आंदोलन और तेज करने की तैयारी
जाब्यू, इलाहाबाद : सूबे में 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती मामले में सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले ने टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को मायूस कर दिया है। इस निर्णय के बाद भर्ती को लेकर दबाव बना रहे अभ्यर्थियों का आंदोलन और तेज होने के आसार हैं। हालांकि इन अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पहले ही दाखिल की जा चुकी है। अभ्यर्थी विधि विशेषज्ञों से भी संपर्क कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट जाने के पीछे सरकार की जो भी मजबूरियां हों लेकिन अभ्यर्थी इसे कड़े फैसले की संज्ञा देते हैं। अभ्यर्थियों में एक संजीव मिश्र कहते हैं-‘पहले ही इस मामले में काफी देरी हो चुकी है। सरकार को हाईकोर्ट के निर्णय का अनुपालन करना चाहिए। जाहिर है कि भर्तियों को जानबूझकर लटकाया जा रहा है।’ वैसे अभ्यर्थियों को इस बात की आशंका थी कि सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। इसलिए हाईकोर्ट के फैसले के दूसरे ही दिन मुख्य याची शिवकुमार पाठक व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी थी। इसके पीछे उद्देश्य था कि सरकार की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर होने के बाद उनको भी अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।
अभ्यर्थियों में सरकार के फैसले से इसलिए भी आक्रोश है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने इलाहाबाद आगमन पर इस बात के संकेत दिए थे कि सरकार शायद सुप्रीम कोर्ट न जाए। उन्होंने कहा था कि युवाओं को अधिक से अधिक नौकरी उनकी प्राथमिकता में है। हालांकि इसके बाद भी अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी था। बेसिक शिक्षा निदेशालय पर उनका प्रदर्शन लगातार जारी है। लखनऊ में भी प्रदर्शन कर चुके हैं। इस मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे टीईटी मोर्चा के सुजीत सिंह कहते हैं कि आंदोलन को प्रदेशव्यापी बनाया जाएगा
News Sabhaar : Jagran / http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/05-dec-2013-edition-Allahabad-City-page_3-21151-2955-79.html
पूरे भारत में यह नियम लागू
ReplyDeleteकिया जाना चाहिए
कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है।
चाहे
वो कलेक्टर हो या SP या कोई अन्य
कर्मचारी।
सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढेंगे और
जिनके
बच्चे सरकारी स्कूल में न पढते हो उन्हें
सरकारी नौकरियों से निकाल दिया जाए।
सभी लोग समझ सकते है कि जब जिले के
कलेक्टर और
SP तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे
सरकारी स्कूल
में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो उन स्कूल में
शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक
किस तरह
की पढाई वहाँ करवाएँगे।
सभी शिक्षक स्कूल समय पर आएँगे और
अपना कार्यपूरी ईमानदारी से करेंगे।
जो शिक्षक
किसी जुगाड़ के चलते शिक्षक बने है और पढाने
में
असमर्थ है वो स्वयं अपना इस्तीफा सरकार
को सौंप देंगे।
शिक्षा के स्तर में अचानक उछाल आ
जाएगा और
अपने देश के बच्चे भी मिसाल कायम करेंगे।
सोचिये अगर ट्रेन के नाम नेताओ के नाम पर
ReplyDeleteहोते तो कैसी खबरेँ आती:-
1 दिग्विजय एक्सप्रेस आज फिर से
आरएसएस स्टेशन पर अटक गयी।
2 पंजाब के यात्रियो ने मनमोहन मेल के खिलाफ
शिकायत दर्ज की । उनका कहना है कि ट्रेन
चुपचाप स्टेशन से आ के चली जाती है सीटी तक
नही बजाती उन्हे पता नही चलता ट्रेन छूट
जाती है।
3 केजरीवाल एक्सप्रेस मोदी सुपरफास्ट
एक्सप्रेस को ओवरटेक करने मे
दूर्घटनाग्रस्त।
4 यात्रियो द्वारा मोदी सुपरफास्ट का रुट गुजरात
से बदल दिल्ली करने की माँग।
5 एनडी तिवारी एक्सप्रेस मे कई नाजायज डिब्बे
जोड़े गये।
6 यात्रियो ने आडवाणी एक्सप्रेस मे चढ़ने से
इनकार किया।
7 नितिश सेकुलर एक्सप्रेस जो पहले
दिल्ली तक जाती थी अब बिहार तक सफर
करेगी।
8 आज राहुल टाँय ट्रेन कार्टून नेटवर्क
जंक्सन से पोगो जंक्सन तक जायेगी।
9 भारत से इटली तक जाने वाली भारत
की पहली अंतर्राष्ट्रीय
सोनिया गाँधी एक्सप्रेस मे सीबीआई के
डिब्बो को जोड़ा गया।....
मेरे द्वारा दी गयी कुछ जानकारियाँ L.T. Grade वाली न्यूज मेँ भी हैँ । जो इससे 2 खबर पीछे है ।
ReplyDeleteधन्यवाद
SUBH नाइट
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एक बार फिर से मेरी एक शेरनी बहन के लिए मैँ सदैव क्षमाप्रार्थी था हूँ और रहूँगा ।
अब अगर वो चाहेँ तो . . . . . . . . . . .
GOOD MORNING FRIENDS..
ReplyDelete72825 KA PURA ORDER MAINE PADHA HAI..ISME H.C NE 15TH AND 16TH AMMENDMENT KO PROSPECTIVE EFFECT MAANA HAI..ISKA SIDHA SA MATLAB HAI YE AMMENDMENT AAGE AANE WALI BHARTI PAR HI LAGU HONGE...LIKE JUNIOR BHARTI URDU BHARTI BTC.
YE AMMENDMENT RETROSPECTIVE EFFECT KI WAJAH SE PURV ME JARI KI GAYI BHARTI PAR LAGU NAHI KIYE JAA SAKTE..AUR H.C NE S.C KE CASE KA EXAMPLE BHI DIYA HAI.JISME S.C NE KAHA HAI KI KOI BHI BHARTI PRAKIRIYA SHURU HO GAYI HO TO USKO PURA KARNA PADEGA..WO AMMENDMENT SARKAR CANCEL NAHI KAR SAKTI..ISLIYE 12TH AMMENDMENT KO H.C NE VALID MAANTE HUE OLD ADD KO BAHAL KAR DIYA..
AUR H.C NE 16TH AMMENDMENT KO USELESS KARAR DE DIYA..
ORDER BAHUT EFFECTIVE AUR LAW KI MAZBUTI SE DIYA GAYA HAI..JISME S.C KE KAI ORDERS KO MENTION KARTE HUE MAZBUTI DI GAYI HAI..
TET WTG SARKAR KO HAR EK BHARTI ME DENA HI HOGA
IN MY VIEW-AB BHARTI 12TH AMMENDMENT SE HI KARNI PADEGI.
31 MARCH 2014 TAK
SARKAR S.C NAHI JAYEGI..KYUKI ORDER BAHUT SOLID AUR TO THE POINT HAI.
IN THE CASE S.C GAYI TO WAHA RAHAT MILNE KI UMMED NAHI HAI..
FOR MORE QUERY READ H.C ORDER http:// elegalix.allahab adhighcourt.in/ elegalix/ WebShowJudgment. do
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ReplyDeleteजिस किसी भाई को मेरे ब्लाग पढ़ने मेँ परेशानी हो रही हो जब कमेँट ज्यादा होते हैँ
ReplyDeleteवे लोग अपने मोबाइल मेँ U.C. BROWSER /8.7 या 9.3 लोड कर लेँ और 200 कमेँट से ऊपर होने पर NEWER और NEWEST मेँ से NEWEST चुनेँ ,उसके बाद क्रमश: पन्नो को पलटते रहेँ जरुर कृपा बरसेगी ।
धन्यवाद
निर्मल बाबा की जय हो !
