UPTET : टीईटी की अनिवार्यता पर केंद्र व यूपी सरकार से जवाब तलब
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लागू किए गए टीचर एलिजेबिलटी टेस्ट (टीईटी) के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। इस मुद्दे पर विशिष्ट बीटीसी में 2007-08 में उत्तीर्ण हुए अभ्यर्थियों ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सर्वोच्च अदालत से इन अभ्यर्थियों ने कहा है कि टीईटी को लागू किए जाने से पहले उनका कोर्स पूरा हो चुका था। लेकिन तब गैर-एनसीटीई संस्थानों से मान्यता प्राप्त डिग्रियां होने के आधार पर राज्य सरकार ने प्रशिक्षण से रोक दिया था। लेकिन सर्वोच्च अदालत ने अक्तूबर, 2010 में दिए फैसले में अभ्यर्थियों की बीएड डिग्रियों को सही करार दिया। हालांकि इससे पहले राज्य सरकार ने अगस्त, 2010 में टीईटी लागू कर दिया। अब प्रशिक्षण पूरा करने के बावजूद राज्य सरकार कह रही है कि टीईटी परीक्षा पास किए बगैर कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष राम प्रकाश शर्मा समेत आठ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आरके सिंह ने तर्क दिया कि मेरे मुवक्किलों ने टीईटी लागू किए जाने से पहले विशिष्ट बीटीसी में सफलता हासिल की थी। लेकिन राज्य सरकार की ओर से डिग्रियों पर सवाल उठाए जाने के बाद प्रशिक्षण नहीं हो पाया। अब मेरे सभी मुवक्किलों समेत कई हजार लोगों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। लेकिन राज्य सरकार अब इस पर आमादा है कि अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए इन सबके लिए भी टीईटी पास करना जरूरी है