भ्रष्टाचार का आरोप मढ़कर हम अपनी असफलता छुपा सकते हैं और सच का गला भी घोंट सकते हैं,विशेषकर जब यह बात उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश में शिक्षा की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में कही जा रही हो तब हमें इस कथन की सत्यता जांचने के लिए अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ेगा|
पूरे प्रदेश में इस बात को जोर शोर से प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है की उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा नवम्बर में आयोजित परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई और अब इस आधार पर इस परीक्षा को रद्द कर देना चाहिए|
मजे की बात तो यह है की परीक्षा में प्राथमिक स्तर पर लगभग २ लाख ७० हजार अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित किये गए|क्या इसका यह अर्थ है की प्राथमिक स्तर पर परीक्षा में उत्तीर्ण समस्त २ लाख ७० हजार अभ्यर्थी बेईमान हैं ?
फिलहाल कथित टीईटी घोटाले के आरोप में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद निदेशक श्री संजय मोहन समेत माध्यमिक शिक्षा परिषद के कुछ अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी हिरासत में हैं,उन पर गैंगेस्टर लग चुका है और मामले की तफ्तीश चल रही है|
हमें यह नहीं भूलना चाहिए की उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय श्री अखिलेश यादव अपनी चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री बनने से पहले ही टीईटी निरस्त करने की सार्वजनिक घोषणा कर चुके हैं और इस घोषणा को आधार मानकर उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी तथा मीडिया का एक विशिष्ट वर्ग उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी को स्पष्ट बहुमत पाता देखकर मतगणना की शाम से ही टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करने लगा|
टीईटी के आधार पर नियुक्ति की मांग कर रहे अभ्यर्थियों पर पुलिसकर्मियों द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठियां भी बरसाई गई|यही नहीं, विधानसभा के बाहर क्रमिक अनशन पर बैठे आंदोलनरत अभ्यर्थियों की व्यथा को किसी ने भी संज्ञान में लेने की आवश्यकता नहीं समझी और वर्तमान शासन ने भी टीईटी को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है|
टीईटी को लेकर असमंजस और उससे उपजे अवसाद के चलते संत कबीर नगर के अंगद चौरसिया और बुलंद शहर के महेंद्र सिंह की मृत्यु हो चुकी है|इससे पहले भी एक टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी की माँ नकारात्मक समाचार सुनकर स्वर्ग सिधार चुकी है|इन सब ख़बरों को लेकर हमारा युवा हतोत्साहित है और आक्रोशित भी|
हमें समस्या के मूल में जाना होगा|जनता को यह जानने का हक है की उसके खून पसीने की कमाई कहाँ जाती है और नौनिहालों की शिक्षा पर होने वाले व्यय की क्या सार्थकता है? हमारे देश को आजाद हुए ६४ वर्ष से अधिक हो गए हैं,हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने पराधीन भारत में स्वतंत्र भारत का जो स्वप्न देखा था,हम उसके आस पास भी नहीं हैं|अपने अधिकारों और कर्तव्यों की कौन कहे,इन ६४ सालों में हम आज तक समग्र साक्षरता के मह्त्वाकांक्षी लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर पाए हैं|
हालांकि,इतने सालों में हमने अच्छी उपलब्धि हासिल की है और आज साक्षरता के क्षेत्र में हम ब्रिटिश राज के १२ प्रतिशत के आकडें को पार करते हुए २०११ के आंकड़ों के अनुसार ७५.०४ प्रतिशत तक पहुँच गए हैं किन्तु तुलनात्मक दृष्टि से हम आज भी विश्व साक्षरता के औसत (८४ प्रतिशत) से भी लगभग १० अंक निचले पायदान पर स्थित हैं|बात यही पर खत्म नहीं होती है,यदि हम नेपाल,बंगलादेश और पाकिस्तान जैसे संसाधनविहीन देशों को छोड़ दे तो हमारे अन्य पडोसी मसलन चीन,म्यामार,यहाँ तक की श्रीलंका जैसे छोटे देश भी साक्षरता के क्षेत्र में ९० प्रतिशत से ऊपर पहुँच चुके है|ध्यातव्य है की साक्षरता के ये आंकड़े ७ वर्ष से ऊपर आयु वर्ग की जनसँख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं|