कुछ समीक्षात्मक पहलू जिन्हें जानते तो सब पर
ReplyDeleteहमेशा सशय में रहते है, कि हम सही भी है या नहीं,,
१. पुराने विज्ञापन से भर्ती को सुप्रीम कोर्ट में
चुनौती के बारे में मेरा मानना यह है कि,,
ऐसा कभी संभव नहीं है.. ध्यान दे पुराने विज्ञापन पर
रोक कब ? क्यों ? और किसकी याचिका पर लगी थी,
दिसम्बर 2011 में, कपिल देव यादव द्वारा ये
आपत्ति बताई गयी थी, कि विज्ञापन जिले वार न
होकर प्रदेश स्तर पर निकाला गया है,, तो भर्ती पर
रोक लग गयी, याची ने ये
कही नही कहा था कि विज्ञापन में चयन का आधार
गलत है, उसके बाद नयी सरकार ने पुराने विज्ञापन
को निरस्त कर पन्द्रवे संशोधन द्वारा नया विज्ञापन
निकाला, अब जब पुराना विज्ञापन समाप्त
हो गया तो उक्त वाद समाप्त हो गया था,
कि विज्ञापन किस स्तर पर निकाला गया, लेकिन उस
समय तक और कोई आपत्ति थी ही नहीं तो कोई केस
भी नही रह गया था, पर जैसे ही सरकार द्वारा पुराने
विज्ञापन के सभी नियम बदलकर नया विज्ञापन
जारी किया गया तो, पुराने आवेदक सरकार के खिलाफ
कोर्ट गए, न कि कपिल देव या अन्य किसी याची के,
क्योंकि दायर याचिका पुराने विज्ञापन के नियम
बदलने तथा पुराने आवेदकों के बहार हो जाने और
उनके अलावा नए लोगो के शामिल हो जाने से
प्रतियोगिता बढ़ जाने के खिलाफ की गयी थी, जिसके
बाद टेट मोर्चा की जीत हुई और सरकार हार गयी,,
अब सिर्फ ये जीत पुराने विज्ञापन की जीत है न
कि टेट मेरिट की,, अगर सुप्रीम कोर्ट जाने कि बात
आती है तो सिर्फ सरकार जा सकती थी कि हमने
जो किया सही किया पर अगर सरकार जाती है तो जाए,
तो इस मामले में किसी का कोई हस्तक्षेप है
ही नहीं तो कोई कैसे कोर्ट जा सकता है,,
२. दूसरी बात अगर कोई कोर्ट जाता है तो सिर्फ नए
विज्ञापन के लिए जा सकता है, वो सिर्फ उसमे पद
जोड़ने के लिए न कि पुराने विज्ञापन का चयन आधार
बदलने,, जब पुराने विज्ञापन के बहाली का आदेश
आया तो उसे ध्यान से पढ़े कि भर्ती होने में
जो भी समस्या थी सबको दूर कर दिया गया है, चाहे
वो प्रशिक्षु शब्द हो या फिर विज्ञापन का स्तर,,
क्योकि वह भी एक नियमवली के अनुसार विज्ञापन
था जैसा कि होना चाहिए, चयन का आधार उसमे
भी किसी सरकार द्वारा ही तय किया गया था न
कि आम लोगो द्वारा,,
अंतिम पद,, जो लोग अब कोर्ट के नाम पर चंदा मांग
रहे है, क्या उनमे से किसी ने स्पष्ट किया है
कि वो नए विज्ञापन पर पदों की मांग कर रहे है,
या पुराने विज्ञापन का आधार बदलवाने के लिए जा रहे
है, या फिर वो लोग ऐसे है जिनका चयन
होना किसी भी प्रकार संभव नही है और वो सिर्फ
भर्ती के दुश्मन है, कुछ तो स्पष्ट होना ही चाहिए,
जय हिंद अपने विचार दे,,
धन्यवाद
उत्तर प्रदेश में बहुप्रतीक्षित ७२८२५ प्राथमिक
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती का फैसला उच्च न्यायालय से आने के बाद
प्रदेश सरकार राजनैतिक संकट में फंस गयी है।
अब वह लोकसभा चुनाव को नजदीक देखते हुये भी
सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहती है।
जबकि पुरानी प्रक्रिया को संपन्न करने की दशा में नये
विज्ञापन के आवेदक नाराज हो जायेंगे जो कि प्रदेश सरकार के
राजनैतिक समर्थक माने जाते हैं।
इनके लिये सरकार द्वारा नकारात्मक कदम उठाना आसान
नहीं होगा। इस चुनावी माहौल में साढ़े तीन अरब रूपये लौटाने
की स्थिति में उनका नाराज होना तय है।
इसलिये सरकार अब चाहती है कि नये आवेदक सर्वोच्च अदालत से
जो फैसला प्राप्त कर सकें उसी पर क्रियान्वन आसान होगा।
ज्ञात हो कि नये आवेदक पर सर्वोच्च अदालत सकारात्मक रुख
अपना सकती है लेकिन किसी दशा में राईट टू एजुकेशन के तहत चल
रही पुरानी प्रक्रिया में रोड़ा नहीं अटकायेगी।
यह बात सरकार को भी पता है फिर भी वह
सर्वोच्च अदालत जाकर अपनी फजीहत कराना चाहती है।
दो न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में पुराने विज्ञापन
को दिशा दे दी है जिसे रोक पाना आसान नहीं है।
परन्तु इसी के साथ उच्च न्यायालय की जस्टिस अशोक भूषण एवं
विपिन सिन्हा की इस पीठ ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा के
अधिकार अधिनियम के तहत दो लाख सत्तर हजार
पदों को शीघ्र भरने को कहा है।
सरकार अगर चाहे तो निश्चित नीति बनाकर नये
आवेदकों को भी सीधी नियुक्ति दे सकती है लेकिन उसके साथ
सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह पौने दो लाख
शिक्षामित्रों को भी उसी रिक्ति में समायोजित
करना चाहती है ।
इसलिये सरकार को ऐसा लगता है कि अब नये
आवेदकों का फैसला सर्वोच्च अदालत ही करे।
जिस प्रकार से पुराने आवेदकों ने अदालत की लड़ाई लड़कर
अपना स्थान सुरक्षित किया है उसी प्रकार नये आवेदकों के
लिए अब सर्वोच्च अदालत में संघर्ष करने के अलावा कोई
रास्ता नहीं है।
सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जाने में तीनों तरफ से घाटा है सर्वप्रथम पुराने आवेदक नाराज होंगे , दूसरी तरफ चुनाव
पूर्व भर्ती ना होने के कारण एवं नये आवेदकों के लिये सुप्रीम
कोर्ट से सफलता की उम्मीद ना होने के कारण नये आवेदक
भी नाराज होंगे तथा तीसरे रूप में अगर सुप्रीम कोर्ट ने अगर
आदेश कर दिया कि आपके पास इतने टीईटी डिग्री धारक हैं
जितनी रिक्ति है उसी के सापेक्ष सबको नियुक्त
करो तो शिक्षामित्र नाराज होंगे ।
इस राजनैतिक दांव-पेंच में उलझी सरकार अपने सब विकल्प
खुला छोड़कर कार्य कर रही है।
पुराने विज्ञापन में आवेदन करने वाले विशिष्ट बीटीसी और
बीटीसी के द्वारा प्रत्यावेदन करने के बाद उनके आवेदन निरस्त
करके उनका पैसा लौटाकर पुरानी प्रकिया को भी गतिशील
बनाये हुये है। एक अभ्यर्थी ने बताया कि वह बीएड
डिग्री धारक है उसने पुराने विज्ञापन में प्रत्यावेदन भेजकर
अपना पैसा वापस ले लिया है इसपर मैंने एक शिक्षाधिकारी से
बात की तो उक्त अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों ने
प्रत्यावेदन भेजकर पैसा वापस ले लिया है उनका साक्ष्य
जिला शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र पर उपलब्ध है परन्तु उनका आवेदन
निरस्त कर दिया गया है इस विषय पर कुछ बोल पाना मुश्किल
है लेकिन इतनी संभावना जताई कि हो सकता है कि शासनादेश
जारी होने पर उनका पुनः प्रत्यावेदन लेकर साक्ष्यों से मिलान
करके आवेदन मान लिया जाये।
गांव में एक स्त्री थी । उसके पति आई.टी.आई मे कार्यरत थे। वह आपने पति को पत्र लिखना चाहती थी, पर अल्पशिक्षित होने के कारण उसे यह पता नहीं था कि पूर्णविराम (Full Stop) कहां लगेगा ।
ReplyDeleteइसीलिये उसका जहां मन करता था वहीं पूर्णविराम लगा देती थी ।
तो एक बार उसने अपने पति को कुछ इस प्रकार चिठ्ठी लिखी:
मेरे प्यारे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणो मे।
आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली को। नौकरी मिल गयी है हमारी गाय को। बछडा दिया है दादाजी ने। शराब की लत लगाली है मैने। तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे। भेड़िया खा गया दो महीने का राशन। छुट्टी पर आते समय ले आना एक खूबसूरत औरत। मेरी सहेली बन गई है। और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी। बेच दी गयी है तुम्हारी मां। तुमको बहुत याद कर रही है एक पडोसन। हमें बहुत तंग करती है।
तुम्हारी चंदा।
एक नवविवाहित पत्नी ने काम से घर आये पति को कहा,"मेरे पास तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है बहुत जल्द ही हम दो से तीन हो जाएँगे।"
ReplyDeleteपति ख़ुशी से झूमने लगा और अपनी पत्नी को गले लगा लिया, "अरे मेरी जान मैं इस दुनिया मैं सबसे खुशनसीब आदमी हूँ।"
"मुझे ख़ुशी है की तुम्हें इतना अच्छा लगा, कल सुबह मेरी माँ हमारे साथ रहने आ रही है" सुबह समय से स्टेशन चले जाना समझे ! पत्नी ने कहा।
In Examination Hall,
ReplyDelete.
