सरकारी नौकरी शिक्षक भर्ती/नियुक्ति परिणाम / टीईटी Sarkari Naukri Recruitment/Appointment Result. Latest/Updated News - UPTET, CTET, BETET, RTET, APTET, TET (Teacher Eligibility Test) Merit/Counselling for Primary Teacher(PRT) of various state government including UP, Bihar
Sunday, June 30, 2013
24 comments:
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ReplyDeleteछठी के छात्र छेदी ने छत्तीस की जगह बत्तीस कहकर जैसे ही बत्तीसी दिखाई, गुरुजी ने छडी उठाई और मारने वाले ही थे की छेदी ने कहा, "खबरदार अगर मुझे मारा तो! मे गिनती नही जानता मगर आरटीई की धाराएँ अच्छी तरह जानता हूँ.
गणित मे नही, हिंदी मे समझाना आता है."
गुरुजी चौराहों पर खड़ी मूर्तियों की तरह जडवत हो गए. जो कल तक बोल नही पाता था, वो आज आँखें दिखा रहा है!
शोरगुल सुनकर प्रधानाध्यापक भी उधर आ धमके. कई दिनों से उनका कार्यालय से निकलना ही नही हुआ था. वे हमेशा विवादों से दूर रहना पसंद करते थे. इसी कारण से उन्होंने बच्चों को पढ़ाना भी बंद कर दिया था. आते ही उन्होंने छडी को तोड़ कर बाहर फेंका और बोले, "सरकार का आदेश नही पढ़ा? प्रताड़ना का केस दर्ज हो सकता है. रिटायरमेंट नजदीक है, निलंबन की मार पड़ गई तो पेंशन के फजीते पड़ जाएँगे. बच्चे न पढ़े न सही, पर प्रेम से पढ़ाओ. उनसे निवेदन करो. अगर कही शिकायत कर दी तो ?"
बेचारे गुरुजी पसीने पसीने हो गए. मानो हर बूँद से प्रायस्चित टपक रहा हो! इधर छेदी "गुरुजी हाय हाय" के नारे लगाता जा रहा था और बाकी बच्चे भी उसके साथ हो लिए.
प्रधानाध्यापर ने छेदी को एक कोने मे ले जाकर कहा, "मुझसे कहो क्या चाहिए?"
छेदी बोला, "जब तक गुरुजी मुझसे माफी नही माँग लेते है, हम शाला का बहिष्कार करेंगे. बताए की शिकायत पेटी कहाँ है?"
समस्त स्टाफ आश्चर्यचकित और भय का वातावरण हो चुका था. छात्र जान चुके थे की उत्तीर्ण होना उनका कानूनी अधिकार है.
बड़े सर ने छेदी से कहा की मे उनकी तरफ से माफी माँगता हूँ, पर छेदी बोला, "आप क्यों मांगोगे ? जिसने किया वही माफी माँगे. मेरा अपमान हुआ है."
आज गुरुजी के सामने बहुत बड़ा संकट था. जिस छेदी के बाप तक को उन्होंने दंड, दृढ़ता और अनुशासन से पढ़ाया था, आज उनकी ये तीनों शक्तिया परास्त हो चुकी थी. वे इतने भयभीत हो चुके थे की एकांत मे छेदी के पैर तक छूने को तैयार थे, लेकिन सार्वजनिक रूप से गुरूता के ग्राफ को गिराना नही चाहते थे. छडी के संग उनका मनोबल ही नही, परंपरा और प्रणाली भी टूट चुकी थी. सारी व्यवस्था नियम कानून एक्सपायर हो चुके थे. कानून क्या कहता है, अब ये बच्चो से सिखना पढ़ेगा!
पाठक्रम मे अधिकारों का वर्णन था, कर्तव्यों का पता नही था. अंतिम पड़ाव पर गुरु द्रोण स्वयं चक्रव्यूह मे फँस जाएँगे!
वे प्रण कर चुके थे की कल से बच्चे जैसा कहेंगे, वैसा ही वे करेंगे. तभी बड़े सर उनके पास आकर बोले, "मे आपको समझ रहा हूँ. वह मान गया है और अंदर आ रहा है. उससे माफी माँग लो, समय की यही जरूरत है."
छेदी अंदर आकर टेबल पर बैठ गया और हवा के तेज झोंके ने शर्मिन्दा होकर द्वार बंद कर दिए.
