केजरीवाल ने साबित किया कि राजनीति में वो एक बहादुर राजनेता है जो सबसे कठिन क्षेत्र चुन कर मैदान में आता है और जीत हासिल करता है अन्यथा अब तक राजनीति में शीर्ष नेतृतव हमेशा अपने लिए सुरक्षित सीट तलाशता रहा है, पहला राजनेता जिसके जज्बे को तहे दिल से सलाम,
सच बात तो ये है कि दिल्ली मैं कांग्रेस को भाजपा ने नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी ने हराया है ...............
.................
Ab AAP Party ko Janta ki Najron Mein Khara Utarnaa Hai,
Aur Unko Bhee Batana Hogaa Ki Unka - Common Civil Code ( Saman Nagrik Sanhita), Janta Ki Samasyaon Ke Prati Kya Najariyaa Hai
Aur Ab Jan Lok Pal Ke Liye Unki Kya Bhumikaa Hai
Halanki Abhee Bhee Hamare Blog Poll Ke Mutabik Narendra Modi jaisee Shakshiyat Ka Jod Nahin
Hamare Blog Poll ke Mutabik , Lok Sabha Chunav Mein Poll Ka Graph
http://naukri-recruitment-result.blogspot.com/
नरेन्द्र मोदी 4893 (82%)
राहुल गाँधी 471 (7%)
अरविन्द केजरीवाल 487 (8%)
नीतीश कुमार 115 (1%)
सपा को अब भी समझ जाना चाहिये हालातो को. उन्के आका पन्जा कुमार का जो हश्र हुआ है चार राज्यो मे ...तो उन्को अप्ना भी अनुमान लगा लेना चाहिये .... !!!!जब आका का ई हाल त तुहार का होई ?
ReplyDelete10 december ko mahasangram hoga hamare tmntbbn ji isme samil honge aur hamara netritav karenge.
ReplyDeleteकश्ती भी नहीं बदली, दरिया भी नहीं बदला,
ReplyDeleteहम डूबने वालों का जज्बा भी नहीं बदला,
है शौक-ए-सफर ऐसा, इक उम्र हुई हम ने,
मंजिल भी नहीं पाई और रास्ता भी नहीं बदला..!!
जिन लोगो को लगता है कि विदेशी शिक्षा हमेशा ही देसी शिक्षा से अच्छी होती है उनको दंगा प्रदेश के मुख्यमंत्री मुन्ना यादव से प्रेरणा लेनी चाहिए कि बंदर हमेशा ही बंदर रहेगा और उसके हाथ में सत्ता रुपी उस्तरा देना हमेशा ही खतरनाक नतीजे देगा..........
ReplyDeleteयुवाओ कि सरकार कहने का दावा करने वालो ने सत्ता में आते ही पहले आरक्षण विवाद पैदा करके दोस्त को दोस्त से लड़ाया फिर टीइटी मामले में भाई को भाई से लड़ाने के कोशिश कर रहे है .......
चूकि सरकार को लगभग २ लाख प्राइमरी टीचर कि जरूरत है तो मेरा मानना है कि अकादमिक और टीइटी दोनों मोर्चा में लगे सारे भाई आपसी मतभेद भुला कर आपस में एकता बनाए रखते हुवे सरकार से मांग /सारकार को मजबूर करे कि ये लोग अपने सत्ता के लाभ के ;लिए भाई को भाई से लड़ना छोड़ कर दोनों लोगो को भर्र्ती करे ......
अकादमिक और टीइटी दोनों मोर्चे कि एकता समय कि मांग है कही ऐसा न हो कि समय निकल जाए फिर केवल हाथ मलने के सिवा और कुछ ना कर पाएं ........
RAHUL..............G
ReplyDelete.
.
.
smart mat bano aapko bhi aana padega,
ya ye samajh lo ki
RAHUL
SMARTY
NAHI
TO
DHARNA
BHI
NAHI
72825 और 10 दिसम्बर
ReplyDelete"""""""""""""""""""""""""
लगभग 4 लाख सालाना की नौकरी हमारे हाथ से छीन ली गई है।
गावं में सीधे साधे किसान के खेत की मेंड कोई दूसरा काट ले तो वो लड़ मरता है कोर्ट के चक्कर काटने से भी नहीं डरता। खिड़की का कोई कांच तोड़ दे तो घर की महिलाये लड़ने पहुच जाती हैं। मोहल्ले में कूड़े के लिए डी एम के आगे धरना दे दे ते हैं।
और जिस पर हमारा हमारे बच्चों का भविष्य टिका है। उसके लिए लखनऊ तक जाने में 10 बार सोच रहे हो।
दोस्तों ये आखिरी लड़ाई है फिर मौका भी नहीं मिलेगा अर्थात अभी नहीं तो कभी नहीं। बाद में पछताना ही रह जायेगा फिर करते रहना 3000 की नौकरी । मुझे जरुरत नहीं फिर भी आप के लिए आ रहा हूँ । में पूर्ण रूप से संपन्न हूँ। अच्छा कारोवार है मेरा । लेकिन बात हक और उसूलों की है संगठन की है भाई चारे की है ।आप अध्यापक हो सब समझते हो।
जय टेट जय टेट मेरिट।
टेट मेरिट सपोर्टर अगर जिंदगी को पास से देखना चाहते हो तो १० दिसम्बर को लखनऊ चलो ,वरना पीछे तो जिंदगी की बर्बादी नज़र आ ही रही होगी ;जन्म ;म्रत्यु ;हर रोज़ नहीं मिलाता ......जिंदगी में कुछ पल ही यादगार होते है....वरना शर्म से राजनीत की कठपुतली बने रहोगे....
ReplyDeleteयह देश तुम्हारा है...यह मिटटी तुम्हारी है....किसका डर...?तुम्हारे साथ भगवान है...भारत का सविंधान है....न्यायपालिका तुम्हारे साहस की परीक्षा चाहती है....उठो जागो अपना हक छीन लो
शजर जब सुख जाए,तो पत्ते रो देते है,
ReplyDeleteबदला मौसम,पर दोष हवा को देते है,
झरना प्यासा है दरिया से मिलने को,
जो मिलकर खुद अपना वजूद खो देते है,
अर्श और फर्श का,होता नहीं मिलना,
उफ़क़ पे,एक दूसरे का साथ तो देते है,
नाम नही बदनाम हो गया प्यार यहाँ,
वो नादाँ लोग तोहमत उम्र को देते है,
टेट संघर्ष मोर्चा से पूरी तरह जुड़ने से पहले मेरे जीवन कि सबसे बड़ी गलती जिसको मैं चाह कर भी नहीं सुधार सकता और इस गलती के लिए मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाया और न कर पाउँगा ..
ReplyDeleteदरअसल बात २० मार्च २०१२ कि जब यू.पी . टेट संघर्ष मोर्चा ने अपना पहला आन्दोलन लखनऊ में किया था और रत्नेश पाल और विजय सिंह तोमर ने मुझे चलने को कहा था और मैं तैयार भी था , परन्तु अपनी बेवकूफी कि वजह से में जा न सका ... मेरा प्लान सुबह ६ बजे वाली ट्रेन से लखनऊ जाने का था परन्तु मेरे घनिष्ठ मित्र ( बाजपाई जी ) से बात करने पर उन्होंने मुझे ९ बजे वाली ट्रेन से चलने कि सलाह दी और कहा सुबह ६ बजे वाली ट्रेन से तुम ८ बजे पहुँच जाओगे और ८ बजे कौन सा आन्दोलन होगा आराम से ८ बजे वाली से चलेंगे .. मैंने कहा ठीक है पर लेट लतीफी कि वजह से वो ८ बजे नहीं आ पाए .. फिर उन्होंने कहा कि ९ बजे वाली से चलते हैं मैंने कहा इस बार जरुर आ जाना पर फिर वही वो फिर नहीं आये ... फिर जब में गुस्से में बोला कि मैं अकेला जा रहा हु तो वो बोले १०:३० वाली से चलते हैं आन्दोलन कौन सा तुरंत ख़तम हो जायेगा ... मैं उनका इंतज़ार करने लगा और १० बजे मुझे खबर मिली कि वहां पर लाठी चार्ज हो गया है और हमारे सच्चे टेट साथी पुलिस का विरोध कर रहे हैं .. यकीन मानिए उस वक़्त मैंने खुद को इतना बेबस महसूस किया कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता हूँ .. अगले दिन पेपर में टेट साथियों की तस्वीरे देखते हुए मुझे रोना आ गया और मैं बहुत रोया सिर्फ इसलिए कि मेरी नौकरी बचाने के लिए मैं वहां मौजूद नहीं था और मेरे जैसे कितने साथी अपने और मेरे हक के लिए लड़ रहे थे ... वो मेरे जीवन कि सबसे बड़ी गलती थी .. तबसे में हर आन्दोलन में जाता हूँ चाहे कोई आये या न आये ... इस कथा का उद्देश्य सिर्फ इतना था कि स्वार्थ के चक्कर में इतने नीचे न गिर जाना दोस्तों कि कभी खुद से ही नज़रे न मिला सको ... १० दिसम्बर को अपने सम्मान और अपनी प्रतिष्ठा के लिए घर से निकलो ...
१० दिसम्बर लखनऊ चलो
टेट संघर्ष मोर्चा जिंदाबाद
क्या आप अपना भविष्य बनाना चाहते है?
ReplyDeleteक्या आपका भविष्य आपके पडोसी संवारेगे?
क्या आपको अपना हक खैरात मे मिल जायेगा? नही,
आपको अपने पराक्रम से अपना हक लेना पडेगा,अपने
भविष्य का निर्माण करना पडेगा,तो उठ खडे हो ,
अन्तिम अवसर लक्ष्य प्राप्त करने का, 10/12
को भारी संख्या मे लखनऊ पहुंच कर अपने आन्दोलन
को सफल बनाये।
jail wali
ReplyDeleteउन्हें चाहना हमारी कमजोरी है,
उनसे कह नही पाना हमारी मजबूरी है,
वो क्यूँ नही समझते हमारी खामोशी को,
क्या प्यार का इज़हार करना जरूरी है.
J
ReplyDeleteA
I
L
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.
W
A
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मुझसे मेरे ही खयालों में बात करती हो
बंद रखता हूं तेरे खातिर अपने दोनों पलके
अब अपनी बात ,,,,सभी साथियों ने मेरा अनुरोध है कि जितना भी हो सके चिर निद्रा और दिव्या स्वप्न से साथियों को उनकी नपुंसकता से जागृत कर सकें तो करें । उनको बतायें कि अगर इस बार चूक गये तो 3 हजार में अपनी जिंदगी प्राइवेट स्कूल में काटने को तैयार रहें । इसलिये चाहे 1 दिन का 300 रूपये कट भी जाये तो कम से कम 30000 का इंतजाम करने में ही तो बर्बाद होंगे । 2 साल का इतना बड़ा नुकसान सहने की क्षमता आप लोग में हैं तो क्या 1 दिन का 250 या 300 कटवाने की क्षमता नहीं है । इसलिये कमजोर मत बनिये ,,,कमजोर बनाइये ,,,,मैं तो अपने दल के साथ 10 तारीख को सुबह 10 बजे चारबाग पर एक बार फिर आर - पार की लड़ाई के लिये सामने हौउँगा ,,,,और आप ..............?????? एक बात और अगर जो भी अपने को टेट मेरिट समर्थक कहता है और 10 को किसी भी प्रकार का बहाना बनाकर आंदोलन में नहीं आता है तो वह अपने को 10 के बाद टेट मेरिट समर्थक कहना छोड़ दे और कोई कहे या न कहे लेकिन मेरी नजर में वह नपुंसक और गद्दार से ज्यादा कुछ नहीं ॥
ReplyDeleteयदि अधिकतम शिद्दत से चाहने के बावजूद आपकी कोई चाहत इस वजह से ना पूरी हो पा रही हो कि कोई और भी अपनी दुआओं में वही मांग रहा है जिसे आप चाहते हैं, तो समझ लें कि यह ईश्वरीय इच्छा है कि आप अपनी चाहत को विस्तार दें,,,,
ReplyDeleteअपने लिए तो सब मांगते हैं लेकिन जो दूसरों के लिए मांगता है उसके हितों का ध्यान रखने के लिए विधाता भी बाध्य है तो एक अदना से मुख्यमंत्री की क्या बिसात है......
Ajeeb Shaqs Tha Kaisa Mizaj Rakhta Tha,
ReplyDeleteSaath Rehkar Bhi Ikhtlaaf Rakhta Tha.
Mein Kyun Na Daand Doon Uss Ke Fun Ki,
Mere Har Sawal Ke Pehle Hi Jawab Rakhta Tha.
Woh Toh Roshniyoon Ka Baazigar Tha Magar,
Mere Andheroon Ka Bada Khayal Rakhta Tha.
Mohabbat Toh Thi Usse Kisi Aur Se Shayad,
Mujhse Toh Yunhi Hansi Mazak Rakhta Tha.
नकल माफियाओ का उदय मुलायम सिंह जी के शासन काल मे हुआ था और नकल माफियाओ के अंत की घोषणा का बिगुल श्री अखिलेश जी के कार्यकाल मे गत 20 नवंबर को बज चुका है और शीघ्र ही नकल माफियाओ के पतन की अंतिम घोषणा भी हो जाएगी। 1991 से अपने चरम पर पहुँची इस व्यवस्था ने उत्तर प्रदेश को पेशे की मूलभूत जानकारी से अनभिज्ञ चिकित्सक और इंजीनियर ही नही अपितु अपनी मात्रभाषा की शुद्ध चार पंक्तियाँ पढ़ने लिखने मे असमर्थ हजारों शिक्षक भी दिए । मगर अफसोस नकल माफियाओँ का अंत करने का श्रेय श्री अखिलेश जी की बजाय इलाहाबाद हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश श्री अशोक भूषण जी एवं श्री विपिन सिन्हा जी को जाएगा । इस नेक काम को पूर्ण कराने हेतु सर्वोच्च न्यायालय जाने का निर्णय लेने के लिए श्री अखिलेश जी का हार्दिक धन्यवाद ।
ReplyDelete
ReplyDeleteSujeet Singh > Uptet Sangharsh Morcha
मित्रो नमस्कार ..
10 दिसम्बर 2013 की तारीख पर , पूरे प्रदेश से
जितनी ज्यादा से ज्यादा संख्या में टेट
अभ्यर्थी लखनऊ पहुंचेंगे , उतना ही प्रदेश सरकार
पर 72825 प्राथमिक
शिक्षको की भर्ती माननीय उच्च न्यायालय के
अनुसार जल्द शुरू करने पर दबाव पड़ेगा ,,,, .
... ....लखनऊ में हमारा प्रदर्शन एवम अनशन ,,,,
हमारी मांगो के पूर्ण होने तक (कई दिनों तक भी )
चल सकता है .. अतः आप सभी से अनुरोध है की , अपने
साथ कम्बल एवम अन्य आवश्यक वस्तुओ के साथ
ही लखनऊ पहुंचे..........
.......... आप सभी सम्मानित टेट साथियों से पुनः आग्रह
है की इतनी अधिक से अधिक संख्या में लखनऊ
पहुंचे की ,,, पूरा उत्तर प्रदेश
ही नहीं बल्कि पूरा देश हमारी एकता और
हमारी आवाज से गूंज उठे ......... और ..... मजबूर
होकर उत्तर प्रदेश सरकार हमारी भर्ती शीघ्र
शुरू कर दे ............
............ मै तो अपने हजारो इलाहाबादी टेट साथियों के
साथ 10 दिसम्बर 2013 की तारीख को , लखनऊ पहुँच
रहा हू...........और मै इस पोस्ट के माध्यम से
जानना चाहता हू की ......... कौन कौन से
दिग्गज जनपद और कौन कौन से शेर दिल टेट
साथी भी लखनऊ पहुँच रहे है .........?????
