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आज भी न्यायिक कार्य से रहेंगे दूर
फिर गरमाया बेंच का मुद्दा
वकीलों ने नहीं किया काम, घंटों तक चक्काजाम
इलाहाबाद। हाईकोर्ट की खंडपीठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बनाने का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। हाईकोर्ट के वकीलों ने इसका विरोध करने के लिए बाहें चढ़ा ली हैं। मंगलवार को न्यायिक कार्य से विरत रहते हुए विभाजन के विरोध में लंबी लड़ाई का ऐलान किया गया। बार के सदस्य इस प्रस्ताव पर एक मत थे कि संसद से सड़क तक संघर्ष होगा। घोषणा की गई कि एक प्रतिनिधिमंडल भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय विधि मंत्री से मिलकर इस पर वार्ता करेगा। अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के सामने जीटी रोड पर घंटों चक्काजाम भी किया। वकीलों ने बुधवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहने का फैसला लिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच बनाने को लेकर हाल ही में केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की ओर से आए कुछ बयानों के बाद इस मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया है। बेंच बनाने का विरोध कर रहे हाईकोर्ट के वकीलों ने मंगलवार को न्यायिक कार्य से विरत रहते हुए गेट नंबर तीन पर सभा की। सभा में बार के अध्यक्ष कंदर्प नारायण मिश्र ने घोषणा की कि एक प्रतिनिधिमंडल इस सिलसिले में कपिल सिब्बल और मुख्य न्यायाधीश से वार्ता करने दिल्ली जाएगा। पूर्व अध्यक्ष वीपी श्रीवास्तव ने कहा कि बेंच बनाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार तथा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति आवश्यक है। ओपी सिंह ने कहा कि इंटरनेट के युग में दूरी कोई वजह नहीं है। वादकारी घर में बैठकर अपने मुकदमों की स्थिति जान सकते हैं। पूर्वमंत्री अनिल तिवारी ने वकीलों में जोश भरते हुए लंबी लड़ाई का आह्वान किया। वकीलों का कहना था कि यदि बेंच बनाने की वजह दूरी है तो सुप्रीमकोर्ट की बेंच भी हर राज्य में बननी चाहिए। सभा का संचालन बार के मंत्री प्रभाशंकर मिश्र ने किया।
News Sabhaar : अमर उजाला (14.8.13)
ReplyDeleteटीईटी के रिजल्ट ने खड़े किए
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
लखनऊ [राजीव दीक्षित]। परीक्षा का स्तर
इंटरमीडिएट का और उसमें बैठने वाले स्नातक और
कई तो परास्नातक भी पास। साथ में बीएड/
बीटीसी उत्तीर्ण। लेकिन सोमवार को घोषित हुए
उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा [यूपीटीईटी]
के नतीजे चौंकाने के साथ प्रदेश
की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान
लगाते हैं।
यूपीटीईटी के तहत सामान्य शिक्षकों के लिए
आयोजित हुईं प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर
की परीक्षाओं में बैठने वाले कुल 6,12,939
अभ्यर्थियों में से यदि महज 8.37 प्रतिशत ही 60
फीसदी या अधिक अंक पाकर उत्तीर्ण होते हैं
तो यह सवाल उठना लाजिमी है। इनमें से उच्च
प्राथमिक स्तर की सामान्य परीक्षा में बैठने वाले
5.18 लाख अभ्यर्थियों में सफल होने वाले तो सिर्फ 6.26
प्रतिशत ही रहे।
'बीए/बीएससी और इससे भी ऊंचे
स्तर की शैक्षिक योग्यता रखने
वालों का यदि इंटरमीडिएट स्तर की परीक्षा में
यह प्रदर्शन है तो यह
हमारी शिक्षा व्यवस्था को कठघरे में
खड़ा करता है,' कहते हैं पूर्व शिक्षा निदेशक
एलपी पांडेय। उनके मुताबिक इससे संकेत मिलता है
कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में जो ग्रेजुएट और
पोस्ट ग्रेजुएट निकल रहे हैं, उन्होंने डिग्रियों के
रूप में कितना सतही ज्ञान अर्जित किया है।
एक कदम और आगे जाकर लखनऊ, इंदौर और भोपाल
विश्वविद्यालयों के कुलपति रह चुके प्रो.महेंद्र सिंह
सोढ़ा कहते हैं 'हमारे यहां बुनियादी ज्ञान देने और