कलम को चाहिए कि यही थम जाए. कई बार मौन की भाषा संवादों पर भारी पड़ जाती है
कुछ तथ्य दिए हुए हैं...उन पर अमल करने का प्रयास किया जाए तो जिंदगी काफी खूबसूरत हो जायेगी!!!
ReplyDelete************************************************
# खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
# दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करो..!
# खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
# किसी के सपनो पर हँसो मत..!
# आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
# रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..
# खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
# किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..!
# कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
# ईश्वर पर पुरा भरोसा रखो..!
# प्रार्थना करना कभी मत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
# अपने काम से मतलब रखो..!
# समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..!
# जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
# बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो,क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है,बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबो ही देती है..!
# हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
# हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
# कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..?
# सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते है
# कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है...!!!
मोबाइल से जुडी कई ऐसी बातें जिनके बारे
ReplyDeleteमें हमें
जानकारी नहीं होती लेकिन मुसीबत के
बक्त यह
मददगार साबित होती है ।
इमरजेंसी नंबर -दुनिया भर में मोबाइल
का इमरजेंसी नंबर 112 है । अगर आप
मोबाइल
की कवरेज एरिया से बाहर हैं तो 112
नंबर
द्वारा आप उस क्षेत्र के नेटवर्क को सर्च
कर
लें . ख़ास बात यह हैकि यह नंबर तब
भी काम
करता है जब आपका की पैड लौक हो !
जान अभी बाकी है-मोबाइल जब
बैटरी लो दिखाए
और उस दौरान जरूरी कॉल करनी हो ,
ऐसे में
आप *3370# डायल करें , आपका मोबाइल
फिर से चालू हो जायेगा और
आपका सेलफोन
बैटरी में 50 प्रतिशत
का इजाफा दिखायेगा !
मोबाइल का यह रिजर्व दोबारा चार्ज
हो जायेगा जब आप अगली बार मोबाइल
को हमेशा की तरह चार्ज करेंगे !
मोबाइल चोरी होने पर-मोबाइल फोन
चोरी होने
की स्थिति में सबसे पहले जरूरत होती है ,
फोन
को निष्क्रिय करने की ताकि चोर
उसका दुरुपयोग न कर सके । अपने फोन के
सीरियल नंबर को चेक करने के लिए *#06#
दबाएँ . इसे दबाते हीं आपकी स्क्रीन पर
15
डिजिट का कोड नंबर आयेगा . इसे नोटकर
लें
और किसी सुरक्षित स्थान पर रखें . जब
आपका फोन खो जाए उस दौरान अपने
सर्विस
प्रोवाइडर को ये कोड देंगे तो वह आपके
हैण्ड सेट
को ब्लोक कर देगा !
कार की चाभी खोने पर -अगर आपकी कार
की रिमोट केलेस इंट्री है और गलती से
आपकी चाभी कार में बंद रह गयी है और
दूसरी चाभी घर पर है
तो आपका मोबाइल काम
आ सकता है ! घर में किसी व्यक्ति के
मोबाइल
फोन पर कॉल करें ! घर में बैठे व्यक्ति से
कहें
कि वह अपने मोबाइल को होल्ड रखकर
कार
की चाभी के पास ले जाएँ और
चाभी केअनलॉक
बटन को दबाये साथ ही आप अपने मोबाइल
फोन
को कार के दरवाजे केपास रखें ,
दरवाजा खुल
जायेगा ! है न विचित्र किन्तु सत्
Mere tet supporter sathiyo...jaisa ki kal ki date lagi hai special apeal s.k.pathak ki jo old add se sambandhit hai...s.k.pathak ki aaj apne case se jude any wakilo se v bat huyi hai..kal sare wakil rahege jisame ashok khare,v.k.singh,seemant singh, sashinandan sb harkoli sir se any slp ko v special apeal se magwakar nayi date agle din ya 3,4,5 tk date lagane ka anurodh kiya jayega..kyuki 6 aur 7 ko court holiday hai...kal hamara case court no.33 me 29 no.par laga h..so lagbhag lunch ke bad number aane ki sambhavna hai..fresh case kitne hai..kal ye dekhne k bad hi clear hoga .kyoki fresh case k bad hi 29 number par apne case ka number ayega..so lunch ke pahle number aa v sakta hai nahi v aa sakta hai.par sambhavna lunch ke bad ki jyada hai..s.k.pathak g court room se hame live news dete rahege
ReplyDelete.jai tet
किसी को अपना बनाने के लिए हमारी सारी खूबियाँ भी कम पड़ जाती हैं;
ReplyDeleteजबकि किसी को खोने के लिए एक कमी ही काफी है!
