TET Candidates ki Itnee Tension Chal Rahee Hai To Jara Hat Kar Ke Thodaa Sa Fun / Hansee Majaaq Ho Jaye
एक बार एक व्यक्ति मरकर नर्क में
पहुँचा, तो वहाँ उसने देखा कि प्रत्येक
व्यक्ति को किसी भी देश के नर्क में जाने
की छूट है । उसने सोचा,
चलो अमेरिका वासियों के नर्क में जाकर देखें,
जब वह वहाँ पहुँचा तो द्वार पर पहरेदार से
उसने पूछा - क्यों भाई अमेरिकी नर्क में
क्या-क्या होता है ? पहरेदार बोला - कुछ खास नहीं, सबसे पहले आपको एक इलेक्ट्रिक
चेयर पर एक घंटा बैठाकर करंट दिया जायेगा,
फ़िर एक कीलों के बिस्तर पर आपको एक घंटे
लिटाया जायेगा, उसके बाद एक दैत्य आकर
आपकी जख्मी पीठ पर पचास कोडे
बरसायेगा... ! यह सुनकरवह
व्यक्ति बहुत घबराया और उसने रूस के नर्क
की ओर रुख किया, और वहाँ के पहरेदार से
भी वही पूछा, रूस के पहरेदार ने भी लगभग
वही वाकया सुनाया जो वह अमेरिका के नर्क
में सुनकर आया था । फ़िर वह व्यक्ति एक-
एक करके सभी देशों के नर्कों के दरवाजे
जाकर आया, सभी जगह उसे भयानक किस्से सुनने को मिले । अन्त में
जब वह एक जगह पहुँचा,
देखा तो दरवाजे पर लिखा था "भारतीय नर्क" और उस दरवाजे के बाहर उस नर्क में
जाने के लिये लम्बी लाईन लगी थी, लोग भारतीय नर्क में जाने को उतावले हो रहे थे,
उसने सोचा कि जरूर यहाँ सजा कम मिलती होगी... तत्काल उसने पहरेदार से
पूछा कि सजा क्या
है ? पहरेदार ने
कहा - कुछ खास नहीं...सबसे पहले
आपको एक इलेक्ट्रिक चेयर पर एक
घंटा बैठाकर करंट दिया जायेगा, फ़िर एक
कीलों के बिस्तर पर आपको एक घंटे लिटाया जायेगा, उसके बाद एक दैत्य आकर
आपकी जख्मी पीठ पर पचास कोडे
बरसायेगा... ! चकराये हुए व्यक्ति ने
उससे पूछा - यही सब तो बाकी देशों के नर्क
में भी हो रहा है, फ़िर यहाँ इतनी भीड
क्यों है ? पहरेदार बोला - इलेक्ट्रिक चेयर
तो वही है, लेकिन बिजली नहीं है, कीलों वाले
बिस्तर में से कीलें कोई निकाल ले गया है,
और कोडे़ मारने वाला दैत्य
सरकारी कर्मचारी है, आता है, दस्तखत
करता है और चाय-नाश्ता करने
चला जाता है...और कभी गलती से
जल्दी वापस आ भी गया तो एक-दो कोडे़
मारता है और पचास लिख देता है...चलो आ
जाओ अन्दर !!!
vha bi namajvadi party ki sarkar or akl less yadav hi cm hoga....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहमारे सभी टी.ई.टी. श्रेष्ठता सूची समर्थक मित्रों से सादर अनुरोध है कि अपनी मूल्यवान ऊर्जा एवं महत्वपूर्ण तर्को को सम्माननीय अकादमिक श्रेष्ठता सूची समर्थक भइयों के निराधार कथनों और संदेहों का समाधान करनें में व्यर्थ न करें। इनके लिये तो मात्र इतना कहना अधिक उचित होगा कि वर्तमान में हम ही विजेता हैं। और हम अपनी विजय को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। रही बात मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा मा0 सर्वोच्च न्यायालय में अनुमति याचिका की तो हम उसके लिये भी तैयार है। उसके उपरान्त निर्णय हमारे पक्ष में हो या शासन के, जो निर्णय होगा हमें मान्य होगा और आपके पास और राज्य सरकार के पास भी उसे मान्य करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं होगा।
ReplyDeleteअपने पाक साफ होने की सफाई देने का असफल प्रयास केवल वही लोग करते हैं जिनके दामन में दाग होता हैं। भरे बाजार में अचानक “चोर!“ चिल्लाने पर वही स्वयं को छिपाने की कोशिस करता है जिने कभी चोरी की हो। इस तरह की प्रतिक्रिया का प्रदर्शन कतई न करे जिससे हमारे स्वयं की योग्यता और महत्ता पर प्रश्न चिन्ह लगे।
अन्त में इतना अनुरोध है कि अपनी ऊर्जा को फिजूल व्यय करने की अपेक्षा इसे 10 दिसम्बर को लखनऊ में होने बाले आन्दोलन के लिये सहेजकर रखे और वहाँ इस ऊर्जा के सकारात्मक उपयोग को सुनिश्चित करें। शेष सब आपके अपने विवेक पर निर्भर करता है................
टेट मेरिट समर्थक बन्धुओँ नमस्कार टेट संघर्ष मोर्चा के अग्रणी बन्धु जो हम सब लोगोँ की हिम्मत है उत्साह का संचार करने वाले है आशा की किरण और उम्मीद का दीपक है इसी प्रकार हम लोग भी उनका साहस और हिम्मत है । वे लोग तो सैकड़ो बार इलाहाबाद दौड़े । तो क्या हम लोग 10 दिसम्बर को अपने हक के लिये एक बार लखनऊ नहीँ जा सकते हैं.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDelete.
.
VIPIN त्रिवेदी. . . . G
.
.
कलम के जादूगर तो मुंञ्शी जी थे ,मैँ तो एक नाचीज हूँ, वही मेरे आदर्श हैँ ।
चाय बेचने वाला कभी प्रधानमंत्री नहीँ बन सकता है- दिग्विजय सिंह
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
हाँ सही कहा डिग्गी जी आपने , देश चलाने के लिए तो ज़मीर ( अंतरात्मा ) बेचनेवाला चाहिए ,
है ना ?
आचार्य चाणक्य ने कहा था कि जिस पेड़ का काँटा चुभे उसकी जड़ खोदकर उसमें मठ्ठा दाल देना चाहिये... 20 नवम्बर को यही काम हुआ था... अब उत्तर प्रदेश में एकेडमिक का काँटा किसी को नहीं चुभेगा,,,,,,,,, रही बात सरकार के SC में अपील करने की तो ये भी तमन्ना पूरी करके देख लें,,,,,,,उसके बाद तो सारा भारत इस कांटे से मुक्त हो जाएगा............. सुना है सरकार ने खोजी कुत्तों का कोई दल दिल्ली भेजा था ,,,,,,,अमर खुजाला वालों से कहो जाकर पता करें कि कही उनके नुमाइन्दे चुल्लू भर से भी कम पानी में डूबकर मर तो ऩही गए ,,,,,,,,,,, न्याय विभाग ने फैसला ठीक से समझ लिया है या अमर खुजाला के वकीलों के आदेशानुसार ही सरकार चल रही है.........?
ReplyDelete*******रोचक तथ्य*******************
ReplyDelete1. टाइटैनिक जहाज को बनाने को लिए उस समय 35 करोड़ 70 लाख रूपये लगे थे जब कि टाइटैनिकफिलम बनाने के लिए 1000 करोड़ के लगभग लागत आई.
2. बिल गेट्स हर सेकेण्ड में करीब 12000 रुपये कमाते हैं यानि एक दिन में करीब 102 करोड़ रूपये.
3. राष्ट्रपति जार्ज बुश ने एक बार जपानी प्रधानमंन्त्री की कुर्सी पर उल्टी कर दी थी
.4. चीन में एक 17 साल के लड़के ने i pad2 और i phone के लिए अपनी kidney बेच दी थी.
