टीईटी रिजल्ट के लिए दिनभर रही भीड़
(UPTET Varanasi : Huge Crowd To Collect TET Marksheet / Certficate in Varanasi)
वाराणसी। टीईटी के परिणाम आने के बाद मंगलवार से परीक्षार्थियों को अर्दली बाजार स्थित संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय के बगल में सीटीई कालेज से प्रमाणपत्र का वितरण शुरू कर दिया गया। सुबह से ही प्रमाणपत्र लेने वालों की भीड़ जमा हो गई। पहले दिन वितरण शुरू होने के कारण अफरातफरी का माहौल रहा। बाद में पहुंची पुलिस ने अभ्यर्थियों को लाइन मेें कराया। पहले दिन लगभग पंद्रह सौ अंकपत्रों का वितरण किया गया।
संयुक्त शिक्षा निदेशक अखिलेश पांडेय ने बताया कि प्राथमिक में अनुक्रमांक 01042148 से 13058804 तक और मिडिल में 05032104 से 13118150 तक के अभ्यर्थियों को 22 फरवरी को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। प्राथमिक में अनुक्रमांक 13000822 से 13061551 तक एवं मिडिल में 13063089 से 32000499 तक के अभ्यर्थियों को 23 को बांटा जाएगा। 24 को प्राथमिक में अनुक्रमांक 13001754 से 32000512 तक व मिडिल में 13064078 से 13118150 तक, 25 फरवरी को प्राथमिक में 13002657 से 13060050 तक और मिडिल में 13064962 से 13116988 तक के परीक्षार्थियों को प्रमाणपत्र मिलेगा।
News : Amar Ujala (22.2.12)
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My roll no is 13050776 hai please anyone tell me in which date i can receive my marksheet.PLEASE REPLY
ReplyDeleteVaranasi mandal ka certificate batne ka roll no. Vise Spast nahi ho raha hai.help me agar mera roll no. 13058893 ho to mujhe certificate kab milega.
ReplyDeleteKya aaj high court me decision hona tha .koi bhi batao bhai ji?
ReplyDeleteJag t pg
ReplyDeleteमुस्कान जी मुझको यह जानना है कि जब1973 से 1988 तक पूरे उत्तर प्रदेश में प्राईमरी अध्यापक की भर्ती बन्द रही तब कांग्रेस के गढ रायबरेली में क्यों भर्ती होती रही?
ReplyDeleteमुस्कान जी मुझको ये जानना है कि 2011 बैच में कुछ लोगों ने फ़ार्म नही भरे कुछ फ़ार्म भरते समय 19 वर्ष के नही थे कुछ स्नातक पूर्ण नही थे वो आज कैसे नौकरी कैसे कर रहे है?
ReplyDeleteमुस्कान जी मुझको ये जानना है कि शासनादेश मे है साफ़ लिखा है कि वो शिक्षा मित्र ही नियमित होगे जिनकी सेवा संतोषपूर्ण हो परन्तु वे कैसे ट्रेनिंग कर रहे है जिनकी उपस्थिति पंजी में जांच अधिकारियों द्वारा अनुपस्थित दर्ज है और ओवर राईटिंग की गयी है
ReplyDeleteक्या सारी जांच एजेंसिया इस बात की जांच नही कर सकती कि शिक्षा मित्र सेवा काल मे स्नातक कैसे हो गये? या २००१ बैच के अध्यापक इतनी खामियों के बाद कैसे नियुक हुये?
