उत्तर प्रदेश में की जा रही 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती का मामला अभी सुलटने का नाम नहीं ले रहा है। प्रक्रिया को जितना सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, उतनी ही उलझती जा रही है। बीते एक पखवारे से भर्ती प्रक्रिया में चल रहे न्यायालय वादों में भी कुछ निर्णय न हो पाने से टीईटी शिक्षक अब निराशा के गर्त में समाते दिखायी दे रहे हैं। वहीं सोमवार को पता चला है कि भर्ती प्रक्रिया से सम्बंधित सुनवाई अब 3 अप्रैल को होनी है। जिसके बाद मामले को जल्द निबटाने के लिए दो या तीन बार में ही प्रयास किया जायेगा।
इसी तरह अनुदेशक भर्ती भी अदालती कार्यवाही में फंसती नजर आ रही है। अभी अनुदेशक भर्ती के आवेदनों की अंतिम तिथि भी नहीं आ पायी थी कि जारी किये गये आवेदन प्रक्रिया के विज्ञापन के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर कर दी गयी। फिलहाल यदि शिक्षकों की भर्ती के लिए इसी तरह न्यायाल में उलझा के रखा गया तो उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा का हाल बेहाल होने में अब देर नहीं है
उधर एल टी' ग्रेड शिक्षकों की भर्ती भी कोर्ट में फंस गयी है
विवाद ये है की - साइंस टीचर की भर्ती में कोई भी पी जी डिग्री (एम् .ए आदि ) के क्वालिटी पॉइंट्स जोड़े जायेंगे (जैसा की भर्ती प्रक्रिया में हो रहा है )
या फिर सिर्फ साइंस विषय की पी जी डिग्री के |
लोगो के व्यंग्य भी ऐसे मामले को देखने पर मिल रहे हैं और ये मसला हास्य का बन गया है
DEAR FRIEND
ReplyDeleteaaj bhi kuchh gadhon ko ye lag raha hai ki gunaank se bharti start ho jayegi to ye bhi sun lo .....
1-govt. ne abhi tak stay hataane ke liye koi kadam nahi uthaya hai
2-agar new add par jaldi se jaldi extra padon ki goshana nahi ki gayi to new add ko jana padega
3-court ki date se pahle yadi ghoshna nahi hui to iska matlab sarkar aapko chunaa.......
4-last court ki date me C.B.yadav shuru se aakhiri tak chup the, iska koi matlab bataye to jaanu.....
5-agar govt. not tet me haar gayi to gunaank waalon ko naani...............
6-baaki baad me nahi to holi black & white ho jaayegi...........
टेट मेरिट की जीत सुनिश्चित हो चुकी है..लेकिन कुछ साथी कह रहे हैं कि नॉन टेट का मुद्दा बेवजह उठाया गया ..ऐसा नहीं है..
ReplyDeleteक्योंकि नॉन टेट को शामिल करने का आदेश एक डबल बेंच का ही है और दूसरी डबल बेंच इसे नहीं बदल सकती ..अगर कल हरकौलीजी हमारे पक्ष में निर्णय दे देते तो संभवतः सरकार वहां टेट समर्थकों कि अनुपस्थिति में जानबूझ कर केस हार जाती..फिर हमें उच्चतम न्यायालय की तैयारी करनी पड़ती..परन्तु अब हम वरिष्ठ पीठ में ही नॉन टेट के विरुद्ध खड़े होंगे जिसकेस से मतलब तो हमें पूरा था परन्तु हम उसमें ना तो वादी थे ना प्रतिवादी ..
अब बताइए किसे किसे लगता है कि खरे साहब ने गलत किया ? क्या खरे और क्या सी बी यादव ..जीत सत्य की ही होगी