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Saturday, December 7, 2013

UPTET / B. Ed Candidate :शिक्षक हाई कोर्ट , फिर सुप्रीम कोर्ट , फिर हाई कोर्ट और अटकी पडी नियुक्ति

 UPTET / B. Ed Candidate :शिक्षक हाई कोर्ट , फिर सुप्रीम कोर्ट , फिर हाई कोर्ट और अटकी पडी नियुक्ति


एक बी एड कैंडिडेट सन 2004 में विशिष्ट बी टी सी ट्रेनिंग से छूट गया था
उसने हाई कोर्ट में अपील की और हाई कोर्ट ने उसको ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया , उसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी वहाँ सरकार की अपील
ख़ारिज हुई । और सुप्रीम कोर्ट ने भी

मध्याविधि में अन्य केंडिडेट को ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया परन्तु पेटिशनर केंडिडेट का मामला अदालत में चल रहा था और उसके उपयुकत निस्तारण के पेंडिंग होने की वजह से उसको ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजा गया
समय बीतता गया और शिक्षा के अधिकार कानून के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत एन सी टी ई ने शिक्षक बनने के लिए टी ई टी पास करना जरूरी कर दिया ।

हाई कोर्ट ने उपरोक्त बिंदुओं को देखते हुए यह फैसला दिया कि :
तथ्यों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार याची  को ट्रेनिंग देने के लिए विचार किया जाये
लेकिन नियुक्ति के लिए याची के पास जब तक टी ई टी सर्टिफ़िकेट न हो कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता 
अगर विवेचन करने में कुछ गलती हुई हो तो कमेंट के माध्यम से सूचित कर सकते हैं , सुधरने का प्रयत्न करेंगे 

See Court Order :

HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

?Court No. - 30

Case :- WRIT - A No. - 18350 of 2006

Petitioner :- Surendra Kumar
Respondent :- State Of U.P. And Others
Counsel for Petitioner :- Ramesh Kumar,Pankaj Govil,T.K. Mishra
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Rajeev Joshi

Hon'ble Arvind Kumar Tripathi,J.
Heard learned counsel for the petitioner, Mr. Rajeev Joshi, learned counsel for the respondent no.6, learned Standing Counsel and perused the record.
By means of present writ petition the prayer is to issue writ of mandamus directing the respondents to appoint petitioner on the post of Assistant Teacher in B.T.C. Grade in pursuance of the advertisement published in Newspaper dated 23.1.2004, annexure 3 to the writ petition. Further by an amendment application dated 16.9.2013 petitioner requested that prayer be amended.
Learned counsel for the petitioner submitted that the petitioner was also one of the applicant to sent for Special B.T.C. Training. However, he was not sent and number of candidates, who were aggrieved approached the Court. Subsequently, the direction was issued by the High Court to sent for Special B.T.C. training against which State Government went to Supreme Court in special leave to appeal, which was dismissed. He also submitted that the other candidates are being sent by the State Government since the writ petition of the petitioner is pending hence petitioner is not going to be sent for Special B.T.C. Training.
Mr. Rajeev Joshi appearing on behalf of respondent no.6 submitted that now after the enactment and after the notification of the National Council for Teachers Education under 'the Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009' by the Central Government, the National Council for Teachers Education has been notified and declared as competent authority with regard to issue certificate of T.E.T. for appointment of teachers only there would be eligible for appointment as teachers in the Basic Primary School as T.E.T. has been made compulsory for all candidates.
Considered the submission of learned counsel for the parties. According to petitioner admittedly the advertisement was to sent for Special B.T.C. Training Course for the year 2004, thereafter for the Special B.T.C. Training Course 2008. This issue has been considered in division Bench of this Court in Special Appeal No.29 of 2013, Ashok Kumar and others Vs. State of U.P. and others. The controversy was settled by judgment dated 20.8.2013. It was held in the special appeal that after enactment of Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009 and� the prescription of Teachers' Eligibility Test as the qualification for applying for the posts of Assistant Teachers in Primary School, which has also been incorporated under the U.P. Basic Education� Teacheres Act, 1981 it is no longer possible for the Court to issue directions to the State Government to fill up all the seats of Special B.T.C. Course 2008, and to continue to appoint the Assistant Teachers in the primary school. On the basis of said notification, the National Council for Teachers Education has been constituted by the Central Government. It is a competent authority to issue certificate for teachers eligibility test (T.E.T.) and the same has been prescribed as qualification for appointment of primary school teachers by the State Government vide notification dated 23.8.2010. Hence now it will not be possible to appoint any candidate only on the basis� that they have passed B.Ed examination or they have completed Special B.T.C. Course or bridge course. The candidates will not be eligible for appointment as Assistant Teacher in the primary school run by the Basic Eduction Board� under the finance of State Government unless they have passed T.E.T. examination. In the year 2011 T.E.T. was held and candidates were declared successful, who were appointed in pursuance of the advertisement issued by the State Government. Hence in view of the fact, if� persons are being sent for Special B.T.C. Course in pursuance of the order of the Apex Court the case of the petitioner may also be consider to sent him for training.
As far as the appointment is concerned, unless there is a T.E.T. certificate no direction has to be issued to appoint as Assistant Teacher in primary school.
Accordingly, present writ petition is finally disposed off.
Order Date :- 10.10.2013
Pramod