टीईटी अभ्यर्थियों का परीक्षा शुल्क
ReplyDeleteलौटाए सरकार:भाजपा
लखनऊ (एसएनबी)। भारतीय
जनता पार्टी ने प्रदेश मेंकराई
जा रही टीईटी परीक्षापर
सवालिया निशान लगाते हुए प्रदेश
सरकार से इस परीक्षा में शामिल
अभ्यर्थियों का परीक्षा शुल्क लौटाने
की मांग की है। पार्टी के प्रदेश
प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्र ने
कहा कि प्रदेश
की टीईटीपरीक्षा अव्यवहारिक
हो चुकी है। पिछली टीईटी परीक्षा में
उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को अभी तक प्रदेश
के सरकारी स्कूलोंमें 72000 से अधिक
शिक्षकों के पदों पर तैनाती नहीं मिल
पाई है। बसपा सरकार के भ्रष्टाचारसे
प्रदेश के टीईटी अभ्यर्थियों को अभी तक
न्याय नहीं मिल पाया है।
पार्टी प्रवक्ता डॉ. मिश्रने
सपा सरकार पर निशाना साधते हुए
कहा कि सरकार एकतरफ
प्राइमरी शिक्षा के लिए
संविदा शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है
दूसरी ओर
टीईटी परीक्षा करवा रही है। उन्होंने
आरोप लगाते हुए
कहा कि पिछली टीईटी परीक्षा में
लाखों छात्र शामिल हुए थे।
सभी अभ्यर्थियों से 500 रुपयेप्रति स्थान
के हिसाब से परीक्षा शुल्क
लिया गया था, अभ्यर्थियों ने लगभग
20,000 रुपये तक फीस दी थी।
सपा सरकार ने
वादा किया था कि मात्र 500 रुपये
छोड़कर शेष
धनराशि अभ्यर्थियों को वापस कर
दी जाएगी। डॉ. मिश्र ने सरकार से मांग
की है कि तत्काल उनकी शेष
धनराशि वापस की जाए। डॉ. मिश्र ने
कहा कि सपा सरकार पहले
पिछली टीईटी पास
अभ्यर्थियों को तत्काल नियुक्त करें। फिर
नियुक्ति की राह में आने वाली बाधाओं
को दूर करें, इसके बाद
ही टीईटी परीक्षा में शामिल हुए
अभ्यर्थियों को उनका शेष परीक्षा शुल्क
वापस दिलाया जाए। भाजपा ने सरकार
से नौकरी के नाम पर बेरोजगारों के साथ
हो रही खिलवाड़ को बंद करने की मांग
की है। एक तरफ संविदापर
शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है
तो दूसरी तरफ
टीईटी करा रही सपा सरकार.!
राहुल जी का कहना है कि युवाओं को राजनीति में आना चाहिए।
ReplyDelete.
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आखिर यही तो दिन होते हैं खाने-पीने के, हैल्थ बनाने के, और अब तो बाइक पर पीछे बिठाने के लिए हर कार्यकर्ता को गर्लफ्रेंड भी देगी कांग्रेस, क्योकि 50 फीसदी आरक्षण जो दिया जा रहा है :
टीईटी मेरिट और एकेडमिक
ReplyDeleteविवाद पर सुनवाई कल
बेसिक शिक्षा परिषद् के
प्राइमरी स्कूलों में प्रशिक्षु
शिक्षको की भर्ती के लिए टीईटी मेरिट
या एकेडमिक
रिकार्ड को आधार बनाये जाने को लेकर
चल रहे विवाद
की सुनवाई हाईकोर्ट में एकजुलाई
को होगी ! शिव
कुमार पाठक की ओर से दाखिल
याचिका की सुनवाई
टीईटी की अनिवार्यता को लेकर
पैदा हुए विवाद के
कारण रोक देनी पड़ी थी ! 31 मई
को बृहद पीठ
का फैसला आने के बाद से शिक्षक भर्ती के
लिए
आवेदन करने वाले लाखो बेरोजगार इस
विवाद के
निपटारे के इन्तजार में हैं !
aj tak ki highcourt me apani sthithi
ReplyDeleteko dekhate huye hearing ke liye date
lene ke liye apane pas do vikalp
hai....1st...ekapplication HON
Harkauli sir ki court me by legal
procedure dekar L.B. ke apne appeal
ko appropriate bench bhejane ke
order ko mention karte huye unke
court me hearing ke liye date dene ki
request ki jaye......2nd.....1st july ko
237/2013 par lage date par apne
main appeal 149,150,152 and others
par date dene ki request kiya
jaye ...kyoki jab tak main appeal par
date nahi milegi connecting appeal
par koi bhi order nahi ayega ....atah
monday ko application dete huye
237/2013 ko main appeal me connect
karne aur poore BUNCH APPEAL par
NEXTDAY date dene ki appeal ki
jayegi ....hame date..... nextday ,day
after nextday, after twodays, after
three days, after one week or after
ten days... inme se koi date mil
sakata hai...ye total HON. HARKAULI
Sir par nirbhar karta hai.....inme se
koi bhi date hamare liye behtar
hoga....jai hind jai tet..
