MPTET : संविदा शिक्षक भर्ती में पूरे मध्यप्रदेश में हंगामा, नियम ही समझ नहीं आ रहे
भोपाल। संविदा शिक्षक भर्ती की दूसरी प्रक्रिया में अधिकारियों की मनमानी और नियमों के अस्पष्ट होने के कारण पूरे प्रदेश में हंगामे हो रहे हैं। मध्यप्रदेश का शायद ही कोई जिला हो जहां हंगामा ना हुआ हो।
भोपाल के अलावा इन्दौर सहित लगभग सभी जिलों से हंगामे और प्रदर्शनों की खबरें आ रहीं हैं। संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेशों का पालन भी इस भर्ती के दौरान दिखाई नहीं दे रहा है। मध्यप्रदेश के हर जिले में अस्पष्ट भर्ती नियमों के चलते विरोध हो रहा है।
इंदौर में जिला शिक्षा प्रशिक्षण केंद्र (डाइट) में संविदा शाला शिक्षक भर्ती के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करवाने आए आवेदकों ने मंगलवार को हंगामा किया। कारण, शिक्षा विभाग सिर्फ बीएड, डीएड योग्यताधारकों का ही वेरिफिकेशन कर रहा था जबकि ज्यादातर आवेदकों के पास ये योग्यताएं नहीं थीं। इससे गुस्साए आवेदकों का कहना था कि जब सिर्फ बीएड, डीएड वालों को ही नौकरी देना थी तो हमारी परीक्षा क्यों ली? मौके पर पहुंची पुलिस ने आवेदकों को समझाकर रवाना किया।
संविदा शिक्षक-एक, दो और तीन की भर्ती के लिए पांच महीने बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का दूसरा चरण मंगलवार से शुरू हुआ। जब नॉन डीएड आवेदकों के वेरिफिकेशन से शिक्षा विभाग की टीम ने इनकार कर दिया तो वे नाराज हो गए। नाराज नॉन डीएड, बीएड आवेदकों ने जिला शिक्षाधिकारी संजय गोयल को कॉल लगाया। उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया आवेदक जनसुनवाई में पहुंच गए और प्रशासनिक संकुल के बाहर जमकर नारेबाजी की।
परेशान कर दिया, हमारे रुपए वापस दो
आवेदक वर्षा पटेरिया का कहना था कि अब दूसरा चरण है तो नॉन डीएड-बीएड आवेदकों का भी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करना चाहिए। हमने अच्छे नंबरों से परीक्षा पास की लेकिन लगातार परेशान हो रहे हैं। इसी तरह आवेदक ज्योति तिवारी ने कहा कि संविदा शिक्षक भर्ती के नाम पर आवेदकों को परेशान किया जा रहा है। सभी आवेदकों ने परीक्षा में जो रुपए भरे थे वह वापस दिए जाना चाहिए।
आवेदकों को समझाया लेकिन नहीं माने
पहले चरण में अप्रैल में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हुआ था। अब दूसरा चरण उन लोगों के लिए है जिन्होंने डीएड-बीएड का फॉर्म भरा था, लेकिन रिजल्ट नहीं आया था। अब रिजल्ट आ चुके हैं इसलिए मंगलवार से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शुरू हुआ। सिर्फ उन्हीं के वेरिफिकेशन हो रहे हैं जो भर्ती परीक्षा पास हैं और डीएड या बीएड किया है। हालांकि ज्यादातर वे लोग वेरिफिकेशन के लिए आए जिन्होंने परीक्षा पास की थी लेकिन डीएड या बीएड नहीं हैं। उन्हें समझाया लेकिन वे नहीं माने।
-संजय गोयल, जिला शिक्षाधिकारी, इन्दौर
डीएड या बीएड हैं तो ही वेरिफिकेशन
-संविदा शिक्षक वर्ग-1 : बीएड अनिवार्य
-संविदा शिक्षक वर्ग-2 : बीएड या डीएड
-संविदा शिक्षक वर्ग-3 : डीएड अनिवार्य
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Vinay Singh Kacchwah > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteMITRO AAP SABHI KO MALOOM HOGA KI RTE ACT 1 APRAIL 2010 KO LAGO HUA
THA.ACT KO LGOO HUYE 3SAAL SE B HI JYAADA KA SAMAY BEET CHUKA HAIN?
