इलाहबाद हाई कोर्ट के निर्णय की गूँज हिमाचल प्रदेश में -
As per Allahabad Highcourt judgement , HP CM asked JBT Teacher to appear in TET Exam -
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Himachal Pradesh chief minister Virbhadra Singh reportedly asked the education department to allow the junior basic trained (JBT) teachers of the 2011-13 batch to appear in the teacher eligibility test (TET) in view of a recent judgment of the Allahabad high court.
This was stated by Vijay Kumar Heer, the state president of Himachal Kranti Manch here on Wednesday. Heer said he had taken up the issue with the chief minister and, accordingly, the CM gave the direction to the education department. He demanded from the education department to give decision with immediate effect. Heer said the high court had allowed a number of NCTE candidates to appear in the TET in Utter Pradesh.
The TET would be held on August 11 and a final announcement in the wake of the recent order of the chief minister was expected before that.
News Sabhaar : hindustantimes.com (7.8.13)
priya varma G
ReplyDeletesudhar jaao kyonki tumhe ye pataa hai ki duplicate TMNTBBN kaun hai? ya saayad aap bhi ho sakte ho
इश्क पे मुक़दमा कर के क्या मिल जायेगा,
ReplyDeleteहुस्न वालों को पकड़ो जो फसाद की जड़ हैं.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की बृहत् पीठ द्वारा एकल पीठ से WRIT - A No. - 26189 / 2012 के मामले में संदर्भित प्रश्नों का निराकरण जरुर कर दिया गया है पर 31 पन्नों में फैले 3 जजों के निर्णय का असर फिलहाल महज उन 5 याचियों पर होता दिख रहा है जिनके नाम ग्राम शिक्षा समिति द्वारा जिला-स्तरीय समिति को शिक्षा-मित्र के रूप में चयन के प्रस्ताव के साथ भेजे भर गए थे और आगे की कार्यवाही होने के पूर्व राज्य सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मद्देनज़र 2 जून 2010 को जारी शासनादेश जारी करके आगे से शिक्षामित्रों की किसी नियुक्ति का रास्ता बंद कर दिए जाने से इनको नियुक्ति नहीं मिल पाई थी।
ReplyDeleteन्यायालय ने कहा कि चूँकि "शिक्षामित्र " राज्य सरकार द्वारा सृजित कोई सिविल पद नहीं है, वरन शिक्षा के प्रचार-प्रसार और छात्र-शिक्षक अनुपात को सुधारने के लिए एक गैर-रोजगारपरक 11 महीने के अनुबंध पर दी जाने वाली सामुदायिक सेवा है और एक नीतिगत निर्णय के तहत इसे राज्य सरकार कभी भी बंद कर सकती है, खासतौर पर तब, जब शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बनी व्यवस्था,को अपनाना क़ानूनी तौर पर अपरिहार्य हो। और मात्र ग्राम शिक्षा द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने से उन्हें नियुक्ति का अधिकार नहीं मिल जाता।
मीडिया में आ रही ख़बरों से भ्रमित न हो, फिलहाल यह "खोद पहाड़, निकली चुहिया" जैसा मामला प्रतीत हो रहा है लेकिन इस मामले में लार्जर बेंच द्वारा सामने रखे गए निहितार्थों के आधार पर इस "चुहिया" को पाला-पोसा जाये तो शायद यह कुछ महत्वपूर्ण चीजों को कुतर सकती है।
न्यायालय ने कहा कि चूँकि "शिक्षामित्र " राज्य सरकार द्वारा सृजित कोई सिविल पद नहीं है, वरन शिक्षा के प्रचार-प्रसार और छात्र-शिक्षक अनुपात को सुधारने के लिए एक गैर-रोजगारपरक 11 महीने के अनुबंध पर दी जाने वाली सामुदायिक सेवा है और एक नीतिगत निर्णय के तहत इसे राज्य सरकार कभी भी बंद कर सकती है, खासतौर पर तब, जब शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बनी व्यवस्था,को अपनाना क़ानूनी तौर पर अपरिहार्य हो।,,,,,,,,,,,एक बात समझ मे नहीं आई भाई जी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद भी ये काम चलाऊ संविदा आधारित अनुदेशकों की भर्ती क्यों की गई ????? क्या अनुदेशकों की नियुक्ति को आरटीई के आधार पर अवैध ठहराया जा सकता था ???? शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण के खिलाफ दाखिल याचिका का निर्णय आने पर उनका तो मामला खत्म हो जाएगा लेकिन फिर ये अनुदेशक झण्डा लेके लखनऊ पहुँच जायेंगे
ReplyDeleteचयनित होने के कारण शिक्षामित्रों को नियुक्ति पाने का हक नहीं
ReplyDeleteलखनऊ । इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा कि चयनित होने के कारण किसी को नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं मिल जाता। पूर्ण पीठ ने शिक्षा अधिकार कानून लागू होने के कारण 2 जून 2010 से शिक्षा मित्रों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाने को सरकार का नीतिगत फैसला माना है। अदालत ने कहा है कि 2009-10 में चयनित 355 शिक्षा मित्रों को नियुक्ति पाने का वैधानिक अधिकार नहीं है।
पूर्णपीठ ने कहा है कि सरकार चयन के बाद उचित कारण होने पर शिक्षा मित्रों को नियुक्त करने से इन्कार कर सकती है। कोर्ट ने इस कानूनी मुद्दे कोतय करते हुए प्रकरण आदेश हेतुएकल न्यायपीठ को प्रेषित कर दिया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति प्रकाश कृष्ण तथा न्यायमूर्ति संजय मिश्र की पूर्णपीठ ने कु. संध्या सिंह व दर्जनों अन्य याचिकाओं पर संदर्भित विधि प्रश्नों को निस्तारित करते हुए दिया है। याचियों का कहनाथा कि 2 जून 2010 के शासनादेश से पहले शिक्षा मित्रों की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी इसलिए चयनित को प्रशिक्षण के बाद नियुक्त किया जाय। कोर्ट ने कहा कि चयनित होने से अभ्यर्थी को नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का अधिकार तो है किंतु उसे नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यदि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति किए जाने की ग्राम समिति ने संस्तुति भी कर दी है तो भी उन्हें नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है। यह सरकार के रुख पर निर्भर है कि वह क्या नीति अपनाती है