टीईटी 2013 के प्रश्नो पर मांगी आनलाईन आपत्ति
ReplyDeleteअगर आपको लगता है की जो उत्तर आया है वो गलत है
या जो प्रश्न आया है वो आउट आफ कोर्स है तो तत्काल
अपना आवेदन शिकायत के रुप मे तीन जुलाई
की शाम छह बजे तक इ मेल के द्वारा दर्ज
करा सकते है पाँच छह जुलाई तक आपका शिकायत
का निपटारा करने के बाद रिजल्ट तैयार
होगा पता नोट करे
secretarypnp.up@gmail.com
siseup.ald@gmail.com
उम्मीद है कल सभी रिट पर एक साथ सुनवाई की वास्तविक तिथि निर्धारित हो जाएगी
ReplyDeleteTet sathiyo
ReplyDeleteNamaskar
TET update nimnwat hai
(1)-abhi apni file A.P. shahi k court me fansi hai
ummid hai ki kal shaam tk use nikalane me hum
sabhi kamyab ho jay (2)- writ no. 237/2013 advocate V.K.Singh ka case
Harkauli g k paas 29 no par lagi hai.
(3)- ses rito k saath-saath, 237/2013 ki bhi sunwayi
ki jay (tatha un sabhi ko ek saath manga liya jay k
sambandh me application aaj draft hokar advocate
V.K.Singh dwara taiyar kiya gaya hai jo kal 237 pr bahas k saath prastut kiya jayega .
(4)- sab kuchh thik raha to 1 ya 2 july me ye tay
hoga agali sunwayi ki date KB pad rahi hai .
(5)- Dua kariye kal ka din humare liye subh ho Jay TET
वो मुझसे कहती थी उसके
ReplyDeleteजैसी कभी नहीं मिलेगी .....
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मैंने उसका नाम लिख कर फेसबुक पर सर्च किया तो 121 और
मिल गयी ....
लड़कियों की कमी नहीं है भाई
Wo kehti hai tumhari batain achchhi lagti hain
ReplyDeleteMein kehta hoon sooraj ki roshni tumko sazti hai
Woh kahti hai tumhari baton mein apnaiyet hai
Mein kehta hoon muhabbat rafta rafta badhti hai
Woh kehti hai itney din bad miley ho
Mein kehta hoon shayed sadiyan beet gai hain
Woh kehti hai meri zindagi mein khawab buhat hain
Mein kehta hoon sarey khawab samet lo
Woh kehti hai kya ab bhi mujhko chahtey ho?
Mein kehta hoon tumhein khabar nahi hai shayed
Woh kehti hai dekho amawas ki raat hai
Mein kehta hoon haan chand mere pehloo me hai
Woh kehti hai zindagi kitni khoobsurat hai
Mein kehta hoon zara aik sapna tootney do
Woh kehti hai mousam buhat pyara hai
Mein kehta hoon zara tanhai me dekhna
Woh kehti hai dekho saawan barasta hai
Mein kehta hoon haan badal akser rota hai
Bari Mushkil se Sulaaya tha Khud Ko Main ne Aaj...!
ReplyDeleteApni Aaankon Ko Tere Khuwaab Ka Laalach Day Ker.....!
ApNi Neend sE MujhE kuCh yon b bohot PeyAr hy
ReplyDeleteK UsNe kAhA thA “MujhE pÄnÄ TuMhArE LiyE sirf Ek KhÄwÄb hy.
मेरी समझ मे ये नही आ रहा है कि टेट 2013 जब एक पात्रता परीक्षा है तब ये नंबर का खेल क्यो ? सिर्फ क्वालीफाई अथवा डिसक्वालीफाई क्यो नही किया गया|
ReplyDeleteउन्हें बाबरी याद है ...... और हम सोमनाथ
ReplyDeleteको भूल गए ....
