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Friday, May 10, 2013
UPTET / BTC : अब सहायता प्राप्त परिषदीय स्कूलों में शुरू होगी भर्ती
13 comments:
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yaha bhi koi na koi mahan gaadu
ReplyDeleteapani marawa ke hi dam lega
dekhana sahayata prapt school khud
help me help me chillayega
tet
ReplyDelete.
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merit
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कृप्या साफ-साफ बताइये की क्या मनमोहन सिंह :
ReplyDelete१- बेवकूफ है ?
१ ऐ - समझदार है ?
२- नालायक है ?
२ ऐ - काबिल है ?
३- बेक़सूर है ?
३ ऐ - गुनहगार है ?
४- सोनिया का नौकर है ?
४ ऐ - सोनिया का वफादार है ?
४ बी - सोनिया से नहीं डरता है ?
५- खुद फैसले लेता है ?
५ ऐ- सोनिया से पूछ कर फैसला लेता है ?
५ बी- सोनिया फैसले लेती है ?
६- देश का प्रधानमंत्री है ?
६ ऐ- सोनिया का प्रधानमंत्री है ?
७- देश का भला किया है ?
७ ऐ- देश का नुकसान किया है ?
८- भ्रष्टाचार को खत्म किया है ?
८ ऐ- भ्रष्टाचार को बढ़ाया है ?
कृप्या सोच समझ कर उत्तर दीजिये !
सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ?
कोई नेगटिव मार्किंग नहीं है !
समय की कोई सीमा नहीं है !
देश हित में सभी इन प्रश्नों के उत्तर दें !
आप के उत्तर देश का भविष्य निर्धारित करेंगे !!
अकेडमिक वाले कहते है 150 /2013 पर मिला स्टे इसलिए हट जाएगा क्योंकि उस पर rejoinder
ReplyDeleteनही लगा है और उसकी कापी फेसबुक पर उन्होने अथक प्रयास करके लोड कर दी है । मुझे तो इन
फेसबुक के वकीलो पर हँसी आती है । क्या इन बेचारोँ को पता है स्टे क्यो मिला ?
क्या हरकौली साहब ने हमसे rejoinder माँगा था ? जब सरकार के सभी तर्क हरकौली साहब ने सुनते
ही खारिज कर दिए तो उसकी क्या आवश्यकता थी ? साथियो स्टे मिला है टंडन
जी द्वारा किसी चलती प्रक्रिया के नियम बदलना असंवैधानिक मानने के कारण । स्टे मिला है सरकार द्वारा Prospective amendment का प्रभाव retrospective दर्शाया जाना असँगत
अव्यवहारिक और असंवैधानिक होने के कारण । स्टे मिला है टंडन जी द्वारा असंगत तर्क (प्रशिक्षु
शब्द लिखा न होने के कारण पुराना विज्ञापन खारिज करना ) होने के कारण । स्टे मिला है
पुराने आवेदको के हित प्रभावित होने के कारण । अब यह स्टे तभी हटेगा जब पुराने विज्ञापन से टेट
मैरिट के आधार पर नियुक्ति पत्र सरकार जारी करेगी । अन्यथा जेल जाने
का अगली बारी किसकी होगी मुझे बताने की जरूरत नही है ।
हमारे कुछ साथी कह रहे है संविधान पीठ से स्टे हट जाएगा । मै पूछता हूँ क्या उनको पता भी है स्टे क्यो और किसी एक रिट पर मिला या bunch of writs पर मिला ? क्या हरकौली साहब ने टेट मैरिट सपोर्टर के वकीलो से किसी रिट पर rejoinder माँगा था ? जब सरकार के सभी तर्क हरकौली साहब ने सुनने के बाद स्वयं ही खारिज कर दिए तो क्या हर रिट पर rejoinder लगाने की आवश्यकता थी ? स्टे हटने की बात करने वाले साथियो पहले यह तो पता कर लो कि स्टे क्यो मिला है? चलो मै ही बता देता हूँ । स्टे लगा है टंडन जी द्वारा किसी चलती प्रक्रिया के नियम बदलना असंवैधानिक मानने के कारण । स्टे मिला है सरकार द्वारा Prospective amendment का प्रभाव retrospective दर्शाया जाना असँगत अव्यवहारिक और असंवैधानिक होने के कारण । स्टे मिला है टंडन जी द्वारा असंगत तर्क दिए जाने (प्रशिक्षु शब्द लिखा न होने के कारण पुराना विज्ञापन खारिज करना ) के कारण । स्टे मिला है पुराने आवेदको के हित प्रभावित होने के कारण । अब यह स्टे तभी हटेगा जब यह असंवैधानिक बाते खत्म हो जाएँगी मतलब जब पुराने विज्ञापन से टेट मैरिट के आधार पर नियुक्ति पत्र सरकार खुशी खुशी जारी करेगी । अगर ऐसा नही करेगी तो जेल जाने का अगली बारी किसकी होगी मुझे बताने की जरूरत नही है । अधिक जानकारी के लिए संबंधित कोर्ट आदेश काउंटर और रिट नं 152/2013 के rejoinder का अवलोकन करे ।
ReplyDeleteउन्हे लगता था चचा जान के फ़ोन करने पर स्टे हट जाएगा । मगर अफसोस उन्हे नही पता कोर्ट मे और वह भी इतने चर्चित मामले मे किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना तो बहुत दूर हस्तक्षेप करने के बारे मे सोचा भी नही जा सकता।