हासिल करने पर जोर नहीं होता। छात्र का ध्येय
वर्षों से एक ढर्रे पर घिसटती चली आ
रही परीक्षा को येनकेन प्रकारेण पास
करना होता है, वास्तविक ज्ञान हासिल
करना नहीं। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में केवल
ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्नातक और परास्नातक
पैदा करने की होड़ है, गुणवत्ता पर जोर नहीं।
टीईटी के नतीजे इसकी बानगी हैं।
वहीं भाषा शिक्षकों के लिए आयोजित टीईटी के
बेहतर परिणामों ने शिक्षा व्यवस्था में विज्ञान और
गणित को लेकर छात्रों की परंपरागत
कमजोरियों को एक बार फिर उजागर किया है।
भाषा शिक्षकों के लिए आयोजित टीईटी में
विज्ञान और गणित के सवाल नहीं पूछे गए थे।
प्रो.सोढ़ा मानते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में
विज्ञान और गणितीय कौशल को लेकर कमी है
जबकि तमिलनाडु जैसे राज्य इस पर
काफी अच्छा काम कर रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग
के शिक्षक और राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद [एनसीटीइ] के सदस्य रह चुके
प्रो.यूसी वशिष्ठ के मुताबिक
मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में विज्ञान और गणित
की पढ़ाई के लिए वे अतिरिक्त तौर-तरीके
नहीं अपनाये जाते जिससे कि ये विषय छात्रों के
लिए ग्राह्य बन सकें।
टीईटी के निराशाजनक
परिणाम के बावजूद एलपी पांडेय इन नतीजों के
जरिये शिक्षा प्रणाली में सुधार का नुस्खा सुझाते
हैं। उनके मुताबिक नमूने के तौर पर कुछ
अभ्यर्थियों के स्नातक विषयों के
अंकों की तुलना टीईटी में उनके द्वारा हिंदी,
अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन
आदि विषयों में प्राप्त अंकों से करना चाहिए। जब
पता चलेगा कि कहां सुधार की गुंजायश है।
Aaj bhi court me hadtal hai koi sunwai nahi hogi
ReplyDelete
ReplyDeleteToday 's hearing is unlikely . Trust in God . Focus
on preparedness movement . The reckless
government must get punished .
Good morning.
Hamare kuchh haramkhor sathiyo ne 10 september ki date rakhi hai ye sale khud sarkar ko ek mahine time pass karne ka mauka de eahe hai
ReplyDeleteYe bekuf sale 10 k bad me oct me koi date rakh denge aise khel baigadte rahenge na honge na hone denge.
ReplyDeleteMai to kewal bharti supporter hu sabke sath hu andolan me bhag bhi leta hu
ReplyDeleteTet 123 gunak 68
ReplyDeleteyaro kal to aarakshan samarthako ki jamante manjoor huyi he agar hadatal thi to kya koi sarkari wakil jamanat kara raha tha...?????
ReplyDeleteJo bhi karna hai bahut jald karo dosto time kam hai
ReplyDeleteMeri shabdo se kisi ko bura laga ho to sorry but nasamjhi wala kam hamare sathi kar rahe hai isliye bura lag jata hai
ReplyDeleteab hamara aik hi makasad he rohit babu ki bharti kort k nirnay pe ho hi jaye fir wo tet se ho ya gunank se
ReplyDeleteobc 96 gunank 61.09
ReplyDelete
ReplyDeleteJab hc ke wakeel tak apni baat manwane ke liye hadtaal aur aandolan kr rahe hai to hume kyu pichhe rhna chahiye.
Sathiyo aandolan bahut jaruri hai.
sab log ready rahiye.
ReplyDeletePriya Sathiyo...
ek bat achhi tarah se samajh lijiye ki is aandolan aur 72.825 bharti ka sidha sambandh humare sankhyabal se hai.
ye bahut bada risk hai.
agar humari sankhya kam rahi to na to aandolan hoga aur na hi bharti.
samajh lo ki ye antim yudhh hai.
isi par jeet ya har ka faisla hoga.
faisla aap sab ke vivek par.
BHARTI KE TO 95% CHANCE NAHIN HO PANE KE BAN CHUKE HAIN. RAHI 5% KI BAT BO BHI JALDI PURE HOTE DIKH RAHE HAIN. YADI AUG MEN BADA AUR BHAYANKAR ANDOLAN NAHIN KIYA TO SAB KUCHH KHATM.