.
How Do Boys Manage The
Time..
1. Watching The Girls
Around.
2. Sighting The Lady
Superviser.
3. Counting How Many
Windows & Doors.
4. Seeing The Brand Name Of
The Pen.
5. Reading Evrything Writen
On Benches.
6. Feelings For Wasting
Yesterday Nite.
7. Dreaming To Study Well
For Nxt Xam.
8. Calculating Again & again
the Marks
He Can Get, Out Of Watever
He Has Written.
9. Thinking Abusive Words
For The Paper Setter..
10. Watching the Blank . Ans.
Sheets
शिक्षक भर्ती विवाद को sc ले जाने वाली सरकार
ReplyDeleteलोग शायद नही जानते कि विवाद
का विषय क्या था । अधिकांश
लोगों का मानना है कि विवाद
का विषय नियुक्ति का आधार टेट मैरिट
और गुणाँक मैरिट मे कौन अच्छा है था ।
ऐसे लोग समझ लें उक्त विवाद मे मुख्य रूप
से मात्र दो विषय थे
पहला क्या किसी चलती हुई प्रक्रिया के
नियम मनमाने ढंग से (खेल शुरू होने के बाद
उसके नियमों मे परिवर्तन ) बदले जा सकते
है या नही ? और दूसरा प्रश्न
था कि क्या prospective amendment
का प्रभाव retrospective हो सकता है
या नही ? इन दोनोँ सवालों का जवाब
एकल डबल और ब्रहद पीठ ने 'नही' मे
दिया है और दुनिया का कोई कोर्ट इन
प्रश्नो का जवाब हाँ मे नही दे सकता ।
तीसरा काल्पनिक सवाल माननीय टंडन
जी ने पैदा किया है वह है 'प्रशिक्षु
शिक्षक ' का उल्लेख नियमावली मे
होना चाहिए या नही जिसका जवाब
भी उक्त मे से अंतिम दोनोँ कोर्ट ने 'नही'
मे दिया है । टेढ़ी नाक वाले पहले इन
तीनों प्रश्नो के जवाब sc मे रिट फाइल
करने से पहले अपने वकील से अवश्य पूँछ ले
उन्हे सच का अहसास और अपने भविष्य
का आभास अवश्य हो जाएगा । जब तक इन
प्रश्नों के जवाब हाँ मे नही हो जाते
72825 शिक्षकों के पद पर किसी दूसरे
फार्मूले से भर्ती होना संभव नही । बार
संघ का कोई वकील इन प्रश्नो का जवाब
हाँ मे नही दे सकता है ।
वक़्त की मार या सियासत का वार:
ReplyDeleteइतिहास खुद को दोहराता है । जिस प्रकार मौर्यों का उदय हुआ था उसी प्रकार गुप्तों का उदय हुआ।
इसी प्रकार अंत भी दोनों का एक तरह से हुआ ।
संभव है कि गुप्तों ने मौर्यों के उदय का इतिहास पढ़ा हो लेकिन पतन का इतिहास ना पढ़ा हो
या पतन का इतिहास पढ़ने के बावजूद भी उनके पतन के कारण से खुद को प्रेरित ना किया हो।
मैंने हर समय हर घटना से सबक लेने की कोशिश की है।
जब मायावती जी मुलायम जी के नियुक्त किये सिपाहियों को बर्खास्त कर रही थीं उस वक़्त मेरे मन में यह ख्याल आता था कि एक दिन मुलायम भी इनकी किसी भर्ती का ऐसा हाल करेंगे।
उस वक़्त परिणाम अंत में मायावती के फैसले के खिलाफ आया और सिपाहियों को ढूंढ ढूंढकर मायावती ने पुनः नियुक्त किया ।
उस समय कोर्ट के आदेश पर सरकार की हालत ख़राब थी ।
सब सिपाही पुनः नियुक्त हुये।
अखिलेश ने सत्ता पाने के बाद बदला लेना चाहा लेकिन परिणाम उसका इनको याद ना रहा।
जिस प्रकार हाई कोर्ट ने इनके खिलाफ फैसला सुनाया उस ज़माने की याद ताज़ा हो गयी जब बर्खास्त सिपाही हाई कोर्ट की सीढ़ियों को चूम रहे थे । जज तो भगवान बन गये थे।
वही दृश्य पुनः ताज़ा हुआ जब न्यायमूर्ति अशोक भूषण भगवान बन गये।
जिस प्रकार मै अभी तक सरकार का रुख और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान की हालत देख रहा हूँ
कहीं इतिहास पूर्वत पुनरावृत्ति ना कर दे।
जिस दिन ३१ मार्च २०१४ बीता और कोर्ट ने अपना रुख दिखाया
यही अखिलेश सरकार गाँव-गाँव ढूढेंगी कि कोई टीईटी उत्तीर्ण इस गाँव में बचा तो नहीं है।
जिस अधिकारी से पूंछो उदासीन जवाब देता है जैसे कहीं से फंसाकर लाये गये हो।
कोई बात नहीं , सबका भ्रम दूर हो जायेगा। 10 दिसम्बर का आन्दोलन प्रयास करना हमारा हक है हम उसे करके ही रहेँगे।
इसी प्रकार इतिहास की यह पुनरावृत्ति टीईटी मेरिट और एकाडेमिक मेरिट वालों के बीच भी चल रही है।
अंततः यह समर शानदार परिणति को पहुँच जायेगी।
सत्य की विजय होगी।
आप लोग आन्दोलन, धरना , कूटनीति और राजनीति सब करो लेकिन हताश ना हो।
क्या आप जानते है? कलक्टर परीक्षा के बाद बनता है!
ReplyDeleteक्या आप जानते है? पुलिस अधीक्षक परीक्षा के बाद
बनता है!
क्या आप जानते है ? डॉक्टर भी परीक्षा के बाद
बनता है!
क्या आप जानते है ? न्यायधीश भी परीक्षा के बाद
बनता है!
क्या आप जानते है ? सेना का सेनाध्यक्ष भी परीक्षा के
बाद बनता है!
क्या आप जानते है ? देश के वरिष्ट वैज्ञानिक
भी परीक्षा के बाद बनता है!
क्या आप जानते है ? देश का हर
कर्मचारी किसी भी परीक्षा के बिना नहीं बनते!
मगर ऐसा क्यूँ आप जानकर भी चुप है ? आँखों से पर्दा हटाओ
और मशाल जलाओ ऐ वतन तेरे हवाले
---------------
---------------
---------------
देश की बागडोर अनपढो के हाथ में क्यूँ ? जवाब दो ?
1. गाँव वार्ड सदस्य
2. गाँव का सरपंच
3. डेलिकेट
4. प्रधान
5. विधानसभा का विधायक
6. नगर पालिका का पार्षद
7. नगर पालिका का अध्यक्ष
8. नगर निगम का अध्यक्ष
9. संसद के सदस्य
10.लोक सभा के सदस्य
11.यहाँ तक मंत्री भी
12.प्रधानमंत्रीका भी यही हाल है
13 राज्य का मुख्यमंत्री जवाब दो इनकी परीक्षा क्यूँ
नहीं ली जाती ?
देश का रक्षा मंत्री क्या सेना में था ?
देश का सवास्थ्य मंत्री क्या डॉक्टर है ?
देश का शिक्षा मंत्री क्या अध्यापक था ?
जागो भारत जागो!!
जनहित मेँ जारी!
एक हाकी खिलाडी ने गोल करने के लिये बाल को पाले
ReplyDeleteकी तरफ ढकेला
गेँद पाले के पोल से जा टकराई
वो खिलाडी अपने शाट से इतना आश्वस्त था
कि उसने ये दावा कर दिया कि गोल post की लम्बाई कम है
फिर क्या था उसके दावे पर गोल post की नाप कराई गई
जिसमे गोल की मैप वाकई कम निकली ?
जानते हो वो महान खिलाडी मेजर ध्यानचन्द्र थे
पर अफसोस की उन्हे सिर्फ खिलाडी ही समझा गया
भगवान नही...
ReplyDeleteजीत की खातिर बस जुनून चाहिए ,
उबाल हो जिसमें ऐसा खून चाहिए |
ये आशमा भी आएगा जमी पर ,
बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए ||
10 दिसम्बर लखनऊ चलो........
