सरकारी नौकरी शिक्षक भर्ती/नियुक्ति परिणाम / टीईटी Sarkari Naukri Recruitment/Appointment Result. Latest/Updated News - UPTET, CTET, BETET, RTET, APTET, TET (Teacher Eligibility Test) Merit/Counselling for Primary Teacher(PRT) of various state government including UP, Bihar
Tuesday, March 26, 2013
13 comments:
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अगर आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
ReplyDelete.
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तो समझ लेना चाहिये कि बात होली की हो रही है
लाल रंग आपके गालों के
ReplyDeleteलिए. .
⚫काला रंग आपके बालों के
लिए. .
नीला रंग आपकी आँखों के
लिए. .
पीला रंग आपके हाथों के
लिए. .
गुलाबी रंग आपके सपनों के
लिए. .
⚪सफ़ेद रंग आपके मन के
लिए. .
हरा रंग आपके जीवन के
लिए. .
|
होली के इन ⚫सात⚪
रंगों के साथ. .
आपके पूरे परिवार को रंग
भरी शुभकामनाएँ।
Shalabh Tiwariposted toRajesh Pratap Singh
ReplyDeleteप्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक किये जाने का परिणाम गुणांकधारियों एवं निजी बी.एड कालेजों की लाबी के लिए उम्मीद से कहीं अधिक गंभीर होने जा रहे हैं,,,,टेट मेरिट वालों से पंगा लेने का खामियाजा तो उन्हें भुगतना ही होगा,,,,हमारे 72,825 पदों पर टेट मेरिट के सिवाय किसी अन्य विधि से भर्ती होना उसी दिन असंभव हो गया था जब संजय मोहन की गिरिफ्तारी के बावजूद मेरे हाथ में टेट की मार्कशीट आ गई थी,,,,,,मैंने बहुत पहले ही कहा था,,और कई बार कहा है कि यदि सरकार चाहे तो अतिरिक्त पदों का सृजन करके एवं उनके लिए NCTE से अनुमति लेने के बाद नए विज्ञापन में दोहरी भर्ती प्रक्रिया अपनाकर एकैडमिक से भर्ती का अपना सपना पूरा कर सकती है ,,,मेरे इस विचार पर टेट मेरिट और गुणांक वाले दोंनों ने ही गालियाँ दीं थीं ,,,,,SCERT विवरण भेजने वाला आदेश आज भी पालन किये जाने का इन्तजार कर रहा है,,,,,
संविधान पीठ का गठन नॉन टेट वालों को शामिल करने के असंवैधानिक आदेश को पलटने के लिए किया गया है,,,,यह मात्र औपचारिकता है और पहली सुनवाई में ही यह काम हो जाएगा ,,उसके बाद एक-दो सुनवाइयों में हरकौली साहब के कोर्ट के निष्कर्षों में प्रशिक्षु अध्यापक एवं सहायक अध्यापक को सामान मानते हुए थोड़ा सा परिवर्तन किया जायेगा और पूर्व विज्ञापन बहाल कर दिया जाएगा,,इसी के साथ नया विज्ञापन रिक्तिविहीन होने के कारण समाप्त हो जाएगा और उसकी फीस वापस कर दी जायेगी,,,,उसके बाद होगा UPTET 2013 और उसमें सामान्य स्नातक भाग लेंगे,,,,अगर 2014 के लोक सभा चुनावों से पूर्व पुनः प्राथमिक शिक्षक भर्ती हुयी भी तो bii.ed. न्यूनतम योग्यता ना होने से वर्तमान गुणांक पद्दति निरर्थक हो जायेगी,,,,नए अभ्यर्थी-नए समीकरण-नए चयनित,,,,,, वर्तमान ऑनलाइन विज्ञापन से भर्ती का सपना देखने वाले अधिकाँश गुणांकधारी बरबाद हो जायेंगे,,,,यद्यपि