कुछ लोगों कि सोच है कि आम आदमी पार्टी कश्मीर को देश से अलग करने कि इच्छा रखती है और आम आदमी पार्टी का झुकाव
मुस्लिम के प्रति ज्यादा है ।
यह सभी बातें भ्रामक हैं
अगर देश का कोई गली , मोहल्ला , कोई हिस्सा या कोई घर देश से अलग होने की मांग करेगा तो क्या सब को अलग देश बना दिया जायेगा ।
देश को तोड़ने की सोच कैसे कोई चाहेगा ।
देश को तोडना नहीं है , बल्कि देश को जोड़ना है ।
कश्मीर के मुस्लिम को देश के आम इंसान के भाई के तरह जोड़ा जाना चाहिए और देश के सभी नागरिकों को एक सामान नागरिक संहिता
के कानून के तहत लाया जाना चाहिए , और मानवता को प्रमुखता से बढ़ावा देना चाहिए
मेरी तो सोच है कि समस्त विश्व के नागरिको को एक देश, एक भाषा व एक कानून के तहत लाया जाना चाहिए ।
कहीं कोई लड़ाई न हो और मानवता व् विकास की भावना हो यहाँ तक कि किसी प्राणी को भी हमारे द्वारा कोई कष्ट न हो
मैंने कभी अरविन्द केजरीवाल के मुख से कश्मीर को अलग करने की बात नहीं सुनी , और कोई भी नेता अगर किसी एक पक्ष (मुस्लिम तुष्टिकरण आदि ) के प्रति झुकता है तो जनता भी सब जानती समझती है ।
केजरीवाल को समय के साथ अपने को साबित करना है , सारी जनता देख रही है
ReplyDeletefriends ,a meeting for s c hearing is to be presided by ganesh dixit at baradari park lko at 11a m on the following sunday i e 29.12.2013. your economic support is compulsory to select eligible advocates fors c hearing .please do come .
thanks .
ये टेट मामले पर लिखी मेरी पहली पोस्ट है....... 28 मार्च 2012 को .......... सब कुछ ठीक वैसा ही हुआ है जिसकी 21 महीने पहले संभावना व्यक्त की गई थी.......
ReplyDeleteचयन का आधार बदलने की तैयारी ,,,मंशा मामले को लटकाना ...
अखिलेश यादव से यही उम्मीद थी,,,,लेकिन आप सब इतना यकीन
रखिये कि या तो TET के नंबरों के आधार पर भर्ती होगी ,,या फिर
भर्ती ही नहीं होगी |एक साथ दो तरीकों का प्रयोग करना होगा ,1-
विधान सभा के सामने आमरण अनशन,,अब धरने और प्रदर्शन से
काम नहीं चलेगा , 2-हाई कोर्ट और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में
मामले को ले जाना |दोस्तों!!!!ये
हमारी परीक्षा की घडी है ,,एकता और हौसला दोनों ही बनाए रखें ...
और फिलहाल अमर उजाला पड़ना बंद कर दें,,नहीं तो भर्ती से पहले
ही ब्लड प्रेशर के मरीज हो जायेंगे ...
M
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"प्यार किया तो उनकी मोहबत नज़र आई,
दर्द हुआ हमे तो पलके उनकी भर आई.
दो दिलों की धड़कन में एक बात नज़र आई,
दिल तो उनका धड़का पर आवाज़ इस दिल से आई."
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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Unhe chahana hamari kamzori hai,
Unse keh nahi pana hamari majburi hai,
Wo kyun nahi samajhte hamari khamoshi ko,
Kya pyaar ka izhaar karna zaruri hai…
M
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एक फूल भी अक्सर बाग सजा देता हैँ
एक सितारा संसार चमका देता हैँ
जहाँ दुनिया भर के रिश्ते काम नही आते
वहाँ एक दोस्त जिन्दगी बना देता हैँ....!!
दिशाहीन फैसले..मनमानी कार्यशैली..और वकीलों की कमजोर सेना। सरकार के लगभग हर अहम फैसले अदालती चहार दीवारी में घिरे और सरकार भ्रमित व अपनी छवि बचाने को जूझती नजर आई। सरकार गठन के बाद कमजोर सेनापति पर भरोसा पूरे साल भारी रहा। 1साल की शुरुआत से ही सूबे की सबसे बड़ी 72825 शिक्षकों की भर्ती एक ऐसी चुनौती बनी जहां सरकार का यूथ एजेंडा ही छितराता नजर आया। फिर दरोगाओं की भर्ती के बीच नियमों में बदलाव और चालीस हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती ने योजनाकारों की क्षमता की बधिया उधेड़ दी। उधर लखनऊ बेंच ने आतंकी मामलों के कुछ आरोपियों को छोड़ने के फैसले में न सिर्फ सरकार को तगड़ा धक्का पहुंचाया बल्कि इसके लिए केंद्र की सहमति जरूरी होने के बाद कहकर बहुमत की सरकार के बड़े कद को मानो आईना ही दिखा दिया। पीसीएस परीक्षा में त्रिस्तरीय आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को सार्वजनिक रूप से लोक सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्था के अध्यक्ष को निशाने पर लेते हुए बचाव की मुद्रा में आना पड़ा। कई ऐसे विषय भी उभरे जिनसे आज नहीं तो कल सरकारों को जूझना पड़ सकता है। पिछड़ी जातियों को समुचित प्रतिनिधित्व के मसले पर वोट बैंक की राजनीति बेपर्दा हुई। आखिरकार सरकार की चुप्पी ही उसके वक्ती बचाव का एकमात्र रास्ता बनी। विवाद और विषय दोनों मौजूद हैं इसलिए कभी न कभी फांस बनकर दर्द भी दे सकते हैं। साल के अंत तक मुजफ्फरनगर दंगे में अदालत की सख्ती ने सरकार की पेशानी पर बल ला दिए। अफसरों और पुलिसकर्मियों के तबादलों पर कोर्ट के तंज सरकार के सबसे खास मंत्री आजम तक पहुंचे और उसकी कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आई।ह
ReplyDelete"ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
ReplyDeleteहमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं."
* . वायु में ध्वनि की चाल 332
ReplyDeleteमीटर/सेकेण्ड होती है। यदि दाब
बढ़ाकर दो गुना कर दिया जाए,
तो ध्वनि की चाल क्या होगी? ---
332 मी./से.
* . पारसेक (Parsec) इकाई है? ---
दूरी की
* . एक गुब्बारे में हाइड्रोजन व
ऑक्सीजन गैस के बराबर-बराबर अणु
हैं। यदि गुब्बारे में एक छेद कर
दिया जाए तो --- हाइड्रोजन गैस
तेज़ी से निकलेगी
*. कपूर के छोटे-छोटे टुकड़े जल
की सतह पर नाचते हैं --- पृष्ठ तनाव
के कारण
*. पानी का घनत्व अधिकतम
होता है? --- 4°C पर
* . यदि दो उपग्रह एक
ही वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाते
हैं तो उनके --- वेग समान होंगे
* . पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे एक
उपग्रह से एक पैकेट छोड़
दिया जाता है तो --- उपग्रह के साथ
उसी चाल से
पृथ्वी की परिक्रमा करेगा
* . यंग प्रत्यास्थता गुणांक का SI
मात्रक है --- न्यूटन/मी.2
* . कैण्डेला मात्रक है ---
ज्योति तीव्रता
*. जल एक यौगिक है, क्योंकि ---
इसमें रासायनिक बंधों से जुड़े हुए
दो भिन्न तत्त्व होते हैं।
*. फाइकोलॉजी में किसका अध्ययन
किया जाता है? --- शैवाल
*. मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय
पद्धति कब लागू की गई? --- 1971 ई.