Source : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=2860802


20 comments:

  1. हाईकोर्ट ने अपने आदेश मेँ स्पष्ट किया है कि सरकार चार माह की परिधि मेँ रहकर 31/3/14 तक शिक्षकोँ की भर्ती प्रक्रिया पूरी करे । सरकार द्वारा आदेश के त्वरित अनुपालन के बजाय सुप्रीमकोर्ट मेँ विशेष अनुज्ञ याचिका दाखिल करने संबंधी निर्णय से न्यायपालिका मेँ अथाह विश्वास रखने वाला जनमानस आहत है ।

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  2. वस्तुतः एक न्यायपालिका आम आदमी के अधिकारोँ की रक्षा करती है अंततः देर से ही सही हमे अपेक्षित न्याय मिला । खंडपीठ ने पूर्व विज्ञप्ति को बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा 1981 की यथासंशोधित 12वीँ नियमावली के अनुसार सही ठहराया है क्योँकि पन्द्रहवीँ नियमावली मेँ मात्र चयन का आधार बदलने मात्र से ही पूर्व विज्ञप्ति प्रभावहीन नही हो जाती । संशोधित विज्ञप्ति मेँ मूल विज्ञप्ति की कई नियम एवं शर्तो को नई सरकार ने किसी कानूनी प्रक्रिया के अपनाए बिना ही खत्म कर दिया जबकि 15वां संशोधन मात्र चयन प्रक्रिया मेँ परिवर्तन के लिए किया गया था सरकार के नीति नियामकोँ ने तो तथाकथित संशोधन की आंड़ मेँ पूर्व विज्ञप्ति की सारी मौलिकता ही नष्ट करने का दुष्साहस कर डाला था ।

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  3. न्याय की ठ्योढ़ी मेँ इसी यक्ष प्रश्न को हमारे साथियोँ ने रखा था । यदि सरकार SLP मेँ जाती है तो सुप्रीमकोर्ट इस मामले को प्रथम दृष्ट्या ही आरटीई एक्ट एवं एनसीटीई के उपबंधोँ के खिलाफ,अविधिक,वास्तविक तथ्योँ से परे संविधान मेँ निहित समानता के अधिकार और प्रकृतिक न्याय के विरुद्ध, विद्वेशपूर्ण एवँ अपोषणीय मानते हुए सुनवाई करने से इन्कार कर देगी । SC मेँ SLP खारिज़ होते ही खंडपीठ के आदेश की अवमानना से बचने के लिए सरकार को हमारी काउसंलिग शुरू करनी पड़ेगी ।