.......... जय हिन्द...........
(१) ना तो अमर उजाला आपकी काउंसलिंग कराएगा और ना ही आपके अंक पत्रों का सत्यापन करेगा ,और ना ही दैनिक हिंदुस्तान आपको नियुक्ति पत्र जारी करेगा और न ही दैनिक जागरण आपको वेतन देगा। इन अधकचरे ज्ञान वाले पीत पत्रकारो से डरने की जरूरत नहीं है। (2) अब आपको मै बिहार राज्य के 34,500 शिक्षको की नियुक्ति की कहानी बताऊंगा जो ज्यादातर लोग जानते होंगे। बिहार की राजद(लालू जी ) सरकार ने 34500 प्रशिक्षित शिक्षको की भर्ती के लिए एक विज्ञापन 2003 में निकाला,ध्यातव्य है कि तब आर टी ई एक्ट लागू नहीं था और कोई परीक्षा भी नहीं करायी गयी थी । । किन्ही कारणो से भर्ती में विलम्ब हो गया और वहाँ पर सुशासन बाबु (नितीश जी) की सरकार आ गयी और उन्होंने राजद सरकार द्वारा निकाला गया विज्ञापन निरस्त कर दिया। उस विजापन के अभ्यर्थी कोर्ट गए और हाई कोर्ट के डबल बेंच से जीत गए ,पर पूर्ण बहुमत के नशे में चूर सुशासन बाबु सर्वोच्च न्यायालय चले गए। सर्वोच्च न्यायालय ने माननीय पटना उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुपालन में सुशासन बाबु (नितीश जी) की सरकार हीलाहवाली करने लगी। जैसे फॉर्म खो गए है ,आंकड़े नहीं मिल रहे है ,सत्यापन कैसे होगा आदि आदि। याचियों ने कोर्ट की अवमानना का केस दाखिल किया। दो तीन सुनवाई पर अधिकारी और वकील बहाने बनाकर भागते रहे तब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा अगर अगली सुनवाई में प्रधान सचिव ,शिक्षा ,बिहार सरकार उपस्थित नहीं हुए तो ये कोर्ट उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर देगी यहाँ ध्यातव्य है कि अवमानना पद नाम से न होकर व्यक्ति के नाम से थी । जब प्रधान सचिव ,शिक्षा ,बिहार सरकार कोर्ट में उपस्थित हुए तो माननीय न्यायालय ने उन्हें दो विकल्प दिया (क ) इन लोगो को नियुक्ति दे दे और कोर्ट को छः सप्ताह में नियुक्ति की आख्या दे। (ख ) नियुक्ति नहीं दे सकते हो तो यहीं से तिहाड़ जैल चले जाए और कैद में सेवा करवाये। सचिव महोदय ने प्रथम विकल्प चुना ये कहानी आप यहाँ इंग्लिश में पढ़ सकते है (http://www.indlaw.com/guest/DisplayNews.aspx?DC5C21CF-44D9-486F-8D9F-BB23A4ECB6F5) रही बात 15 वें संशोधन के विधि वाह्य(ultra vires) हो जाने की तो बिना इसे विधि वाह्य किये 72825 पदो पर टी ई टी मेरिट से नियुक्ति संभव नहीं थी। अमूमन मै तकनिकी रहस्यो को सामन्य बैठको में नहीं बताता हुँ पर ये जान ले 20 नवंबर के आदेश में वर्णित "doctrine of ultra vires" और Shiv Kumar Sharma and others Vs. State of U.P. नामक सुप्रीम कोर्ट के पूर्ण पीठ के निर्णय की काट असम्भव है। और अंत में दोस्तों मन के हारे हार है मन के जीते जीत। समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता है।"
ReplyDeleteलड़काः मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी
ReplyDelete.
.
.
लड़कीः मेरा परिवार मुझे .
ऐसा करने की इजाजत नहीं देता
.
.
.
.
लड़काः परिवार का नाम
तो ऐसे बता रही है जैसे
मेरे परिवार ने मुझे
लड़की पटाने में डिप्लोमा कराया हो.!
१५वाँ संशोधन रद्द हो चुका वो भी कोई सिंगल बेंच द्वारा नही, डी.बी. के द्वारा. . इसे बेस बनाकर निकला नया विज्ञापन तो स्वतः ही रद्द हो चुका है. ऐसे में अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमियों को सपा कैसे रिझायेगी, इनके लूटे हुए पैसो का क्या करेगी, इनकी भर्ती का क्या, कैसे करेगी-ऐसे ही अनगिनत प्रश्नों से सपा की नींद हराम हो रही होगी. हो भी क्यूँ न! सपने दिखाकर लूटा भी तो है खूब इसने. .
ReplyDelete. हमारा ओल्ड़ एड़ तो १२वें संशोधन की मज़बूत नींव पर अभी भी पूरी हिम्मत के साथ डटा खड़ा है परन्तु १५वें संशोधन से सपा के सामने आई उपरोक्त समस्याओं का समाधान क्या हो, कैसे हो, शायद यही सोचकर इनके निवारण हेतु सपा ने सु.कोर्ट का रुख किया है परन्तु सुनने में आया है कि इसने जिस भी बड़े से बड़े वकील महोदय से बात की, उन्होनें आर.टी.ई. का हवाला देते हुए कन्नी काट ली. . ऐसे में तो सपा के पास सिर्फ़ एक ही विकल्प बचता है कि यह ज. अशोक भूषण जी व ज. विपिन सिन्हा जी से ही राहत देने के लिये आग्रह करे नही तो इसे सु.कोर्ट से कुछ नही मिलने वाला. . सु.कोर्ट में अगर कहीं किसी वकील ने तैश में आकर इस केस को हाथ भी लगा दिया तो सपा द्वारा १५वें संशोधन के आधार पर होने वाली सभी भर्तीयाँ गई. . उधर ३१ मार्च, २०१४ भी आने वाला है. . एन.सी.टी.ई. की डैड-लाइन. . अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमी ज़रा ध्यान दें, . अगर इन्हें भी जोब की दरकार है तो इन्हें चाहिये कि आगामी १० दिसम्बर को हमारे साथ एक सूत्र में बँधकर हमारी- अपनी एकता को दिखा दें. आपका- हमारा कोई बैर नही. आपको भी जोब चाहिये हमें भी.
ReplyDeleteसपा हमारी भर्ती को लेट तो कर सकती है, पर छीन नही सकती. पहले मिल गई तो हमारी किस्मत, नही तो हमें तो ३१ मार्च, २०१४ के बाद भी मिल जायेगी परन्तु अगर आप लोग ३१ मार्च की समय सीमा लाँघ गये तो कुछ न मिलेगा. फ़िर दुनिया की किसी भी कोर्ट में चले जाना, कुछ नही होने वाला. आपके पास फ़िर पछताने के सिवा कुछ न बचेगा. . अगर हमारे साथ आना चाहते हो तो, हमारी संख्या दुगनी हो जायेगी. ताकत की बात तो आप देख ही चुके हैं कि अभी तक हमारा ही पक्ष भारी है. . बस, . सरकार पर दबाव बनाने के लिये १० दिसम्बर को लखनऊ आ जाओ. . लेकिन यह अच्छी तरह से याद रखना, . जोब तो पहले हमें ही मिलेगी. आपके लिये तो सपा को पहले एन.सी.टी.ई. से अनुमति लेनी होगी. उसके बाद इसे विज्ञपति निकालनी होगी. फ़ीस तो आप लोगों ने पहले ही जमा कर रखी है. इसकी आप चिंता न करें. . जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ, ऐसे में आप लोगों की भर्ती दुनिया की पहली ऐसी भर्ती होगी, जिसके लिये फ़ीस लेकर फ़ार्म्स पहले भरवा लिये गये हैं और आवेदन बाद में. अचरज नही होगा अगर आप लोगों का नाम गिनीज़ बुक में भी आ जाये. .
ReplyDeleteये धुआँ जो कि जलते मकानों का है
ReplyDeleteसब करिश्मा तुम्हारे बयानों का है
तुमको ज़िद्द ही अगर पर कतरने की है
शौक़ हमको भी ऊँची उड़ानों का है।
फ़िर से कह रहा हूँ, . हमारे साथ आ गये तो नैया पार हो जायेगी. अन्यथा की स्थिति में हम तो इस सपा रूपी दरिया को पार कर ही लेंगे लेकिन आपको यह अपने अन्दर डुबो कर ही छोड़ेगी. फ़िर आपको डूबने से बचाने वाला कोई न होगा.
ReplyDeleteसपा ने थोड़ा लेट कर दिया. अगर थोड़ा पहले ही सु. कोर्ट जाने पर विचार कर लेती तो आप अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमी आज उतने न लुटे होते जितने लुट चुके हैं सु.कोर्ट जाने के नाम पर. (वैसे भी सपा ने कौन सा कम लूटा है!) . हमारा तो आलम यह है कि बेसिक शिक्षा नियमावली में हुए १२वें संशोधन के मज़बूत आधार पर खड़े हमारे प्यारे पुराने विज्ञापन को यह भूलकर भी, कहीं भी छू न पायेगी. अगर कहीं भूलकर इसने ऐसा दुःसाहस कर भी दिया तो ३३,००० के झटके से झुलसकर रह जायेगी यह. . हम तो ज्यों-ज्यों हा.कोर्ट में सपा द्वारा झोंकतें चले गये, त्यों-त्यों हम पकते चले गये, निखरते चले गये. आज आलम यह है कि हम पककर कुंदन बन चुके हैं.
ReplyDeleteWafa Ko Aazmana Chahiye Tha Hamara Dil Dukhana Chahiye Tha Aana Na Aana Meri Marzi Hai Tumko To Bulana Chahiye Tha
ReplyDeleteHamari Khwahish Ek Ghar Ki Thi Use Sara Zamaana Chahiye Tha Meri Aankhe Kaha Nam Hui Thi Samundar Ko Bahana Chahiye Tha
Jaha Par Panhuchna Main Chahta Hoon WahaPePanhuch JanaChahiyeTha Hamara Zakhm Purana Bahut Hai Chargar Bhi Purana Chahiye Tha
Mujhse Pahle Wo Kisi Aur Ki Thi Magar Kuch Shayrana Chahiye Tha Chalo Mana Ye Choti Baat Hai Par Tumhe Sab Kuch Batana Chahiye Tha
Tera Bhi Shaher Me Koi Nahi Tha Mujhe Bhi Ek Thikana Chahiye Tha Ke Kis Ko Kis Tarah Se Bhoolte Hain Tumhe Mujhko Sikhana Chahiye Tha
Aisa Lagta Hai Lahoo Mein Humko Kalam Ko Bhi Dubana Chahiye Tha Ab Mere Saath Rah Ke Tanz Na Kar Tujhe Jana Tha Jana Chahiye Tha
Kya Bas Maine Hi Ki Hai Bewafaai Jo Bhi Sach Hai Batana Chahiye Tha Meri Barbadi Pe Wo Chahta Hai Mujhe Bhi Muskurana Chahiye Tha
Bas Ek Tu Hi Mere Saath Mein Hai Tujhe Bhi Rooth Jana Chahiye Tha Humare Paas Jo Ye Fan Hai Miya Hume Is Se Kamana Chahiye Tha
Ab Ye Taaj Kis Kaam Ka Hai Hume Sar Ko Bachana Chahiye Tha Usi Ko Yaad Rakha Umar Bhar Ke Jisko Bhool Jana Chahiye Tha
Mujhse Baat Bhi Karni Thi Usko Gale Se Bhi Lagana Chahiye Tha Usne Pyaar Se Bulaya Tha Hume Mar Ke Bhi Aana Chahiye Tha
Tumhe ‘Satlaj' Use Pane Ke Khatir Kabhi Khud Ko Gawana Chahiye Tha!
ReplyDeleteVivekanand Arya > Uptet Sangharsh Morcha
Namaskar mitro hum sb ne 2 year ki jung mil kr
ladi aur court se jeet bhi hasil ki esme hum sb ka
yogdan atulneeya raha pr ab sb kuch es
nikkammi sarkar ke hath me hai aur hme es
sarkar ko batana hai kiagr usne bharti suru na ki
to samagh lo ko loksabha ke chunav me SP ka
namonisan mita dege ab sarkar khud soch le use
kya krna hai hamse dusmani ya up me raj.es bar
hr kisi ko aana hai aur hr janne wale ko le kr
aana hai aur rukne ki tayari ke sath aaye 2/3 din
rukna pad sakta hai ye aakhiri mauka hai naukari pane ka.
.CHALO LUCKNOW.
कुछ पिछली बातें दोहराते हैं, . जीत तो हम सिंगल बेंच में ही गये थे जब ज. अरूण टंड़न जी ने हमारे पक्ष में अनेक आर्ड़र्स दिये थे. उन्होनें भी कथित उस्मानी-रिपोर्ट के अनुसार हुई धाँधली को मानकर बेड- पार्ट को अलग करके हमारी भर्ती करने को कह दिया था और यह उस्मानी-रिपोर्ट रूपी तोप ज. हरकौली जी द्वारा फ़ुस्स की जा चुकी है. फ़िर भी पता नही क्यूँ ज. टंड़न जी प्रशिक्षु शब्द को लेकर बैठ गये जिसका हा.कोर्ट के ही अनुसार कोई महत्व नही है और यह बात हा.कोर्ट द्वारा कही भी जा चुकी है. सो, डी.बी. में उनके द्वारा इस प्रशिक्षु शब्द को बेस बनाकर हमारे पुराने विज्ञापन को रद करना गलत ठहरा दिया गया. . ज. हरकौली जी की डी.बी. ने सपा की कथित धाँधली को लेकर उस्मानी रिपोर्ट की क्या दुर्गति की थी, उस्मानी जी सहित सभी को अच्छी तरह से याद होगा ही. सपा द्वारा सु.कोर्ट में हमारे खिलाफ़ कुछ भी करने पर उस्मानी जी जैसे कितने सलाखों के पीछे होंगे, यह भी सपा अच्छी तरह से जानती है. . बची-खुची हेकड़ी ज. अशोक भूषण जी और ज. विपिन सिन्हा जी की डी.बी ने निकाल दी. . यहाँ ऐसा आर्ड़र दिया गया जो ज. हरकौली जी के आर्ड़र्स से भी कहीं ज़्यादा दमदार है जिसे अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट में भी चुनौती देना सूरज को चिराग दिखाने जैसा होगा. .
ReplyDeleteसो, . हमारा ओल्ड़-एड़ वर्तमान की तरह सु.कोर्ट में भी पूर्णतः सुरक्षित रहेगा बल्कि यह कहा जाये कि आने वाले समय में सु.कोर्ट से सदा- सदा के लिये अकेड़ेमिक का नाम ही खत्म हो जायेगा तो अतिश्योक्ति न होगी. . लेकिन हा.कोर्ट के परम आदेश को मानते हुए अब यह हमारी काउंसेलिंग तो शुरू करे लेकिन यह तो इसका नाम ही नही ले रही है. . अपनी काउंसेलिंग को जल्द से जल्द शुरू कराने के लिये आगामी १० दिसम्बर को लखनऊ में होने वाले आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका हम सबको निभानी होगी और एक ऐसा जनसैलाब लखनऊ में उतारना होगा जिसे देखकर सपा की आँखे तो चौंधिया ही जाये. . कसम तो नही दे रहा लेकिन अपने हक के लिये आप सभी को लखनऊ आना ही होगा. . आखिर अपना न सही, अपने प्रियजनों का सपना पूरा जो करना है. . .