ReplyDeleteसिर्फ़्र अपनी मेहनत से टी ई टी पास बच्चे ही सबको दोषी दिखाई दे रहे है? सारी कमियां इस परीक्षा मे ही दिख रही है सजा उनको दो जो दोषी है सबको नही
बी.एस.ए. से आर.टी. आई से शिक्षा मित्रो के विषय मे तो पूछा ही जा सकता है ।
ReplyDeleteसाथियों अब यही समय है कि हम साथ साथ रहें। हमारी एकता शायद कुछ लोगों को रास नही आ रही है है इस लिये हमारा आत्मविश्वास तोडने के लिये तरह तरह के उपाय किये जा रहे हैं। परन्तु ये समय वो है जब हमको धीरज के साथ अपना लक्ष्य प्राप्त करना है।आज हम जिस नौकरी के लिये आशा लगाये है उसमे सदा से यही होता आ रहा है । जिसके उपर नेताओं और अधिकारियों की क्षत्रछाया नही है उसको सताया गया है।
ReplyDeleteशुरुआत हम वहा से करना चाह रहे हैं जब बेसिक शिक्षा परिषद का गठन हुआ मतलब सन १९७२ में ये वो समय था जब प्राइवेट स्कूल मे बी.टी.सी. का प्रशिक्षण कराया जाता था। इस तरह से तत्कालीन सरकार नें इतने प्रशिक्षु बेरोजगार पैदा कर दिये कि पन्द्रह वर्षो तक लोग नौकरी की आशा लगाये बूढे हो चले लेकिन जो बहुबलियों की क्षत्र छाया में था उसकी नियुक्ति बिना किसी नियम कायदे के हो जाया करती थी।
थोडा समय बदला बी.टी.सी. प्रशिक्षण नार्मल स्कूल व डायट के हवाले कर दी गयी जो पूर्णतय: सरकरी होते है। कुछ सालों तक ठीक रहा फ़िर बी.जे.पी. की दूरगामी सोच नें बेसिक शिक्षा में बी.एड. डिग्री धारकों को जगह दी जो कि एक अपने आप में इतिहास था। परन्तु तत्कालीन सरकार के सिर पर शायद मन्थरा जी का साया पडने से उन्होनें इस कैडर को ही खत्म करने का फ़ैसला कर लिया। और शिक्षा मित्रों की नियुक्ति का शाशनादेश ज़ारी कर दिया । फ़िर इससे भी नही मन भरा तो उन्होने हमारे स्कूल को उसके फ़र्नीचर को यहा तक की विद्यालय के परिसर मे जो भी पेड पौधे थे उनको भी ग्राम पन्चायत के हवाले कर दिया। हमारे शिक्षक बन्धु बेचारे अपने पावना प्रपत्र मतलब जिससे वेतन आर्हित होता है उसमे जब ग्राम प्रधान से हस्ताक्षर कराने जाते थे तो तमाम तरह के तांने सुनने पडते थे । जो शिक्षक शहर के थे उनका तो बहुत बुरा हाल किया जाता था और शिक्षिकाओं को तो और भी समस्यायों का सामना करना पडता था ।
इन नेताओं को बेसिक के शिक्षकों से इतनी नफ़रत हुआ करती थी कि ये किसी स्कूल में निरीक्षण के लिये जाते थे तो वहा पर आतंक फ़ैलाना नही भूलते थे। इसका परिणाम हुआ कि ये लोग दस बारह साल के लिये सत्ता से बहर हुये और अब फ़िर वही आतंक फ़ैलाने का ख्वाब देख रहे है।
२००३ मे स.पा. की सरकार आयी उन्होने हर विद्यालय मे दो-दो शिक्षा मित्र कर दिये क्योकि ज्यादातर जनपद के हर जिले का ग्राम प्रधान इनका कार्यकर्ता था और ये सब शिक्षा मित्र उन्ही के अपने व्यक्ति थे जो कि येन केन प्रकेण प्रधान अध्यापक को डरा धमका कर अपना काम निकलवा लेते है।
बी.टी.सी.२००१ के इतने बडे घोटाले के बाद अधिकारियों की प्रवेश परिक्षा कराने की हिम्मत भी खतम हो गयी ये तो आप सभी जानते होगे कि उसमे बेसिक के तत्कालीन निदेशक शरदिन्दु जी बर्खास्त कर दिये गये थे। परन्तु अपने साथ साथ वो कुछ मासूम लोगों की किस्मत तो खा गये। फ़िर कुछ नियुक्तियों का दौर रहा एकडमिक से मेरिट बनने के कारण कुछ शिक्षा माफ़िआयों का धन्धा खूब फ़ला फ़ूला प्राईवेट कालेज वाले भी बी.एड. करा करा कर धन कुबेर हुये।