5. धरती पे जितना भार सारी चीटीयों का है उतना ही सारे मनुष्यो का है.
6. Octopus के तीन दिल होते हैं.
8. सिर्फ मादा मच्छर ही आपका ख़ून चूसती हैं. नर मच्छर सिर्फ आवाजे करते हैं.
9. ब्लु वेहल एक साँस में 2000 गुबारो जितनी हवा खिचती है और बाहर निकालती है.
10. मच्छलीयो की यादआसत सिर्फ कुछ सेकेंड की होती है.
11. पैराशूट की खोज हवाईजहाज से 1 सदी पहले हुई थी.
12. कंगारु उल्टा नही चल सकते.
13. चीन में आप किसी व्यकित को 100 रूपया प्रति घंटा अपनी जगह लाइन में लगने के लिए कह सकतेहै.
14. Facebook उपयोग करने वाली सबसे बुजुर्ग मनुष्य 105 साल की एक महिला है जिसका नामLillion Lowe है.
15. ग्रीक और बुलगागिया में एक युद्ध सिर्फ इसलिए लड़ा गया था क्योंकि एक कुत्ता उनका border पार कर गया था
16. 1894 में जो सबसे पहला कैमरा बना था उससे आपको अपनी फोटो खीचने के लिए उसके सामने 8घंटे तक बैठना पड़ेगा
लड़काः मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी
ReplyDelete.
.
.
लड़कीः मेरा परिवार मुझे .
ऐसा करने की इजाजत नहीं देता
.
.
.
.
लड़काः परिवार का नाम
तो ऐसे बता रही है जैसे
मेरे परिवार ने मुझे
लड़की पटाने में डिप्लोमा कराया हो.!
ReplyDeleteबलिया टीईटी संघर्ष मोर्चा की बैठक 8 दिसम्बर
दिन रविवार को समय सुबह 10 बजे टीडी काँलेज के
मैदान मे रखा गया है, जिसमे हाईकोर्ट के
फैसला को लागू कराने के लिए लखनऊ मे होने वाला 10
तारीख के आंदोलन भाग लेने के विषय कार्यक्रम
बनाया जाना तय है।
अत: समस्त टीईटी मेरिट
समर्थक इस बैठक मे आवश्य उपस्थित रहेँ।
"महत्त्वपूर्ण खबर सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष अधिवक्ता की सरकार को सलाह रिक्ति से कम चयनितों के कारण आपकी बीटीसी/एसबीटीसी की न्युक्ति सुरक्षित हो सकती है। परन्तु ७२८२५ शिक्षकों की भर्ती मामले में हाई कोर्ट का फैसला पलटना मुश्किल। आरटीई के अनुपालन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त।"
ReplyDeleteAjeeb Shaqs Tha Kaisa Mizaj Rakhta Tha,
ReplyDeleteSaath Rehkar Bhi Ikhtlaaf Rakhta Tha.
Mein Kyun Na Daand Doon Uss Ke Fun Ki,
Mere Har Sawal Ke Pehle Hi Jawab Rakhta Tha.
Woh Toh Roshniyoon Ka Baazigar Tha Magar,
Mere Andheroon Ka Bada Khayal Rakhta Tha.
Mohabbat Toh Thi Usse Kisi Aur Se Shayad,
Mujhse Toh Yunhi Hansi Mazak Rakhta Tha.
ReplyDeleteआज देवरिया टी ई टी मेरिट मेधावियों ने 10
दिसंबर के आंदोलन के पम्फलेट पुरे शहर बसों और
ट्रेनो पर चिपकाये।
ReplyDelete10 DEC 2013 (Adhikar Aandolan)
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं ।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है ।
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है
लड़की:- मैकडोनाल्ड चलेँ
ReplyDeleteलड़का:- पहले इसकी स्पेलिँग सुनाओ
फिर चलेँगे
लड़की:- अच्छा तो फिर KFC चलेँ
लड़का:- इसकी फुलफॉर्म सुनाओ
लड़की:- साले अब छोले भटूरे ही खिला दे.
नकल माफियाओ का उदय मुलायम सिंह जी के शासन काल मे हुआ था और नकल माफियाओ के अंत की घोषणा का बिगुल श्री अखिलेश जी के कार्यकाल मे गत 20 नवंबर को बज चुका है और शीघ्र ही नकल माफियाओ के पतन की अंतिम घोषणा भी हो जाएगी। 1991 से अपने चरम पर पहुँची इस व्यवस्था ने उत्तर प्रदेश को पेशे की मूलभूत जानकारी से अनभिज्ञ चिकित्सक और इंजीनियर ही नही अपितु अपनी मात्रभाषा की शुद्ध चार पंक्तियाँ पढ़ने लिखने मे असमर्थ हजारों शिक्षक भी दिए । मगर अफसोस नकल माफियाओँ का अंत करने का श्रेय श्री अखिलेश जी की बजाय इलाहाबाद हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश श्री अशोक भूषण जी एवं श्री विपिन सिन्हा जी को जाएगा । इस नेक काम को पूर्ण कराने हेतु सर्वोच्च न्यायालय जाने का निर्णय लेने के लिए श्री अखिलेश जी का हार्दिक धन्यवाद ।
ReplyDeleteअभी थोड़ी देर पहले मेरे पास मेरे बी. एड. सहपाठी रमेश नाथ तिवारी जी का फोन आया इनके 129 अंक है टी ई टी मे गुणांक भी 62 के निकट है। पहला प्रश्न हिंदुस्तान पढ़े हैं ,मैंने कहा हां दैनिक और उजाला को भी पढ़ लिया है। अब उनका कहना था कि कोर्ट ने 15 वां संशोधन रद्द करके गलत किया है। और बहुत सारी आशंकाएं थी उनकी उन सभी आशंकाओ को तो नहीं लिख रहा हू पर उनके उत्तर जरूर लिखूंगा ताकि मेरे शेर दोस्त एकदम बेफिक्र होकर आज का दिन बिताये
ReplyDelete(१) ना तो अमर उजाला आपकी काउंसलिंग कराएगा और ना ही आपके अंक पत्रों का सत्यापन करेगा ,और ना ही दैनिक हिंदुस्तान आपको नियुक्ति पत्र जारी करेगा और न ही दैनिक जागरण आपको वेतन देगा। इन अधकचरे ज्ञान वाले पीत पत्रकारो से डरने की जरूरत नहीं है। (2) अब आपको मै बिहार राज्य के 34,500 शिक्षको की नियुक्ति की कहानी बताऊंगा जो ज्यादातर लोग जानते होंगे। बिहार की राजद(लालू जी ) सरकार ने 34500 प्रशिक्षित शिक्षको की भर्ती के लिए एक विज्ञापन 2003 में निकाला,ध्यातव्य है कि तब आर टी ई एक्ट लागू नहीं था और कोई परीक्षा भी नहीं करायी गयी थी । । किन्ही कारणो से भर्ती में विलम्ब हो गया और वहाँ पर सुशासन बाबु (नितीश जी) की सरकार आ गयी और उन्होंने राजद सरकार द्वारा निकाला गया विज्ञापन निरस्त कर दिया। उस विजापन के अभ्यर्थी कोर्ट गए और हाई कोर्ट के डबल बेंच से जीत गए ,पर पूर्ण बहुमत के नशे में चूर सुशासन बाबु सर्वोच्च न्यायालय चले गए। सर्वोच्च न्यायालय ने माननीय पटना उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुपालन में सुशासन बाबु (नितीश जी) की सरकार हीलाहवाली करने लगी। जैसे फॉर्म खो गए है ,आंकड़े नहीं मिल रहे है ,सत्यापन कैसे होगा आदि आदि। याचियों ने कोर्ट की अवमानना का केस दाखिल किया। दो तीन सुनवाई पर अधिकारी और वकील बहाने बनाकर भागते रहे तब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा अगर अगली सुनवाई में प्रधान सचिव ,शिक्षा ,बिहार सरकार उपस्थित नहीं हुए तो ये कोर्ट उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर देगी यहाँ ध्यातव्य है कि अवमानना पद नाम से न होकर व्यक्ति के नाम से थी । जब प्रधान सचिव ,शिक्षा ,बिहार सरकार कोर्ट में उपस्थित हुए तो माननीय न्यायालय ने उन्हें दो विकल्प दिया (क ) इन लोगो को नियुक्ति दे दे और कोर्ट को छः सप्ताह में नियुक्ति की आख्या दे। (ख ) नियुक्ति नहीं दे सकते हो तो यहीं से तिहाड़ जैल चले जाए और कैद में सेवा करवाये। सचिव महोदय ने प्रथम विकल्प चुना ये कहानी आप यहाँ इंग्लिश में पढ़ सकते है (http://www.indlaw.com/guest/DisplayNews.aspx?DC5C21CF-44D9-486F-8D9F-BB23A4ECB6F5) रही बात 15 वें संशोधन के विधि वाह्य(ultra vires) हो जाने की तो बिना इसे विधि वाह्य किये 72825 पदो पर टी ई टी मेरिट से नियुक्ति संभव नहीं थी। अमूमन मै तकनिकी रहस्यो को सामन्य बैठको में नहीं बताता हुँ पर ये जान ले 20 नवंबर के आदेश में वर्णित "doctrine of ultra vires" और Shiv Kumar Sharma and others Vs. State of U.P. नामक सुप्रीम कोर्ट के पूर्ण पीठ के निर्णय की काट असम्भव है। और अंत में दोस्तों मन के हारे हार है मन के जीते जीत। समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता है।"
10 KO girls sirf gardian k 7 hi aa skti h girls group me ni aa skti
ReplyDelete१५वाँ संशोधन रद्द हो चुका वो भी कोई सिंगल बेंच द्वारा नही, डी.बी. के द्वारा. . इसे बेस बनाकर निकला नया विज्ञापन तो स्वतः ही रद्द हो चुका है. ऐसे में अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमियों को सपा कैसे रिझायेगी, इनके लूटे हुए पैसो का क्या करेगी, इनकी भर्ती का क्या, कैसे करेगी-ऐसे ही अनगिनत प्रश्नों से सपा की नींद हराम हो रही होगी. हो भी क्यूँ न! सपने दिखाकर लूटा भी तो है खूब इसने. .
