News : ATM से पैसा निकालना पड़ेगा महंगा, हर बार देने होगे 6 रु.
अब एटीएम से बार-बार पैसा निकालना महंगा पड़ सकता है क्योंकि बैंक प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर कस्टमर से 6 रुपये चार्ज लेने जा रहा है. बैंकों को ऐसा करना इसलिए जरूरी हो गया क्योंकि विभिन्न राज्य सरकारों ने बैंकों को कस्टमर की सुरक्षा के लिए एटीएम पर कड़े सुरक्षा उपाय करने के निर्देश दिए हैं. जाहिर है कि सुरक्षा के इंतजाम के लिए बैंक कस्टमर से ही वसूली करेंगे.
गौरतलब है कि बेंगलुरु के एक एटीएम में महिला कस्टमर को लूटे जाने और घातक वार की सनसनीखेज वारदात के बाद राज्य सरकारें एटीएम में कस्टमर की सुरक्षा को लेकर बैंकों को निर्देश दे चुकी हैं. ऐसे में सुरक्षा के लिए बैंक 6 रुपए प्रति ट्रांजैक्शन लगाए जाने की कोशिश कर रही हैं.
वहीं कर्नाटक और तमिलनाडु ने 24 घंटों के लिए सुरक्षा गार्ड्स मुहैया करने के लिए डेडलाइन बैंकों को दे दी है. महाराष्ट्र में भी सरकार ने एटीएम के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के निर्देश बैंकों को दे दिए हैं.
टेट मोर्चा का हाथ आपका साथ आपके सपने साकार कर सकता है । सरकार की टीम दिल्ली से खाली वापस । सर्वोच्च न्यायालय के विधि विशेषज्ञो ने शिक्षक भर्ती मामले मे राहत की उम्मीद से इनकार किया । सरकार के कदम को आत्मघाती बताया । 10 दिसंबर को लखनऊ मे आपकी उपस्थिति सरकार पर काउंसलिँग तिथि घोषित करने के लिए दबाव बनाने मे मददगार होगी
ReplyDeleteभिखारिन - “बच्चा भूखा है, कुछ दे दे सेठ!”
ReplyDeleteगोद में बच्चे को उठाए एक जवान औरत
हाथ फैला कर भीख माँग रही थी।
“इस का बाप कौन है? अगर पाल नहीं सकते
तो पैदा क्यों करते हो?”
सेठ झुंझला कर बोला।
औरत चुप रही। सेठ ने उसे सिर से पाँव तक
देखा। उसके वस्त्र मैले तथा फटे हुए थे,
लेकिन बदन सुंदर व आकर्षक
था।
वह बोला, “मेरे गोदाम में काम
करोगी? खाने को भी मिलेगा और पैसे
भी।”
भिखारिन सेठ को देखती रही, मगर
बोली कुछ नहीं।
“बोल, बहुत से पैसे मिलेंगे।”
भिखारिन बोली...
“सेठ तेरा नाम क्या है?”
“नाम !! मेरे नाम से तुझे क्या लेना देना?”
“जब दूसरे बच्चे के लिए भीख
माँगूंगी तो लोग उसके बाप का नाम पूछेंगे
तो क्या बताऊँगी ?”
........अब सेठ चुप था.....
कश्ती भी नहीं बदली, दरिया भी नहीं बदला,
ReplyDeleteहम डूबने वालों का जज्बा भी नहीं बदला,
है शौक-ए-सफर ऐसा, इक उम्र हुई हम ने,
मंजिल भी नहीं पाई और रास्ता भी नहीं बदला..!!