एक वर्ष पूर्व शिक्षा मित्रों ने भी नियमित होने के लिये आन्दोलन छेडा सरकार झुकी शासनादेश आया कि सिर्फ़ ग्रेजुयेट की नियमित किये जायेगे। इन१.८४ लाख मे शायद ३०% की सेवा के पूर्व स्नातक थे परन्तु इस रावण राज ने नौकरी के साथ साथ स्नातक किये हुयों के अभिलेख बदल कर उनको प्रशिक्षण दिलाने लगे।
दोस्तों क्या ये हमारे हक पर डाका नही? इनको नियमित करना है ये तो समाजवदी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में साफ़ साफ़ एलान कर दिया है। शायद कार्मिक विभाग ने भी इन्ही के कारण मात्र ७२००० पदों को स्वीकृत किया था वरना बेसिक शिक्षा विभाग के प्राईमरी विद्यालयों मे शिक्षकों की संख्या नगण्य के बराबर है।
साथियों हम जिस विभाग मे सेवा करने जा रहे है उसका ये थोडा बहुत इतिहास है। हमको इस रावणो की सेना से टकराना है संजय मोहन भी इस रावण सेना के नुमाइन्दे है ये परम्परा हमको तोडना है न्याय लेना है । चाहे जो सरकार बने चाहे जो नौकरशाही हो हमको न्याय ले कर रहना है समय बदलता है चेहरे बदलते है पर कुकर्म एक जैसे होते है ।हमको इन्ही से पन्गा लेना है मेरी सबसे ये गुज़ारिश है अपनी एकता को टूटने ना दें और अपनी पिछली पीढी की तरह इनका शिकार न हो ये सब पुरानी पीढी पर अत्याचार करके वैम्पायर हो चुके है।
बाकी जै हिन्द जै भारत
साथियों अब यही समय है कि हम साथ साथ रहें। हमारी एकता शायद कुछ लोगों को रास नही आ रही है है इस लिये हमारा आत्मविश्वास तोडने के लिये तरह तरह के उपाय किये जा रहे हैं। परन्तु ये समय वो है जब हमको धीरज के साथ अपना लक्ष्य प्राप्त करना है।आज हम जिस नौकरी के लिये आशा लगाये है उसमे सदा से यही होता आ रहा है । जिसके उपर नेताओं और अधिकारियों की क्षत्रछाया नही है उसको सताया गया है।
ReplyDeleteशुरुआत हम वहा से करना चाह रहे हैं जब बेसिक शिक्षा परिषद का गठन हुआ मतलब सन १९७२ में ये वो समय था जब प्राइवेट स्कूल मे बी.टी.सी. का प्रशिक्षण कराया जाता था। इस तरह से तत्कालीन सरकार नें इतने प्रशिक्षु बेरोजगार पैदा कर दिये कि पन्द्रह वर्षो तक लोग नौकरी की आशा लगाये बूढे हो चले लेकिन जो बहुबलियों की क्षत्र छाया में था उसकी नियुक्ति बिना किसी नियम कायदे के हो जाया करती थी।
थोडा समय बदला बी.टी.सी. प्रशिक्षण नार्मल स्कूल व डायट के हवाले कर दी गयी जो पूर्णतय: सरकरी होते है। कुछ सालों तक ठीक रहा फ़िर बी.जे.पी. की दूरगामी सोच नें बेसिक शिक्षा में बी.एड. डिग्री धारकों को जगह दी जो कि एक अपने आप में इतिहास था। परन्तु तत्कालीन सरकार के सिर पर शायद मन्थरा जी का साया पडने से उन्होनें इस कैडर को ही खत्म करने का फ़ैसला कर लिया। और शिक्षा मित्रों की नियुक्ति का शाशनादेश ज़ारी कर दिया । फ़िर इससे भी नही मन भरा तो उन्होने हमारे स्कूल को उसके फ़र्नीचर को यहा तक की विद्यालय के परिसर मे जो भी पेड पौधे थे उनको भी ग्राम पन्चायत के हवाले कर दिया। हमारे शिक्षक बन्धु बेचारे अपने पावना प्रपत्र मतलब जिससे वेतन आर्हित होता है उसमे जब ग्राम प्रधान से हस्ताक्षर कराने जाते थे तो तमाम तरह के तांने सुनने पडते थे । जो शिक्षक शहर के थे उनका तो बहुत बुरा हाल किया जाता था और शिक्षिकाओं को तो और भी समस्यायों का सामना करना पडता था ।