उन्हें गौरी-औरंगजेब पे फक्र है ....... और
उनको धुल चटाने वाले चौहानऔर शिवाजी को भूल
गए
उन्हें मुगलिया काल पे नाज है ........और हम
हल्दी घाटी को भूल गए ......
वो अकबर को महान कहते है .......... हम जौहर
प्रथा को भूल गए ....
उन्हें १९९२ याद है ....... हम ४७ के बंगाल दंगे
को भूल गए
उन्हें गुजरात याद है ....... हम गोधरा को भूल
गए .....
उन्हें १९८९ भागलपुर याद है ....... हम 1990
काण्ड कश्मीरी पंडितो कोभूल गए
उन्हें बंगाल से केरल तक "हरे रंग" में रंगा अलग
चाहिए .... और हम बार-बार खंडित हुए अखंड
भारत को भूल गए
उन्हें हिंदुस्तान का मुकुट कश्मीर अलग
चाहिए ....... और हम गुलाम कश्मीर को भी भूल
गए ...
उन्हें सब कुछ याद है ............
हम सब कुछ
भूल गए...
सब कुछ
भूल गए...
सब कुछ
भूल गए...
शिक्षामित्र व अनुदेशकों के भरोसे शिक्षा
ReplyDeleteमुंह चिढ़ा रहीं शिक्षा की दर्जन भर योजनाएं
बी. सिंह
इलाहाबाद। अनपढ़ों तथा स्कूल न पहुंच पाने वाले
गरीब दलित छात्रों को शिक्षित बनाने और
शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए सामाजिक
शिक्षा, ग्राम शिक्षा मुहीम, फारमर्स फंक्शनल
लिटरेसी प्रोग्राम, वर्कर्स एजुकेशन प्रोग्राम,
नानफारमर्स एजुकेशन फॉर यूथ, राष्ट्रीय प्रौढ़
शिक्षा, ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड
जैसी दर्जनों योजनाएं शुरू की गईं। गरीब
तथा दलित की शिक्षा तो मजबूत नहीं हुई और न
आगे बढ़ पाई। उल्टे ये योजनाएं गरीबों को मुंह
चिढ़ाने, लूट-खसोट तथा नौकरशाहों और उनके
आकाओं के लिए कमाई का जरिया जरूर साबित
हुई। दूसरी ओर स्कूलों में
शिक्षकों की कमी बनी हुई है। कई ऐसे स्कूल हैं
जहां एक भी अध्यापक नहीं हैं और ऐसे भी स्कूल हैं
जहां एक ऐसा अध्यापक तैनात हैं
जो सरकारी योजनाओं में उलझा रहता है।
ऐसे में सर्व शिक्षा अभियान को बराबर
पलीता लग रहा है। अभी भी सूबे में 2.75 लाख
शिक्षकों की जरूरत बनी हुई है।
शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया इतनी उलझी
कठिन हो गई है कि वह आगे बढ़ ही नहीं पा रही है।
शिक्षामित्रों तथा अनुदेशकों के सहारे बेसिक
शिक्षा की गाड़ी कब तक चलेगी। इसका जवाब
कोई नहीं दे पा रहा है। इन योजनाओं के असफल
होने और पहले की जारी हुई योजनाओं के बजट
को पचाने के लिए सर्वशिक्षा अभियान के नाम से
एक नई योजना शुरू की गई। सरकार इस
योजना की सफलता का चाहे जितनी ढोल पीटे
लेकिन हकीकत यह है कि स्कूलों में बच्चे जुटाने
और पंजीकरण बढ़ाने के नाम पर मुफ्त मिड डे मील,
मुफ्त किताबें, ड्रेस तथा बिना स्कूल आए
छात्रवृत्ति बांटने में
ही गरीबों तथा दलितों को शिक्षा देने का दावा गुम
होता जा रहा है। सरकार प्राथमिक स्कूलों में
सबकुछ दे रही है लेकिन पढ़ाई केनाम पर कहीं कुछ
नहीं दिखाई दे रहा है। वही पड़ोस में निजी चलने
वाले स्कूलों में अधिक फीस लेने के बाद भी भीड़ हर
वर्ष बढ़ती जा रही है।मुंह
चिढ़ा रहीं शिक्षा की दर्जन भर योजनाए
देश को नाज है आप पर........भारत माँ की रक्षा के लिये हमेशा तत्पर.......केवल एक मंद मोहन को छोडकर .........लुटेरो की गोद मे बैठ कर .....मौनी बाबा बन गया.....