ReplyDeleteअब इस रद्दीकरण की प्रक्रिया से सपा द्वारा की गई ३ भर्तियों पर संकट के बादल मंड़रा रहे हैं. साथ में चौथी जिसे यह बहुत जल्द शुरू करने के लिये कह रही है, वो भी इसी में शामिल है. इसे यह किस बेस पर जल्द शुरू करने की बात कर रही है, समझ से बाहर की चीज़ है.
ReplyDelete. हमारा ओल्ड़ एड़ तो १२वें संशोधन की मज़बूत नींव पर अभी भी पूरी हिम्मत के साथ डटा खड़ा है परन्तु १५वें संशोधन से सपा के सामने आई उपरोक्त समस्याओं का समाधान क्या हो, कैसे हो, शायद यही सोचकर इनके निवारण हेतु सपा ने सु.कोर्ट का रुख किया है परन्तु सुनने में आया है कि इसने जिस भी बड़े से बड़े वकील महोदय से बात की, उन्होनें आर.टी.ई. का हवाला देते हुए कन्नी काट ली. . ऐसे में तो सपा के पास सिर्फ़ एक ही विकल्प बचता है कि यह ज. अशोक भूषण जी व ज. विपिन सिन्हा जी से ही राहत देने के लिये आग्रह करे नही तो इसे सु.कोर्ट से कुछ नही मिलने वाला. . सु.कोर्ट में अगर कहीं किसी वकील ने तैश में आकर इस केस को हाथ भी लगा दिया तो सपा द्वारा १५वें संशोधन के आधार पर होने वाली सभी भर्तीयाँ गई. . उधर ३१ मार्च, २०१४ भी आने वाला है. . एन.सी.टी.ई. की डैड-लाइन. . अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमी ज़रा ध्यान दें, . अगर इन्हें भी जोब की दरकार है तो इन्हें चाहिये कि आगामी १० दिसम्बर को हमारे साथ एक सूत्र में बँधकर हमारी- अपनी एकता को दिखा दें. आपका- हमारा कोई बैर नही. आपको भी जोब चाहिये हमें भी.
ReplyDeleteसपा हमारी भर्ती को लेट तो कर सकती है, पर छीन नही सकती. पहले मिल गई तो हमारी किस्मत, नही तो हमें तो ३१ मार्च, २०१४ के बाद भी मिल जायेगी परन्तु अगर आप लोग ३१ मार्च की समय सीमा लाँघ गये तो कुछ न मिलेगा. फ़िर दुनिया की किसी भी कोर्ट में चले जाना, कुछ नही होने वाला. आपके पास फ़िर पछताने के सिवा कुछ न बचेगा. . अगर हमारे साथ आना चाहते हो तो, हमारी संख्या दुगनी हो जायेगी. ताकत की बात तो आप देख ही चुके हैं कि अभी तक हमारा ही पक्ष भारी है. . बस, . सरकार पर दबाव बनाने के लिये १० दिसम्बर को लखनऊ आ जाओ. . लेकिन यह अच्छी तरह से याद रखना, . जोब तो पहले हमें ही मिलेगी. आपके लिये तो सपा को पहले एन.सी.टी.ई. से अनुमति लेनी होगी. उसके बाद इसे विज्ञपति निकालनी होगी. फ़ीस तो आप लोगों ने पहले ही जमा कर रखी है. इसकी आप चिंता न करें. . जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ, ऐसे में आप लोगों की भर्ती दुनिया की पहली ऐसी भर्ती होगी, जिसके लिये फ़ीस लेकर फ़ार्म्स पहले भरवा लिये गये हैं और आवेदन बाद में. अचरज नही होगा अगर आप लोगों का नाम गिनीज़ बुक में भी आ जाये. .
ReplyDeleteये धुआँ जो कि जलते मकानों का है
ReplyDeleteसब करिश्मा तुम्हारे बयानों का है
तुमको ज़िद्द ही अगर पर कतरने की है
शौक़ हमको भी ऊँची उड़ानों का है।
फ़िर से कह रहा हूँ, . हमारे साथ आ गये तो नैया पार हो जायेगी. अन्यथा की स्थिति में हम तो इस सपा रूपी दरिया को पार कर ही लेंगे लेकिन आपको यह अपने अन्दर डुबो कर ही छोड़ेगी. फ़िर आपको डूबने से बचाने वाला कोई न होगा.
ReplyDeleteसपा ने थोड़ा लेट कर दिया. अगर थोड़ा पहले ही सु. कोर्ट जाने पर विचार कर लेती तो आप अकेड़ेमिक/गुणांक प्रेमी आज उतने न लुटे होते जितने लुट चुके हैं सु.कोर्ट जाने के नाम पर. (वैसे भी सपा ने कौन सा कम लूटा है!) . हमारा तो आलम यह है कि बेसिक शिक्षा नियमावली में हुए १२वें संशोधन के मज़बूत आधार पर खड़े हमारे प्यारे पुराने विज्ञापन को यह भूलकर भी, कहीं भी छू न पायेगी. अगर कहीं भूलकर इसने ऐसा दुःसाहस कर भी दिया तो ३३,००० के झटके से झुलसकर रह जायेगी यह. . हम तो ज्यों-ज्यों हा.कोर्ट में सपा द्वारा झोंकतें चले गये, त्यों-त्यों हम पकते चले गये, निखरते चले गये. आज आलम यह है कि हम पककर कुंदन बन चुके हैं.