तनाव एवं समाधान:
ReplyDelete______________________
तनाव में वही होता है जिसकी सोच सीमित होती है।
मै भी कभी-कभी सीमित में ही सोचता हूँ तो तनावयुक्त हो जाता हूँ।
उदाहरण स्वरुप यह भली-भांति जानता हूँ कि संतान (B.Ed.) से बड़ी संतान की ममता होती है चाहे वह अपनी पत्नी(TET) से पैदा हुई हो या प्रेमिका(ACD) से उत्पत्ति हुयी हो और प्रेमिका को पत्नी का रूप देने में (15th) सफलता न मिली हो या पत्नी का रूप देने के बाद जुदाई(S.B./D.B./L.B./S.C) ने जकड़ लिया हो परन्तु उससे उत्पन्न संतान(100%TET/12th) बड़ी प्रिय होती है।
इस ७२८२५ पदों की शिक्षक भर्ती के विषय में जब सीमित रूप में सोचता हूँ तो यह लगता है कि शैक्षिक मेरिट के समर्थक सुप्रीम कोर्ट से हार जायेंगे और भर्ती शीघ्र अकैडमिक से शुरू हो जायेगी तो तनावग्रस्त हो जाता हूँ।
अतः इस भर्ती के अंतिम संभावित परिणाम तक सोचकर तसल्ली ले लेता हूँ।
लोकसभा चुनाव के सामने होते हुए भी सरकार अपने प्रिय नाजायज संतानों (ACD) को खुश करने के लिये सुप्रीम कोर्ट जरुर जाएगी ।
आज मजबूर है कि आखिर वो क्या करे।
उसकी हार्दिक इच्छा है कि उसकी नाजायज संतान अपने हक के लिये लड़कर कानूनी अधिकार ( 15 th ) प्राप्त करे लेकिन दुर्भाग्य उसका यह है कि उसके हक का वजूद नहीं है क्योंकि उसपर जायज हक किसी और(TET) का है।
ईश्वर करे ऐसा ना हो लेकिन दूर (हेग) तक सोचने में क्या जाता है। अतः आप भी सोचकर कुछ मन को तसल्ली दे लो।
न्यायमूर्ति टंडन ने सरकार से कहा कि
"ये ( पुराने आवेदक एवँ अधिक आयु के ) कुछ लोग हैं इनको कानूनी अधिकार दो और इनका वाजिब हक दो ,बिना किसी के अहित के "
तो सरकार ने
अपनी नयी संतान (ACD) ही पैदा कर दी।
पहले से वाजिबों ने कहा कि मेरे रहते ये लोग नहीं आ सकते और इंसाफ मांगने न्यायमूर्ति हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र के पास गये तो इन दोनों ने कहा कि ७२८२५ लोग की जिन्दगी की सवाल है सरकार तत्काल
अपने क्रियाकलाप पर रोक (4 FEB) लगाये।
न्यायमूर्ति हरकौली जी ने खुद को बीच मेँ से ही मामले से हटा लिया ।
न्यायमूर्ति महापात्रा ने कहा कि अभी हम जायज- नाजायज का फैसला नहीं कर पायेंगे। क्योँकि चुनाव मेँ अभी समय है।
जायज नाजायज की पहचान के लिये न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा सामने आये और कहा कि पुराने 12th वाले जायज हैं।
सरकार उनके हकों पर कोई और संतान 15 th नहीं पैदा कर सकती है।
बेचारे नये फुटपाथ पर आ गये।
सरकार अपने इन बच्चों के लिये ( सही मायने मेँ टेढ़ी नाक के लिए ) बहुत चिंतित है लेकिन उसे यह भी चिंता है कि जो जायज हुये है अगर अब मैंने उनको नाराज किया तो मेरा बुढ़ापा ख़राब हो जायेगा। क्योँकि बुढ़ापे मे तो जायज ही काम आता है।
जायज संतानें सुप्रीम कोर्ट गयीं और वहां चेता (CAVEATE )आईँ कि अगर कोई मेरा हक लूटने आये तो मुझे जरूर बताना मै आकर अपना हक साबित करूँगा ।
अब बाबू जी तो सुप्रीम कोर्ट जाने रहे हैँ अगर नाजायज संतानें सुप्रीम कोर्ट जाकर कहेंगी कि मेरे बाबू जी मेरा हक नहीं दे रहे हैं और कुछ लोग को न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने हमारा हिस्सा सौप दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट बोलेगी अरे हां एक दिन वो लोग आये थे यहाँ पर, रुको मैँ उनको अभी बुलाता हूँ और तुम्हारे सामने सब साफ़ हो जायेगा।