LEKIN PHIR BHI AAJ HAMARE DESH ME PRT KE LAGBHAG 1000000 PAD ABHI BHI
TIKT HAIN AAKHIR IN VACCANCY KE RIKT HONE KA KAUN JIMMEDAAR HAIN YE EK
SOCHNIYE VISAY HAIN? KENDRA KI UPA GOVT NE AADHI ADHOORI TAIYARIYOON
KE SATH ISE POORE DESH ME EK SATH LAGOO KAR DIYA AURUSKE LIYEPITCHLE 5
VARSH ME SHIKSHA KA BUDGET 113.6% BADAYA.LEKIN PRIMARY ME SHIKSHA KI
TASVEER JYON KI TYON HI BANE HUI HAIN AAKHIR ISKA JIMEDAR KAUN HAIN UPA
GOVT. UP GOVT. YA HC?ITNE BADE PAIMNE ME KHALI PADE PADO KE BAGAIR
BACHOO KO QUALITY SHIKSHA DENA BEMANI HE KAHA JAYEGA.AJJ PRADESH KE
8TH CLASS KE 60% STUDENT KO ENGLISH KE WORDS KO PADNA NAHE AATA TO
ISME UN STUDENT KI KYA GALTI JAB PADANE WALE HI NAHE HONGE TO WO
PADENGE KYA.HAMARI UP GOVT.TO BAU TET PASS BEROJGARO SE FORM
BHARWAKAR PAISE IKKATHA KARNE ME BYAST HAIN UNKO BHARTI AUR BACHOO
KI PADYE SE KOI VASTA NAHE HAIN ,GOVT BACHOO KO UN EDUCATED KAR KE
UNKO BAHL PHUSLA KAR KE VOTE AASANI SE LE LETI HAIN.RAHE BAAT HC KI TO
SC NE KAI BAAR RAJYA SARKARO KO ISKE LIYE KADI PHATKAR LAGAI KI AAKHIR
WO APNE YAHA PRT KE RIKT PADE PADO KO KYON NAHI BHARTI ,LEKIN ISKA
ASAR DEKHNE KO NAHE MIL RAHA HAIN? ALLAHABAD KI HC NE EK PIL ME RAJYA
SARKAR SE JAWAB MANGA HAIN KI ITNE JYADA KHALI PADE PADO KO BHARNE KE
LIYE USNE KYA KADAM UTAYE HAIN?ISKE BAWJOOD 2.5 SALO SE UNKE YAHA TET
MERIT YA ACCD MERIT KA KESH CHAL RAHA HAIN USKO SOLVE KARNE ME KOI
RUCHI NAHE DIKAYE HAIN.TO PHIR RTE ACT KA KYA MATLABRAH JAYEGA JAB
BACHOO KO UNKA MAULIK ADHIKAAR CG UP GOV. SC HC TAK NAHI DILA PA RAHA
HAIN.TO HAM SABHI DESWASI IS ACT KO WAPIS LENE KI GHHAAR KARTE HAIN?YE
DEKHNA AB JAROORI HO GAYA HAIN KI IN SABSE ITAR GOV YA COURT IS LAW KO
LTHEEK DANG SE LAGOO KARNE KE LIYE KYA KADAM UTHATI HAIN?
गौ हत्या के खिलाफ हिन्दुस्तान ( गाय बचाओ भारत बचाओ )
ReplyDeleteअनंत पूजा आज: अनंत सूत्र के महत्व को जानकर हैरान रह जाएंगे...? पूरी पोस्ट जरूर पढ़े,,,,
आज अनंत पूजा है। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चैदह लोकों 'तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल,
पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह' की रचना की थी। इन लोकों का पालन करने के लिए वह स्वयं भी 14
रूपों में प्रकट हो गए जिससे अनंत प्रतीत होने लगे।
इसलिए अनंत पूजा के दिन एक पात्र में दूध, शहद, दही, घी और गंगाजल मिलाकर क्षीर सागर का निर्माण
किया जाता है। फिर कच्चे धागों से बने चैदह गांठों वाले अनंत सूत्र से भगवान अनंत को क्षीर सागर में ढूंढ़ते हैं।
पूजा के पश्चात इसी धागे को अनंत भगवान का स्वरूप मानकर पुरूष दाएं बाजू पर बांधते हैं और महिलाएं बाएं बाजू पर
अनंत को धारण करती हैं।
अनंत के चैदह गांठों में प्रत्येक गांठ एक एक लोक का प्रतीक होता है जिसकी रचना भगवान विष्णु ने की है। इन
प्रत्येक गांठों में भगवान के उन चैदह रूपों का वास माना जाता है जो चौदह लोकों में वास करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार उपनयन संस्कार के बाद ही 14 गांठों वाला अनंत किसी पुरूष को धारण करना चाहिए। महिलाओं
को विवाह के बाद 14 गांठों वाला अनंत धारण करने के लिए कहा गया है। इससे पहले तेरह गांठों वाला अनंत धारण
करणा चाहिए। तेरह गांठों वाले अनंत को फनंत नाम से जाना जाता है।
अनंत धारण करने वालों के लिए नियम
अनंत सूत्र भगवान विष्णु का प्रतीक होता है। इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसे मन, कर्म और वचन से
वैष्णव होना चाहिए। वैष्णव होने से अर्थ है व्यक्ति को झूठ, परनिंदा एवं मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
जो व्यक्ति इस नियम का पालन नहीं करते हैं उन्हें अनंत धारण करने का पुण्य फल नहीं मिलता है।
इस सूत्र को धारण करने वालों के लिए दूसरा नियम यह है कि इसे पूरे वर्ष धारण करें और अनंत पूजा के दिन
नया अनंत धारण करते समय पुराने अनंत को विसर्जित करें। जो व्यक्ति पूरे वर्ष धारण नहीं कर सकते उन्हें 14
दिनों बाद अनंत को प्रणाम करके किसी नदी में विसर्जित कर देना चाहिए।
अनंत सूत्र की कथा :
एक बार कौण्डिल्य मुनि की पत्नी शीला ने सुख-संपत्ति की इच्छा से अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा। इसके बाद अनन्त
सूत्र को अपने बाएं हाथ में बांध लिया। भगवान अनन्त की कृपा से शीला धन-धान्य संपन्न हो गई। एक दिन
कौण्डिल्य मुनि की नज़र शीला के बाजू पर बंधे अनंत सूत्र पड़ गई।
कौण्डिल्य मुनि को लगा कि यह कोई जादू-टोने का धागा है और उसे तोड़कर आग में फेंक दिया। इससे अनंत भगवान
नाराज हो गाए। कुछ ही दिन में कौण्डिय मुनि और शीला फिर से गरीब हो गए। शीला ने बताया कि आपने अनंत सूत्र
को तोड़कर जला दिया है इसलिए ही हमें गरीबी के दिन देखने पड़ रहे हैं। शीला की बात सुनकर कौण्डिल्य
मुनि को अपने किए पर पछताबा होने लगा।
कौण्डिल्य मुनि अनंत भगवान से माफी मांगने लगे। एक दिन गरीब ब्राह्मण के वेष में अनंत भगवान कौण्डिल्य मुनि के