ReplyDeleteअभी इस निर्णय पर पहुँच जाना जल्दबाजी होगी कि इस मामले में प्रथम या द्वितीय सेमेस्टर अध्ययनरत होने के बावजूद टेट में आवेदन कर के उत्तीर्ण हो जाने वाले अभ्यर्थियों को वर्तमान भर्ती-प्रक्रिया से बाहर किये जाने के मामले में कोर्ट इस आधार पर कतई राहत नहीं देगा कि उन्होंने टेट विज्ञापन की शर्तो को स्वीकार करते हुए आवेदन किया था। दूर मत जाइये, 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती-प्रक्रिया के 30.11.2011 को प्रकाशित विज्ञापन में दिए गए नियमों के अनुसार आवेदन करने के बाद भी, यानी आपके अनुसार विज्ञापन की शर्तें स्वीकार करने के बावजूद, यादव कपिलदेव लालबहादुर ने न सिर्फ विज्ञापन की वैधता को चुनौती दी बल्कि उसपर ऐसा स्थगनादेश लगवाने में सफल रहे, जो एकल पीठ में कभी नहीं हटा।
ReplyDeleteचूँकि यह मामला केवल दो व्यक्तियों के बीच के व्यक्तिगत हित के मुद्दे के तौर पर नहीं, ऐसे मुद्दे के तौर पर पेश किया जाना तय है जो,
1. आजीविका के अधिकार, जो नागरिको को संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार यानी "जीने के अधिकार" के अंतर्गत आता है,
2. सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार से सम्बंधित है, जहां राज्य से एक आदर्श नियोजक होने की अपेक्षा की जाती है (सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा जारी निर्देश के अनुसार)
3. राज्य द्वारा विधि-विरुद्ध किये गए कार्य के संरक्षण का है (जबकि न्यायपालिका का स्थापित सिद्धांत है - A patent illegality can not be allowed to continue.)
3. प्रथम दृष्ट्या राज्य सरकार द्वारा की गई लापरवाही से, गलती से या इरादतन अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर एक विधि द्वारा जनित, संरक्षित और प्रभावी नियमो के विरुद्ध एक अवैध निर्णय लेने, उसे क्रियान्वित करने और संज्ञान में लाये जाने पर भी भूल-सुधार के बजाय उसपर अड़े रहने का है, जबकि इस से बड़ी संख्या में निर्दोषों के वैध हित मारे जा रहे हैं।
ऐसे में इस बात की अत्यंत क्षीण सम्भावना है कि नागरिकों को प्राप्त रिट के अधिकार के प्रयोग को कोर्ट द्वारा अनदेखा किया जायेगा बल्कि इस लिए कम से कम मुझे तो कोई आश्चर्य भी नहीं होगा अगर इस मामले में कोर्ट बाहर किये जा रहे अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय सुना दे। क्या, कब, कैसे होगा, इसका द्वारा करने की स्थिति में नहीं हूँ, पर इतना तो तय है हैं कि इस गलती के प्रति किसी ने कोई भी रवैया अपनाया हो, गलती (अगर कोर्ट मानता है तो) इसकी शुरुआत सरकार की तरफ से ही हुई है।
यदि टिहरी बाँध बन गया तो (1995):
ReplyDeleteहिमालय क्षेत्र में बन रहा टिहरी बाँध शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा हैं। योजना आयोग द्वारा 1972 में टिहरी बाँध परियोजना को मंजूरी दी गई। जैसे ही योजना आयोग ने इस परियोजना को मंजूरी दी, टिहरी और आस-पास के इलाके में बाँध का व्यापक विरोध शुरू हो गया। कई शिकायते इस संबंध में केंद्र सरकार तक पहुंची। संसद की ओर से इन शिकायतों की जांच करने के लिए 1977 में पिटीशन कमेटी निर्धारित की गई। 1980 में इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी ने बाँध से जुड़े पर्यावरण के मुद्दों की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई। इस समिति ने बाँध के विकल्प के रूप में बहती हुई नदी पर छोटे-छोटे बाँध बनाने की सिफ़ारिश की। पर्यावरण मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के बाद अक्टूबर, 1986 में बाँध परियोजना को एकदम छोड़ देने का फैसला किया।