बाबू जी जायेंगे कहेंगे मै धृतराष्ट्र (मलयालम )हूँ दुर्योधन (पिल्ला देव)मेरा पुत्र है मैंने उसे राजगद्दी देनी चाही लेकिन न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि बेशक़ युधिष्ठिर ( Mr. TMNTBN )आपका बेटा नहीं है लेकिन हक उसी का है।
बाकी हुज़ूर आप जैसे कहो वैसे करूँ।
हुज़ूर को लगेगा कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने सही कहा तो सबको लौटा देंगे और फिर राज्याभिषेक (CNSLNG )होगा।
अगर जायज लोग अपनी बात से हुज़ूर को संतुष्ट ना कर पाये तो उनके राज्याभिषेक पर हमेशा के लिए रोक लग जायेगी और फिर फैसला होगा की जायज कौन है और अंत में जायज पुनः जायज साबित होगा ।
जितना विलम्ब जायज नाजायज की पहचान में हुज़ूर लेंगे उतना अतिरिक्त वक़्त हमारे राज्याभिषेक के लिये देंगे।
अगर इस नूराकुश्ती (OLD-NEW /TET -ACD/12th-15th/MAYA-LESS/VALID-INVALID/) में मामला हुज़ूर तक ना पहुंचा या हुज़ूर ने सुनने से इंकार कर दिया और नियुक्त होने का समय भी निकल गया तो बेसिक सचिव पर कंटेम्प्ट होगा जिसे अक्सर न्यायमूर्ति देवेंन्द्र सिंह सुनाते हैं जिन्हें कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट का कसाई जज कहा जाता है या फिर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल सुनेंगे परिणाम स्वरुप सचिव जेल जायेंगे और हम पुनः एकल बेंच में रेमेडी मांगेंगे और तब मुझे रेमेडी मिलेगी और नियुक्ति होगी।
अंततः जीत सत्य की होगी चाहे आज हो या कल हो।
भारत का सिस्टम जितना धीमा है मै उतनी ही दूर तक सोचता हूँ ,
भाई क्या करूँ जान देने से तो कुछ होगा नहीं , कभी तो अच्छा होगा ।
धन्यवाद।
मेरे ब्लाग TET मेँ धाँधली वाली न्यूज मेँ सार्वाधिक हैँ,
ReplyDeleteजो इससे 2 न्यूज पहले है ।
. . . . . . . . . . . . धन्यवाद
मौसम विभाग ने हाईअलर्ट जारी किया 10 दिसम्बर को लखनऊ मेँ भयंकर तूफान आने वाला सरकार के हाथ पाँव फूले लखनऊ के लोगोँ को घरोँ मेँ रहने की सलाह दी गई । इस महातूफान को मौसम विभाग ने नाम दिया । "टेटफून " टेटफून आ रहा 10 दिसम्बर को लखनऊ ।
ReplyDeleteजिन लोगो को लगता है कि विदेशी शिक्षा हमेशा ही देसी शिक्षा से अच्छी होती है उनको दंगा प्रदेश के मुख्यमंत्री मुन्ना यादव से प्रेरणा लेनी चाहिए कि बंदर हमेशा ही बंदर रहेगा और उसके हाथ में सत्ता रुपी उस्तरा देना हमेशा ही खतरनाक नतीजे देगा..........
ReplyDeleteयुवाओ कि सरकार कहने का दावा करने वालो ने सत्ता में आते ही पहले आरक्षण विवाद पैदा करके दोस्त को दोस्त से लड़ाया फिर टीइटी मामले में भाई को भाई से लड़ाने के कोशिश कर रहे है .......
चूकि सरकार को लगभग २ लाख प्राइमरी टीचर कि जरूरत है तो मेरा मानना है कि अकादमिक और टीइटी दोनों मोर्चा में लगे सारे भाई आपसी मतभेद भुला कर आपस में एकता बनाए रखते हुवे सरकार से मांग /सारकार को मजबूर करे कि ये लोग अपने सत्ता के लाभ के ;लिए भाई को भाई से लड़ना छोड़ कर दोनों लोगो को भर्र्ती करे ......
अकादमिक और टीइटी दोनों मोर्चे कि एकता समय कि मांग है कही ऐसा न हो कि समय निकल जाए फिर केवल हाथ मलने के सिवा और कुछ ना कर पाएं ........
बहुसंख्यक उसे "बरसात समझ कर" ख़ुशी से नाच रहा है...!
ReplyDeleteजबकि... आज देश में बहुसंख्यकों के इतने बड़े-बड़े और प्रभावशाली संगठन मौजूद हैं कि.... अगर वे आपस में सही तालमेल रखकर और एकजुट होकर काम करें तो...... विधर्मियों को आँखें दिखाना तो छोड़ ही दें.... ऊँची आवाज में बोलने तक का साहस नहीं होगा.....!