गुणांक वालों की गालियाँ अभी याद हैं,,लेकिन होली में किसी से कैसी दुश्मनी,,,,मुझे तो यह सोचकर गुणांक वालों पर तरस आ रहा है कि जिस तरह हमने पिछला एक साल बिताया है उस तरह उन्हें अपनी सारी जिंदगी बितानी होगी,,,हमें तो न्यायपालिका का सहारा था,उनको सहारा देने के लिए कौन आएगा,,,,,,,,इसलिए गुणांकवालों को मुफ्त में एक सलाह दे रहा हूँ,,,,,,दो-चार दिन होली मना लें और उसके बाद जाकर मुख्यमंत्री के पैर पकडें,,,,क्या पता उसे गुणांक वालों की हालत पर तरस आ जाए और नए पदों के सृजन के लिए अदालत से समय मांग ले,,,हो सकता है कि 72,825 पदों पर त्वरित गति से टेट मेरिट से भर्ती शुरू करने की शर्त पर उसे अनुमति मिल भी जाए,,,,अगर पैर पकड़ने से काम ना चले तो दारुलशफा में आमरण अनशन पर बैठ जाएँ,,,,,अनशन से जबरदस्ती उठाया जाय तो विधान सभा के सामने आत्मदाह की धमकी दें,,,नॉन टेट वालों के बाहर होते ही 2011-12 वालों का टेट प्रमाणपत्र गलत तरीके से हासिल होने की वजह से उन्हें बाहर कर दिया जाएगा,,,,जिस मीडिया ने एकैडमिक वालों को झाड पर चढाया उसका सहयोग शराब के सहारे खरीदें जाकर,,,अगर गुणांक वालों को मेरी बात अभी भी समझ में ना आ आये तो फिर यहीं फेसबुक पर राधे-राधे,,कुशवाहा-कुशवाहा जपें और हमारी काउंसिलिंग एवं ट्रेनिंग के वक्त डाईट के बाहर कटोरा लेकर भीख मांगने के लिए अपने आपको मानसिक रूप से तैयार करें,,,,
हमारी राजनीतिक व्यवस्था ना तो कभी न्यायप्रिय थी और ना ही कभी होगी,,,सत्ता की निरंकुशता से बचने के लिए हमें अंततः न्यायपालिका का ही आश्रय लेना होता है,,,टेट मामले में हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या भरोसे की ही आई थी,,,मामला टण्डन की अदालत में टाइड अप था,जब तक वो अपना निर्णय ने दे देते हम लाख चाहकर भी और कहीं नहीं जा सकते थे,,,लखनऊ से लेकर दिल्ली तक टण्डन से छुटकारा पाने के सारे प्रयास असफल ही रहे,,सवाल यह है कि हम टण्डन से बचना क्यों चाहते थे जबकि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया था जिससे हमारे 72825 पदों पर एकैडमिक से भर्ती हो पाती,,,,टण्डन तो सिर्फ एक इंसान हैं,,,यदि स्वयं ईश्वर भी इस भर्ती को एकैडमिक से कराना चाहते तो उन्हें उस अतीत में जाना होता जब राजाओं की इच्छा ही क़ानून हुआ करती थी,,,ईश्वर के लिए भी यह संभव नहीं है,,,हमारा मामला प्राकृतिक न्याय के इस नियम से सम्बंधित है कि किसी बेकुसूर को दण्डित नहीं किया जा सकता,,इस नियम को बदलने का अधिकार ईश्वर को भी नहीं है,,,,क्या टेट में अच्छे नंबर लाने को किसी अदालत में हमारा कुसूर बताया जा सकता है?