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  4. हाल फिलहाल मेँ राजनीति से प्ररित कई एक मामलोँ मेँ हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकारोँ को sc से स्टे नही मिला है । जिसका एक ख़ाका पुलिस भर्ती. सत्रान्त के बाद बीएड की रिक्त सीँटो को भरने,बि.बीटीसी चयन वर्ष 2007, एनसीटीई प्रभावित भूपेन्द्रनाथ त्रिपाठी मामला, वि बीटीसी 2008, बीपीएड को बाहर करने आदि सभी प्रकरणोँ मेँ यूपी सरकार को राहत नही मिली इसी प्रकार यदि ये सरकार अपनी स्वयं की भर्तियोँ को बचाने के बजाय यदि हमारी भर्ती को छेड़ने या गलत ठहराने का प्रयास करती है तो इनकी सभी भर्तियोँ का भर्ता बनना तय है ।

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  5. एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये!एक दिन बड़ा तंग आ करउसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आपपरमात्मा हैं , लेकिनलगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा! किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही ,तब धूप मिली, जब पानी तब पानी ! तेजधूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी ! किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे. फ़सल काटने का समय भीआया ,किसान बड़े गर्वसे फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया! गेहूं की एकभी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी, बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु ये क्या हुआ ? तब परमात्मा बोले,” ये तो होनाही था ,तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया . ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इससंघर्ष से जो बल पैदाहोता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जादेता है, उसकी जीवटताको उभारता है.सोने कोभी कुंदन बनने के लिएआग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !” उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो,चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता !ये चुनोतियाँ ही हैंजो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना हैतो चुनोतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे. अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बननाहै ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा !

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  6. सब छोटे बड़े भैया बहिनी के प्रणाम, टी ई टी मेरिट क आभूषण अशोक भूषण दद्दा एतना चँपुआ आडर सरकरवा के ठोक देहने की अखिलेशवा सरवा कबूत्तर की नाहीं मूड़ी हिलावत बा, हा हा हा हा। एके ससुरा के समझी में ना आवत बा कि दौलताबाद रहै के बा कि दिल्ली चलै के बा। इ ससुरा हमार सब क बियाहौ ना होवै देत ह जे केहू आवतो बा उ ससुर अमर अँधेरा और दैनिक भागरण पढ़ के बिदक जात बा और ऐसे भागत बा जैसे केहू पिछवाड़ा में पेट्रोल छुवा के सुतली बम लगा देहले हौ . ससुरा रोज रोज नया नया फारमूला चाँपत बा इहाँ जायेँगे उहाँ जायेँगे,चपरासी भेज के वकील खोजत बा पगला एके सारे के दिल्ली में वकीलै ना मिलत बाटैं,जो गदहवा उहाँ तोर कक्का हथौड़ा ले के अगोरत बाटैं कि कब अखिलेशवा आवै और कब एकर पैजामा उतारल के ठोकल जाय.ठंडी शुरू हो गईल बा और रजाई गद्दा कंबल मफलर कुल खरीदै के बा,जूता फाट गयल बा और हम ओके अखबार में लपेट के रख देहले बानीं जब चच्चा लोग वोट माँगै अईहैं तब काम आई, और कुल ठीक बा भइया बहिनी, एकेडमिक वाले भइया राम नाम सत्य हौ.

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  7. चारोँ तरफ से सुनने मेँ आ रहा है कि सरकार 15वाँ संशोधन बचाने सुप्रीम कोर्ट जाएगी,...लेकिन क्या SC मेँ C.B.Yadav जैसा कोई पहलवान वकील मिल पाएगा जो कोर्ट मेँ खडा होकर should be को may be पढ पाए या टेट 2011 पर लगभग 11000 भर्तियाँ करने के बाद उसमेँ धाँधली की बात कर सके या भिन्न-भिन्न संस्थाओँ से पिछले कई वर्षो के परीक्षाफलोँ मेँ मिले अंकोँ मेँ समानता दर्शा सके...? विश्वास मानिए 72825 की काउन्सिलिँग की तिथि का एलान 10 Dec. को लखनऊ मेँ आपकी भारी सँख्या ही कराएगी।

