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Tuesday, December 23, 2014

72825 Teacher Recruitment : सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को याद दिलाई चाणक्य नीति

72825  Teacher Recruitment : सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को याद दिलाई चाणक्य नीति

इलाहाबाद

उत्तर प्रदेश में पठन-पाठन और आरटीई (नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार) कानून की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिन्ता जताई है।

72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसम्बर को महान दार्शनिक चाणक्य की नीति का हवाला देते हुए यूपी सरकार को शिक्षा व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं।देश की सर्वोच्च अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा-‘लगभग दो हजार साल पहले कौटिल्य (चाणक्य) ने कहा था कि जो अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते वे सजा पाने के हकदार हैं। लगभग सात सौ साल पहले इंग्लैंड में भी ऐसा ही माहौल था।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्राथमिक शिक्षा बच्चों के प्राथमिक स्वास्थ्य के समान है। ‘जब बच्चे पढ़ते हैं तो देश सभ्यता की ओर अग्रसर होता है। कोई छात्र बिना मार्गदशन के शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकता। अपने सभी नागरिकों के अभिभावक के रूप में एक राज्य की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे।’ ऐसे हालात में यह स्वीकाय नहीं कि शिक्षकों के पद खाली हो, बच्चे अशिक्षित रहें और स्कूल रेत में नखलिस्तान (शिक्षक) का इंतजार करते नजर आएं। बकौल सुप्रीम कोर्ट- ‘शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में नखलिस्तान की भूमिका अदा करें’। सवोच्च अदालत ने यूपी सरकार को डेढ़ महीने में शिक्षकों के खाली पद भरने के निदेश दिए हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के लगभग तीन लाख पद खाली हैं।

हाईकोर्ट ने विन्सटन चचिल का किया था जिक्र

शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता पर हाईकोर्ट की वृहदपीठ ने 31 मई 2013 के अपने आदेश में विन्सटन चर्चिल के ऐतिहासिक वक्तव्य को कोट किया था। चर्चिल ने कहा था-‘एक प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर के पास इतनी शक्ति होती है जितनी की प्रधानमंत्री के पास भी कभी नहीं होती।’ हाईकोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के शिक्षकों के प्रति नजरिए का भी जिक्र किया था।