अचानक नवंबर, 1986 में तत्कालीन सोवियत संघ सरकार ने टिहरी बाँध निर्माण में आर्थिक मदद करने की घोषणा की। इसके बाद फिर से बाँध निर्माण कार्य की सरगर्मी बढ़ने लगी। फिर बाँध से जुड़े मुद्दों पर मंत्रालय की ओर से समिति का गठन हुआ। इस समिति ने बाँध स्थल का दौरा करने के बाद फरवरी, 1990 में रिपोर्ट दी कि टिहरी बाँध परियोजना पर्यावरण के संरक्षण की दृष्टि से बिलकुल अनुचित हैं। मार्च, 1990 में एक उच्च स्तरीय समिति ने बांध की सुरक्षा से जुड़े हुए मुद्दों का अध्ययन किया। जुलाई, 1990 में मंत्रालय ने बांध के निर्माण कार्य को शुरू करने से पूर्व सात शर्तों को पूरा करने के लिए कहा। इन सात शर्तों को पूरा करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गयी।
लेकिन इस समय सीमा के बीत जाने के बावजूद आज तक एक भी शर्त पूरी नहीं की गई। अब बांध का निर्माण कार्य बिना शर्त पूरा किए शुरू कर दिया गया है। बांध का निर्माण कार्य करने वाली एजेंसियो को पर्यावरण मंत्रालय द्वारा कई बार याद दिलाया गया, लेकिन बांध निर्माण से जुड़ी हुई कोई भी शर्त नहीं मनी गयी। अगस्त, 1991 में इसी बात को लोकसभा में चेतावनी के रूप में उठाया गया, जिस पर काफी बहस हुई। कई सांसदो ने बांध क्षेत्र में भूकम्प की संभावनाओं पर चिंता व्यक्त की। अक्टूबर, 1991 में उत्तरकाशी में भूकम्प आया, जिससे जान-माल की काफी हानि हुई। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि बांध क्षेत्र में भूकम्प की आशंकाए निरधार नहीं हैं।
टिहरी बांध बनाने से 125 गाँव डूबेंगे और 2 लाख से अधिक लोगो को विस्थापित होना पड़ेगा। बॉटनीकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बांध बनने से पेड़-पौधो की 462 प्रजातियाँ लुप्त हो जाएगी। इनमें से 12 प्रजातियाँ अत्यंत दुर्लभ मानी जाती हैं। बांध के बनने से 70 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 20 हजार हेक्टेयर उपजाऊ भूमि पूरी तरह से डूब जाएगी। 1993 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गये एक नोट में कहा गया है कि यदि यह बांध टूट जाता हैं तो यह विशाल जलाशय 22 मिनट मे खाली हो जाएगा, 63 मिनट में ऋषिकेश 260 मीटर पानी में डूब जाएगा।
अगले बीस मिनट में हरिद्वार 232 मीटर पानी के नीचे होगा। बाढ़ का यह पानी विनाश करते हुए बिजनौर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर को 12 घंटो में 8.5 मीटर गहरे पानी में डुबो देगा। करोड़ो लोगों के जान-माल का जो नुकसान होगा, वह बांध की लागत से कई गुना अधिक होगा। दूसरा खतरा यह है कि यह बांध चीन की सीमा से लगभग 100 मील की दूरी पर हैं। चीन के साथ किसी संघर्ष में यदि इस बांध को दुश्मनों द्वारा तोड़ दिया जाए तो भी विनाश का यही दृश्य उपस्थित हो सकता हैं जो भूकम्प के आने पर होगा। जल प्रलय की यह भयावह आशंका रूह को कंपा देती हैं। अगस्त, 1975 में चीन के हिनान प्रांत में इसी तरह का बांध टूटा था जिसके जल प्रलय मे 2 लाख 30 हजार लोगों की मौत हुई।
ReplyDeleteटिहरी बांध के निर्माण में व्याप्त भ्रष्टाचार आंखे खोल देने वाला हैं। 1986 में भारत के महानियंत्रक लेखा परीक्षक श्री टी.एन. चतुर्वेदी द्वारा दी गई रिपोर्ट में बांध के बेतहाशा बढ़ते हुए खर्चे की ओर सरकार का ध्यान दिलाया गया। 1972 में इस परियोजना की लागत 198 करोड़ थी, लेकिन आज यह बढ़कर 8000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो चुकी हैं। इसका मुख्य कारण मुद्रास्फीति नहीं, बल्कि इसमें होने वाला भ्रष्टाचार हैं। क्योंकि 1972 से 1994 तक मुद्रास्फीति की दर उस रफ्तार से कतई नहीं बढ़ी हैं, जिस रफ्तार से बांध की लागत को बढ़ाया गया हैं श्री टी.एन. चतुर्वेदी जी ने स्पष्ट कहा था कि, “यह बांध परियोजना घाटे का सौदा हैं। ”