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  8. विश्व का आठवाँ आश्चर्य:-नरेन्द्र मोदी, जानिये कैसे ....
    12 साल मुख्यमंत्री रह कर भी:-....
    जो अपनी माँ के लिए आलिशान महल नहीं बना पाया हो, ..
    जो एक भी घौटाला ना कर पाया हो ,....
    जिसका भाई अभी भी एक छोटा सा सरकारी कर्मचारी हो, ..
    जिसका स्विस बैंक में एकाउंट ना हो, ...
    जो जाति धर्म की गन्दी राजनीती ना कर देशहित की बातें करता हो, ..
    जिसके राज्य में सुख-सम्रद्धि-शांति का माहोल हो ...
    जो निजी स्वार्थ की नहीं देश की सम्रद्धि चाहता हो, ..
    जिसने एक चाय बेचने से लेकर इतना लम्बा सफ़र तय किया हो और घमंड किंचित मात्र भी ना हो,...
    जो सामने वाले की बात पूरे मनोयोग से सुनता हो,..
    जो बोलते समय सुनने वालों को इतना मोहित कर लेता हो जिस कारण सुनने वाले उससे सीधे व्यक्तिगत तौर पर जुड़ जाते हों, भले ही सुनने वालों की संख्या लाखों में क्यूँ ना हो,....
    ऐसे शख्स का नाम है नरेंद्र मोदी, ..

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  9. ABHI TAK 12 BAAR JITNI RAJYA SARKAR HAIN WO STATE H.C KE FAISLE KE KHILAF SLP ME S.C GAYI HAI AUE 12 BAAR USKI YACHIKA TURN DOWN HUI HAI

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  10. दोस्तों आप सब से निवेदन है कि अपने हक के लिए अपने अपने घरो से निकलो और इस तानाशाह सरकार को मुह तोड़ जबाब देने के लिए १० दिसंबर को लखनऊ पहुचे
    अभी नही तो कभी नही
    मै विस्वास दिलाता हु की आपकी भारी भीड़ देखकर सर्कार SC जाने का विचार त्यागकर काउंसिलिंग डेट देने पे मजबूर हो जायेगी

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  11. अब फैसला आपको करना है कि आपको नौकरी लेनी है या सरकार द्वारा किये जा रहे ड्रामे को अपने घर बैठ कर देखना है.
    आज तक सरकार के इस उत्पीडन से हमारे लगभग १५ साथी आत्महत्या जैसा ठोस कदम उठा चुके है . क्या आप चाहते है कि हमारा और कोई साथी ऐसा कदम उठाने पे मजबूर हो. अगर नहीं तो १० को अपना सारा काम छोड़कर लखनऊ पहुचे जिससे सरकार और उसके नुमैन्दे भरती करने को मजबूर हो जाये.
    जय टेट

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  12. 10 दिसम्बर !! 10 दिसम्बर !! 10 दिसम्बर
    ये तारीख अपने दिमाग में ,,,, अपने दिल में ,,,,,अपनी दिनचर्या में ,,,,,अपने होश में,,,,,अपने जोश में,,,,अपने आप में,,,, अपने जज्बात में,,,,,अपने हर साथी के जीत के आत्मविश्वास में ऐसा भर दो ताकि यह तारीख आने वाले समय में सरकार और हमको ,,,,दोनों को कुछ ऐसा यादगार समय दे जाये ताकि सरकार की आगे से कुछ गलत करने की हिम्मत न पड़े और अखिलेश यादव सपने में भी हमारी आवाज से चौंक जाये,,,,,,,,,,

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  13. पूरे भारत में यह नियम लागू किया जाना चाहिए कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है। चाहे वो कलेक्टर हो या SP या कोई अन्य कर्मचारी। सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढेंगे और जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में न पढते हो उन्हें सरकारी नौकरियों से निकाल दिया जाए। सभी लोग समझ सकते है कि जब जिले के कलेक्टर और SP तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो उन स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक किस तरह की पढाई वहाँ करवाएँगे। सभी शिक्षक स्कूल समय पर आएँगे और अपना कार्यपूरी ईमानदारी से करेंगे। जो शिक्षक किसी जुगाड़ के चलते शिक्षक बने है और पढाने में असमर्थ है वो स्वयं अपना इस्तीफा सरकार को सौंप देंगे। शिक्षा के स्तर में अचानक उछाल आ जाएगा और अपने देश के बच्चे भी मिसाल कायम करेंगे। जो भी मित्र इस पोस्ट को पढ़ रहे है अगर उन्हें यह सुझाव अच्छा लगे। तो कृपया ये सुझाव सरकार तक पहुचाँने मेँ मदद करे ।

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  14. चाय बेचने वाला कभी प्रधानमंत्री नहीँ बन सकता है- दिग्विजय सिंह
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    हाँ सही कहा डिग्गी जी आपने , देश चलाने के लिए तो ज़मीर ( अंतरात्मा ) बेचनेवाला चाहिए ,
    है ना ?