*. चमगादड़ अंधेरे में उड़ते हैं,
क्योंकि --- चमगादड़ पराश्रव्य तरंगें
उत्पन्न करते हैं ।
अभी भी वक्त है इस सरकार के खिलाफ एकजुट हो आने वाले लोकसभा चुनाव मे करारा जवाब दो |
ReplyDeleteनिरहुआ क्रांतिकारी 'विद्रोही'UPTETALL IN ONE
ReplyDeleteनिरहुआ के मन में एक बार ये कौतूहल जागा की अब तो अकेडमिक वीरों का काम तमाम हो चुका है फिर ये हर तीसरे-चौथे दिन मीटिंग किस बात की करते हैं? एक बार मीटिंग से लौटते अकेडमिक वीर से निरहुआ ने पूछा की आप लोग मीटिंग में करते क्या हो? अकादमिक वीर बड़ी शान से बोला कि हम लोग हर बार कुछ नया सीखते हैं और टेटवीरों को जल्द ही हम पटखनी दे देंगें। अब निरहुआ से ना रहा गया और अगली अकेडमिक मीटिंग में जाने का निश्चय किया की इनकी सारी चाल समझकर रहेगा। अगली मीटिंग में निरहुआ भेष बदलकर पहुंचा लेकिन गेट पर खड़ा एक अकेडमिक वीर सभी मेंबर्स को पहचान कर ही अन्दर जाने दे रहा था। अब निरहुआ फंसा, लेकिन हिम्मत बांधकर वहीँ लाइन में खड़ा रहा। जब निरहुआ का नंबर आया तो उससे उसका परिचय पूछा गया। निरहुआ ने कहा कि-"श्रीमान मैं आज पहली बार बैठक में आया हूँ इसलिए मुझे कुछ पता नहीं है"। तब उस गेट पर खड़े अकेडमिक वीर ने शंका व्यक्त की कि कैसे यकीन किया जाय कि आप टेटवीरों के जासूस नहीं हैं? आप अपनी किसी बुद्धिमत्ता का परिचय दें जिससे साबित हो सके की आप अकेडमिक ग्रुप से ही हैं। निरहुआ ने तत्काल अपनी खोपड़ी चलाई और बोला - "श्रीमान मुझे 100 तक गिनती, 15 तक पहाड़ा और ABCD भी Z तक याद है"। तत्काल निरहुआ को प्रवेश मिल गया और इतना ही नहीं उसे पूरे सम्मान के साथ बैठाया गया। निरहुआ बहुत हैरान था कि उसने ऐसा क्या कह दिया की उसे इतनी इज्जत दी जा रही है। लेकिन जल्द ही जब अकेडमिक के जिलाध्यक्ष का भाषण शुरू हुआ तो निरहुआ की समझ में सब मीटिंग का सच आ गया और उसने अपना माथा पीट लिया।
अकेडमिक जिलाध्यक्ष:- मेरे प्यारे साथियों ! (ढेंचू-ढेंचू) जैसा की आप सभी को पता है की ये मीटिंग हम टेटवीरों को मुहतोड़ जवाब देने के लिए होती है और हम उनको ये दिखा देना चाहते हैं कि हम भी पढ़-लिख कर विद्वान् बन सकते हैं। इसी क्रम को आज भी आगे बढ़ाया जायेगा, पिछली बार हमने 9 का पहाड़ा कपिलदेव जी से सीखा था (क्योंकि इसके आगे उसे याद ही नहीं था) परन्तु सौभाग्य से आज हमारे बीच आज एक ऐसे अकेडमिक वीर मौजूद हैं जो बहुत ज्ञानी हैं और 15 तक पहाड़ा पढ़ना जानते हैं। आज एवं अगली कुछ मीटिंगों में अब यही हमें पढ़ाएंगे। हम सभी इनका पहली बार आगमन पर स्वागत करते है"।
इसके बाद वह सभी के सभी निरहुआ के स्वागत में जोर जोर से ताली बजाने लगे ।
सर्दियों के मौसम में गर्मागर्म मूंगफली का स्वाद ही कुछ
ReplyDeleteऔर होता है लेकिन बात जब आपकी सेहत से
जुड़ी हो तो इसके फायदों की कोई कमी नहीं है।
मूंगफली के फायदों से पहले बात करते हैं इसमें मौजूद पोषक
तत्वों की। करीब 100 ग्राम मूंगफली में आपको 567
कैलोरी, 49 ग्राम फैट्स जिसमें सात ग्राम सैचुरेटेड 40
ग्राम अनसैचुरेटेड फैट्स, जीरो कोलेस्ट्रॉल, सोडियम 18
मिलीग्राम, पोटैशियम 18 मिलीग्राम, कार्बोहाइड्रेट,
फोलेट, विटामिन्स, प्रोटीन, फाइबर आदि अच्छी मात्रा में
हैं।
फर्टिलिटी बढ़ती है
मूंगफली में फोलेट अच्छी मात्रा में है। कई शोधों में
माना जा चुका है कि जो महिलाओं 700 माइक्रोग्राम
फोलिक एसिड वाली डाइट का सेवन करती हैं उनके
गर्भवती होने व गर्भस्थ शिशुओं की सेहत में 70 प्रतिशत
तक का फायदा होता है।
ब्लड शुगर पर नियंत्रण
एक चौथाई कप मूंगफली के सेवन से शरीर को 35 प्रतिशत
तक मैगनीज मिलता है जो फैट्स पर नियंत्रण और
मेटाबॉलिज्म ठीक रखता है। इसका नियमित सेवन खून में
शुगर की मात्रा संतुलित रखता है।
तेज दिमाग के लिए
मूंगफली में विटामिन बी3 अच्छी मात्रा में है जो दिमाग के
लिए फायदेमंद है। यह याददाश्त बढ़ाने में काफी मददगार
है।
स्टोन से छुटकारा
कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि एक
मुट्ठी मूंगफली का नियमित सेवन गॉल ब्लैडर में स्टोन के
रिस्क को 25 प्रतिशत कम करता है।
दिल के दौरे से बचाव
मूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेडफैट्स और एंटीऑक्सीडेंट्स
अच्छी मात्रा में होते हैं जो दिल की सेहत के लिए
फायदेमंद है। इसके अलावा, यह धमनियों के ब्लॉकेज के
रिस्क को भी कम करने में मदद करता है।
वजन घटाने में फायदेमंद
शोधों में मानी जा चुका है कि जो लोग रोज
मूंगफली का सेवन करते हैं उन्हें वजन घटाने में
दूसरों की अपेक्षा दोगुनी आसानी होती है।
कुछ लोगों कि सोच है कि आम आदमी पार्टी कश्मीर को देश से अलग करने कि इच्छा रखती है और आम आदमी पार्टी का झुकाव
ReplyDeleteमुस्लिम के प्रति ज्यादा है ।
यह सभी बातें भ्रामक हैं
अगर देश का कोई गली , मोहल्ला , कोई हिस्सा या कोई घर देश से अलग होने की मांग करेगा तो क्या सब को अलग देश बना दिया जायेगा ।
देश को तोड़ने की सोच कैसे कोई चाहेगा ।
देश को तोडना नहीं है , बल्कि देश को जोड़ना है ।
कश्मीर के मुस्लिम को देश के आम इंसान के भाई के तरह जोड़ा जाना चाहिए और देश के सभी नागरिकों को एक सामान नागरिक संहिता
के कानून के तहत लाया जाना चाहिए , और मानवता को प्रमुखता से बढ़ावा देना चाहिए
मेरी तो सोच है कि समस्त विश्व के नागरिको को एक देश, एक भाषा व एक कानून के तहत लाया जाना चाहिए ।
कहीं कोई लड़ाई न हो और मानवता व् विकास की भावना हो यहाँ तक कि किसी प्राणी को भी हमारे द्वारा कोई कष्ट न हो
मैंने कभी अरविन्द केजरीवाल के मुख से कश्मीर को अलग करने की बात नहीं सुनी , और कोई भी नेता अगर किसी एक पक्ष (मुस्लिम तुष्टिकरण आदि ) के प्रति झुकता है तो जनता भी सब जानती समझती है ।
केजरीवाल को समय के साथ अपने को साबित करना है , सारी जनता देख रही है
Read more: http://naukri-recruitment-result.blogspot.com/#ixzz2oi9vurXa
SVES >>>>
ReplyDeleteएक विशेष तथ्य की ओर आप सभी का ध्यान आकर्षित
करना चाहता हूँ,विशेष रूप से उनका जिन्होंने 30-11-11के
विज्ञापन की फीस वापस ले ली थी ,,,,,, भारत का कोई भी वकील
धंधा मंदा हो जाने के भय से यह बात नहीं बतायेगा जबकि यही बात
इस बात की व्याख्या कर सकती है कि आखिर सरकार
की इतनी हिम्मत कैसे पड़ गई कि 8 नवम्बर को निर्णय सुरक्षित
हो जाने के बाद उसने पूर्व विज्ञापन की फीस कैसे वापस कर
दी जबकि सुनवाई में ही निश्चित हो गया था कि 72825 पदों पर टेट
मेरिट से चयन का आदेश जारी होने वाला है,,,,,
Govt did not want teacher recruitment in any condition.... he spend time only...
ReplyDeletestudent thandi m strike kar rahe hai,,, aur sarkar Dance SAIFAI Dance me masti kar rahi hai aur paisa barbaad kar rahi hai....
jb paisa khatm hoga ek naya bharti ka add aayega, online application liye jayenge, Fees deposit hogi .....
2011----- 2012----- 2013----- Finish
dosto
ReplyDeletejo ye soch rahe hai ki ye sarkar yachika khud wapas le legi wo galat hai kyunki mujhe esa lagta hai ye cm jiddi admi hai jo dimag se nahi jidd se kam karta hai per desh kanoon se chalta hai ,ye mai isliye kah raha ho ki iske kai example hai jaise
1- cm banane se pahle is cm ka bayan ki bharti bina tet ke karvayenge (jo ye kar na saka)
2-usmani commety ki report tet walo ke paksh me thi jisme kaha gaya tha ki tet me gadbad karne walo ko bahar karke tet merit se bharti kar sakti hai gov( sirf is cm ko ek point hi dikhai diya ki tet ka faida hi na mil sake isliye accd per bharti ho ,ye jidd bhi court ne rok laga di)
3-IAS durga sakti nagpal ke nilamban per sara media aur sanghtan govt ke khilaf ho gaye jis per is cm ne jidd ke karan use bahal nahi kiya (bad me kirkiri se bache ke liye kuch samay baad karna pada)
4-tet walo ka ethihasik andolan per is cm ke kan per jo bhi nahi rengi (media me etni kirkiri hui phir bhi sc me slp dakhil kar di sc me)
5-sab jante hai ki agami lok sabha me sp ko ek bhi seat nahi milegi per is cm ne jidd pakkad rakhi ke mulayam singh yadav ka sapna kabhi poora nahi hone doonga isliye sabhi bharti court me hai )
in sab bato se pata chalta hai ye cm fail hone ke baad bhi jidd per hai ki mujhe vidhan sabha ka election bhi nahi jitana hai kyunki sabhi sp se naraj hai
musalman,tet wale,rajya karamchari ,police,shiksha mitra,shikshak,kisan sabko pata hai ye sirf ghosana mantri hai iske bas me kuch nahi hai
dosto
ReplyDeletejo ye soch rahe hai ki ye sarkar yachika khud wapas le legi wo galat hai kyunki mujhe esa lagta hai ye cm jiddi admi hai jo dimag se nahi jidd se kam karta hai per desh kanoon se chalta hai ,ye mai isliye kah raha ho ki iske kai example hai jaise
1- cm banane se pahle is cm ka bayan ki bharti bina tet ke karvayenge (jo ye kar na saka)
2-usmani commety ki report tet walo ke paksh me thi jisme kaha gaya tha ki tet me gadbad karne walo ko bahar karke tet merit se bharti kar sakti hai gov( sirf is cm ko ek point hi dikhai diya ki tet ka faida hi na mil sake isliye accd per bharti ho ,ye jidd bhi court ne rok laga di)