टण्डन के प्रति अविश्वास जताकर आखिर हमें मिला क्या,,सिवाय आँसुओं की गंगा के,,,,ऐसा नहीं है कि मेरे सिवाय टेट मोर्चे में कोई दूसरा टण्डन के कोर्ट में हुयी कार्यवाही की वास्तविकता को नहीं समझ रहा था,,लेकिन वो सभी टण्डन मुर्दाबाद के शोर में सत्य बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए,,,कुछ मौन साध गये और शेष भीड़ के साथ हो लिए ,,, आप में से अधिकाँश की शिक्षिक पृष्ठभूमि इस तरह की नहीं है कि वो विधि के शासन के सिद्दांत का महत्त्व समझ सकें,,, No Further appointment,,,,,हरकौली साहब के मुँह से ये तीन शब्द सुनने के बाद उत्तर प्रदेश की पूर्ण बहुमत सरकार के अदालत में प्रतिनिधि अतिरिक्त महाधिवक्ता सी.बी.यादव को जिन्होंने गिडगिडाते हुए देखा होगा उन्हें क़ानून की ताकत समझ में आयी होगी,,,प्रारम्भ से ही इस मामले में जो मुझे विधिसंगत लगा वो मैंने लिखा,,बिना इस बात की परवाह किये बदले में मुझे कौन कितनी गालियाँ देगा,,,,जब मैंने नए ग्रुप में अन्य ग्रुपों के टेट मेरिट समर्थकों को शामिल होने की छूट दी तो उनमें से कई योद्धाओं ने कहा कि वो मुझसे हर बात में सहमत है,,सिवाय टण्डन के प्रति मेरे भरोसे के,,,,,मुझे समझ में ही नहीं आया कि जब वो मेरे मूलभूत तर्क से ही सहमत नहीं हैं तो उन्हें खुलेआम असहमत होने और मुझे गालियाँ देने का अधिकार मिलना चाहिए,,,,हाँ,,मैं आज भी स्पष्ट रूप से कहता हूँ कि हमारे हित में जो भी सबसे बेहतर किया जा सकता था वो न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने किया,,,,रीतेश और शाश्वत को छोड़कर शायद इक्का-दुक्का टेट मेरिट चाहने वाले ही मुझसे सहमत रहे हों,,,यहाँ तक इस ग्रुप के वर्तमान एवं पूर्व Administrators में से अधिकाँश इस मामले में मुझसे असहमत रहे,,,उनमें से कुछ के लिए तो अब मैं घृणा का पात्र तक बन चुका हूँ,,,,
ReplyDeleteआज भी अधिकाँश टेट मेरिट चाहने वालों को ऐसा लगता है कि टण्डन साहब ने उस्मानी कमेटी की सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए सरकार को बाध्य करने के सिवाय हमारे पक्ष में कभी कोई काम नहीं किया,,,
1-हमारा विज्ञापन के रद्दीकरण को दो-तीन पेशियों में ही खारिज क्यों नहीं किया??
2-नए विज्ञापन को आमंत्रित ही क्यों किया??
3-याचिकाकर्ताओं के हित के विरूद्ध होने के आधार पर स्वागत के साथ ही उसको विदाई क्यों नहीं दी??
4-SCERT विवरण भेजे जाने वाले आदेश का पालन ना करने के लिए सरकार के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की??
5-बिना किसी ठोस वजह के हमारा विज्ञापन रद्द क्यों किया??
6-ओवर-अंडर एज वाले आदेश द्वारा पूर्व विज्ञापन के अधिकारों को नए विज्ञापन में मान्यता देकर परोक्ष रूप से उसे टेट मेरिट का करने के स्थान पर सीधे-सीधे आदेश क्यों नहीं किया??
न्यायमूर्ति अरुण टण्डन टेट मेरिट समर्थकों की अदालत में सिर्फ इन्हीं अपराधों में ही वांछित हैं या उनके विरूद्ध इनसे भी गंभीर आरोप है??
ऊपर लिखे सवाल आप में से अधिकाँश के हैं,,, मेरे भी कुछ सवाल हैं,,,,कृपया कभी-कभी मुझे भी जवाब दे दिया करें,,,
ReplyDelete1- उस्मानी कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेने के लिए सरकार को निर्देशित करने के लिए टण्डन को किसने बाध्य किया था?