ReplyDeleteAb gov. yadi sc jane me late karti hai to usko dhakke dekar supreme court tak bhejna hoga taki jald faisla aaye aur bharti start ho.
jai tet merit.
ReplyDeleteSanjay Mishra > Struggle for Right
अधिक से अधिक संख्या में लखनऊ पहुचे १० दिसंबर २०१३ l
हमारे नेता जी अजीब टाइप के है अभी चार दिन
पहले इलाहाबाद में मीडिया के सामने
कहा था कि हम उच्च न्यालय के आदेस का पालन
करंगे ऐसा पहेले भी उनकी कैबनेट के सभी लघु भागु
भी कहते रहे । न्यालय के आदेस
आया नेता जी कि टेढ़ी नक् कि तरहे
नेता जी भी टेड़े हो गए।
उच्च न्यालय ने ऐसी लताड़ लगाई कि चारो खाने
चित्त अब कोई रास्ता नहीं लगे अपने चाटुकारो के
पीछे सलहा मिली कि चलो सर्वोच्य न्यालय कम से कम
थोड़ी नाक तो सीधी कि जय १५ व् संसोधन बचा के। साथ खड़े हो गई फिनेंसर
शिक्षा माफिया कहा नेता जी आप और आप
जैसो का राज कभी और कही नहीं आने वाला है
तो चलो अभी उत्तर प्रदेस और
इसकी जनता को जितना चूस सकते है मिल के चूसते है।
तो ये है नेता जी कि कहानी अब बात हमारी हम सच
कि लड़ाई लड़ रहे है एक जंग जीत चुके है अब हमे
फिर से एक हो के ये मुट्ठी भर नेताओ को दिखाना है
कि "हमसे वो है, हम उनसे नहीं". ये
उनका पहला और आखरी है १० दिसंबर (मंगलवार)
लखनऊ में इतनी भीड़ इक्कठा कर
दो कि नेता जी लखनऊ से भागना पड़ जाय और अपने भेसो के पीछे छुपने कि जगहे न मिले
जय टेट मेर्रिट जय ओल्ड ऐड
जय न्यायपालिका
ReplyDeleteतुम्हारी आदत है थूक कर चाटने की,
अपना थूका तो कई बार चाटे हो बेटा लेकिन इस
बार तुम हम लोगों का थूका चाटोगे। और......
.
.
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.
.
.
.
.
यह स्वाद तुम्हें जीवन भर याद भी रहेगा।
अगर पुराने विज्ञापन मे
ReplyDeleteकोई इतनी बड़ी कमी होती तो सुधीर अग्रवाल जी उस
विज्ञापन पर स्टे न देकर उसको सीधे रद्द कर देते|
जैसा सरिता शुक्ला वाले केस मे हुआ था जो केवल 5
जिलों मे आवेदन की अनुमति होने के कारण कोर्ट
पहुँचा था|
दूसरी बात कि अगर सचिव
द्वारा विज्ञापन का जारी होना कोई
ऐसी बाधा थी जिसके आधार पर पुराने विज्ञापन
को रद्द किया जा सकता था तो न सिर्फ सीबी यादव
कोर्ट मे ये बात जरूर चिल्लाता बल्कि विद्वान एकल
न्यायाधीश महोदय को प्रशिक्षु शिक्षक संवर्ग न
होने जैसे काल्पनिक आधार को खोजने के लिए 6 माह
नहीं गुजारने पड़ते,,,, और साथ ही सचिव
द्वारा विज्ञापन जारी करने की कमी का उल्लेख
वो अपने अन्तिम निर्णय मे जरूर करते| और फिर
सरकार को भी इतने कमजोर तर्क को विज्ञापित
नहीं करना पड़ता कि 15वें संशोधन के कारण
पुराना विज्ञापन निष्प्रभावी हो गया है इसलिए रद्द
माना जाये|
भूषण जी ने भी अपने आदेश मे कपिल
की उस याचिका की रद्दगी का जिक्र इसीलिए किया है
ताकि जिनको सचिव के द्वारा जारी विज्ञापन से
खुजली की बीमारी हो गयी थी, उनकी खुजली शांत
हो जाये,,,,,
उन्होने बकायदा लिखा है कि By an order
dated 04.1.2012, the process for
recruitment of B.Ed teachers was
stayed by this Court in Writ Petition
No.76039/2011, (ये कपिलदेव लाल बहादुर
यादव की रिट थी) which petition has
already been dismissed by this Court.
There is thus no legal impediment in
proceeding with the selection
initiated by the advertisement dated
30.11.2011 as modified on
20.12.2011.....“dismissed by this
Court”
कृपया इसे दोबारा पढ़ें|
कोर्ट ने खुद कहा है कि अब 30.11.2011 के
विज्ञापन (20.12.2011 को संशोधित) के
द्वारा प्रारम्भ की गई चयन प्रक्रिया के प्रवृत्त होने
मे अब कोई कानूनी रुकावट या विघ्न नहीं है| फिर
भी लोग इस बात के पीछे पड़े थे कि सचिव ने
विज्ञापन जारी किया है,,,वो लोग भूल गए थे
कि न्यायमूर्ति हरकौली जी की पीठ ने
कहा था कि किसी भी वाद का निपटारा करते समय हमे
सार तत्व को देखना चाहिये| भूषण साहब ने कपिल
की याचिका के खारिज होने का जिक्र इसीलिए किया है
कि अब फिलहाल इलाहाबाद या लखनऊ मे
किसी को फिर से खुजली न होने पाये,,,,
कुछ नक़ली न्यायाधीश ये कह रहे थे कि अगर
पुराना विज्ञापन बहाल हुआ तो ये कमी फिर से
प्रभाव मे आ जायेगी,,,उनके मुँह पर जोरदार
तमाचा मार दिया भूषण जी ने पुराना विज्ञापन
बहाल हुआ सो तो हुआ ही ये तो मूल था,,,,,,नया रद्द
हो गया ये ब्याज है,,,,,और यही नहीं जूनियर
भर्ती भी फाँसी के फंदे पर है,, ये हर्जाना है|
न्यायपालिका ने कितने शिकार कर डाले एक तीर
से.....
ReplyDeleteइफ यू कुड नाटॅ कंविन्श देम, कन्फ्यूज देम........
[if u cud not CONVINCE them, CONFUSE them.....]
यदि 'आप' सामने वाले को 'सहमत' नहीं कर पाते हैं,
तो उसे 'भ्रम' में डाल दीजिये...
और यही अकल लगाई 'अकल-लेस' ने....
मित्रों
'एक ही' बात 'कई तरीके' से बताने का 'मतलब'
समझते हैं आप...
समझ गये तो 'आप' वाकई 'गुरू' हैं....
वरना जाकर 'अकल-लेस' के पीछे 'आप' भी खड़े
हो जाईये....
और उसकी 'मुस्कुराहट' से अपनी 'मुस्कुराहट'
का 'तालमेल' बिठाईये....
और करते रहिये 'कदमताल'......
टेट अनिवार्य है
टेट योग्यता है
टेट अर्हता है
टेट नानटेट है
टेट नानटेट नही है
टेट एक जनपद है
टेट पाँच जनपद है
टेट पूरा यू.पी.है
टेट धाधँलेबाजी है
टेट रिजल्ट नही है
टेट रिकार्ड गायब है
टेट ओवर-ऐज है
टेट केवल पासिंग मार्क्स है
टेट प्योर मेरिट है
टेट थोड़ा वेटेज है
टेट एकादमिक मेरिट है
टेट एक कानून है
टेट शिक्षा का अधिकार है
टेट केवल एक है
टेट अलग-अलग है
टेट महिला है
टेट पुरुष है
टेट कला है
टेट विग्यान है
टेट प्राईमरी है
टेट जूनियर है
टेट जूनियर डाइरेक्ट भर्ती है
टेट जूनियर प्रमोशन भर्ती है
टेट प्रशिक्षु शिक्षक है
टेट सहायक अध्यापक है
टेट अँग्रेजी है
टेट संस्कृत है
टेट उर्दू है
टेट मोअल्लिम-ए-उर्दू है
टेट है
[बी.टी.सी.2004,2007,2008]
टेट नही है
[शिक्षामित्र]
टेट शिक्षामित्र 10 प्रतिशत आरक्षण है
टेट 2011 है
टेट 2013 है
टेट सचिव स्तर है
टेट बी.एस.ए. स्तर है
टेट केवल स्नातक है
टेट प्रोफेशनल स्नातक भी है
टेट बी.टेक. है
टेट बी.फार्मा. नही है
टेट बी.एड पहले है
टेट बी.एड. बाद में है
टेट 2011 बी.एड. 2012 है
टेट 72825 है
टेट 29334 है
टेट 9770 है
टेट 10800 है
टेट 10000 है
टेट 4280 है
टेट सिंगल बेंच है
टेट डबल बेंच है
टेट लार्जर बेंच है
टेट अब सुप्रीम कोर्ट है
टेट न्यू ऐड है
टेट ओल्ड ऐड है
टेट 1 जनवरी 2012 है
टेट 31 मार्च 2014 है
टेट भूतही परीक्षा है
टेट माया की इच्छा है
टेट शोषण का हथियार है
टेट दुधारी तलवार है
टेट सिस्टम की शक्ल है
टेट अकल-लेस की कम-अक्ल है
टेट अकल-लेस की तानाशाही है
टेट अरबों की कमाई है
टेट सिर्फ तमाशाई है
टेट सफा-ईयों की सांसत है
टेट शिक्षामित्रों की आफत है
टेट फिसड्डियों की हार है
पर जो भी है......
टेट मेधावियोँ का 'श्रृँगार' है
टेट एक 'लय-ताल-सुर' व 'सुरूर' है
और इसीलिये.......
टेट 'गुरुओं' का 'गुरुर' है
मित्रों
टेट में तो बड़ा भूचाल है
वास्तव में...
इस टेट का बहुत ही भौकाल है
आप भी बताईये मित्रों
ई टेट है
या
सिर्फ तमाशा......
ReplyDeleteMohammad Shakeel
Harchandpur-Raebareli
96 48 20 73 47
81 82 80 33 09
10 December 2013 (Lucknow) yaad rahe.
is din ko historical banana hai,
hume khona kuchh nahi bs pana hi pana hai
SIDHI BAAT NO BAKVASH
ReplyDelete.
.
ARE YAAR TET ME DHANDLI HOTI/NAKAL HOTI/PAISE DEKAR NO BADHATE
.
.
TO KYA
.
.YE SALE NAKALCHI CHODTE
.
.NAHI NA
.
.ISHI LIYE ANGOOR KHATTE HAI
.
.KYOKI TET MERIT VALE ACCHE HAI
YALGAR HO
ReplyDelete.
.
S C CHALO
.
.ESS BAAR ACD MERIT S C ME HI DAFAN KARKE VAPAS HONA HAI
.
.
TET TET
.
.
NAMO NAMO
Hi....TMNTBBN,
ReplyDeleteHow Are You...?
ReplyDelete१५वाँ संशोधन रद्द
हो चुका वो भी कोई सिंगल बेंच
द्वारा नही, डी.बी. के द्वारा.
.
इसे बेस बनाकर
निकला नया विज्ञापन
तो स्वतः ही रद्द हो चुका है. ऐसे में
अकेड़ेमिक/गुणांक
प्रेमियों को सपा कैसे रिझायेगी,
इनके लूटे हुए
पैसो का क्या करेगी,
इनकी भर्ती का क्या, कैसे
करेगी-ऐसे
ही अनगिनत प्रश्नों से
सपा की नींद हराम
हो रही होगी. हो भी क्यूँ न!
सपने दिखाकर
लूटा भी तो है खूब इसने.
.
अब इस रद्दीकरण की प्रक्रिया से
सपा द्वारा की गई ३
भर्तियों पर संकट के बादल मंड़रा रहे
हैं. साथ में
चौथी जिसे यह बहुत जल्द शुरू करने
के लिये कह
रही है,
वो भी इसी में शामिल है. इसे यह किस
बेस
पर जल्द शुरू
करने की बात कर रही है, समझ से
बाहर
की चीज़ है.
.
हमारा ओल्ड़ एड़ तो १२वें संशोधन
की मज़बूत
नींव पर
अभी भी पूरी हिम्मत के साथ
डटा खड़ा है परन्तु १५वें
संशोधन से सपा के सामने आई
उपरोक्त समस्याओं
का समाधान क्या हो, कैसे हो, शायद
यही सोचकर इनके
निवारण हेतु सपा ने सु.कोर्ट का रुख
किया है परन्तु सुनने
में आया है कि इसने जिस भी बड़े से
बड़े
वकील महोदय से
बात की, उन्होनें आर.टी.ई.
का हवाला देते
हुए कन्नी काट
ली.
.
ऐसे में तो सपा के पास सिर्फ़ एक
ही विकल्प बचता है
कि यह ज. अशोक भूषण जी व ज.
विपिन
सिन्हा जी से
ही राहत देने के लिये आग्रह करे
नही तो इसे सु.कोर्ट से
कुछ नही मिलने वाला.
.
सु.कोर्ट में अगर
कहीं किसी वकील ने तैश में
आकर इस केस
को हाथ
भी लगा दिया तो सपा द्वारा १५वें
संशोधन के
आधार पर होने
वाली सभी भर्तीयाँ गई.
.
उधर ३१ मार्च, २०१४ भी आने
वाला है.
.
एन.सी.टी.ई. की डैड-लाइन.
.
अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमी ज़रा ध्यान
दें,
.
अगर इन्हें भी जोब की दरकार है
तो इन्हें
चाहिये
कि आगामी १० दिसम्बर को हमारे
साथ एक सूत्र में
बँधकर हमारी-
अपनी एकता को दिखा दें.
आपका-
हमारा कोई बैर नही. आपको भी जोब
चाहिये
हमें भी.
.
सपा हमारी भर्ती को लेट तो कर
सकती है, पर छीन
नही सकती. पहले मिल गई
तो हमारी किस्मत,
नही तो हमें तो ३१ मार्च, २०१४ के
बाद
भी मिल
जायेगी परन्तु अगर आप लोग ३१
मार्च
की समय
सीमा लाँघ गये तो कुछ न मिलेगा. फ़िर
दुनिया की किसी भी कोर्ट में चले
जाना, कुछ नही होने
वाला. आपके पास फ़िर पछताने के
सिवा कुछ न बचेगा.
.
अगर हमारे साथ आना चाहते हो तो,
हमारी संख्या दुगनी हो जायेगी.
ताकत की बात तो आप
देख ही चुके हैं कि अभी तक
हमारा ही पक्ष भारी है.
.
बस,
.
सरकार पर दबाव बनाने के लिये १०
दिसम्बर को लखनऊ
आ जाओ.
.
लेकिन यह अच्छी तरह से याद रखना,
.
जोब तो पहले हमें ही मिलेगी. आपके
लिये
तो सपा को पहले
एन.सी.टी.ई. से
अनुमति लेनी होगी. उसके बाद इसे
विज्ञपति निकालनी होगी. फ़ीस
तो आप लोगों ने पहले
ही जमा कर रखी है.
इसकी आप चिंता न करें.
.
जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ, ऐसे
में आप
लोगों की भर्ती दुनिया की पहली ऐसी भर्ती होगी,
जिसके लिये फ़ीस लेकर फ़ार्म्स
पहले भरवा लिये गये हैं
और
आवेदन बाद में. अचरज
नही होगा अगर आप
लोगों का नाम
गिनीज़ बुक में भी आ जाये.
.
फ़िर से कह रहा हूँ,
.
हमारे साथ आ गये तो नैया पार
हो जायेगी.
अन्यथा की स्थिति में हम तो इस
सपा रूपी दरिया को पार कर ही लेंगे
लेकिन
आपको यह
अपने अन्दर डुबो कर ही छोड़ेगी. फ़िर
आपको डूबने से
बचाने वाला कोई न होगा.
.
सपा ने थोड़ा लेट कर दिया. अगर
थोड़ा पहले ही सु. कोर्ट
जाने पर विचार कर लेती तो आप
अकेड़ेमिक/गुणांक
प्रेमी आज उतने न लुटे होते जितने लुट
चुके हैं
सु.कोर्ट जाने
के नाम पर. (वैसे भी सपा ने कौन
सा कम लूटा है!)
.
हमारा तो आलम यह है कि बेसिक
शिक्षा नियमावली में
हुए १२वें संशोधन के मज़बूत आधार
पर खड़े हमारे प्यारे
पुराने विज्ञापन को यह भूलकर भी,
कहीं भी छू न पायेगी.
अगर कहीं भूलकर इसने
ऐसा दुःसाहस कर
भी दिया तो ३३,००० के झटके से
झुलसकर रह
जायेगी यह.
.
हम तो ज्यों-ज्यों हा.कोर्ट में
सपा द्वारा झोंकतें चले गये,
त्यों-त्यों हम पकते चले गये, निखरते
चले गये. आज आलम यह
है
कि हम पककर कुंदन बन चुके हैं.
.
ReplyDeleteकुछ पिछली बातें दोहराते हैं,
.
जीत तो हम सिंगल बेंच में ही गये थे
जब
ज. अरूण टंड़न जी ने
हमारे पक्ष में अनेक आर्ड़र्स दिये थे.