हिमालय का पर्वतीय क्षेत्र काफी कच्चा हैं। इसलिए गंगा में बहने वाले जल में मिट्टी की मात्रा अधिक होती हैं देश की सभी नदियों से अधिक मिट्टी गंगा जल में रहती हैं। अत: जब गंगा के पानी को जलाशय मे रोका जाएगा तो उसमें गाद भरने की दर देश के किसी भी अन्य बांध में गाद भरने की दर से अधिक होगी। दूसरी ओर, टिहरी में जिस स्थान पर जलाशय बनेगा वहाँ के आस-पास का पहाड़ भी अत्यंत कच्चा हैं। जलाशय में पानी भर जाने पर पहाड़ की मिट्टी कटकर जलाशय में भरेगी। अर्थात गंगा द्वारा गंगोत्री से बहाकर लायी गयी मिट्टी तथा जलाशय के आजू-बाजू के पहाड़ से कटकर आयी मिट्टी दोनों मिलकर साथ-साथ जलाशय को भरेंगे। गाद भरने की दर के अनुमान के मुताबिक टिहरी बांध की अधिकतम उम्र 40 वर्ष ही आँकी गई हैं। अत: 40 वर्षो के अल्प लाभ के लिए करोड़ों लोगों के सिर पर हमेशा मौत की तलवार लटकाए रखना लाखों लोगों को घर-बार छुड़ाकर विस्थापित कर देना एवं भागीरथी और भिलंगना की सुरम्य घाटियो को नष्ट कर देना पूरी तरह आत्मघाती होगा।
टिहरी बांध से होने वाले विनाश में एक महत्वपूर्ण पहलू गंगा का भी हैं। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गंगा के बहते हुए जल में ही श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक कार्य हो सकते है लेकिन बांध बन जाने से गंगा का प्रवाह जलाशय में कैद हो जाएगा हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गंगा का जल जितनी तेज गति से बहता है उतना ही शुद्ध होता हैं। यही गतिमान जल गंगा में बाहर से डाली गई गंदगी को बहाकर ले जाता हैं। गंगा भारत की पवित्रतम् नदी तो हैं ही, हमारी सभ्यता-संस्कृति की जननी भी हैं। प्रत्येक भारतवासी के मन में गंगा में एक डुबकी लगाने या जीवन के अंतिम क्षणों में गंगा जल की एक बूंद को कंठ से उतारने की ललक रहती हैं। जब भी कोई भारतवासी किसी अन्य नदी में स्नान करता हैं तो सर्वप्रथम वह गंगा का स्मरण करता हैं। यदि वह गंगा से दूर रहता हैं तो मन में सदैव गंगा में स्नान करने की इच्छा रखता हैं। जब वह अपने मंतव्य में सफल हो जाता हैं तो गंगा के परम पवित्र जल में स्नान करने के पश्चात अपने साथ गंगा जल ले जाना नहीं भूलता और घर जाकर उसे सुरक्षित स्थान पर रख देता हैं। जब भी घर में कोई धार्मिक अनुष्ठान हो तो इसी गंगा जल का प्रयोग होता हैं।
राष्ट्र की एकता और अखंडता में गंगा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान हैं। शास्त्रों के अनुसार गंगोत्री से गंगा जल ले जाकर गंगा सागर में चढ़ाया जाता हैं और फिर गंगा सागर का बालू लाकर गंगोत्री में डाला जाता हैं। इस पूरी प्रक्रिया में व्यक्ति को गंगोत्री से गंगासागर और फिर गंगासागर से गंगोत्री तक की यात्रा करनी होती हैं। देश के एक सिरे से दूसरे सिरे तक की यह यात्रा ही राष्ट्रीय एकता के उस ताने-बाने को बुनती हैं जिसमें देश की धरोहर बुनी हुई हैं। गंगा हमारे राष्ट्र की जीवनधारा हैं और इसे रोकना राष्ट्र के जीवन को रोकने जैसा हैं। 1914-16 में स्व. पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने अंग्रेज़ो द्वारा भीमगौड़ा में बनाए जाने वाले बांध के खिलाफ आंदोलन किया था। इस आंदोलन से पैदा हुए जन आक्रोश के कारण बाँध बनाने का फैसला रद्द कर दिया था। मालवीय जी ने अपनी मृत्यु से पूर्व श्री शिवनाथ काटजू को लिखे पत्र में कहा था कि “गंगा को बचाए रखना।”
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