हम योजना दर योजना मूल्य आधारित,गुणवत्तापरक और सामूहिक शिक्षा की बात करते तो हैं किन्तु जब इन्हें अमली जामा पहनाने का वक्त आता है तो हम बजट की कमी का रोना रोने लगते हैं|राज्य, केन्द्र पर दोषारोपण करता है और केन्द्र सरकार राज्यों को दोषी ठहराने लगती है|वर्तमान में भारत शिक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का मात्र ४.१ फीसदी व्यय कर रहा है जो आगे बढ़ कर लगभग ६ फीसदी होने का अनुमान है|
सर्व शिक्षा अभियान केन्द्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जो शत प्रतिशत साक्षरता और शत प्रतिशत स्कूली शिक्षा के ध्येय को समर्पित है|सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत केन्द्र, राज्यों के प्राथमिक शिक्षा पर होने वाले समस्त व्यय का ६५ प्रतिशत स्वयं वहन करती है और शेष ३५ प्रतिशत व्यय राज्य सरकार वहन करती है|
विशिष्ट बी टी सी से पूर्व प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का सारा दारोमदार बी टी सी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों पर ही निर्भर था किन्तु योग्य अध्यापकों की अनुपलब्धता के चलते बी. एड. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी प्राथमिक शिक्षा के लिए अर्ह मानते हुए १९९८ से विशिष्ट बी टी सी की व्यवस्था अपनाई गयी|
नयी व्यवस्था होने के कारण इसका विरोध हुआ किन्तु तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की दृढता के चलते किसी की भी एक न चली और राज्य में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए|२००१ में विशिष्ट बी टी सी के आवेदन तो निकाले गए किन्तु तकनिकी बाधाओं के चलते नियुक्तियां नहीं हो पायी|२००४ और २००८ में पुनः विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से राज्य में प्राथमिक शिक्षकों का चयन किया गया|
चूंकि इस प्रक्रिया में चयन का आधार मात्र अकादमिक उपलब्धियां थी अतः अनेक मेधावी छात्र जिनकी अकादमिक उपलब्धि संतोषजनक थी,अध्यापक बनने की प्रक्रिया से बाहर हो गए|
दूसरी ओर,ऐसे अभ्यर्थी जिनके पास तकनिकी अथवा जुगाडू डिग्रियां थी, प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापक नियुक्त कर लिए गए|शिक्षा के क्षेत्र में फर्जीवाडा कोई नई बात नहीं है|किसी दूसरे के स्थान पर परीक्षा दे देना,डिग्रियों में हेर फेर,प्रश्न पत्र आउट करवा देना यहाँ तक की संसाधनों के नितांत अभाव के बावजूद उच्च शिक्षण संस्थान संचालित करने की मान्यता प्राप्त कर लेना सब कुछ चलता है|
जनता यह जानना चाहती है की उत्तर प्रदेश में नक़ल माफियाओं और शिक्षा माफियाओं की जड़े कितनी गहरी है और हाल ही में बोर्ड परीक्षाओं के दौरान प्रश्न पत्र लीक होने की घटनाओं को कितनी गंभीरता से लिया गया और उस पर अब तक क्या क्या कार्यवाहियां हुई हैं?
अभी हाल ही में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर बिंदा प्रसाद मिश्र ने अपनी हत्या की साजिश रचे जाने की आशंका व्यक्त की है|
कारण स्पष्ट है, कुलपति महोदय शिक्षा माफियाओं के राह में रोड़ा बने हुए है और प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों के अंकपत्रों तथा प्रमाण पत्रों के सत्यापन में अपना सहयोग दे रहे हैं|
इन्हीं सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और फर्जीवाड़े पर लगाम लगा कर योग्यता के वास्तविक पहचान के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित करने का निश्चय किया|
उत्तर प्रदेश में आयोजित टीईटी की परीक्षा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के मानकों के अनुरूप ही हुई थी और इस परीक्षा में पारदर्शिता तथा शुचिता बनाये रखे जाने का पूर्ण प्रबंध किया गया था|खेद का विषय है की राज्य सरकार द्वारा मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति टीईटी के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति के बिंदु तलाशने के स्थान पर इस प्रक्रिया को निरस्त किये जाने के बिंदु तलाशने में अपनी ऊर्जा अधिक व्यय कर रही है|
सोचने की बात तो यह है की ९० मिनट की सार्वभौमिक(टीईटी अभ्यर्थियों के लिए) समय सीमा के अंदर जो अभ्यर्थी ९० अंक (सामान्य वर्ग के लिए) भी नहीं ला सका, वह प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त होने का किस तरह का नैतिक आधार रखता है ?