लेकिन लगता है कि.... बहुसंख्यकों को लात खाने और हर किसी से बेइज्जत होते हुए भी आत्मविभोर रहने की आदत सी पड़ गयी है...!
लेकिन .... एक बात हमेशा याद रखें........ जो इतिहास से कोई सीख नहीं लेते हैं.... इतिहास फिर से अपने आपको दुहराता है.
Congress mukt bharat ki disha me aaj pratham charan prarambh hone par sabhi ko hardik shubhkamnayen.
ReplyDeleteपुत्रमोह मे सपाप्रमुख को अब हा ई कोर्ट
ReplyDeleteका आदेश भी नही सुनायी देता वह टेट
बेरोजगारो को प्रताड़ित होते लुटते ही देखना चाहते
है क्या मायावती ने टेटयँस के
वोटो का बैनामा करवा लिया अथवा सपा को टेटयँस
के वोटो से चिढ है तभी तो दो साल से लगातार
टेटयँस पर कभी लाठीचार्ज कभी दोबारा फार्म
डलवा कर लूटा जा रहा है अतः सभी टेटयँस
10दिसम्बर को लखन ऊ पहुचकर अपनी आवाज
बुलंद करे
जयटेट मेरिट
जय न्यायपालिका
साथियोँ,हम सब दो साल से बेरोजगारी झेल रहे हैँ,एक बात का विशेष ध्यान रखेँ कि केवल पैसोँ की कमी के कारण हमारा कोई साथी 10 दिसम्बर को लखनऊ जाने से वंचित ना रह जाए।
ReplyDeleteJAI TET MERIT
दोस्तों,
ReplyDeleteदिल्ली विधान-सभा के चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और पूरा देश बड़ी बेसब्री के साथ 08 दिसंबर 2013 की तारीख की बाह जोट रहा है....”आप” ये उम्मीद करती है कि दिल्ली की जनता ने जरुर ही इस मुल्क की राजनीती को नयी राह दिखाने का फैसला किया होगा भले हो वो अभी सरसरी तौर पर चुनाव-पश्चात एग्जिट पोल् में परिलक्षित ना हो रहा हो....खैर चुनाव लड़ना- और फिर जितना या हारना- बस एक पड़ाव भर होता है व्यवस्था बदलाव की इस जंग में...असली लड़ाई तो सत्य और जवाबदेही के लिए है...
एक बार पप्पू अपनी क्लास टीचर के पास गया और उस से बोला, "मैडम जी एक बात पूछूं?"
ReplyDeleteशिक्षिका: हाँ बेटा पप्पू बोलो।
पप्पू: मैडम जी मैं आपको कैसा लगता हूँ?
शिक्षिका ने मुस्कुराते हुए पप्पू के गाल को थपथपाया और बोली, "बहुत ही प्यारे लगते हो"।
यह सून पप्पू ने अपने साथ बैठे लड़के को कोहनी मारी और बोला,
"देख तेरे को मैँने कल बोला था ना लाइन मारती है"।
Ek sandesh meri bahno k liye .
ReplyDeleteKya aap job nahi chahti? Yadi apka bhai aap ke liye ladega to aap uska sath nahi dengi? To 10 December ko Lucknow jaror pahuche . Apne parijano ko bhi sath lae .unhe ane k liye uttsahit to kare yadi aap himmat hi nahi dikhayegi to apni is bhol per aap hamesha sarminda hogi ki kash maine thodi himmat dikhai hoti to aaj ka manjar kuch or hi hota . To abhi bi samay h. Ap ye shandesh jyada se jyada bahno tak pahuchaye or apni niyukti ka marg prashashat kare .
Ek sandesh meri bahno k liye .