ReplyDeleteकुछ पिछली बातें दोहराते हैं, . जीत तो हम सिंगल बेंच में ही गये थे जब ज. अरूण टंड़न जी ने हमारे पक्ष में अनेक आर्ड़र्स दिये थे. उन्होनें भी कथित उस्मानी-रिपोर्ट के अनुसार हुई धाँधली को मानकर बेड- पार्ट को अलग करके हमारी भर्ती करने को कह दिया था और यह उस्मानी-रिपोर्ट रूपी तोप ज. हरकौली जी द्वारा फ़ुस्स की जा चुकी है. फ़िर भी पता नही क्यूँ ज. टंड़न जी प्रशिक्षु शब्द को लेकर बैठ गये जिसका हा.कोर्ट के ही अनुसार कोई महत्व नही है और यह बात हा.कोर्ट द्वारा कही भी जा चुकी है. सो, डी.बी. में उनके द्वारा इस प्रशिक्षु शब्द को बेस बनाकर हमारे पुराने विज्ञापन को रद करना गलत ठहरा दिया गया. . ज. हरकौली जी की डी.बी. ने सपा की कथित धाँधली को लेकर उस्मानी रिपोर्ट की क्या दुर्गति की थी, उस्मानी जी सहित सभी को अच्छी तरह से याद होगा ही. सपा द्वारा सु.कोर्ट में हमारे खिलाफ़ कुछ भी करने पर उस्मानी जी जैसे कितने सलाखों के पीछे होंगे, यह भी सपा अच्छी तरह से जानती है. . बची-खुची हेकड़ी ज. अशोक भूषण जी और ज. विपिन सिन्हा जी की डी.बी ने निकाल दी. . यहाँ ऐसा आर्ड़र दिया गया जो ज. हरकौली जी के आर्ड़र्स से भी कहीं ज़्यादा दमदार है जिसे अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट में भी चुनौती देना सूरज को चिराग दिखाने जैसा होगा. .
ReplyDeleteसो, . हमारा ओल्ड़-एड़ वर्तमान की तरह सु.कोर्ट में भी पूर्णतः सुरक्षित रहेगा बल्कि यह कहा जाये कि आने वाले समय में सु.कोर्ट से सदा- सदा के लिये अकेड़ेमिक का नाम ही खत्म हो जायेगा तो अतिश्योक्ति न होगी. . लेकिन हा.कोर्ट के परम आदेश को मानते हुए अब यह हमारी काउंसेलिंग तो शुरू करे लेकिन यह तो इसका नाम ही नही ले रही है. . अपनी काउंसेलिंग को जल्द से जल्द शुरू कराने के लिये आगामी १० दिसम्बर को लखनऊ में होने वाले आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका हम सबको निभानी होगी और एक ऐसा जनसैलाब लखनऊ में उतारना होगा जिसे देखकर सपा की आँखे तो चौंधिया ही जाये. . कसम तो नही दे रहा लेकिन अपने हक के लिये आप सभी को लखनऊ आना ही होगा. . आखिर अपना न सही, अपने प्रियजनों का सपना पूरा जो करना है. . .
ReplyDeleteसबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक बात और लिख ही दूँ, . हा.कोर्ट तो हमारे पक्ष में अपना ऐतिहासिक फ़ैसला दे ही चुकी है फ़िर भी अगर किसी भी तरह से मामला सु.कोर्ट में पहुँचता भी है तो सु.कोर्ट का अपना एक आदेश है जिसके अनुसार, . “किसी भी खेल के नियम खेल शुरू होने से पहले बनाये जाते हैं, बाद में नही.” . इसका बिहार का जीता- जागता उदाहरण पेश कर ही चुका हूँ. . अब तो बस, . १० दिसम्बर, २०१३ आपको बुला रहा है, . सारे काम छोड़कर भागे चले आओ. . . . .
ReplyDeleteआप भी जानिये धारा 370
ReplyDelete--------------------
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास
दोहरी नागरिकता होती है ।
---------------
जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज
अलग होता है ।
-----------------
जम्मू - कश्मीर
की विधानसभा का कार्यकाल 6
वर्षों का होता है
जबकी भारत के अन्य
राज्यों की विधानसभाओं
का कार्यकाल 5
वर्ष का होता है ।
-----------------
जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के
राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय
प्रतीकों का अपमान अपराध
नहीं होता है ।
----------------
भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश
जम्मू - कश्मीर के अन्दर
मान्य नहीं होते हैं ।
--------------------------
भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर
के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित
क्षेत्र में कानून बना सकती है ।
-----------------------------
जम्मू कश्मीर की कोई
महिला यदि भारत के किसी अन्य
राज्य के
व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस
महिला की नागरिकता समाप्त
हो जायेगी । इसके विपरीत यदि वह
पकिस्तान के
किसी व्यक्ति से विवाह कर ले
तो उसे भी जम्मू - कश्मीर
की नागरिकता मिल जायेगी ।
-------------
और
-------------------------
धारा 370 की वजह से कश्मीर में
RTI लागु नहीं है । RTE लागू
नहीं है ।
CAG लागू नहीं होता । …। भारत
का कोई भी कानून लागु
नहीं होता ।
---------------------
कश्मीर में महिलावो पर शरियत
कानून लागु है ।
कश्मीर में पंचायत के अधिकार
नहीं ।
कश्मीर में चपरासी को 2500
ही मिलते है ।
कश्मीर में
अल्पसंख्यको [ हिन्दू- सिख ] को 16
% आरक्षण
नहीं मिलता ।
------------------------------
धारा 370 की वजह से कश्मीर में
बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद
सकते है ।
----------------------------------------
धारा 370 की वजह से
ही पाकिस्तानियो को भी भारतीय
नागरीकता मिल जाता है ।
इसके लिए पाकिस्तानियो को केवल
किसी कश्मीरी लड़की से
शादी करनी होती है ।
---------------------------------------------
---------------------------------------------
----------------------
अच्छी शुरुवात है कम से कम 370
हटाने की दिशा में एक कदम
आगे की ओर मोदी जी को धन्यवाद
जो उन्होनें धारा 370
का मुद्दा उठाया ।
अब यदि कोई सेकुलर इन तथ्यों के
विषय में कुछ कहना चाहे
तो स्वागत हैं...
विश्व के कुछ आश्चर्यजनक तथ्य== 1. विश्व मेँ सबसे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला का नाम - रूस की मारिया इसकोवा ! 42 वर्ष की उम्र मेँ 58 बच्चे (4 बच्चे 3 बार, 3 बच्चे 10 बार और 2 बच्चे 8 बार)। 2. विश्व का सबसे अमीर देश स्विटजरलैंड है। 3. सऊदी अरब मेँ एक भी नदी नही है। 4. विश्व का सबसे दानी आदमी अमेरिका का राकफेलर है जिसने अपने जीवन मेँ सार्वजनिक हित के लिए 75 अरब रुपए दान मेँ दे दिए। 5. सबसे महँगी वस्तु यूरेनियम है। 6. दक्षिण ऑस्ट्रेलिया मेँ आयार्स नामक पहाडी प्रतिदिन अपना रंग बदलती है। 7. विश्व मेँ रविवार की छुट्टी 1843 से शुरु हुई थी। 8. सारे संसार मेँ कुल मिलाकर 2792 भाषाएँ बोली जाती है। AND..... 12 साल से मुख्यमंत्री रह कर भी: -जो अपनी माँ के लिये आलिशान महल नही बना पाया हो ! -जो एक भी घोटाला न कर पाया हो ! -जिसका भाई अभी भी एक छोटा सा सरकारी नौकर हो ! -जिसका स्विस बैंक में ऎकाउन्ट नही हो ! -जो सदा विकास की ही बात करता हो ! -जो जाति -धर्म की गन्दी राजनीति से हटकर सिर्फ देश की बात करता हो ! -जिसके राज्य में सुख और शांति का माहौल हो ! वो शख्स है - ..... " नरेन्द्र दामोदर दास मोदी "
ReplyDeleteJ
ReplyDeleteA
I
L
.
.
W
A
L
I
.
लबों की हँसी आपके नाम कर देंगे
हर खुशी आप पर कुर्बान कर देँगेँ
जिस दिन होगी कमी मेरे प्यार
उस दिन हम इस दुनिया को सलाम कर देंगे।
JAIL.