आश्रम में पधारे और मुनि से कहा कि आप पत्नी समेत अनंत भगवान की पूजा करें इससे आपकी गरीबी दूर हो जाएगी।
ब्राह्मण की आज्ञा मानकर मुनि ने पत्नी समेत अनंत भगवान का व्रत किया और अनंत सूत्र बाजू पर बांधा जिससे
उनकी गरीबी समाप्त हो गई। इस व्रत का नियम है कि व्रती को खाने में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Shakul Gupta > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteसमय से कैसे होंगी परीक्षाएं
जागरण संवाददाता, लखनऊ : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की लेटलतीफी के कारण
शिक्षा मित्रों की दूसरे और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं समय पर शुरू होने पर संकट छा गया है। सचिव,
परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से प्रदेश के सभी डायट को जारी पत्र में परीक्षा आवेदन फार्म 20 सितंबर तक
जमा कराने को कहा था, लेकिन अब तक कई ब्लॉकों में आवेदन फार्म तक नहीं पहुंच पाए हैं।
गौरतलब है कि चार सितंबर को सचिव की ओर से सभी डायट प्राचार्यो को निर्देशित किया गया था। इसमें बीटीसी बैच
2010 एवं 2011, सेवारत बीटीसी (मृतक आश्रित), उर्दू बीटीसी विशेष प्रशिक्षण, विशिष्ट बीटीसी एवं प्रशिक्षित
एवं स्नातक शिक्षामित्रों की परीक्षा 2013 के सादे आवेदन पत्र एवं नामावली सूची प्रेषित करने को कहा गया था।
1उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रांतीय मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षामित्रों के द्वितीय
एवं चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित हैं। परीक्षा फार्म एवं फीस जमा करने
की सभी प्रक्रिया 20 सितंबर तक पूरा करनी की बात भी सचिव ने अपने आदेश में कही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश
के कई जिलों में परीक्षा फार्म भरवाने की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है।1 फिरोजाबाद, मथुरा, कौशांबी,
बनारस, बाराबंकी, शाहजहांपुर आदि जिलों में डायट द्वारा अब तक ब्लॉक स्तर पर अब तक परीक्षा फार्म
ही नहीं उपलब्ध कराए जा सके हैं। उन्होंने शासन से मांग की है कि परीक्षा की प्रक्रिया समय पर शुरू कराने के लिए
संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाए। समय के अनुरूप शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण पूरा होगा तो समायोजन
भी हो सकेगा।
Sudhesh Pandey > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteक्रमिक अनशन से पुलिस ने उठाया
टीईटी अभ्यर्थियों ने की प्राथमिक शिक्षकों के 72 हजार पदों पर भर्ती की मांग
इलाहाबाद(ब्यूरो)। प्राथमिक शिक्षकों के 72 हजार से अधिक पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग को लेकर
टीईटी अभ्यर्थियों का मंगलवार को भीमराव अंबेडकर पार्क में शुरू क्रमिक अनशन पुलिस ने बीच में ही खत्म
करा दिया। आरक्षण की त्रिस्तरीय व्यवस्था को लेकर घोषित महापंचायत के मद्देनजर शहर में पहले से तनाव था।
इसलिए पुलिस ने प्रतियोगियों को विरोध के बावजूद उठा दिया। इसको लेकर अभ्यर्थियों में काफी नाराजगी रही।
उनका कहना था कि सोमवार को जिला प्रशासन से क्रमिक अनशन शुरू करने की अनुमति ली गई थी। छात्रों ने
शांतिपूर्ण तरीके से अनशन शुरू किया था। बावजूद इसके पुलिस ने जबरदस्ती कर उन्हें हटा दिया।
अभ्यर्थियों ने बुधवार को लक्ष्मी टॉकीज से जुलूस निकाल कर बीएसए दफ्तर पर प्रदर्शन करने निर्णय लिया है।
72825 प्रशिक्षु शिक्षक आवेदक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मनोज मौर्या ने बताया कि उनके साथ संजय, गौरव बाबू
सिंह, पवन, लाल चंद्र और राजेंद्र कुमार क्रमिक अनशन पर बैठे थे। उनके समर्थन में सैकड़ों छात्र मौजूद थे।
hakul Gupta > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteशारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति की जाए
लखनऊ (एसएनबी)। शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति समेत छह सूत्री मांगों को लेकर प्रशिक्षित बीपीएड संघर्ष
मोर्चा के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने मंगलवार को विधानभवन के सामने धरना प्रदर्शन कर अपरनगर मजिस्ट्रेट के
माध्यम से सम्बोधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप यादव ने
सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि शारीरिक शिक्षा को प्राथमिक स्तर से अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर
दिया गया है। उसके बाद भी शारीरिक शिक्षा एवं शिक्षकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। धरने पर बैठे शिक्षकों ने
सरकार से शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक स्तर से करने, जूनियर हाईस्कूलों में
सौ बच्चों की अनिवार्यता खत्म करते हुए सभी स्कूलों में उनके पदों को सृजित करने, सरकार द्वारा संचालित एवं
सहायता प्राप्त बेसिक, माध्यमिक एवं इण्टरमीडिएट विद्यालयों में सव्रे कराकर शारीरिक शिक्षा के पद सृजित करने
तथा जूनियर हाईस्कूलों में की गई अनुदेशक भर्ती में प्रत्येक जिले में रिक्त सीटों पर कांउसलिंग कराकर भरने की मांग
की।
Prince Kumar Kasaudhan > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteKoi bhi admin iss post ko na delate kare,....
