE HE KAMINE
TU MARE TO ME CHEEL KA MOOT DHOONDH KE MAUNI BABA KO CHADHAU
Sattaar Singh TET WALO KA TETUA DABA KE ACD WALO KI G..........???? ME DAL KE PEDH PE ULTA LATAKA KE AIK WRIT DALNI HE CHANDE KI DARKAR HE DOSTO MADAD KI UMMMID ME AIK NOKARI KA BHIKHARI..
ReplyDeleteअवमानना मामले में उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख सचिव
ReplyDeleteहिरासत में
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के
आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह)
को हिरासत में ले लिया गया है। अदालत
की अवमानना के एक मामले में कोर्ट ने यह आदेश
दिया। इसके अलावा अवमानना से जुड़े एक अन्य
मामले में फैजाबाद के अतिरिक्त आयुक्त को भी जेल
भेज दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के कई बड़े अफसरों पर हाईकोर्ट
की गाज गिरी है। अवमानना के मामले में हाईकोर्ट
की लखनऊ बेंच ने यूपी के प्रमुख गृह सचिव आरएम
श्रीवास्तव को कस्टडी में ले लिया है। उनको कोर्ट में
बिठाकर रखा गया है। प्रमख गृह सचिव पर पूर्व
मंत्री रामवीर उपाध्याय को सुरक्षा देने के मामले में
ये कार्रवाई हुई है।
वहीं अवमानना के एक दूसरे मामले में प्रमुख सचिव
स्टांप केएल मीना को भी कस्टडी में ले लिया गया है।
उनको भी कोर्ट में बिठा लिया गया है।
जबकि अवमानना के एक और मामले में फैजाबाद के
एडिशनल कमिश्नर प्रशासन शैलेंद्र कुमार सिंह
को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने तीन दिन के लिए जेल
भेज दिया है। हाईकोर्ट ने शैलेंद्र कुमार सिंह को एक
मामले को छह महीने के भीतर निपटाने का आदेश
दिया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने सिंह
को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। छह महीने के
भीतर शैलेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद
भी काम पूरा नहीं किया। इसके बाद उन्हें तीन दिन के
लिए जेल भेज दिया गया।
अवमानना के एक दूसरे मामले में प्रमुख सचिव स्टांप
केएल मीना को भी कस्टडी में ले लिया गया है।
उनको भी कोर्ट में बिठा लिया गया है।
जबकि अवमानना के एक और मामले में फैजाबाद के
एडिशनल कमिश्नर प्रशासन शैलेंद्र कुमार सिंह
को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने तीन दिन के लिए जेल
भेज दिया है।
tet morcha ke alahabad adhyax sujeet singh aur tet morcha ke vidhik salahkar h.c ke advocate navin sharma g se ,aur active tet sathi ram babu se bat kiya aur t.b ke date k bare me janana chaha..tn sabka lagbhag ek hi javab aaya ke agle 3 se 4 din me faishla aane ka full chance hai..vidhik salahkar advocate navin sharma ke acording 9, 10 may ko dicizen aane ke pure chance hai..aur b.ed practical ka date isliye bar bar badhaya ja raha hai kyuki bina nontet ka order aye base of selection par kisi v prakar ki sunwai nahi ho sakti..advocate navin g khud h.c ke ek vakil hai sn unki btayi date galat nahi hn sakti..
ReplyDelete.......jai tet