लखनऊ : प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों को आठ प्रतिशत महंगाई भत्ते की राहत मंजूर की है। इस बढ़ोतरी के साथ राज्यकर्मियों का महंगाई भत्ता मूल वेतन का 80 फीसदी हो गया है। बढ़ा डीए एक जनवरी 2013 से देय होगा। हालांकि 1 जनवरी से 31 मई तक बढ़े डीए की राशि कर्मचारी भविष्य निधि में जमा की जाएगी। नकद भुगतान जून के वेतन से किया जाएगा जो उन्हें जुलाई में मिलेगा। इसी तरह पेंशनरों का भी भत्ता बढ़ाने को मंजूरी दी गई है। वित्त विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है
Salary of teachers will also increase and approx salary of Primary Teachers will be approx. Rs. 25000/ monthly + Other leave / PF/Gratuity benefits.
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सुनो सबकी और मानो अपने मन की :-
ReplyDeleteवृहदपीठ द्वारा केवल नान टेट मुद्दे पर (12908/2012) फ़ैसला आयेगा या 150/2013 व संबन्धित अपीलों पर भी , इसको ले कर कही शंका का मौहाल है तो कही जानबूझ कर अफ़वाहे उडाई जा रही हैं. तार्कित दृष्टि से संभावनाओं को तलाशने वालों को कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर ध्यान देना चाहिये.
3 अप्रैल 2013
न्यायमूर्ती अंबानी-शाही-बघेल की पीठ ने 03/04/2013 को अपनी पहली सुनवाई के बाद ज़ारी आदेश में स्पष्ट किया कि--
1. यह पीठ मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार संदर्भित मामले 12908/2012 के संबन्ध में निर्णय देने के लिये गठित की गयी है .
2. याचियों की ओर से राहुल अग्रवाल, अरविन्द श्रीवास्तव ,आलोक मिश्रा और अशोक खरे , राज्य सरकार की ओर से सी.बी.यादव व उनकी टीम, एन.सी.टी.ई की ओर से रिज़वान अख्तर व उनकी टीम और भारत सरकार की ओर से श्री आर.बी. सिंघल और तिवारी के तर्कों को सुना .ध्यान रहे कि अशोक खरे का नाम यहाँ 150/2013 के काउंसिल के रूप में नही बल्कि 12908/2012 में इन्टरवेंशन अप्लीकेशन दाखिल करने वाले अनिल भाई (बागपत)के वकील के तौर पर है .
3. इनकी बहस के आधार पर पीठ को यह तय करना है कि एन.सी.टी.ई द्वारा (ए)एन सी टी ई द्वारा 23अगस्त 2013 को ज़ारी अधिसूचना में उल्लिखित "न्यूनतम योग्यता" के दायेरे में क्या आता है? (बी) क्या एन सी टी ई द्वारा 23 अगस्त 2010 व 29 जुलाई 2011 को ज़ारी अधिसूचना में वर्णित न्यूनतम योग्यता क्या आर.टी.ई एक्ट की धारा 23 के अनुपालन में है? (सी) प्रभाकर सिंह व अन्य बनाम राज्य सरकार मामले में ( नान टेट बी.एड + 50% स्नातक को शामिल करने का खंडपीठ का निर्णय उचित और वैध है?
4. उपरोक्त पक्ष 12 अप्रैल 2013 तक अपनी बहस लिखित रूप में जमा करें मामले ,की सुनवाई 16 अप्रैल 2013 को होगी.
16 अप्रैल 2013
संबन्धित पक्षों को सुनने के बाद 17 को सुनवाई ज़ारी रखने का आदेश
17 अप्रैल 2013
याचियों की ओर से राहुल अग्रवाल, अरविन्द श्रीवास्तव ,आलोक मिश्रा और अशोक खरे , राज्य सरकार की ओर से सी.बी.यादव व उनकी टीम, एन.सी.टी.ई की ओर से रिज़वान अख्तर व उनकी टीम और भारत सरकार की ओर से श्री आर.बी. सिंघलऔर तिवारी के तर्कों को सुना .
निर्णय पारित करने संबन्धी नोटिफ़िकेशन में 12908/2012 के साथ साथ 150/2013 के प्रतिनिधित्व में कनेक्टेड अपीलों का उल्लेख किया गया है जिन पर (ए) निर्णय दिये जाने या (बी) संबन्धित पीठों को संदर्भित /प्रेषित किये जाने के कयास लगाये जा रहे हैं .