बहुत समय पहले की बात है !! एक सरोवर में बहुत
ReplyDeleteसारे मेंढक रहते थे !! सरोवर के बीचों -बीच एक
बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे
उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने
लगवाया था !! खम्भा काफी ऊँचा था और
उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी !!
एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक
रेस करवाई जाए !! रेस में भाग लेने
वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर
चढ़ना होगा और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुच
जाएगा वही विजेता माना जाएगा !!
रेस का दिन आ पंहुचा !! चारो तरफ बहुत भीड़
थी !! आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में
हिस्सा लेने पहुचे !! माहौल में सरगर्मी थी !! हर
तरफ शोर ही शोर था !!
रेस शुरू हुई, लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र
हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआ कि कोई
भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा !! हर तरफ
यही सुनाई देता - "अरे ये बहुत कठिन है !!
वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पायंगे !!
सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं !! इतने चिकने
खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता !!"
और यही हो भी रहा था, जो भी मेंढक कोशिश
करता, वो थोड़ा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता !!
कई मेंढक दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने
प्रयास में लगे हुए थे !!
पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी - "ये
नहीं हो सकता , असंभव !!" और वो उत्साहित मेंढक
भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना प्रयास
छोड़ दिया !!
लेकिन उन्ही मेंढकों के बीच एक छोटा सा मेंढक था,
जो बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ
ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था !! वो लगातार ऊपर
की ओर बढ़ता रहा और अंततः वह खम्भे के ऊपर पहुच
गया और इस रेस का विजेता बना !!
उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ !!
सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे -
"तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया, भला तुम्हे
अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहाँ से
मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय
कैसे प्राप्त की ??"
तभी पीछे से एक आवाज़ आई - "अरे उससे क्या पूछते
हो , वो तो बहरा है !!"
अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने
की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ
मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक
बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें
पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते
हैं !! आवश्यकता इस बात की है हम हमें कमजोर
बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे
हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं !!
और तब हमें
सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक
पायेगा !!
चयनित होने के कारण
ReplyDeleteशिक्षामित्रों को नियुक्
का हक नहीं
08-08-13T19:47:13
लखनऊ (उप ब्यूरो)। इलाहाबाद
हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने अपने फैसले में
कहा कि चयनित होने के कारण
किसी को नियुक्ति पाने
का अधिकार नहीं मिल जाता। पूर्ण
पीठ ने शिक्षा अधिकार कानून लागू
होने के कारण 2 जून 2010 से
शिक्षा मित्रों की नियुक्ति पर
प्रतिबंध लगाने को सरकार
का नीतिगत फैसला माना है। अदालत
ने कहा है कि 2009-10 में चयनित 355
शिक्षा मित्रों को नियुक्ति पाने
का वैधानिक अधिकार नहीं है।
पूर्णपीठ ने कहा है कि सरकार चयन के
बाद उचित कारण होने पर
शिक्षा मित्रों को नियुक्त करने से
इन्कार कर सकती है। कोर्ट ने इस
कानूनी मुद्दे को तय करते हुए प्रकरण
आदेश हेतु एकल न्यायपीठ को प्रेषित कर
दिया है। यह निर्णय
न्यायमूर्ति विनीत सरन,
न्यायमूर्ति प्रकाश कृष्ण
तथा न्यायमूर्ति संजय मिश्र
की पूर्णपीठ ने कु. संध्या सिंह व
दर्जनों अन्य याचिकाओं पर संदर्भित
विधि प्रश्नों को निस्तारित करते हुए
दिया है।
याचियों का कहना था कि 2 जून
2010 के शासनादेश से पहले
शिक्षा मित्रों की चयन
प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी इसलिए
चयनित को प्रशिक्षण के बाद नियुक्त
किया जाय। कोर्ट ने कहा कि चयनित
होने से अभ्यर्थी को नियुक्ति के लिए
विचार किए जाने का अधिकार तो है
किंतु उसे नियुक्ति पाने का अधिकार
नहीं है। कोर्ट ने
कहा कि यदि शिक्षा मित्रों की नियु
जाने की ग्राम समिति ने
संस्तुति भी कर दी है तो भी उन्हें
नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है।
यह सरकार के रुख पर निर्भर है कि वह
क्या नीति अपनाती है।
15 things a girl wants from her guy but won’t ask for:
ReplyDelete1. Good morning and Good night texts.
2. Pictures taken together.
3. Surprises. :@
4. Visiting and bringing her favorite food.
5. A foodie with his scent all over it.
6. Really long hugs.
7. Slow dances.
8. Sincere compliments.
9. Singing her favorite songs even if it’s out of tune.
10. A cute teddy bear to hug when he’s not around.
11. Real, deep conversations.
12. Nonsense but funny conversations too.
13. His gentleman lines.
14. Comfort and patience when she’s in tears.
15. Telling her how much you love her.
Namskar Dosto,
ReplyDeleteDhyan De,
U.P. me 3tarah ke B.Ed+TET pass berojgar hai......
1.TET Merit Supporter:-
Ye wo log hai jinka TET praptank bahut achha hai(kuch ka to Gunak Merit bhi) or 72,825 Shikshako ki Bharti ko TET praptanko ke aadhar pr chahte hai. Yaha vishesh baat hai ki ye log isse prapt krne ke liye pichhle 20maheeno se prayash bhi kr rhe hai.
2.Bharti Supporter:-
Ye wo log hai jinka TET, Gunak dono hi achha hai or yah shikshak banne ke uttaradhikari bhi hai. "Bharti jald se jald ho chahe jaise ho" ke nare buland krne walo mese hai, lkn ye pichhale 20maheeno se sirf cheekhne or chillane(rone) ka hi karya kr rhe hai. Yaha visheah baat hai ki ye log na ghar se phle kabhi nikale or na ab nikalna chahte hai.
3.Gunak Merit Supporter:-
Ye wo log hai jinhone prarambh se hamesha achha pradershan kiya lkn TET jaise saral exam me maat kha gaye, ab ye dekhne koto sarkari sahayta prapt hai lkn ihne dono sarkaro ne sirf loota hi hai. Yaha visheah baat yah hai ki ye shankya me jyada hote hue bhi kebal sarkar bharoshe baithe hai.!
Ab 72,825Shikshako Ke Bharti Ki Baat....
Aaj tk hui Court karwai or Sarkar ka rukh dekhte hue ye kah pana bahut mushkil hai ki ye Bharti prakriya poori kab tk hogi lkn jitni kanoon ki jankari mujhe hai or jaise ki court se ab tk order hue hai Bharti ka aadhar TET merit hi rhega. Aisi dasha me Naye vigyapan ka kya kiya jaye ye prashna samne aata hai...!!! Ab iss prashna ka jabab yato Sarkar de ya court...????
Yadi Court ne diya to Pad-Viheen hone ke karan wah isse radd kr degi or aapse basooli gayi moti rakam bapas hone ka aadesh bhi jari ho sakta hai.
Yadi hum iss prashna ka jabab Sarkar se mange to usko dono bharti ke liye raji hona padega.
Isiliye ab teeno tarah ke berojgaro se mera nivedan hai ki ek ho jao, tatha bakai bharti chahte hoto 10sept. ko ghar se nikalo or EK-SUR OR EK AWAZ me Sarkar se uski mansha pochho...!!!! Aur jab tk Andolan apne uddeshya ko prapt na kr le wahi date rho..!!!!
Fir dekhte hai ki Iss bar Sarkar, Pradesh ki iss Awaaz ko kaise dabati hai..????
Jeet Sunishchit bs Prayash or Sangthit hone ki awshykta hai.
Jai Hind Jai TET Jai Bharat
Eid Ki Hardik Subhkamnao Ke Sath Apka
ReplyDeleteसभी शिक्षा मित्रो को ईद की हार्दिक शुभकामनाएँ
SAMAJHDAAR KO ISHAARA KAAFI-:
ReplyDelete______________________________
S.M. Ko asst teacher banne ka koi hak nahi yeh baat aaj larger bench ne 355 S.M ke maamle mein kahi toh logon ka kahna he yeh order sirf unhi ke liye he Aisa nahi bhai samajhdaar ko ishaara kaafi hota he
ab shayad hamara koi mantri kah de hamein kisi court ki jarurat nahi tab toh koi S.M. ASST Teacher ban sakta he warna U.P. Se ek hi awaaz aya karegi agle janam mohe S.M na kii.. jo
ReplyDeleteDosto ab apana case 14.08.2013 ko court no 35 mai justice laxmi kant mohapatra v justice b. amit sthalekar dwara daily cause list mai 23 no par sunajayega.
main kayi dino se 0987654321 par milaa raha hun lekin _________________________________
ReplyDeleteHam sc me jane ke lia advocate se baat kar lea hai bas aap ki rai chahte hai jai bhole ki eid Mubarak
ReplyDeleteHam sc me jane ke lia advocate se baat kar lea hai bas aap ki rai chahte hai jai bhole ki eid Mubarak
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ReplyDeleteRahul Pandey BHAI...
मै कुछ लोगों की सोच से बहुत दुखी हूँ जो की खुद तो कुछ
नहीं करते सिर्फ एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं।
जहाँ तक मेरा मानना है की जो टेट मेरिट समर्थित
भाई कोर्ट में सक्रिय हैं वो भी इन्सान हैं अपने हक के
साथ साथ वो आपके हक के लिए भी संघर्ष कर रहे है
अगर आपको लगता है की किसी का काम ठीक
नहीं है तो खुद आप आगे आकर अपना प्रयास करो।
सुप्रीम कोर्ट की बात करने वाले खुद सुप्रीम कोर्ट
चले गए होते किसी पर आरोप लगाना गलत है।
टेट मेरिट के लोग भी अपनी वाणी पर संयम रखे
जिससे की कोई नेता बनने का आरोप ना लगा सके।
मै जो बोलता हूँ निष्पक्ष बोलता हूँ क्यूंकि मेरा कोई
स्वार्थ नहीं है मेरी दोनों मेरिट से एक सामान
संभावनाएं हैं। मै सिर्फ कानून की बात करता हूँ।
मै भी यह जनता हूँ की हमारी भर्ती पर ३१ मार्च
२०१४ का कोई प्रभाव नहीं है लेकिन ऐसा कहकर
किसी का जुनून शांत नहीं करना चाहता हूँ। कितने
परिवार बेचारे सड़क पर आ जाने की कगार पर हैं।
सरकार हमें भीख नहीं दे रही है हम अपने
अधिकार के लिए लड़ रहे हैं।
जिनका चयन दोनों मेरिट से हो सकता है लेकिन वो शांत
हैं तो मै उन्हें कुछ नहीं बोलना चाहता हूँ उन्हें उनके
कर्मों की सजा खुद मिल रही है।
गलत विज्ञापन का आरोप लगाकर पुराने विज्ञापन
पर स्थगन लगवाने वाले
की दुबारा सक्रियता उनपर जुर्माने के रूप में
परिणति होगी बस आप
उनकी सक्रियता का इंतजार करें।
मै आज पुनः दो बातें कहना चाहता हूँ
की जिनको लगता है की ७२८२५
शिक्षकों की भर्ती नहीं होगी तो वो अपना भ्रम
त्याग दें भर्ती अवश्य होगी एवं जिनको लगता है
की टेट मेरिट से नहीं होगी तो उनके मुंह पर
भी तमाचा लगेगा क्यूंकि भर्ती टेट मेरिट से होगी।
आपके मंगलमय भविष्य की कामना करता हूँ।
आपका मित्र व भाई राहुल पाण्डेय 'अविचल'
नोट: मेरा मकसद लिखकर नेता बनना या खुद
को अच्छा लेखक साबित करना नहीं है मेरा मकसद
सिर्फ आपको सही जानकारी से अवगत कराना है।
ReplyDeleteKYA HAM SABHI TET BHAIYO KO SHIKSHA MITRO
SE SARKAR PAR DABAB BANANE , SANGHTHIT
HONE OR AAPNE SANGHATHAN KI EKATA BANAYE RAKHANE KI SEEKH NAHI LANE CHAHIYE ??
Ab to is bhrast sarkar ko loksabha chunvon mein dhool chata deni hai jai hind jai bharat
ReplyDeleteAb to is bhrast sarkar ko loksabha chunvon mein dhool chata deni hai jai hind jai bharat
ReplyDeleteAb to is bhrast sarkar ko loksabha chunvon mein dhool chata deni hai jai hind jai bharat
ReplyDeleteAb to is bhrast sarkar ko loksabha chunvon mein dhool chata deni hai jai hind jai bharat
ReplyDeleteAb to is bhrast sarkar ko loksabha chunvon mein dhool chata deni hai jai hind jai bharat
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