3-IAS durga sakti nagpal ke nilamban per sara media aur sanghtan govt ke khilaf ho gaye jis per is cm ne jidd ke karan use bahal nahi kiya (bad me kirkiri se bache ke liye kuch samay baad karna pada)
4-tet walo ka ethihasik andolan per is cm ke kan per jo bhi nahi rengi (media me etni kirkiri hui phir bhi sc me slp dakhil kar di sc me)
5-sab jante hai ki agami lok sabha me sp ko ek bhi seat nahi milegi per is cm ne jidd pakkad rakhi ke mulayam singh yadav ka sapna kabhi poora nahi hone doonga isliye sabhi bharti court me hai )
in sab bato se pata chalta hai ye cm fail hone ke baad bhi jidd per hai ki mujhe vidhan sabha ka election bhi nahi jitana hai kyunki sabhi sp se naraj hai
musalman,tet wale,rajya karamchari ,police,shiksha mitra,shikshak,kisan sabko pata hai ye sirf ghosana mantri hai iske bas me kuch nahi hai
देश के बुद्धिजीवी वर्ग , राजनैतिक बिरादरी , सामाजिक कार्यकर्ता एवं संगठन ,न्यायपालिका व जनप्रतिनिधियों से एक खुली अपील
ReplyDeleteमहोदय
आपको संदर्भित एक महत्त्वपूर्ण ,लम्बे और जटिल प्रकरण का यह संक्षिप्त विवरण इस अनुरोध के साथ प्रेषित है कि प्रकरण के महत्त्व और घटनाक्रम की समझ के लिये आप अपना बहुमूल्य समय दे कर अनुग्रहीत करेगें :-
भारतीय संविधान में देश के नागरिकों के विकास के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा को दिये गये महत्त्व से आप सुपरिचित होगें । इसी क्रम में भारतीय संसद द्वारा संविधान में अनुच्छेद २१ ए जोड कर प्राथमिक शिक्षा को संवैधानिक अधिकार घोषित किया । न्यायपालिका द्वारा भी समय-समय पर अपने निर्णयों में प्राथमिक शिक्षा को देश के विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना क्योंकि इसके द्वारा ही एक बालक की एक नागरिक के रूप में विकास की नींव पडती है और केवल शिक्षा ही नही अपितु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिये स्थापित मानदंडों और मानकों के पूर्ण और समग्र परिपालन पर सदैव बल दिया । अनुच्छेद २१ ए की भावना और उद्देश्यों को प्राथमिकता का स्वरूप प्रदान करने के लिये संसद नें अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ , १ अप्रैल २०१० से लागू करते हुये देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्वरूप ,दशा-दिशा , बालक तथा कार्य-योजना का प्रावधान किया और इसके अनुपालन में शैक्षणिक प्राधिकारी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने २३ अगस्त २०१० और २९ जुलाई २०११ की अधिसूचना के द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये अध्यापकों के लिये योग्यता के मानक निर्धारित किये । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार नें २७ जुलाई २०११ को "उत्तर प्रदेश अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार नियम २०११ “ अधिसूचित कर उपरोक्त व्यवस्था और तत्संबन्धी संवैधानिक और विधिक प्रावधानों को अंगीकार किया जिसके साथ ही मानकों के अनुसार प्रदेश के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये आवश्यक व्यवस्था करना कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया । प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात यानी ३० बच्चे पर एक शिक्षक मानक पूरा करने के लिये मायावती सरकार नें नवम्बर २०११ के अन्तिम सप्ताह में ७२८२५ शिक्षकों के चयन के लिये एक प्रतियोगी आधार वाले चयन प्रक्रिया की शुरुआत की । प्रदेश की खस्ताहाल प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के उद्धार के लिये बडी पहल के तौर पर देखी जा रही इस प्रक्रिया पर तकनीकी कारणों से जनवरी २०१२ के प्रथम सप्ताह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश का ग्रहण का लगा कि यह भर्ती नित नये-नये विवादों में उलझती चली गयी । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस भर्ती को पूरा कराये जाने के प्रयासों में मार्च २०१२ में अखिलेश सरकार के सत्ता सम्हालते ही बिलकुल विपरीत दिशा अख्तियार कर ली । विवादित तकनीकी आधार के निराकरण के प्रयासों को छोड कर नई प्रदेश सरकार नें अध्यापक पात्रता परीक्षा २०११ में धाँधली की अपुष्ट आफ़वाओं के आधार पर पहले प्रारम्भ हो चुकी प्रक्रिया में चयन का आधार बदलने का न केवल अप्रत्याशित निर्णय लिया बल्कि उसे अमलीजामा पहनाने के लिये पुरानी प्रक्रिया को ही रद्द कर पूरे मामले को एक अपेक्षाकृत गंभीर विवाद के गर्त में डाल दिया । प्रदेश भर के अभ्यर्थियों की ओर से इस निर्णय के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वादों की झडी लगा दी गयी जिन्हें एक लम्बी सुनवाई के क्रम में पहले एकल पीठ नें सरकार को पुरानी प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखते हुये उपयुक्त विज्हापन निकालने का निर्देश दिया और ७ दिसम्बर २०१२ को संबन्धित ७२८२५ पदों पर परिवर्तित चयन आधार से भर्ती के विज्ञापन की वैधानिकता पर असमान्य चुप्पी साध कर १६ जनवरी २०१३ निस्तारित करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के आधारों को तो सिरे से खारिज किया परन्तु तकनीकी आधार पर पुरानी प्रक्रिया के विज्ञापन को अवैध ठहराया । छुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा एकल पीठ के उस निर्णय को खण्डपीठ में चुनौती दी गयी जिस पर खण्ड्पीठ नें पुरानी प्रक्रिया को पूर्णत: सही ठहराया तथा प्रदेश सरकार द्वारा एकल पीठ के निर्देशानुसार ७ दिसम्बर २०१२ को जारी हुये नये नियमों से भर्ती के विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से ४ फ़रवरी २०१३ को रोक लगा दी । आगे की सुनवाइयों में खंडपीठ नें धाँधली के तथाकथित आरोपों को बेबुनियाद और मनघडंत करार दिया । जुलाई २०१३ में खण्ड्पीठ में परिवर्तन के बाद से ही इस मामले की लम्बे समय तक कोई सुनवाई नही हो पायी
देश के बुद्धिजीवी वर्ग , राजनैतिक बिरादरी , सामाजिक कार्यकर्ता एवं संगठन ,न्यायपालिका व जनप्रतिनिधियों से एक खुली अपील
ReplyDeleteमहोदय
आपको संदर्भित एक महत्त्वपूर्ण ,लम्बे और जटिल प्रकरण का यह संक्षिप्त विवरण इस अनुरोध के साथ प्रेषित है कि प्रकरण के महत्त्व और घटनाक्रम की समझ के लिये आप अपना बहुमूल्य समय दे कर अनुग्रहीत करेगें :-
भारतीय संविधान में देश के नागरिकों के विकास के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा को दिये गये महत्त्व से आप सुपरिचित होगें । इसी क्रम में भारतीय संसद द्वारा संविधान में अनुच्छेद २१ ए जोड कर प्राथमिक शिक्षा को संवैधानिक अधिकार घोषित किया । न्यायपालिका द्वारा भी समय-समय पर अपने निर्णयों में प्राथमिक शिक्षा को देश के विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना क्योंकि इसके द्वारा ही एक बालक की एक नागरिक के रूप में विकास की नींव पडती है और केवल शिक्षा ही नही अपितु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिये स्थापित मानदंडों और मानकों के पूर्ण और समग्र परिपालन पर सदैव बल दिया । अनुच्छेद २१ ए की भावना और उद्देश्यों को प्राथमिकता का स्वरूप प्रदान करने के लिये संसद नें अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ , १ अप्रैल २०१० से लागू करते हुये देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्वरूप ,दशा-दिशा , बालक तथा कार्य-योजना का प्रावधान किया और इसके अनुपालन में शैक्षणिक प्राधिकारी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने २३ अगस्त २०१० और २९ जुलाई २०११ की अधिसूचना के द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये अध्यापकों के लिये योग्यता के मानक निर्धारित किये । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार नें २७ जुलाई २०११ को "उत्तर प्रदेश अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार नियम २०११ “ अधिसूचित कर उपरोक्त व्यवस्था और तत्संबन्धी संवैधानिक और विधिक प्रावधानों को अंगीकार किया जिसके साथ ही मानकों के अनुसार प्रदेश के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये आवश्यक व्यवस्था करना कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया । प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात यानी ३० बच्चे पर एक शिक्षक मानक पूरा करने के लिये मायावती सरकार नें नवम्बर २०११ के अन्तिम सप्ताह में ७२८२५ शिक्षकों के चयन के लिये एक प्रतियोगी आधार वाले चयन प्रक्रिया की शुरुआत की । प्रदेश की खस्ताहाल प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के उद्धार के लिये बडी पहल के तौर पर देखी जा रही इस प्रक्रिया पर तकनीकी कारणों से जनवरी २०१२ के प्रथम सप्ताह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश का ग्रहण का लगा कि यह भर्ती नित नये-नये विवादों में उलझती चली गयी । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस भर्ती को पूरा कराये जाने के प्रयासों में मार्च २०१२ में अखिलेश सरकार के सत्ता सम्हालते ही बिलकुल विपरीत दिशा अख्तियार कर ली । विवादित तकनीकी आधार के निराकरण के प्रयासों को छोड कर नई प्रदेश सरकार नें अध्यापक पात्रता परीक्षा २०११ में धाँधली की अपुष्ट आफ़वाओं के आधार पर पहले प्रारम्भ हो चुकी प्रक्रिया में चयन का आधार बदलने का न केवल अप्रत्याशित निर्णय लिया बल्कि उसे अमलीजामा पहनाने के लिये पुरानी प्रक्रिया को ही रद्द कर पूरे मामले को एक अपेक्षाकृत गंभीर विवाद के गर्त में डाल दिया । प्रदेश भर के अभ्यर्थियों की ओर से इस निर्णय के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वादों की झडी लगा दी गयी जिन्हें एक लम्बी सुनवाई के क्रम में पहले एकल पीठ नें सरकार को पुरानी प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखते हुये उपयुक्त विज्हापन निकालने का निर्देश दिया और ७ दिसम्बर २०१२ को संबन्धित ७२८२५ पदों पर परिवर्तित चयन आधार से भर्ती के विज्ञापन की वैधानिकता पर असमान्य चुप्पी साध कर १६ जनवरी २०१३ निस्तारित करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के आधारों को तो सिरे से खारिज किया परन्तु तकनीकी आधार पर पुरानी प्रक्रिया के विज्ञापन को अवैध ठहराया । छुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा एकल पीठ के उस निर्णय को खण्डपीठ में चुनौती दी गयी जिस पर खण्ड्पीठ नें पुरानी प्रक्रिया को पूर्णत: सही ठहराया तथा प्रदेश सरकार द्वारा एकल पीठ के निर्देशानुसार ७ दिसम्बर २०१२ को जारी हुये नये नियमों से भर्ती के विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से ४ फ़रवरी २०१३ को रोक लगा दी । आगे की सुनवाइयों में खंडपीठ नें धाँधली के तथाकथित आरोपों को बेबुनियाद और मनघडंत करार दिया । जुलाई २०१३ में खण्ड्पीठ में परिवर्तन के बाद से ही इस मामले की लम्बे समय तक कोई सुनवाई नही हो पायी