2- नया विज्ञापन ना निकालने पर प्रमुख सचिव को तलब करने की धमकी क्यों दी?
3- SCERT विवरण भेजने वाला आदेश किसको धोखा देने के लिए दिया था,,,क्या मुझे और मेरे जैसे उन लोगों को जिन्होंने जिसने उस आदेश के जारी होने के बाद आन लाइन फ़ार्म भरने पर विचार तक नहीं किया?
4- आयु सीमा वाला आदेश क्यों दिया?
6- पूर्व विज्ञापन को रद्द करने वाले आदेश में टेट के बैड पार्ट को अलग करने की बात का क्या मतलब था?
7- क्या वो टेट के बैड पार्ट को अलग करके गुणांक से भर्ती कराने का जुगाड़ कर रहे थे?
8- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए Retrospective Effect से चयन प्रक्रिया में संशोधन को अवैध करार देने के बाद वो गुणांक से करने के लिए क्या-क्या कर सकते थे?
HI
ReplyDeletepriti G (gkp) kaisi ho ? happy holi you & your family
misscall to karti ho lekin recieve nahi karti ho,
ReplyDeletekya humse naaraz chal rahi ho
UPTET Merit Holders(SVES )
ReplyDeleteअब हमें अम्बर वाणी पर ध्यान केंद्रित करना होगा,,,,क्योंकि न्यायमूर्ति अम्बरवानी संविधान पीठ के अध्यक्ष हैं,,,,
देखना यह है कि क्या टेट मेरिट के लिए आकाशवाणी के माध्यम से ईश्वरीय आदेश जारी किया जाएगा,,,,,,,मेरे ख्याल से अभी तक टेट मेरिट ना बन पाने के बावजूद सभी साथियों की होली अगर बहुत अच्छी नहीं बीती होगी तो उतनी बुरी भी नहीं रही होगी जितनी इस साल की शुरुआत में एहसास हो रहा था,,हमारे विरूद्ध चलने वाली आंधियां अब थम चुकी हैं ,,,,आँधियों की किस्मत में थम जाना ही लिखा होता है,,,,,,
फिर से भ्रमित किये जाने की शुरुआत हो गई है ,,,अचानक सभी के मन में एक सामान सवाल उठ खड़े हुए हैं,,पहले भी ऐसा ही होता है,,आखिर इन सवालों का स्रोत है कहाँ,,,,,,
ज्यादातर साथियों के मन में डर बिठा दिया गया है कि अम्बरवानी सरकार समर्थक जज है,,वो हमारे मामले में कुछ गडबडी कर सकते हैं,,,,,,
टण्डन का समर्थन करने के लिए मैंने और शाश्वत-रीतेश ने छककर गालियाँ खाईं हैं,,,,लेकिन हमारा भरोसा टण्डन या हरकौली पर ना होकर अपने विधिसम्मत होने पर था ,,,, जज तो सिर्फ एक मामूली इंसान ही होता है,,,,हमारे पदों पर एकैडमिक से चयन कराने के लिए ईश्वर को भी अतीत में जाना पडता जब राजा की इच्छा ही क़ानून हुआ करती थी,,,अगर कोई आपसे कहता है कि हमारे पदों पर अभी भी गुणांक से चयन की संभावनाएं जीवित हैं तो समझ लें या तो वो मजाक कर रहा है या आपको बेवकूफ बना रहा है,,,,ऐसी संभावना कभी थी ही नहीं,,,,बस एक झूठ था जो इतने कोनों से और इतनी ज्यादा बार दोहराया गया कि वो सच से ज्यादा प्रभावशाली लगने लगा,,,,,