ReplyDelete.
.
WALI
.
.
.
.
.
कुछ सालो बाद न जाने क्या समां होगा
न जाने कौन इंसान कहाँ होगा
पर मिलना हुआ तो मिलेंगे यादों में
जैसे सूखे गुलाब मिलते हैं किताबों में...!!
Humari Khudkismati Yah Hai Ki
ReplyDeleteHum Bhagwaan Ko Ek Mante Hain
Par Badkismati Yah Hai Ki
Hum Bhagwaan Ki Ek Nahi Mante…!!
सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष अधिवक्ता की सरकार को सलाह रिक्ति से कम चयनितों के कारण आपकी बीटीसी/एसबीटीसी की न्युक्ति सुरक्षित हो सकती है। परन्तु ७२८२५ शिक्षकों की भर्ती मामले में हाई कोर्ट का फैसला पलटना मुश्किल। आरटीई के अनुपालन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त।
ReplyDeleteसपा सरकार होश मे आओ।
ReplyDeleteकाउंसलिँग की डेट बताओ॥ UPTET 2011 उत्तीर्ण सभी अभ्यर्थी 10 दिसंबर को शिक्षक भर्ती शुरू करने हेतु लखनऊ चले । आंदोलन मे आपकी सहभागिता सरकार को दिल्ली की सर्दी से बचा सकती है । निवेदक टेट संघर्ष मोर्चा
सपा सरकार होश मे आओ। काउंसलिँग की डेट बताओ॥ UPTET 2011 उत्तीर्ण सभी अभ्यर्थी 10 दिसंबर को शिक्षक भर्ती शुरू करने हेतु लखनऊ चले । आंदोलन मे आपकी सहभागिता सरकार को दिल्ली की सर्दी से बचा सकती है ।
_______________निवेदक टेट संघर्ष मोर्चा
तनाव एवं समाधान:
ReplyDelete______________________
तनाव में वही होता है जिसकी सोच सीमित होती है।
मै भी कभी-कभी सीमित में सोचता हूँ तो तनावयुक्त हो जाता हूँ।
उदाहरण स्वरुप यह भली-भांति जानता हूँ कि संतान(B.Ed.) से बड़ी संतान की ममता होती है चाहे वह अपनी पत्नी(TET) से पैदा हुई हो या प्रेमिका(ACD) से उत्पत्ति हुयी हो और प्रेमिका को पत्नी का रूप देने में (15th) सफलता न मिली हो या पत्नी का रूप देने के बाद जुदाई(S.B./D.B./L.B./S.C) ने जकड़ लिया हो परन्तु उससे उत्पन्न संतान(100%TET/12th) बड़ी प्रिय होती है।
इस ७२८२५ पदों की शिक्षक भर्ती के विषय में जब सीमित रूप में सोचता हूँ तो यह लगता है कि शैक्षिक मेरिट के समर्थक सुप्रीम कोर्ट से हार जायेंगे और भर्ती शीघ्र शुरू हो जायेगी तो तनावग्रस्त हो जाता हूँ।
अतः इस भर्ती के अंतिम संभावित परिणाम तक सोचकर तसल्ली ले लेता हूँ।
लोकसभा चुनाव अगर सामने न होता तो सरकार अपने प्रिय नाजायज संतानों(ACD) के लिये सुप्रीम कोर्ट जरुर जाती ।
आज मजबूर है कि आखिर वो क्या करे।
उसकी हार्दिक इच्छा है कि उसकी नाजायज संतान अपने हक के लिये लड़कर कानूनी अधिकार प्राप्त करे लेकिन दुर्भाग्य उसका यह है कि उसके हक का वजूद नहीं है क्योंकि उसपर जायज हक किसी और(TET) का है।
ईश्वर करे ऐसा ना हो लेकिन दूर तक सोचने में क्या जाता है। अतः आप भी सोचकर कुछ मन को तसल्ली दे लो।
न्यायमूर्ति टंडन ने सरकार से कहा कि
"ये ( पुराने एवँ अधिक आयु के ) कुछ लोग हैं इनको कानूनी अधिकार दो और इनका वाजिब हक दो ,बिना किसी के अहित के "
तो सरकार ने
अपनी नयी संतान ही पैदा कर दी।
पहले से वाजिबों ने कहा कि मेरे रहते ये लोग नहीं आ सकते और इंसाफ मांगने न्यायमूर्ति हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र के पास गये तो इन दोनों ने कहा कि ७२८२५ लोग की जिन्दगी की सवाल है सरकार तत्काल
अपने क्रियाकलाप पर रोक लगाये।
न्यायमूर्ति हरकौली जी ने खुद को बीच मेँ से ही मामले से हटा लिया ।
न्यायमूर्ति महापात्रा ने कहा कि अभी हम जायज- नाजायज का फैसला नहीं कर पायेंगे।
जायज नाजायज की पहचान के लिये न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा सामने आये और कहा कि पुराने वाले जायज हैं।
सरकार उनके हकों पर कोई और संतान नहीं पैदा कर सकती है।
बेचारे नये फुटपाथ पर आ गये।
सरकार अपने इन बच्चों के लिये बहुत चिंतित है लेकिन उसे यह भी चिंता है कि जो जायज हुये है अगर अब मैंने उनको नाराज किया तो मेरा बुढ़ापा ख़राब हो जायेगा।
जायज संतानें सुप्रीम कोर्ट गयीं और वहां चेता आईँ कि अगर कोई मेरा हक लूटने आये तो मुझे बताना मै आकर अपना हक साबित करूँगा ।
अब बाबू जी तो सुप्रीम कोर्ट जाने से रहे लेकिन नाजायज संतानें सुप्रीम कोर्ट जाकर कहेंगी कि मेरे बाबू जी मेरा हक नहीं दे रहे हैं और कुछ लोग को न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने हमारा हिस्सा सौप दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट बोलेगी अरे हां वो लोग आये थे रुको उनको बुलाता हूँ और तुम्हारे सामने सब साफ़ हो जाये।
बाबू जी जायेंगे कहेंगे मै धृतराष्ट्र हूँ दुर्योधन मेरा पुत्र है मैंने उसे राजगद्दी देनी चाही लेकिन न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि बेशक़ युधिष्ठिर आपका बेटा नहीं है लेकिन हक उसी का है।
बाकी हुज़ूर आप जैसे कहो वैसे करूँ।
हुज़ूर को लगेगा कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने सही कहा तो सबको लौटा देंगे और फिर राज्याभिषेक होगा।
अगर जायज लोग अपनी बात से हुज़ूर को संतुष्ट ना कर पाये तो राज्याभिषेक पर रोक लग जायेगी और फिर फैसला होगा की जायज कौन है और अंत में जायज पुनः जायज साबित होगा ।
जितना विलम्ब जायज नाजायज की पहचान में हुज़ूर लेंगे उतना वक़्त राज्याभिषेक के लिये देंगे।
अगर इस नूराकुश्ती में मामला हुज़ूर तक ना पहुंचा या हुज़ूर ने सुनने से इंकार कर दिया और नियुक्त होने का समय भी निकल गया तो बेसिक सचिव पर कंटेम्प्ट होगा जिसे अक्सर न्यायमूर्ति देवेंन्द्र सिंह सुनाते हैं जिन्हें कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट का कसाई जज कहा जाता है या फिर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल सुनेंगे परिणाम स्वरुप सचिव जेल जायेंगे और हम पुनः एकल बेंच में रेमेडी मांगेंगे और तब मुझे रेमेडी मिलेगी और न्युक्ति होगी।
अंततः जीत सत्य की होगी चाहे आज हो या कल हो।
भारत का सिस्टम जितना धीमा है मै उतनी ही दूर तक सोचता हूँ ,
भाई क्या करूँ जान देने से तो कुछ होगा नहीं , कभी तो अच्छा होगा ।
धन्यवाद।