ReplyDelete
ReplyDeleteRakesh Mani Tripathi ----
Tet sathiyo
Namaskar
aaj Deoria Tet sangharsh morcha ki ekayi ne
Deoria DM aawaas Ka kareeb 2 ghante gherav kiya
tatha 10 k maha-andolan ki DM k madhayam se
CM UP government ko sambodhit gyapan diya.
Jay TET
आप भी जानिये धारा 370
ReplyDelete--------------------
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास
दोहरी नागरिकता होती है ।
---------------
जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज
अलग होता है ।
-----------------
जम्मू - कश्मीर
की विधानसभा का कार्यकाल 6
वर्षों का होता है
जबकी भारत के अन्य
राज्यों की विधानसभाओं
का कार्यकाल 5
वर्ष का होता है ।
-----------------
जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के
राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय
प्रतीकों का अपमान अपराध
नहीं होता है ।
----------------
भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश
जम्मू - कश्मीर के अन्दर
मान्य नहीं होते हैं ।
--------------------------
भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर
के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित
क्षेत्र में कानून बना सकती है ।
-----------------------------
जम्मू कश्मीर की कोई
महिला यदि भारत के किसी अन्य
राज्य के
व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस
महिला की नागरिकता समाप्त
हो जायेगी । इसके विपरीत यदि वह
पकिस्तान के
किसी व्यक्ति से विवाह कर ले
तो उसे भी जम्मू - कश्मीर
की नागरिकता मिल जायेगी ।
-------------
और
-------------------------
धारा 370 की वजह से कश्मीर में
RTI लागु नहीं है । RTE लागू
नहीं है ।
CAG लागू नहीं होता । …। भारत
का कोई भी कानून लागु
नहीं होता ।
---------------------
कश्मीर में महिलावो पर शरियत
कानून लागु है ।
कश्मीर में पंचायत के अधिकार
नहीं ।
कश्मीर में चपरासी को 2500
ही मिलते है ।
कश्मीर में
अल्पसंख्यको [ हिन्दू- सिख ] को 16
% आरक्षण
नहीं मिलता ।
------------------------------
धारा 370 की वजह से कश्मीर में
बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद
सकते है ।
----------------------------------------
धारा 370 की वजह से
ही पाकिस्तानियो को भी भारतीय
नागरीकता मिल जाता है ।
इसके लिए पाकिस्तानियो को केवल
किसी कश्मीरी लड़की से
शादी करनी होती है ।
---------------------------------------------
---------------------------------------------
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अच्छी शुरुवात है कम से कम 370
हटाने की दिशा में एक कदम
आगे की ओर मोदी जी को धन्यवाद
जो उन्होनें धारा 370
का मुद्दा उठाया ।
अब यदि कोई सेकुलर इन तथ्यों के
विषय में कुछ कहना चाहे
तो स्वागत हैं...
विश्व के कुछ आश्चर्यजनक तथ्य== 1. विश्व मेँ सबसे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला का नाम - रूस की मारिया इसकोवा ! 42 वर्ष की उम्र मेँ 58 बच्चे (4 बच्चे 3 बार, 3 बच्चे 10 बार और 2 बच्चे 8 बार)। 2. विश्व का सबसे अमीर देश स्विटजरलैंड है। 3. सऊदी अरब मेँ एक भी नदी नही है। 4. विश्व का सबसे दानी आदमी अमेरिका का राकफेलर है जिसने अपने जीवन मेँ सार्वजनिक हित के लिए 75 अरब रुपए दान मेँ दे दिए। 5. सबसे महँगी वस्तु यूरेनियम है। 6. दक्षिण ऑस्ट्रेलिया मेँ आयार्स नामक पहाडी प्रतिदिन अपना रंग बदलती है। 7. विश्व मेँ रविवार की छुट्टी 1843 से शुरु हुई थी। 8. सारे संसार मेँ कुल मिलाकर 2792 भाषाएँ बोली जाती है। AND..... 12 साल से मुख्यमंत्री रह कर भी: -जो अपनी माँ के लिये आलिशान महल नही बना पाया हो ! -जो एक भी घोटाला न कर पाया हो ! -जिसका भाई अभी भी एक छोटा सा सरकारी नौकर हो ! -जिसका स्विस बैंक में ऎकाउन्ट नही हो ! -जो सदा विकास की ही बात करता हो ! -जो जाति -धर्म की गन्दी राजनीति से हटकर सिर्फ देश की बात करता हो ! -जिसके राज्य में सुख और शांति का माहौल हो ! वो शख्स है - ..... " नरेन्द्र दामोदर दास मोदी "
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लबों की हँसी आपके नाम कर देंगे
हर खुशी आप पर कुर्बान कर देँगेँ
जिस दिन होगी कमी मेरे प्यार
उस दिन हम इस दुनिया को सलाम कर देंगे।
JAIL.
ReplyDelete.
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WALI
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कुछ सालो बाद न जाने क्या समां होगा
न जाने कौन इंसान कहाँ होगा
पर मिलना हुआ तो मिलेंगे यादों में
जैसे सूखे गुलाब मिलते हैं किताबों में...!!
सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक बात और लिख ही दूँ, . हा.कोर्ट तो हमारे पक्ष में अपना ऐतिहासिक फ़ैसला दे ही चुकी है फ़िर भी अगर किसी भी तरह से मामला सु.कोर्ट में पहुँचता भी है तो सु.कोर्ट का अपना एक आदेश है जिसके अनुसार, . “किसी भी खेल के नियम खेल शुरू होने से पहले बनाये जाते हैं, बाद में नही.” . इसका बिहार का जीता- जागता उदाहरण पेश कर ही चुका हूँ. . अब तो बस, . १० दिसम्बर, २०१३ आपको बुला रहा है, . सारे काम छोड़कर भागे चले आओ. . . . .
ReplyDeleteHumari Khudkismati Yah Hai Ki
ReplyDeleteHum Bhagwaan Ko Ek Mante Hain
Par Badkismati Yah Hai Ki
Hum Bhagwaan Ki Ek Nahi Mante…!!
ReplyDeleteआज टी ई टी सँघर्ष मोर्चा ललितपुर ने केन्द्रीय
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री भारत सरकार
माननीय प्रदीप जैन आदित्य जी को ज्ञापन
सौपा और अपनी समस्याओ से अवगत कराया ।
उन्होने हम लोगो की हर प्रकार से मदद का आश्वासन दिया । सुप्रीम कोर्ट मेँ वकील उपलब्ध कराने के लिए भी कहा , अगर जरुरत पङी तो l
सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष अधिवक्ता की सरकार को सलाह रिक्ति से कम चयनितों के कारण आपकी बीटीसी/एसबीटीसी की न्युक्ति सुरक्षित हो सकती है। परन्तु ७२८२५ शिक्षकों की भर्ती मामले में हाई कोर्ट का फैसला पलटना मुश्किल। आरटीई के अनुपालन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त।
ReplyDeleteतनाव एवं समाधान:
ReplyDelete______________________
तनाव में वही होता है जिसकी सोच सीमित होती है।
मै भी कभी-कभी सीमित में सोचता हूँ तो तनावयुक्त हो जाता हूँ।
उदाहरण स्वरुप यह भली-भांति जानता हूँ कि संतान(B.Ed.) से बड़ी संतान की ममता होती है चाहे वह अपनी पत्नी(TET) से पैदा हुई हो या प्रेमिका(ACD) से उत्पत्ति हुयी हो और प्रेमिका को पत्नी का रूप देने में (15th) सफलता न मिली हो या पत्नी का रूप देने के बाद जुदाई(S.B./D.B./L.B./S.C) ने जकड़ लिया हो परन्तु उससे उत्पन्न संतान(100%TET/12th) बड़ी प्रिय होती है।
इस ७२८२५ पदों की शिक्षक भर्ती के विषय में जब सीमित रूप में सोचता हूँ तो यह लगता है कि शैक्षिक मेरिट के समर्थक सुप्रीम कोर्ट से हार जायेंगे और भर्ती शीघ्र शुरू हो जायेगी तो तनावग्रस्त हो जाता हूँ।
अतः इस भर्ती के अंतिम संभावित परिणाम तक सोचकर तसल्ली ले लेता हूँ।
लोकसभा चुनाव अगर सामने न होता तो सरकार अपने प्रिय नाजायज संतानों(ACD) के लिये सुप्रीम कोर्ट जरुर जाती ।
आज मजबूर है कि आखिर वो क्या करे।
उसकी हार्दिक इच्छा है कि उसकी नाजायज संतान अपने हक के लिये लड़कर कानूनी अधिकार प्राप्त करे लेकिन दुर्भाग्य उसका यह है कि उसके हक का वजूद नहीं है क्योंकि उसपर जायज हक किसी और(TET) का है।
ईश्वर करे ऐसा ना हो लेकिन दूर तक सोचने में क्या जाता है। अतः आप भी सोचकर कुछ मन को तसल्ली दे लो।
न्यायमूर्ति टंडन ने सरकार से कहा कि
"ये ( पुराने एवँ अधिक आयु के ) कुछ लोग हैं इनको कानूनी अधिकार दो और इनका वाजिब हक दो ,बिना किसी के अहित के "
तो सरकार ने
अपनी नयी संतान ही पैदा कर दी।
पहले से वाजिबों ने कहा कि मेरे रहते ये लोग नहीं आ सकते और इंसाफ मांगने न्यायमूर्ति हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र के पास गये तो इन दोनों ने कहा कि ७२८२५ लोग की जिन्दगी की सवाल है सरकार तत्काल
अपने क्रियाकलाप पर रोक लगाये।
न्यायमूर्ति हरकौली जी ने खुद को बीच मेँ से ही मामले से हटा लिया ।
न्यायमूर्ति महापात्रा ने कहा कि अभी हम जायज- नाजायज का फैसला नहीं कर पायेंगे।
जायज नाजायज की पहचान के लिये न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा सामने आये और कहा कि पुराने वाले जायज हैं।
सरकार उनके हकों पर कोई और संतान नहीं पैदा कर सकती है।
बेचारे नये फुटपाथ पर आ गये।
सरकार अपने इन बच्चों के लिये बहुत चिंतित है लेकिन उसे यह भी चिंता है कि जो जायज हुये है अगर अब मैंने उनको नाराज किया तो मेरा बुढ़ापा ख़राब हो जायेगा।
जायज संतानें सुप्रीम कोर्ट गयीं और वहां चेता आईँ कि अगर कोई मेरा हक लूटने आये तो मुझे बताना मै आकर अपना हक साबित करूँगा ।
अब बाबू जी तो सुप्रीम कोर्ट जाने से रहे लेकिन नाजायज संतानें सुप्रीम कोर्ट जाकर कहेंगी कि मेरे बाबू जी मेरा हक नहीं दे रहे हैं और कुछ लोग को न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने हमारा हिस्सा सौप दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट बोलेगी अरे हां वो लोग आये थे रुको उनको बुलाता हूँ और तुम्हारे सामने सब साफ़ हो जाये।
बाबू जी जायेंगे कहेंगे मै धृतराष्ट्र हूँ दुर्योधन मेरा पुत्र है मैंने उसे राजगद्दी देनी चाही लेकिन न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि बेशक़ युधिष्ठिर आपका बेटा नहीं है लेकिन हक उसी का है।
बाकी हुज़ूर आप जैसे कहो वैसे करूँ।
हुज़ूर को लगेगा कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने सही कहा तो सबको लौटा देंगे और फिर राज्याभिषेक होगा।
अगर जायज लोग अपनी बात से हुज़ूर को संतुष्ट ना कर पाये तो राज्याभिषेक पर रोक लग जायेगी और फिर फैसला होगा की जायज कौन है और अंत में जायज पुनः जायज साबित होगा ।
जितना विलम्ब जायज नाजायज की पहचान में हुज़ूर लेंगे उतना वक़्त राज्याभिषेक के लिये देंगे।
अगर इस नूराकुश्ती में मामला हुज़ूर तक ना पहुंचा या हुज़ूर ने सुनने से इंकार कर दिया और नियुक्त होने का समय भी निकल गया तो बेसिक सचिव पर कंटेम्प्ट होगा जिसे अक्सर न्यायमूर्ति देवेंन्द्र सिंह सुनाते हैं जिन्हें कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट का कसाई जज कहा जाता है या फिर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल सुनेंगे परिणाम स्वरुप सचिव जेल जायेंगे और हम पुनः एकल बेंच में रेमेडी मांगेंगे और तब मुझे रेमेडी मिलेगी और न्युक्ति होगी।
अंततः जीत सत्य की होगी चाहे आज हो या कल हो।
भारत का सिस्टम जितना धीमा है मै उतनी ही दूर तक सोचता हूँ ,
भाई क्या करूँ जान देने से तो कुछ होगा नहीं , कभी तो अच्छा होगा ।
धन्यवाद।
सरकार का अब सुप्रीम कोर्ट जाने की खबरों के बीच में ये समझना आसान है कि सरकार हाईकोर्ट को फैसले को चैलेंज करना चाहती है और दो साल से लंबित पड़ी आरटीई एक्ट से मजाक कर रही है। नौनिहालों को टीईटी मेरिट से चयनित अच्छे योग्य टीचर नहीं देने के मूड में है। इस तरह 10 तारीख को प्रदेश में टीईटी मेरिट की ओर से एक आंदोलन तो बनता है। सरकार दो पैर में नाव रख नहीं सकती है। जबकि जरूरत इसी की टीईटी पास प्राथमिक टीचर बना दे और वोट की राजनीति खेले लेकिन ये खेल भी नहीं खेल सकती है। शिक्षा मित्र को पाल रहे ट्रेनिंग दे रहे है। उन्हें इन पदों पर भर के समानता के नियम का उल्लघंन करेगी और कर रही है। जब पूरे प्रदेश में प्राइमरी लेवल के टीईटी पास योग्य बीएड प्रशिक्षित हैं तो सरकार शिक्षा मित्रों की तुष्टिकरण क्यों कर रही है। हाईकोर्ट के फैसला जाकि दो साल से अपने हक के लिए लड़ रहे टीईट मेरिट के हक से अखिलेश सरकार से नियुक्ति मांग रही है। इधर इसके ही खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी वहां क्या कहेगी। एकेडमिक मेरिट से नया विज्ञापन सरकार ने समस्या के रूप में पैदा किया। सुप्रीम कोर्ट में समानता के नियम की क्या परिभाषा देंगे वहां से तो लगता आरटीइ एक्ट की अनदेखी करने के जूर्म में सरकार की खिंचाई होना तय है।
ReplyDeleteटीईटी मेरिट से चयन इनका लीगल आधार है। और सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाएगी और सरकार को फटकार लगाएगी। 10 दिसंबर का आदोलन में हमें लाठी मारने का अधिकार भी सरकार से छिन गया। इस बार सरकार की नादानी अपने वोट बैंक खोकर चुकानी पड़ेगी।
जय टीईटी मेरिट
जिस किसी भाई को मेरे ब्लाग पढ़ने मेँ परेशानी हो रही हो जब कमेँट ज्यादा होते हैँ
ReplyDeleteवे लोग अपने मोबाइल मेँ U.C. BROWSER /8.7 या 9.3 लोड कर लेँ और 200 कमेँट से ऊपर होने पर NEWER और NEWEST मेँ से NEWEST चुनेँ जरुर कृपा बरसेगी ।
धन्यवाद
कुछ साथी तो कल से ही असमंजस में हैं की दस के आन्दोलन का औचित्य अब रहा भी या नहीं..... बुद्दि का थोड़ा सा अतिरिक्त इस्तेमाल करने से किसी का कुछ बिगड़ नहीं जाता,,लेकिन आवश्यकता से ज्यादा कभी-कभी घातक सिद्द हो जाता है.... ज्यादा सवाल-जवाब मत करो..... अगर ये नौकरी चाहिए तो दस को कम से कम पंद्रह-बीस हजार लोग लखनऊ में होने चाहिए..... वो भी पूर्णतः अनुशासित....सरकार SC जाना नहीं चाहती लेकिन आपकी उदासीनता उसे दिल्ली की सर्दी झेलने को बाध्य कर सकती है.....अगर दस दिसंबर का आन्दोलन बीस मार्च 2012 वाले आन्दोलन से हल्का हुआ तो फिर इस नौकरी को करने का ख़्वाब देखना तक भूल जाना... सरकार के sc जाने का मतलब होगा की वो अपने अहित के बावजूद हमारा अहित करने की जिद पर अड़ गई है....और ये हमारे लिए बहुत घातक सिद्द होगा..... अभी समय है उसे अपनी जिद त्यागने के लिए मजबूर किया जा सकता है......