Wednesday, May 29, 2013 10:02:00 PM
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Mai academic samarthako se nafrat sirf isliye nahi karta ki wo academic samarthak hai..balki ye bhrast vyavsth gundagardi ke samarthak hai...inhe desh ke system ya moral value se koi lena dena nahi...
ReplyDeleteinki bhasha hoti hai ki court sarkar se badh kar nahi hoti...ye kahate hai ki judges se setting ho gayi hai...ye kahate hai ki sarkar jo chahegi wahi hoga...aisi hai inki bhasha...kabhi inke sath aisi sthiti khadi ho gayi ki sarkar ke virodh me inhe court jana pad gaya toh kya haal hoga inka...
kya ye judges ko kharidne me lage rahenge...
kya inhe thoda Sa bhi sahi galat ya sidhanto se matlab nahi hai...
mujhe iss tarah ki soch walo se ghinna aati hai...ek naukari ki khatir desh ko bech dene wali mansikta rakhte hai ye..mujhe ab khud ki naukari ki chinta nahi hai balki iss baat ki chinta hai ki aisi mansikta walo ki sankhya bahut jyada ho gayi hai...ye toh pure system ko khatm kar ke desh loot lenge..
संविधान पीठ का आदेश किन किन बिंदुओ पर आएगा इसका स्पष्ट उल्लेख इस आदेश मे किया गया है HIGH COURT OF JUDICATURE AT
ReplyDeleteALLAHABAD
?Court No. - 29
Case :- WRIT - A No. - 12908 of
2013
Petitioner :- Shiv Kumar Sharma
Respondent :- State Of U.P.Thru
Secy & Ors.
Petitioner Counsel :- Anil
Bhushan,Adarsh Bhushan,Rahul
Agrawal
Respondent Counsel :- C.S.C.,R.A.
Akhter,R.B.Yada v
Hon'ble Sunil Ambwani,J.
Hon'ble Amreshwar Pratap Sahi,J.
Hon'ble Pradeep Kumar Singh
Baghel,J.
The Vakalatnama filed by Sri
Bhanu Pratap Singh on behalf of
respondent no.3 is taken on
record.
The Full Bench has been
constituted by the orders of
Hon'ble the Chief Justice dated
14.3.2013 for deciding the
reference made on 8.3.2013 in
Writ Petition No.12908 of 2013.
We have heard Shri Rahul
Agarwal, Shri Arvind Srivastava,
Shri Ashok Khare, Senior Counsel
for the petitioners. Shri C.B.
Yadav, Additional Advocate
General appears for the State of
UP. Shri R.A. Akhtar appears for
National Council for Teachers
Education. Shri R.B. Singhal,
Assistant Solicitor General of
India assisted by Shri Krishna
Agarwal appear for the Central
Government.
After giving an opportunity of
preliminary hearing to the
parties, we are of the view that
following questions arise for
consideration by the Full Bench:-
"a) What does the phrase
"minimum qualifications"
occurring in Section 23 (1) of the
Right of Children to Free and
Compulsory Education Act, 2009
(the Act) mean - whether passing
the 'Teacher's Eligibility Test', is a
qualification for the purposes of
Section 23 (1), and its insistence
by the NCTE in the Notification
dated 23.08.2010 is in
consonance with the powers
delegated to the NCTE under
Section 23 (1) of the Act?
b) Whether clause 3 (a) of the
notifications dated 23.08.2010
and 29.07.2011 issued by the
NCTE under Section 23 (1) of the
Act,� permits persons coming
under the ambit of that clause to
not undergo the 'Teacher's
Eligibility Test', before they are
eligible for appointment as
Assistant Teachers? What is the
significance of the words "shall
also be eligible for appointment
for Class-I to V upto 1st January,
2012, provided he undergoes,
after appointment an NCTE
recognized six months special
programme in elementary
education"?
c) Whether the opinion
expressed by the Division Bench
in Prabhakar Singh and others vs.
State of UP and others 2013 (1)
ADJ 651 (DB), is correct in law?
List on 16.4.2013 at 10.00 AM.
The parties will� file written
arguments with supporting
documents by 12.4.2013.