सरकार का अब सुप्रीम कोर्ट जाने की खबरों के बीच में ये समझना आसान है कि सरकार हाईकोर्ट को फैसले को चैलेंज करना चाहती है और दो साल से लंबित पड़ी आरटीई एक्ट से मजाक कर रही है। नौनिहालों को टीईटी मेरिट से चयनित अच्छे योग्य टीचर नहीं देने के मूड में है। इस तरह 10 तारीख को प्रदेश में टीईटी मेरिट की ओर से एक आंदोलन तो बनता है। सरकार दो पैर में नाव रख नहीं सकती है। जबकि जरूरत इसी की टीईटी पास प्राथमिक टीचर बना दे और वोट की राजनीति खेले लेकिन ये खेल भी नहीं खेल सकती है। शिक्षा मित्र को पाल रहे ट्रेनिंग दे रहे है। उन्हें इन पदों पर भर के समानता के नियम का उल्लघंन करेगी और कर रही है। जब पूरे प्रदेश में प्राइमरी लेवल के टीईटी पास योग्य बीएड प्रशिक्षित हैं तो सरकार शिक्षा मित्रों की तुष्टिकरण क्यों कर रही है। हाईकोर्ट के फैसला जाकि दो साल से अपने हक के लिए लड़ रहे टीईट मेरिट के हक से अखिलेश सरकार से नियुक्ति मांग रही है। इधर इसके ही खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी वहां क्या कहेगी। एकेडमिक मेरिट से नया विज्ञापन सरकार ने समस्या के रूप में पैदा किया। सुप्रीम कोर्ट में समानता के नियम की क्या परिभाषा देंगे वहां से तो लगता आरटीइ एक्ट की अनदेखी करने के जूर्म में सरकार की खिंचाई होना तय है।
ReplyDeleteटीईटी मेरिट से चयन इनका लीगल आधार है। और सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाएगी और सरकार को फटकार लगाएगी। 10 दिसंबर का आदोलन में हमें लाठी मारने का अधिकार भी सरकार से छिन गया। इस बार सरकार की नादानी अपने वोट बैंक खोकर चुकानी पड़ेगी।
जय टीईटी मेरिट
जिस किसी भाई को मेरे ब्लाग पढ़ने मेँ परेशानी हो रही हो जब कमेँट ज्यादा होते हैँ
ReplyDeleteवे लोग अपने मोबाइल मेँ U.C. BROWSER /8.7 या 9.3 लोड कर लेँ और 200 कमेँट से ऊपर होने पर NEWER और NEWEST मेँ से NEWEST चुनेँ जरुर कृपा बरसेगी ।
धन्यवाद
जय हो निर्मल बाबा की !
कुछ साथी तो कल से ही असमंजस में हैं की दस के आन्दोलन का औचित्य अब रहा भी या नहीं..... बुद्दि का थोड़ा सा अतिरिक्त इस्तेमाल करने से किसी का कुछ बिगड़ नहीं जाता,,लेकिन आवश्यकता से ज्यादा कभी-कभी घातक सिद्द हो जाता है.... ज्यादा सवाल-जवाब मत करो..... अगर ये नौकरी चाहिए तो दस को कम से कम पंद्रह-बीस हजार लोग लखनऊ में होने चाहिए..... वो भी पूर्णतः अनुशासित....सरकार SC जाना नहीं चाहती लेकिन आपकी उदासीनता उसे दिल्ली की सर्दी झेलने को बाध्य कर सकती है.....अगर दस दिसंबर का आन्दोलन बीस मार्च 2012 वाले आन्दोलन से हल्का हुआ तो फिर इस नौकरी को करने का ख़्वाब देखना तक भूल जाना... सरकार के sc जाने का मतलब होगा की वो अपने अहित के बावजूद हमारा अहित करने की जिद पर अड़ गई है....और ये हमारे लिए बहुत घातक सिद्द होगा..... अभी समय है उसे अपनी जिद त्यागने के लिए मजबूर किया जा सकता है......
ReplyDeleteJ
ReplyDeleteA
I
L
.
.
.
W
A
L
I
.
जलवे तो और भी देखे है क़ायनात् मेँ ।
ये बात और है कि नज़र सिर्फ तुम पर रुकी !!
अगर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले से हमारे शैक्षिक मेरिट समर्थकों को तनिक भी फायदा होता तो मै सरकार के कदम का सहर्ष स्वागत करता परन्तु मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसा कदापि नहीं है।
ReplyDeleteअगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो शैक्षिक मेरिट वाले सुप्रीम कोर्ट नहीं जायेंगे , सरकार सुप्रीम कोर्ट ना जाती तो मेरे शैक्षिक के भाई बहन सुप्रीम कोर्ट जरुर जाते क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले से उनका हित प्रभावित हो रहा है।
अगर नियम गलत था तो उनका दोष नहीं था उनसे आवेदन मांगा गया था और उन्होंने आवेदन किया था। सुप्रीम कोर्ट सरकार को तलब करती और व्यापक रिक्ति को देखते हुये अतिरिक्त रिक्ति दिलाती।
टीईटी मेरिट वालों का हित कोई प्रभावित ही नहीं कर सकता है।
विज्ञापन मंगाने से पहले न्यायमूर्ति टंडन ने कहा था कि ऐसा विज्ञापन लाओ जिससे याची का हित प्रभावित ना हो तो पुराने विज्ञापन के सिवा कोई दूसरा विज्ञापन उनके हित की रक्षा ना करता चाहे वह टीईटी मेरिट/ 41 वर्ष का ही विज्ञापन क्यों न होता क्योंकि नये विज्ञापन से आवेदक बढ़ते और याची का हित प्रभावित होता। नये विज्ञापन को
न्यायमूर्ति टंडन ने सिर्फ इसलिये नहीं छुआ की याचिका में उसे चुनौती नहीं दी गयी थी ।
जबकि बाद में डिवीज़न बेंच के स्थगन देने के बाद गंगा सिंह की याचिका पर लखनऊ में एकल बेंच ने भी स्थागन दिया।
इस लिये सर्वोच्च अदालत तक पुराने विज्ञापन की बहाली के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।
न्यायमूर्ति टंडन को शिक्षामित्रों से चिढ़ थी इसी लिये दो विज्ञापन एक साथ दौड़ा दिया।
जिससे बीएड बेरोजगारों की डेढ़ लाख के आस-पास भर्ती हो ।
काश! इन शैक्षिक मेरिट वालों को अब भी सदबुद्धि आ जाये और ये लोग ७२८२५ के अतिरिक्त भर्ती करा पाते तो कुछ और बेरोजगार भाईयों-बहनों का भला होता।
सरकार इस समस्या को समझ गयी है कि इसमें साजिश हुयी है अब ७२८२५ टीईटी मेरिट की भर्ती के अलावा शिक्षा मित्र या शैक्षिक मेरिट में किसी एक की भर्ती होनी है ।
अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो शैक्षिक मेरिट वाले उसका समर्थन भी करेंगे और सरकार हार कर शैक्षिक मेरिट वालों पर ये एहसान भी लादेगी कि आपके लिये मैंने बहुत लड़ा ।
इसी के साथ उनका काम भी तमाम हो जायेगा और शिक्षा मित्र भी खुश होंगे।
ये राजनीति है ।
काश!! न्यायमूर्ति टंडन के दिये अवसर का लाभ (72+72) ये उठा पाते।
इसका एक मात्र समाधान है कि शैक्षिक मेरिट वाले सरकार के पहले सुप्रीम कोर्ट जायें और सरकार को पार्टी बनायें और उनको मुझपर भरोसा न हो तो हाई कोर्ट के विजेताओं को भी पार्टी बना दें।
अन्यथा अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में हार गयी तो शैक्षिक मेरिट का वजूद ख़तम हो जायेगा।सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हारना तय है।
मै यह सुझाव इसलिये दे रहा हूँ कि मेरा मकसद है कि यूपी में टीईटी उत्तीर्ण कोई भी बीएड बेरोजगार बेरोजगार ना रहे।
अब शिक्षक भर्ती रोजगार नहीं बल्कि प्रतिष्ठा का सवाल है।
एक भक्त था वह भगवान जी को
ReplyDeleteबहुत मनाता था,
।
बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया
करता था.