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जलवे तो और भी देखे है क़ायनात् मेँ ।
ये बात और है कि नज़र सिर्फ तुम पर रुकी !!
अगर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले से हमारे शैक्षिक मेरिट समर्थकों को तनिक भी फायदा होता तो मै सरकार के कदम का सहर्ष स्वागत करता परन्तु मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसा कदापि नहीं है।
ReplyDeleteअगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो शैक्षिक मेरिट वाले सुप्रीम कोर्ट नहीं जायेंगे , सरकार सुप्रीम कोर्ट ना जाती तो मेरे शैक्षिक के भाई बहन सुप्रीम कोर्ट जरुर जाते क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले से उनका हित प्रभावित हो रहा है।
अगर नियम गलत था तो उनका दोष नहीं था उनसे आवेदन मांगा गया था और उन्होंने आवेदन किया था। सुप्रीम कोर्ट सरकार को तलब करती और व्यापक रिक्ति को देखते हुये अतिरिक्त रिक्ति दिलाती।
टीईटी मेरिट वालों का हित कोई प्रभावित ही नहीं कर सकता है।
विज्ञापन मंगाने से पहले न्यायमूर्ति टंडन ने कहा था कि ऐसा विज्ञापन लाओ जिससे याची का हित प्रभावित ना हो तो पुराने विज्ञापन के सिवा कोई दूसरा विज्ञापन उनके हित की रक्षा ना करता चाहे वह टीईटी मेरिट/ 41 वर्ष का ही विज्ञापन क्यों न होता क्योंकि नये विज्ञापन से आवेदक बढ़ते और याची का हित प्रभावित होता। नये विज्ञापन को
न्यायमूर्ति टंडन ने सिर्फ इसलिये नहीं छुआ की याचिका में उसे चुनौती नहीं दी गयी थी ।
जबकि बाद में डिवीज़न बेंच के स्थगन देने के बाद गंगा सिंह की याचिका पर लखनऊ में एकल बेंच ने भी स्थागन दिया।
इस लिये सर्वोच्च अदालत तक पुराने विज्ञापन की बहाली के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।
न्यायमूर्ति टंडन को शिक्षामित्रों से चिढ़ थी इसी लिये दो विज्ञापन एक साथ दौड़ा दिया।
जिससे बीएड बेरोजगारों की डेढ़ लाख के आस-पास भर्ती हो ।
काश! इन शैक्षिक मेरिट वालों को अब भी सदबुद्धि आ जाये और ये लोग ७२८२५ के अतिरिक्त भर्ती करा पाते तो कुछ और बेरोजगार भाईयों-बहनों का भला होता।
सरकार इस समस्या को समझ गयी है कि इसमें साजिश हुयी है अब ७२८२५ टीईटी मेरिट की भर्ती के अलावा शिक्षा मित्र या शैक्षिक मेरिट में किसी एक की भर्ती होनी है ।
अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो शैक्षिक मेरिट वाले उसका समर्थन भी करेंगे और सरकार हार कर शैक्षिक मेरिट वालों पर ये एहसान भी लादेगी कि आपके लिये मैंने बहुत लड़ा ।
इसी के साथ उनका काम भी तमाम हो जायेगा और शिक्षा मित्र भी खुश होंगे।
ये राजनीति है ।
काश!! न्यायमूर्ति टंडन के दिये अवसर का लाभ (72+72) ये उठा पाते।
इसका एक मात्र समाधान है कि शैक्षिक मेरिट वाले सरकार के पहले सुप्रीम कोर्ट जायें और सरकार को पार्टी बनायें और उनको मुझपर भरोसा न हो तो हाई कोर्ट के विजेताओं को भी पार्टी बना दें।
अन्यथा अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में हार गयी तो शैक्षिक मेरिट का वजूद ख़तम हो जायेगा।सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हारना तय है।
मै यह सुझाव इसलिये दे रहा हूँ कि मेरा मकसद है कि यूपी में टीईटी उत्तीर्ण कोई भी बीएड बेरोजगार बेरोजगार ना रहे।
अब शिक्षक भर्ती रोजगार नहीं बल्कि प्रतिष्ठा का सवाल है।
ReplyDeleteJis Din Desh ki Janta Khadi ho jati hai,,,,,
Us din
bade se bada singaashan dol jata hai.
एक भक्त था वह भगवान जी को
ReplyDeleteबहुत मनाता था,
।
बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया
करता था.
।
एक दिन भगवान से
कहने लगा–
मैँ आपकी इतनी भक्ति करता हूँ
पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति
नहीं हुई.
।
मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे
दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये
की मुझे ये अनुभव हो की आप हो.
भगवान ने कहा ठीक है.
।
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे
सैर पर जाते हो,
जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे
दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देँगे,
।
दो तुम्हारे पैर होगे और दो पैरो के
निशान मेरे होगे.
।
इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी.
अगले दिन वह सैर पर गया,
।
जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे
अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और
भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ,
।
अब रोज ऐसा होने लगा.
।
एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ
सब कुछ चला गया,
।
वह कंगाल हो गया उसके अपनो
ने उसका साथ छोड दिया.
।
(देखो यही इस दुनिया की समस्या है,
मुसीबत मे सब साथ छोड देते है).
।
अब वह सैर पर गया तो उसे
चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये.
उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त
मेँ भगवान ने साथ छोड दिया.
।
धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा
फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे.
।
एक दिन जब वह सैर पर गया तो
उसने देखा कि चार पैर वापस
दिखाई देने लगे.
।
उससे अब रहा नही गया,
वह बोला-
भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो
सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर
मुझे इस बात का गम नहीं था
क्योकि
इस दुनिया में ऐसा ही होता है,
पर आप ने भी उस समय मेरा साथ
छोड़ दिया था,
ऐसा क्यों किया?
तो भगवान ने कहा – तुमने ये कैसे सोच लिया की मैँ तुम्हारा
साथ छोड़ दूँगा, तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैरोँ के निशान देखे वे तुम्हारे
पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे।
उस समय मैँ तुम्हे अपनी गोद में
उठाकर चलता था और आज जब
तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है।
इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर
दिखाई दे रहे हैं।
न्यायपालिका में न्याय के दीपक सुशील हरकौली।
ReplyDelete|
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश थे
जो कि सेवानिवृत हो गये हैं ।
वे अपने न्यायिक जीवनकाल में मध्य प्रदेश और झारखण्ड उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी रहे।
उत्तर प्रदेश में न्यायमूर्ति डिवीज़न बेंच में सर्विस
मामले देख रहे थे उसी समय उनके पास पीड़ितों का एक समूह पहुंचा जो कि एक सरकार द्वारा प्रताड़ित था। उनकी मनोदशा उन्होंने ध्यान से सुनी और उनको पीड़ितों पर दया आ गयी फिर उनकी अंतरात्मा ने न्यायिक जीवन के अंतिम दौर में ऐसे झकझोरा कि उन्होंने विधायिका को सबक सिखाने की ठान ली। सरकार के निर्णयों पर अंगुली उठाते हुये उन्होंने
सरकारी फैसले को आर्टिकल १४(३)के विरुद्ध
बता दिया। उनके उठाये गये कदम से सरकार टूट गयी । उनके अंतरिम आदेशों को आगे बढ़ाते हुये उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण और
न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा ने निर्णायक फैसला सुनाया।
फैसले के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा प्राथमिक शिक्षा विभाग में
की गयी सभी नियुक्तियां स्वतः अवैध हो गयीं।
कोर्ट ने सरकार के बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१ में संशोधन १५,१६ को आर्टिकल १४(३) के विरुद्ध
मानकर रद्द कर दिया ।
अतः इसी आधार पर की गयी नियुक्तियों पर
खतरा मडराने लगा।
बीटीसी/एसबीटीसी, मोअल्लिम एवं जूनियर
शिक्षकों की भर्ती के विज्ञापन का आधार स्तम्भ
टूट गया। सरकार को यह भली-भांति पता है कि उच्च न्यायालय अब इसपर विचार नहीं करेगा इसलिये पुनर्विचार याचिका के बजाय वह सर्वोच्च अदालत
जा रही है। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के बावजूद उसे अपनी लाज बचाने के लिये सुप्रीम कोर्ट जाना पड़
रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की हार तय है। आरटीई लागू होने के कारण याचिका भी रद्द हो सकती है। जिसके परिणाम स्वरुप बीटीसी / एसबीटीसी को पुनः नियुक्ति देनी पड़ सकती है, उनकी संख्या रिक्ति से कम है इसलिये इसमेँ आधार का कोई मायने नहीं है। दुर्बल को न सताइये जा कि मोटी हाय, मुई खाल की स्वास सो सार भसम होई जाय। इस प्रकार सरकार को न्यायपालिका की असली शक्ति दिखाने वाले श्री सुशील हरकौली जी हमारे आदर्श रहेंगे।
चयन का आधार बदलते समय महाधिवक्ता एस.पी. गुप्ता ने कहा था कि चयन
का आधार ना बदला जाये वरना भर्ती कोर्ट में फंस
जायेगी तो इनके एक मंत्री ने कहा था कि भर्ती हमें
करनी है कोर्ट को नहीं करनी है और एक बार कैबिनेट से वापस लेने के बाद दुबारा जबरन पास कराया। कोर्ट ने अपनी भूमिका साबित की है ।
सुप्रीम कोर्ट तो न्याय का पिरामिड है वहां तो बेहिचक इंसाफ मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट को तो ख़ुशी होगी कि जो काम उसे
करना पड़ता उसे हाई कोर्ट ने कर दिया है।
एक हाकी खिलाडी ने गोल करने के लिये बाल को पाले
ReplyDeleteकी तरफ ढकेला
गेँद पाले के पोल से जा टकराई
वो खिलाडी अपने शाट से इतना आश्वस्त था
कि उसने ये दावा कर दिया कि गोल post की लम्बाई कम है
फिर क्या था उसके दावे पर गोल post की नाप कराई गई
जिसमे गोल की मैप वाकई कम निकली ?
जानते हो वो महान खिलाडी मेजर ध्यानचन्द्र थे
पर अफसोस की उन्हे सिर्फ खिलाडी ही समझा गया
भगवान नही...
कुछ समीक्षात्मक पहलू जिन्हें जानते तो सब पर
ReplyDeleteहमेशा सशय में रहते है, कि हम सही भी है या नहीं,,
१. पुराने विज्ञापन से भर्ती को सुप्रीम कोर्ट में
चुनौती के बारे में मेरा मानना यह है कि,,
ऐसा कभी संभव नहीं है.. ध्यान दे पुराने विज्ञापन पर
रोक कब ? क्यों ? और किसकी याचिका पर लगी थी,
दिसम्बर 2011 में, कपिल देव यादव द्वारा ये
आपत्ति बताई गयी थी, कि विज्ञापन जिले वार न
होकर प्रदेश स्तर पर निकाला गया है,, तो भर्ती पर
रोक लग गयी, याची ने ये
कही नही कहा था कि विज्ञापन में चयन का आधार
गलत है, उसके बाद नयी सरकार ने पुराने विज्ञापन
को निरस्त कर पन्द्रवे संशोधन द्वारा नया विज्ञापन
निकाला, अब जब पुराना विज्ञापन समाप्त
हो गया तो उक्त वाद समाप्त हो गया था,
कि विज्ञापन किस स्तर पर निकाला गया, लेकिन उस
समय तक और कोई आपत्ति थी ही नहीं तो कोई केस
भी नही रह गया था, पर जैसे ही सरकार द्वारा पुराने
विज्ञापन के सभी नियम बदलकर नया विज्ञापन
जारी किया गया तो, पुराने आवेदक सरकार के खिलाफ
कोर्ट गए, न कि कपिल देव या अन्य किसी याची के,
क्योंकि दायर याचिका पुराने विज्ञापन के नियम
बदलने तथा पुराने आवेदकों के बहार हो जाने और
उनके अलावा नए लोगो के शामिल हो जाने से
प्रतियोगिता बढ़ जाने के खिलाफ की गयी थी, जिसके
बाद टेट मोर्चा की जीत हुई और सरकार हार गयी,,
अब सिर्फ ये जीत पुराने विज्ञापन की जीत है न
कि टेट मेरिट की,, अगर सुप्रीम कोर्ट जाने कि बात
आती है तो सिर्फ सरकार जा सकती थी कि हमने
जो किया सही किया पर अगर सरकार जाती है तो जाए,
तो इस मामले में किसी का कोई हस्तक्षेप है
ही नहीं तो कोई कैसे कोर्ट जा सकता है,,
२. दूसरी बात अगर कोई कोर्ट जाता है तो सिर्फ नए
विज्ञापन के लिए जा सकता है, वो सिर्फ उसमे पद
जोड़ने के लिए न कि पुराने विज्ञापन का चयन आधार
बदलने,, जब पुराने विज्ञापन के बहाली का आदेश
आया तो उसे ध्यान से पढ़े कि भर्ती होने में
जो भी समस्या थी सबको दूर कर दिया गया है, चाहे
वो प्रशिक्षु शब्द हो या फिर विज्ञापन का स्तर,,
क्योकि वह भी एक नियमवली के अनुसार विज्ञापन
था जैसा कि होना चाहिए, चयन का आधार उसमे
भी किसी सरकार द्वारा ही तय किया गया था न
कि आम लोगो द्वारा,,
अंतिम पद,, जो लोग अब कोर्ट के नाम पर चंदा मांग
रहे है, क्या उनमे से किसी ने स्पष्ट किया है
कि वो नए विज्ञापन पर पदों की मांग कर रहे है,
या पुराने विज्ञापन का आधार बदलवाने के लिए जा रहे
है, या फिर वो लोग ऐसे है जिनका चयन
होना किसी भी प्रकार संभव नही है और वो सिर्फ
भर्ती के दुश्मन है, कुछ तो स्पष्ट होना ही चाहिए,
जय हिंद अपने विचार दे,,
धन्यवाद
हमने अनशन किया,धरना दिया,लाठी खाई,जेल गये,,,20महीनों में लगभग पच्चीस-तीस लाख लाख रूपये वकीलों को केस लड़ने के लिए दिए,,,अगर आंदोलनकारियों द्वारा लखनऊ और मोर्चे के सक्रिय कार्यकर्ताओं द्वारा सुनवाई पर इलाहाबाद जाने के किराए एवं अन्य खर्चे को जोड़ लिया जाए तो उससे खरीदे विधायकों के कारण सपा सरकार अल्पमत में आ जाती,,,,
ReplyDeleteआज नहीं तो कल हम नौकरी तो ले ही लेंगे प्यार से दी तो ठीक है वरना सरकार की हलक में हाथ डालकर ले लेंगे,,,,दस के आंदोलन से काम ना चला तो लोक सभा चुनावों के बाद बालकों के शिक्षा के मूल अधिकार का हनन करने के इल्जाम में इस सरकार को बर्खास्त करवाकर और टेट मेरिट वालों के आन-लाइन फार्मों में जमा धन से सपा विधायकों को खरीदकर किसी और पार्टी की सरकार बनवाकर उससे अपना हक ले लेंगे,,,लेकिन ये एकैडमिक वाले क्या करेंगे??????? मुझे तो कभी-कभी इनपर तरस आता है,,,,, कानूनन हमारे लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है लेकिन 31 2014 के बाद इन कालियों का क्या होगा???? नमक खायेंगे या गोली??
