नई दिल्ली। छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार [आरटीई] कानून में संशोधन के लिए पेश विधेयक को संसद ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इसमें मदरसा, वैदिक पाठशाला जैसी अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं को आरटीई के दायरे से बाहर करने और सभी तरह की अशक्तता वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार का प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक कुछ दिन पहले राज्यसभा में पारित हो चुका है एवं आज लोकसभा ने इस पर मुहर लगाई।
निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2012 पर चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, शिक्षा के अधिकार कानून में संशोधन कर सभी तरह के अशक्त बच्चों को कक्षा में सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके तहत आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक अशक्तता और अन्य तरह की अशक्तता वाले बच्चों को कक्षा में अन्य बच्चों की तरह शिक्षा का अवसर प्रदान करने की व्यवस्था है। इसके लिए कानून में अशक्तता की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। हमारा मानना है कि छह से 14 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।
सिब्बल ने कहा कि यह भी प्रावधान किया गया है कि ऐसे अशक्त बच्चों को अपने घर में भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो, लेकिन स्कूल इस प्रावधान को आधार बनाकर इसका दुरूपयोग बच्चों को स्कूल से बाहर करने के लिए नहीं करें। मंत्री ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के संबंध में कुछ वर्गो से यह मांग की जा रही थी कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जाए। इस मांग को स्वीकार करते हुए मदरसा, वैदिक पाठशालाओं जैसे अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं को आरटीई के दायरे से बाहर रखा गया है।
सिब्बल ने कहा कि यह भी मांग की गई थी कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को स्कूल प्रबंधन समिति के दायरे से बाहर रखा जाए। इसे भी स्वीकार कर लिया गया है और अब ऐसे मामलों में स्कूल प्रबंधन समिति की परमर्शक की भूमिका होगी।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का भी निर्णय सामने आया है जिसमें कहा गया है कि इस कानून का कोई प्रावधान गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थओं पर लागू नहीं होगा हालांकि यह सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं पर पूरी तरह से लागू होगा।
सिब्बल ने कहा कि कानून में एक और संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि सभी श्रेणियों में छात्र-शिक्षक अनुपात को कानून लागू होने के तीन वर्षो में मापदंड के अनुरूप बनाया जाएगा। साथ ही इस कानून के अमल में किसी तरह की बाधा को केंद्र दूर करेगा।
मंत्री ने कहा कि कुछ सदस्यों को अगर ऐसा लगता है कि डिसलेक्सिया जैसी अशक्तताओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है, तब वह कहना चाहेंगे कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारित मंत्रालय अशक्तता संबंधी 1995 के कानून पर विचार कर रहा है। इसमें सभी तरह की अशक्तताओं को ध्यान में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में कक्षाओं, शौचालयों के निर्माण और शिक्षकों की नियुक्ति का कार्य प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया गया है। शिक्षकों के 19 लाख पदों को मंजूरी दी गई है जिसमें से 12 लाख शिक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।
मुस्लिम बहुल इलाकों में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने की मांग करते हुए राजग ने सिब्बल के जवाब का बहिष्कार किया
News : Jagran ( 9.5.12)
plzzzzzzzzzzz aap sabhi tet bhai log se anurodh hai ki plz wo aage aaye iss muheem me paticipate kare plz
ReplyDeleteindia t.v ko uptet ke baare mein mail kare agar har ek shaksh jo blog se juda hua hai wo mail ya ek phone karega to iska bhi prabhav padega. ye ek choti si cheez ho sakta hai bahut bada prabhav paida kar de isliye dosto agar aap jantar mantar aa sakte hai to kya ek call ya mail nahi kar sakte. mujhe vishwaas hai k aap log iss muheem mein jarur shamil honge.
dhanyawad
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