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  15. हमारे आंदोलन से प्रेरित होकर पूरा समाज उससे एक सीख ले सके । साथ ही साथ पत्रकारिता जैसे निर्मल और पवित्र कार्य को मुर्गे की दो टांगों और अंग्रेजी शराब के 3 प्यालों के लिये नेताओं के लिये रंडी बना देने वाले पत्रकारों को भी इससे उनकी औकात पता चल सके,,,,,,,, जिनका कार्य अब सत्य से हटकर सिर्फ और सिर्फ अपने व्यक्तिगत कार्य और लाभ नेताओं से निकालने तक सीमित रह गया है । जिस प्रकार का षडयंत्र इस सरकार और लुच्चे पत्रकारों ने मिलकर हमारे विरूद्ध किया है क्या इसका बदला आप नहीं लेना चाहेंगे ??

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  16. एक बार जहाँ हमारी हजारों की भीड़ विधान सभा के सामने अखिलेश सरकार का 2014 का सपना चीरने में कामयाब हो गयी,,,वहाँ यह स्वयं अपनी औकात में आ जायेगी । इसलिये मेरे साथियों एक दिन का समय आप जरूर दें और अपने साथियों को उसके लिये प्रेरित करें । उनको समझायें,,,,,,अपने साथ जोड़े,,,,,,प्राइवेट स्कूलों की जंजीरों से एक दिन के लिये मुक्त होने के लिये कहें ,,,,,,मुझे बड़ा अफसोस होता है कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले हमारे साथी टेट में अच्छे नम्बर प्राप्त करने के बावजूद सिर्फ एक दिन की 150 रूपये की तंख्वाह कट जाने के डर से हमारे आंदोलन में शामिल नहीं होते ,,,,,,,मैं ऐसे मित्रों को बताना चाह्ता हूँ कि क्या यही 150 आपकी जिंदगी सुधार देंगे ,,,,,,ऐसे मैनेजरों की गुलामी क्या उचित है ?????????जो कि अगले महीने की 15 तारीख बीत जाने के बाद भी बिना माँगे आपकी सेलेरी के 3500 या 4500 भी नहीं देते ????? ,,,,,क्या आप अपना सामाजिक स्तर इतना ही समझते हैं,,,,????? ,क्या इसी को अपना भविष्य बनाना चाह्ते हैं ,,,,,?????? या मात्र इतने से ही अप संतुष्ट हैं,,,,,,, और साथ में महीने में एक बार अपने मैनेजर के कटु और व्यंगात्मक वचनों को भी अपना अमृतपान समझते हैं ,,,,,क्या आप अपने बच्चों की छोटी – छोटी ख्वाहिशें तक भी इससे पूरी कर सकते हैं ,,,,....मुझे पता है इसका जवाब होगा नहीं ,,,,,,तो फिर काहे की जी हुजुरी और गुलामी ???????,,,,,10 तारीख को निकलिये,,,,हमारे साथ आइये,,,,,,संघर्ष को आगे बढ़ाईये,,,,,अपने आत्म सम्मान की रक्षा कीजिये,,,,,,,,अपने गौरव यूँ 5000 के लिये मत बेचिये,,,,,,,,