Gudank wale dekho
Kapildev Yadav > Uptet sanghSp sarkar k bharose rahnewale ek batko samjh nahi pa
rhe hai ye sarkarkisi ki nahi hai guddu ji mai aap seek question janna chahta hu
agarsarkar ne tet merit k liye halafnamade diya to aap ka karenge ye RGC HOYA KOI
AUR NETA KISI KA KOI IMANNAHI HOTA AUR JO KARAM KARNE KIJAGAH DUSRO
PE JYADA NIRBHARHOTEY HAI WO AKSAR DHOKHA KHAJATE HAI11 minutes ago
Kapildev YadavMai varanasi mai hu sir jiLike · 1 · 1 hour agoUmesh Sonikapil u r right
kuch kariye bhaiLike · 1 hour agoGuddu Singhmai apke bsnl wale no par call karrha hu
aap receive to kijie sir.landline se pn kar rha huLike · 1 hour agoKapildev YadavThik
hai sir ji i am waiting ur callLike · 1 hour agoKapildev YadavKha busy ho gye sir jiLike
· 1 hour agoGuddu Singhapko call kar rha hu not richable btarha haiLike · 1 hour
agoKapildev YadavThanks sir ji aap se bat karke bahutaccha lgaLike · 1 · 56 minutes
agoGuddu Singhkapil bhai agar gov tet k lie halfnamadal degi to usko pahle vigyapan
raddkarna padega fir niymawli mesansodhan karke new add nikalnapadega,aur sabse
bda jabab akhileshko mayawti ke pair par girkar mafimangni padegi ki maine apke
dwaranikale vigypan ko kyu radd kiaLike · 51 minutes agoGuddu Singhsam ko milte
hai sirLike · 1 · 50 minutes agoBhanu Pratapmugeri laal k sapneyLike · 33 minutes ag
Mahapatra ji ne aaj sunaya faisla apna number bhi jaldi ayega
ReplyDeleteमनमानी नियुक्तियां नहीं कर सकेंगे मुख्य न्यायाधीशUpdated on: Wed, 18 Sep 2013 08:12
PM (IST)
जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चतुर्थ
श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के मुख्य न्यायाधीश के अधिकारों में कटौती कर दी है। पीठ ने
फैसला दिया है कि बिना विज्ञापित किए ऐसे कर्मचारियों की सीधे नियुक्ति नहीं की जा सकती।
अभी तक मुख्य न्यायाधीश अपने विवेक से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र थे।
वृहदपीठ ने पूर्ण पीठ उस फैसले को पलट दिया है जिसके तहत कहा गया था कि यह मुख्य न्यायाधीश
का विवेकाधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति करने का अधिकार संविधान के
अनुच्छेद 14 व 16 के अधीन होगा। याची समेत सभी को समान अवसर व समानता के अधिकार के तहत
नौकरी दी जाए।
यह फैसला न्यायमूर्ति एलके महापात्र, न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी साही,
न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की वृहदपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट चतुर्थ
श्रेणी कर्मचारियों के विनियमितीकरण को लेकर कायम जनहित याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने
कहा है कि सामान्यत: सुप्रीमकोर्ट ने सेवा मामलों में जनहित याचिका को प्रतिबंधित किया है और
सर्विस मामलों में जनहित याचिका को पोषणीय नहीं माना है। परन्तु यह फैसला ऐसे मामलों में लागू
नहीं होगा जहां सेवा संबंधी सरकारी नीति या नियमावली को चुनौती दी जाती हो। ऐसे मामलों को जनहित
याचिका में उठाया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ व लखनऊ खंडपीठ में चतुर्थ
श्रेणी कर्मियों के खाली पदों को निर्धारित दिशा-निर्देशों व आंकलन के साथ ही भरा जाए। कोर्ट ने
कहा है कि दैनिक कर्मियों को नियमित करने में वरीयता पर विचार हो सकता है, किन्तु उन्हें नियमित
होने व नियुक्ति पाने का अधिकार दैनिक वेतनभोगी होने के नाते नहीं मिलेगा। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट
के उमादेवी केस सिद्धांत लागू होंगे।
भारत का इतिहास»»»»»»
ReplyDeleteपाषाण युग- 70000 से 3300 ई.पू
मेहरगढ़ संस्कृति 7000-3300 ई.पू
सिन्धु घाटी सभ्यता- 3300-1700 ई.पू
हड़प्पा संस्कृति 1700-1300 ई.पू
वैदिक काल- 1500–500 ई.पू
प्राचीन भारत - 1200 ई.पू–240 ई.