ReplyDeleteचिंता ना करें भाई ,,
ReplyDeleteहमारे साथी इन्तजार करने के आनंद की अनुभूति हौले-हौले महसूस करने लगे हैं ,,संविधान पीठ का आदेश अगर इस हफ्ते नहीं आया तो अगले हफ्ते आ जाएगा ,,जब भी आएगा तब देखा जाएगा ,,,,,किसी एक -दो व्यक्तियों के हाथ में तो है नहीं कि अपनी मर्जी से आदेश ले आये,,जिस दिन तीनों जजों को उचित लगेगा उस दिन आदेश आ जाएगा
आपमें से अधिकाँश या यूं कहें लगभग सभी साथी संविधान पीठ का सुरक्षित फैसले, जिसका आना और जिसका परिणाम दोनों ही निश्चित हैं, के आने में हो रही देरी से अधीर हैं,,,,अधीर होना स्वाभाविक भी है,,,, लेकिन चिंतित बिलकुल भी नहीं होगे ,,,,जब चिंता की कोई बात ही नहीं है तो चिंतित होगे भी क्यों,,,, अधीरता से अधिक आपकी भावनाओं को बेसब्री कहा जाना उचित प्रतीत होता है,,आखिर संविधान पीठ के फैसले के बाद हमें जीत की ओर निर्णायक कदम जो बढाना है ,,न्यायमूर्ति हरकौली साहब की अदालत की ओर ,,,,,,,
ReplyDeleteटेट मेरिट से चयन तो निश्चित ही है ,,,पूर्व विज्ञापन बहाल करके हो या नए विज्ञापन से जुड़े पदों को नए विज्ञापन पर पूर्व विज्ञापन के फार्मों को आरोपित करके ,,जैसा कि SCERT विवरण वाले आदेश की मूल भावना थी,,,,, अब मैं यह सोच रहा हूँ कि टेट मेरिट से चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के उन पैसों का क्या होगा जो उन्होंने नए विज्ञापन को भरने में खर्च कर दिए ,,,आखिर दो-दो विज्ञापनों की बाजीगरी में उनका नुकसान क्यों,,,, वो भी इतना भारी नुकसान,,आज तक तो इतने पैसे किसी ने खर्च नहीं किये होंगे किसी फ़ार्म को भरने के लिए,,,,, कई लोगों ने तो फ़ार्म भरने के लिए कर्ज तक लिया है,,,तो सवाल यह है कि क्या अखिलेश सरकार का हाजमा इतना मजबूत है कि वो उत्तर प्रदेश के श्रेष्ठतम अध्यापकों की खून पसीने की कमाई हजम कर सके,,,,,? मुझे तो लगता है कि नहीं.....
ReplyDeleteएक नियम है,,ज्यादातर लोगों को शायद पहले से पता हो,,, कोई व्यक्ति जिस पद पर चयनित हो चुका है उसी पद के लिए आने वाली दूसरी विज्ञप्ति में फ़ार्म नहीं डाल सकता ,,,,, उदाहरणस्वरूप यदि किसी क टेट मेरिट से अपने जिले में चयन ना होकर कहीं और होता है और उसका गुणांक अधिक है तो वह भविष्य में गुणांक से भर्ती होने पर भी उसमें apply नहीं कर सकता ,,,,,, शायद इसी बात को मद्देनजर रखते हुए टण्डन ने अपने SCERT विवरण वाले आदेश में उन लोगों के बारे में बाद में निर्णयन करने को कहा था जिन्होंने उस वक्त तक नए विज्ञापन में फ़ार्म दिया था,,,,,,
ReplyDeleteबात को ज्यादा घुमाफिराकर कहने की बजाय सिर्फ इतना ही कहे दे रहा हूँ कि नए विज्ञापन को भरने के लिए बनवाए अपने-अपने चालानों का लेखाजोखा तैयार रखना ,,,चवन्नी-चवन्नी वापस मिलेगी ,,,,, जैसे ही आपका टेट मेरिट से चयन होगा आपसे नए विज्ञापन में भरे फार्मों का विवरण माँगा जाएगा और आपका नाम वहां से उड़ा दिया जाएगा ,,फीस वापसी होगी ये अलग से बताने की कोई जरूरत है क्या?आप लोग SCERT विवरण वाले आदेश को हलके में लेते हो और मैं उसी आदेश के सहारे बिना एक भी फ़ार्म भरे निश्चिन्त बैठा हूँ ,,,, मात्र एक पेज का आदेश था और उसमें वो लिखा था जिसे पढ़ने के बाद न्याय विभाग ने सरकार को सलाह दी कि "अब आवाज मत निकालना,,अपील करने के बारे में तो सोचना भी मत ,,,इस आदेश को लिखने वाला तुम्हारे बाप का भी बाप प्रतीत होता है,,,"
ReplyDeleteSarabjit ke liye kabhi awaj na uthaye par atankiyo ko free karwayengeअखिलेश सरकार को कोर्टका तगड़ा झटका 0
ReplyDeleteअखिलेश सरकार ने 2007 के बम धमाके के दो आरोपियों को निर्दोष बताते हुए उन दोनों आरोपियों को रिहा करने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को रिहा करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया है।
ब्लास्ट के आरोपी को छोड़ने की तैयारी में यूपी सरकार
लखनऊ, फैजाबाद और बनारस की कचहरी में वर्ष 2007 में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले के दो आरोपियों के खिलाफ यहां चल रहे अपराधिक मामले को वापस लेने संबंधी अर्जी विशेष अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दी।