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  17. अपने टेट के नम्बरों की औकात को समझिये,,,,,,,समाज और अपने प्रबन्धकों के कटु और आलोचनात्मक वचनों का जवाब दीजिये,,,,,,,,,,,हर उस व्यक्ति को मुँह तोड़ जवाब दीजिये जिसने धाँधली के नाम पर आपका जीना दुश्वार कर दिया था,,,,,इस हरामखोर सरकार को उसकी मंशा को जड़ से उखाड़ फेँकने में हमारी मदद कीजिये,,,,,,,, इतना तो मुझे पता है कि यह नौकरी हमें ही मिलेगी,,,,,,,,,फिर चाहे क्यों न ये सुप्रीम कोर्ट के कर कमलों द्वारा हो या तब हो जब एक बार फिर मायावती सरकार बने................ लेकिन आप सब अगर हमारे संघर्ष में अपनी स्वयं की नौकरी के लिये हमारा साथ देंगे तो मैं वादा करता हूँ कि फरवरी 2014 से पहले ही अधिकांश के हाथ में उनका नियुक्ति पत्र ,,,,उनका उज्जवल भविष्य,,,,समाज में उचित सम्मान और अपने ललाट पर जीत की एक मधुर मुस्कान होगी ।
    धन्यवाद

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  18. सरकार यदि खंठपीठ के आदेशक्रम मेँ अविलम्ब काउसंलिग शुरू नही करती है तो उनके कई अधिकारी जेल मेँ होँगे ।