महाजनपद 700–300 ई.पू
मगध साम्राज्य 545–320 ई.पू
सातवाहन साम्राज्य 230 ई.पू-199 ई.
मौर्य साम्राज्य 321–184 ई.पू
शुंग साम्राज्य 184–123 ई.पू
शक साम्राज्य 123 ई.पू–200 ई.
कुषाण साम्राज्य 260–240 ई.
पूर्व मध्यकालीन भारत- 240 ई.पू– 800 ई.
चोल साम्राज्य 250 ई.पू- 1070 ई.
गुप्त साम्राज्य 280–550 ई.
पाल साम्राज्य 750–1174 ई.
प्रतिहार साम्राज्य 830–963 ई.
राजपूत काल 900–1162 ई.
मध्यकालीन भारत- 500 ई.– 1761 ई.
दिल्ली सल्तनतग़ुलाम वंशख़िलजी वंश तुग़लक़ वंश
सैय्यद वंशलोदी वंश मुग़ल साम्राज्य
1206–1526 ई.
1206-1290 ई.
1290-1320 ई.
1320-1414 ई.
1414-1451 ई.
1451-1526 ई.
1526–1857 ई.
दक्कन सल्तनतबहमनी वंश निज़ामशाही वंश
1490–1596 ई.
1358-1518 ई.
1490-1565 ई.
दक्षिणी साम्राज्य राष्ट्रकूट वंशहोयसल साम्राज्य
ककातिया साम्राज्य विजयनगर साम्राज्य
1040-1565 ई.
1736-973 ई.
1040–1346 ई.
1083-1323 ई.
1326-1565 ई.
आधुनिक भारत- 1762–1947 ई.
मराठा साम्राज्य 1674-1818 ई.
सिख राज्यसंघ 1716-1849 ई.
औपनिवेश काल 1760-1947 ई.
Rohit Chauhan > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteAdditional Cause List
19/09/2013
AT 10.00 A.M.
COURT NO.35
HON'BLE MR. JUSTICE LAXMI KANTA MOHAPATRA
HON'BLE MR. JUSTICE B.AMIT STHALEKAR
For Final Hearing/Disposal
SPECIAL APPEAL
1. DF 1488/2009 STATE OF U.P. THROUGH PRINCIPA PANKAJ RAI
-L SECRETARY AND OTHERS
Vs. RAM PRAKASH SINGH AND OTHE V.K. SHARMA
-RS K.C. YADAV
AWADH NARAIN RAI
SIDDHARTH KHARE
VIJAY MAHENDRA
ASHOK KHARE
N.K. PANDEY
S.P. SINGH VISHEN
WITH SPLA- 1090/2009 STATE OF U.P. THRU PRINCIPAL S M.C. CHATURVEDI
(CSC)
-ECRETARY AND OTHERS
Vs. BHARAT NATH YADAV ARUN KUMAR
WITH SPLA- 1002/2012 STATE OF U.P. THROUGH PRINCIPA PANKAJ RAI
-L SECY. AND OTHERS
Vs. RAMESH CHANDRA CHAUDHARY ARUN KUMAR
WITH SPLA- 1278/2009 STATE OF U.P. THROUGH CHIEF SE M.S. PIPERSENIA
-CRETARY AND OTHERS SC
Vs. RAJ NATH AND OTHERS
S.R. VERMA
********************************************************************************
THEN
COURT NO.35
HON'BLE MR. JUSTICE LAXMI KANTA MOHAPATRA
HON'BLE MR. JUSTICE B.AMIT STHALEKAR
For Orders
SPECIAL APPEAL DEFECTIVE
1. DF 687/2013 SMT.SHANTI DEVI SANJAY KUMAR YADAV
G.M. TRIPATHI
Vs. UNION OF INDIA THR.CHIEF S VIVEK SINGH
-ECURITY COMMISSIONER & 2 OTHER
2. DF 742/2013 PANKAJ KUMAR GUPTA AND ANOTHER J.H. KHAN
GULREZ KHAN
Vs. STATE OF U.P. AND 5 OTHERS C.S.C.
PRABHAKAR AWASTHI
WITH SPLA- 656/2013 SHIV SWARUP TANDON AND ANOTHE J.H. KHAN
-R W.H. KHAN
GULREZ KHAN
Vs. STATE OF U.P. AND 4 ORS. C.S.C.
PRABHAKAR AWASTHI
For Admission
SPECIAL APPEAL
3. DF 149/2013 SUJEET SINGH AND OTHERS NAVIN KUMAR SHARMA
SHAILENDRA
Vs. STATE OF U.P. AND OTHERS C.S.C.
4. DF 206/2013 YAJUVENDRA SINGH CHANDDEL AND KSHETRESH CHANDRA
SHUKLA
-ANOTHER
Vs. STATE OF U.P. AND OTHERS C.S.C.