।
एक दिन भगवान से
कहने लगा–
मैँ आपकी इतनी भक्ति करता हूँ
पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति
नहीं हुई.
।
मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे
दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये
की मुझे ये अनुभव हो की आप हो.
भगवान ने कहा ठीक है.
।
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे
सैर पर जाते हो,
जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे
दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देँगे,
।
दो तुम्हारे पैर होगे और दो पैरो के
निशान मेरे होगे.
।
इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी.
अगले दिन वह सैर पर गया,
।
जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे
अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और
भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ,
।
अब रोज ऐसा होने लगा.
।
एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ
सब कुछ चला गया,
।
वह कंगाल हो गया उसके अपनो
ने उसका साथ छोड दिया.
।
(देखो यही इस दुनिया की समस्या है,
मुसीबत मे सब साथ छोड देते है).
।
अब वह सैर पर गया तो उसे
चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये.
उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त
मेँ भगवान ने साथ छोड दिया.
।
धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा
फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे.
।
एक दिन जब वह सैर पर गया तो
उसने देखा कि चार पैर वापस
दिखाई देने लगे.
।
उससे अब रहा नही गया,
वह बोला-
भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो
सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर
मुझे इस बात का गम नहीं था
क्योकि
इस दुनिया में ऐसा ही होता है,
पर आप ने भी उस समय मेरा साथ
छोड़ दिया था,
ऐसा क्यों किया?
तो भगवान ने कहा – तुमने ये कैसे सोच लिया की मैँ तुम्हारा
साथ छोड़ दूँगा, तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैरोँ के निशान देखे वे तुम्हारे
पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे।
उस समय मैँ तुम्हे अपनी गोद में
उठाकर चलता था और आज जब
तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है।
इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर
दिखाई दे रहे हैं।
न्यायपालिका में न्याय के दीपक सुशील हरकौली।
ReplyDelete|
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश थे
जो कि सेवानिवृत हो गये हैं ।
वे अपने न्यायिक जीवनकाल में मध्य प्रदेश और झारखण्ड उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी रहे।
उत्तर प्रदेश में न्यायमूर्ति डिवीज़न बेंच में सर्विस
मामले देख रहे थे उसी समय उनके पास पीड़ितों का एक समूह पहुंचा जो कि एक सरकार द्वारा प्रताड़ित था। उनकी मनोदशा उन्होंने ध्यान से सुनी और उनको पीड़ितों पर दया आ गयी फिर उनकी अंतरात्मा ने न्यायिक जीवन के अंतिम दौर में ऐसे झकझोरा कि उन्होंने विधायिका को सबक सिखाने की ठान ली। सरकार के निर्णयों पर अंगुली उठाते हुये उन्होंने
सरकारी फैसले को आर्टिकल १४(३)के विरुद्ध
बता दिया। उनके उठाये गये कदम से सरकार टूट गयी । उनके अंतरिम आदेशों को आगे बढ़ाते हुये उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण और
न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा ने निर्णायक फैसला सुनाया।
फैसले के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा प्राथमिक शिक्षा विभाग में
की गयी सभी नियुक्तियां स्वतः अवैध हो गयीं।
कोर्ट ने सरकार के बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१ में संशोधन १५,१६ को आर्टिकल १४(३) के विरुद्ध
मानकर रद्द कर दिया ।
अतः इसी आधार पर की गयी नियुक्तियों पर
खतरा मडराने लगा।
बीटीसी/एसबीटीसी, मोअल्लिम एवं जूनियर
शिक्षकों की भर्ती के विज्ञापन का आधार स्तम्भ
टूट गया। सरकार को यह भली-भांति पता है कि उच्च न्यायालय अब इसपर विचार नहीं करेगा इसलिये पुनर्विचार याचिका के बजाय वह सर्वोच्च अदालत
जा रही है। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के बावजूद उसे अपनी लाज बचाने के लिये सुप्रीम कोर्ट जाना पड़
रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की हार तय है। आरटीई लागू होने के कारण याचिका भी रद्द हो सकती है। जिसके परिणाम स्वरुप बीटीसी / एसबीटीसी को पुनः नियुक्ति देनी पड़ सकती है, उनकी संख्या रिक्ति से कम है इसलिये इसमेँ आधार का कोई मायने नहीं है। दुर्बल को न सताइये जा कि मोटी हाय, मुई खाल की स्वास सो सार भसम होई जाय। इस प्रकार सरकार को न्यायपालिका की असली शक्ति दिखाने वाले श्री सुशील हरकौली जी हमारे आदर्श रहेंगे।
चयन का आधार बदलते समय महाधिवक्ता एस.पी. गुप्ता ने कहा था कि चयन
का आधार ना बदला जाये वरना भर्ती कोर्ट में फंस
जायेगी तो इनके एक मंत्री ने कहा था कि भर्ती हमें
करनी है कोर्ट को नहीं करनी है और एक बार कैबिनेट से वापस लेने के बाद दुबारा जबरन पास कराया। कोर्ट ने अपनी भूमिका साबित की है ।
सुप्रीम कोर्ट तो न्याय का पिरामिड है वहां तो बेहिचक इंसाफ मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट को तो ख़ुशी होगी कि जो काम उसे
करना पड़ता उसे हाई कोर्ट ने कर दिया है।
अब ये महत्वपूर्ण नहीं है कि नौकरी देने वाले की मंशा क्या है,बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि नौकरी लेने वालों की मंशा क्या है?
ReplyDeleteसक्रिय मित्रों आलस्य मे लेटे साथियों को जगाइए भोजन तैयार करा दिया है,उठ के निकाल कर खाने का कष्ट करें नहीं तो आप की निष्क्रियता की स्थिति में कुत्ते भोजन पर स्वाभाविक रूप से निगाह लगाए बैठे हैं।
3000रू की नौकरी जाने के डर से 30000रू की नौकरी न गवांओ।10दिसंबर को अपने संख्याबल द्वारा इन्हें एहसास करा दो कि यदि हम सब कुछ भूलकर चुनाव मे तुम्हारा समर्थन करने को तैयार हो सकते हैं तो अपने रिश्तेदारों,इष्ट मित्रों से हाथ जोड़कर, पैर पकड़कर तुम्हारे सपनों को मिट्टी मे भी मिला सकते हैं।
नौकरी आपकी है परन्तु जागरूक रहने पर।
जय टेट,
जय हिंद।
सरकार का अब सुप्रीम कोर्ट जाने की खबरों के बीच में ये समझना आसान है कि सरकार हाईकोर्ट को फैसले को चैलेंज करना चाहती है और दो साल से लंबित पड़ी आरटीई एक्ट से मजाक कर रही है। नौनिहालों को टीईटी मेरिट से चयनित अच्छे योग्य टीचर नहीं देने के मूड में है। इस तरह 10 तारीख को प्रदेश में टीईटी मेरिट की ओर से एक आंदोलन तो बनता है। सरकार दो पैर में नाव रख नहीं सकती है। जबकि जरूरत इसी की टीईटी पास प्राथमिक टीचर बना दे और वोट की राजनीति खेले लेकिन ये खेल भी नहीं खेल सकती है। शिक्षा मित्र को पाल रहे ट्रेनिंग दे रहे है। उन्हें इन पदों पर भर के समानता के नियम का उल्लघंन करेगी और कर रही है। जब पूरे प्रदेश में प्राइमरी लेवल के टीईटी पास योग्य बीएड प्रशिक्षित हैं तो सरकार शिक्षा मित्रों की तुष्टिकरण क्यों कर रही है। हाईकोर्ट के फैसला जाकि दो साल से अपने हक के लिए लड़ रहे टीईट मेरिट के हक से अखिलेश सरकार से नियुक्ति मांग रही है। इधर इसके ही खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी वहां क्या कहेगी। एकेडमिक मेरिट से नया विज्ञापन सरकार ने समस्या के रूप में पैदा किया। सुप्रीम कोर्ट में समानता के नियम की क्या परिभाषा देंगे वहां से तो लगता आरटीइ एक्ट की अनदेखी करने के जूर्म में सरकार की खिंचाई होना तय है।
ReplyDeleteटीईटी मेरिट से चयन इनका लीगल आधार है। और सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाएगी और सरकार को फटकार लगाएगी। 10 दिसंबर का आदोलन में हमें लाठी मारने का अधिकार भी सरकार से छिन गया। इस बार सरकार की नादानी अपने वोट बैंक खोकर चुकानी पड़ेगी। जय टीईटी मेरिट
ReplyDeleteसरकार और सरकार के दो कौड़ी के अफसर साथ में
बिना दिमाग के गुणांक समर्थक ये कैसा भ्रम पाल
बैठे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट का निर्णय
पलट जायेगा।
सरकार अगर एकल पीठ में ही हमारी बात मान
गई होती तो आज उसका 15वाँ संशोधन
बचा रहता लेकिन उसकी जिद्द और घमंड
का नतीजा यह निकला कि हम जितना मांग रहे थे
उससे कहीं ज्यादा हमें मिल गया अब सुप्रीम कोर्ट
में हमें इससे भी ज्यादा मिलेगा और सरकार को पहले
से भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
सरकार अब अपने हाथ-पैर पूरी तरह कटवाने जा रही है सुप्रीम कोर्ट।
ReplyDeleteउच्च न्यालय में हमसे हारकर अभी जी नहीं भरा अब यादव अपने बाप के ५० सीटो वाले सपने छोड़ के हमसे टकरा रहा है। दोस्तों हम गलत नहीं है हम सच की लड़ाई लड़ रहे और वो अपनी टेढ़ी नाक के लिए . . . . . . . . .