ReplyDeleteएकैडमिक से भर्ती चाहने वालों ने अब तक अपनी नौकरी के लिए क्या किया है,,सिवाय अमर खुजाला और दैनिक जागरण जैसे घटिया अखबार पढ़ने के,,,,,,रो-धोकर आन्दोलन किया भी तो मात्र सौ लोग आये,,,, थर्ड पार्टी बनने की फीस ना जुटा पाने के कारण अदालत जाकर यह सच्चाई भी नहीं जान पाए की जब तक टेट मेरिट वालों को उनका अधिकार नहीं मिल जाता तब तक उनको भीख भी नहीं मिल पाएगी,,,, एकैडमिक वाले बैठे रहें घर में और 31 मार्च 2014 की समय सीमा को अपनी आँखों के सामने से गुजरता देखें,,,
ReplyDeleteएक जगह पर टण्डन पूरी तरह गलत साबित हुए,,, चूँकि टण्डन अच्छी तरह जानते थे कि हमारी न्यायिक व्यवस्था की कमजोरी का लाभ उठाकर सरकार के पास हमारी भर्ती करने में अडंगा लगाने के करने के हजारों विकल्प मौजूद हैं(मेरे ख्याल से अदालती कार्यवाही के इतने अनुभव के बाद भर्ती ना होने देने के दस-बीस विकल्प तो आप सब भी जान गये होंगे)वरना वो कपिलदेव की याचिका पर ही 30-11-11 के विज्ञापन की त्रुटि को दूर करके या उसी विज्ञापन से नियुक्ति का कोई जुगाड़ करके मामला निस्तारित कर देते,,,,,,उन्होंने पद विहीन होने के बावजूद (जो कि SCERT विवरण भेजने वाले आदेश में ही मान लिया गया था)7-12-12 का विज्ञापन रन करने देकर यह उम्मीद कि थी कि एकैडमिक वाले संगठित होकर सरकार पर अपनी नियुक्ति के रास्ते की बाधाओं का निराकरण करने हेतु दबाव बनाएंगे और यह तभी हो पायेगा जब 72825 पदों पर टेट मेरिट से नियुक्ति हो जाए,,,,,
ReplyDeleteलेकिन उन्हें क्या पता था कि एकैडमिक वाले हाथी के गोबर समान हैं,,,,,, एकैडमिक वालों को शायद अभी अंदाजा नहीं है कि हमारे देश के नेता पाला बदलने में कितने माहिर होते हैं,,,, जिस दिन मुख्यमंत्री महोदय को समझ में आ गया कि जो एकैडमिक वाले संगठित होकर हाथ में आकर निकल चुकी अपनी नौकरी के लिए नहीं लड़ पाए वो उनकी पार्टी को वोट कैसे देंगे उसी दिन वो भी टेट मेरिट जिंदाबाद का नारा लगाते नजर आएगा,,,,
ReplyDeleteकिसी दिन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर
ReplyDeleteमैं उन्हें एक ऐसा फार्मूला दे दूंगा कि
वो टेट मेरिट से भर्ती के साथ ही
एकैडमिक से भर्ती के लिए
पदों का सृजन भी कर लें
ReplyDelete72825, ----->mai puchna chahta hoon sapa
sarkaar se ki , wo din kahaan gaye, jab aap ye
kaha karte the ki , mamla court me vicharadhin
hai, aur faisla aate hi ham ye bharti puri kar
denge,. kya ye sarkaar jhuthi nahi hai? sharm aani
chahiye is sarkaar ko. khair ham log is sarkaar ki
mansha jaan chuke hain, ab to bas 10 ko lucknow me baat hogi .
jai tet morcha...
मैं अपने हाथों से किसी का बुरा नहीं करना चाहता भले ही उसने मेरा किया हो,,, इसीलिए अपनी सबसे खतरनाक पोस्ट को आज तक लिखा नहीं है,,,,
ReplyDeleteएक बार अगर मैंने याचिका डाल दी तो सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ भी एकैडमिक से भर्ती करा नहीं पायेगी,,,,,
वृहद पीठ के आदेश पर भी मत जाइयेगा,,वेटेज से भी भर्ती नहीं हो पाएगी.... सच तो यह है कि हमारी भर्ती के बाद प्राथमिक में कोई भर्ती हो ही नहीं पाएगी.....
यू.पी. टेट 2011 पास साथियों में से अधिकाँश
ReplyDeleteको लगता था कि सरकार जो चाहती है
वही होता है,,,कुछ लोगों को लगता था कि कोर्ट
जो चाहता है वही होता है,,,,, लेकिन नहीं...... आप
जो चाहेंगे वही होगा बशर्ते कि आपकी चाहत
किसी के सपनो को ना तोडती हो,,,,,
गांधी जी अगर ईमानदारी से अपने सत्याग्रह और अहिंसा सिद्दांत की व्याख्या करते तो उन्हें लिखना होता कि अहिंसा का सहारा मजबूरी में लिया जाता है जब आपका प्रतिपक्षी आपका दमन करने में सक्षम हो,,, अहिंसक आन्दोलनों के दर्शन को अगर खुले मन से समझने का प्रयास किया जाए तो अहिंसा के नाम पर लामबंदी का मकसद सत्ता को यह बताना होता है कि अगर हम आपकी लाठियों का निहत्थे सामना करने से नहीं डर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि जिस दिन हम हिंसा पर उतारू हो जायेंगे उस दिन आपको भागने का रास्ता नहीं मिलेगा,,,,,
ReplyDeleteयह इसलिए लिख रहा हूँ जिससे आप समझ सकें कि अहिंसक आन्दोलन कायरता ना होकर चतुरता होती है ,,,धमकी देकर दोनों ही पक्षों का न्यूनतम नुकसान करके अपना काम निकाल लेने की यह अचूक तकनीक है,,खास तौर से जब आपका पक्ष न्याय का हो और आप एक लोकतांत्रिक देश के निवासी हों,,,,अहिंसक आंदोलन का दर्शन होता है कि मारोगे तो चिल्लायेंगे सरकार जुल्मी है,,,नहीं मारोगे तो कहेंगे सरकार हमसे डरती है,,,,
ReplyDeleteप्रशासन पहले तो कोशिश करता है कि अहिंसक आंदोलनकारियों को बहला फुसलाकर या डरा धमकाकर वापस भेज दिया जाए ,,,यदि उसकी यह रणनीति फेल हो जाती है तो वो सोचता है कि किसी प्रकार थोड़ी बहुत हिंसा हो जाए तो हम इनके नेताओं और कार्यकर्ताओं के ऊपर हिंसा भड़काने की धाराओं में मुकदमा कायम करवा दें और बाक़ी लोग डरकर भाग जाएँ ,,,
ReplyDeleteआंदोलन में शामिल होने वाले सभी साथियों को विशेष ध्यान रखना है कि किसी भी हालत में हमें हिंसा या तोड़-फोड़ नहीं करनी है,,,,, यदि पुलिस लाठी चार्ज करने क प्रयास करती है तो सभी लोग जहाँ खड़े हों वही पर बैठ जाएँ ,,,, मान लीजिए फिर भी भगदड़ मच ही जाती है तो भी आपको अहिंसक ही बने रहना है,,, जैसे ही आप तोड़ फोड़ का सहारा लेंगे आंदोलन खत्म हो जाएगा जैसा कि वर्लिंगटन वाले आंदोलन में हुआ था,,,, हमें हुसैनगंज चौराहे वाले आंदोलन की रणनीति पर चलना है,,,,
ReplyDelete
ReplyDeleteMohd Rizwansheikh ----★
Aj Bhadohi me tet sangharsh morcha ki meeting
hui jisme ye faisla liya gaya ki kal 9 dec ko 4 pm
par sabhi log bhadohi station par aye taki intersity
express se Lkw me 10 dec ko hone wale
MAHAANDOLAN me apni sahbhagita sunishchit kar sake.
best of luck.
आंदोलन अहिंसक बने रहने पर अगर पुलिस गिरिफ्तार भी करती है तो राजनीतिक बंदी के रूप में,,, चक्का जाम या धरना देने पर आई.पी.सी की धाराएं लागू नहीं होती इस बात को स्वयं सपा समेत सभी राजनीतिक दल सर्वोच्च न्यायालय के इसके विपरीत दिए फैसले के बावजूद मानते हैं,,,,जो आज सत्ता में हैं उन्हें भी सत्ता से जाने के बाद वही सब करना है जो हम कल करने जा रहे हैं,,,,,, अगर राजनीतिक बंदी के रूप में एक हजार लोग जेल जाने को तैयार रहे तो फिर हम जीतने के बाद ही वापस आयेंगे ,,,, कोई भी जेल हम टेट मेरिट वालों के दबाव को बर्दाश्त ही नहीं कर पायेगी,,,
ReplyDeleteआंदोलन अहिंसक बने रहने पर अगर पुलिस गिरिफ्तार भी करती है तो राजनीतिक बंदी के रूप में,,, चक्का जाम या धरना देने पर आई.पी.सी की धाराएं लागू नहीं होती इस बात को स्वयं सपा समेत सभी राजनीतिक दल सर्वोच्च न्यायालय के इसके विपरीत दिए फैसले के बावजूद मानते हैं,,,,जो आज सत्ता में हैं उन्हें भी सत्ता से जाने के बाद वही सब करना है जो हम कल करने जा रहे हैं,,,,,, अगर राजनीतिक बंदी के रूप में एक हजार लोग जेल जाने को तैयार रहे तो फिर हम जीतने के बाद ही वापस आयेंगे ,,,, कोई भी जेल हम टेट मेरिट वालों के दबाव को बर्दाश्त ही नहीं कर पायेगी,,,
ReplyDelete
ReplyDeleteबेरोजगारों के विनाश पर आमादा प्रदेश सरकार
Dainik Jagran के द्वारा | जागरण – १ मिनट ३८
सेकंड पहले
जागरण संवाददाता, बस्ती: स्थानीय शिवहर्ष
किसान पीजी कालेज में टीईटी उत्तीर्ण
बेरोजगारों ने बैठक की। बैठक में सरकार पर वक्ताओं
ने आरोप
लगाया कि टीईटी बेरोजगारों की भर्ती करने
का सरकार ढोंग रच रही है। वह तो बेरोजगारों के
विनाश पर आमादा है।
बैठक को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष विवेक
प्रताप सिंह ने प्रदेश सरकार को कटघरे में
खड़ा करते हुए कहा कि सरकार
का रवैया उपेक्षात्मक है। न्यायालय के आदेश के
बावजूद यदि भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की गई
तो टीईटी बेरोजगार चुनाव में
समाजवादी पार्टी का विरोध करेंगे।
बेरोजगारों की हितैषी बनने का यह सरकार ढोंग रच
रही है। उच्च न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया को एक
निश्चित और सर्वमान्य आदेश जारी कर दिया है
वहीं सरकार महज अपनी राजनीतिक
महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए लाखों शिक्षित
बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
शेष मणि ने कहा कि प्रदेश सरकार को यह
उपेक्षा भारी पड़ेगी।
दस दिसंबर को प्रदेश भर के
टीईटी बेरोजगार लखनऊ में आयोजित प्रदर्शन
की सफलता के लिए कमर कस चुके हैं।
ReplyDeleteSatya Prakash ----
mere vichar se sp ne 4 state ke result dekh liye hai.
so 10-12-2013 ko bhari sankhya me tet merit
supporter lko aaye aur sp sarker jo ki dabav me hai
aur jayada dabav banaye ki counslling date clear kare.
राजनीति संभावनाओं को साकार करने की कला है ,,लेकिन जब मुकाबला विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े राज्य की पूर्ण बहुमत सरकार से हो,,मीडिया आपके विरूद्ध हो,,,समाज का समर्थन आपके पास ना हो तो राजनीति बन जाती है असंभव को संभव कर दिखाने की साधना,,
ReplyDeleteजीतने के सिवाय कोई विकल्प ही नहीं है हमारे पास
1. Agra: Devesh Drivedi 8533930591
ReplyDelete2. Aligarh: Praveen Saxena 9837081379
3. Allahabad: VIVEKANAND 8081934675
4. Ambedkar Nagar: Anil Verma & Surendra
Ameed 9838370345 & 9598873078
5. Auriya: Amit Mishra & Ajeet Rajpoot
9045028271 & 8439128408
6. Azamgrah: Azad Yadav 9616764406 RAVINDRA
YADAV 9044836326
7. Badaun: Pawan Singh & Vishram Singh
9808819936 & 9027330015
8. Bagpat: ANIL KUMAR 8755559281 RAM MEHAR
SINGH MAAN 8171317192 Amit Diexit 9761468244
9. Bahraich: Ashwani Shukla & Rajesh Kumar Rao
8765108094 & 8090150279
10. Ballia: Digvijay Pathak & Pyush Chaturvedi
9918506419 & 7499075872
11. Balrampur:
12. Banda: Annu Dadr 9415556574
13. Barabanki: Jitendra Verma & Uma Shanker
Yadav 9369206268 & 9956291236
14. Bareilly: Rajesh Pratap Singh & Vikash Kumar
9720963143 & 9027373924
15. Basti: Vivek Pratap Singh & Niten Shukla
9918015656 & 9453058000
16. Bijnor: Prayag Kumar 8439091391
17. Bulandshahr: Haryendra Singh 9837512398
18. Chandauli:
19. Chitrakoot:
20. Deoria: Anurag Mall 94 50 565575
Gaurishankar Pathak 8736 994 193
21. Etah: Etah: Mayank Tiwari 9219297122 Tapesh
Kumar 9410878767 & 8534950711
22. Etawah: Sunil Yadav 8393850585
23. Faizabad: Anil Maurya 7800329408
24. Furrukhabad: Rakesh Bajpai & Surendra
Rajpoot 8052158215 & 9450005857
25. Fatehpur: Rajendra Chaudhary & Anil Yadav:
9236522531 & 9795990726
26. Firozabad: Dharamveer Bharti 9259705968
27. Gautambudh Nagar: PAWAN KASANA
9412481444
28. Ghaziabad: Shiv Kumar & Nitan Mehata
9368735257 & 9639885609
29. Ghazipur: Sanjay & V.K. Yadav 9839889419 &
8400924785
30. Gonda: Sudhanshu Rai & Mahesh Arya
9582191640 & 9454178529
31. Gorakhpur: Naveen Shrivastava & Ashutosh
Mishra 8543046035 & 8115000914
32. Hamirpur: Anurag Tiwari 09838630043
33. Hardoi: Abneesh Yadav & Devesh Singh
7398665201 & 9453898315
34. Jalaun: Laxmikant Pathak & Saurabh
9452023375 & 9125338157
35. Jaunpur: Alok Singh 8869957833 (Old Ajeet
Yadav & Avanish 8090252162 & 8564051250)
36. Jhansi:
37. Jyotiba Phule Nagar: Saurabh Saxana
8445572244
38. Kannauj: Jitendra Tiwari 8687939837 Avanit
Shukla ( Act. jila adhyaksh) 9839310613
39. Kanpur Dehat: Sachin Yadav 9455878898
ReplyDelete40. Kanpur Nagar: Ratnesh Pal 8543858776, Vijay
Singh Tomar 9450156766 & Sameer Dixit
9807025568
41. Kaushambi: Ram Pujan Tiwari 9838289683
42. Kushinagar: Akhilesh Kumar Mishra & Mobin
Siddiqui 9721650022 & 9648631691
43. Lakhimpur Kheri: Devesh Trivedi 9839940748
44. Lalitpur: Ajay Sisodiya 8765568568 Neelesh
Purohit 9453139536 & 8382036231
45. Lucknow: Nirbhai Singh & Bhupendra Rai &
Ganesh Dixit 7499088470 & 5415783018 &
9369222535
46. Mahamaya Nagar: Abhishek Kaushik
9837451036
47. Maharajganj: Mahendra Kumar Verma & Ram
Kumar Patel 8874191926 & 8858917797
48. Mohaba: Deepak Kaushal & Akhilesh Shahu
9451934220 & 8090173692
49. Mainpuri: Jitendra Singh & T.N. Mishra
9410807267 & 9456608217
50. Mathura:
51. Mau: Ranbir Singh 9532000478 SUNIL KUMAR
GAWASKAR 9452261874
52. Meerut: Hariom Sharma 8923425679
53. Mirzapur: Rahul Gupta & Kushal Singh
9307303046 & 9451573287
54. Moradabad: Shahjaad bhai 9410613631
55. Muzaffar Nagar: BALKESH CHOUDHARY-84103
09467 MANOJ KUMAR 9997100617 FARRUKH
HASAN-9808018484
56. Pilibhit: Sudhanshu Mishra 9058234823
57. Pratapgarh: Vivek Singh 9451126240 Dinkar
Tiwari 9026814494
58. Rae Bareli: Karendra Mishra & Sishnu Kumar
7309785655 & 8115724828
59. Rampur: Gurpal Singh & Umesh Kumar
9758869752 & 9897373536
60. Saharanpur: Sanjay & Manoj Kumar Gupta
9758839709 & 9548938754
61. Sant Kabir Nagar: Devendar Rai 7275614363
and Abhisek Srivastav 9721008860
62. Sant Ravidash Nagar (Bhadohi):
63. Shahjahanpur: Satish Singh & Manoj Sharma
9532909434 & 9044144623
64. Shravasti: Ugrashen Verma & Pradeep Verma
9984555954 & 9452125452
65. Siddharth Nagar: Rajneesh Srivastava
7275424545
66. Sitapur: Sarvesh Josh & Anup Sharma
9889174114 & 9415860930
67. Sonbhadra: Santosh Verma 8858598585
68. Sultanpur: Rakesh Kumar Agrahari &
S.K.Pathak 9005066060 & 9415023170
69. Unnao: Atul Tiwari & Amit Tripathi 9451360651
& 9936006023
70. Varanasi: Manoj K. Singh “Mayank”
71. Pravudh Nagar: Devendra Singh (Living in
Delhi) & Aftab & Akhilesh Chaudhary 9560705898
& 9758025827 & 9927737442
72. Panchsheel Nagar (Hapur): Satish Sharma
07500878477और Rajkumar 08791721012
73. Amethi: Akhilesh Tripathi 094 50 805498
.