ReplyDeleteALI KHAN JI.....
ReplyDeleteURDU PADNE BLE HI HOSIYAR HOTE HAI NA KI ART OR SCIENCE ISILIYE TO URDU TET RESULT 56% HAI.
ha bahut jaruri hai.
ReplyDeleteMaha Andolan k lia tayyar ho jao .........sarkar ki mansikta ko samajhne ka samay aa Gaya hai ........pahale dekho wah Bharti. ....... Sure karna chahati. .... Hai. Bhee. Nahi.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletenext date 22 august ho gayi? Koi confirm karo bhai.
ReplyDeletenext date 22 august conform hai
ReplyDelete
ReplyDeleteमहापात्रा की बेंच में सोमवार मंगलवार बुधवार अब तक
देख चुके हैं । गुरुवार और शुक्रवार सिर्फ बचा है उसे
भी देख लेते हैं।
22 अगस्त और 30 अगस्त को ये भी देख लेंगे।
2 सितम्बर से 6 सितम्बर के बीच कुछ
हुआ तो ठीक है वरना 10 सितम्बर को जोरदार आन्दोलन
होगा।
ये सरकार बेरोजगारों के साथ मजाक कर रही है
एवं न्यायालय भी सरकार की लापरवाही के कारण
मजाक बना रही है।
कोर्ट में क्या योजना बनी इसकी जानकारी वहां के
महानुभाव देंगे कि अगली तिथि को क्या होगा।
शांतिमार्च आदि की जानकारी मुझे अभी नहीं है ।
array yaaro confirm karo bhai kab ki date milli hain kal 15 aug hain kyun na hum sabhi kal apnay apnay jillo may shanti pradarsh karray aur case jald say jald decide karnay ki guhar lagae ,aur press vigyapti bhi awassya day
ReplyDelete10 sep ko tum logo ka bada pataka fussssss ho jayega.. Hi hi hi hu hu
ReplyDeletejai tet
ReplyDeletepyare lund putro apana -2 hilao aur bolo bande mataram
ReplyDeleteaaj gandhi ji jinda hote to khud hi atmhaya kar lete
]ye desh itana jyasda kamina ho gaya he ki in netao madfarchod beeech chaurahe gaand 4 futa mota 20 futa lamba pipe gusedawa deta madar cho chod notaqnki kar rakhi he
PLEASE READ-
ReplyDeleteSarkar to chahti hi nahi hai ki ye job mile lekin.hamne bhi kaun sa kadam uthaya hai.shikshamitro ko dekho andolan aur sangthan se aaj unka stage kaha hai.hame to apna hak lena bhi nahi aata hai.date bhi rakhi hai to 1 mahine ki.ye sarkar 2 salo se latkaye hai.2-3 mahine ka time hai jo karna hai karlo
Ghar mien aram kar ya ya private mein kam kar milengi tujhe thokar agar is baar tu war na kar
ReplyDeleteali bhai ham sab acd wale aap k sath hai ab jeet hamari hogi sarkar ki nahi
ReplyDeleteसरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े का एक बड़ा खेल सामने आया है।
ReplyDeleteफर्जीवाड़े के पीछे सक्रिय गिरोह ने बेसिक शिक्षा निदेशक के फर्जी हस्ताक्षर कर 67 अभ्यर्थियों को नियुक्ति-पत्र जारी कर दिए।
राजधानी में दो शिक्षक तैनाती लेने भी पहुंच गए। हालांकि, एक शिकायत पर हुई जांच के बाद मामले का खुलासा हुआ।
इस पर विभाग ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सावधान रहने को कहा है। साथ ही, ऐसा मामला सामने आने पर नियुक्ति के लिए पहुंचे व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली के मुताबिक प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों को नियुक्ति देने का अधिकार बेसिक शिक्षा अधिकारी को होता है।
राजधानी की एक एडवोकेट माधुरी भूषण तिवारी ने एक पत्र लिखकर शिक्षक पद पर फर्जी नियुक्ति के संबंध में शिकायत की थी। इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद निदेशालय के स्तर पर जांच शुरू हुई।
जांच में 67 अभ्यर्थियों को निर्गत सभी नियुक्ति-पत्रों पर निदेशक वासुदेव यादव के फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल करने की पुष्टि हुई। मामले में विभागीय अधिकारियों और बाबुओं के शामिल होने की भी आशंका है।