R.A. AKHTAR
5. DF 857/2013 VINOD KUMAR SINGH SANTOSH KUMAR YADAV
ASHOK KHARE
Vs. STATE OF U.P. AND 5 ORS. C.S.C.
SANJAY CHATURVEDI
6. DF 1052/2013 JHINKU SINGH SHASHI PRAKASH RAI
ASHOK KHARE
Vs. STATE OF U.P. AND 5 OTHERS C.S.C.
S.K. RAI
7. DF 1144/2013 C/M. BHARTI SANSTHAN JAUNPUR, UMESH VATS
-AND ANOTHER
Vs. STATE OF U.P. THRU' PRINCI C.S.C.
-PAL SECRY. AND 5 OTHERS GAUTAM BAGHEL
WRIT - C
8. DF 52601/2008 SEEMA GOSWAMI AND ANOTHER M.K. GUPTA
Vs. STATE OF U.P. THRU SECY. N C.S.C.
-AGAR VIKAS AND OTHERS V.B. MISHRA
SHIVAM YADAV
9. DF 45121/2013 VANSHIKA SINGH SIDDHARTH KHARE
ASHOK KHARE
Vs. STATE OF U.P. THRU SECY. A C.S.C.
-ND 6 OTHERS NEERAJ TIWARI
MAHENDRA PRATAP
Shakul Gupta > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteअव्यवस्थाओं से जूझ रहे बीटीसी प्रशिक्षु
Updated on: Wed, 18 Sep 2013 06:18 PM (IST)
अव्यवस्थाओं से जूझ रहे बीटीसी प्रशिक्षु
बदायूं : शिक्षक को भविष्य निर्माता कहा जाता है। क्योंकि वह बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर समाज व देश
अच्छा नागरिक बनाने में योगदान देता है, लेकिन जिले में शिक्षकों की नर्सरी कहे जाने वाले जिला शिक्षा एवं
प्रशिक्षण संस्थान में भावी भविष्य निर्माताओं को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
उसावां रोड स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में वर्तमान में लगभग दो सौ प्रशिक्षु बीटीसी का प्रशिक्षण
ले रहे हैं, लेकिन इन प्रशिक्षुओं के लिए यहां व्यवस्थाएं नदारद हैं। कक्षा कक्ष तो हैं लेकिन वहां इन प्रशिक्षुओं के
बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है। बरसात के दिनों में कक्षा कक्षों में पानी टपकने के कारण शिक्षण कार्य भी ठप
हो जाता है। प्रथम वर्ष के कुछ प्रशिक्षुओं ने बताया कि परिसर में पुरुष वर्ग के लिए अलग शौचालय तक नहीं है।
जबकि महिला प्रशिक्षुओं को शिक्षकों के शौचालय का ही इस्तेमाल करना पड़ता है। इसके अलावा संस्थान में पीने के
पानी के लिए भी प्रशिक्षुओं को परेशान होना पड़ता है। संस्थान में लगा वाटर कूलर कम क्षमता का होने के कारण
प्रशिक्षुओं की पानी की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। परिसर में लगे दो हैंडपंप में से एक महीनों से खराब पड़ा है। इसके
अलावा कई कक्षा कक्षों में या तो पंखे हैं ही नहीं या फिर खराब पड़े हैं।
हॉस्टल बना कीड़े-मकोड़ों का बसेरा
परिसर में ही प्रशिक्षुओं के रहने के लिए निशुल्क हॉस्टल की भी सुविधा है, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण
पिछले कई सालों से इसका ताला तक नहीं खुला है। रखरखाव न होने के कारण हॉस्टल कीड़े मकोड़ों का बसेरा बन
गया है। जिसके चलते प्रशिक्षुओं को किराये के कमरे लेकर रहना पड़ रहा है। कुछ महिला प्रशिक्षुओं
का कहना था कि वह बरेली से रोजाना यहां आती हैं यदि हॉस्टल की व्यवस्था सही हो और सुरक्षा का प्रबंध
हो तो उन्हें रोज बरेली से दौड़ न लगानी पड़े। अंतिम वर्ष की महिला प्रशिक्षुओं ने बताया कि कई बार वह प्राचार्य
को समस्याओं से अवगत करवा चुकी हैं लेकिन आज तक समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। यदि प्रशिक्षु समस्याओं
को लेकर विरोध करते हैं तो उन्हें डराया धमकाया जाता है। भविष्य खराब होने के डर से परेशानी झेलने के बावजूद
प्रशिक्षु सामने आकर समस्याएं बताने से भी कतराते हैं।
जब से मेरे पास डायट का चार्ज है तब से अब तक मेंटीनेंस के लिए कोई बजट नहीं मिला है। कुछ पंखे खराब थे उन्हें
सही करवा दिया गया था। बीटीसी फंड पर भी रोक लगी हुई है। फर्नीचर के खरीद के लिए डायरेक्टर से
अनुमति मांगी है। यदि अनुमति मिल जाती है तो फर्नीचर खरीद लिया जाएगा। पानी के लिए परिसर में हैंडपंप हैं और
वाटर कूलर भी लगा हुआ है। पानी की कोई दिक्कत नहीं है।
-कृपा शंकर वर्मा, प्रभारी प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान
Prince Kumar Kasaudhan > Teacher's Helpdesk
ReplyDeleteबिना सुनवाई बर्खास्त करने पर सरकार पर एक लाख हर्जाना
लखनऊ। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बिना सुनवाई का मौका दिए सेवा से बर्खास्त किए जाने के मामले में
नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का हर्जाना ठोका है। पीठ ने कहा कि बिना सुनवाई का मौका दिए