.
.
Mr.
T
M
N
T
B
N
______________8923003803
(DANKE KI CHOT PAR)
ReplyDeleteMERE TET SUPPORTER SATHIYO..
1) jaisa ki aap log jante hai central me manmani karne wali congress aur u.p.a government 4 rajyo ke vidhan sbha chunav me buri tarah har gayi ,iska sidha sanket hai ki aagami loksbha chunav me congress ko loksbha me bachane wali spa ka kya hashr hone wala hai..waise aaj ke chunav natije dekhkar s.p government v hil chuki hogi kyuki loktantra me manmani karne wali government ko janta aise hi arsh se farsh par patakti hai..
2) dosto sarkar ki taraf se agar next week(monday to friday) tak agar suprime court me slp dakhil na kiya gya to sayad hi sarkar slp dakhil kare.waise sarkar ko tet morcha ne pahle hi cawiet dakhil kar chunauti de di hai ki apka suprime court me welcome hai..ham apko yaha v harane ke liye already wait kar rahe hai..
ReplyDelete3) dosto lucknow me pahuchne par sarkar aisa na ho hamari bheed ko titar vitar kar hamari ekta tod de isliye aap sbhi ko satark rahne ki jarurat hai ..
ReplyDelete4) lucknow me hamare tet morcha ke lucknow team adhyax ganesh dixit pure aandolan ki aguwai karege kyuki wo lucknow city ke bare me behtar dhang se jante hai..halaki pure pradesh ke jila adhyax har jile se apne apne kafile lekar aayege par ek nischit aur satik guidence ke liye aap sbhi is group ki update aur suchna ko padhte rahe ..
ReplyDelete5)dosto acording to ganesh dixit..sbhi tetian char bag staition ke andar tab tak rahege jab tak allahabad se lucknow aane wali ganga gomti express yani lagbhag 10.30 se 11 a.m tak na aa jaye..alahabad ki puri team ganga gomti aur barely pasanger se rawana hogi..koi v tetian station ke bahar gya to police unhe pakad kar baitha sakti hai hame satark rahna hoga..hamari ek jutata ko sarkar alag alag karna chahegi par ham station se bahar ek sath nikalege..jo tetian bus se aaye wo v plateform tiket lekar station par aa jaye kyuki ham ek sath waha se kooch karege..hamari ekta tutne na paye ye dhyan rahe..waise BLOG par ham apko guide karte rahege..
ReplyDeletedhyan rahe dosto 10 december ko vishw manvadhikar diwas hai gov. Ham par sakhti to nahi kar sakti par wo hamari chhoti chhoti tukadi ko pakadkar ek jutta bhang krna chahegi..sb satark rahe..
6) dosto 10 december ko pura lucknow tetian se pat jaye ye hamari vishesh apeal hai ham is adhikar raily ke badle waha se counsling ki date lekar hi lautege basarte aap sb ek bar is nirnayak jung me tet morcha ka sath de..
ReplyDeleteSbhi tetian apni ekjutata ko darsaye is post par aur kahe ...
TET EKTA ZINDABAD
ReplyDelete1- 20 नवम्बर के आदेश के बाद बेसिक
शिक्षा नियमावली में आज की तारीख में
शिक्षकों के चयन का कोई
भी फार्मूला नहीं है,,,,भूषण साहब ने अपने 74 पन्नों के
आदेश को लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान
रखा है कि SC में अपील किये जाने पर आधा आदेश
पढ़ने के बाद दोनों न्यायमूर्ति अपने चारों जूते उतार
लें,,,,
2- SC में अपील करने के बारे में सरकार ने
कभी सोचने तक की जुर्रत नहीं की थी,,ये सिर्फ
मीडिया का Frustration था और कुछ नहीं,,,
3- 9 नवम्बर 2011 को टेट प्राप्तांकों से प्राथमिक में
चयन वाला संशोधन होने के बाद यूं.पी.टेट 2011 एक
प्रतियोगी परीक्षा हो गई थी,,,ये तो कामन सेन्स
की बात है कि किसी प्रतियोगी परीक्षा के
लूजर्स से कोई
नियुक्ति नहीं की जा सकती,,ना पूर्व
की प्रक्रिया से और ना ही किसी अन्य
प्रक्रिया से,,,
4- अब बी.एड वाले प्राथमिक के टेट में नही बैठ
सकते इसलिए अगर किसी बी.एड डिग्रीधारक
को प्राथमिक का टीचर बनना है तो उसे अपने टेट
प्राप्तांकों के प्रति श्रद्धा भाव होना अनिवार्य
है,,,,
5- चूंकि 30-11-11 के अभ्यर्थियों की कोई चयन
सूची जारी नहीं हुई थी इसलिए अभी भी पद
बदाये जा सकते हैं,,एक बार अगर सूची जारी हो गई
तो एक करोण पद होने पर भी यूं.पी.टेट 2011 पास
किसी व्यक्ति का प्राथमिक में चयन
नहीं हो सकता,,,,
6- सिंगिल बेंच और डबल बेंच की अब तक
की सारी कार्यवाही 1,50,000 शिक्षकों के चयन
कराने पर केन्द्रित रही है,,,,अखिलेश यादव के
लिए राजनीतिक रूप से भी यही फायदेमंद है
की वो अन्य भर्तियों को पेंडिंग में डालकर टेट के भूत
से मुक्ति का उपाय करें जो कि एक ही तरीके से
संभव है,,,,,, टेट प्राप्तांकों को दो सौ प्रतिशत
वेटेज,,,,अर्थात मायावती द्वारा घोषित पदों से दुगने
पदों पर टेट मेरिट से भर्ती,,,,
लड़की का फेसबुक पे स्टेटस - वो बेवफा निकला।
ReplyDeleteकमेंट्स लड़कों के:
1. डिअर, वो आपके लायक था ही नहीं।
2. तुम कहाँ वो साला बन्दर कहाँ।
3. हमने तो पहले ही कहा, सब मेरे जैसे नहीं होते।
4. कभी हमें अजमा के देखो, पता चलेगा भरोसा क्या है।
5. जो भी हुआ अच्छा ही हुआ, चिंता मत करो जानू।
लड़के का फेसबुक पे स्टेटस - वो बेवफा निकली।
कमेंट्स नजदीकी दोस्तों के:
1. साले, तेरी शकल ही गधे जैसी है।
2. तेरे से बस आज तक कोई पटी है?
3. तुझ जैसो से भी लड़की पटेगी।
4. उससे तेरी नामर्दी का पता चल गया होगा।
5. तेरे से कुछ नहीं होगा बच्चे, चल अब उसका नम्बर मुझे दे।
मूर्ख हैं वो लोग जो 'ताज महल' को प्रेम की सबसे बड़ी निशानी बताते
ReplyDeleteहैं.......
.
प्रेम की सबसे बड़ी निशानी है ''राम सेतु'' जो प्रभु श्रीराम ने
सीता माता से मिलने के लिए उफनते समुन्दर पर बनवाया था ।
जॉब दे या ना दे इसको मै और मेरी कोई भी अगली पीढी कभी वोट नही करेंगे मै अपनी वसीयत में यही लिखूंगा।
ReplyDelete
ReplyDelete7- 1,50,000 पदों पर टेट मेरिट से भर्ती आज असंभव
लग रही होगी लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है
कि सात नवम्बर से पहले तक टेट मेरिट
बनना भी असंभव ही लग रहा था,,,, एक लाख
की तो मैं गारंटी ले सकता हूँ (चूँकि जूनियर
की चयन प्रक्रिया अल्ट्रा वायरस हो चुकी है
तो उसके बराबर पद प्राथमिक में आना निश्चित है)
शेष पचास हजार पदों की घोषणा दस दिसंबर की भीड़
पर निर्भर करेगी,,,,
8- राजनीति विज्ञान का सिद्दांत है
कि सरकार कोई चीज तभी देती है जब सरकार से
उसे माँगा जाए,,,, मांगने का एकमात्र तरीका यह
है कि दस दिसंबर को बीस मार्च 2012 से
दुगनी भीड़ हो,,,,
9-बीस के आदेश के बाद कोई पागल ही एकेडमिक से
चयन का ख्वाब देख सकता है,,,, यूं.पी.टेट 2011 पास
एवं 30-11-11 के विज्ञापन के
सभी अभ्यर्थियों को यह समझना चाहिए कि उनके
असली शत्रु टेट मेरिट वाले
नहीं बल्कि शिक्षा मित्र,बी.एड 2012 वाले और
टेट फेल हैं,,,,
अनुशासित रहेंगे संगठित रहेगे काउंसलिंग की डेट लिये बिना लखनऊ नहीँ छोड़ेगे हम लखनऊ पार्क या वाटिका मेँ बैठने नहीँ विधान सभा पर अपना अधिकार लेने चल रहे हैँ
ReplyDelete
ReplyDelete10- उपरोक्त बिन्दुओं का सार यह है कि दस दिसंबर
को लखनऊ की सरजमीं पर निकलने वाले टेट संघर्ष
मोर्चे के विजय जुलूस में 30-11-11 के विज्ञापन के
सभी अभ्यर्थियों को शामिल होना अनिवार्य है,,चाहे
वो अतीत में टेट मेरिट समर्थक रहे
हों या वेटेज,एकेडमिक या भर्ती समर्थक,,
जो साथी पूर्व के आंदोलनों में सहभागिता करते रहे हैं
वो तो रोकने पर भी आएंगे,,,, जिसने एक बार आन्दोलन
का आनंद ले लिया विजय जुलूस में शामिल
होना उसका अधिकार बन जाता है,,,,
जो साथी अभी तक टेट मेरिट की रक्षा के लिए
किये गए शानदार और ऐतिहासिक
आन्दोलनों की सुखद अनुभूति वंचित रहे हैं वो परसों के
विजय जुलूस में शामिल होकर पिछले दो सालों की कटु
स्मृतियों से बहुत हद तक मुक्ति पा सकते हैं,,,,एक
बार प्रदेश के श्रेष्ठ अध्यापकों की जमात
का हिस्सा बनकर तो देखो,,,,,,अगर गर्व का अनुभव
ना हो तो बताना.....
11- परसों लखनऊ आने वाले सभी साथियों को मेरी सलाह
है कि अपने आपको अपनी भर्ती के समर्थन तक
ही सीमित रखें और सरकार
विरोधी नारेबाजी या किसी भी प्रकार
की हिंसक गतिविधियों से परहेज करें,,,,,
यद्यपि सरकार के पास हमारी भर्ती करने के
सिवाय और कोई विकल्प नहीं है लेकिन दंगा-
फसाद करके ना सिर्फ आप अपने पेशे का अपमान
करोगे बल्कि अपने उन साथियों के ऊपर से मुक़दमे
वापस होने में भी बाधा बनोगे जिन्होंने आपके खातिर
जेल यात्रा की थी,,,,,आपको यह ख्याल भी रखना है
की आप सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए
लखनऊ गए हो ना की राजनेता बनने,,,, नरेंद्र
मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए टेट
नहीं दिया था आपने,,,,किसी का महल बनाने के
लिए अपने घर की नींव
नहीं खोदी जाती,,,,नियुक्ति पत्र लेने के बाद
आराम से स्कूल में बैठकर अध्यापन के साथ-साथ अपने
Android फोन से नमो-नमो का प्रचार
करना,,,,परसों का आन्दोलन मात्र औपचारिकता है
जिसे आप आन्दोलन न समझकर टेट संघर्ष मोर्चे
का विजय जुलूस एवं get together समझ सकते
हैं,,,,,निर्णय आने के बाद से सरकार ने हमारे विरुद्ध
एक शब्द भी नहीं कहा है,,,, इस बीच
जितना भी टेंशन आपको मिला है वो मीडिया के
कुत्तों का ही कमाल था,,,, रही बात सरकार
की तक की चुप्पी की तो मेरे ख्याल से उसे
भी हमारे आन्दोलन में आनंद आने लगा है,,,,
तो फिर परसों मुलाक़ात करते हैं....
बाय-बाय गधांक -जय टेट प्राप्तांक
ALI KHAN
ReplyDeleteहोश और जोश में अब जता रहा हूँ मै,
पीड़ित युवाओं का दर्द बता रहां हूँ मै !
न्याय के पहरेदार बेईमान हो गए ,
माननीय से अब दलाली की दुकान हो गए !
न्याय की व्यवस्था की ये कैसी घडी है,
सुनवाई करने की बजाये ए.सी. की पड़ी है !
न्याय में यकीन अब हम सबका खोने लगा है ,
सुनवाई के दिन वो छुट्टी पर होने लगा है !