फर्जीवाड़े के पीछे के मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए शिक्षा निदेशक (बेसिक) के वैयक्तिक सहायक प्रवीण मणि त्रिपाठी ने सभी बीएसए को सावधान रहने की सलाह दी है।
साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि 200/निदेशक/बेसिक/2012-13 दिनांक 24 अप्रैल 2013 पत्र लेकर यदि कोई व्यक्ति उनके पास आता है तो तत्काल उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं।
जांचकर्ताओं की मानें तो जारी किए गए सभी नियुक्ति-पत्र हू-ब-हू विभागीय पत्रावली जैसे हैं। बिना गहन जांच के इसकी असलियत पता कर पाना संभव नहीं है।
इसलिए माना जा रहा है कि ये काम बिना किसी अंदर वाले की मिलीभगत के संभव ही नहीं होगा। इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे करोड़ों रुपये के खेल की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं।
नियुक्ति लेने पहुंचे दो शख्स
इस फर्जीवाड़े का संचालन कर रहे गिरोह ने हाल में हुए तबादले की प्रक्रिया के चलते इन शिक्षकों को तैनाती करवाने का षड्यंत्र बनाया था।
इसी पत्रांक संख्या से जारी नियुक्ति-पत्र के आधार पर करीब तीन सप्ताह पहले दो शिक्षक राजधानी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नियुक्ति के लिए पहुंचे।
उनकी तैनाती कुछ दिन के लिए टाल दी गई थी। हालांकि, इस खुलासे के बाद अब उनकी तलाश भी शुरू हो गई है
ReplyDeleteएक संदेश भर्ती सपोर्टरों के नाम ----
कहते हैं अगर किसी चीज को पाने की इच्छा अत्यधिक होती है तो उस चीज के न मिलने का दुख भी अत्यधिक होता है ।
मतलब तृष्णा जितनी अधिक होगी उसी अनुपात मे दुख भी होगा।
शुद्ध टी ई टी एवं एकेडमिक मेरिट वाले ये जानते हैं कि एक पक्ष के जीतने पर दूसरे पक्ष की हार होगी अर्थात दोनो पक्षों मे से एक पक्ष का ही चयन होगा ।
अर्थात उन्हें इस भर्ती से आधी उम्मीद है , या तो चयन होगा या नही । वे दोनो प्रकार की स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं।
अब बात करते हैं भर्ती सपोर्टर्स की इन्हे ये लगता है कि कैसे भी भर्ती होने पर इनका चयन तो तय है इसलिए ये भर्ती करवाने के लिए कोई प्रयास नही करते।
अगर आज ये भर्ती लटकी है तो इसका एकमात्र कारण यही लोग हैं।
ये न तो इलेक्ट्रान हैं और न हि प्रोट्रान , ये तो न्यूट्रान हैं ।
बैठे रहो घर पर समय सीमा समाप्त होने से भर्ती रद्द होने का सर्वाधिक दुख तुम लोगों को ही होने वाला है ।
हम तो तैयार हैं लेकिन अंत तक लडकर ही हारेंगे या जीतेंगे ।
10 सितम्बर 2013 याद रहे , 31 मार्च 2014 का ध्यान रहे ।
Yugantra Dhama > UPTET & Appointment as Primary Teachers
ReplyDeletemere sabhi tet sathiyo abhi karan bhai ka post padha ke
Dosto sunne me aa raha he kal bhi apne case ki hearing nhi ho payegi bcoz of the
strike of advocates.
mai sabhi tet sathiyo se kehna chahta hu ke spa sarkar nov. se pahle is case me kuch
nhi karna chahti hai kyuki uska maksad sirf or sirf hum sabhi se paisa kamana hai
kyuki agr sarkar chahti to is bharti ko junior wali ko pahle bhi kar sakti thi lekin
nhikiya kyuki agr wo kar deti to jolog uptet 2013 me pass hue hai unka paisa sarkar ki
jeb nhi ja pata.
jra dhyan de jin logo ne uptet 2013 pass kar liya hai junoir wala unme se kuch collegs
ka exam bhi abhi tak complete nhi hua hai.to kya wo candidates highcourty nhi
jayenge.jaroor jayenge.
or sarkar ne jan bhujh kar 31 oct date tay ki hai jis se ki ye bharti nov. tak khich jaye
or loksabha ki aanchar sahita ke chhakar me fas jaye.