उन्होनें
भी कथित
उस्मानी-रिपोर्ट के अनुसार हुई
धाँधली को मानकर बेड-
पार्ट को अलग करके
हमारी भर्ती करने
को कह
दिया था और यह उस्मानी-रिपोर्ट
रूपी तोप ज.
हरकौली जी द्वारा फ़ुस्स
की जा चुकी है. फ़िर
भी पता नही क्यूँ ज. टंड़न
जी प्रशिक्षु शब्द को लेकर बैठ
गये जिसका हा.कोर्ट के ही अनुसार
कोई महत्व
नही है
और यह बात हा.कोर्ट
द्वारा कही भी जा चुकी है. सो,
डी.बी. में उनके द्वारा इस प्रशिक्षु
शब्द
को बेस बनाकर
हमारे पुराने विज्ञापन को रद
करना गलत
ठहरा दिया गया.
.
ज.
हरकौली जी की डी.बी.
ने सपा की कथित
धाँधली को लेकर उस्मानी रिपोर्ट
की क्या दुर्गति की थी,
उस्मानी जी सहित
सभी को अच्छी तरह से याद
होगा ही.
सपा द्वारा सु.कोर्ट में हमारे खिलाफ़
कुछ भी करने पर
उस्मानी जी जैसे कितने सलाखों के
पीछे होंगे, यह
भी सपा अच्छी तरह से
जानती है.
.
बची-खुची हेकड़ी ज. अशोक
भूषण जी और ज. विपिन
सिन्हा जी की डी.बी ने
निकाल दी.
.
यहाँ ऐसा आर्ड़र दिया गया जो ज.
हरकौली जी के
आर्ड़र्स से भी कहीं ज़्यादा दमदार है
जिसे
अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट में
भी चुनौती देना सूरज
को चिराग दिखाने जैसा होगा.
.
सो,
.
हमारा ओल्ड़-एड़ वर्तमान की तरह
सु.कोर्ट में
भी पूर्णतः सुरक्षित रहेगा बल्कि यह
कहा जाये
कि आने
वाले समय में सु.कोर्ट से सदा-
सदा के लिये अकेड़ेमिक
का नाम ही खत्म
हो जायेगा तो अतिश्योक्ति न
होगी.
.
लेकिन हा.कोर्ट के परम आदेश
को मानते हुए अब यह
हमारी काउंसेलिंग तो शुरू करे लेकिन
यह तो इसका नाम
ही नही ले रही है.
.
अपनी काउंसेलिंग को जल्द से जल्द
शुरू कराने के लिये
आगामी १० दिसम्बर को लखनऊ में
होने वाले आंदोलन में
अपनी सक्रिय भूमिका हम
सबको निभानी होगी और एक
ऐसा जनसैलाब लखनऊ में
उतारना होगा जिसे देखकर
सपा की आँखे तो चौंधिया ही जाये.
.
कसम तो नही दे रहा लेकिन अपने हक
के लिये आप
सभी को लखनऊ आना ही होगा.
.
आखिर अपना न सही, अपने
प्रियजनों का सपना पूरा जो करना है.
.
.
सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक बात
और लिख ही दूँ,
.
हा.कोर्ट तो हमारे पक्ष में
अपना ऐतिहासिक फ़ैसला दे
ही चुकी है फ़िर भी अगर
किसी भी तरह से
मामला सु.कोर्ट में पहुँचता भी है
तो सु.कोर्ट
का अपना एक आदेश है जिसके
अनुसार,
.
“किसी भी खेल के नियम खेल शुरू होने
से
पहले बनाये जाते हैं,
बाद में नही.”
.
इसका बिहार का जीता-
जागता उदाहरण पेश कर
ही चुका हूँ.
.
अब तो बस,
.
१० दिसम्बर, २०१३
आपको बुला रहा है,
.
सारे काम छोड़कर भागे चले आओ.
ReplyDeleteVivek Mishra > Uptet Sangharsh Morcha
APKI NAUKARI KISI AUR KE NAHI BALKI KHUD APKE HATH HAI...
YADI AAP APNI SANKHYA 10 DEC. KO
2O HAZAAR SE ADHIK PAHUCHA LETE HAIN TO ULLU, ISKA PATTHA, POORA KHANDAN AUR CHACHA JAN VAHI GOBAR DAAL JAYEGE,
SUPREME COURT JANE KA INKA PLAN SAMAPT HO JAYEGA
ReplyDelete१० दिसम्बर 2013 , हमारे हक का निर्णायक दिन
Hum taiyar h. Hamare sath ab bahne bhi taiyar ho gai h. In logo sudharne k liye sadak per apna sankya bal dikhana jaruri ho gaya h.jo bahane ane me ashmarth h vo apne sthan per apne bhai pita ya pati sab ko joror bheje .kya aap is job ke liye apne logo ko taiyar nahi kar sakti h. Nari janani h nari shakti h. Apni shakti ko pahachaniye or bhaiyo ka shath dene Lucknow aaiye.10 December .
ReplyDelete
ReplyDeleteI PROMISS ALL OF YOU.....
YADI 10 DECEMBER KO HAMARI SANKHYA
20 HAZAAR SE ADHIK HO GAYI
TO SARKAR SUPREME COURT NAHI JAYEGI.
APKI JOB APKE HATH HAI LUCKNOW VEERO KA WAIT KR RAHA HAI.
Ali ji abhi bahut se log aise h jinke pas 10 December ki koi jankari nahi h. Ye gramin ilake me h . Inlogo ko apne sath jodane k liye kya yojana banani chahiye .q ki inke pas tak internets ki sochna bhi nahi h. Maine aise kai logo se contact kiya or 10 December ki jankari di .aise hi bahut se log honge jinhe kuch pata hi nahi hoga inhe apne shath jodane ka kuch upay nikaliye taki hum adik se adik shankya me bhag le sake .
ReplyDeleteAli ji abhi bahut se log aise h jinke pas 10 December ki koi jankari nahi h. Ye gramin ilake me h . Inlogo ko apne sath jodane k liye kya yojana banani chahiye .q ki inke pas tak internets ki sochna bhi nahi h. Maine aise kai logo se contact kiya or 10 December ki jankari di .aise hi bahut se log honge jinhe kuch pata hi nahi hoga inhe apne shath jodane ka kuch upay nikaliye taki hum adik se adik shankya me bhag le sake .
ReplyDelete
ReplyDeleteAise logo se personally contact krna hoga aur unhe aage msg ko baddhane k liye prerit krna hoga jo mai apne str se kr raha hu aur chahta hu ki sabhi log aisa kare.
adhikar ki is ladai me hr vyakti senapati hai , koi sipahi nahi hai.
is liye senapati ki trh hr fighter yuddh ki kaman sambhale.
in sab k beech apne chhudr swartho ki tilanjali deni hogi.
Sir yadi aap ke pas tet jila adhyakshyo ke phon no. Ki suchi ho to please ek bar use dobara blog per dal de taki adi se adik log labhanvi ho sake .
ReplyDeleteJai tet .
Jai hind .
ReplyDeleteI will try
ReplyDeletedosto ye waqt acd. Aur tet ko lekar ladne ka
nahi hai samay kam hai agar ab ruke to
shayad chal nhi payenge ekjuj ho jaye aur
sarkar ko btaye ki ham sirf bharti chahte hai.
Hame teacher banna hai na ki krantikari. 10
ko lucknow chale aur sarkar tak apni bat
pahuchaye yahi samay ki maag hai.thanks
aaj k hindustan ki news k hisab se up me 3 lak post primary ki khali h per gov in bharti na ker k purani bharti pr hi,hme aapas me ladwa ker dedline bita dena chati h,wo che to nyi bharti me acd walo ka selection kr skti h,pr ni use bus lda karwa kr apna plla jadna,mai acd walo, 3rdparty walo se ye khna chati hu ladai band krke hmare 7 mil ker gov se apni bhari ki mang kre ni to dedline bitne k bad hme to sc se jitne k bad job mil jyegi ,or fir apko lagega ki hmara 7 dete to fyde me rhte
ReplyDelete
ReplyDeleteजीत की खातिर बस जुनून चाहिए ,
उबाल हो जिसमें ऐसा खून चाहिए |
ये आशमा भी आएगा जमी पर ,
बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए ||
10 दिसम्बर लखनऊ चलो........
ReplyDeleteMohammad Shakeel
Harchandpur - Raebareli
81 82 80 33 09
96 48 20 73 47
****ALLAH HAFIZ****
Ajadi pane k liye Shubhash Chandra Bosh jine ek bat kahi thi tum muje koon do mai tumhe Ajadi dunga .aaj mai aap se kahta ho ki aap ek din de (10 December) government tabhi job degi to sabhi taiyar ho jao .
ReplyDeleteहिंदुस्तान ने लिखा है ,, नहीं बढ़ेगी B.ED. वालों को PRT में रखने की समय सीमा ---- !!
ReplyDelete_________ क्यूँ ??
क्यूंकि मामला कोर्ट में अटका है ,,, मेरा मतलब सुप्रीम कोर्ट में जा रही है नीच सरकार ॥
___________ जाने दो --- क्या फर्क पड़ता है , और क्यूँ पड़ेगा ?? इस मामले को सरकार ले जा रही है खुद ना कि हमलोग ,,,रही बात समय सीमा की तो -- यह 72825 की भर्ती पिछले 2 साल से मायावती के समय से चली आ रही है कोर्ट में ,, ना कि मुलायम के वर्त्तमान सरकार से ॥ हाँ समय सीमा 31 मार्च 2014 बीतेगा तो क्यूँ बीतेगा ,, हमलोगों की वजह से ,,, नहीं ना ,,, ये समय सीमा तो बीतेगा तो सिर्फ उदासीन कोर्ट और निकम्मी सरकार की वजह से जिसने मामले की सुनवाई जल्द से जल्द ना करके सिर्फ डेट पे डेट खेला ,,, और चुकी ये मामला RTE एक्ट से जुड़ा था तो फिर इतना लेट क्यूँ किया कोर्ट ने ?? इसके लिए जिम्मेदार कौन है ,, हमसब या फिर कोई और ??
__________________ और सुप्रीम कोर्ट में बैठा जज पागल है जो इस बात को ध्यान ना रखेगा कि इस समय के नष्ट होने में किसका हाथ है ,,,, RTE एक्ट से जुड़ा मामला होने के बावजूद 2 साल से अधिक का समय लिया गया सही फैसला आने में --- और सही फैसला जब आया तो सरकार की नौटंकी फिर चालू हो गयी ,,, और चुकी इस भर्ती पर हाई कोर्ट का जो फैसला आया 12 वें संसोधन से ओल्ड ऐड पर टेट मेरिट से भर्ती का तो उसको पूरा करने की बजाय सरकार चल दी सुप्रीम कोर्ट में "नंगा डांस" करने
___________ इन सब बातों में हुवे समय नष्ट को क्या सुप्रीम कोर्ट ध्यान में नहीं रखेगी सिर्फ सरकार की बेत्तुकी घटिया बयानबाजी ही सुनकर 31 मार्च 2014 तक का समय देखेगी ,,,
______________ ऐसा कुछ नहीं होने वाला सुप्रीम कोर्ट में की समय सीमा बीत जाये तो ये भर्ती ना होगी ,,,, सुप्रीम कोर्ट NCTE को जरुर समय बढ़ाने का आर्डर देगी और चुकी ये भर्ती 2 साल से कोर्ट में चल रही है तो मेरे ख्याल से इस भर्ती का 31 मार्च 2014 से कोई लेना देना नहीं है ,,, ये चल रही भर्ती 31 मार्च 2014 के बाद भी पूरी होगी बिना किसी झिझक के यदि समय सीमा किसी कारणवश बीत गयी तो ये कमीनी सरकार ही बढ़वाएगी जैसे पहले बढ़वाया था---------------- नो टेंसन ,,, बी हैप्पी ,,, एन्जॉय फॉरएवर ॥
___________________________ हाँ सुप्रीम कोर्ट में सरकार के नापाक मंसूबों पे पानी जरुर फिरने वाला है --- उसकी 15 वें संसोधन के आधार पर की गयी 10000. BTC. भर्ती और 4280. URDU. मो-अल्लिमों की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करके ॥
____________________ ,,,,,,,, अगर मान भी लिया जाये कि ऐसा हुआ की समय सीमा के बाहर भर्ती ना हुयी तो हमसब टीईटीयंस -- "मानवाधिकार आयोग" तक अपील करने की क्षमता रखते हैं और "मानवाधिकार आयोग" कभी गलत नहीं करेगा कि एक मानव के साथ अन्याय हो ॥ ---------- वैसे इसकी जरुरत ही नहीं पड़ेगी क्यूंकि सुप्रीम कोर्ट सरकार और NCTE. को हिलाने के लिए काफी है ॥
_______________ ,,,,,,, गुणांक के दिन गयो रे भैया ,, टेट मेरिट के दिन आयो रे ॥
------------------------------------ एन्जॉय ऑलवेज विथ वैरी-वैरी पुअर "टाईगर"
_______________जय हिन्द ,, जय टेट मेरिट ,, जय टीईटीयंस
आज मैंने सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से बात
ReplyDeleteकिया। उन्होंने आज का पूरा दिनडबल बेंच के
आर्डर पढ़नेके लिए मांग।
>मेरी अभी उनसे फोन
पर लम्बी बात हुई उन्होंने कुछ बातें बताई
जो निम्नहैं -
>सरकार सुप्रीम कोर्ट आये
या न आये 15वें संशोधन के बाद हुई
सभी भर्ती का रद्द होना निश्चित है।
>ऐसे मामलों में कोई भी सरकार सुप्रीम कोर्ट
जाने का आत्मघाती कदम
नहीं उठा सकती।सरकार की इतनी हिम्मत
कबसे हो गयी कि वो सुप्रीम कोर्ट आ कर
भर्ती का विरोध करे जबकि सुप्रीम कोर्ट
शिक्षा के अधिकार को लेकर आग बबूला हैं
और इस गुस्से का शिकार उत्तर प्रदेश सरकार
हो सकती है।
>उन्होंने कहा आप लोग
को सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा कुछ
नहीं करना पड़ेगा आप का केस खुद
न्यायाधीश ही लड़ेंगे।
>वैसे उनका कहना था कि ऐसे मामलों में सरकार
जो दिखाने की कोशिश करती हैं जरूरी नहीं कि वो ऐसा करे ही।
>उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार में ऐसे
बहुत कानून के जानकार है जो सरकार
को इस आत्मघाती कदम को उठाने से
रोकेंगे।
>सरकार चाहे तो सुप्रीम कोर्ट से इस
बात का निर्देश ले सकती है कि अपने 15वें
संशोधन के बाद हुई भर्ती का क्या करना है?
>उन्होंने एक उदाहरण दिया कि अभी हाल में
मुम्बई में कैम्पाकोला सोसाइटी के केस में
सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह की कोई
नरमी नहीं दिखाई जबकि वहाँ लोग कई
सालों से रह रहे हैं। अगर कुछ गैरकानूनी है
तो कोई रहम नहीं मिल सकता और
>यहाँ तो इस आर्डर में 15वें संशोधन
को संविधानके विरुद्ध माना गया है।
>दोस्तों इतना कुछ बात होने के बाद मैं
विश्वासके साथ आप लोगों से
कहना चाहता हूँ दैनिक जागरण और अमर
उजाला के पत्रकारकी सोच से सरकार
नहीं निर्णय लेती इन पत्रकारों से बाद में
निपट लिया जाएगा। अभी सरकार के लिए
कोई भी निर्णय लेना बहुत ही मुश्किल है।
>अखबारों में जो कुछ हो रहा है वो बहुत
बड़ी राजनीति हैं। समझ लीजिये निशान
हमें बनाया जा रहा है लेकिन मुर्ख
किसी और को। बाकी आप खुद समझदार हैं।
समझा कीजिए सरकार को अपने
लोगों को कुछ तो मैसेज देना ही पड़ेगा।
एक पत्र सपा प्रत्याशी घोसी के नाम-
ReplyDelete।
।
72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती मामले में सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले ने हम टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को मायूस कर दिया है। पहले ही इस मामले में काफी देरी हो चुकी है। सरकार को हाईकोर्ट के निर्णय का अनुपालन करना चाहिए एक पक्ष का अनधिकृत सहयोग नहीं। जाहिर है कि भर्तियों को जानबूझकर लटकाया जा रहा है।अगर सपा सरकार कोर्ट के आदेश को 31 मार्च तक पालन करके नियुक्ति नहीं करती है तो ये स्पष्ट है की ये हमारे साथ अन्याय है। हूम लगभग 100000 परिवार सपा का जी तोड़ विरोध करने को मजबूर होंगे। चाहे आप कितना भी योग्य क्यों न हो!
tntbn Ji ap kalam k jadugar ho thanks
ReplyDeleteमोदी को गोली मार देना चाहिए..!!!
ReplyDelete- क्यूकि गुजरात मे 24 घंटे लाइट आती है जिस
की रोशनी मे गुजराती सो नही पाते
-क्यूकि गुजरात मे 500 MW का सोलर प्लांट लग
रहा है जो सारे गुजरात का सूरज की रोशनी खा जाएगा
...
-क्यूकि गुजरात मे ज्वार- भाटा एनर्जि सिस्टम लग
रहा है जो समुन्द्र मे पानी कम कर देगा और
मछ्ली मर जाएगी
- क्यूकि गाँव मे 18 घंटे लाइट आती है जिस से लोग
टीवी देख कर बिगड़ रहे है
- क्यूकि गुजरात को विश्व का सब से विकसित राज्य
होने का अवार्ड मिला है जिस से भारत के ओर
राज्यो को नीचा देखने की कोशिश की गयी है
- क्यूकि गुजरात मे चीन, जापान के साथ व्यापार कर
वहाँ के लोगो को रोजगार दिया है जिस से ओर
राज्यो के लोगो को भरी धक्का लगा है
- क्यूकि मोदी के काम को देखते हुए खुद ब्रिटेन और
अमरीका ने मोदी को वीजा देने की बात बोला और
ब्रिटेन ने तो दे भी दिया है इस से पता चलता है
मोदी विदेशी देशो के साथ मिल कर भारत पर
आक्रमण करने की साजिश रच रहा है
-क्यूकि मोदी गुजरात के लोगो को परिवार की तरह
मानता है इस का मतलब मोदी ओर सब
भारतीयो को दुश्मन मानता है, और जहाँ पुरे विश्व में
अब तक कोई दंगा नहीं हुआ लेकिन गुजरात में
हो गया, क्योंकि मोदी दंगेबाज आदमी है।
लडको व लड़कियों कान खोल के सुन लो ,अगर १०
ReplyDeleteको लखनउ में १५००० -२०००० की भीड़
नहीं जुटि तो नौकरी से हाथ धोना पडेगा । उसके
बाद जब तुम्हारे बच्चे तुम से कोइ चीज़ मागेगे
तो १० दिसम्बर २०१३ ध्यान आयेगा इसलिए
अगर जिन्दगी भर की मेहनत का कुछ फल चाहते
हो तो लखनऊ जरूर आओ ज्यादा से
ज्यादा लोगों के साथ । नहीं बाद मे
जिन्दगी वो दिखलायेगि कि ठीक से
रो भी नहीं पाओगे हसना तो दूर की बात
धन्यवाद
ReplyDelete.
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VIPIN त्रिवेदी. . . . G
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कलम के जादूगर तो मुंञ्शी जी थे ,मैँ तो एक नाचीज हूँ, वही मेरे आदर्श हैँ ।
चाय बेचने वाला कभी प्रधानमंत्री नहीँ बन सकता है- दिग्विजय सिंह
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हाँ सही कहा डिग्गी जी आपने , देश चलाने के लिए तो ज़मीर ( अंतरात्मा ) बेचनेवाला चाहिए ,
है ना ?
ReplyDeleteGanesh Dixit -----
friends-10 december lucknow chalo, government
has yet not decided anything they r only waiting
for our reaction, by amar ujjala and danik jagran
newspaper they want to see our reaction so show
ur strength our numbers will decide that when
government will start our counseling so forget
about supreme court or international court of
justice just come to lucknow on 10 december and
get the job.
ReplyDeleteआचार्य चाणक्य ने कहा था कि जिस पेड़
का काँटा चुभे उसकी जड़ खोदकर उसमें
मठ्ठा दाल देना चाहिये...
20 नवम्बर को यही काम हुआ था... अब उत्तर प्रदेश में एकेडमिक का काँटा किसी को नहीं चुभेगा,,,,,,,,,
रही बात सरकार के SC में अपील करने की तो ये
भी तमन्ना पूरी करके देख लें,,,,,,,उसके बाद
तो सारा भारत इस कांटे से मुक्त हो जाएगा.............
सुना है सरकार ने खोजी कुत्तों का कोई दल
दिल्ली भेजा था ,,,,,,,अमर खुजाला वालों से
कहो जाकर पता करें कि कही उनके नुमाइन्दे
चुल्लू भर से भी कम पानी में डूबकर मर
तो ऩही गए ,,,,,,,,,,,
न्याय विभाग ने फैसला ठीक से समझ लिया है
या अमर खुजाला के वकीलों के आदेशानुसार
ही सरकार चल रही है.........?
ReplyDeleteArticle 14 in The Constitution Of India 1949 ---
कानून राज्य के समक्ष समानता कानून या जन्म
के धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या स्थान के आधार पर
भेदभाव का भारत निषेध के राज्यक्षेत्र के भीतर
विधियों के समान संरक्षण से पहले
किसी भी व्यक्ति को समानता के लिए इनकार
नहीं करेगा.
ReplyDeleteनकल माफियाओ का उदय मुलायम सिंह जी के शासन
काल मे हुआ था और नकल माफियाओ के अंत
की घोषणा का बिगुल श्री अखिलेश जी के
कार्यकाल मे गत 20 नवंबर को बज चुका है । शीघ्र
ही नकल माफियाओ के पतन की अंतिम
घोषणा सर्वोच्च न्यायालय से भी हो जाएगी। 1991 से
अपने चरम पर पहुँची इस व्यवस्था ने उत्तर प्रदेश
को पेशे की मूलभूत जानकारी से अनभिज्ञ
चिकित्सक और इंजीनियर ही नही अपितु
अपनी मात्रभाषा की शुद्ध चार पंक्तियाँ पढ़ने
लिखने मे असमर्थ हजारों शिक्षक भी दिए । अब
इसके अंत का समय आ गया है । मगर अफसोस नकल
माफियाओँ का अंत करने का श्रेय श्री अखिलेश
जी की बजाय इलाहाबाद हाई कोर्ट के माननीय
न्यायाधीश श्री अशोक भूषण जी एवं
श्री विपिन सिन्हा जी को जाएगा ।
इस नेक
काम को पूर्ण कराने हेतु सर्वोच्च न्यायालय जाने
का निर्णय लेने के लिए श्री अखिलेश जी को टेट
संघर्ष मोर्चा की तरफ से कोटि कोटि धन्यवाद ।
विनाश काले विपरीत बुद्धि ।
ReplyDeleteMai girls tet fighters se ye appeal krta hu ki wo is aandolan me apne gaurdian k sath aaye.
ye unke liye bhi behtr hoga aur humare aandolan ki safalta me atyadhik sahayak siddh hoga.
thanx.
ReplyDeleteMai girls tet fighters se ye appeal krta hu ki wo is aandolan me apne gaurdian k sath aaye.
ye unke liye bhi behtr hoga aur humare aandolan ki safalta me atyadhik sahayak siddh hoga.
thanx.
ReplyDeleteMai girls tet fighters se ye appeal krta hu ki wo is aandolan me apne gaurdian k sath aaye.
ye unke liye bhi behtr hoga aur humare aandolan ki safalta me atyadhik sahayak siddh hoga.
thanx.
ReplyDeleteShri Niwas Pathak ---
farrukhabad ke jo log bhi tet fighters hai wo sunday (8 dec.) ko 11 baje christian college jarur pahuche atiavasyak meeting hai.
ReplyDeleteTapan Maurya ----
Aj samay ki mang yahi hai k ap is ldai ka ek hissa
khud samhale mahilaye chahe to kuch b kar sakti
hai unk bina tet andolan hmesa adhura rha hai
ReplyDeleteकेंद्र सरकार ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व
राष्ट्रपति व रंगभेद विरोध के प्रणेता नेल्सन
मंडेला के सम्मान में पांच दिन के राजकीय शोक
का ऐलान किया है।
ReplyDeleteजीत की खातिर बस जुनून चाहिए ,
उबाल हो जिसमें ऐसा खून चाहिए |
ये आशमा भी आएगा जमी पर ,
बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए ||
10 दिसम्बर लखनऊ चलो ....
hi
ReplyDeletei want to come lucknow.how can i be a part of our team and how can i join the movement.what time and place is decided to reach.please tell me in detail.
ReplyDeleteसमाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल कहते हैं कि चाय बेचने वाला (मोदी) प्रधानमंत्री नहीं बन सकता;मैं पूछता हूँ कि जब दूध बेचने वाला (मुलायम;अखिलेश) मुख्यमंत्री बन सकता है तो चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता?
ReplyDeletethanks for inspiring thoughts mr.tmntbn god always with us we will surely win we will meet 10 march at lucknow
ReplyDeletegod is great good night
ReplyDeletetruth will win s.p will destroyed
ReplyDeletesabhi tet samarthk bhaiyo or bahno ko nivedan krta ho k sabhi adhik se adhik sankhya me 10 tarikh ko laknow pahuche
ReplyDeletejai tet jai hind
TNTMN JI AAPKE vicharon se to virodhi bhi sochne par majboor ho jayenge aapse gujarish hai ki 10 dec. Ko aap inhi vicharon ke sath manch par jaroor aayen ham longo ki hajaro me badhgi.
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