कर्ज ले ले कर हम सब इलाहाबाद आते रहे,
न्याय के रक्षक बस डेट पर डेट लगाते रहे !
ए. सी. छुट्टी डेट का सिलसिला नहीं रुका जो,
सत्ता और न्याय का गड़बड़झाला नहीं रुका तो !
हम युवाओं को माननीयों वाला विचार बदलना पड़ेगा,
१० DEC को नवजीवन खून को मचलना पड़ेगा !
दलाल जैसे माननीयों की जयकार क्यों करे ?
लुटे हुए युवा ऐसे मक्कारों का सम्मान क्यों करे !
सरकारी इशारो पर न्याय वयवस्था सोती रहती है,
इनकी भी नेताओं से अब फिक्सिंग होती रहती है !
इनके कारण ही क्रांतिकारी बनते है युवा भोले भाले,
अपराध को जनम दिलवाते हैं नेता और न्याय दिलाने
वाले !
जब पूरा सिस्टम ही घिर जाता है घोर निराशा में,
तब हमको चिल्लाना ही पड़ता है अंगारों की भाषा में !
विलम्ब न्याय मिलने पर इनके दामन साफ़ नहीं होंगे,
ए.सी. छुट्टी डेट खेलने वाले दलाल अब माफ़
नहीं होंगे !
इनकी मक्कारी के चिठे हैं हम युवको के भाल पर,
शिक्षा व्यवस्था भी रो रही है अब ऐसे हाल पर !
न्याय का धंधा करने वाले हम सबकी पीड़ा और बढ़ाते
हैं,
भूखे युवको को ये ए.सी. के लोभी जब संयम पथ पढाते हैं
लेकिन जिस दिन भूखे युवा बगावत पर आ जाते हैं,
उस दिन इनके साथ सिंहासन को भी वो खा जाते हैं !
इसीलिए अब शंखनाद कर हम इन्हें सबक सिखायेगें,
१० DEC की क्रांति में अब सरे पापी जल
जायेंगे !
जो भी काम करो,मन से करो,पूरी ताकत से करो,संघर्ष
ReplyDeleteऔर समर्पण दोनो बहुत जरुरी है,कड़ी मेहनत के
बिना कुछ मिलने वाला नहीं और निराश
तो कभी भी नहीं होना है---
___________________________मिल्खा सिंह
Thodi si man ki shanti ke liye aap ko bta du ki.. bharti 31 march se pahle hi ho jayegi.. agar gov sc jati bhi h to.. iska matlab bharti hone me aur majbooti aa jayegi.. kyonki ye sab jante h ki sc se gov ki haar pakki h.. sath hi 15 amendent ke cancel hone se sabhi bharti tet se hone ki sambhawna prabal ho jati h..
ReplyDelete
ReplyDeleteAshish Kumar ---★
ab sochne ka wakt nahi h. lucknow pahunchane ke liye sochna chhode, kisi bhi tarah parso lucknow jarur pahunche.
10 December 2013 Tet Adhikar Divas
1- 20 नवम्बर के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा नियमावली में आज की तारीख में शिक्षकों के चयन का कोई भी फार्मूला नहीं है,,,,भूषण साहब ने अपने 74 पन्नों के आदेश को लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि SC में अपील किये जाने पर आधा आदेश पढ़ने के बाद दोनों न्यायमूर्ति अपने चारों जूते उतार लें,,,,
ReplyDelete2- SC में अपील करने के बारे में सरकार ने कभी सोचने तक की जुर्रत नहीं की थी,,ये सिर्फ मीडिया का Frustration था और कुछ नहीं,,,
ReplyDelete3- 9 नवम्बर 2011 को टेट प्राप्तांकों से प्राथमिक में चयन वाला संशोधन होने के बाद यूं.पी.टेट 2011 एक प्रतियोगी परीक्षा हो गई थी,,,ये तो कामन सेन्स की बात है कि किसी प्रतियोगी परीक्षा के लूजर्स से कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती,,ना पूर्व की प्रक्रिया से और ना ही किसी अन्य प्रक्रिया से,,,
ReplyDelete4- अब बी.एड वाले प्राथमिक के टेट में नही बैठ सकते इसलिए अगर किसी बी.एड डिग्रीधारक को प्राथमिक का टीचर बनना है तो उसे अपने टेट प्राप्तांकों/आंदोलन के प्रति श्रद्धा भाव होना अनिवार्य है,,,,
ReplyDelete
ReplyDeleteUvaish Ahemad > ★★★
दोस्तों
*टीईटी उत्तीर्ण हर आम आदमी की भर्ती के लिए*
मैं प्रतापगढ़ के कुण्डा तहसील का रहने वाला हूँ
जो कि पश्चिम में रायबरेली से दक्षिण पूर्व में
इलाहाबाद से और उत्तर में अमेठी जिलों के साथ
जुड़ा है। और मेरा संपर्क चारो जिले की एक एक
तहसील से है । AMIT KUMAS SINGH KUNDA से भी बात
हुई है हम दोनों लोग कुण्डा, ऊँचाहार(रायबरेली) सलोन
(अमेठी) गोपालगंज (इलाहाबाद) तहसील के
साथियों के साथ 10 को लखनऊ पहुँच रहे है। और साथ
ही साथ दूसरे जिलों के बीएड साथियों जिनसे सम्पर्क
था या है उनसे भी फोन से बात किया सभी लखनऊ चलने
की तैयारी किए है भर्ती को जल्दी शुरू कराने के
लिए । आप लोग क्या कहते है आ रहे है ना ? जब हर कोने
से हर कोई आएगा तो और असर होगा । अब तक के
हिसाब से मेरे अंदाज से 35 हजार शेर इकदम तैयार है;
दो दिन में कितना आगे संख्या बढ़ जाए कह
नही सकता ।
5- चूंकि 30-11-11 के अभ्यर्थियों की कोई चयन सूची जारी नहीं हुई थी इसलिए अभी भी पद बदाये जा सकते हैं,,एक बार अगर सूची जारी हो गई तो एक करोण पद होने पर भी यूं.पी.टेट 2011 पास किसी व्यक्ति का प्राथमिक में चयन नहीं हो सकता,,,,
ReplyDelete6- सिंगिल बेंच और डबल बेंच की अब तक की सारी कार्यवाही 1,50,000 शिक्षकों के चयन कराने पर केन्द्रित रही है,,,,अखिलेश यादव के लिए राजनीतिक रूप से भी यही फायदेमंद है की वो अन्य भर्तियों को पेंडिंग में डालकर टेट के भूत से मुक्ति का उपाय करें जो कि एक ही तरीके से संभव है,,,,,, टेट प्राप्तांकों को दो सौ प्रतिशत वेटेज,,,,अर्थात मायावती द्वारा घोषित पदों से दुगने पदों पर टेट मेरिट से भर्ती,,,,
ReplyDelete7- 1,50,000 पदों पर टेट मेरिट से भर्ती आज असंभव लग रही होगी लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि सात नवम्बर से पहले तक टेट मेरिट बनना भी असंभव ही लग रहा था,,,, एक लाख की तो मैं गारंटी ले सकता हूँ (चूँकि जूनियर की चयन प्रक्रिया अल्ट्रा वायरस हो चुकी है तो उसके बराबर पद प्राथमिक में आना निश्चित है) शेष पचास हजार पदों की घोषणा दस दिसंबर की भीड़ पर निर्भर करेगी,,,,
ReplyDelete8- राजनीति विज्ञान का सिद्दांत है कि सरकार कोई चीज तभी देती है जब सरकार से उसे माँगा जाए,,,, मांगने का एकमात्र तरीका यह है कि दस दिसंबर को बीस मार्च 2012 से दुगनी भीड़ हो,,,,
ReplyDelete9-बीस के आदेश के बाद कोई पागल ही एकेडमिक से चयन का ख्वाब देख सकता है,,,, यूं.पी.टेट 2011 पास एवं 30-11-11 के विज्ञापन के सभी अभ्यर्थियों को यह समझना चाहिए कि उनके असली शत्रु टेट मेरिट वाले नहीं बल्कि शिक्षा मित्र,बी.एड 2012 वाले और टेट फेल हैं,,,,
ReplyDelete
ReplyDeleteटेट साथियोँ > ★★★★★
एकदम बिंदास रहो क्योँकि ये अक्ललैस की बेवकूफ
सरकार बुरी तरह फँस चुकी है और इसे अब
हमारी भर्ती 31 मार्च 2014 से पहले तो पूर्ण
करनी ही पड़ेगी।आर टी ई को लेकर HC से
ज्यादा SC और भी गंभीर है,इनका केस लेने कोई
भी नामचीन वकील तैयार नहीँ है।
10- उपरोक्त बिन्दुओं का सार यह है कि दस दिसंबर को लखनऊ की सरजमीं पर निकलने वाले टेट संघर्ष मोर्चे के विजय जुलूस में 30-11-11 के विज्ञापन के सभी अभ्यर्थियों को शामिल होना अनिवार्य है,,चाहे वो अतीत में टेट मेरिट समर्थक रहे हों या वेटेज,एकेडमिक या भर्ती समर्थक,, जो साथी पूर्व के आंदोलनों में सहभागिता करते रहे हैं वो तो रोकने पर भी आएंगे,,,,
ReplyDelete11-जिसने एक बार आन्दोलन का आनंद ले लिया विजय जुलूस में शामिल होना उसका अधिकार बन जाता है,,,, जो साथी अभी तक टेट मेरिट की रक्षा के लिए किये गए शानदार और ऐतिहासिक आन्दोलनों की सुखद अनुभूति वंचित रहे हैं वो परसों के विजय जुलूस में शामिल होकर पिछले दो सालों की कटु स्मृतियों से बहुत हद तक मुक्ति पा सकते हैं,,,,एक बार प्रदेश के श्रेष्ठ अध्यापकों की जमात का हिस्सा बनकर तो देखो,,,,,,अगर गर्व का अनुभव ना हो तो बताना.....
ReplyDelete12- परसों लखनऊ आने वाले सभी साथियों को मेरी सलाह है कि अपने आपको अपनी भर्ती के समर्थन तक ही सीमित रखें और सरकार विरोधी नारेबाजी या किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधियों से परहेज करें,,,,, यद्यपि सरकार के पास हमारी भर्ती करने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है लेकिन दंगा-फसाद करके ना सिर्फ आप अपने पेशे का अपमान करोगे बल्कि अपने उन साथियों के ऊपर से मुक़दमे वापस होने में भी बाधा बनोगे जिन्होंने आपके खातिर जेल यात्रा की थी,,,,,
ReplyDelete
ReplyDeleteAmit Kumar Singh Kunda > ★★★
आज शाम तक प्राप्त रुझानो को सज्ञांन मेँ लेते हुये मैँ
सहज हीँ अनुमान लगा सकता हूँ कि मात्र
इलाहाबाद मण्डल से न्यूनतम सात हजार (7000) टेट समर्थक लखनऊ पहुँच रहे हैँ।
बस आवश्यकता है इस सात हजार की संख्या मेँ एक
शून्य की और वृद्धि हो जाए । और यह कार्य
यदि टेट समर्थक चाहेँ तो बड़ी आसानी से हो सकता है ।
दिनाँक 10 दिसम्बर 2013 दिन मंगलवार
को लखनऊ अवश्य पहुँचे ।
13-आपको यह ख्याल भी रखना है की आप सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए लखनऊ गए हो ना की राजनेता बनने,,,, नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए टेट नहीं दिया था आपने,,,,किसी का महल बनाने के लिए अपने घर की नींव नहीं खोदी जाती,,,,नियुक्ति पत्र लेने के बाद आराम से स्कूल में बैठकर अध्यापन के साथ-साथ अपने Android फोन से नमो-नमो का प्रचार करना,,,
ReplyDelete14-परसों का आन्दोलन मात्र औपचारिकता है जिसे आप आन्दोलन न समझकर टेट संघर्ष मोर्चे का विजय जुलूस एवं get together समझ सकते हैं,,,,,
ReplyDeleteनिर्णय आने के बाद से सरकार ने हमारे विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहा है,,,, इस बीच जितना भी टेंशन आपको मिला है वो मीडिया के कुत्तों का ही कमाल था,,,,
रही बात सरकार की तक की चुप्पी की तो मेरे ख्याल से उसे भी हमारे आन्दोलन में आनंद आने लगा है,,,,
तो फिर परसों मुलाक़ात करते हैं....
बाय-बाय गधांक -
जय टेट प्राप्तांक
याद करिये 3 फरवरी की पोस्ट याद करिये जब हम सबको काठ मार गया था कि कल से काउंसलिंग चालू होगी और मैँने लिखा इधर डायट का गेट खुलेगा और उधर हाई कोर्ट का और उस पोस्ट अंतिम लाइन थी मेरे जीते जी गुणांक मेरिट बन नहीं सकती और मैं इतनी जल्दी मरुंगा नहीं। .
ReplyDeleteजो भी काम करो,मन से करो,पूरी ताकत से करो,संघर्ष
ReplyDeleteऔर समर्पण दोनो बहुत जरुरी है,कड़ी मेहनत के
बिना कुछ मिलने वाला नहीं और निराश
तो कभी भी नहीं होना है---
मिल्खा सिंह
ReplyDeleteAvanish Yadav ---★★★★★
Dosto- 10 Dec ki sari taiyariya complete ho gai .
Hame aasha hi nahi purn vishwas hai ki ham
jarur ki 10 Dec ko ek Itihas likhege . Hamari
bheed kisi gair rajnaitik sangathan ki Lucknow
pahuchane wali sabse badi bheed hogi.
Bhai ek mukhya baat hame jo aapse kahni hai ki
HAM ONE NAHI KHELEGE , HAME HAR HAL ME
TEST KHELNA PADEGA means ham tab tak
Lucknow se wapas nahi aayege jab tak govnt
hamari bharti ki dates fix na kar de.