Order Date :- 3.4.2013
टीईटी पर 31 मई को आएगा फैसला
ReplyDeleteइलाहाबाद | हिंदुस्तान संवाद
बेसिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की अनिवार्यता पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की वृहद पीठ का फैसला 31 मई को आएगा |
शिक्षक भर्ती में टीईटी की अनिवार्यतापर विवाद के बाद मामला वृहद् पीठ को संदर्भित किया गया था | जस्टिस सुनील अम्बवानी,जस्टिस ए पी शाही और जस्टिस पी एस बघेल की वृहद् पीठ ने 17 अप्रैल को फैसला सुरक्षितकर लिया था |
दिसंबर 2012 में दोबारा शुरू हुई प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में आवेदन करने वाले बेरोजगार फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं|
हालाँकि इस फैसले के बाद टीईटी मेरिट या अकेडमिक रिकॉर्ड बनाने के विवाद का निपटारा होगा, जिसकी सुनवाई जुलाई में होगी |
Gunank bhai
ReplyDelete.
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aaj ka hindustan alahabad page no. 4 padhe jisme likha hai base of selection july me tay hoga..aur ab kam se kam afwah failana band kare..ham log jo khud high court jate rahe hai hame na pta ho ki faishla kis par aayega tab to hamara tet sangharsh morcha se judna hi vyarth hai...padho hindustan alahabad ka page no.4 aur center fresh kha ke dimag ki batti jalao aur khoob afwah failao..page no.4 padh ke adhe log ko to avi na hurt attack aa jaye..aur 31 ke order ke bad to acd grup ki afwah par acd wale khud inke admin ko gali dege.,.
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dekh lena
*§*Tet Merit nahi to bharti bhi nahi*§*Good Morning Frnds.kal wahi hone ja raha hai.jo hum jante hai.yani(1)Non Tet Out(2)Base of selection and other cases wl transfer to db. And base pe sunwai july me hogi.jaisa ki db me humari pragti hai us tarah july me tet merit bnne ka faisla aana tay hai.gunank bhai ap log kal ye soch ke khus mat hoiyega ki new add bhal hone ja raha hai.kyoki isse ap logo ko bhari dukh hoga.up sarkar ne jo anudesak ki niyukti ki hai.wo radd ho jayegi kyoki sc me case chal raha ki rte lagu ho gya to sanwida teacher kyo rakhe ja rahe isme up gujrat and bihar govt ko bi talab kiya gya hai.is spa sarkar ki sari hekdi niklane wali hai.kahte hai sabra ka fal metha hota hai.tet merit lions ne bahut sabra kiya ab tohfa july me milega and tohfa hoga tet merit se prt ki niyukti.jai tet merit
ReplyDeleteसंविधान पीठ का गठन मात्र इस उद्देश्य से किया गया था ताकि सरकार को यह समझाया जा सके कि टेट की अनिवार्यता और उसकी आवश्यकता को किसी भी सूरत में नजरंदाज नही किया जा सकता । टेट ही एक मात्र ऐसा विकल्प है जो प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को सुद्रढ़ करने के लिए आवश्यक है ।यह आदेश उन सबकी बोलती बंद करने वाला है जो आज तक यह कहते आये हैं कि यह केवल पात्रता परीक्षा मात्र है ।यह आदेश यह भी स्पष्ट करेगा कि टेट को सरकार द्वारा पात्रता मात्र बताकर किनारे कर देना पूरी तरह से अनुचित और अव्यवहारिक है । 12908 के अतिरिक्त जितने भी केस हैं वह सब अपनी पूर्ववर्ती बेंचों में वापस कर दिए जायेंगे । इसलिए अनर्गल बातों में न फंसे और समय का इन्तजार करें,,,,,,सारी स्थितियां आपके पक्ष में हैं । शांत रहे और । आपको क्या लगता है कि कोर्ट ने 31मई को ही निर्णय का दिन क्यों चुना ,,,,,,,?????? जरा ध्यान से सोचियेगा और सारी कड़ियों को जोड़ने का प्रयत्न कीजिएगा ।समस्त स्थितियां स्वत: स्पष्ट हो जायेंगी । यह रिक्तियां आपकी हैं और इनपर नियुक्ति भी आपकी ही होगी ।
ReplyDeleteअगर आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
ReplyDelete.