रही बात अम्बवानी द्वारा मामले को अपने पास फंसा लेने की तो एक बात समझ लें ,,,संविधान पीठ ज्यादा दिनों तक गठित नहीं रहने वाली,,,,अधिक से अधिक चार पेशी ,,,,,यद्यपि खरे साहब कह रहें हैं कि वो अपना मामला पुनः हरकौली साहब के पास ले जाने का प्रयास करेंगे,,लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब ऐसा हो सकता है,,,,,,खरे साहब अब वहां क्या कहेंगे कि हमारा मामला वहां यह देखने के लिए रेफर किया गया था कि कहीं सरकार जानबूझकर नॉन टेट वाला केस ना हार जाए ,,वापसी के लिए क्या तर्क देंगे कि अम्बवानी जी आप सरकार समर्थक जज माने जाते हो इसलिए हम हरकौली पर भरोसा करने को वरीयता देंगे,,,,उच्च न्यायालय में थोड़ा बहुत इधर-उधर तो चलता है लेकिन हाई प्रोफाइल मुकदमों में नहीं,,,,,,अगर तीनों जज आपकी आशंकाओं के अनुकूल भी काम करें तो कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा ,,,,,बस सर्वोच्च न्यायालय में तीनों जजों की इज्जत उतारी जायेगी,,,,और टेट मेरिट को विजयी घोषित किया जाएगा ,,,,
तीन तारीख से पुनः सरकार को घुटने के बल खड़ा करने वाला तमाशा देखने के लिए तैयार हो जाइए ,,और इस बार विजेता के भाव से देखिएगा,,,,अगर आँसू बहाते हुए कोई चीज देखोगे तो जाहिर है कि वो कुछ विकृत अवस्था में ही दिखाई देगी ,,,,भौतिकी में अपवर्तन नहीं पढा क्या ????? :v :v :v
Shashwat Pathak
ReplyDeleteजिन्हे खुद पर भरोसा नही उनके पास डरने और डराने के अलावा दूसरा विकल्प न कल था और न आज है । और जिन्हे खुद पर भरोसा है अपनी सत्यता ईमानदारी और भारतीय संहिता पर भरोसा है वह न तो पहले कभी डरे थे और न आज डरने की आवश्यकता है । डाल पर बैठा पंछी डाल पर नही खुद के पंखों की ताकत पर भरोसा करता है डाल के हिलने पर विलाप नही करता । इसलिए हमे तो अपने विधि सम्मत होने पर जो भरोसा कल था वही आज है । जिसको टेट मैरिट और पुराने विज्ञापन के विधि सम्मत होने का भरोसा नही है वह डरने के अलावा और कर भी क्या सकता है ?
Shashwat Pathak
ReplyDeleteहमे तो खुद के विधिसम्मत होने पर भरोसा है फिर हमारे मामले को चाहे टंडन जी सुने या हरकौली जी या फिर अम्बानी जी शाही जी बघेल जी क्या फर्क पड़ता है ? फैसला तो विधि सम्मत ही होगा ।
hi
ReplyDeletekhare apane dwara huee bhayanak galti ka parimarzan karne ke liye jhootha aswashan de rahe hai ki mai wapas le auga harkauli ke bench me,unki ye baat sarvatha hasyaspad hai,but wo chahe kitni bhi saphai de ,unka ye neechatapurna karya janboojh kar paise kamane ke liye kiya gaya,is baat ko almost sabhi jaan gaye hai.
ReplyDeleteएक लड़के ने अपने पास की ही सीट पर बैठी एक सुंदर सी लड़की को देख रहा था। थोड़ी देर बाद उसने एक पेपर निकाला और लिखा- I LOVE YOU, क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो? और लड़की को दे दिया।
ReplyDeleteलड़की ने पढ़ कर मना कर दिया और पेपर उसे लौटा दिया। थोड़ी देर मायूस होने के बाद उसने ये पेपर पास में ही बैठी एक दूसरी लड़की को दे दिया और उसने हां कर दी।
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इस कहानी का मोरल- जैसा आप सोच रहे हो वैसा बिल्कुल नहीं!!!
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"धरती को बचाओ, एक ही पेपर को कई बार इस्तेमाल करो!!!