सरकार को जब ट्ण्डन साहब ने नया विज्ञापन निकालने को कहा था तब यही कहकर कहा था कि ऐसा संशोधित विज्ञापन निकालिये जिससे कि अभ्यर्थियों के हित प्रभावित न हों लेकिन नये विज्ञापन में ऐसा हित प्रभावित किया कि आज तक झेल रहे हैं ।
ReplyDeleteमतलब सरकार को समर्पण करना ही होगा अगर सीधे नही करती तो उसके चलने के सभी रास्ते कोर्ट बंद कर देगी और मजबूर होकर टेट मैरिट से पहले भर्ती करने का सीधा रास्ता अपनाना ही पड़ेगा । वरना अकेडमिक से भी कभी भर्ती नही होगी
ReplyDelete
ReplyDeleteAlok Shrivastava > ★★★
आज सुबह-सुबह में और नीलेश जी और अजय सिसोधिआ ने
दस तारीख के आंदोलन को लेकर मीटिंग आयोजित
की, जिसमे मंत्री जी की आने की खबर मिलते
ही हम टेटियन निकल पड़े मंत्री का रास्ता रोकने
| अपने ज्ञापन को लेकर नेशनल हाइवे नंबर 27 पर बस
फिर क्या था, हमारा जोश क|म आया और मंत्री ने
हमे सुप्रीमकोर्ट मै एक वकील दिलाने का आसवासन
देते हुऐ दिल्ली आने को कहा अब मेरे कई भाइयो के मन
में सवाल होगा, कि ऐसे तो कई नेता अस्वाशन देते हे
लेकिन में आप लोगो को ये बताना चाहूगा कि पेशे से मै
एक पत्रकार हूँ और में जितना प्रदीप जैन आदित्य
को जानता हूँ यदि आज अरविन्द केजरीवाल से
उनकी तुलना की जाये तो शायद कोई बड़ी बात
नहीं होगी उन्होंने हमे दिल्ली बुलाया है अब
बाकी नीलेश जी और अजय जी आगे
कि रद्ढ़नीति तय करेंगे l
6 AUG 13
ReplyDeleteसीधी सी बात है,,,मर्जी हो तो समझो,,ना मर्जी हो तो ना समझो,,कोई बाध्यता नहीं है,,,,,,, अगर सरकार पूर्व विज्ञापन की सचिव वाली तकनीकी कमी को दूर करने को सहमत नहीं होती है तो टेट मेरिट की चयन प्रक्रिया के पास वैध विज्ञापन ना होने के कारण उससे नियुक्ति संभव नहीं है ,,,लेकिन चूँकि RETROSPECTIVE Effect से चयन प्रक्रिया बदली नहीं जा सकती इसलिए उन पदों पर किसी अन्य चयन प्रक्रिया से तब तक नियुक्ति नहीं हो सकती जब तक एक भी व्यक्ति ऐसा मौजूद हो जिसने नई चयन प्रक्रिया को अस्वीकार करते हुए उसका फ़ार्म भरने से मना कर दिया हो और अदालत जा सकता हो ,,,, सरकार चाहे तो ऐसे सौ विज्ञापन और ले आये लेकिन भर्ती तो टेट मेरिट से ही हो पायेगी ,,,,,
10 से महाआंदोलन की शुरुआत की जाये न
ReplyDeleteकि सिर्फ एक दिन का आंदोलन हो।
रोज रोज हम वैसे भी मर ही रहे हैं, कौन
होगा जो सुकून की जिन्दगी जी रहा होगा।
मरना ही है तो एक साथ मरने के लिए बैठ जाते हैं।
अभी कुछ लोग मुझे सिखाने लगेगे कि यह बचपना है।
मुझे तभी शक होने लगता है कि इस बार बार की डेट
से किसी का तो जरूर फायदा हो रहा है।
मेरी बात से अगर कोई भी व्यक्ति सहमत हो तो उनसे
मेरा हाथ जोड़ कर विनम्र निवेदन है कि इस आमरण
अनशन के सुझाव पर गौर करें।
मेरा कोई विरोधी हो या जिसको मुझसे चिढ़ भी हो उससे
भी मै अनुरोध करता हूँ कि एक बार खुले मन से सोचे
कि क्या ये भैस के चमड़ी से भी ज्यादा मोटी सरकार
सिर्फ एक दिन के आंदोलन से हमारी बात मान जायेगी?
सामूहिक आमरण अनशन के सिवाय हमारे पास कोई
दूसरा विकल्प नहीं है।
संम्भावना
ReplyDeleteदिलासा व
अन्ततः ______________निराशा ..
तीन शब्दो ने जिन्दगी दुश्वार कर दी है। अपना रास्ता खुद चुने 10 को पूर्ण सहयोग करे ।।
राजनीति ने ही सारी समस्या को जन्म दिया है और अंततः राजनीति ही इस समस्या का समाधान करेगी ,,वो चाहे कोर्ट हमारी ओर से करे या हम स्वयं ही अपने लिए करें ,,,,, मामले को उस्मानी कमेटी के गठन तक टेट मोर्चा लेकर गया था ,,कोर्ट केस को आज उस जगह ले आई है कि एकैडमिक वालों को वो करना पड़ रहा है जो हम एक साल पहले कर चुके हैं ,,,आंदोलन ..... ..
ReplyDeleteटेट मेरिट वालों ने भले ही अब तक हुयी सुनवाई से कोई निष्कर्ष ना निकाला हो लेकिन गुणांक वाले समझ गये हैं कि सरकार का मकसद एकैडमिक से भर्ती करना ना होकर भर्ती को लटकाना था इसलिए इतवार को लखनऊ में आंदोलन किया था ,,एकैडमिक वाले बेचारे इतना भी नहीं समझते कि अवकाश के दिन आंदोलन प्रारम्भ नहीं किये जाने की परम्परा रही है ,,,आंदोलन कोई पिकनिक नहीं होता कि छुट्टी क सदुपयोग करने की नियत से कर लिया जाए,,,आंदोलन किया जाता है निरंकुश सत्ता को यह याद दिलाने के लिए कि उसकी सीमाएं क्या हैं,,
ReplyDelete
ReplyDelete★★★DHAMAKA★★★
10 DEC LUCKNOW CHALO★★★-
Sathiyo bina mange kuchh nahi milne wala so
that Uptet Sangharsh Morche ne Tet Merit ki
antim fight ka bigul baja diya hai atah 10 Dec
yani Manavadhikar Diwas par apne adhikar ki
mang ke liye Lucknow pahuche.
Ganesh Dixit
Surjeet singh
SK Pathak
Vivekanand
Anil Bagpat
Anil Verma
Rama Tripathi
Sanjeev Mishra
Amit Dubey
Tapesh Etah
Rakesh Bajpai
Gorakhnath
Vijay Tomar
Harish Gangwar
Umesh Verma
Atul Tiwari
Ranvir Singh
Ashwani Shukla
Akhilesh Mishra
aur..
me★
& You all tet fighters
आज के जमाने मे सिर्फ वही बन्दा सिर उठा के चल सकता है ,
ReplyDelete.
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जिसके पास स्मार्ट फोन ना हो ..
GOOD
ReplyDeleteN
I
G
H
T
......8923003803
ReplyDeleteDeepak Kumar Gupta ---***---
sabhi tet candiate adhik se adhik sankhya me 10
dec lo lucknow jarur pahunche yadi naukari
chahte hai to otherwise 31 march 2014 dur nahi hai.....
... hamesha wait karte hi rah jawoge..
ReplyDeleteJ
A
I
L.
.
W
A
L
I
.
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कभी तुझे भुलाना चाहा,
कभी तुझे मनाना चाहा,
मैंने जब भी चाहा सिर्फ,
तुझे ही चाहा,
जाने क्या बात लिखी थी मेरी किस्मत में,
तूने जब भी चाहा सिर्फ मुझे रुलाना ही चाहा.
G O O D N I G H T M Y F R I E N D S
ReplyDeleteAvanish Yadav ——★★★
Dosto- Sunne me aa raha hai ki hamare kuchh
mitra jo private schools me teaching kar rahe hai
vo HALF YEARLY EXAM ka bahana kar rahe hai un
bhaiyo se hamara kahna hai ki yadi aapke
pariwar me koi bimar hota ya marriage hoti to
bhi kya aap EXAM ka bahana karke participate
nahi karte.
So please 10 Dec ke is Dharm Yudha me apni
sahbhagita darz karakar apna kirdar sunischit
karaye.
Bhai agar aap 10 Dec ko nahi aaye to samaj aapko
SIKHANDI se bhi giri sangya dega because
Sikhandi bhi Dharm Yuddha lada tha.
ok
शेरनी ( रमा त्रिपाठी ) भी 10 दिसंबर के लखनऊ महाआन्दोलन में आ रही है क्या आप लोग भी आ रही हैँ ..?
ReplyDeleteअली खान . . . . . . G
ReplyDelete.
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BAHUT नाइस
.
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बस . . . . . . . . ऐसे ही
लगे रहिए जब तक 2+72823 लोगोँ को नियुक्ति पत्र न मिल जाए ।
ReplyDeleteRatnesh Pal ——★★——
Sb aam aadmi apni takat ko pahchane , aur lko aa k , dharm yudh me yogdan de. Aap ka ek din ghar baithna pure jeevan pe bhari pad sakta h, ......
10 December TET ADHIKAR DIWAS
ReplyDelete10 December
★ TET ★ ADHIKAR ★ DIWAS ★
एक बार प्रदेश के श्रेष्ठ अध्यापकों की जमात
का हिस्सा बनकर तो देखो,,,,,,अगर गर्व का अनुभव
ना हो तो बताना.....
ReplyDeleteMOHAMMAD SHAKEEL
HARCHANDPUR ★RAEBARELI
81 82 80 33 09
96 48 20 73 47
GOOD ★★★ NIGHT
सुप्रभात दोस्तोँ!
ReplyDeleteआप सभी कैसे हो?मैँ समझता हूँ जैसे भी हो पर पहले से बहतर ही महसूस कर रहे होँगे।जो लोग अपनी मान-मर्यादा की कीमत जानते हैँ वो उसके लिये अपनी जान की भी परवाह नहीँ करते।इसलिये अपने हक के लिये 10 दिस.2013 को लखनऊ जरुर आये,अपना स्वाभिमान बचायेँ।
लखनऊ आने वाले सभी साथियों को मेरी सलाह है कि अपने आपको अपनी भर्ती के समर्थन तक ही सीमित रखें और सरकार विरोधी नारेबाजी या किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधियों से परहेज करें यद्यपि सरकार के पास हमारी भर्ती करने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है लेकिन दंगा-फसाद करके ना सिर्फ आप अपने पेशे का अपमान करोगे बल्कि अपने उन साथियों के ऊपर से मुक़दमे वापस होने में भी बाधा बनोगे जिन्होंने आपके खातिर जेल यात्रा की थी,आपको यह ख्याल भी रखना है की आप सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए लखनऊ गए हो प्रधानमंत्री बनाने के लिए टेट नहीं दिया था आपने,किसी का महल बनाने के लिए अपने घर की नींव नहीं खोदी जाती.
ReplyDeleteकभी आप सफलता पथ मे मिलने वाले विलंब के लिए निराश न हुआ करेँ बल्कि ये सोचकर प्रसन्न रहा करेँ,
ReplyDelete.
.
कि
.
" महल बनने मेँ घर बनने से अधिक समय लगता है "
हाईकोर्ट ने अपने आदेश मेँ स्पष्ट किया है
ReplyDeleteकि सरकार चार माह की परिधि मेँ रहकर
31/3/14 तक
शिक्षकोँ की भर्ती प्रक्रिया पूरी करे । सरकार
द्वारा आदेश के त्वरित अनुपालन के बजाय
सुप्रीमकोर्ट मेँ विशेष अनुज्ञ याचिका दाखिल
करने संबंधी निर्णय से न्यायपालिका मेँ अथाह
विश्वास रखने वाला जनमानस आहत है ।
वस्तुतः एक न्यायपालिका आम आदमी के
अधिकारोँ की रक्षा करती है अंततः देर से
ही सही हमे अपेक्षित न्याय मिला ।
खंडपीठ ने
ReplyDeleteपूर्व विज्ञप्ति को बेसिक शिक्षा अध्यापक
सेवा 1981 की यथासंशोधित
12वीँ नियमावली के अनुसार सही ठहराया है
क्योँकि पन्द्रहवीँ नियमावली मेँ मात्र चयन
का आधार बदलने मात्र से ही पूर्व
विज्ञप्ति प्रभावहीन नही हो जाती । संशोधित
विज्ञप्ति मेँ मूल विज्ञप्ति की कई नियम एवं
शर्तो को नई सरकार ने
किसी कानूनी प्रक्रिया के अपनाए
बिना ही खत्म कर दिया जबकि 15वां संशोधन
मात्र चयन प्रक्रिया मेँ परिवर्तन के लिए
किया गया था सरकार के नीति नियामकोँ ने
तो तथाकथित संशोधन की आंड़ मेँ पूर्व
विज्ञप्ति की सारी मौलिकता ही नष्ट करने
का दुष्साहस कर डाला था । न्याय की ठ्योढ़ी मेँ
इसी यक्ष प्रश्न को हमारे साथियोँ ने रखा था ।
यदि सरकार SLP मेँ जाती है तो सुप्रीमकोर्ट
इस मामले को प्रथम दृष्ट्या ही आरटीई एक्ट
एवं एनसीटीई के उपबंधोँ के
खिलाफ,अविधिक,वास्तविक तथ्योँ से परे
संविधान मेँ निहित समानता के अधिकार और
प्रकृतिक न्याय के विरुद्ध, विद्वेशपूर्ण एवँ
अपोषणीय मानते हुए सुनवाई करने से इन्कार
कर देगी । SC मेँ SLP खारिज़ होते ही खंडपीठ के
आदेश की अवमानना से बचने के लिए सरकार
को हमारी काउसंलिग शुरू करनी ही पड़ेगी ।
हाल
ReplyDeleteफिलहाल मेँ राजनीति से प्ररित कई एक
मामलोँ मेँ हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध राज्य
सरकारोँ को sc से स्टे नही मिला है । जिसका एक
ख़ाका पुलिस भर्ती. सत्रान्त के बाद बीएड
की रिक्त सीँटो को भरने,बि.बीटीसी चयन वर्ष
2007, एनसीटीई प्रभावित भूपेन्द्रनाथ
त्रिपाठी मामला, वि बीटीसी 2008, बीपीएड
को बाहर करने आदि सभी प्रकरणोँ मेँ
यूपी सरकार को राहत नही मिली इसी प्रकार
यदि ये सरकार अपनी स्वयं
की भर्तियोँ को बचाने के बजाय
यदि हमारी भर्ती को छेड़ने या गलत ठहराने
का प्रयास करती है
तो इनकी सभी भर्तियोँ का भर्ता बनना तय है ।
राज्य सरकार फरवरी में तीसरी बार अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) कराने की तैयारी कर रही हैं।
ReplyDeleteटीईटी का कारवां तो आगे बढ़ता जा रहा है और उसके साथ अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले
बेरोजगारों की फौज भी लेकिन शिक्षकों की भर्तियां नदारद हैं। यह विडंबना ही है कि शिक्षा के अधिकार कानून को लागू
करने के बाद अच्छी गुणवत्ता के शिक्षकों की भर्ती के मकसद से शुरू की गई टीईटी प्रदेश में
शिक्षकों की नियुक्तियों पर ब्रेक लगाने का सबब बन गई है। टीईटी शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहे बेरोजगार युवाओं
के लिए छलावा साबित हो रही है। सरकार की ओर से अब तक दो बार आयोजित करायी जा चुकी टीईटी में विभिन्न
श्रेणियों के कुल 660596 अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित किये जा चुके हैं लेकिन दो वर्ष के दौरान इनमें से महज 10773
बीटीसी/विशिष्ट बीटीसी अर्हताधारी ही बतौर शिक्षक भर्ती किये जा सके हैं। जिन शिक्षकों की भर्ती हुई भी है, हाई
कोर्ट के आदेश के बाद अब उनमें भी कानूनी पेंच फंसने की संभावना जतायी जा रही है। टीईटी शुरू होने के बाद परिषदीय
प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्तियां तो दु:स्वप्न बनी हुई हैं, हाई कोर्ट के ताजे फैसले ने शासन की मुश्किलें
और बढ़ा दी हैं। कोर्ट ने न सिर्फ 72825 शिक्षकों की भर्तियां 30 नवंबर 2011 को प्रकाशित विज्ञापन और
टीईटी 2011 की मेरिट के आधार पर करने का फरमान सुनाया है, बल्कि शैक्षिक मेरिट के आधार पर नियुक्तियां करने
के लिए अध्यापक सेवा नियमावली में किये गए 15वें संशोधन को रद करके सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। े उच्च
प्राथमिक स्कूलों में गणित और विज्ञान विषयों के 29334 शिक्षकों की भर्ती फंस गई है, वहीं मोअल्लिम-ए-उर्दू
उपाधिधारकों को उर्दू शिक्षक बनाकर मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटी सरकार के अरमानों पर फिलहाल
पानी फेर दिया है।
लखनऊ चलो 10 दिसम्बर
ReplyDelete100-200 की संख्या देख कर सरकार अपना इरादा शायद न बदले
इसलिय संख्या बढ़ाने ही सही पर सभी को पहुचना जरूरी है। जरा सोचो अपने लिए ही कर रहे हो ।।।