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तो समझ लेना चाहिये कि बात बडे स्तर की हो रही है ।
संविधान पीठ के नान टेट मामले पर रिजर्व आदेश का इंतजार करते करते हम सब थक गए है । जीत के इतने करीब आने के बाद उसका इंतजार करना निश्चित रूप से कठिन होता है ।उस आदेश मे क्या आना है अप्रत्यक्ष रूप से हम सब जानते है । मगर आदेश का आना अति महत्वपूर्ण है क्योंकि जब तक यह आदेश नही आ जाता हमारी जीत की घोषणा नही हो सकती । निराश हताश भयभीत या हारने का विकल्प हमारे पास नही है । हमारे पास एक मात्र विकल्प है अपनी निश्चित लेकिन अभी तक अघोषित जीत की घोषणा का इंतजार करना । कोर्ट पर दबाव बनाने का विकल्प जब सरकार के पास ही नही है तो हम सब किस खेत की मूली है । निराशा के वशीभूत होकर हमारे कुछ साथी कोर्ट के घेराव की योजना बनाने की बात कर रहे है । मेरे खयाल से कोर्ट के प्रति इस प्रकार की धारणा बनाना हमे शोभा नही देता । कोर्ट और कचहरी के कामो मे देर लगना स्वाभाविक है यह व्यवस्था की खामि है इसे हम चाहकर भी दूर नही कर सकते । स्टे से पहले के दिन याद कीजिए और चैन की साँस लीजिए । अधीर होने से कुछ भी हासिल अगर होता तो इस लाइन मे मै सभी सदस्यो के साथ सबसे आगे खड़ा होता । कोर्ट पर दबाव का विकल्प किसी के पास नही होता । रही बात सरकार पर आंदोलन के माध्यम से दबाव बनाने की तो इस मामले मे सरकार का एक ही जवाब होगा कि मामला कोर्ट मे है और हम कुछ नही कह सकते । कुछ साथियो को पता नही क्यो सरकार सर्वशक्तिमान लगने लगती है । जबकि सब जानते है कि इसमे सरकार का कोई हस्तक्षेप नही है । आदेश आने मे देरी का एक मात्रकारण माननीय जजो की व्यस्तता है । सरकार को अकेडमिक वालों की नजरो से देखकर अपना BP बढ़ाने के अलावा कुछ हासिल नही होगा । थोड़ा बहुत अधीर तो हम सब है मगर न तो निराश है और न भयभीत । निराश और भयभीत होने का काम अकेडमिकवालों के लिए छोड़ दीजिए ।आप तब तक जून की छुट्टी मे टंडन जी के आयु सीमा पुराने आवेदन को नए विज्ञापन की शर्तो को स्वीकार किए बिना उसमे शामिल करने वाले आदेश हरकौली जी और लखनऊ बेँच का स्टे आदेश का अध्ययन कीजिए
ReplyDeleteआम तौर से मैं हर बात
ReplyDeleteसाफ़-साफ़ लिखता रहा हूँ,,लेकिन इस बार टेट मेरिट के
हितों को मद्देनजर रखते हुए संविधान पीठ के आदेश
में हुयी देरी के सम्बन्ध में मुझे मौन रहना पड़
रहा है,,,,सही वक्त आने पर इसकी वजह
भी बता दूंगा ,,फिलहाल बस इतना समझ लें
कि जो कुछ भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अब
अटक हुआ है ,,और जो आज-कल हो रहा है वो सब
शुद्ध टेट मेरिट के हितों को सुरक्षित रखने के लिए
ही हो रहा है,,,, बस विश्वास रखिये कि जून में कुछ
ऐसा होगा जिसकी आपने कल्पना तक
ना की हो,,,बशर्ते कि ऊपर वाला हमारे धैर्य की और
परीक्षा लेने के मूड में ना हो,,,,,
बहकावे में न आये अपनी अक्ल लगाये।।। जरा सोचें...!!!!
ReplyDelete- कोलगेट नही था तो क्या भारत में पति पत्नी साथ नही सोते थे....?
- चाय नहीं थी तो क्या सब सुस्त और आलसी थे सुबह खडे नही हो पाते थे...?
- क्रिकेट नही था तो क्या भारतीय खेलते ही नही थे....?
- वैलेनटाइन नही था तो क्या भारतीय प्रेम नही करते थे...?
- फेयर लवली नही थी तो क्या सब भारतीय नारी काली थी...?
- स्कर्ट नही थी तो क्या भारत में लडकियां पढती नही थी...?
- अमूल माचो नही था तो क्या भारतीय नंगे रहते थे....?
- डिस्को नही था तो क्या भारत में संगीत नही था...?
- ओह माई गोड शब्द नही था तो क्या भारतीय भगवान नही मानते थे...?
- लाइफ बाय लक्स नहीं था तो भारतीय गले सडे रहते थे...?
- पैंटीन नही था तो क्या सब गंजे हो जाते थे....?
- अंग्रेजी नही थी तो क्या भारत में कोई ज्ञानी नही था....?
- देसी चीजों को बढ़ावा दो विदेसी चीजों का बहिष्कार करो....