ReplyDeleteKya aap job nahi chahti? Yadi apka bhai aap ke liye ladega to aap uska sath nahi dengi? To 10 December ko Lucknow jaror pahuche . Apne parijano ko bhi sath lae .unhe ane k liye uttsahit to kare yadi aap himmat hi nahi dikhayegi to apni is bhol per aap hamesha sarminda hogi ki kash maine thodi himmat dikhai hoti to aaj ka manjar kuch or hi hota . To abhi bi samay h. Ap ye shandesh jyada se jyada bahno tak pahuchaye or apni niyukti ka marg prashashat kare .
tetians kanpur dehat ke tet
ReplyDeleteleader ka m.no.&name post
kare pls.mai kanpur dehat se 10
logo ko sath lekar aana chahta hu.
c
ReplyDeletekanpur dehat...sachin yadav..9455878898..tet..merit jindabad
ReplyDelete72825 और 10 दिसम्बर
ReplyDelete"""""""""""""""""""""""""
लगभग 4 लाख सालाना की नौकरी हमारे हाथ से छीन ली गई है।
गावं में सीधे साधे किसान के खेत की मेंड कोई दूसरा काट ले तो वो लड़ मरता है कोर्ट के चक्कर काटने से भी नहीं डरता। खिड़की का कोई कांच तोड़ दे तो घर की महिलाये लड़ने पहुच जाती हैं। मोहल्ले में कूड़े के लिए डी एम के आगे धरना दे दे ते हैं।
और जिस पर हमारा हमारे बच्चों का भविष्य टिका है। उसके लिए लखनऊ तक जाने में 10 बार सोच रहे हो।
दोस्तों ये आखिरी लड़ाई है फिर मौका भी नहीं मिलेगा अर्थात अभी नहीं तो कभी नहीं। बाद में पछताना ही रह जायेगा फिर करते रहना 3000 की नौकरी । मुझे जरुरत नहीं फिर भी आप के लिए आ रहा हूँ । में पूर्ण रूप से संपन्न हूँ। अच्छा कारोवार है मेरा । लेकिन बात हक और उसूलों की है संगठन की है भाई चारे की है ।आप अध्यापक हो सब समझते हो।
जय टेट जय टेट मेरिट।
Bhai ek news mili hai ki Central Government ne additional time dene se mana kr diya
ReplyDeletewo ro rokar kahti rhi .
ReplyDeletem nafrat karti hu tumse .....
magar ek sawal aaj bhi pareshan karta h ..
ki agr nafrat hi thi to vo royi kyu !!!!!!
hi
ReplyDeleteएक चोर चोरी करने के इरादे से एक घर में घुसा, तिजोरी तोड़ने से पहले उसने देखा की उस पर कुछ लिखा हुआ था:
ReplyDelete'सूचना : तिजोरी तोड़ने की कोई ज़रूरत नहीं हे, इस खोलने के लिए ४२५ नंबर दबाएँ और सामने लगा लाल बटन दबा दें।
चोर बडा खुश हुआ, उसने वैसा ही किया।
इससे तिजोरी तो नहीं खुली उल्टे अलार्म बजने लगा, कुछ देर में पुलिस आ धमकी।
जब पुलिस चोर को ले जा रही थी तो उसने बड़ी हताशा से कहा : आज इंसानियत से मेरा विश्वास उठ गया।
टेट मेरिट सपोर्टर अगर जिंदगी को पास से देखना चाहते हो तो १० दिसम्बर को लखनऊ चलो ,वरना पीछे तो जिंदगी की बर्बादी नज़र आ ही रही होगी ;जन्म ;म्रत्यु ;हर रोज़ नहीं मिलाता ......जिंदगी में कुछ पल ही यादगार होते है....वरना शर्म से राजनीत की कठपुतली बने रहोगे....
ReplyDeleteयह देश तुम्हारा है...यह मिटटी तुम्हारी है....किसका डर...?तुम्हारे साथ भगवान है...भारत का सविंधान है....न्यायपालिका तुम्हारे साहस की परीक्षा चाहती है....उठो जागो अपना हक छीन लो
शजर जब सुख जाए,तो पत्ते रो देते है,
ReplyDeleteबदला मौसम,पर दोष हवा को देते है,
झरना प्यासा है दरिया से मिलने को,
जो मिलकर खुद अपना वजूद खो देते है,
अर्श और फर्श का,होता नहीं मिलना,
उफ़क़ पे,एक दूसरे का साथ तो देते है,
नाम नही बदनाम हो गया प्यार यहाँ,
वो नादाँ लोग तोहमत उम्र को देते है,
समझता नहीं कोई,रवायत कुदरत की,
मान ही लेना पड़ता है,खुदा जो देते है !!!!