इन नेताओं को बेसिक के शिक्षकों से इतनी नफ़रत हुआ करती थी कि ये किसी स्कूल में निरीक्षण के लिये जाते थे तो वहा पर आतंक फ़ैलाना नही भूलते थे। इसका परिणाम हुआ कि ये लोग दस बारह साल के लिये सत्ता से बहर हुये और अब फ़िर वही आतंक फ़ैलाने का ख्वाब देख रहे है।
२००३ मे स.पा. की सरकार आयी उन्होने हर विद्यालय मे दो-दो शिक्षा मित्र कर दिये क्योकि ज्यादातर जनपद के हर जिले का ग्राम प्रधान इनका कार्यकर्ता था और ये सब शिक्षा मित्र उन्ही के अपने व्यक्ति थे जो कि येन केन प्रकेण प्रधान अध्यापक को डरा धमका कर अपना काम निकलवा लेते है।
बी.टी.सी.२००१ के इतने बडे घोटाले के बाद अधिकारियों की प्रवेश परिक्षा कराने की हिम्मत भी खतम हो गयी ये तो आप सभी जानते होगे कि उसमे बेसिक के तत्कालीन निदेशक शरदिन्दु जी बर्खास्त कर दिये गये थे। परन्तु अपने साथ साथ वो कुछ मासूम लोगों की किस्मत तो खा गये। फ़िर कुछ नियुक्तियों का दौर रहा एकडमिक से मेरिट बनने के कारण कुछ शिक्षा माफ़िआयों का धन्धा खूब फ़ला फ़ूला प्राईवेट कालेज वाले भी बी.एड. करा करा कर धन कुबेर हुये।
एक वर्ष पूर्व शिक्षा मित्रों ने भी नियमित होने के लिये आन्दोलन छेडा सरकार झुकी शासनादेश आया कि सिर्फ़ ग्रेजुयेट की नियमित किये जायेगे। इन१.८४ लाख मे शायद ३०% की सेवा के पूर्व स्नातक थे परन्तु इस रावण राज ने नौकरी के साथ साथ स्नातक किये हुयों के अभिलेख बदल कर उनको प्रशिक्षण दिलाने लगे।
दोस्तों क्या ये हमारे हक पर डाका नही? इनको नियमित करना है ये तो समाजवदी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में साफ़ साफ़ एलान कर दिया है। शायद कार्मिक विभाग ने भी इन्ही के कारण मात्र ७२००० पदों को स्वीकृत किया था वरना बेसिक शिक्षा विभाग के प्राईमरी विद्यालयों मे शिक्षकों की संख्या नगण्य के बराबर है।
साथियों हम जिस विभाग मे सेवा करने जा रहे है उसका ये थोडा बहुत इतिहास है। हमको इस रावणो की सेना से टकराना है संजय मोहन भी इस रावण सेना के नुमाइन्दे है ये परम्परा हमको तोडना है न्याय लेना है । चाहे जो सरकार बने चाहे जो नौकरशाही हो हमको न्याय ले कर रहना है समय बदलता है चेहरे बदलते है पर कुकर्म एक जैसे होते है ।हमको इन्ही से पन्गा लेना है मेरी सबसे ये गुज़ारिश है अपनी एकता को टूटने ना दें और अपनी पिछली पीढी की तरह इनका शिकार न हो ये सब पुरानी पीढी पर अत्याचार करके वैम्पायर हो चुके है।
मुस्कान जी मुझको इस बात का जवाब चाहिये कि उन्नाव जनपद मे मात्र 16 दिन प्रशिक्षण करने के बाद शिक्षा मित्रों की सत्र परीक्षा (बी.टी.सी. दूरस्थ शिक्षा) कैसे करायी जा रही है क्या ये सरासर प्रशिक्षण का माखौल नही है?
ReplyDeletebhaiya ab ekjut hoke in sichamitro ka virodh karo aur apne haq ko ladkar chino
ReplyDeleteFrndzz,
ReplyDeleteTo Protect Blog from bad comments, Advertsiements etc.
This step has to be taken.
And I felt it is a good step.
Some people are not listening, some spammer daily publish their ads.
Your good comments always welcome on this blog.
And I publish all type of News,
Not against Acadmic, Failed, Passed.
But like right approach and wish you best to All.
Thanks.
gud step, muskan ji
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