- टमातो केचप नहीं था तो क्या चटनी नहीं बनाते थे ....
- पेप्सोडेंट से पहले भारतीयों के दांत कमजोर होते थे ......
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 4 फ़रवरी 2013 को दिए गए आदेश में कहा गया:
ReplyDeleteहमने एक ही तरह की इन याचिकाओं में याचियों के अधिवक्ताओं तथा राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता को सुना। सभी याचिकाएं एक बंच के रूप में 11 फरवरी को सुनवाई के लिए एकसाथ सूचीबद्ध की जाएँ।
सभी अभ्यर्थियों ने अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है . यहाँ इन मामलों में उठने वाले बुनियादी सवालों में से एक यह है कि अगर चयन का आधार TET मेरिट है, तो फिर भले चयन प्रशिक्षण के पहले हो या बाद में, नतीजा एक ही होना है। विज्ञापन (पुराने) का अनुच्छेद 10 कहता है कि NCTE से मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण की सफलतापूर्वक समाप्ति के बाद 1981की नियमावली एवं 12वें संशोधन, 2011के अनुसार मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। किसी मामले का निस्तारण करते समय हमेंमौलिकता (वास्तविकता, किसी चीज के वास्तविक प्रभाव) के अनुसार चलना होता है। उदाहरण के लिए, यदि (पुराने विज्ञापन के प्रभावी रहने की दशा में)चयनित अभ्यर्थी "प्रशिक्षु शिक्षक" नकहे जाते, परन्तु योग्यता के अनुसार केवल "वेतन के बराबर छात्रवृत्ति या मानदेय के साथ प्रशिक्षण"
के लिए चुन लिए जाते, और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद पुनः उनकीटेट-मेरिट (जो उस समय चयन का निर्धारित आधार था) के आधार पर उनको चयन-प्रक्रिया से गुजरना होता, तो भी नतीजा वास्तविकता में एक ही होता। और ऐसी स्थिति में (किसी निर्णय का) यह आधार नहीं रह जाता कि "प्रशिक्षु शिक्षक का कोई पद ही नहीं!"
पुरानी चयन-प्रक्रिया को रद्द करने के आधार, जैसा कि 26.07.2012 के (सरकार के) आदेश में उल्लेख है, दो तरह आधार (अवधारणा/ मान्यता) हैं।
पहला आधार कहता है कि TET के आयोजन में कुछ अनियमितताएं, जैसा कि आरोप लगाया गया है। प्रतीत होता है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किसी हाईपावर कमेटी ने एक रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर समूची चयन-प्रक्रिया, जिसमे TET में प्राप्तांक ही चयन-निर्धारक थे, को रद्द किया गया।
एकल न्यायाधीश ने अपने प्रश्नगत आदेश में स्पष्ट किया है कि अगर (TET में) कुछ जगहों पर कुछ अनियमितताएं पाई गई थी तो इसके ख़राब हिस्से से TET के अच्छे हिस्से को अलग किये जाने के प्रयास किये जाने चाहिए थे, परन्तु समूची चयन-प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जाना चाहिए था।
अबतक राज्य की ओर से ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला है (जिस से पता चल सके) कि अच्छे हिस्सों, मतलब वे जगहें या क्षेत्र, जहां TET में कोई अनियमितता नहीं थी, को खराब हिस्सों, मतलब उन जगहों या क्षेत्रों, जहां अनियमितताएं हुईं थीं, से अलग किया जा सका या नहीं किया जा सका।
).