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  19. तनाव एवं समाधान:
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    तनाव में वही होता है जिसकी सोच सीमित होती है।
    मै भी कभी-कभी सीमित में ही सोचता हूँ तो तनावयुक्त हो जाता हूँ।
    उदाहरण स्वरुप यह भली-भांति जानता हूँ कि संतान (B.Ed.) से बड़ी संतान की ममता होती है चाहे वह अपनी पत्नी(TET) से पैदा हुई हो या प्रेमिका(ACD) से उत्पत्ति हुयी हो और प्रेमिका को पत्नी का रूप देने में (15th) सफलता न मिली हो या पत्नी का रूप देने के बाद जुदाई(S.B./D.B./L.B./S.C) ने जकड़ लिया हो परन्तु उससे उत्पन्न संतान(100%TET/12th) बड़ी प्रिय होती है।
    इस ७२८२५ पदों की शिक्षक भर्ती के विषय में जब सीमित रूप में सोचता हूँ तो यह लगता है कि शैक्षिक मेरिट के समर्थक सुप्रीम कोर्ट से हार जायेंगे और भर्ती शीघ्र अकैडमिक से शुरू हो जायेगी तो तनावग्रस्त हो जाता हूँ।
    अतः इस भर्ती के अंतिम संभावित परिणाम तक सोचकर तसल्ली ले लेता हूँ।
    लोकसभा चुनाव के सामने होते हुए भी सरकार अपने प्रिय नाजायज संतानों (ACD) को खुश करने के लिये सुप्रीम कोर्ट जरुर जाएगी ।
    आज मजबूर है कि आखिर वो क्या करे।
    उसकी हार्दिक इच्छा है कि उसकी नाजायज संतान अपने हक के लिये लड़कर कानूनी अधिकार ( 15 th ) प्राप्त करे लेकिन दुर्भाग्य उसका यह है कि उसके हक का वजूद नहीं है क्योंकि उसपर जायज हक किसी और(TET) का है।
    ईश्वर करे ऐसा ना हो लेकिन दूर (हेग) तक सोचने में क्या जाता है। अतः आप भी सोचकर कुछ मन को तसल्ली दे लो।
    न्यायमूर्ति टंडन ने सरकार से कहा कि
    "ये ( पुराने आवेदक एवँ अधिक आयु के ) कुछ लोग हैं इनको कानूनी अधिकार दो और इनका वाजिब हक दो ,बिना किसी के अहित के "
    तो सरकार ने
    अपनी नयी संतान (ACD) ही पैदा कर दी।
    पहले से वाजिबों ने कहा कि मेरे रहते ये लोग नहीं आ सकते और इंसाफ मांगने न्यायमूर्ति हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र के पास गये तो इन दोनों ने कहा कि ७२८२५ लोग की जिन्दगी की सवाल है सरकार तत्काल
    अपने क्रियाकलाप पर रोक (4 FEB) लगाये।
    न्यायमूर्ति हरकौली जी ने खुद को बीच मेँ से ही मामले से हटा लिया ।
    न्यायमूर्ति महापात्रा ने कहा कि अभी हम जायज- नाजायज का फैसला नहीं कर पायेंगे। क्योँकि चुनाव मेँ अभी समय है।
    जायज नाजायज की पहचान के लिये न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा सामने आये और कहा कि पुराने 12th वाले जायज हैं।
    सरकार उनके हकों पर कोई और संतान 15 th नहीं पैदा कर सकती है।
    बेचारे नये फुटपाथ पर आ गये।
    सरकार अपने इन बच्चों के लिये ( सही मायने मेँ टेढ़ी नाक के लिए ) बहुत चिंतित है लेकिन उसे यह भी चिंता है कि जो जायज हुये है अगर अब मैंने उनको नाराज किया तो मेरा बुढ़ापा ख़राब हो जायेगा। क्योँकि बुढ़ापे मे तो जायज ही काम आता है।
    जायज संतानें सुप्रीम कोर्ट गयीं और वहां चेता (CAVEATE )आईँ कि अगर कोई मेरा हक लूटने आये तो मुझे जरूर बताना मै आकर अपना हक साबित करूँगा ।
    अब बाबू जी तो सुप्रीम कोर्ट जाने रहे हैँ अगर नाजायज संतानें सुप्रीम कोर्ट जाकर कहेंगी कि मेरे बाबू जी मेरा हक नहीं दे रहे हैं और कुछ लोग को न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने हमारा हिस्सा सौप दिया है ।
    सुप्रीम कोर्ट बोलेगी अरे हां एक दिन वो लोग आये थे यहाँ पर, रुको मैँ उनको अभी बुलाता हूँ और तुम्हारे सामने सब साफ़ हो जायेगा।
    बाबू जी जायेंगे कहेंगे मै धृतराष्ट्र (मलयालम )हूँ दुर्योधन (पिल्ला देव)मेरा पुत्र है मैंने उसे राजगद्दी देनी चाही लेकिन न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि बेशक़ युधिष्ठिर ( Mr. TMNTBN )आपका बेटा नहीं है लेकिन हक उसी का है।
    बाकी हुज़ूर आप जैसे कहो वैसे करूँ।
    हुज़ूर को लगेगा कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने सही कहा तो सबको लौटा देंगे और फिर राज्याभिषेक (CNSLNG )होगा।
    अगर जायज लोग अपनी बात से हुज़ूर को संतुष्ट ना कर पाये तो उनके राज्याभिषेक पर हमेशा के लिए रोक लग जायेगी और फिर फैसला होगा की जायज कौन है और अंत में जायज पुनः जायज साबित होगा ।
    जितना विलम्ब जायज नाजायज की पहचान में हुज़ूर लेंगे उतना अतिरिक्त वक़्त हमारे राज्याभिषेक के लिये देंगे।
    अगर इस नूराकुश्ती (OLD-NEW /TET -ACD/12th-15th/MAYA-LESS/VALID-INVALID/) में मामला हुज़ूर तक ना पहुंचा या हुज़ूर ने सुनने से इंकार कर दिया और नियुक्त होने का समय भी निकल गया तो बेसिक सचिव पर कंटेम्प्ट होगा जिसे अक्सर न्यायमूर्ति देवेंन्द्र सिंह सुनाते हैं जिन्हें कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट का कसाई जज कहा जाता है या फिर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल सुनेंगे परिणाम स्वरुप सचिव जेल जायेंगे और हम पुनः एकल बेंच में रेमेडी मांगेंगे और तब मुझे रेमेडी मिलेगी और नियुक्ति होगी।
    अंततः जीत सत्य की होगी चाहे आज हो या कल हो।
    भारत का सिस्टम जितना धीमा है मै उतनी ही दूर तक सोचता हूँ ,
    भाई क्या करूँ जान देने से तो कुछ होगा नहीं , कभी तो अच्छा होगा ।
    धन्यवाद।

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  20. 10 दिसम्बर की महारैली मेँ टेट मेरिट समर्थकोँ के साथ-साथ वे सभी बीएड टेट पास शिक्षामित्र भी लखनऊ आएँ जिनका हित ओल्ड एड से जुड़ा हो ।

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