बर्खास्त करना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मतीन व न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने डॉ.सुधा सिंह
की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए हैं। याचिका के अनुसार जिला अस्पताल बलिया में डॉ.सुधा सिंह तैनात थीं। पांच
जनवरी 2008 को शरीर में चोट लगने के कारण डॉ.सुधा ने विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की। विभाग
द्वारा इनको स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं दी गई। विभाग द्वारा याची को अनुपस्थित पाये जाने पर दो वेतन
वृद्धियां रोक दी गई। राज्य सरकार ने याची सहित 42 लोगों को बर्खास्त कर दिया। याची ने बर्खास्तगी आदेश
को चुनौती देते हुए कहा कि विधि विरुद्ध तरीके से उसे बर्खास्त किया गया है। सेवा नियमावली के प्रावधानों के विरुद्ध
आदेश पारित किया गया है। अदालत ने सुनवाई के बाद याचिका स्वीकार करते हुए बर्खास्तगी आदेश को कानून के
खिलाफ व मनमाना पाया। पीठ ने बर्खास्तगी आदेश खारिज करते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये
का हर्जाना भी ठोका है।
Prince Kumar Kasaudhan
ReplyDeletePolice adhikari bhi bhagna chahte hai yha se
एडीजी अरुण कुमार ने जताई यूपी छोड़ने की इच्छा
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : सूबे के बदले हुए हालात और चुनौतियों के बीच अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था)
अरुण कुमार ने यूपी छोड़ने की इच्छा जताई है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए
सरकार को अर्जी दी है।
सचिव से वार्ता के कुछ अंश ----------.
ReplyDeleteसचिव का कमरा -----------
हमारे बायीं तरफ सोफे पर 3 महिला पी0सी0एस0
जो कि शिक्षा विभाग की थीं ।
सचिव की कुर्सी के सामने वासुदेव यादव तथा उनके
अन्य सहयोगी अधिकारी ----कुल मिलाकर 6 ,,,
नीतेश्वर कुमार स्वयं ,,,सचिव बेसिक शिक्षा और
हममें गनेश दीक्षित,उमाशंकर यादव,ऋतेश
ओझा यानि मैं ,,,विक्रम यादव और नवीन श्रीवास्तव
"
सचिव - बताइये क्या माँग है आपकी ?????
गनेश दीक्षित - सर आप हमारे लिये उम्मीद
की किरण है,,,आप भगवान के समान हैं ,,,अगर आप
चाहेंगे तो हमको नियुक्ति मिल सकती है ,,,हम 2 साल
से संघर्षरत हैं और हमारे परिवार भूखों मर रहे हैं ।
सचिव - शिक्षामित्रों वाला मामला है क्या ????
वासुदेव यादव - अरे नही ये टेट वाली है ?????
सचिव - क्या इनको नौकरी मिल गयी है ????
नवीन श्रीवास्तव- सर
हमको अभी नियुक्ति अभी नही मिली है हम टेट से
नियुक्ति चाह्ते हैं और 2 साल से हम बहुत व्यथित हैं
।
सचिव - आप लोग शांत रहे मुझे अपने अधिकारियों से
जानते दीजिये ?????
सचिव - क्या मामला है इनका भाई ......क्या हुआ
है ????
वासुदेव यादव - अरे सर ये टेट 2011 वाले हैं ,,,,,ये
मांग रहे हैं कि टेट पर नियुक्ति हो लेकिन अब यह
कहाँ हो सकता है ,,सरकार ने वो वाला विज्ञापन
निरस्त कर दिया है,,,,इन लोगों ने उसकी फीस
भी वापस ले ली है ,,,नया विग्यापन जो आया है उसमें
इन सबने फार्म भी भरा है ??????
महिला पी0सी0एस- अरे जब नये वाले विग्यापन में
सब लोग फार्म भरे हो तो उसमें भी तो तुम्ही लोग
हो ,,,,,,,नियुक्ति तो पा ही जाओगे ॥
नवीन श्रीवास्तव - सर हमने फीस वापस नही ली है ।
हम टेट मेरिट से नियुक्ति चाहते हैं जैसा कि हमसे
कहा गया था ।
फिर मैनें सचिव से कहा -
ऋतेश ओझा - सर क्या मैं अपनी बात कह सकता हूँ
-----
सचिव बोलो लेकिन जल्दी - मैनें उनको बताया कि 9
नवम्बर 2011 को 12वें संशोधन में यह
कहा गया कि नियुक्ति टेट के अवरोही क्रम में
की जायेगी और हमसे कहा गया कि 13 तारीख
को आपको यह परीक्षा देनी है । हमने यह जानकर
कि इसी परीक्षा के आधार पर नियुक्ति होनी है हमने
मेहनत करके इसमें अच्छे अंक प्राप्त किये ,,,,,यह
सोचकर कि यह हमारे लिये नियुक्ति का अंतिम अवसर
है हमने इसकी तैयारी में कोई कसर
नही छोड़ी ,,,,उसके पश्चात सरकार बदली और
धाँधली का निराधार आरोप लगाते हुये उसके निरस्त
कर दिया गया ,,,तत्पश्चात गुणांक आधारित
विज्ञापन अस्तित्व में सरकार द्वारा आरोपित
किया गया । सर हमने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील
की है और हमको स्टे भी मिला हुआ है ,,,,,उसमें कोर्ट
ने साफ - साफ कहा है कि नियमावली में
किसी भी प्रकार का संशोधन retrospective
effect से लागू नही हो सकता है ,,,,और कोर्ट ने यह
भी स्पष्ट किया है कि नया विग्यापन असंवैधानिक
है ..........
