UP Recruitment News : समूह ‘ग’ में कैसे होंगी तीन लाख भर्तियां?
UP Recruitment News, Bumper Recruitment,
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अध्यादेश हुआ निष्प्रभावी,
विधानमंडल में विधेयक पारित नहीं करा सकी सरकार
लखनऊ। सरकारी नौकरी की उम्मीदें संजोने वाले युवाओं को झटका लगा है। सचिवालय समेत सरकारी विभागों, बोर्ड, निगमों और निकायों में समूह ‘ग’ के करीब तीन लाख पदों पर भर्ती की योजना कुछ समय के लिए लटक सकती है। इन भर्तियों के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया जाना था। इसके लिए सरकार अध्यादेश लेकर आई थी लेकिन विधानसभा में विधेयक पारित न होने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया।
प्रदेश सरकार की योजना समूह ‘क’ से ‘घ’ तक सभी समूहों में करीब पांच लाख पदों पर भर्तियां करने की है। समूह ‘क’ और ‘ख’ के लगभग लगभग एक लाख पदों पर भर्तियां उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के जरिये होंगी। समूह ‘ग’ की भर्तियां करने के लिए कैबिनेट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग बनाने का फैसला लिया था। समूह ‘ग’ के रिक्त पदों की अनुमानित संख्या करीब तीन लाख है। समूह घ के करीब एक लाख पदों पर होने वाली भर्तियां भी चयन आयोग के जरिये करने का प्रस्ताव था लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी।
सभी भर्तियों के लिए कैबिनेट की पिछली बैठक में प्रस्ताव लाया गया था। चूंकि विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए सरकार ने गत दो जून को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन के लिए अध्यादेश जारी कर दिया। आयोग में अध्यक्ष और आठ सदस्यों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई।
आयोग को भर्ती प्रक्रिया से संबंधित विषयों पर गाइडलाइंस तैयार करने, परीक्षाएं व साक्षात्कार कराने और अभ्यर्थियों के चयन का जिम्मा सौंपा गया।
विधानमंडल का बजट सत्र गत 19 जून से शुरू हुआ तो सरकार ने पहले ही दिन विधानसभा में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग विधेयक पेश किया। सात जुलाई तक सदन की कई बैठकें हुईं लेकिन सरकार इस विधेयक को पारित नहीं करा सकी। संसदीय मामलों के जानकार कहते हैं कि सदन के पटल पर विधेयक रखे जाने के बाद अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाता है। चूंकि विधेयक पारित नहीं हो सका है, इसलिए दो जून को जारी अध्यादेश के कोई मतलब नहीं रह गए हैं।
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अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अध्यादेश हुआ निष्प्रभावी,
विधानमंडल में विधेयक पारित नहीं करा सकी सरकार
लखनऊ। सरकारी नौकरी की उम्मीदें संजोने वाले युवाओं को झटका लगा है। सचिवालय समेत सरकारी विभागों, बोर्ड, निगमों और निकायों में समूह ‘ग’ के करीब तीन लाख पदों पर भर्ती की योजना कुछ समय के लिए लटक सकती है। इन भर्तियों के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया जाना था। इसके लिए सरकार अध्यादेश लेकर आई थी लेकिन विधानसभा में विधेयक पारित न होने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया।
प्रदेश सरकार की योजना समूह ‘क’ से ‘घ’ तक सभी समूहों में करीब पांच लाख पदों पर भर्तियां करने की है। समूह ‘क’ और ‘ख’ के लगभग लगभग एक लाख पदों पर भर्तियां उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के जरिये होंगी। समूह ‘ग’ की भर्तियां करने के लिए कैबिनेट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग बनाने का फैसला लिया था। समूह ‘ग’ के रिक्त पदों की अनुमानित संख्या करीब तीन लाख है। समूह घ के करीब एक लाख पदों पर होने वाली भर्तियां भी चयन आयोग के जरिये करने का प्रस्ताव था लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी।
सभी भर्तियों के लिए कैबिनेट की पिछली बैठक में प्रस्ताव लाया गया था। चूंकि विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए सरकार ने गत दो जून को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन के लिए अध्यादेश जारी कर दिया। आयोग में अध्यक्ष और आठ सदस्यों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई।
आयोग को भर्ती प्रक्रिया से संबंधित विषयों पर गाइडलाइंस तैयार करने, परीक्षाएं व साक्षात्कार कराने और अभ्यर्थियों के चयन का जिम्मा सौंपा गया।
विधानमंडल का बजट सत्र गत 19 जून से शुरू हुआ तो सरकार ने पहले ही दिन विधानसभा में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग विधेयक पेश किया। सात जुलाई तक सदन की कई बैठकें हुईं लेकिन सरकार इस विधेयक को पारित नहीं करा सकी। संसदीय मामलों के जानकार कहते हैं कि सदन के पटल पर विधेयक रखे जाने के बाद अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाता है। चूंकि विधेयक पारित नहीं हो सका है, इसलिए दो जून को जारी अध्यादेश के कोई मतलब नहीं रह गए हैं।