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को हादिक शुभकामनाए । जय हिन्द जय भारत ।
ReplyDeleteवन्देमातरम
Uptet Hardoi > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteBijay Tiwari Uptet
aaj court main maha patra ji aaye
the aur unke ak do petitioner khade
hue ishe dekhkar sk. pathak ji khade
hue aur poori baat batayi .pathak ji
ne case unliated karne ki baat kahi
jispar unhone kaha ki ish hafte ke
unlist kar chuke hai.22 tarik ko
mention karane ki baat kahi aur kaha
3 baje sunege 22 ko 10am par
mention karana.
Washeem Ahamad > Teacher's Helpdesk
ReplyDelete'मैंने मुलायम से मना किया था कि अखिलेश को सीएम मत बनाओ'
दीपक शर्मा/अलीगढ़ | अंतिम अपडेट 14 अगस्त 2013 12:08 AM IST पर
i said mulayam not to make akhilesh cm
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में कैप्टन रहे 95 वर्षीय अब्बास अली देश की मौजूदा हालत से बेहद
दुखी हैं। स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के बीच वह देश के युवाओं से बेहद आशान्वित हैं।
लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिलने से आहत हैं। देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर उनसे बातचीत की गई।
abbas ali
सवाल- देश स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। क्या खुश होना चाहिए या व्यवस्था की खामियों पर चिंतित हों?
कै. अब्बास अली- खुश होने का तो समय है लेकिन यह भी देखना होगा कि देश के नेता जो कभी आदर्श हुआ करते थे
अब भ्रष्ट नौकरशाह और पूंजीपतियों के साथ मिलकर देश को लूट रहे हैं। घोटालों ने हमारी आर्थिक
स्थिति को कमजोर कर दिया है।
सवाल- कौन सी पार्टी देश को सही दिशा में ले जा सकती है?
कै. अब्बास अली- कोई भी पार्टी मुझे ऐसी नहीं लगती जिस पर देश भरोसा कर सके।
सवाल- फिर क्या विकल्प है आज देश के पास?
कै.अब्बास अली- देखिए जहां तक विकल्प की बात है तो अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी तो लोगों ने
मुझे बुलाया। मैंने उन लोगों से कहा कि अन्ना से कहें कि वह पहले देश की यात्रा करके जनमत का निर्माण करें। अनशन
तो आखिरी हथियार है।
सवाल- गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही जा रही है, क्या परिदृश्य होगा?
कै. अब्बास अली- देखिए मोदी देश को जोड़ने की नहीं बल्कि तोड़ने की बात करते हैं। वह जोश में आकर यह
भी नहीं देखते कि वह क्या कह रहे हैं? बेवजह पिल्ले जैसे शब्द इस्तेमाल कर बयान दे देते हैं।
सवाल- राहुल गांधी में आप क्या संभावनाएं देखते हैं?
कै. अब्बास अली- मुझे राहुल गांधी से कोई उम्मीद नहीं है। मैंने मनमोहन सिंह से भी कह दिया था कि आप बहुत बड़े
अर्थशास्त्री हैं। विश्व बैंक को सलाह देते हैं। लेकिन अपने कार्यकाल में महंगाई पर लगाम नहीं लगा सके।
सवाल- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कैसा काम कर रहे हैं? क्या आंकलन है?
कै. अब्बास अली- मैंने मुलायम सिंह से मना किया था कि अखिलेश को सीएम मत बनाओ। यह नौकरशाही उसकी बात
नहीं सुनेगी। वही हो रहा है। दूसरे यह कि जिस परिवारवाद के खिलाफ राममनोहर लोहिया संघर्ष करते रहे मुलायम
उसी परिवारवाद की राह पर चल रहे हैं। सन 1967 में मैंने ही सोशलिस्ट पार्टी से मुलायम को पहली बार जसवंतनगर
से टिकट दिलवाया था।
सवाल- पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया, क्या करना चाहिए?
कै.अब्बास अली- करना क्या है ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे भारत की तरफ आंख उठाने से पहले कोई देश 100
बार सोचे। लेकिन दगाबाज राजनीति और राजनेताओं को इस तरफ सोचने की फुर्सत कहां है?
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