सचिव - क्या इस तरह का कोई आदेश है तुम्हारे
पास।
ऋतेश ओझा(मैं) - हाँ (मैं
जानता था कि इसको तर्कों से ही पराजित
किया जा सकता है इसलिये सारे आर्डर मैं साथ ही ले
गया था) मैनें उनको आर्डर दिये।
सचिव - अच्छा मैं कल आपके केस सम्बन्धित
सारी फाइलें मँगवाऊँगा और सारे आदेशों को पढ़्ने के
बाद आपके हित में जो अधिकतम हो सकता है करने
का प्रयास करूँगा ।
महिला पी0सी0एस- अरे सर इन लोगों ने नये वाले
विज्ञापन में फार्म डाला है ॥ उसके बाद ये लोग
जबरदस्ती कोर्ट भी गये हैं ।
गनेश दीक्षित- सर हमने इस प्रक्रिया में एक
भी फार्म नहीं डाला है ।
सचिव गम्भीर मुद्रा में - क्या तुम सबने वाकई में
इस प्रक्रिया में फार्म नहीं डाला है ॥
हमने अपनी इज्ज्त बचाते हुए -- हाँ हाँ नहीं डाला है -
जब्कि सच्चाई यह थी गनेश को छोड़कर सबने फार्म
डाल रखा है ।
महिला पी0सी0एस0 यह सुनकर हैरान हो गयी । और
उसके बाद कुछ नही बोली ।
सचिव - अरे तो उसमें क्या है ??? 8-10 हजार तुम
लोग ऐसे होगे ,,,,देखा जायेगा ।
गनेश दीक्षित- अरे नही सर ऐसे कम से कम 60-70
हजार लोग हैं ।
सचिव और गम्भीर मुद्रा - अरे (हैरानी के साथ)
अच्छा आप लोग विधान सभा सत्र के बाद आइये
तबतक मैं फाइल को पढ़कर आपके लिये
क्या हो सकता है ,,,बातचीत करता हूँ ,,,,,,,,
यह वह सब बातें हैं जो सचिव के कमरे हुयीं । आज
तक बहुत से डेलीगेशन सबसे मिले होंगे लेकिन किसी ने
इस तरह से आपको विस्तार से न बताया होगा ।
लेकिन मेरा मानना है कि आपको हर उस बात
की जानकारी हो जो भी किसी वार्ता में घटित
हुयी हों । 10 के बाद बहुत व्यस्त होने के कारण मैं
यह सब आपको नही बता सका
Mahapatra ji ne aaj sunaya faisla apna number bhi jaldi ayega
ReplyDeleteमनमानी नियुक्तियां नहीं कर सकेंगे मुख्य न्यायाधीशUpdated on: Wed, 18 Sep 2013 08:12
PM (IST)
जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चतुर्थ
श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के मुख्य न्यायाधीश के अधिकारों में कटौती कर दी है। पीठ ने
फैसला दिया है कि बिना विज्ञापित किए ऐसे कर्मचारियों की सीधे नियुक्ति नहीं की जा सकती।
अभी तक मुख्य न्यायाधीश अपने विवेक से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र थे।
वृहदपीठ ने पूर्ण पीठ उस फैसले को पलट दिया है जिसके तहत कहा गया था कि यह मुख्य न्यायाधीश
का विवेकाधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति करने का अधिकार संविधान के
अनुच्छेद 14 व 16 के अधीन होगा। याची समेत सभी को समान अवसर व समानता के अधिकार के तहत
नौकरी दी जाए।
यह फैसला न्यायमूर्ति एलके महापात्र, न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी साही,
न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की वृहदपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट चतुर्थ
श्रेणी कर्मचारियों के विनियमितीकरण को लेकर कायम जनहित याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने
कहा है कि सामान्यत: सुप्रीमकोर्ट ने सेवा मामलों में जनहित याचिका को प्रतिबंधित किया है और
सर्विस मामलों में जनहित याचिका को पोषणीय नहीं माना है। परन्तु यह फैसला ऐसे मामलों में लागू
नहीं होगा जहां सेवा संबंधी सरकारी नीति या नियमावली को चुनौती दी जाती हो। ऐसे मामलों को जनहित
याचिका में उठाया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ व लखनऊ खंडपीठ में चतुर्थ
श्रेणी कर्मियों के खाली पदों को निर्धारित दिशा-निर्देशों व आंकलन के साथ ही भरा जाए। कोर्ट ने
कहा है कि दैनिक कर्मियों को नियमित करने में वरीयता पर विचार हो सकता है, किन्तु उन्हें नियमित
होने व नियुक्ति पाने का अधिकार दैनिक वेतनभोगी होने के नाते नहीं मिलेगा। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट
के उमादेवी केस सिद्धांत लागू होंगे।