अतिरिक्त महाधिवक्ता के निवेदन के अनुसार हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट जवाबी-हलफनामे के जरिये कोर्ट में रखी जा सकती है, उस रिपोर्ट या अन्य पूर्ववर्ती दस्तावेजों के आधार पर (इस बात का भी ) एक तर्क-संगत कारण भी इंगित होगा कि (कैसे) अच्छे हिस्से को खराब हिस्से से अलग किया जाना संभव थाया नहीं था।
ReplyDelete26.07.2012 के आदेश का दूसरे प्रकारका आधार यह इंगित करता है कि (सरकार केस्तर पर) ऐसा अनुभव किया गया था कि चयनहेतु योग्यता निर्धारण के लिए TET में प्राप्त अंकों के आधार पर बने पैमाने को हटाकर TET-मेरिट को नजर-अंदाज़ करके, चयन हेतु योग्यता-निर्धार ण के लिए पुराने शैक्षणिक प्रदर्शन पर आधारित गुणांक के आधार परपैमाना बनाया जाना चाहिए। बाद में मन में उपजे किन्ही ख्यालात के कारण ऐसा माना गया कि यह नया पैमाना बेहतर होगा। उसी के मुताबिक नियमावली में परिवर्तन किये गए।
माननीय एकल न्यायाधीश ने अपने प्रश्नगत निर्णय में स्पष्ट किया है कि चयन के मानकों में होने वाले ऐसे कोई भी बदलाव अग्रगामी प्रभाव वाले होंगे (बदलाव के बाद शुरू होने वाली किसी प्रक्रिया पर) और पूर्ववर्ती चयन को प्रभावित नहीं कर सकते।
इसके भी आगे बढ़कर, हमारा प्रथम-दृष्टया विचार है कि (सरकार के) विचारों में (आया) बदलाव, "कि योग्यता के निर्धारण के लिए पुराने पैमाने को हटाकर बेहतर प्रतीत होने वाले पैमाने को लागू किया जाये", किसी समूची चयन-प्रक्रिया को रद्द करने का कारण नहीं हो सकता। यदि राज्य की ओर से पेश किये गए इस प्रकार के आधार या कारण स्वीकार किये जाते हैं तो कल को इस बात की भी सम्भावना बन जाएगी कि कोई और सरकार या अन्य अधिकारी सोच ले कि (अब) शायद यह नया लागू किया गया पैमाना(गुणांक) हटाकर वह पैमाना लागू किया जा सकता है जिसे वह इस पैमाने (गुणांक)से भी बेहतर मानता है, तो वह फिर से एक चल रही चयन-प्रक्रिया को कचरापेटी में डालने का आधार तैयार कर सकता है।
नयी चयन-प्रक्रिया में, बहुत ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल हुए हैं जिनकी काउंसिलिंग आज से शुरू हुई है।
स्वाभाविक है कि काउंसिलिंग (की प्रक्रिया) समय लेगी, और सभी पक्षों की सहमति के साथ हमारा इरादा इन सभी याचिकाओं को स्वीकार करने के चरण में ही अंतिम रूप से निस्तारित करने का हैजिसके लिए हमने 11.02.2013 की तिथि निर्धारित की है। अतएव, हमारा मत है किइतने सारे अभ्यर्थियों को काउंसिलिंगकी परेशानी में नहीं डालना चाहिए, जो (काउंसिलिंग) कि इन सभी याचिकाओं के अन्ततः स्वीकार होने (याचियों की मांग मान लिए जाने) की स्थिति में निरर्थक कार्यवाही भर रह जाएगी। इसलिए, इस मामले से जुड़े सभी पक्षों केबृहत् और समग्र हितों सहित उन अभ्यर्थियों के हितों को, जो हमारे सामने एक पक्ष के रूप में नहीं हैं, कोध्यान में रखते हुए हमारा यह मत है कि (07.12.2012 के विज्ञापन के अनुसार) चल रही चयन प्रक्रिया को 11.02.2013तक स्थगित रहना चाहिए। (इसी के) अनुसरण में आदेश (किया जाता है
यह आदेश टेट मैरिट के लिए शाश्वत सत्य अकेडमिक के लिए पतन की निशानी और वोट की राजनीति करने वाली सरकार के मुँह पर करारा तमाचा है ।
ReplyDeleteभैया हम तो कहते हैँ कि ये नक्सली समस्या रातो रात खत्म हो सकता है
ReplyDeleteबस एक बार किसी नक्सली नेता को नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने को कह दो
chahe 31 may ko ya july me faisla aae par banegi to acd merid ye to 101 % tay hai.na to mai acd merid or na to mai tet merid spooter hu. Jo true hai bol diya
ReplyDeleteSaurabh yadav ji...
ReplyDeleteMujhe to lag rha h ki aap sarkar ke taraf se bol rahe h...
Mujhe esame bhi kuchh gapale ki bu aa rhi h tabhi to aap itane confidence ke sath kah rhe vo bhi 100% nhi 101% ke sath kah rahe h ki merite to acedemic hi banegi...kya court ko bhi aap jaise bicholiye ne kharid liya h kya...
ReplyDeleteNahi sir ji aesi koi baat nahi aap log negative kyo sochate ho mai yadav hu isliye
Hello tet merit nahi to bharti bhi nahi, sunil tiwariji, rahul smartyji and bhailogo how r u? Kya chal raha hai?
ReplyDeleteHello tet merit nahi to bharti bhi nahi, sunil tiwariji, rahul smartyji and bhailogo how r u? Kya chal raha hai?
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