उक्त मामले के विशेष लोक अभियोजक अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने शासन के निर्देश का हवाला देते हुए आरोपियों पर से मुकदमा वापस लिए जाने का अनुरोध करते हुए विशेष अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।
अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त अभियुक्तों के विरुद्ध चल रहा वाद वापस लेने पर कौन सा जनहित होगा, यह न्यायालय की समझ से परे है।
मालूम हो कि प्रदेश सरकार ने कचहरी सीरियल ब्लास्ट के आरोपियों के मुकदमे वापसी के लिए प्रमुख सचिव न्याय की ओर से जिलाधिकारी को पत्र भेजा था। इसी के आधार पर बीते 3 मई को मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत में विशेष लोक अभियोजक अपर जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार द्विवेदी ने मुकदमा वापसी के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें कहा गया था कि क्षेत्र की सुरक्षा, व्यापक जनमानस व सांप्रदायिक सौहार्द्र को दृष्टिगत रखते हुए आरोपियों पर से मुकदमा वापस लिया जाना न्यायोचित होगा।
शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एससी एसटी एक्ट) कल्पना मिश्रा ने अभियोजन पक्ष की अर्जी खारिज करते हुए अपने आदेश में लिखा कि यह मामला आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित है तथा अभियुक्तों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य होने के उपरांतन्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुतकिया गया है।
अदालत ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले अभियुक्तों के विरुद्ध चल रहा वाद वापस लेने पर कौन सा जनहित होगा, यह न्यायालय की समझ से परे है। आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्ति किसी जाति संप्रदाय से जुडे़ नहीं होते, उनका एक मात्र मकसद जनमानस में आतंक पैदा करना होता है।
अदालत ने कहा कि इस मामले में समस्त अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत किए जा चुके हैं, अंतिम साक्षी के तौर पर विवेचक की साक्ष्य लगभग समाप्ति की ओर है जिसमें 83 पेज बयान लिखे जा चुके हैं। न्यायधीश ने आदेश में लिखा कि अभियोजन पक्षद्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, मात्र राज्य सरकार के दिए गए आदेश के अनुक्रम में मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र दिया गया है।
इसमें कोई तथ्य वर्णित नहीं है जिससे जनहित, न्याय हित, सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द्र व न्याय व्यवस्था कायम करने के उद्देश्य से वाद को वापस लिया जा सके। यह कहते हुए अदालत ने अभियोजन पक्ष की मुकदमा वापसी की अर्जी खारिज कर दी।
मालूम हो कि मुकदमा वापसी के विरोध में अधिवक्ता एवं वादकारी कल्याण समिति के अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला की ओर से जोरदार पक्ष रखा गया जिसका हवाला भी अदालत ने अपने आदेश में दिया है।
आरोपियों पर ये संगीन मामला
बताते चलें कि लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी कचहरी में हुए सीरियल बम विस्फोट के आरोप में एटीएस व एसटीएफ ने 22 दिसंबर 2007 की सुबह खालिद मुजाहिद व तारिक कासमी को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के नजदीक विश्वनाथ होटल के पास सेगिरफ्तार किया था। और इनके कब्जे से जिलेटिन की नौ राड, तीन स्टील बजर और डेटोनेटर बरामद हुए थे। बाराबंकी कोतवाली में इनके खिलाफमुकदमा दर्ज कराया गया था।
सीओ चिरंजीवी नाथ सिन्हा और राजेश कुमार श्रीवास्तव ने तीन माह में ही न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया था। तफ्तीश में तारिक कासमी को उत्तर प्रदेश का हूजी चीफ और खालिद मुजाहिद को यूपी के फौजी दस्ते का कमांडर बताया गया है। इन पर चल रहे मुकदमें की वापसी के लिए अक्टूबर 2012 में शासन ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। इसी के तहत अब मुकदमा वापसी की कार्रवाई अदालती अंजाम तक पहुंची थी
Hi
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