वो हम तोड़ देंगे।
अब हमसे वादा करो दोस्तों १० दिसंबर २०१३ मंगलवार उत्तरप्रदेश सरकार के खिलाफ आज तक का सबसे बड़ा जनसैलाब एक साथ आएगा ।
कसम है आप सब को अपनी अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु या व्यक्ति (माँ/भगवान/जीवनसाथी/गर्लफ्रेँड ) की आप हमे लखनऊ में मिलेंगे अपने साथ कम से कम ५ लोगो को साथ ले के।
हर टेट वाला अपने साथ कम से कम ५ लोग जरूर लाये।
जय टेट मेरिट,
जय ओल्ड ऐड
जय न्यायपालिका
जय न्यायपालिका
एक हाकी खिलाडी ने गोल करने के लिये बाल को पाले
ReplyDeleteकी तरफ ढकेला
गेँद पाले के पोल से जा टकराई
वो खिलाडी अपने शाट से इतना आश्वस्त था
कि उसने ये दावा कर दिया कि गोल post की लम्बाई कम है
फिर क्या था उसके दावे पर गोल post की नाप कराई गई
जिसमे गोल की मैप वाकई कम निकली ?
जानते हो वो महान खिलाडी मेजर ध्यानचन्द्र थे
पर अफसोस की उन्हे सिर्फ खिलाडी ही समझा गया
भगवान नही...
जिस दिन तुम ख़ास होते हो, उस दिन
ReplyDeleteअपनी उस खासियत का सही इस्तेमाल करना
उसको चुनना जो तुम्हें अब आम न समझे
उसको चुनना जो तुम्हें जॉन, रहीम, करतार या राम न समझे
उसको चुनना जो पद की गरिमा समझे उसे सिर्फ नाम न समझे
उसको चुनना जो जीत कर हम पर किया एहसान न समझे
उसको चुनना जो हमें कठपुतली और खुद को भगवान् न समझे
उसको चुनना जो जीत कर पांच साल का आराम न समझे
जिस दिन तुम ख़ास होते हो, उस दिन
अपनी उस खासियत का सही इस्तेमाल करना. . .. . . [ सोमेश खरे ]
मैंने भगवान से कहा ,"नरेंद्र मोदी जी ." को PM बना दो भगवन
ReplyDeleteबोले ,"ठीक है पर सिर्फ 4 दिन के लिय. वो चार दिन तू बता,"
मैंने कहा ठीक है ,
"summer day"
"winter day"
"rainy day"
"spring day"
भगवान् confused हो गए बोले,"नहीं सिर्फ 3 दिन" मैंने
कहा,"ठीक है ,
"yesterday"
"today"
"tomorrow"
भगवन फिर Confused बोले,"सिर्फ दो दिन . "मैंने कहा ,"ठीक
है
week day और
weekend day ,"
भगवान् फिर Confused बोले."सिर्फ 1 दिन ,
"मैंने कहा ,"everyday"
भगवान हसने लगे और बोले अच्छा बाबा मेरा पीछा छोड़ो। जब तुम
लोग उसे ईतना चाहते हो तो भला कौन रोक सकता है।
भगवान राम जब अयोध्या लौट कर आये थे,
ReplyDeleteयदि उस समय
हमारी मिडिया रही होती तो प्रेस
कांफ्रेंस में कैसे कैसे सवाल करती.....
-आपके टीम के श्री हनुमान को लंका सन्देश
देने भेजा था पर उन्होंने वहाँ आग
लगा दी.... क्या आपकी टीम में अंदरूनी तौर
पर वैचारिक मतभेद है?
- क्या हनुमान के ऊपर अशोक
वाटिका उजाड़ने के आरोप में वन विभाग
द्वारा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए?
- आपके सहयोगी श्री सुग्रीव पर अपने भाई
का राज्य हड़पने का आरोप है|....क्या आपने
इसकी जांच करवाई?
- क्या ये सच है कि सुग्रीव की राज्य हड़पने
की साजिश के मास्टर माइंड आप है?
- आप चौदह साल तक वनवास में रहे...
आपको अपने खर्चे चलाने के लिए फंड कहाँ से
मिले?
- क्या आपने उस फंड का ऑडिट करवाया है?
- आपने सिर्फ रावण पर हमला क्यों किया,
जबकि राक्षस और भी थे? क्या ये
लंका की डेमोक्रेसी को अस्थिर करने
की साजिश थी?
- क्या ये सच नहीं है कि रावण को परेशान
करने के मकसद से आपने उनके परिवार के
निर्दोष लोगो जैसे कुम्भकरण पर
हमला किया?
- क्या आपकी टीम के हनुमान
द्वारा संजीवनी बूटी की जगह पूरा पहाड
उखाड़ लेना सरकारी जमीन के साथ छेड़छाड़
नहीं?
- क्या ये सच नहीं कि आपने हमले से पहले
समुद्र पर पुल बनाने का ठेका अपने
करीबी नल और नील को नहीं दिया?
- आपने पुल बनाने के लिए
छोटी छोटी गिलहरियों से काम
करवाया..... क्या इसके लिए आप पर बाल
श्रम कानून के तहत
मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए?
- आपने बिना किसी पद पर रहते हुए युद्ध के
समय इन्द्र से सहायता प्राप्त की और
उनका रथ लेकर रावण पर हमला किया..
क्या आप इन्द्र की टीम ए है?
- इस सहायता के बदले में क्या आपने इन्द्र
को ये
वादा नहीं किया कि अयोध्या का राजा बनने
के बाद आप उन्हें अयोध्या के आस पास
की जमीन दे देंगे?
- आप युद्ध में अयोध्या से रथ न मंगवा कर
इन्द्र से रथ लिया.... क्या ये इन्द्र
की कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से
किया गया?
- क्या आपने जामवंत को सहायता के बदले
राष्ट्रपति बनाने का वादा नहीं किया?
विभीषण अपने टीम में शामिल करके आपने
दल-बदल क़ानून का सरासर उलंघन
नहीं किया ?
- और आखिरी सवाल, कि आपने भरत
को राजा बनाया ...
क्या आपको अपनी नेतृत्व क्षमता संदेह था?
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete