पीलीभीत : वर्ष 2009 में लेखपालों की भर्ती करने वाले आवेदकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। लंबे इंतजार के बाद शासन ने इस भर्ती को निरस्त कर दिया है। प्रशासन अब आवेदकों से वसूल की गई फीस को वापस करने की तैयारी कररहा है।
वर्ष 2009 में लेखपालों के लिए 36 पदों के लिए आवेदनपत्र मांगे गए थे। इसके करीब लिए 4700 फार्मजमा किए गए थे। शुल्क के तौर पर अनुसूचित जाति व जनजाति के अभ्यर्थियों से 50 रुपये और अन्य वर्गो से 70 रुपये की फीस वसूल की गई थी। लेखपालों की भर्ती के लिए उस वक्त लिखित परीक्षा ऐन वक्त पर निरस्त कर दी गई थी। उसके बाद से ही यह समूची प्रक्रिया ठंडी पड़ी हुई है। लगातार देरी तो हो रही थी लेकिन अभी तक आस इसलिए बंधी थी कि उस संबंध में शासन ने काई निर्णय नहीं लिया था। काफी वक्त से भर्ती प्रक्रिया के समाप्त होने का इंतजार कर रहे आवेदकों के लिए मायूस करने वाली खबर यह है कि शासन ने इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। अब प्रशासन आवेदकों से वसूल की गई फीस को वापस करने की तैयारी कर रहा है। एडीएम आनंद कुमार ने बताया कि शासन से निर्देश मिल गए हैं। लेखपाल के लिए फार्म जमा करने वालों की फीस जल्द ही लौटा दी जाएगी
News Source / Sabhaar : Jagran (12.6.2013)
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It is really a bad news for candidates.
ReplyDelete1 नहाने के लिए पानी होना चाहिए।
तौलिया तो श्रीसंथ के पास भी है।।
2. लड़का जेंटलमैन होना चाइये।
प्लेबॉय तो deodorant भी है।।
3. गर्लफ्रेंड पैशनेट होनी चाइये।
केयरिंग तो नर्स भी होती है।।
4. लड़की हसीं मजाक वाली होनी चाइये।
क्यूट तो पप्पी भी होते हैं
5. बंदे की इज्ज़त होनी चाइये।
पैसे तो सनी लियॉन के पास भी हैं।।
6. लड़की दिखने में अच्छी होनी चाइये।
हॉट तो आलू के परांठे भी होते हैं।।
7. देओल ही होना चाइये।
सनी तो लियॉन भी है।।
8. लड़का Mature होना चाइये।
जवान तो राहुल गाँधी भी है।।
9. Cricketers को क्रिकेट ही खेलना चाइये।
फिक्सिंग तो प्लम्बर भी कर लेते हैं।
10. लड़की दिल से साफ़ होनी चाइये।
कर्व तो ब्लैकबेरी भी होते हैं।।
11. इंसान में आत्म सम्मान होना चाइये।
जान तो आजकल सीमेंट में भी होती है।।
12. लड़की में attitude होना चाइये।
एंग्री तो बर्ड्स भी होती है.
13. लड़का हैंडसम होना चाइये।
स्मार्ट तो मोबाइल भी होते हैं।।
14. राजनीतिक विरोधियों को थोड़ा क्रिएटिव होना चाहिए,
खम्बा तो कुत्ता भी गीला कर लेता है.
15. पागलपंती की एक लिमिट होनी चाहिए, बेलगाम तो बेनी बाबू
की जुबान भी है.
टेट का पेपर देने से लेकर स्टे लगने तक का समय शायद आप में से अधिकाँश के लिए बहुत कठिन समय था,,लेकिन मेरे लिए वो सब निरपेक्ष भाव से पर्यवेक्षण की विषयवस्तु मात्र था,,,,एक शानदार संघर्ष का पर्यवेक्षण,,,मुझे अपनी जीत के बारे में कभी रत्ती भर भी संदेह नहीं रहा,,,लेकिन टेट प्राप्तांकों से चयन की घोषणा होते ही यह निश्चित हो गया था कि नियुक्तिपत्र हासिल करने के लिए हमें अपनी राजनीतिक एवं सामजिक व्यवस्था से मोर्चा लेना होगा,,हमें एक नया इतिहास रचना होगा,,,हमने रचा भी,,,,हाँ,,टेट मेरिट के लिए किया गया हमारा संघर्ष इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है,,,, हो सकता है आपको ऐसा लगता हो कि इस सबके लिए मायाबती या अखिलेश यादव या अरुण टण्डन जिम्मेदार हैं,,,नहीं,,,ये हमारी नियति थी,,,,कोई कुछ भी कर लेता लेकिन होना तो वही था जो अंततः होने वाला है,,,,हमारी जीत के रास्ते में अब कोई बाधा नहीं है,,,,,
ReplyDeleteBhai itna likha hai ki dil gadgad ho gaya hai. In gadhank walo ko kab akal ayegi. Isme inka koi dosh nahe jab madari he pagal hai to bander to utpat machayege hi. Pareshani bhadrajano ko hogi he. Jai tet metit(JTM)
Deleteसंविधान पीठ के निर्णय के प्रकाश में पहली या दूसरी तारीख को अपना फैसला सुना देंगे,,,,नए विज्ञापन को जीवित छोड़कर टण्डन साहब ने सरकार को यह अवसर दिया था कि अगर वो चाहे तो एकैडमिक से भर्ती करने का अपना वादा पूरा करने के लिए नए पदों का सृजन करके उनपर नियुक्ति कर ले,,,लेकिन कोर्ट ऐसा करने के लिए सरकार को बाध्य नहीं कर सकता,,,यह सरकार का नीतिगत मामला है,,,,यदि अखिलेश सरकार ऐसा करना चाहेगी तो संविधान पीठ के निर्णय के बाद हम टेट मामले पर कैबिनेट की एक और मीटिंग होते देखेंगे,,, सरकार के अंदर क्या पक रहा है ये तो मैं निश्चित रूप से नहीं जानता लेकिन यदि मामला एक अनुभवहीन मुख्यमंत्री को दिग्भ्रमित करने का है तो जल्द ही आप सरकार एवं प्रशासन में व्यापक परिवर्तन होते भी देखेंगे,,,,,,
ReplyDeleteBhai itna likha hai ki dil gadgad ho gaya hai. In gadhank walo ko kab akal ayegi. Isme inka koi dosh nahe jab madari he pagal hai to bander to utpat machayege hi. Pareshani bhadrajano ko hogi he. Jai tet metit(JTM)
Deleteआंदोलन में हम जीतने के लिए संघर्ष कर रहे थे,,,फिर कोर्ट में जीतने के लिए संघर्ष शुरू हुआ,,,नया विज्ञापन आने के बाद हमें अपनी हार बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा,,, पूर्व विज्ञापन रद्द होने के बाद भी जीतने की बात कहना पागलपन की निशानी माना जाने लगा,,,स्टे लगने के बाद सरकार अपनी हार बचाने या यूं कहें कि उसे टालने के लिए संघर्ष करने लगी,,,,
ReplyDelete,चार फरवरी को स्टे लगने के साथ ही हमारी जीत की घोषणा हो गई थी,,,उसके बाद से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जो हुआ, या जो हो रहा है या होने वाला है वो मात्र औपचारिकता ही है,,, ,,लेकिन मुझे यह वक्त सबसे ज्यादा भारी लग रहा है,,,जीत निश्चित होने के बाद जीतने की तारीख का इन्तजार करना संघर्ष करने से भी ज्यादा मुश्किल प्रतीत हो रहा है,,,,,जिन सवालों के घेरे में जीने की आदत हो गई थी अब वो सवाल ही खत्म हो गये हैं,,,,,, अगर ईश्वर ने चाहा तो नए सत्र के प्रारम्भ होते ही टेट मेरिट से चयनितों को नियुक्ति पत्र जारी होने लगेंगे,,,,,तब तक आपके पास वक्त है कि टेट मेरिट के लिए हुए संघर्ष में निभाई अपनी भूमिका के बारे में ईमानदारी से विचार करें,,,,,,इस बीच हम सभी ने बहुत कुछ खोया होगा,,,लेकिन उससे भी ज्यादा पाया होगा,,,,जिंदगी बहुत बड़ी है,,,जटिल भी,,,,इस संघर्ष के दौरान जो भी सीखा है उसे भूलना मत,,,,,सारी जिंदगी काम आएगा,,,,,
ReplyDeleteहमारे कुछ साथी कह रहे है संविधान पीठ से स्टे हट जाएगा । मै पूछता हूँ क्या उनको पता भी है स्टे क्यो और किसी एक रिट पर मिला या bunch of writs पर मिला ? क्या हरकौली साहब ने टेट मैरिट सपोर्टर के वकीलो से किसी रिट पर rejoinder माँगा था ? जब सरकार के सभी तर्क हरकौली साहब ने सुनने के बाद स्वयं ही खारिज कर दिए तो क्या हर रिट पर rejoinder लगाने की आवश्यकता थी ? स्टे हटने की बात करने वाले साथियो पहले यह तो पता कर लो कि स्टे क्यो मिला है? चलो मै ही बता देता हूँ । स्टे लगा है टंडन जी द्वारा किसी चलती प्रक्रिया के नियम बदलना असंवैधानिक मानने के कारण । स्टे मिला है सरकार द्वारा Prospective amendment का प्रभाव retrospective दर्शाया जाना असँगत अव्यवहारिक और असंवैधानिक होने के कारण । स्टे मिला है टंडन जी द्वारा असंगत तर्क दिए जाने (प्रशिक्षु शब्द लिखा न होने के कारण पुराना विज्ञापन खारिज करना ) के कारण । स्टे मिला है पुराने आवेदको के हित प्रभावित होने के कारण । अब यह स्टे तभी हटेगा जब यह असंवैधानिक बाते खत्म हो जाएँगी मतलब जब पुराने विज्ञापन से टेट मैरिट के आधार पर नियुक्ति पत्र सरकार खुशी खुशी जारी करेगी । अगर ऐसा नही करेगी तो जेल जाने का अगली बारी किसकी होगी मुझे बताने की जरूरत नही है । अधिक जानकारी के लिए संबंधित कोर्ट आदेश काउंटर और रिट नं 152/2013 के rejoinder का अवलोकन करे ।
ReplyDeleteटेट मेरिट से चयन तो निश्चित ही है ,,,पूर्व विज्ञापन बहाल करके हो या नए विज्ञापन से जुड़े पदों को नए विज्ञापन पर पूर्व विज्ञापन के फार्मों को आरोपित करके ,,जैसा कि SCERT विवरण वाले आदेश की मूल भावना थी,,,,, अब मैं यह सोच रहा हूँ कि टेट मेरिट से चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के उन पैसों का क्या होगा जो उन्होंने नए विज्ञापन को भरने में खर्च कर दिए ,,,आखिर दो-दो विज्ञापनों की बाजीगरी में उनका नुकसान क्यों,,,, वो भी इतना भारी नुकसान,,आज तक तो इतने पैसे किसी ने खर्च नहीं किये होंगे किसी फ़ार्म को भरने के लिए,,,,, कई लोगों ने तो फ़ार्म भरने के लिए कर्ज तक लिया है,,,तो सवाल यह है कि क्या अखिलेश सरकार का हाजमा इतना मजबूत है कि वो उत्तर प्रदेश के श्रेष्ठतम अध्यापकों की खून पसीने की कमाई हजम कर सके,,,,,? मुझे तो लगता है कि नहीं.....
ReplyDeleteबात को ज्यादा घुमाफिराकर कहने की बजाय सिर्फ इतना ही कहे दे रहा हूँ कि नए विज्ञापन को भरने के लिए बनवाए अपने-अपने चालानों का लेखाजोखा तैयार रखना ,,,चवन्नी-चवन्नी वापस मिलेगी ,,,,, जैसे ही आपका टेट मेरिट से चयन होगा आपसे नए विज्ञापन में भरे फार्मों का विवरण माँगा जाएगा और आपका नाम वहां से उड़ा दिया जाएगा ,,फीस वापसी होगी ये अलग से बताने की कोई जरूरत है क्या?आप लोग SCERT विवरण वाले आदेश को हलके में लेते हो और मैं उसी आदेश के सहारे बिना एक भी फ़ार्म भरे निश्चिन्त बैठा हूँ ,,,, मात्र एक पेज का आदेश था और उसमें वो लिखा था जिसे पढ़ने के बाद न्याय विभाग ने सरकार को सलाह दी कि "अब आवाज मत निकालना,,अपील करने के बारे में तो सोचना भी मत ,,,इस आदेश को लिखने वाला तुम्हारे बाप का भी बाप प्रतीत होता है,,,"
ReplyDeleteजागो रे जागो रे जागो रे
ReplyDelete=============
एक राजा था जिसकी प्रजा हम भारतीयों की तरह सोई हुई थी ! बहुत से तीस मार खां लोगों ने कोशिश की प्रजा जग जाए .. अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध करे, लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था !
राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये प्रजा चुप रही
राजा ने अजीबो गरीब टेक्स लगाए प्रजा चुप रही
राजा ज़ुल्म करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही
एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई उसने एक अच्छे-चौड़े रास्ते को खुदवा के एक पुल बनाया .. जबकि वहां पुल की कतई ज़रूरत नहीं थी .. प्रजा फिर भी चुप थी किसी ने नहीं पूछा के भाई यहा तो किसी पुल की ज़रूरत नहीं है आप काहे बना रहे है ?
राजा ने अपने सैनिक उस पुल पे खड़े करवा दिए और पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से टेक्स लिया जाने लगा फिर भी किसी ने कोई विरोध नहीं किया ! फिर राजा ने अपने सैनिको को हुक्म दिया कि जो भी इस पुल से गुजरे उसको 4 जूते मारे जाए और एक शिकायेत पेटी भी पुल पर रखवा दी कि किसी को अगर कोई शिकायेत हो तो शिकायेत पेटी मे लिख कर डाल दे लेकिन प्रजा फिर भी चुप !
राजा रोज़ शिकायेत पेटी खोल कर देखता की शायद किसी ने कोई विरोध किया हो लेकिन उसे हमेशा पेटी खाली मिलती ! कुछ दिनो के बाद अचानक एक एक चिट्ठी मिली ... राजा खुश हुआ के चलो कम से कम एक आदमी तो जागा ,,,,, जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे लिखा था - "हुजूर जूते मरने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए ... हम लोगो को काम पर जाने मे देरी होती है !"
गुणांक चाहने वालों के प्रति तुम्हारी सहानुभूति की मैंने प्रशंसा ही की है अपने कमेन्ट में ,,,,, मैं समझता हूँ कि भले ही थोड़ा दिमाग कम हो उनके पास लेकिन आखिर हैं तो वो भी हमारी-तुम्हारी तरह इंसान ही ,,,, नौकरी ना मिलने पर उन्हें भी उतना ही दुःख होगा जितना हमें होता ,,,इसी वजह से मैं चाहता हूँ कि सपा सरकार गुणांक वालों के लिए नए पदों का सृजन करे ,,,,कोर्ट ने भी सरकार को इसका मौका दिया है वरना टेट मेरिट से चयन का आदेश तो 21 दिसंबर को ही हो चुका है,,,, दुनिया की कोई भी अदालत अब उस आदेश को नहीं पलट सकती ,,,गुंंक वाले एक बेवकूफी कर रहे हैं,,, उम्मीद है जल्द ही उन्हें समझ में आ जाएगा कि राजनीतिक व्यवस्था उन्हीं मांगों पर विचार करती है जो संगठित तरीके से उसके सामने रखी जाती हैं,,,, आज तक गुणांक की भर्ती के लिए कोई मांग नहीं की गई है ,,,,गुणांक वाले मात्र इस गलतफहमी में जी रहे हैं कि सरकार जो चाहेगी वो करेगी और चाहेगी उनके ही हित में,,,टेट मेरिट से चयन के आदेश होने तक अगर सरकार नए पदों के सृजन के लिए सहमत नहीं होती तो गुणांक चाहने वालों को अपनी मांग में बल प्रदर्शित करने के लिए आंदोलन करना होगा ,,,बिना रोये तो माँ भी बच्चे को दूध नहीं पिलाती ,,,,,,
ReplyDeleteआउल और टलमान जिस तरह शादी न करने जिद कर रहे है।
ReplyDeleteसमझ मे नही आता
कि ये परम बाल ब्रम्हचारी है. या.
फिर.
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खतना के समय कोई दुर्घटना.???????????????????????
महत्वपूर्ण प्रश्न ........
ReplyDeleteईमानदारी से बताओ की कौन कौन अकेडमिक supportr TET 2013 का form नहीं डाले ??????
पास होने के बावजूद भी .....
भाई जब टेट एक पात्रता परीक्षा है तो क्यूँ अपने अंक बढ़ाना चाहते हो ?????
अब गोल मोल जवाब मत देना और हां शर्माइये मत में नौकरी धारकों से भी पूछ रहा हूँ जो नौकरी में होते हुए भी स्कोर बढ़ाना चाहते हें ।
अब कोई कहेगा की कहीं टेट 2011 रद्द न हो जाये इसलिए ड़ाल रहे हें ।
कोई कुछ और कहेगा केवल खिचड़ी (Rag bag) पकाएंगे ।।।।।
चलो में बता दूं ये कहना अगर कोई पूछे तो भाई अब हम समाजवादी टेट देना चाहते हें ।।।।।।।।
हमारा प्राइम मिनिस्टर कौन हो - केवल नरेन्द्र मोदी हो . नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद !
ReplyDeleteJAIL WAALI KE LIYE
ReplyDelete.
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आपके लबो पे सदा मुश्कान रहे.......!!
रब ना करे की आप कभी उदास रहे....!!
हम आपके पास रहे या ना रहे.......!!
जिन्हे आप चाहो वो सदा आपके पास रहे......!!
टैट परीक्षा देने से पूर्व सभी को पता था कि भर्ती टैट मैरिट से होगी फिर भी टैट में अच्छे अंक नहीं ला पाए इससे पता चलता है कि ये अकादमिक वाले कितने होशियार है और इन्होंने अकादमिक में कैसे अच्छे अंक प्राप्त किये जब यह केस सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था तब केस पढने के बाद मुख्य न्यायाधीश महोदय की सबसे पहली प्रतिक्रिया यही थी कि 'सरकार बदलने पर भर्ती प्रक्रिया भी बदल जाती है एसा पहली बार देखा है' इस प्रतिक्रिया से ही इस केस के भविष्य का पता लग जाता है
ReplyDeleteक्या अब इस मामले में और बहस किये जाने की जरूरत है,,,,, जहाँ तक मुझे लगता है कि हमारे वकीलों के लिए यह बेहतर है कि वो हरकौली साहब से सीधे फैसला देने का आग्रह करें और यादव द्वारा टाल मटोल किये जाने पर हरकौली जी के ऊपर ही डाल दें कि क्या अब भी सरकार के फिजूल के तर्कों -कुतर्को पर बात करके कोर्ट का वक्त खराब किये जाने की आवश्यकता है,,,,उसके बाद जो करना होगा वो हरकौली साहब ही निर्णय कर देंगे,,, यदि वो कहते हैं अभी और इन्तजार करो तो हमारे पास और विकल्प भी क्या है,,
ReplyDeleteकिस बात पर गर्व करूँ? ;(
ReplyDeleteलाखों करोड़ के घोटालों पर?
85 करोड़ भूखे गरीबों पर?
62% कुपोषित इंसानों पर?
या क़र्ज़ से मरते किसानों पर?
किस बात पर गर्व करूँ?
जवानों की सर कटी लाशों पर?
सरकार में बैठे अय्याशों पर?
स्विस बैंकों के राज़ पर?
या प्रदर्शन कारियों पर होते लाठीचार्ज
पर?
किस बात पर गर्व करूँ?
राज करते कुछ परिवारों पर?
उनकी लम्बी इम्पोर्टेड कारों पर?
रोज़ हो रहे बलात्कारों पर?
या भारत विरोधी नारों पर?
किस बात पर गर्व करूँ?
महंगे होते आहार पर?
अन्याय की हाहा कार पर?
बढ़ रहे नक्सलवाद पर?
या देश तोड़ते आतंकवाद पर?
किस बात पर गर्व करूँ?
जवानों की खाली बंदूकों पर?
सुरक्षा पर होती चूकों पर?
पेंशन पर मिलते धक्कों पर?
या IPL के चौकों-छक्कों पर?
किस बात पर गर्व करूँ?
किसानों से छिनती ज़मीनों पर?
युवाओं की खिसकती जीनों पर?
संस्कृति पर होते रेलों पर?
खेलों या क्रिकेट-कॉमनवेल्थ पर?
भारत मे बढ़ती अशलीलता पर?
लड़कियो के छोटे होते कपड़ो पर?
साढ़े 900 के सिलेंडर पर?
दुश्मन के आगे होते सरेंडर पर?
इस झूठी शान पर?
'इंडियन' होने की पहचान पर?
इस विदेशी तंत्र पर?
या इस नाम के 'गणतंत्र' पर?
आप ही बताएं मैं 'किस बात पर गर्व करूँ
"कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है
ReplyDeleteमिले गर भाव अच्छा जज भी कुर्सी बेच देता है
तवाइफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक
पुलिस वाला तो चौराहे पे वर्दी बेच देता है
जला दी जाती है ससुराल मेँ अक्सर वही बेटी
के जिस बेटी की ख़ातिर बाप किडनी बेच देता है
कोई मासूम लड़की प्यार मेँ कुर्बान है जिस पर
बनाकर वीडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है
ये कलयुग है कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीँ इसमेँ
कली,फल,पेड़,पौधे, फूल माली बेच देता है
उसे इंसान क्या हैवान कहने मेँ भी शर्म आए
जो पैसोँ के लिए अपनी ही बेटी बेच देता है
जुए मेँ बिक गया हूँ मैँ तो हैरत क्योँ है लोगोँ को
युधिष्ठर तो जुए मेँ अपनी पत्नी बेच देता है"....
TET EK MAHAN EXAM THA !!!
ReplyDeletein india there was no such great & fair exam has don before 2011.BECOUSE----
1-There were so many applicants
2-base of selection was declared before before exam
3-there was no negative marking
4-carbon copy of ans.sheet was given to applicant
5-after 10 days ans of ques. were disclosed.
6-both ques.paper & copy of ans sheet were provided by authority,
7-there was no time to cheating becose time was short.it was 90 min
8-no where was happened peper out
9-no one was accused as mal-practise
so
TET EK MAHAN EXAM THA
जिस तरह से टंडन, अग्रवाल एवं अखिलेश सरकार ने विज्ञापन 2011 का जनाजा निकालने की कोशिश की थी,अब मिश्रा और हरकौली नये विज्ञापन का जनाजा निकालना चाहते हैं जबकि उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि पुराने विज्ञापन कोर्ट चाहे जो करे लेकिन नये के साथ छेड़छाड़ न करे लेकिन हरकौली जी अगर तनिक कमी पाये तो मानेंगे नही,
ReplyDeleteटंडन ने न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठ कर न
ReplyDeleteतो हमारे साथ न्याय किया और न ही अर्ध
न्याय किया वरन हमारे साथ सरासर अन्याय
किया..मैं तो टंडन को सुनने केवल एक बार
गया था और उनकी बॉडी लेंग्वेज ने ही उनके
भीतर की समस्त कटुता को उजागर कर
दिया था..जितनी आसानी से उन्होंने दो दिन बाद
का समय दिया (यह जानते हुए भी की यह
मुद्दा हजारों परिवार के लाखों लोगों से सीधे
सीधे जुड़ा हुआ है) वह उनकी न्यायिक
अक्षमता को ही प्रदर्शित करता है..इस मुद्दे
को लटकाने में जितनी तारीखे उन्होंने
दी..क्या किसी अन्य जज ने भी दी हैं..यह
मुद्दा इतना उलझा हुआ नहीं है जितना की इसे
जानबूझ कर उलझाया जा रहा है ..सरकार चाहे
तो अभी भी संशोधन करके हमारे पक्ष में हमारे
मामले की सारी गति ही बदल सकती है..किन्तु
ऐसा करना उनके लिए इसलिए संभव
नहीं होगा क्योंकि वे मामले को अपने राजनैतिक
उद्देश्यों के लिए लटकाना चाहते हैं..टंडन ने हमारे
पक्ष में किया क्या? और यदि वे नए विज्ञापन
को निरस्त कर पुराने विज्ञापन को बहाल कर
देते तो हम संकट में कैसे पड जाते? यह
मामला सुप्रीमकोर्ट न पहुंचा होता तो अब तक
७२८२५ पद भर चुके होते और वह भी अकादमिक
आधार पड..ऐसी कौन सी विधिक, संवैधानिक
अथवा नैतिक बाधा थी जो टंडन के हाँथ पकडे हुए
थी? राजनैतिक बाधा तो थी और यह हमारे
प्रदर्शनों में अपने बीच भी रही है..जो लोग हमारे
प्रदर्शनों में यह नारा लगाते थे की अखिलेश
हमारा भाई है..उससे नहीं लड़ाई है..वे किस
प्रकार सरकार से लड़ सकते हैं?..टंडन
को पदलिप्सा है और इसीलिए हमारे पक्ष में
तमाम विधिक उपबंधों के बावजूद हमें
ठेंगा दिखा दिया गया...एक
हमारा ही मामला नहीं ऐसे अनेक मामले हैं
जहाँ लोगों ने मात्र अनुरोध भर किया और
न्यायपालिका,कार
्यपालिका तथा व्यवस्थापिका हर जगह
उनकी बात सुनी गयी..मैं तो आश्चर्यचकित हूँ
की जब फंसी का फंदा हमारे गले में पड़ने
ही वाला था तो लोग फीस, आयु, महिला पुरुष
आरक्षण न जाने क्या क्या लेकर बैठ गएँ..मैंने
न्याय के मंदिर में न्याय की हत्या होते हुए
देखा ह
इन्हें जरूर आजमायें -
ReplyDelete* घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। तुलसी के पत्तों के नियमित सेवनसे कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
* ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें।
* भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है। साथ ही पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
... * जो बच्चे में पढ़ने में कमजोर हैं, उन्हें पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना चाहिए। इससे उन्हें लाभ होगा।
*जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा है, उन्हें वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) के कमरे में रहना चाहिए। इससे उनका विवाह अच्छे और समृद्ध परिवार में होगा।
* रात को सोते वक्त व्यक्ति का सिर हमेशा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। कभी भी उत्तर दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना चाहिए। इससे अनिद्रा रोग होने की संभावना होती है साथ ही व्यक्ति की पाचन शक्ति पर विपरीत असर पड़ता है।
* घर में कभी-कभी नमक के पानी से पोंछा लगाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
*घर से निकलते समय माता-पिता को विधिवत (झुककर) प्रणाम करना चाहिए। इससे बृहस्पति और बुध ठीक होते हैं। इससे व्यक्ति के जटिल से जटिल काम बन जाते हैं।
* घर का प्रवेश द्वार एकदम स्वच्छ होना चाहिए। प्रवेश द्वार जितना स्वच्छ होगा घर में लक्ष्मी आने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।
* प्रवेश द्वार के आगे स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे मांगलिक चिह्नों को उपयोग अवश्य करें।
* प्रवेश द्वार पर कभी भी बिना सोचे-समझे गणेशजी न लगाएं। दक्षिण या उत्तरमुखी घर के द्वार पर ही गणेशजी लगाएं।
* विवाह पत्रिका कभी भूलकर भी न फाड़े क्योंकि इससे व्यक्ति को गुरु और मंगल का दोष लग जाता है।
* घर में देवी-देवताओं की ज्यादा तस्वीरें न रखें औरशयन कक्ष में तो बिलकुल भी नहीं।
* शयन कक्ष में टेलीविजन कदापि न रखें क्योंकि इससे शारीरिक क्षमताओं पर विपरीत असर पड़ता है।
* दफ्तर में काम करते समय उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके बैठें तो शुभ रहेगा, जबकि बॉस (कार्यालय प्रमुख) का केबिन नैऋत्य कोण में होना चाहिए।
* घर के भीतर शंख अवश्य रखें। इससे बजाने से 500 मीटर के दायरे में रोगाणु नष्ट होते हैं।
* पक्षियों को दाना खिलाने और गाय को रोटी और चारा खिलाने से गृह दोष का निवारण होता है।
टण्डन का याचियों के हित वाला आदेश नए विज्ञापन को समाप्त करने के लिए पर्याप्त था ,,लेकिन उन्होंने दूर की सोचते हुए ऐसा नहीं किया ,,,टण्डन ने गालियाँ खाईं हैं जबकि वो चाहते तो इससे आसानी से बच सकते थे,,,, सात दिसंबर को सात मिनट में ही नया विज्ञापन दफ़न किया जा सकता था,,लेकिन ऐसा होते ही फिर से हम वहीं खड़े हो जाते जहाँ विज्ञापन निकलने से पहले खड़े थे,,,,,,,हमारे मुकदमें के सामान शायद ही भारत में इतने सारे पदों के लिए कोई मुकदमा हुआ हो,,,,कोर्ट की नजर में इस बात से कोई फर्क नहीं होता कि दोनों विज्ञापन अलग-अलग सरकारों द्वारा सामान पदों हेतु लाये गये थे,,,, मामला सरकार के अपनी विज्ञप्ति को वापस लेने के कानूनी अधिकार का था ,,,संविधान पीठ का निर्णय आ जाए उसके बाद हम टण्डन साहब द्वारा की गई बाजीगरी का परिणाम भोंगेंगे ,,और सरकार उसका भुगतेगी ,,,हरकौली साहब के कोर्ट में टेट में धांधली का ना होना प्रमाणित हो चुका है ,,उस्मानी पर प्रथम द्रष्टया ही दुर्भावना से प्रेरित होकर काम करने का आरोप प्रमाणित हो चुका है,,,,आयु-सीमा वाले आदेश का पालन संभव नहीं है ,,क्योंकि उसमें ना सिर्फ अभ्यर्थियों को उन्हीं जिलों में फ़ार्म डालने की छूट डी गई है जिनमें पूर्व विज्ञापन में डाले थे बल्कि उसी आदेश में ऐसे अभ्यर्थियों द्वारा इस बीच उठाये कष्टों का भी चुटकी भर ही सही लेकिन जिक्र है,,,, सीधी सी बात है कि अब सरकार या तो स्वयं ही समर्पण करने को राजी हो जाए या फिर बेसिक शिक्षा सचिव और मुख्य सचिव के लिए जेल में रखने के लिए विशेष प्रबंध करे ,
ReplyDelete
ReplyDeleteअपना विज्ञापन बहाल हो जाए उसके बाद एकैडमिक वालों को भडकाना है ,,,,जितनी रातें हमने जागते हुए काटी हैं उससे कम अगर एकैडमिक वालों ने काटीं तो फिर मेरे होने का फायदा ही क्या ,,,अभी तो इन गधों से आंदोलन करवाना है,,उस आंदोलन में पहले पत्थर फिर गोली चलवानी है,,,,,,, हमने बारह साथी खोएं हैं इस अंतराल में,,, बारह दर्जन से कम अगर एकैडमिक वाले शहीद हुए तो एक कसक रह जायेगी,,,,, सभी आन लाइन फ़ार्म भरने वालों के टेलीफोन नंबर है मेरे पास,,, शुद्ध एकैडमिक के फोन यहीं सार्वजनिक कर दूंगा,,मिल बाँट लेंगे,,,,, ,,,रोज सुबह उठकर सभी साथी सौ-सौ SMS कर दिया करना,,,, एकैडमिक वालों के दिन की शुरुआत अगर हमारे मैसेज से होगी तो बाक़ी दिन कैसा बीतेगा ये तो आप समझ ही सकते हैं,
स्टे खुलवाना चाहते हो????
ReplyDelete? हहहहहः,,
ठेंगा खुलेगा,,
,राज्यपाल चाहे या राष्ट्रपति,, जब तक पूर्व विज्ञापन बहाल होकर हमारी नियुक्ति नहीं होजाती तब तक तो नया विज्ञापन इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बंधक रहेगा ,,,,,, इतने दिनों में मैं जहाँ तक जजों की मानसिकता को समझ पाया हूँ हरकौली साहब या तो नए विज्ञापन को सीज करके पूर्व विज्ञापन बहाल करेंगे या नए विज्ञापन के वर्तमान पदों पर पूर्व विज्ञापन के फ़ार्म आरोपित करेंगे,,,,,,अगर किसी को गुणांक से नियुक्ति करवानी हो तो पहले तो जाकर अखिलेश यादव के पैर पकडे और उनसे नए विज्ञापन से भर्ती हेतु नवीन पदों का सृजन करवाए,,,,,,,,,,, और उसके बाद मेरे पैर पकड़ना ,,,,,,अब ये तो कहना ही मत कि मैं अगर ना चाहूँ तो भी गुणाक से नियुक्ति हो सकती है,,,,,,कोई और भले ही ना समझे लेकिन अखिलेश यह बात बहुत अच्छी तरह समझते हैं,,,,,,,
TET merit First Cut –Off List
ReplyDeleteArt (Female)-
Female_ art_(General)-100
Female_ art_(O.B.C.) -94
Female_ art_(S.C.) -89
Female_ art_(S.T.) -Full
Female_ art_(P.H.) -85
Science (Female)-
Female_ Science_(General)-101
Female_ Science_(O.B.C.) -96
Female_ art_(S.C.) -91
Female_ art_(S.T.) -Full
Female_ art_(P.H.) -Full
Art (Male)-
Male_ art_(General)-101
Male_ art_(O.B.C.) -98
Male_ art_(S.C.) -91
Male_ art_(S.T.) -Full
Male_ art_(P.H.) -87
Science (Male)-
Male_ Science_(General)-106
Male_ Science_(O.B.C.) -103
Male_ art_(S.C.) -94
Male_ art_(S.T.) -Full
Female_ art_(P.H.) –Full
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(Mr. .T.M.N.T.B.B.N.)
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,नया विज्ञापन पद विहीन करके भी जीवित छोड़ा जा सकता है,,कोर्ट ऐसा आदेश देने में सक्षम है,,हाँ,,यदि सरकार उसके लिए हमारी भर्ती होने तक या उसके बाद नए पदों के सृजन की अनुमति स्वयं मांगे तब,,,,,,,,हाँ,,,लेकिन कोर्ट सरकार को ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती ,,कोर्ट के हाथ में फिलहाल मात्र एक विकल्प है,,पूर्व विज्ञापन की बहाली के साथ -साथ उस्मानी पर जुर्माना,,,,मुख्य सचिव पर जुर्माना लगने के निहितार्थ उससे कहीं अधिक हैं जितना हम और आप सोच सकते हैं,,,,उस्मानी का कैरियर खत्म हो जाएगा ,,,,,उस्मानी बगावत कर देंगे,,क्योंकि वो जो भी कर रहे थे वो कर तो सरकार की ही मर्जी से रहे थे,,,,,,,,,,,इससे बचने का सरकार के पास भी एक ही विकल्प है,,,,,,टेट मेरिट से चयन के साथ-साथ नए पदों का सृजन,,,,,,, या तो यह विवाद सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव को जन्म देगा ,,,या फिर सब कुछ इस तरह खत्म होने वाला है जैसे कुछ हुआ ही ना हो,,,,,मात्र एक साल छः महीने चले स्वप्न की तरह,,,,,
ReplyDeleteजो लोग व्यभिचार की बढती घटनाओं के लिए स्त्रियों को दोष देते हैं वे यह भूलते हैं की प्राचीन भारत में स्त्री हो या पुरुष, अधिकांशतः अधोवस्त्र ही पहनते थे..इस्लाम के आगमन से पूर्व व्यभिचार क्या होता है..यहाँ के निवासियों को पता ही नहीं था..घरों में दरवाजे नहीं होते थे..आक्रमण के समय किसान, तपस्वी,व्यापारी इत्यादि अछूते रहते थे..युद्ध केवल सैनिकों के मध्य होता था..हमने मध्य पूर्व और पश्चिम का अनुकरण किया और आज हम नीचता के निम्नतम स्तर पर हैं|
ReplyDeleteहमारे सितारे कभी गर्दिश मे नही थे ।इतना तो मै भी समझता हूँ। कुछ लोगों ने अज्ञानता वश लोगों मे भ्रम फैला रखा था ।पता नही ऐसा करके उन्हे क्या मिला । आप लोगों ने अगर इस लड़ाई को जीवित रखने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका न निभाई होती तो टेट मैरिट और पुराने विज्ञापन की अवधारणा कभी मूर्त रूप न ले पाती । हम और हमारे साथियो की एक मात्र उम्मीद कब की दम तोड़ चुकी होती।न जाने कितने लोग झूठी निराशा के भँवर मे डूब चुके होते। हमारी जीत हमारे किसी काम की न होती । यही तो मैने कहने का प्रयास किया है । बुरे से बुरे समय मे भी हम सबको हताशा से दूर रखा। जिसके चलते हमे आज सिर उठाकर चलने का अवसर प्राप्त हुआ है ।
ReplyDeleteएक बार एक भला आदमी नदी किनारे बैठा था। तभी उसने देखा एक बिच्छू पानी में गिर गया है। भलेआदमी ने जल्दी से बिच्छू को हाथ में उठा लिया। बिच्छू ने उस भले आदमी कोडंक मार दिया। बेचारे भले आदमी का हाथ काँपा औरबिच्छू पानी में गिर गया। भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए दुबारा उठा लिया। बिच्छू ने दुबारा उस भले आदमी को डंक मार दिया। भले आदमी का हाथ दुबारा काँपा और बिच्छू पानी में गिर गया। भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए एकबार फिर उठा लिया। वहाँ एक लड़का उस आदमी का बार-बार बिच्छू को पानी से निकालना और बार-बार बिच्छू का डंक मारना देख रहा था। उसने आदमी से कहा, "आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?" भले आदमी ने कहा, "बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना। जब बिच्छू एक कीड़ा होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव क्यों छोड़ूँ?"
ReplyDelete
ReplyDeleteजय टेट मेरिट और सत्यमेव जयते आज की तारीख में एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द बन गये हैं,,,, दोंनों में बस इतना ही अंतर है कि सत्यमेव जयते राष्ट्रीय वाक्य है और जय टेट मेरिट राष्ट्र का निर्माण करने योग्य वाक्य ,,,,,,,काश शिक्षा को मूल अधिकार बनाने वाले संशोधन के अंत में इस वाक्य को लिख दिया गया होता तो शायद हमारे प्रदेश के राजनेता टेट मेरिट पर अपनी कुद्रष्टि डालने से पहले इस बात पर विचार जरूर करते कि कहीं ऐसा ना हो कि संविधान के उल्लंघन के आरोप में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए,,,, यदि कोई मुझसे पूछे कि टेट मेरिट विवाद का अंत होते समय आप क्या सुनना चाहेंगे,,तो मेरा सिर्फ एक ही जवाब होगा,,,,,,,, टेट मेरिट के विरुद्ध अभियान चलाकर प्रदेश की शिक्षा को नकल माफियाओं के हाथों में गिरवी रखने के प्रयास के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की जुबान से निकला उनका माफीनामा ,,,इससे कम कुछ भी नहीं,,,, एक साल से अधिक समय तक चले इस विवाद का इससे न्यायपूर्ण और गौरवशाली अंत और क्या हो सकता है,,,,?????
समाजवादी सरकार की गुलाटियाँ : नौसिखियेपन में हड़बड़ी या सयानेपन की गड़बड़ी??
ReplyDeleteअपने राजनैतिक जीवन का सबसे दांव खेलने की तैयारी में लगे मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश में सत्तासीन उनका समूचा कथित समाजवादी कुनबा हर-दिल-अजीज बनने की चाहत में नित नए हैरत-अंगेज (जो की कई दफ़े अहमकाना लगते हैं) कदम उठाता जा रहा है। यह दीगर बात है कि इनमे से ज्यादातर मामलों में ये औंधे-मुँह गिरे हैं। चाहे 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती को रद्द करना हो, चाहे नए विज्ञापन में नियमों में परिवर्तन करना हो, चाहे शाम 7 या 8 बजे के बाद शोपिंग माल्स बंद करने का निर्णय हो, चाहे विधायक निधि से विधायकों को आलीशान गाड़ियाँ खरीद लेने की अनुमति का मामला, चाहे बेरोजगारों को भत्ता बाँटने का निर्णय हो, चाहे छात्रों को टेबलेट-लैपटॉप बाँटने का निर्णय हो, चाहे चकरिया फार्म की जगह विश्व-स्तरीय कैंसर अस्पताल बनाने का निर्णय हो, चाहे एक धर्म-विशेष के आरोपियों पर से आतंकवाद के मुक़दमे वापस लेने की पहल हो, चाहे मृतक आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति के अंतर्गत पुलिस उपाधीक्षक जिया-उल-हक़ की विधवा और भाई को नौकरी देने का निर्णय हो, हर मामले में सरकार के फैसले या तो औंधे-मुह गिरे या फिर अदालती झंझटों में फंसे हैं, पर इन निर्णयों को इसे उनकी निरी बेवकूफी मानना भी निरी बेवकूफी ही होगी।
व्यक्तिगत स्वार्थ के धरातल से उठकर देखा जाये तो राजनीती के मंझे हुए खिलाड़ी मुलायम इतने भोले या नासमझ नहीं कि अपने लड़के की सरकार की सिलसिलेवार इतनी फजीहत यूँही, अनजाने में करवा लेंगे।
असल में हिंदी फिल्म का एक प्रसिद्द संवाद है "हार कर जीत जाने वाले को बाजीगर कहते हैं!" और राजनैतिक जोड़तोड़ के समय में मुलायम आजकल यही बाजीगरी करने की जुगत लगाने की कोशिश में है. राजनीति में सफल व्यक्ति के उल्टे-सीधे हथकंडे को रणनीति कहा जाता है और बड़े आदमी के नंगेपन को आधुनिकता, शायद यही मुलायम-चिंतन सरकारी हरकतों को इस दायरे में रोके हुए यहीं तक सिमट कर रह गया है। क्या हुआ जो काम नहीं होगा, क्या हुआ जो योजनायें अधूरी रह जाएगी, क्या हुआ जो इन कवायदों में समय और जनता का पैसा बर्बाद होगा, इन समाजवादियों के पास कहने के लिए ये तो होगा, कि हमने तो आपके लिए सब किया, अब कोर्ट ने नहीं करने दिया, NCTE ने नहीं करने दिया, विरोधियों ने नहीं करने दिया तो इसमें हमारा क्या कुसूर?
और अगर जनता भी अबतक ऐसे झांसे में आती रही हो तो ऐसा करने में नुकसान ही क्या है? और अगर मौका बेसिक शिक्षा को बर्बाद करके नई पीढ़ी की समूची पौध को मानसिक रूप से पिछड़ा बनाये रखने का मिले तो फिर बात ही क्या, आखिर पिछड़ों को तादाद जितनी ज्यादा होगी, पिछड़ों के रहनुमा बनने का दिखावा करने वाले सियासतदानों की अहमियत भी उतनी ही ज्यादा होगी। उनका यही सयानापन ही प्रदेश को पिछड़ेपन की अँधेरी गहराइयों में उतारने की और गद्दी पर काबिज़ रहने की सोची-समझी कवायद लगती है।
पिछले कुछ समय में हालिया सरकार द्वारा प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुपालन के नाम पर बेसिक शिक्षा का तिया-पाँचा करने वाले कुछ नमूनों की बानगी, हलकी-फुलकी पड़ताल के साथ पेशे-नज़र है।
ReplyDelete(1) 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के निर्धारित स्वरुप में जबरन छेड़खानी:
मायावती सरकार के समय 30 नवम्बर 2011 को आए विज्ञापन से शुरू हुई TET-मेरिट के आधार पर चयन की प्रक्रिया को विवादों और अदालती दांव-पेंचों से बचाने की कोशिशों के बजाय इस सरकार ने सत्ता में आते ही इस मामले में कोरी बयानबाज़ी के साथ-साथ इस मामले को उलझाने के लिए अदालत और अदालत के बाहर जो मुमकिन हुआ, किया। सरकार की नज़र में शुरू से ही कम तादाद में मौजूद TET में अच्छा प्रदर्शन करने वालों के चयन से सुनिश्चित होने वाली गुणवत्तापरक शिक्षा के मुकाबले भारी तादाद में मौजूद औसत प्रदर्शन वाले अभ्यर्थियों की भीड़ से बन सकने वाले वोटबैंक की अहमियत कहीं ज्यादा थी, लिहाज़ा, यह जानते हुए कि यह सारी कवायद आखिर में जाया होने वाली है, सरकार ने इस भर्ती को उलझाने के लिए वो सब किया जिससे इनके इस संभावित वोटबैंक को यह सरकार अपनी सबसे बड़ी खैरख्वाह और हिमायती नज़र आये, बाद में नाकामी का ठीकरा फोड़ने के लिए किसी न किसी का सिर तो ढूंढ ही लिया जायेगा। ये सरकार बिना किसी पुष्ट आधार के धांधली के नाम पर पुराने विज्ञापन और प्रक्रिया को रद्द कर चुकी है, चयन का आधार बदलने के लिए सम्बंधित नियमों में संशोधन कर चुकी है, नए नियमों के आधार पर नया विज्ञापन निकाल चुकी है, और ऐन काउंसेलिंग वाले दिन इस प्रक्रिया पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ से लगे स्थगन और उसके आदेश से इस बात की गुंजाइश भी बन रही है कि यह सरकार जल्द ही अपना थूका चाटती नज़र आये, पर ऐसा करके भी सरकार एक अच्छे खासे तबके को यह सन्देश दे पाने में सफल रहेगी कि सरकार ने उनके लिए वो सब किया जो उसके लिए मुमकिन था।
(2) NCTE के दिशानिर्देशों से परे प्रस्तावित तुगलकी अध्यापक पात्रता परीक्षा:
NCTE ने गुणवत्तापरक शिक्षा और शिक्षकों का स्तर बनाये रखने के लिए प्राथमिक स्कूलों में अध्यापक के तौर पर नियुक्ति के लिए आवश्यक शर्तों में एक शर्त "NCTE के दिशानिर्देशों के अनुसार आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण होना" थी, और NCTE ने बकायदे 11 फ़रवरी 2011 को दिशानिर्देश जारी कर के TET के लिए सिर्फ 2 प्रश्नपत्रों का प्रावधान किया, पहला, कक्षा 1 से 5 के लिए और दूसरा कक्षा 6 से 8 के लिए, और उनमे प्रश्नों की संख्या, विषय, अंक, अवधि तथा प्रश्नों की प्रकृति-प्रवृत्ति तक का विस्तृत वर्णन किया, और आज अगर यह सरकार केवल खुद को मुस्लिमो का खैरख्वाह दिखाने के लिए मोअल्लिम-ए-उर्दू (1997 के पहले के) और अलीगढ़ विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग के लिए प्राथमिक स्तर और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए NCTE के TET-सम्बन्धी प्रावधान और उनके उद्देश्यों को ठेंगा दिखाते हुए अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए TET के नाम पर एक ऐसी परीक्षा कराने जा रही है जो इसके लिए एक परिखा (खाई) साबित होने वाली है, क्यूंकि NCTE के 11 फ़रवरी 2011 दिशानिर्देशों के अनुसार हुई कोई परीक्षा ही उसके 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के सन्दर्भ में अध्यापक पात्रता परीक्षा मानी जाएगी न कि किसी तिकड़मी नेता द्वारा मनमाने ढंग से, अनधिकृत रूप से केवल नाम मात्र के लिए कराई गई स्तरहीन परीक्षा। ज्यादा सम्भावना इसी बात की है कि इन परीक्षाओं को NCTE से मान्यता ही नहीं दी जाएगी क्यूंकि जो NCTE प्रश्नपत्र की अवधि डेढ़ से ढाई घंटे की अनुमति भी सीमित अवधि के लिए, लिखित रूप से देती है, वह राज्य सरकार को मनमाने ढंग से TET के उद्देश्य, प्रासंगिकता और स्वरुप को बर्बाद करने की अनुमति भला कैसे देगी?
(3) बीoएडo-धारकों को कक्षा 1 से 5 तक के लिए प्रस्तावित अध्यापक पात्रता परीक्षा में सम्मिलित न करने का निर्णय:
ReplyDeleteहाल ही में इस सरकार ने कक्षा 1 से 5 के लिए आयोजित होने वाली TET में बीoएडo डिग्रीधारकों को सम्मिलित न होने देने का एक और तुगलकी निर्णय लिया है जबकि NCTE की 12 सितम्बर 2012 की अधिसूचना में ऐसे अभ्यर्थियों को TET उत्तीर्ण होने पर इन कक्षाओं में अध्यापक के तौर पर 31.03.2014 तक नियुक्ति की अनुमति देते समय यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे अभ्यर्थी उक्त तिथि तक इन कक्षाओं के अध्यापकों की अर्हता के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा आयोजित होनेवाली TET में भी बैठने के पात्र होंगे। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा इन्हें प्रतिबंधित करना स्पष्ट रूप से अपने अधिकार खेत्र का अतिक्रमण, NCTE की अनुमति का उल्लंघन और जानते-बुझते गलत कदम उठाने का उदहारण है, पर शायद यही हथकंडे इन समाजवादियों के पास बाकी रह गए हैं। जाहिर है, TET-सम्बन्धी ये निर्णय भी अदालती दखल के लिए जमीन तैयार करने का बायस बनेगा।
(4) शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा पद्धति से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय प्रशिक्षण:
इसके अलावा सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को "दूरस्थ शिक्षा-विधि से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय डिप्लोमा" के नाम पर दिलाये जा रहे प्रशिक्षण की वैधता का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है, रिट याचिका 28004/2011 (संतोष कुमार मिश्रा व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य) की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस प्रशिक्षण को प्रथमदृष्ट्या अवैध मानते हुए स्थगनादेश दिया था जिसे खंडपीठ द्वारा यह कहकर स्थगनादेश हटा दिया था कि इस मामले में इस प्रशिक्षण की वैधता मामले की सुनवाई कर रही पीठ के निर्णय के अधीन होगी, यह मामला आज भी विचाराधीन है। इस मामले में विपरीत निर्णय आने पर सरकार इसका ठीकरा फिर से एक बार न्यायालय के माथे फोड़ कर शिक्षामित्रों की सच्ची शुभचिंतक बनने का ढोंग पहले की ही भांति करने वाली है।
यदि इस प्रशिक्षण के तकनीकी पहलुओं पर गौर करें तो NCTE द्वारा मान्यता प्राप्त "दूरस्थ शिक्षा पद्धति से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय डिप्लोमा" नामक प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवेश के लिए आवश्यक अर्हता में "सरकारी या सरकारी मान्यता-प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में २ वर्ष का शिक्षण अनुभव" अनिवार्य है जो कि सामान्यतया एक नियमित शिक्षक के पास ही हो सकता है, यहाँ ध्यान देना चाहिए कि शिक्षामित्रों के अनुबंध में स्पष्ट होता है कि "उनकी सेवा रोजगार-परक नहीं हैं, उनके द्वारा दी गयी सेवा सामुदायिक सेवा के तौर पर मान्य होंगी, उनको अपनी सेवाए केवल 11 महीनो के नवीनीकरणीय संविदा पर तैनात कर्मी के रूप में देनी हैं जो 11 की अवधि समाप्त होते ही स्वतः समाप्त मानी जाएँगी, वे कभी स्वयं को कभी न राज्य-सरकार या उसके किसी अंग का कर्मचारी मानेंगे न उसके लिए कोई दावा पेश करेंगे।" ऐसे में उनके द्वारा दी गई सेवाओं की अवधि इस उद्देश्य के लिए "अनुभव" के तौर पर मान्य है या नहीं, NCTE से इसके स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा है। विपरीत निर्णय शिक्षामित्रों के लिए कितना भारी पड़ सकता है, प्रदेश सरकार इस बात पर गंभीरता से ध्यान देने के बजाय अभी भी उनके सब्जबागों के रंग गहरे करने में जुटी है।
साथ ही NCTE के अनुसार ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए उपयुक्त अभ्यर्थी चुनने के लिए राज्य-सरकार को उपयुक्त चयन-प्रक्रिया बनानी चाहिए तथा राज्य में प्रभावी आरक्षण-सम्बन्धी प्रावधानों का चयन में पूरी तरह अनुपालन होना चाहिए और शिक्षामित्रों के प्रारंभिक चयन और प्रशिक्षण के लिए हुए चयन के लिए किस उपयुक्त प्रक्रिया का पालन हुआ और उसमे आरक्षण सम्बन्धी प्रावधानों का कितना अनुपालन हुआ, ये किसी से छिपा नहीं है। इन प्रावधानों के उल्लंघन की ओर NCTE का ध्यान दिलाते हुए आवश्यक जानकारी मांगी गई है, जिसके प्राप्त होने पर इस सन्दर्भ में NCTE के दृष्टिकोण और इनके प्रति उसकी गंभीरता का अंदाज़ा लगा पाना संभव होगा।
(5) शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के रूप में समायोजन का निर्णय:
ReplyDeleteवास्तव में शिक्षामित्रों के लगातार दबाव से प्रभावित होकर सरकार ने प्रदेश में संविदा पर तैनात लगभग 1,70,000 शिक्षामित्रों में से 1,24,000 स्नातक शिक्षामित्रों को NCTE से मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा विधि से मात्र "2-वर्षीय डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन" प्रशिक्षण दिलाने का फैसला किया परन्तु आज तक सरकार द्वारा जोरशोर से प्रचारित किया जा रहा है कि प्रशिक्षण के बाद इन्हें सीधे सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दी जाएगी। अर्थात प्रकारांतर से शिक्षामित्रों के दबाव को कम करने के लिए उन्हें TET से छूट और शिक्षकों के पद पर समायोजन के सब्जबाग भी सरकार समय-समय पर दिखाती रहती है।
परन्तु दिनांक 17 अप्रैल 2013 को प्राथमिक विद्यालयों में TET की अनिवार्यता के मामले की सुनवाई कर रही वृहद् पीठ के सामने सरकार ने स्वीकार किया कि बिना TET उत्तीर्ण किये कोई भी व्यक्ति, जिनमे शिक्षामित्र भी शामिल हैं, प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नहीं बन सकता। अदालत में सरकारी अधिवक्ता द्वारा स्पष्टवादिता के बजाय शुरुआत में गोलमोल जवाब देने के प्रयास से भी उनकी नीयत में खोट झलकता है। ऐसे में सरकार की मंशा साफ़ समझी जा सकती है।
यदि मान भी लिया जाये कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को मान्यता मिल जाती है और वे TET उत्तीर्ण हो जाते हैं, फिर भी सहायक अध्यापकों के पद पर उनके समायोजन के रास्ते में संविधान का अनुच्छेद 14 एवं 16 एक बड़ी बाधा हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के सेवायोजन में अवसर की समानता के सिद्धांत के अनुपालन को ठेंगा दिखाते हुए अन्य अर्ह अभ्यर्थियों को बाहर रखते हुए, खुली भर्ती के बदले समायोजन के माध्यम से शिक्षामित्रों को नियुक्ति देना भी टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।
(6) शिक्षामित्रों का मानदेय बढाने के दिखावे की क़वायद:
यह जानते-बूझते कि शिक्षामित्रों का वजूद एक नियमित अध्यापक का नहीं है और केंद्र सरकार उनके मानदेय के मद में एक पैसा नहीं देने वाली, इस सरकार ने इस महंगाई के ज़माने में भी अपने बजट से उनका मानदेय पैंतीस सौ रुपये माहवार से बढाकर एक संतोषजनक स्तर तक ले जाने के बजाय केवल दिखावे के लिए उनका मानदेय बढाने का एक निहायत अप्रासंगिक और अनौचित्यपूर्ण प्रस्ताव केंद्र को भेजा जिसका रद्दी की टोकरी में जाना तय था और वही हुआ, पर सरकार ने शिक्षामित्रों के हिमायती के तौर पे थोड़ी नेकनामी बटोर ली और केंद्र सरकार के लिए उनके मन में कुछ कटुता पैदा कर दी, पर क्या एक राज्य सरकार को यह बताने की जरुरत है कि किस मद में आपको केंद्र से पैसा मिल सकता है और किस मद में नहीं।
मेरा मानना है कि एक सयाने व्यक्ति द्वारा मूर्खता का दिखावा अव्वल दर्जे की धूर्तता होती है और बड़ी घातक होती है। पर शायद ऐसी धूर्तता से दो-चार होकर ही, इसके दुष्परिणाम को भुगतकर ही, व्यक्ति को वास्तविकता का वास्तविक बोध होता है और आगे चलकर यही अनुभव बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय सही और समग्र रूप से लेने में सक्षम बनाता है। क्या पिछले कुछ समय से हो रही इन चालबाजियों ने लोगो को निचोड़ने के साथ साथ उनमे संघर्ष का जज्बा नहीं जगा दिया है, क्या अब लोग सरकार के गलत-तो-गलत, कई बार सही निर्णयों को भी अदालतों में नहीं घसीट रहे, क्या सर्वशक्तिमान सरकार की अवधारणा बीते दो-एक सालों में धुल-धूसरित नहीं हो चुकी है?
आखिर 1947 में मिली हमारी आज़ादी भी कई सौ सालों की गुलामी उससे उपजी बेबसी, उसके कारण हुई पीड़ा, उससे मिले अनुभव और उस से पैदा हुए संघर्ष की भावना का ही परिणाम थी, और अब तो हमारा साथ देने के लिए एक लोकतान्त्रिक ढांचा मौजूद है।
एक ही चौखट पर सिर झुके तो सुकून मिलता है । भटक जाते है वे लोग जिनके हजारों खुदा होते है ।
ReplyDeletekabhi
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accd
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kabhi
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bharti suppo.
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kabhi
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G
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"हमने बना लिया है नया फिर से आशियाँ
ReplyDeleteजाओ ये बात फिर किसी तूफान से कहो"
bhai humne kabhi koi galat baat nahi kahi hai
ReplyDeletemera kaam logon ko ++++++++++++++++++ karna hai
kyonki
1-sochoge achchha to result kaisa aayega?
2-sochoge bura to result kaisa aayega
3-aur jab apne baare me karna sochna ho to hume kaisa sochna chahiye............
इनमे जो पढ़े-लिखे योग्य हैँ या तो TET पास हैँ या कर लेंगे।लेकिन गधों ने एकेडमिक आधार से चयन की खामियोँ का फायदा उठाकर बदनाम विद्यालयोँ से डिग्रियाँ खरीदकर प्राथमिक शिक्षक की नौकरी को हराम की नौकरी के रूप मे परिभाषित करके योग्यता को गाली देने की परंपरा डाल दिया है।असली हकदारोँ का हक मार कर ये गधे उन्हे कुंठित करने के साथ ही नौनिहालोँ के भविष्य को अंधरकारमय बना रहे हैँ।मैने दो माह प्रथमिक विद्यालय परिसर मे रह कर देखा है ये क्या पढ़ाते हैँ?दोनो पैर कुर्सी पर रखकर मोबाइल मे न जाने क्या देखते थे,बच्चोँ द्वारा कुछ पूछने पर,"चल बे साले बैठ!"कहकर बैठा देते थे,जब कुछ आएगा तब तो बताएंगे।ऐसी कई बातेँ हैँ जिन्हे बताया नही जा सकता।यदि ये और इनके अग्रज योग्य होते तो मुफ्त कपड़ा,किताब,भोजन,छात्रवृत्ति,मानक के अनुरूप कमरेऔर फर्नीचर जैसी तमाम सुविधाओँ पर लात मारकर अभिभावक हजारोँ रू. खर्च करके अपने बच्चोँ का नामांकन टिनशेड वाले विद्यालयोँ मे कराने को मजबूर न होते।इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि इनके विद्यालयोँ से विद्यार्थी की जगह विद्या की अर्थी निकल रही है और यदि सरकार की मेहरबानी ऐसे लोगोँ पर यदि ऐसे ही बरकरार रही तो वो दिन दूर नही जब पूरे विद्यालय की अर्थी निकलेगी।
ReplyDeleteआखिर क्यों नही बन सकती टी०ई०टी० के अंको की मेरिट?
ReplyDeleteजवाब जिसका कोई तोड़ नहीं......विश्लेषण पढ़ें......एंव राय दें.....
सवाल- टी०ई०टी० एक पात्रता परीक्षा है ??
जवाब- बिल्कुल पात्रता है भाई ......
लेकिन कौन सी अकादमिक परीक्षा पात्रता नहीं यह भीअवश्य बताएँ ?
चलिये मैं ही बताएं देता हूँ......
१० वीं को ही लीजिए......३३% अंको पर सभी अभ्यरथी पास (पात्र) हो जाते हैं ।
लेकिन जो ४५% से कम तथा ३३%से अधिक अंक पाते हैं उनको तृतीय डिविजन....
जो ४५% या ४५ से अधिक एवं ६०% से कम अंक पाते हैं वे दिव्तीय श्रेणी पाते हैं.....
इसी प्रकार ६०% या अधिक वालों को प्रथम श्रेणी...
ऐसी ही व्यवस्था १२वी , स्नातक ,बी0एड0 इत्यादी मेंहै ।
लेकिन यदि आप शिक्षक चयन में 10 वी ,12वी आदि को वेटेज देते हें तो फिर 70% वाले को 60% वाले से अधिक वेटेज क्यों ??
जबकि दोनों ही प्रथम श्रेणीसे पास हें .....
ये नाइसांफी क्यों ?????
और यदि ये सही है तो टी०ई०टी० में 90% या 80% अंक वाले को 60% वाले से अधिक लाभांक क्यों नहीं??
लेकिन NCTE के अनुसार टी०ई०टी० के अंको को चयन में वेटेज दिया जा सकता है वो भी कितना भी
साथ ही ये नही लिखा की 100% वेटेज नही दिया जा सकता है ।
अत: पिछली सरकार का टी०ई०टी० मेरिट के आधार पर चयन करना गलत नहीं था ।
तो फिर गलत क्या है ?????
लोगों की मानसिकता और क्या????
अब कुछ स्वार्थी लोग कहेंगेकी टी०ई०टी० परीक्छा में धांधली हुई थी इसलिए इसको चयन काआधार नही बनाना चाहिए।
तो में उनको याद दिला दूं उनके चाचू मुख्य सचिव जावेदउस्मानी ने इसकी खूब जांच क्र ली लेकिन आज तक एक भी फर्जी अभ्यर्थी हाथ नही लगा।
फिर धांधली कैसे साबित हो गयी ?? बोलो
मा0 सरवोच्चन्यायालय एवं हमारे सविंधान के अनुसार जबतक कोइ व्यक्ति दोषी साबित नही होता तो वो सजा का हकदार नही फिर यहाँ तो 2,90000 लोग हैं ।
वैसे उत्तरप्रदेश में नकल का हल्ला बच्चा -बच्चा जानता है तो अकादमिक पर चयनकहाँ तक सही है इसका जवाब कोर्ट में कौन देगा ????
धांधली सिर्फ ठगी थी जो स्पस्ट भी हो चुकी है कोर्टमें
अब आप ही बताये कि सत्य क्या है और असत्य क्या
पढने के लिए धन्यवाद ।
यु पी सरकार जिस तरह से आगामी टेट मे नकल रोक्ने का प्रचार कर रही है लगता उसे गूड़ खाना तो बहुत अछ्चा लग्ता है पर डाक्टरो ने उसे गुल्गुला खाने से मना किया है , सेहत की बात है भाई !
ReplyDeleteउन्हे भ्रम है कि सरकार कोर्ट के टेट मैरिट से भर्ती करने के आदेश का पालन नही करेगी । कोर्ट के आदेश के दो ही विकल्प होते है या तो उसका पूरी तरह पालन करो या अगले कोर्ट मे अपील । तय समय सीमा मे उक्त कदमों पर विचार न होने पर अवमानना के साथ साथ वह आप पर भारित हो जाता है । कोर्ट के आदेशो का पालन करने कराने के लिए कन्टेम्प्ट कोर्ट का गठन किया गया है जिनके पास इसके अलावा कोई काम नही है ।बस उसकी दरवाजा खटखटाने की आवश्यकता होती है ।
ReplyDeleteएक बार फिर से दिल्ली में हुई दरिंदगी के बाद
ReplyDeleteएक लड़की का माँ को सन्देश -:
माँ मुझे डर लगता है ,
बहुत डर लगता है ..!!
सूरज की रोशनी आग सी लगती है ,
पानी की बूंदें भी तेजाब सी लगती हैं
माँ हवा में भी ज़हर सा घुला लगता है,
माँ मुझे छुपा ले बहुत डर लगता है .!!
माँ बचपन में स्कूल TEACHER की
गन्दी नजरो से डर लगता है ,
पड़ोस के चाचा के नापाक इरादों से डर लगता है ,
माँ वो नुक्कड़ के लडको की
बेतुकी बातों से डर लगता है ,
और BOSS के वहसी इशारो से डर लगता है
माँ मुझे छुपा ले बहुत डर लगता है ..!!
माँ तूने मुझे फूलो की तरह पाला था ,
उन दरिंदो का आखिर मैंने क्या बिगाड़ा था ,
क्यूँ वो मुझे मसल कर चले गए
बरबाद मेरी रूह कर कुचल के चले गए
माँ तू तो कहती थी की हम
अपनी गुडिया को दुल्हन सजाएगी ,
मेरे इस जीवन को खुशियों से सजाएगी
माँ क्या वो दिन जिन्दगी कभी ना लाएगी ,
क्या तेरे घर बारात कभी ना आयेगी .??
माँ खोया है जो मैंने क्या फिर से ,
कभी ना पाऊँगी ..??
माँ साँस तो ले रही हूँ ,
क्या जिन्दा रह पाऊँगी .?
माँ घूरते हैं सब अलग ही नजरों से,
माँ मुझे उन नजरो से बचा ले,
माँ मुझे बहुत डर लगता है ,
अपने आँचल में छुपा ले ..!!
,टण्डन ने हमारी हर बात को जायज मानते हुए भी हमारा विज्ञापन प्रशिक्षु अध्यापक के मुद्दे पर रद्द किये जाने योग्य बताया था,,,लेकिन साथ ही SCERT विवरण और आयु-सीमा वाले आदेशों में टेट मेरिट जनित हमारे अधिकारों को मान्यता भी दी थी ,,,,,टण्डन द्वारा हमारा विज्ञापन जिस आधार पर रद्द किया था उसी आधार को ठीक उसी दिन न्यायमूर्ति भूषण ने उनके बगल के कोर्ट में बैठकर ना सिर्फ खारिज किया बल्कि यह व्यवस्था भी कर दी कि स्वयं केन्द्र सरकार और NCTE को सामने आकर प्रशिक्षु अध्यापक के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना पड़े ,,अन्यथा कोई भी व्यक्ति इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता कि उच्च न्यायालय का भूषण साहब जैसा सीनियर जज जिसकी ईमानदारी और विद्वता पर उसके सारे कैरियर में कोई उंगली नहीं उठा सका हो ,,वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में तो टेट के प्रावधान को खारिज कर सकता है,,परन्तु 2008 बैच के लिए उसे अनिवार्य मान सकता है,,,,,केन्द्र सरकार के हलफनामे में हमारी नियुक्ति को आन द जॉब ट्रेनिंग बताकर प्रशिक्षु अध्यापक का विलोप कर दिया है ,,या यूं कहें कि उसे औचित्यहीन बता दिया है,,,,,हम अब काउंसिलिंग के पश्चात सहायक अध्यापक के पड़ पर प्राथमिक नियुक्ति पायेंगे जो छः माह की ट्रेनिंग के बाद मौलिक नियुक्ति के रूप में तब्दील हो जायेगी,,,,,इस मामले में आई सारी समस्याएं राजनीति जनित थीं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जजों ने राजनीति को राजनीति से परास्त करने का शानदार काम किया है,,,,,,,उसके लिए हम सभी टेट मेरिट के चाहने वाले न्यायपालिका के ताउम्र आभारी रहेंगे ,,,,,,,मामले की जटिलता और क़ानून एवं राजनीति के सम्बन्ध में में आम टेट मेरिट वालों की जानकारी के अभाव में उपजी भ्रम की स्थिति को मैंने और मेरे साथी रीतेश ,शाश्वत और मयंक तिवारी ने अपनी ओर से यथासंभव दूर करने का प्रयास किया था ,,,,चूँकि हम अल्पमत में थे इसलिए कई बार हमने उन्हीं के विरूद्ध मोर्चा खोलना पड़ा जिनके हितों की रक्षा ही हमारा ध्येय था ,,इस प्रक्रिया में कई लोगों को बहुत कष्ट हा है लेकिन जब हम जीत जायेंगे और वो लोग हमारे द्वारा बताई सारी बातों का सिंहावलोकन करेंगे तो शायद समझ सकें कि तत्कालीन परिस्थितियों में ऐसा किया जाना उनके ही दूरगामी हितों के लिए आवश्यक था ,,,हम अपने ही साथियों को इस बात की इजाजत्त नहीं दे सकते थे कि वो अपनी ही गर्दन अपनी ही तलवार से काट लें,,,,अब देखना बस यह है कि हमारी जीत की औपचारिक घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा की जाती है या न्यायमूर्ति हरकौली साहब द्वारा ,,,,,
ReplyDeleteटीईटी मेरिट से चयन को लेकर इस समय सरकार कानूनी हल ढूढ रही है। एकेडमिक मेरिट के लिए न्याय विभग और केबिनेट में मंजूरी लेनीहोगी तभी नियमावली संशोधित होगी। लेकिन क्या सरकार को इस तथ्य पर मंथन करना अधिक जरूरी है कि वर्तमान में शिक्षा के स्तर को बढाने के लिए टीईटी की मेरिट या कंपटीशन के माध्यमसे चयन लोकतांत्रिक है। अगर पिछली सरकार ने आरटीई के महत्व को समझते हुए टीईटी मेरटि से चयन के प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती करने की पहल की तो इस सरकार को क्य परेशानी है क्या चुनी हुई सरकार इस तरह के फैसले को सही कहा जाएगा जो केवल पिछली सरकार केटीईटी मेरिट वाले विज्ञापन
ReplyDeleteको राजनीतिक द्वेष के चलते विज्ञापन को निरस्त करने या चयन प्रक्रिया को बदलकर शैक्षिक मेरटि किया जाना सही है।
जब अलग अलग बोर्ड और विश्वविद्यालय में नंबर देने का मानक अलग है तो साफ जाहिर है कि इसमें वे उम्मीद्वार पीछे रह जाएंगे जिन्होंने ऐसी संस्थाओं से आपने पढाई की जहां नंबर कम मिलता है।
ReplyDeleteएक बुरी खबर जूनियर की 29333 पोस्ट पर जो भर्ती होनी थी उसका advertistment अब टीईटी 2013 के परिणाम के बाद निकाला जायेगा! शासन स्तर पर ये निर्णय लिया गया है|
ReplyDeleteयहां यह स्पष्ट कर दूं कि बहुमत की सरकार जब भी नियमावली बनाती है या /उसमें संशोधन करती है तो उसको न्यायके कसौटी पर खरा उतरना है परंतु यहां टीईटी मेरिट चयन प्रक्रिया जबकि इसका विज्ञापन के बाद केवल चयन होना शेष हैलेकिन सरकार केवल चयन प्रक्रिया बदलने में रूचि दिखा रही है अगर
ReplyDeleteऐसा हुआ तो न्यायपालिका का विकल्प हमारे लिए खुला है और उसके उपर कोई सरकार नहीं है। वहीं जब प्राथमिक शिक्षक की भर्ती विज्ञापन के आधार पर बेरोजगारों ने आवेदन किया और टीर्इटी मेरिट से चयन होना तय हूआ तो बीच में सरकार इसके चयन का आधार बदलने व चयन का आधार न बदल पाने पर विज्ञापन को निरस्त कराने के लिए मीडिया की खबरोंके अनुसार बडी तत्पर्य है। यही राजनीति आज भारतीय शिक्षा को गर्त मेंले गया है। अगर अब भी सरकार चेती नहीं तो आरटीई अपना लक्ष्य पाने में भटक जाएगा और युवाओं
ठगा जा रहा है।
बेरोजगारी भत्ते में कई नियम चुनाव जीतने के बाद बताएं गए चुनाव के समय अगर बताते तो युवा अपने विवेका का जरूर प्रयोग करते। बहरहाल हमारी राजनीति भी बडे बडे वादे और सपनों का सौदा करने लगी और हमारा वोट मांगने के लिए मल्टीनेशनल कंपनी की तरह अपने उत्पाद को बढा चढाकर बेचते है और उपभक्ताओं को खरीदने के बाद उसमानलुभावन वादें वाले विज्ञापन पर खींज होती हैं बिल्कुल इसी तरह आज बेरोजगार युवा अपनी गलती पर मध्यवती चुनाव की ओर देख रहा है कि अब सबक सीखाने की बारी हमारी है।
ReplyDeleteएक बार मुझे मेरे गाँव का सरपंच बना दिया गया..
ReplyDeleteगाँव वालो ने सोचा की छोरा पड़ा लिखा है...समझदार है, अगर ये सरपंच बन गया तो गाँव की भलाई के लिए काम करेगा..
मौसम बदला, सर्दियों के आने के महीने भर पहले गाँव वालो ने मुझसे पूछा की - सरपंच साहब इस बार सर्दी कितनी तेज पड़ेगी..
मैंने गाँव वालों से कहा की मैं आपको कल बताऊंगा..
मैं तुरंत ही शहर की और निकल गया..वहा जाकर मौसम विभाग में पता किया तो मौसम विभाग वाले बोले - की सरपंच साहब इस बार बहुत तेज सर्दी पड़ने वाली है..
मैंने भी दुसरे दिन गाँव में आकर ऐसा ही बोल दिया...
गाँव वालो को विश्वास था की अपने सरपंच साहब पढ़े लिखे हैं..शहर से पता करके आये हैं तो सही कह रहे होंगे..गाँव वालो की नजर में मेरी इज्जत और बढ़ गयी..
तेज सर्दिया पड़ने की बात सुनकर गाँव वालो ने सर्दी से बचने के लिए लकडिया इक्कठी करनी शुरू कर दी.
महीने भर बाद जब सर्दियों का कोई नामोनिशान नहीं दिखा तो गाँव वालो ने मुझसे फिर पूछा..मैंने उन्हें फिर दुसरे दिन के लिए टाला..और शहर के मौसम विभाग में पहुँच गया..
मौसम विभाग वाले बोले की सरपंच साहब आप चिंता मत करो इस बार सर्दियों के सरे रिकॉर्ड टूट जायेंगे..
मैंने ऐसा ही गाँव में आकर बोल दिया..मेरी बात सुनकर गाँव वाले पागलो की तरह लकडिया इक्कठी करने लग गए..
इस तरह पंद्रह दिन और बीत गए लेकिन सर्दियों का कोई नामोनिशान नहीं दिखा..गाँव वाले फिर मेरे पास आये..मैं फिर मौसम विभाग जा पहुंचा..
मौसम विभाग वालो ने फिर वही जवाब दिया की सरपंच साहब आप देखते जाइये की सर्दी क्या जुलम ढाती है ?
मैंने फिर से गाँव में आकर ऐसा ही बोल दिया..अब तो गाँव वाले सारे काम धंधे छोड़कर सिर्फ लकडिया इक्कठी करने के काम में लग गए..
इस तरह पंद्रह दिन और बीत गए..
लेकिन सर्दिया शुरू नहीं हुई..
गाँव वाले मुझे कोसने लगे..मैंने उनसे एक दिन का वक्त और माँगा..
में तुरंत मौसम विभाग पहुंचा तो उन्होंने फिर ये जवाब दिया की सरपंच साहब इस बार सर्दियों के सारे रिकॉर्ड टूटने वाले हैं..
अब मेरा भी धैर्य जवाब दे गया..
मैंने पूछा - आप इतने विश्वास से कैसे कह सकते हैं.
मौसम विभाग वाले बोले - की सरपंच साहब हम पिछले दो महीने से देख रहे हैं...पड़ोस के गाँव वाले पागलो की तरह लकडिया इक्कठी कर रहे हैं..इसका मतलब सर्दी बहुत तेज पड़ने वाली है......
हा हा हा हा...
हंसना जरूरी है.
"संविधान पीठ का फैसला टेट मेरिट
ReplyDeleteके लिए एक वरदान"
मित्रोँ, जिस तरह से वृहद पीठ ने गैर
टीईटी मामले की सुनवाई करते हुए
हमारे मामले को भी स्पष्ट करने
का प्रयास किया है वह
काफी प्रशंसनीय है । सर्वप्रथम
तो पीठ ने सरकार/मीडिया/
एकेडमी समर्थकोँ द्वारा पिछले डेढ़
वर्ष से 'गायत्री मंत्र' की तरह जाप
कर रहे कि टीईटी सिर्फ एक पात्रता/
अर्हता परीक्षा है,को सिरे से खारिज़
कर दिया और इस पर हैलोजन बल्ब
का तीव्र प्रकाश डालते हुए
कहा कि-"टीईटी सिर्फ
अर्हता परीक्षा नहीँ अपितु
अनिवार्य योग्यता भी है
।"इतना सुनते ही टेट मेरिट
विरोधियोँ का हृदय
शताब्दी एक्सप्रेस को चुनौती देने
लगा ।इनकी मुसीबतेँ अभी क्षीण
नहीँ हुई थी की तभी पीठ
का दूसरा हथौड़ा इनके सिर के पिछले
हिस्से पर आ गिरा कि टीईटी के
अंको की महत्ता सरकार के लिए
बाध्यकारी है, गौरतलब है कि मानव
सिर का पिछला हिस्सा स्मरण
शक्ति के लिए जाना जाता है और
यहाँ पर आघात पहुँचने पर मनुष्य
कुछ इस तरह से बड़बड़ाने लगता है
दृष्टांत के रुप मेँ-- सरकार
जो चाहेगी वही होगा/
टीईटी पात्रता है/टीईटी मेरिट भूल
जाओ/टीईटी मे धाँधली/संजय मोहन
ज़ेल मेँ/कोर्ट सरकार के अनुपालन मेँ/
ओल्ड ऐड रद्द पैसा वापस और अंत
मेँ शुरु होता है गाली गलौज
प्रतियोगिता । जिसके परिणाम
स्वरुप इन्हेँ ग्रुप से ब्लाक कर
दिया जाता है और तब ये धोबी के
कुत्ते बनना पसंद करते है ।
दोस्तोँ, अगर पीठ के आदेश
को निचोड़ा जाय तो इससे यही रस
निकलता है कि अब
शिक्षकोँ का चयन बग़ैर शैक्षिक
मेरिट के तो सम्भव है पर बग़ैर टेट
प्राप्तांको के असम्भव है
क्योँकि एनसीटीई की निर्देशिका मेँ
सिर्फ टेट अँक का ही उल्लेख है । शेष
सरकार पर था जो कि मेरिट
निर्धारित था । इतिसिद्धम्
यू पी की समाजवादी सरकार सत्ता मद मेँ इतना चूर हो गयी है कि उसे आम जन की थोड़ीभी चिँता नहीँ।जनता मेँ इस भीषण गर्मी ने हाहाकार मचा दिया हैँ।बिजली और पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया फिर भी ये सरकार सोई हुई है।मुख्यमंत्री जी अन्य प्रदेशो के दौरो मेँ, लैपटाप बांटने मेँ और आंतकवादियोँ को छोड़ने की रणनीति बनान मेँ व्यस्त हैँ।जनता की सुधि लेने वालाकोई नहीँ दिख रहा।यहाँ की कानून व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही हैँ।यहां तक की अधिकारी भी मुख्यमंत्री की बात टाल रहे है,आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि प्रदेश कहां जा रहा है।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गयी हैँ लगभग दो लाख शिक्षकोँ की जगह खाली पड़ी हैँ।मासूमोँ को उचित शिक्षा नही मिल रही जो की उनका मौलिक अधिकार हैँ।अप्रशिक्षित लोग स्कूलोँ मेँ पढ़ा रहे है जिसपर सुप्रीम कोर्टने भी डाँटलगाई थी फिर भी सरकार पर कोई फर्क नहीँ पड़ता दिखाई दे रहा।
बाप के मरते ही जायदाद यूँ बंटते देखी..
ReplyDeleteथोड़े से कमरे और गलियारों में बिकते देखी..
बर्तनों-राशनों के हिस्से भी लगाये गए..
थालियाँ,लोटे और कटोरियाँ कटते देखी..
बेचारा चूल्हा भी बच पाया कहाँ फैसले से..
दाल तेरी तो रोटियां बने मेरी देखीं..
चांदी-सोना तो बिके कबके सब पढाई में..
घंटियाँ बैलों के गले की भी उतरते देखीं..
बाप ने छोड़ा कहाँ कुछ भी सिवा कर्जों के..
पूरी पंचायतों में यही शिकायत देखी..
बहन की शादी में भाई ने किये खर्चे बहुत..
एक-एक रूपया,रेजगारी भी गिनते देखी..
बीज दे कौन,खाद किसकी,कौन पानी दे..
पट्टीदारी में पड़ी खेतों की परती देखी..
बाग़ और बगीचों की शपा फिर से पैमाइश हो..
एक-एक पौधे,फल में घटत और बढ़त देखी..
अनाज डेहरी के बँटने चाहिए दाना-दाना..
आजकल चूहों की नीयत भी फिसलते देखी..
मवेशी पहले ही बहुत हैं माँ को रक्खे कहाँ..
बूढ़ी चूड़ियों संग कलाई भी सिसकते देखी...!
मैं एक ही बात सोच रहा हूँ कि आखिर इस सरकार में बी.एड,टेट से जुड़े मामलों में अंतिम निर्णय ले कौन रहा है,,,,जाहिर है कि इन निर्णयों से जिसका फायदा हो रहा होगा ,,या बिना उसका नुकसान हुए किसी ऐसे व्यक्ति क नुकसान हो रहा होगा जिसे वो अपना शत्रु मानता है ,,वही निर्णय ले रहा होगा,,,,,दिमाग पर कितना भी जोर डाल लूं लेकिन अखिलेश यादव को तो टेट मामले में अभी तक तो कोई फायदा नहीं हुआ है,,,ना ही भविष्य में इसकी कोई संभावना नजर आ रही है,,,, नुकसान कम किया जा सके यही बड़ी बात होगी,,,,,,अभी तक जितने भी निर्णय लिए गये हैं वो सब निहायत ही बेवकूफी भरे कहे जा सकते हैं,,,अगर उस्मानी कमेटी ने अपना काम ईमादारी से किया होता तो अखिलेश यादव की जय-जयकार ही होती और जनता में पूर्वाग्रह से रहित होकर काम करने वाली एक अच्छी इमेज बनती,,,,लेकिन उस्मानी ने तो जैसे गुणांक से भर्ती कराने की सुपारी ली थी,,,,नए टेट में बी.एड वालों को प्राथमिक के टेट से वंचित रखने का प्रयास करके सरकार ने अपने लिए एक नई मुसीबत को दावत दे दी है,,,,NCTE की अनुमति विस्तार की शर्तों कि चाहे NCTE व्याख्या करे चाहे सरकार लेकिन कोर्ट के आदेश से अंततः नए टेट में बी.एड वालों को शामिल करना ही होगा,,,,यदि नए विज्ञापन के लिए सरकार ने पदों के सृजन की घोषणा ना की तो उसकी फीस वापसी सरकार को उससे कहीं ज्यादा महंगी पड़ सकती है जितना आज की तारीख में कोई सोच सकता है,,,,
ReplyDeleteतो सवाल यह है कि ये सब आखिर हो किसके इशारे पर रहा है,,,,यदि यह सब मुख्यमंत्री की मर्जी से हो रहा है तो मुझे ज्ञान प्राप्ति से पूर्व के कालीदास याद आ रहे हैं,,यदि उनके पिताश्री या चाचा की मर्जी से हो रहा है तो मुझे अफ़सोस है कि हमारा मुख्यमंत्री ना सिर्फ परतंत्र है,,,बल्कि डरपोक भी है,,,,,,अपने अधिकारियों और मंत्रियों से डरने वाला मुख्यमंत्री बनने से बेहतर था कि अखिलेश किसी कंपनी में एक-दो लाख की नौकरी कर लेते,,,,,,
पता नही वेटेज की बात कब कहाँ किसने और किस आधार पर की । जिसका कोई आधार या अस्तित्व नही है पढ़े लिखे लोग उस काल्पनिक वस्तु मे इतनी रुचि क्यों ले रहे है । मुझे नही लगता कोई न्यायालय इस तरह का सुझाव यदि सरकार के द्वारा दिया भी जाए तो स्वीकार कर सकती है । जब हमे हमारा पूरा हक कोर्ट दिलाने को तत्पर है तो हम सरकार से आधे के लिए भीख क्यो माँगेँगे ? यह कोर्ट जाने से पहले संभव था तब भी न हम वेटेज लेने को तैयार थे और न सरकार देने को । फिर आज जब हम पूरी तरह जीत चुके है वेटेज की माँग किए जाने का प्रश्न ही नही उठता ।
ReplyDeleteये मामला इससे पहले भी कोर्ट में कई बार और अलग-अलग मुकदमों में जा चुका है,,,, इस मामले में जज ज्यादा ध्यान नहीं देते क्योंकि उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति भी परीक्षा द्वारा नहीं होती ,,वैसे भी नियुक्ति प्रक्रिया निर्धारित करना राज्य सरकार के अधिकार में आता है,,न्यायालय चाहे तो इसमें हताक्षेप कर सकता है लेकिन करता नहीं,,,न्यायपालिका एवं कार्यपालिका में टकराव दोनों ही पक्ष टालना चाहते हैं,,,,,,,हाँ,,हमारा विवाद गुणांक से होने वाली भर्तियों को हमेशा के लिए समाप्त कर सकता है,,बशर्ते हम नियुक्ति के पश्चात यह साबित कर दें कि हमारे द्वारा पदाए बच्चों की शिक्षा का गुणवत्ता स्टार एकैडमिक वालों द्वारा पदाए बच्चों से ज्यादा है,,,,,,तब यह बहस राष्ट्रीय स्टार पर छिड़ सकती है,,,,,,असली बात तो तब बनेगी जब गाँव वाले खुद ही मांग करें कि अगर उनके बच्चों को टेट मेरिट से चयनित अध्यापकों द्वारा पद्य जाएगा तो ही वो उन्हें सरकारी स्कूलों में भेजेंगे,,,अन्यथा नहीं,,,,,,हर काम अदालत से नहीं होता ,,,,,,,,कुछ जिम्मेदारी हमें अपने आप ही उठानी होंगी,,,,,अभी टेट मेरिट से चयन का विधिक औचित्य सिद्द होगा ,,,लेकिन इसे धरातल पर भी साबित करना होगा ,,,,,,,,,यदि हमारे चयन के एक साल के भीतर शिक्षा के गुणवत्ता स्टार पर परिवर्तन स्पष्ट ना हुआ तो मैं मान लूँगा कि इतने दिनों की मेहनत व्यर्थ गई,,,
ReplyDeleteResp. TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI,
ReplyDeleteaj to sirf aur sirf ap hi chhaye ho aur bhut uchhal bhi rahe ho jabki abhi base of selection ka faisla ana baki hai aur man bhi lya jay ki 99% faisla tet base ke favaur me gya aur kahin 1% faisla gunank ke favour me chala gaya to phir apna munh kaha chhupaoge.......
Agar koi gunank/accd supporters is aasha me jee raha hai k db se stay hat jayega aur bharti july me start ho jayegi to wo kuch points dekh le.
ReplyDelete1-db aaj tak gov k jawab se satisfy nahi hai.
2-new ad tet ko aharta maan kar nikala gaya aur niyamawali me aharta shabd include kiya gaya tha jisko lb ne avaidh maana means new ad avaidh ho gaya.
3-lknw bnch ne stay laga rakha hai.
4-db me b.ed.30% mamla abhi suna jana hai..
5 abhi bhi S.C. me caveat lagi huyi hai 05/04/2013 se
6- new add me 1% ka wtg nahi mila hai
7- abhi tak govt ne new aad me naye padon ki ghosna nahi ki hai
jisse coart me zero post hone ke karan new add cancle hona tay hai
Lkn bharti july me start ho sakti agar gov old ad bahal kar de..
Resp. TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI,
ReplyDeleteaur baise bhi court base of selection per kebal suggetion degi sarkar ko na ki order aur suggetion manna sarkar ke uper depend karega.koi mane ya na mane lekin yh sab sarkar ki hi chal hai vacancy ko rokna kyoki bo kebal chunav ki taiyari kar rahi jis din use lagega ki vacancy bharne ka time aa gaya usi din stay hat jaygi
sunil G
ReplyDeletetab aapko bhi hum supreme court tak ghaseetenge aise_____________________________________________________________________________________________________________............................................................
jis stay par caveat lagi hoti hai wo stay kaise hatta hai ye apne logon ko bata dijiye guru G
ReplyDeleteResp. TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI,
ReplyDeleteSir/madam uper jo apne tet rank ke cut-off list batayi hai usse main sahmat nahi hoon kyonki vacancy me male female & art science sahe mix the fir ye apne ab sabhi ka alag alag cut off kaise bta diya.pls clear karo sir I am very confused....
Resp. TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI,
ReplyDeleteap mujhe sc kya usse bhi age tak ghasitiy kiyonki ujhe koi phark nhi padta ki stay rhe ya hate ya tet merit bane ya gunak kyonki sir na to main unemployed hun na hi mere tet men number kam hain aur na hi mera gunank kam. aur sir ek bat aur clear kar do na main tet support karta hun na gunank ko. mujhe apke comments men ego jhalkta hai.
Sahi baat kahna ego hai to ego hi sahi lekin baat to bilkul thik hai.
DeleteSunil tumhr pata hai na ki haryana mein chotala ke saath kya hua thaa. Usko order kya dita thaa
ReplyDelete30 MAY NEWS
ReplyDeleteसंविधान पीठ का गठन मात्र इस उद्देश्य से किया गया था ताकि सरकार को यह समझाया जा सके कि टेट की अनिवार्यता और उसकी आवश्यकता को किसी भी सूरत में नजरंदाज नही किया जा सकता । टेट ही एक मात्र ऐसा विकल्प है जो प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को सुद्रढ़ करने के लिए आवश्यक है ।यह आदेश उन सबकी बोलती बंद करने वाला है जो आज तक यह कहते आये हैं कि यह केवल पात्रता परीक्षा मात्र है ।यह आदेश यह भी स्पष्ट करेगा कि टेट को सरकार द्वारा पात्रता मात्र बताकर किनारे कर देना पूरी तरह से अनुचित और अव्यवहारिक है । 12908 के अतिरिक्त जितने भी केस हैं वह सब अपनी पूर्ववर्ती बेंचों में वापस कर दिए जायेंगे । इसलिए अनर्गल बातों में न फंसे और समय का इन्तजार करें,,,,,,सारी स्थितियां आपके पक्ष में हैं । शांत रहे और मस्त रहें । आपको क्या लगता है कि कोर्ट ने 31मई को ही निर्णय का दिन क्यों चुना ,,,,,,,?????? जरा ध्यान से सोचियेगा और सारी कड़ियों को जोड़ने का प्रयत्न कीजिएगा ।समस्त स्थितियां स्वत: स्पष्ट हो जायेंगी । यह रिक्तियां आपकी हैं और इनपर नियुक्ति भी आपकी ही होगी ।
YE MAINE PAHLE HI KAH DIYA THA 30 MAY KO
ReplyDeleteपूर्ण पीठ द्रारा नही आयेगा पूर्ण निर्णय। केवल टेट नानटेट मामले पर दिया जायेगा निर्णय शेष रिटे उचित पीठो को की जायेगी वापस,क्योकि शेष रिटो की पूर्ण बहस नही हो सकी है पूर्ण पीठ मे।
अगर आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
ReplyDelete.
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तो समझ लेना चाहिये कि बात बडे स्तर की हो रही है
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 4 फ़रवरी 2013 को दिए गए आदेश में कहा गया:
ReplyDeleteहमने एक ही तरह की इन याचिकाओं में याचियों के अधिवक्ताओं तथा राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता को सुना। सभी याचिकाएं एक बंच के रूप में 11 फरवरी को सुनवाई के लिए एकसाथ सूचीबद्ध की जाएँ।
सभी अभ्यर्थियों ने अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है . यहाँ इन मामलों में उठने वाले बुनियादी सवालों में से एक यह है कि अगर चयन का आधार TET मेरिट है, तो फिर भले चयन प्रशिक्षण के पहले हो या बाद में, नतीजा एक ही होना है। विज्ञापन (पुराने) का अनुच्छेद 10 कहता है कि NCTE से मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण की सफलतापूर्वक समाप्ति के बाद 1981की नियमावली एवं 12वें संशोधन, 2011के अनुसार मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। किसी मामले का निस्तारण करते समय हमेंमौलिकता (वास्तविकता, किसी चीज के वास्तविक प्रभाव) के अनुसार चलना होता है। उदाहरण के लिए, यदि (पुराने विज्ञापन के प्रभावी रहने की दशा में)चयनित अभ्यर्थी "प्रशिक्षु शिक्षक" नकहे जाते, परन्तु योग्यता के अनुसार केवल "वेतन के बराबर छात्रवृत्ति या मानदेय के साथ प्रशिक्षण"
के लिए चुन लिए जाते, और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद पुनः उनकीटेट-मेरिट (जो उस समय चयन का निर्धारित आधार था) के आधार पर उनको चयन-प्रक्रिया से गुजरना होता, तो भी नतीजा वास्तविकता में एक ही होता। और ऐसी स्थिति में (किसी निर्णय का) यह आधार नहीं रह जाता कि "प्रशिक्षु शिक्षक का कोई पद ही नहीं!"
पुरानी चयन-प्रक्रिया को रद्द करने के आधार, जैसा कि 26.07.2012 के (सरकार के) आदेश में उल्लेख है, दो तरह आधार (अवधारणा/ मान्यता) हैं।
पहला आधार कहता है कि TET के आयोजन में कुछ अनियमितताएं, जैसा कि आरोप लगाया गया है। प्रतीत होता है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किसी हाईपावर कमेटी ने एक रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर समूची चयन-प्रक्रिया, जिसमे TET में प्राप्तांक ही चयन-निर्धारक थे, को रद्द किया गया।
एकल न्यायाधीश ने अपने प्रश्नगत आदेश में स्पष्ट किया है कि अगर (TET में) कुछ जगहों पर कुछ अनियमितताएं पाई गई थी तो इसके ख़राब हिस्से से TET के अच्छे हिस्से को अलग किये जाने के प्रयास किये जाने चाहिए थे, परन्तु समूची चयन-प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जाना चाहिए था।
अबतक राज्य की ओर से ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला है (जिस से पता चल सके) कि अच्छे हिस्सों, मतलब वे जगहें या क्षेत्र, जहां TET में कोई अनियमितता नहीं थी, को खराब हिस्सों, मतलब उन जगहों या क्षेत्रों, जहां अनियमितताएं हुईं थीं, से अलग किया जा सका या नहीं किया जा सका।
).
अतिरिक्त महाधिवक्ता के निवेदन के अनुसार हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट जवाबी-हलफनामे के जरिये कोर्ट में रखी जा सकती है, उस रिपोर्ट या अन्य पूर्ववर्ती दस्तावेजों के आधार पर (इस बात का भी ) एक तर्क-संगत कारण भी इंगित होगा कि (कैसे) अच्छे हिस्से को खराब हिस्से से अलग किया जाना संभव थाया नहीं था।
ReplyDelete26.07.2012 के आदेश का दूसरे प्रकारका आधार यह इंगित करता है कि (सरकार केस्तर पर) ऐसा अनुभव किया गया था कि चयनहेतु योग्यता निर्धारण के लिए TET में प्राप्त अंकों के आधार पर बने पैमाने को हटाकर TET-मेरिट को नजर-अंदाज़ करके, चयन हेतु योग्यता-निर्धार ण के लिए पुराने शैक्षणिक प्रदर्शन पर आधारित गुणांक के आधार परपैमाना बनाया जाना चाहिए। बाद में मन में उपजे किन्ही ख्यालात के कारण ऐसा माना गया कि यह नया पैमाना बेहतर होगा। उसी के मुताबिक नियमावली में परिवर्तन किये गए।
माननीय एकल न्यायाधीश ने अपने प्रश्नगत निर्णय में स्पष्ट किया है कि चयन के मानकों में होने वाले ऐसे कोई भी बदलाव अग्रगामी प्रभाव वाले होंगे (बदलाव के बाद शुरू होने वाली किसी प्रक्रिया पर) और पूर्ववर्ती चयन को प्रभावित नहीं कर सकते।
इसके भी आगे बढ़कर, हमारा प्रथम-दृष्टया विचार है कि (सरकार के) विचारों में (आया) बदलाव, "कि योग्यता के निर्धारण के लिए पुराने पैमाने को हटाकर बेहतर प्रतीत होने वाले पैमाने को लागू किया जाये", किसी समूची चयन-प्रक्रिया को रद्द करने का कारण नहीं हो सकता। यदि राज्य की ओर से पेश किये गए इस प्रकार के आधार या कारण स्वीकार किये जाते हैं तो कल को इस बात की भी सम्भावना बन जाएगी कि कोई और सरकार या अन्य अधिकारी सोच ले कि (अब) शायद यह नया लागू किया गया पैमाना(गुणांक) हटाकर वह पैमाना लागू किया जा सकता है जिसे वह इस पैमाने (गुणांक)से भी बेहतर मानता है, तो वह फिर से एक चल रही चयन-प्रक्रिया को कचरापेटी में डालने का आधार तैयार कर सकता है।
नयी चयन-प्रक्रिया में, बहुत ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल हुए हैं जिनकी काउंसिलिंग आज से शुरू हुई है।
स्वाभाविक है कि काउंसिलिंग (की प्रक्रिया) समय लेगी, और सभी पक्षों की सहमति के साथ हमारा इरादा इन सभी याचिकाओं को स्वीकार करने के चरण में ही अंतिम रूप से निस्तारित करने का हैजिसके लिए हमने 11.02.2013 की तिथि निर्धारित की है। अतएव, हमारा मत है किइतने सारे अभ्यर्थियों को काउंसिलिंगकी परेशानी में नहीं डालना चाहिए, जो (काउंसिलिंग) कि इन सभी याचिकाओं के अन्ततः स्वीकार होने (याचियों की मांग मान लिए जाने) की स्थिति में निरर्थक कार्यवाही भर रह जाएगी। इसलिए, इस मामले से जुड़े सभी पक्षों केबृहत् और समग्र हितों सहित उन अभ्यर्थियों के हितों को, जो हमारे सामने एक पक्ष के रूप में नहीं हैं, कोध्यान में रखते हुए हमारा यह मत है कि (07.12.2012 के विज्ञापन के अनुसार) चल रही चयन प्रक्रिया को 11.02.2013तक स्थगित रहना चाहिए। (इसी के) अनुसरण में आदेश (किया जाता है
यह आदेश टेट मैरिट के लिए शाश्वत सत्य अकेडमिक के लिए पतन की निशानी और वोट की राजनीति करने वाली सरकार के मुँह पर करारा तमाचा है ।
ReplyDeleteआम तौर से मैं हर बात
ReplyDeleteसाफ़-साफ़ लिखता रहा हूँ,,लेकिन इस बार टेट मेरिट के
हितों को मद्देनजर रखते हुए मुझे मौन रहना पड़
रहा है,,,,सही वक्त आने पर इसकी वजह
भी बता दूंगा ,,फिलहाल बस इतना समझ लें
कि जो कुछ भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अब
अटक हुआ है ,,और जो आज-कल हो रहा है वो सब
शुद्ध टेट मेरिट के हितों को सुरक्षित रखने के लिए
ही हो रहा है,,,, बस विश्वास रखिये कि जून में कुछ
ऐसा होगा जिसकी आपने कल्पना तक
ना की हो,,,बशर्ते कि ऊपर वाला हमारे धैर्य की और
परीक्षा लेने के मूड में ना हो,,,,,
जैसे हम गर्मी का आनन्द गर्मी में लेते हैं और जाड़े का आनन्द जाड़े में ....वैसे इस फैसले का आनन्द लीजिये इसकी स्वीकारोक्ति के साथ...जीत हो तो जीत का आनन्द लीजिये ....हार हो तो हार का आनन्द लीजिये...मै विश्वास दिलाता हूँ कि जो भी हो यह फैसला आपके जीवन का अन्तिम फैसला बिल्कुल भी नहीं होगा...अभी बहुत कुछ पा सकने की संभावना है आपके भीतर ......निराश न हों...धैर्य रखें...संयम रखें...जो भी होगा ...आप सभी के लिये शुभ होगा...शुभ ही होता है...प्रकृति के इस प्रयोजन को नकारा नहीं जा सकता ...आप सभी को मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएँ......:-)
ReplyDeleteसत्य अपनी राह खुद बना लेता है -----वो छिप नहीं सकता कभी-
ReplyDeleteआज के कोरट order को आने के बाद कुछ मुख्य बातें सामने आई हैं -----
1-अगर stay हटना होता तो Large Bench इसको हटा देती क्यूंकि वो double bench से ज्यादा ताकतवर थी ।
2-TET सभी के लिए अनिवार्य है मतलब TET के importance को सभी जान चुके हैं ।
तो tet मेरिट के फायदे को भी जान गये होंगे ।।
3-NCTE ने ये नही कहा की TET केवल पात्रता है अहरता नहीं वरना इस आदेश में ये साफ़ हो जाता ।
4-TET में धांधली भी court में साबित नहीं हुई आज तक--
5-बीएड के 30% weightage वाले case से ये साफ़ हो गया है की अकादमिक मेरिट संवेधानिक नहीं है ।
6-जिन लोगों का ( TET 100+, अकादमिक 62+ ) है वो लोग ही इसके पीछे रहें बाकी अपने हथियार ( study) उठा लें
भर्तियों का मौसम शुरू होने वाला है । क्यूंकि चुनाव सर पे हैं ।
7-छुट्टियों में जाते जाते एक दावा क्र रहा हूँ की 72,825 भरती टेट मेरिट से एवं 29833 जूनियर भरती अकादमिक मेरिट से ही होंगीं ।
मित्रों पूरी बात साफ़ हो गयी है की TET MERIT की जीत सुनिश्चित है ।।
अगर अब भी कुछ लोग् सरकार के गीत गाना चाहते हैं तो गाते रहें -अपने नुकसान के आलावा कुछ नही मिलेगा उनको ।।
पूरी सम्भावना है की पुराना विज्ञापन जुलाई में बहाल हो जायेगा ।।।
बहुत बहुत धन्यवाद ।।
अब जुलाई में मानसून के आगमन के साथ मुलाकात होगी ।।
अगर पढकर गुस्सा आये तो सोच लेना की परम सत्य क्या था ----
फिल्म दीवार में एक सवाल पुछा गया था की " आज मेरे पास बंगला हैं , गाडी हैं, पैसा हैं , नाम हैं ,शोहरत हैं , बैंकबैलेंस हैं तुम्हारे पास क्या हैं ?
ReplyDeleteजवाब मिला " मेरे पास माँ हैं "|
सोचिये जरा यही सवाल अगर कुछ अन्य माननीय लोगों से पूछे तो क्या जवाब मिलेगा .....
# रावर्ट बढेरा: मेरे पास सासू माँ हैँ।
#मयप्पन: मेरे पास ससुर जी हैँ
# केजरीवाल : मेरे पास स्टील का ग्लास हैं |
# कुमार विश्वास: मेरे पास छिछोरापन हैं |
# मनमोहन : मेरे पास ख़ामोशी हैं |
# सोनिया : मेरे पास सीबीआई हैं |
# आडवाणी : मेरे पास "सु-ष-मा" हैं|
# दिग्विजय : मेरे पास जुबान हैं जिसमे आरएसएस का नाम हैं |
# मोदी : मेरे पास जनता का साथ हैं |
# श्रीसंथ : मेरे पास तौलिया हैं |
# कपिल सिब्बल : मेरे पास मेरी शक्ल हैं जो बेहद ख़ास हैं |
# शीला दीक्षित : मेरे पास जवानी हैं|
# मलिंगा : मेरे पास बाल हैं |
# मनीष तिवारी : मेरे पास चुतियापा हैं |
# राहुल गाँधी :मेरे पास पोगो चैनल का रिमोट हैं |
# नितीश : मेरे पास धर्मनिरपेक्षता हैं |
# लालू : हमरे पास तो सिर्फ राबड़ी हैं !!
1 baat aur sun lo d.b. ki saari fees jama ho chuki hai .kisi prakar ke paise ki koi jarurat nahi hai . jo maang raha wo to chutiya hai hi lekin jo de raha hai wo CHUTIYA THE GREAT hai
ReplyDeleteaur jo bina wajah pareshan hai wo apna naam kud hi rakh le
haan agar ladaai s. c. tak jayegi to jarur paisa kharch hoga lekin aap log chinta na karo , mera kaam paisa maangne ka NAHIIIIIIIIIIIIIIII hai
अरविन्द सिंह एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाला मामला एक अकेला केस ना होकर केसों का एक गुच्छा है जिसके साथ लखनऊ में दायर अन्य याचिकाएं जिनमें गणेश निर्भय सिंह ,बाबी सिंह और दीक्षित भाई द्वारा दायर अलग-अलग याच्काएं भी सम्मिलित हैं,,,, वैसे भी जब इलाहाबाद से डबल बेंच द्वारा नए विज्ञापन के 72825 पदों पर स्थगन लगा हुआ है तो इस बात का कोई फर्क नहीं कि लखनऊ में सिंगिल बेंच ने स्टे लगाया या नहीं ,,यदि कोई यह समझता है कि सिर्फ 51 याचियों के लिए पूर्व विज्ञापन में सीटें आरक्षित करके शेष पदों पर एकैडमिक से भर्ती होने जा रही है तो वो अपने आपको धोखा ही दे रहा है,,,, लखनऊ में यह केस चलेगा ही नहीं,,,,इलाहाबाद में यह मामला निस्तारित होने के कगार पर है और लखनऊ में अभी तक सरकार ने जवाब तक दाखिल नहीं किया है ,,,चूँकि उस दिन केस टेक अप हो गया तो जज साहब के पास विवादित पदों पर भर्ती ना करने का निर्देश देने के सिवाय कोई अन्य विकल्प ही नहीं था ,,,उस स्टे को आप इस तरह समझें कि किसी संदूक पर पहले से एक बड़ा सा ताला लगा हो और उसी पर कोई अपना छोटा ताला जड़ दे,,,, अखबार वालों ने ही इस समबन्ध में भ्रम की स्थिति पैदा की है ,,,,,अगर मीडिया में इतने ही विद्वान होते तो वो एकैडमिक से भर्ती क समर्थन ना कर रहे होते ,,,,, किसी भी अखबार के रिपोर्टर ने आज तक टण्डन या हरकौली साहब की अदालत से निकले एक भी आदेश को पडने की जहमत नहीं उठाई है ,,,शायद उन सभी की अंग्रेजी कुछ ज्यादा ही कमजोर है,,,,
ReplyDeleteकपिल जी आपका कोटिशः धन्यवाद ,आपकी ही वजह
ReplyDeleteसे मेरा ईश्वर कहो ,खुदा कहो या उपर वाला ,इन
चीजोँ मेँ मुझे दृढ़ विश्वास हो गया है । लोगोँ से मैँ
अक्सर ये दो बातेँ सुनता था , पहली "उपर वाले के
घर देर है अंधेर नहीँ " दूसरी " उपर वाला बुरे
लोगोँ की मंशा कभी सफल नहीँ होने देता है "।
मान्यवर कपिल जी ,आपकी हाई कोर्ट मेँ
याचिका दाखिल करने की नीयत के बारेँ मेँ सोच कर
मेरे मन मेँ आपकी जो तस्वीर उभरती है शायद लोग
उसे दानव कहते हैँ ।
हे दानव तेरी ईच्छा थी कि टेट मेरिट से
मेरा तो होगा नहीँ तो मैँ भी किसी की नौकरी नहीँ लगने
दूंगा । तुने सोचा था कि अगर ये विज्ञापन निरस्त
हो गया तो 1 जनवरी 2012 की समय सीमा समाप्त
होने के बाद बी . एड . वालो का खेल ही खत्म
हो जायेगा मतलब मेरा नहीँ तो किसी का नहीँ ।
हे अधम चाहे एकेडमिक वाले होँ या बी . टी . सी .
वाले सबने न्यायालय से वही मांगा जिससे
की उनका चयन सम्भव था लेकिन नीच तूने
तो सबका विनाश करने वाली याचना की थी ।
लेकिन अब तू ऊपर वाले की करामात देख , पहले
तो उसने इस पतित सरकार के माध्यम से ही बी एड
वालोँ के लिये समय सीमा बढ़वाया और फिर शुरु
हो चुकी काउन्सलिँग को रुकवा दिया । देखा ना उपर
वाले ने पहले तेरी मंशा को विफल किया और फिर उसने
वो काम किया जिससे तू अपने नीच कर्मोँ का कोई
लाभ ना लेने पाये ।
मेरा ये पोस्ट तुझे या तेरे अंध-भक्तोँ को तो समझ मेँ
नही आयेगा लेकिन मेरी तरह के लोग जो ऊपर वाले पर
कम यकीन करते हैँ अब उन्हेँ ईश्वर या खुदा या गॉड
पर किँचित मात्र भी संदेह नहीँ बचेगा ।
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1 baat aur agar teri naukari lag gayi to main usi din apni naukari...................naitik jimmedaari lete huwe.............
Bhai t.m.n.t.b.b.n, aaj apke information ne fully positive energy se antarman ko sarabor kar diya hai aur dil yahi chahta hai ki'Devi Sarswati' ka vaas apke vani me ho jaye jiski ham abhi tak kalpana karte aaye hai. Ladai k jari rhne par kisi yoddha ko parajit karne ka jo garv hota hai wo aaj mahsus ho rha hai. Kahne ko bahut kuch hai lekin.....! Ab tak ka samay kaise gujra hai ye kahna shayad apne ko hi kamjor karna hoga lekin ant bhala to sabh bhala ho jaye. Aap aur ham sabhi ka vishwash falibhut ho bas yahi kamna hai. Thanx for ur whole logic,information,couragious word,veiws and daring suggetions. Gud nyt,namaste,salaam,sat-sri-akaal.
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