देश के बुद्धिजीवी वर्ग , राजनैतिक बिरादरी , सामाजिक कार्यकर्ता एवं संगठन ,न्यायपालिका व जनप्रतिनिधियों से एक खुली अपील
ReplyDeleteमहोदय
आपको संदर्भित एक महत्त्वपूर्ण ,लम्बे और जटिल प्रकरण का यह संक्षिप्त विवरण इस अनुरोध के साथ प्रेषित है कि प्रकरण के महत्त्व और घटनाक्रम की समझ के लिये आप अपना बहुमूल्य समय दे कर अनुग्रहीत करेगें :-
भारतीय संविधान में देश के नागरिकों के विकास के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा को दिये गये महत्त्व से आप सुपरिचित होगें । इसी क्रम में भारतीय संसद द्वारा संविधान में अनुच्छेद २१ ए जोड कर प्राथमिक शिक्षा को संवैधानिक अधिकार घोषित किया । न्यायपालिका द्वारा भी समय-समय पर अपने निर्णयों में प्राथमिक शिक्षा को देश के विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना क्योंकि इसके द्वारा ही एक बालक की एक नागरिक के रूप में विकास की नींव पडती है और केवल शिक्षा ही नही अपितु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिये स्थापित मानदंडों और मानकों के पूर्ण और समग्र परिपालन पर सदैव बल दिया । अनुच्छेद २१ ए की भावना और उद्देश्यों को प्राथमिकता का स्वरूप प्रदान करने के लिये संसद नें अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ , १ अप्रैल २०१० से लागू करते हुये देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्वरूप ,दशा-दिशा , बालक तथा कार्य-योजना का प्रावधान किया और इसके अनुपालन में शैक्षणिक प्राधिकारी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने २३ अगस्त २०१० और २९ जुलाई २०११ की अधिसूचना के द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये अध्यापकों के लिये योग्यता के मानक निर्धारित किये । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार नें २७ जुलाई २०११ को "उत्तर प्रदेश अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार नियम २०११ “ अधिसूचित कर उपरोक्त व्यवस्था और तत्संबन्धी संवैधानिक और विधिक प्रावधानों को अंगीकार किया जिसके साथ ही मानकों के अनुसार प्रदेश के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये आवश्यक व्यवस्था करना कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया । प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात यानी ३० बच्चे पर एक शिक्षक मानक पूरा करने के लिये मायावती सरकार नें नवम्बर २०११ के अन्तिम सप्ताह में ७२८२५ शिक्षकों के चयन के लिये एक प्रतियोगी आधार वाले चयन प्रक्रिया की शुरुआत की । प्रदेश की खस्ताहाल प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के उद्धार के लिये बडी पहल के तौर पर देखी जा रही इस प्रक्रिया पर तकनीकी कारणों से जनवरी २०१२ के प्रथम सप्ताह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश का ग्रहण का लगा कि यह भर्ती नित नये-नये विवादों में उलझती चली गयी । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस भर्ती को पूरा कराये जाने के प्रयासों में मार्च २०१२ में अखिलेश सरकार के सत्ता सम्हालते ही बिलकुल विपरीत दिशा अख्तियार कर ली । विवादित तकनीकी आधार के निराकरण के प्रयासों को छोड कर नई प्रदेश सरकार नें अध्यापक पात्रता परीक्षा २०११ में धाँधली की अपुष्ट आफ़वाओं के आधार पर पहले प्रारम्भ हो चुकी प्रक्रिया में चयन का आधार बदलने का न केवल अप्रत्याशित निर्णय लिया बल्कि उसे अमलीजामा पहनाने के लिये पुरानी प्रक्रिया को ही रद्द कर पूरे मामले को एक अपेक्षाकृत गंभीर विवाद के गर्त में डाल दिया । प्रदेश भर के अभ्यर्थियों की ओर से इस निर्णय के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वादों की झडी लगा दी गयी जिन्हें एक लम्बी सुनवाई के क्रम में पहले एकल पीठ नें सरकार को पुरानी प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखते हुये उपयुक्त विज्हापन निकालने का निर्देश दिया और ७ दिसम्बर २०१२ को संबन्धित ७२८२५ पदों पर परिवर्तित चयन आधार से भर्ती के विज्ञापन की वैधानिकता पर असमान्य चुप्पी साध कर १६ जनवरी २०१३ निस्तारित करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के आधारों को तो सिरे से खारिज किया परन्तु तकनीकी आधार पर पुरानी प्रक्रिया के विज्ञापन को अवैध ठहराया । छुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा एकल पीठ के उस निर्णय को खण्डपीठ में चुनौती दी गयी जिस पर खण्ड्पीठ नें पुरानी प्रक्रिया को पूर्णत: सही ठहराया तथा प्रदेश सरकार द्वारा एकल पीठ के निर्देशानुसार ७ दिसम्बर २०१२ को जारी हुये नये नियमों से भर्ती के विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से ४ फ़रवरी २०१३ को रोक लगा दी । आगे की सुनवाइयों में खंडपीठ नें धाँधली के तथाकथित आरोपों को बेबुनियाद और मनघडंत करार दिया । जुलाई २०१३ में खण्ड्पीठ में परिवर्तन के बाद से ही इस मामले की लम्बे समय तक कोई सुनवाई नही हो पायी
देश के बुद्धिजीवी वर्ग , राजनैतिक बिरादरी , सामाजिक कार्यकर्ता एवं संगठन ,न्यायपालिका व जनप्रतिनिधियों से एक खुली अपील
ReplyDeleteमहोदय
आपको संदर्भित एक महत्त्वपूर्ण ,लम्बे और जटिल प्रकरण का यह संक्षिप्त विवरण इस अनुरोध के साथ प्रेषित है कि प्रकरण के महत्त्व और घटनाक्रम की समझ के लिये आप अपना बहुमूल्य समय दे कर अनुग्रहीत करेगें :-
भारतीय संविधान में देश के नागरिकों के विकास के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा को दिये गये महत्त्व से आप सुपरिचित होगें । इसी क्रम में भारतीय संसद द्वारा संविधान में अनुच्छेद २१ ए जोड कर प्राथमिक शिक्षा को संवैधानिक अधिकार घोषित किया । न्यायपालिका द्वारा भी समय-समय पर अपने निर्णयों में प्राथमिक शिक्षा को देश के विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना क्योंकि इसके द्वारा ही एक बालक की एक नागरिक के रूप में विकास की नींव पडती है और केवल शिक्षा ही नही अपितु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिये स्थापित मानदंडों और मानकों के पूर्ण और समग्र परिपालन पर सदैव बल दिया । अनुच्छेद २१ ए की भावना और उद्देश्यों को प्राथमिकता का स्वरूप प्रदान करने के लिये संसद नें अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ , १ अप्रैल २०१० से लागू करते हुये देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्वरूप ,दशा-दिशा , बालक तथा कार्य-योजना का प्रावधान किया और इसके अनुपालन में शैक्षणिक प्राधिकारी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने २३ अगस्त २०१० और २९ जुलाई २०११ की अधिसूचना के द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये अध्यापकों के लिये योग्यता के मानक निर्धारित किये । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार नें २७ जुलाई २०११ को "उत्तर प्रदेश अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार नियम २०११ “ अधिसूचित कर उपरोक्त व्यवस्था और तत्संबन्धी संवैधानिक और विधिक प्रावधानों को अंगीकार किया जिसके साथ ही मानकों के अनुसार प्रदेश के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये आवश्यक व्यवस्था करना कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया । प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात यानी ३० बच्चे पर एक शिक्षक मानक पूरा करने के लिये मायावती सरकार नें नवम्बर २०११ के अन्तिम सप्ताह में ७२८२५ शिक्षकों के चयन के लिये एक प्रतियोगी आधार वाले चयन प्रक्रिया की शुरुआत की । प्रदेश की खस्ताहाल प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के उद्धार के लिये बडी पहल के तौर पर देखी जा रही इस प्रक्रिया पर तकनीकी कारणों से जनवरी २०१२ के प्रथम सप्ताह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश का ग्रहण का लगा कि यह भर्ती नित नये-नये विवादों में उलझती चली गयी । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस भर्ती को पूरा कराये जाने के प्रयासों में मार्च २०१२ में अखिलेश सरकार के सत्ता सम्हालते ही बिलकुल विपरीत दिशा अख्तियार कर ली । विवादित तकनीकी आधार के निराकरण के प्रयासों को छोड कर नई प्रदेश सरकार नें अध्यापक पात्रता परीक्षा २०११ में धाँधली की अपुष्ट आफ़वाओं के आधार पर पहले प्रारम्भ हो चुकी प्रक्रिया में चयन का आधार बदलने का न केवल अप्रत्याशित निर्णय लिया बल्कि उसे अमलीजामा पहनाने के लिये पुरानी प्रक्रिया को ही रद्द कर पूरे मामले को एक अपेक्षाकृत गंभीर विवाद के गर्त में डाल दिया । प्रदेश भर के अभ्यर्थियों की ओर से इस निर्णय के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वादों की झडी लगा दी गयी जिन्हें एक लम्बी सुनवाई के क्रम में पहले एकल पीठ नें सरकार को पुरानी प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखते हुये उपयुक्त विज्हापन निकालने का निर्देश दिया और ७ दिसम्बर २०१२ को संबन्धित ७२८२५ पदों पर परिवर्तित चयन आधार से भर्ती के विज्ञापन की वैधानिकता पर असमान्य चुप्पी साध कर १६ जनवरी २०१३ निस्तारित करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के आधारों को तो सिरे से खारिज किया परन्तु तकनीकी आधार पर पुरानी प्रक्रिया के विज्ञापन को अवैध ठहराया । छुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा एकल पीठ के उस निर्णय को खण्डपीठ में चुनौती दी गयी जिस पर खण्ड्पीठ नें पुरानी प्रक्रिया को पूर्णत: सही ठहराया तथा प्रदेश सरकार द्वारा एकल पीठ के निर्देशानुसार ७ दिसम्बर २०१२ को जारी हुये नये नियमों से भर्ती के विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से ४ फ़रवरी २०१३ को रोक लगा दी । आगे की सुनवाइयों में खंडपीठ नें धाँधली के तथाकथित आरोपों को बेबुनियाद और मनघडंत करार दिया । जुलाई २०१३ में खण्ड्पीठ में परिवर्तन के बाद से ही इस मामले की लम्बे समय तक कोई सुनवाई नही हो पायी
परीक्षा नियामक को भेजा जाए आंतरिक मूल्यांकन प्रपत्र
ReplyDeleteFri, 27 Dec 2013 06:44 PM (IST)
जौनपुर : प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने शुक्रवार को जिला शिक्षण प्रशिक्षण कार्यालय पर धरना दिया। वक्ताओं ने कहा कि आंतरिक मूल्यांकन का प्रपत्र परीक्षा नियामक को तत्काल भेजा जाए। प्रदर्शनकारियों ने मांगों से संबंधित चार सूत्री ज्ञापन डायट प्राचार्य को सौंपा।
धरना सभा में जिलाध्यक्ष संदीप यादव ने कहा कि विभागीय खामी के चलते शिक्षामित्रों का आंतरिक मूल्यांकन प्रपत्र परीक्षा नियामक इलाहाबाद को अभी तक नहीं भेजा गया है जिसके कारण परीक्षा परिणाम घोषित नहीं हो पा रहा है।
रामपुर की ब्लाक अध्यक्ष रंजना पांडेय ने कहा कि जनवरी 2014 तक सहायक अध्यापक पद पर सरकार द्वारा समायोजन होना है लेकिन विभागीय खामी के चलते प्रक्रिया पूरी करने में विलंब हो रहा है। उन्होंने मांग किया कि शिक्षामित्रों का मानदेय भुगतान अविलंब ऑनलाइन किया जाए।
प्रदर्शन करने वालों में सरफराज अहमद खां, छोटे लाल गौतम, सुनील मिश्रा, मंजू सिंह, राघवेंद्र उपाध्याय, रचना गुप्ता, ओम प्रकाश आदि थे।
जल्द खत्म होगा आवेदकों के प्रवेश का इंतजार
ReplyDeleteFri, 27 Dec 2013 06:36 PM (IST)
मैनपुरी, भोगांव: बीटीसी 2013 की काउंसिलिंग करा चुके आवेदकों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। जल्द ही शासन स्तर से दिशा निर्देश मिलने के बाद आवेदकों को प्रवेश के लिए वरीयता क्रम में दस जनपदों का विकल्प भरने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। इस प्रक्रिया का लंबे समय से इंतजार कर रहे आवेदकों को काफी राहत मिलेगी और विकल्प चुनने के बाद उनकी प्रवेश संबंधी अन्य औपचारिकताएं भी शुरू करा दी जायेंगी। अब तक बेवसाइट का लॉक न खुलने से इस वर्ष बीटीसी प्रशिक्षण में प्रवेश लेने के इच्छुक आवेदकों में निराशा का आलम व्याप्त था।
गौरतलब है कि बीटीसी चयन प्रक्रिया 2013 की डायट पर अक्टूबर व नवम्बर में कई दिनों तक चली काउंसिलिंग के बाद शासन ने सभी आवेदकों को प्रवेश के लिए 10 जनपदों के विकल्प को ऑनलाइन भरने की व्यवस्था निर्धारित की थी। लेकिन प्रदेश के कुछ जनपदों के डायट द्वारा काउंसिलिंग करा चुके आवेदकों की फाइनल सूची नियत समय पर एससीईआरटी को न भेजने पर बेवसाइट लॉक कर दी गई थी। शुरूआती दिनों में कयास लगाये जा रहे थे कि शायद जल्द ही एससीईआरटी द्वारा बेवसाइट को खोल दिया जायेगा। लेकिन जो प्रक्रिया 18 से लेकर 24 नवम्बर तक पूर्ण होनी थी वह एक माह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बावजूद भी शुरू नहीं हो पाई है। लंबा इंतजार कर रहे आवेदक कई बार एससीईआरटी की बेवसाइट को लॉगिन करने का प्रयास भी कर चुके है। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। लेकिन अब एक बार फिर यह प्रक्रिया शासन स्तर से शुरू की जा रही है। संभावना है कि आगामी दो दिनों के अंदर बीटीसी प्रशिक्षण 2013 की चयन प्रक्रिया शासन के निर्देशों के अनुपालन में शुरू हो जायेगी। शासन से जल्द ही अग्रिम दिशा निर्देश जारी किये जा सकते हैं। डायट प्राचार्य आरएस बघेल के मुताबिक शासन का निर्देश मिलते ही समाचार पत्रों में विज्ञप्ति के माध्यम से आवेदकों को सूचित कर दिया जायेगा और ऑनलाइन विकल्प भरने के बाद उन्हें आवंटित डायटों पर प्रवेश के लिए भेज दिया जायेगा।
800 आवेदकों की सूची गई शासन को
बीटीसी प्रशिक्षण 2013 के लिए इस बार जनपद के कुल 800 आवेदकों की सूची फाइनल कर शासन को डायट प्रशासन ने प्रेषित की है। काउंसिलिंग के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर 1140 आवेदकों को बुलाया गया था। जिसमें से 901 आवेदकों ने अपने अभिलेखों का मिलान चयन समिति से कराया था। बाद में चयन समिति ने जांच पड़ताल के दौरान 100 आवेदकों के नाम विभिन्न गलतियों के चलते फाइनल सूची से बाहर कर दिये थे।
जल्द खत्म होगा आवेदकों के प्रवेश का इंतजार
ReplyDeleteFri, 27 Dec 2013 06:36 PM (IST)
मैनपुरी, भोगांव: बीटीसी 2013 की काउंसिलिंग करा चुके आवेदकों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। जल्द ही शासन स्तर से दिशा निर्देश मिलने के बाद आवेदकों को प्रवेश के लिए वरीयता क्रम में दस जनपदों का विकल्प भरने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। इस प्रक्रिया का लंबे समय से इंतजार कर रहे आवेदकों को काफी राहत मिलेगी और विकल्प चुनने के बाद उनकी प्रवेश संबंधी अन्य औपचारिकताएं भी शुरू करा दी जायेंगी। अब तक बेवसाइट का लॉक न खुलने से इस वर्ष बीटीसी प्रशिक्षण में प्रवेश लेने के इच्छुक आवेदकों में निराशा का आलम व्याप्त था।
गौरतलब है कि बीटीसी चयन प्रक्रिया 2013 की डायट पर अक्टूबर व नवम्बर में कई दिनों तक चली काउंसिलिंग के बाद शासन ने सभी आवेदकों को प्रवेश के लिए 10 जनपदों के विकल्प को ऑनलाइन भरने की व्यवस्था निर्धारित की थी। लेकिन प्रदेश के कुछ जनपदों के डायट द्वारा काउंसिलिंग करा चुके आवेदकों की फाइनल सूची नियत समय पर एससीईआरटी को न भेजने पर बेवसाइट लॉक कर दी गई थी। शुरूआती दिनों में कयास लगाये जा रहे थे कि शायद जल्द ही एससीईआरटी द्वारा बेवसाइट को खोल दिया जायेगा। लेकिन जो प्रक्रिया 18 से लेकर 24 नवम्बर तक पूर्ण होनी थी वह एक माह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बावजूद भी शुरू नहीं हो पाई है। लंबा इंतजार कर रहे आवेदक कई बार एससीईआरटी की बेवसाइट को लॉगिन करने का प्रयास भी कर चुके है। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। लेकिन अब एक बार फिर यह प्रक्रिया शासन स्तर से शुरू की जा रही है। संभावना है कि आगामी दो दिनों के अंदर बीटीसी प्रशिक्षण 2013 की चयन प्रक्रिया शासन के निर्देशों के अनुपालन में शुरू हो जायेगी। शासन से जल्द ही अग्रिम दिशा निर्देश जारी किये जा सकते हैं। डायट प्राचार्य आरएस बघेल के मुताबिक शासन का निर्देश मिलते ही समाचार पत्रों में विज्ञप्ति के माध्यम से आवेदकों को सूचित कर दिया जायेगा और ऑनलाइन विकल्प भरने के बाद उन्हें आवंटित डायटों पर प्रवेश के लिए भेज दिया जायेगा।
800 आवेदकों की सूची गई शासन को
बीटीसी प्रशिक्षण 2013 के लिए इस बार जनपद के कुल 800 आवेदकों की सूची फाइनल कर शासन को डायट प्रशासन ने प्रेषित की है। काउंसिलिंग के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर 1140 आवेदकों को बुलाया गया था। जिसमें से 901 आवेदकों ने अपने अभिलेखों का मिलान चयन समिति से कराया था। बाद में चयन समिति ने जांच पड़ताल के दौरान 100 आवेदकों के नाम विभिन्न गलतियों के चलते फाइनल सूची से बाहर कर दिये थे।
जल्द खत्म होगा आवेदकों के प्रवेश का इंतजार
ReplyDeleteFri, 27 Dec 2013 06:36 PM (IST)
मैनपुरी, भोगांव: बीटीसी 2013 की काउंसिलिंग करा चुके आवेदकों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। जल्द ही शासन स्तर से दिशा निर्देश मिलने के बाद आवेदकों को प्रवेश के लिए वरीयता क्रम में दस जनपदों का विकल्प भरने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। इस प्रक्रिया का लंबे समय से इंतजार कर रहे आवेदकों को काफी राहत मिलेगी और विकल्प चुनने के बाद उनकी प्रवेश संबंधी अन्य औपचारिकताएं भी शुरू करा दी जायेंगी। अब तक बेवसाइट का लॉक न खुलने से इस वर्ष बीटीसी प्रशिक्षण में प्रवेश लेने के इच्छुक आवेदकों में निराशा का आलम व्याप्त था।
गौरतलब है कि बीटीसी चयन प्रक्रिया 2013 की डायट पर अक्टूबर व नवम्बर में कई दिनों तक चली काउंसिलिंग के बाद शासन ने सभी आवेदकों को प्रवेश के लिए 10 जनपदों के विकल्प को ऑनलाइन भरने की व्यवस्था निर्धारित की थी। लेकिन प्रदेश के कुछ जनपदों के डायट द्वारा काउंसिलिंग करा चुके आवेदकों की फाइनल सूची नियत समय पर एससीईआरटी को न भेजने पर बेवसाइट लॉक कर दी गई थी। शुरूआती दिनों में कयास लगाये जा रहे थे कि शायद जल्द ही एससीईआरटी द्वारा बेवसाइट को खोल दिया जायेगा। लेकिन जो प्रक्रिया 18 से लेकर 24 नवम्बर तक पूर्ण होनी थी वह एक माह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बावजूद भी शुरू नहीं हो पाई है। लंबा इंतजार कर रहे आवेदक कई बार एससीईआरटी की बेवसाइट को लॉगिन करने का प्रयास भी कर चुके है। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। लेकिन अब एक बार फिर यह प्रक्रिया शासन स्तर से शुरू की जा रही है। संभावना है कि आगामी दो दिनों के अंदर बीटीसी प्रशिक्षण 2013 की चयन प्रक्रिया शासन के निर्देशों के अनुपालन में शुरू हो जायेगी। शासन से जल्द ही अग्रिम दिशा निर्देश जारी किये जा सकते हैं। डायट प्राचार्य आरएस बघेल के मुताबिक शासन का निर्देश मिलते ही समाचार पत्रों में विज्ञप्ति के माध्यम से आवेदकों को सूचित कर दिया जायेगा और ऑनलाइन विकल्प भरने के बाद उन्हें आवंटित डायटों पर प्रवेश के लिए भेज दिया जायेगा।
800 आवेदकों की सूची गई शासन को
बीटीसी प्रशिक्षण 2013 के लिए इस बार जनपद के कुल 800 आवेदकों की सूची फाइनल कर शासन को डायट प्रशासन ने प्रेषित की है। काउंसिलिंग के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर 1140 आवेदकों को बुलाया गया था। जिसमें से 901 आवेदकों ने अपने अभिलेखों का मिलान चयन समिति से कराया था। बाद में चयन समिति ने जांच पड़ताल के दौरान 100 आवेदकों के नाम विभिन्न गलतियों के चलते फाइनल सूची से बाहर कर दिये थे।
जनगणना को बुलाये शिक्षामित्रों ने पुराना पैसा मांगा
ReplyDeleteFri, 27 Dec 2013 06:29 PM (IST)
निज प्रतिनिधि, फीरोजाबाद: सामाजिक आर्थिक जनगणना कार्य में घर घर की दौड़ लगाने वालों को अभी तक उस दौड़ का मेहनताना भी नहीं मिला है। इधर इन्हें फिर से जनगणना का काम सौंपने की तैयारी हो गई है। बॉयोमैट्रिक जनगणना के प्रशिक्षण का बुलावा मिलने पर शिक्षामित्र तहसील पहुंचे, लेकिन यहां पर उन्होने पिछली जनगणना का मानदेय देने की मांग उठाई।
शुक्रवार को बॉयोमैट्रिक जनगणना का प्रशिक्षण देने के लिए शिक्षामित्र तहसील में बुलाए गए थे। शिक्षामित्र यहां पर पहुंचे तो उन्हें तहसीलदार ने प्रशिक्षण दिया। इसी दौरान कुछ शिक्षामित्रों द्वारा आर्थिक जनगणना का मानदेय न मिलने की मांग उठाई। जनगणना कार्य करने वालों ने यह भी कहा कि काम में देरी होने पर कार्रवाई के लिए अफसर तैयार रहते हैं, लेकिन जब बाद काम का मेहनताना देने की आती है तो कोई सुध भी नहीं लेता है। इसके बाद में तहसीलदार सदर ने जल्द से जल्द मानदेय दिलाने का आश्वासन दिया।
इस दौरान शिक्षक नेता आनंद श्रोत्रिय ने कहा जिस तरह से प्रशासन इस कार्य पर ध्यान देता है। काम को वक्त पर कराने का प्रयास किया जाता है, उस तरह से मानदेय का भुगतान क्यों नहीं किया जाता। उन्होने कहा शिक्षामित्रों एवं शिक्षकों को जनगणना के मानदेय का भुगतान जल्द किया जाए।
अफसरों की बात
''जनगणना कार्य के प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया था। पूर्व में की गई सामाजिक आर्थिक जनगणना का मानदेय नहीं मिलने की शिक्षामित्रों के द्वारा शिकायत की गई है। हम जानकारी कर रहे हैं आखिर यह कहां पर रुका हुआ है। सभी ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है।''
-विधान जायसवाल
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ReplyDeletemadymic seva chayan board kee advertisement vacancy aah gayee hai
ReplyDeleteaab aklesh sarkar ko pase kee kami ho gayee thoo tgt aur pgt to lootney
walley hai aap log form naha bharey yeah vacancy bhi latkaney wali hai dosto
ReplyDeleteक्यों रद्द हुआ बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१
का संशोधन १५ व १६ ?
बीएसपी सरकार के संसोधन १२ को समाप्त करके
सपा सरकार संशोधन १५ व १६ ले आई।
जबकि ये दोनों संसोधन अवैध थे।
नियमावली में बीएड को
को प्राथमिक विद्यालय की योग्यता के रूप में
शामिल करने के कारण न्यायमूर्ति अशोक भूषण और
न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय को नॉन
टीईटी का विवादित फैसला सुनाना पड़ा।
उस आदेश के अवलोक में न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने
सरकार को अवमानना के तहत नोटिस
जारी किया । न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने
कहा कि जब तक टीईटी उत्तीर्ण मौजूद हैं
बिना टीईटी उत्तीर्ण
किसी को नहीं रखा जायेगा।
न्यायमूर्ति वीके शुक्ल ने भी सरकार को तलब
किया था।
इस प्रकार से नॉन
टीईटी का फैसला न्यायपालिका जगत में तूफ़ान
ला दिया था जबकि इसकी जिम्मेदार
सपा सरकार थी।
मृतक आश्रितों के मामले में न्यायमूर्ति ए.पी.
शाही ने मामले को वृहद् पीठ में भेजने
की संस्तुति की।
न्यायमूर्ति अम्बवानी ,न्यायमूर्ति शाही और
न्यायमूर्ति प्रदीप बघेल ने टीईटी को अनिवार्य
योग्यता बताया तथा उसके अंकों को भी तरजीह दी।
डिवीज़न बेंच में ७२८२५
शिक्षकों की भर्ती मामले में संयोगवश निर्णय
सुनाने का अवसर न्यायमूर्ति अशोक भूषण
जी को मिला तथा उन्होंने संशोधन १६ को यह कहकर
रद्द किया कि बीएड
की योग्यता नियमावली में
नहीं डाली जा सकती है।
अधिसूचना की अवधि समाप्ति होते ही वह
निष्प्राण हो जायेगी।
अतः उसे नियमावली में शामिल
नहीं किया जा सकता है।
संधोधन १५ को यूनिवर्सिटी मूल्यांकन प्रणाली में
असमानता के कारण ख़ारिज कर दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले प्रदेश के
बेरोजगारों के लिए काल बन गये हैं ।
अतः न्यायालय अति सक्रिय है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष २००४ के पूर्व
बीटीसी प्रशिक्षु का भी चयन प्रवेश
परीक्षा से होता था लेकिन मुलायम सिंह यादव ने
परीक्षा के आधार पर २००४ में आवेदन लेकर बाद में
चयन का आधार बदल दिया था तथा मामला कोर्ट में
गया जिसका विवाद २०११ में सुलझा लेकिन
सरकार को विजय मिली।
इसी रणनीति के तहत सरकार ट्रायल में
प्रशिक्षु का विवाद पैदा करके चयन का आधार
बदलना चाहती थी लेकिन रिक्ति सुनिश्चित होने
के कारण अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हुयी।
डिवीज़न बेंच ने भी उस विज्ञापन
को नियुक्ति का विज्ञापन मानकर बहाल किया।
३१ मार्च २०१४ के पूर्व इस भर्ती को संपन्न
करना होगा अन्यथा सुप्रीम कोर्ट एक निश्चित
समय देकर भर्ती संपन्न करायेगी।
बेसिक शिक्षा
नियमावली १९८१ के संशोधन १५ के तहत नियुक्त
हो चुके बीटीसी/एसबीटीसी के लोग भी
अगर चुनौती दी जाये तो हटाकर पुनः नियुक्त
किये जायेंगे।
इसकी मुख्य वजह यह है कि इनकी प्रथम
काउंसिलिंग सिर्फ गृह जनपद में
हुयी थी अर्थात कम गुणांक वालों को गृह जनपद
छोड़ना पड़ा होगा अर्थात इनकी यह
त्रुटि चुनौती योग्य है।
लेकिन चिर निद्रा में सो रहे नॉन
टीईटी एसबीटीसी वाले इनकी तरफ ध्यान
ही नहीं देंगे।
अतः इनकी नियुक्ति पर किसी विवाद
की सम्भावना कम है परन्तु विवाद पैदा करने के
इच्छुक इसपर कार्यवाई कर सकते हैं।
अंततः संशोधन १५ ,१६ अब कभी बहाल नहीं होगा।
शिक्षक भर्ती भविष्य में अवश्य संपन्न होगी।
ReplyDeleteSujeet Singh ——★★★
Priy mitro namaskar
ap sabhi sathiyo se janm din ki der sari
shubhkamnaye prapt hui jiske liye ap sabhi ko
sadar dhanyavad aur shubhkamnaye .
Pichhle das se 18 dec tak huye kramik v amaran
anshan me bhag lene ke liye aur apne
uttardayitvo ke nirvahan ke liye ek bar punah
sadhuvad preshit karta hu.visheshrup se tet
sangharsh morcha ki barabanki ikai aur inse
sambandhit vinod verma ji v alok verma ji ko
vishesh dhanyavad kyoki andolan ke dauran
dainik avashyak vastuo jaise rashan sabji ityadi
ki adhiktam vyavasthaye aplogo ke sahyog se hi
mil payee.
Vartaman samay me chuki uttar pradesh sarkar
18 dec ko sc me slp file kar chuki isiliye 19 dec
ko mai lucknow se delhi ke liye rawana ho gaya
aur delhi pravas ke dauran shyam dev mishra ji
ke avas par pichhle 9din tak raha aur unka
poorn sahyog v samarthan pratyek sthiti me
prapt hua iske liye mananiy mishra jee ko
vishesh dhanyavad .
Vartaman samay me u p sarkar dvara dali gayi
slp defective hai aur asha hai ki up gvt ke AOR
(adv on record) mr satya mitra garg do January
ko court khulne ke sath hi slp ki sare defects ko
door karke summit kar dege waise to samany
rup se case ki sunwai 10January ya uske bad ani
chahiye parantu yadi up sarkar ki taraf se unke
council vishesh paristhitiyo me urgency ka
hawala dete huye atishighra sunwai ke liye court
me mention karte hai to ungency ko samjhte
huye court sunwai ki tithi 10 ke pahle bhi niyat
kar sakti hai .kahne ka ashay yah hai ki hame 2
January ke bad kisi bhi tithi par up sarkar ke
virudhh admission stage ke bahas ke liye arthik
mansik rup se taiyar rahna hoga jiske adhar par
ham apne advocate ko fees de kar case ke
vishay me sari jankari de kar taiyar rakhe jisase
hamare wakil bahas ke liye poornataya tatpar
ho.
Wakil ke sandarbh me jhasi v lalitpur tet
sangharSh morcha ki ikai ko vishesh dhanyavad
jinke sahyog se hamne ek wakil Maheshwari ji ko
bahas ke liye taiyar kar liya hai aur vo case ka
lagbhag adhyan bhi kar chuke hai .
Isi prakar hamare pas 8se 10 aur senior advocte
hai jinse sampark me lagatar ham hai lekin
rananeetik drashtikon se abhi unka naam siDhe
taur par lena ya batana uchit nahi hoga. In sabhi
advocate ki taiyari aur fees me lagbhag kitne
rupaye kharch hoge is sandarbh me tet
sangharsh morcha ki sabhi jila ikaiyo ko suchit
kiya ja chuka hai aur ap sabhi se apeksha ki jati
hai ki ap sabhi apne jila ikaiyo ko purntaya
aarthik evam sharirik sahyog karne me tatpar
hoge .yadi is star par pahuch kar koi bhi
abhyarthi kisi bhi prakar ki koi bhi laparwahi
pradarshit karta hai to shayad agle kuchh dino
ke pashchat wah swayam ko jeevan paryant
maaf nahi kar payega kyoki isase hone wali hani
ki bharpai kam se kam is jeewan me to kabhi
nhi kar payega.
Sadar dhanyavad !
Jay hind !jay tet !
ReplyDeleteSujeet Singh ——★★★
Priy mitro namaskar
ap sabhi sathiyo se janm din ki der sari
shubhkamnaye prapt hui jiske liye ap sabhi ko
sadar dhanyavad aur shubhkamnaye .
Pichhle das se 18 dec tak huye kramik v amaran
anshan me bhag lene ke liye aur apne
uttardayitvo ke nirvahan ke liye ek bar punah
sadhuvad preshit karta hu.visheshrup se tet
sangharsh morcha ki barabanki ikai aur inse
sambandhit vinod verma ji v alok verma ji ko
vishesh dhanyavad kyoki andolan ke dauran
dainik avashyak vastuo jaise rashan sabji ityadi
ki adhiktam vyavasthaye aplogo ke sahyog se hi
mil payee.
Vartaman samay me chuki uttar pradesh sarkar
18 dec ko sc me slp file kar chuki isiliye 19 dec
ko mai lucknow se delhi ke liye rawana ho gaya
aur delhi pravas ke dauran shyam dev mishra ji
ke avas par pichhle 9din tak raha aur unka
poorn sahyog v samarthan pratyek sthiti me
prapt hua iske liye mananiy mishra jee ko
vishesh dhanyavad .
Vartaman samay me u p sarkar dvara dali gayi
slp defective hai aur asha hai ki up gvt ke AOR
(adv on record) mr satya mitra garg do January
ko court khulne ke sath hi slp ki sare defects ko
door karke summit kar dege waise to samany
rup se case ki sunwai 10January ya uske bad ani
chahiye parantu yadi up sarkar ki taraf se unke
council vishesh paristhitiyo me urgency ka
hawala dete huye atishighra sunwai ke liye court
me mention karte hai to ungency ko samjhte
huye court sunwai ki tithi 10 ke pahle bhi niyat
kar sakti hai .kahne ka ashay yah hai ki hame 2
January ke bad kisi bhi tithi par up sarkar ke
virudhh admission stage ke bahas ke liye arthik
mansik rup se taiyar rahna hoga jiske adhar par
ham apne advocate ko fees de kar case ke
vishay me sari jankari de kar taiyar rakhe jisase
hamare wakil bahas ke liye poornataya tatpar
ho.
Wakil ke sandarbh me jhasi v lalitpur tet
sangharSh morcha ki ikai ko vishesh dhanyavad
jinke sahyog se hamne ek wakil Maheshwari ji ko
bahas ke liye taiyar kar liya hai aur vo case ka
lagbhag adhyan bhi kar chuke hai .
Isi prakar hamare pas 8se 10 aur senior advocte
hai jinse sampark me lagatar ham hai lekin
rananeetik drashtikon se abhi unka naam siDhe
taur par lena ya batana uchit nahi hoga. In sabhi
advocate ki taiyari aur fees me lagbhag kitne
rupaye kharch hoge is sandarbh me tet
sangharsh morcha ki sabhi jila ikaiyo ko suchit
kiya ja chuka hai aur ap sabhi se apeksha ki jati
hai ki ap sabhi apne jila ikaiyo ko purntaya
aarthik evam sharirik sahyog karne me tatpar
hoge .yadi is star par pahuch kar koi bhi
abhyarthi kisi bhi prakar ki koi bhi laparwahi
pradarshit karta hai to shayad agle kuchh dino
ke pashchat wah swayam ko jeevan paryant
maaf nahi kar payega kyoki isase hone wali hani
ki bharpai kam se kam is jeewan me to kabhi
nhi kar payega.
Sadar dhanyavad !
Jay hind !jay tet !
ReplyDeleteहमारे कुछ मित्र पूछ रहे थे कि 15 वें संशोधन
को रद्द क्यों कराया गया। इसका जवाब मैंने भी सोचने
का प्रयास किया तो याद आया कि सरकार ने
हमारा 20 -12 -2012 का विज्ञापन इसी 15 वें
संशोधन के कारण निष्प्रभावी कर दिया था। इसके
लिए आप अटैच विज्ञापन निरस्त होने का फ़ोटो देख
सकते है जो कि 02 सितम्बर के अमर उजाला में
छपा था। अब सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकील ये बात
कहेंगे कि इन्हे 15 वाँ संशोधन पसंद
नहीं आया तो इन्होने 16 वाँ कर दिया ,यही बात
माननीय हरकौली साहब ने अपने 04 फरवरी के
स्थगन आदेश मे कही थी की यदि एक
अधिकारी को कोई दूसरी विधि पसंद है
तो वो प्रक्रिया पुनः बदल देगा और इस प्रकार
कभी कोई भर्ती पूरी नहीं होगी।
पढ़ाई न लिखाई नौकरी के लिए लाठी खाई
ReplyDeleteशनिवार, 28 दिसंबर 2013
AllahabadUpdated @ 5:42 AM IST
इलाहाबाद। नौकरी और शिक्षा के लिहाज से वर्ष 2013 काफी निराशाजनक रहा। छात्रों की पढ़ाई से लेकर नौकरी तक की उम्मीदों पर पानी फिर गया। आलम यह रहा कि प्रतियोगियों का पूरा साल आंदोलनों में गुजरा तो इस दौरान उन्हें कई दफे लाठियां भी खानी पड़ीं। प्रतियोगियों को वर्षों से लंबित हर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। परीक्षा प्रारूप में परिवर्तन के खिलाफ भी आंदोलन करना पड़ा। इसके बाद भी पीसीएस-2011 को छोड़ दिया जाए तो उन्हें बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग हो या उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग तथा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड सभी की कार्यशैली सवालों के घेरे में रही। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और संघटक कालेजों में भी साल भर अराजकता हावी रही, जिसकी चपेट में शिक्षक भी हैं।
ReplyDeleteउर्दू मोअल्लिमों को नव वर्ष में तोहफा
• अमर उजाला ब्यूरो
संभल। उर्दू मोअल्लिम
डिग्रीधारकों को नव वर्ष-2014 में
तोहफा मिल सकता है। क्योंकि बेसिक
शिक्षा विभाग सप्ताहभर के अंदर चयनित
उर्दू मोअल्लिमों को परिषदीय स्कूलों में
बतौर सहायक अध्यापक नियुक्तियां दे
सकता है।
उत्तर प्रदेश में कुल 4280 उर्दू मोअल्लिम
डिग्रीधारकों ने तय मानक के अनुरूप
परीक्षाएं दी थी। जिनकी तीन
काउंसिलिंग हो चुकी है। संभल जिले से
भी 108 उर्दू मोअल्लिमों का चयन
किया गया था। नए वर्ष में
इनको तोहफा मिल सकता है।
क्योंकि इनकी नियुक्ति परिषदीय
विद्यालयों में सहायक अध्यापक का रूप में
किए जाने का रास्ता लगभग साफ
हो गया है।
अनुसूचित जाति/ जनजाति के
अभ्यर्थियों को अभी थोड़ा इंतजार
करना पड़ सकता है, क्योंकि अभी तक इनके
समायोजन संबंधी कोई दिशा निर्देश
बेसिक शिक्षा विभाग के जिलास्तरीय
अफसरों को प्राप्त नहीं हुए हैं। जिसके
कारण 108 में एससी/एसटी के
अभ्यर्थियों को छोड़कर शेष 79
मोअल्लिमों का सप्ताह भर के अंदर
ही सहायक अध्यापक के रूप में समायोजन
किया जा सकता है। इनकी सूची को अंतिम
रूप दिया जा चुका है।
•जिले के 108 उर्दू मोअल्लिम परिषदीय
स्कूलों में बनेंगे सहायक अध्यापक
अनुसूचित जाति/ जनजाति के उर्दू
मोअल्लिमों के बाबत कोई दिशा निर्देश
नहीं मिले हैं। लेकिन अन्य 79
मोअल्लिमों की समायोजन सूची एक
सप्ताह में जारी कर दी जाएगी।
- सत्येंद्र कुमार ढाका, बेसिक
शिक्षा अधिकारी संभल
UP Govt. ne ki TET Bharti khatm karane ki khataranak Sajish....Napak Mansoobe ke karan Supreme Court men Lagayi S.L.P. (Sajishan Late-karo Prakriya)....Uska Moto hai...Yatha sambhav Der karo...TET bharti DHER karo....So frnds...napak mansoobon ko nestanabood karane ke LIye Ek hokar Supreme Court men HAK KI JANG lano...jitana JALD ho sake Supreme Court me Sunavai Start karao....Varana ye to chahate hain...KI usi LATE KARO SAJISH pe chalate hue NCTE ki time limit aa jaye...fir chunav ki Achar sanhita lag JAYE...aur TET valon ko Tchr ke BAJAY FAtichar bana diya jaye....JAGO RE....SAMBHALO...FRNDS...
ReplyDeleteUP Govt. ne ki TET Bharti khatm karane ki khataranak Sajish....Napak Mansoobe ke karan Supreme Court men Lagayi S.L.P. (Sajishan Late-karo Prakriya)....Uska Moto hai...Yatha sambhav Der karo...TET bharti DHER karo....So frnds...napak mansoobon ko nestanabood karane ke LIye Ek hokar Supreme Court men HAK KI JANG lano...jitana JALD ho sake Supreme Court me Sunavai Start karao....Varana ye to chahate hain...KI usi LATE KARO SAJISH pe chalate hue NCTE ki time limit aa jaye...fir chunav ki Achar sanhita lag JAYE...aur TET valon ko Tchr ke BAJAY FAtichar bana diya jaye....JAGO RE....SAMBHALO...FRNDS...
ReplyDelete
ReplyDeleteअफसरी छोड़ शुरू की मास्टरी
जिला समाज कल्याण अधिकारी ने छोड़ी नौकरी
•रणवीर सैनी
मुजफ्फरनगर। महकमे में भ्रष्टाचार का घुन और
राजनीतिक हस्तक्षेप से तंग जिला समाज कल्याण
अधिकारी अजय कुमार ने नौकरी से इस्तीफा दे
दिया। मुजफ्फरनगर में उनकी पहली पोस्टिंग
थी। नौकरी छोड़ने के बाद मेरठ के रहने वाले अजय
ने प्रोफेसर की नौकरी दोबारा ज्वाइन कर ली है।
कहा कि समाज कल्याण विभाग का माहौल इस
लायक नहीं है कि हम जैसे लोग वहां नौकरी कर
सकें।
पीसीएस परीक्षा पास कर जिला समाज कल्याण
अधिकारी की नौकरी पाने वाले अजय कुमार ने
विभाग के सहारे गरीबों की सेवा करने
का सपना संजोया था। 19 जुलाई 2013 को मुजफ्फरनगर
में पहली ज्वाइनिंग मिली। यहां महकमे
की हालत खराब है कि हर साल एक
बड़ा घोटाला उजागर होता है। एक अरब के घोटाले
की जांच पहले से ही चल रही है। पूर्व समाज कल्याण
अधिकारी रिंकू सिंह राही पर
जानलेवा हमला भी हुआ था। ज्वाइनिंग के कुछ
दिनों बाद ही अजय का मन उखड़ गया। विभाग
के कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप, निचले स्तर से
लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार से तंग आकर उन्होंने 46
दिन बाद ही सरकार को अपना त्याग पत्र भेज
दिया। 10 दिसंबर को त्याग पत्र स्वीकार हो गया।
मूल रूप से मेरठ के रोहटा रोड गगन विहार के रहने
वाले अजय दिल्ली के गार्गी डिग्री कॉलेज में
प्रोफे सर की नौकरी छोड़कर आए थे। उन्होंने
दोबारा से कॉलेज में ही नौकरी ज्वाइन कर ली है।
‘अमर उजाला’ से बातचीत में अजय कुमार ने
स्वीकारा कि समाज कल्याण विभाग का माहौल
इस लायक नहीं है कि हम जैसे लोग नौकरी कर
सके।
और भी हैं नौकरी छोड़ने की राह पर
जिला समाज कल्याण अधिकारी का कार्यभार
देख रहे लोकेश त्रिपाठी का कहना है कि वह
भी समाज कल्याण की नौकरी छोड़ सकते हैं। वह
सीबीआई में वापस जाने का मन बना रहे हैं। लोकेश
का कहना है कि समाज कल्याण विभाग
का माहौल उन्हें पसंद नहीं है। भ्रष्टाचार रोकने के
काफी प्रयास किए हैं।
ReplyDeleteFor any query and suggestion you can contact me....
Mohammad Shakeel
Harchandpur - Raebareli
81 82 80 33 09
96 48 20 73 47
MITRON DHYAN DE KOI BHI SARKAR IN 72825 VACANCIES KO SAMAPAT NAHI KAR SAKTI KYON KI SC ME MATTER PAHUNCH CHUKA HAIN NIYAMA NUSAR JO BHI BHARTI VIVADIT HOTI HAIN US PAR TIME LIMIT KA KOI BHI PRABHAV NAHI PADTA SARKAR KE LOG MURKH HAIN LEKIN JO BHATI ISKE ALAWA HONE WALI HAIN WOH SAB LAPS HO JAYEGI
ReplyDeleteMITRON DHYAN DE KOI BHI SARKAR IN 72825 VACANCIES KO SAMAPAT NAHI KAR SAKTI KYON KI SC ME MATTER PAHUNCH CHUKA HAIN NIYAMA NUSAR JO BHI BHARTI VIVADIT HOTI HAIN US PAR TIME LIMIT KA KOI BHI PRABHAV NAHI PADTA SARKAR KE LOG MURKH HAIN LEKIN JO BHATI ISKE ALAWA HONE WALI HAIN WOH SAB LAPS HO JAYEGI
ReplyDeleteTet merit k jwano taiyar ho jaiye sp sarkar ko dhvast krne k lie is sarkar ne puri takat lga di h ab tet vale teyar ho jae is sp sarkar ko barbad krne k lie.sarka ki galat nitiyo k karan delhi meto ek hi kejrival ka janm hu jisne puri delhi sarkar ko ukhad feka h lekin up sarkar ki galat nitiyo k karan up me up me to 72825 kejrivalon ka janam hua h jo sp sarkar ko aese ukhad fekege ki sp jindgi bhar satta me vapsi nhi kr paegi.jb se sp sarkar ayi h to usne keval berojgaro se form bharvane k nam pr ₹ vasule h aur kisi ko bhi naukary nhi di ab ye sarkar shiksha mitro ko teacher bnane k nam pr bevkuf bna rhi h ye sarkar kuch nhi kregi keval logo ko bevkuf bnaegi islie ab sb log teyar ho jae is lok sabha k chunav me ise naste nabut krk.jai hind,jai tet merit.
ReplyDeleteशुभ प्रभात मित्रों,
ReplyDeleteसभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
साथियों एक पुरानी कहावत है "फूट डालो-राज करो"। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी को आगे बढ़ता नहीं देख सकते और यदि कोई परिवार आगे बढ़ रहा है तो उनका प्रयास होता है कि उस परिवार के सबसे कमजोर मानसिकता वाले सदस्य को भ्रमित करना और झूठ, द्वेष और घृणा इत्यादि के माध्यम से उसे बगावत के लिए प्रेरित करना ( क्यूंकि मजबूत मानसिकता वाला सदस्य इनकी बातों में नहीं आयेगा साथ ही इनकी पोल भी खोल देगा)। उसी प्रकार हमारे बीच कुछ जयचंद पैदा हो गए हैं जो हमारी संगठन शक्ति से घबरा रहे हैं और उनका पूरा प्रयास यही है की किस तरह इन टेटवीरों को कमजोर किया जाय ताकि वो सुप्रीम कोर्ट में पूरी मजबूती से ना खड़े हो सकें। ये जयचंद अब हम टेटवीरों को "धन के व्यय के सम्बन्ध में पारदर्शिता" का लोलीपॉप दे रहे हैं ताकि हमारे मन में अपने संगठन के प्रति संदेह पैदा हो सके और हम भ्रमित हो जाएँ।
लेकिन दोस्तों आप खुद ही सोचिये की हमारे ये "शुभचिंतक"अब तक कहाँ थे? आप आज सर्दी में घर से जल्दी बाहर नहीं जाना चाहते लेकिन हमारे नेतृत्वकर्ता बिना रिजर्वेशन के जरनल बोगी में धक्के खाते हुए दिल्ली तक का सफ़र तय कर रहे हैं। आपने सरकार को फार्म के साथ 25-45 हजार रूपए दिए लेकिन जो आपके हक़ के लिए लड़ रहे हैं उनको आप 200-2000 देकर उनके ऊपर ही ऊँगली उठाना कहाँ तक उचित है जबकि आपके एक-एक पैसे का पूरा हिसाब संगठन के पास मौजूद है।
साथियों अंतिम समर है सावधान रहें और जयचंदों की बात पर ध्यान दिए बिना आप ये सोचकर चलें की आप संगठन की मदद करके स्वयं अपनी मदद कर रहे हैं। और हाँ इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं की आप कम सहयोग कर पा रहे हैं क्यूंकि आपकी भावनाएं भी हमारे लिएमबमजबूत कवच का काम करेंगी। अरे भाई महत्व तो उस छोटी गिलहरी के कार्य का भी था जिसने भगवन श्रीराम को सेतु निर्माण में मदद की थी।
खुशखबरीः साल 2014 मिलेगी 8.5 लाख लोगों को नौकरी
ReplyDeleteब्यूरो / अमर उजाला, दिल्ली
Updated @ 12:52 AM IST
नौकरी की चाहत रखने वालों के लिए खुशखबरी। नए साल में इस साल की तुलना में अधिक नौकरियों का आकलन है। एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2014 में एफएमसीजी और स्वास्थ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों के 8.5 लाख नए अवसर उपलब्ध होंगे।
माईहाइरिंगक्लबडॉटकाम के सर्वेक्षण के अनुसार इस साल रोजगार के अवसरों का आंकड़ा अनुमानत: 7.9 लाख रहेगा। वहीं 2014 में इसके बढ़कर 8.5 लाख पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
यह सर्वेक्षण 12 उद्योग क्षेत्रों में 5,600 कंपनियों पर किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। नौकरियों के ये सभी अवसर संगठित क्षेत्र में उपलब्ध होंगे।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि एफएमसीजी के अलावा स्वास्थ्य सेवाएं रिटेल और होटल क्षेत्र में भी रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे। माईहाइरिंगक्लबडॉटकाम के सीईओ राजेश कुमार ने कहा कि अनिश्चित आर्थिक व राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से पिछला साल रोजगार चाहने वालों और कंपनियों के लिए अच्छा नहीं रहा।
2014 का साल रोजगार की दृष्टि से सकारात्मक रहेगा। साल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में 8.5 लाख नौकरियां उपलब्ध होंगी।
सर्वेक्षण के अनुसार सबसे अधिक करीब 1.5 लाख नौकरियों की संभावना एफएमसीजी में है, जबकि हेल्थकेयर में 1.33 लाख, आईटी और आईटीईएस में 1.21 लाख, रिटेल में 86,700 और हॉस्पिटैलिटी में 83,400 है। बैंकिंग में 61,400, उत्पादन और इंजीनियरिंग में 51,500, शिक्षण और प्रशिक्षण में में 42,900, मीडिया में 42,800 और रीयल एस्टेट में 38,700 नौकरियों का आकलन है। सैट एंड मर्क मैनपावर कंसल्टेंट में एचआर एक्सपर्ट प्राची कुमारी का मानना है कि 2013 में नौकरियों की संख्या उम्मीद से कम रही। 2014 से काफी उम्मीदें हैं। कंपनियां अपना राजस्व बढ़ाने के लिए खाली पड़े स्थानों पर नियुक्तियां करेंगी।
jisko mobile me tgp pgt ki post dekhne me problem ho rahi ho ve yaha dekhe.
ReplyDeletehttp://only4uptet.in/site_23.xhtml