और उसे प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त ही क्यों किया जाय जबकि वह निर्धारित समय सीमा के अंदर कक्षा ८ स्तर तक के प्रश्नों का भी समुचित उत्तर नहीं दे सका ?
अब यदि यह मान भी लिया जाय की माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में जो भी अंक बढ़ाये गए, उनमे धांधली हुई है तो इसका दोषी वह प्रतिभाशाली युवक कैसे है, जिसने स्वयं के बल परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त किये
और इस आधार पर वह प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त होने का नैतिक आधार रखता है?
आप नियुक्ति के पश्चात भी जांच करवा सकते हैं और आपका यह अधिकार संवैधानिक भी है
किन्तु यदि संजय मोहन को आधार बनाकर इस प्रक्रिया को निरस्त किया जाता है तो हमें यह कहना होगा उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का पौधा एक दरख्त बन चुका है क्योंकि मात्र राजनैतिक विद्वेष के चलते एक अच्छी व्यवस्था को लागू होने से पहले ही खत्म कर दिया गया|प्रधान,शिक्षा मित्र और बीएसए गठजोड़ हमारे प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा को पहले ही निगल चुका है|
साभार- bhadas.blogspot.in
LUCKNOW CHALO LUCKNOW CHALO
ReplyDelete28 KO LUCKNOW CHALO
LUCKNOW CHALO BHAI
DO OR DIE LUCKNOW CHALO BHAI
C.M.SE MILNA HAI
APNI BAAT KAHNA HAI
YADI NA MILA KOI THOS ASWASHAN
WAHIN SE SURU HOGA AMRAN ANSHAN
LUCKNOW SE DELHI TAK CHAHE CHALE LADAI
LUCKNOW CHALO LUCKNOW CHALO
LUCKNOW CHALO BHAI.
UPTET MORCHA NE YE AWAJ LAGAI
LUCKNOW CHALO LUCKNOW CHALO
LUCKNOW CHALO BHAI.
Dear friends,
ReplyDeletejaha tak mujhe jankari hai ,
ki is vacancy me lagbhag 18000-20000,'candidate aise hai jo overage ho rahe hai ya ho chuke hai,
to kum se kum mera unse nivedan hai ki wo log to ane liye is akhiri mouke ko bhuna le aur apne sath ho anyay ka muh tod jawab de.
Thanks
hello
ReplyDeletegood night
ReplyDeleteham jaroor ayenge
ReplyDeleteanybody online
ReplyDeleteham jaroor ayenge
ReplyDeleteham jaroor ayenge
ReplyDeleteham jaroor ayenge
ReplyDeleteham jaroor ayenge
ReplyDelete28 ko hum lucknow jaroor pahuchege.
ReplyDeletecm ko bhi lokayukt ke dayare men jaroor hona chahiye apne ko har koi bachana chahata hai.
ReplyDelete28 APRIL KO ADIK SE ADIK SANKYA ME LUCKNUW PAHUCHE AUR HAN JO LOG OVER AGE HO RAHE HAIN YA HONE WALE HAIN UNKA BAHUT JARURI HAI PAHUCHANA . SO PLEASE 28 KO LUCKNOW CHALO NAYE JOSH AUR NAYI UMANG KE SATH.
ReplyDeletekoe mughe btae plsssss
ReplyDeletePosting failed. You must register your name before you may post. To register, click the "profile" link.
where is PROFILE LINK??
I M NOT ABLE TO USE CHAT BOX.
KHA USER NAME AUR PSS DALNA HAI??
help me pls
::-----uttar pradesh govt. Pe bhi gangester ka aarop banta hai ::------
ReplyDeleteFriends,
jaise madhyamik siksha nidesshak ( sanjay mohan ) ke upar gang banakar dhan ugahi ke liye gangester ka aarop
Mada ja raha hai aur UP TET ko kathith tour pe badnam kar , Apni imandari se pass logo ka samaj me MAKHOUL banwaya ja raha hai, aur candidate ke sath-2 UNKE PARIVAR KA MANSHIK SHOSHAN KIYA JA RAHA HAI.
Same waisi hi condition up govt.(bhootpurva ya vartmaan/ both) Ne bhi dhan ugahi ke liye sochi samjhi sajish ke tahat dhan ugane ke liye UP ME PRT ke liye 72825 post ke liye 1 vigyapan nikala aur pahle ( 29:11:2011) 5 ditrict ke liye avedan mange.
Dhyan de :iske liye HC me appeal dali gayi ki ye niymao ke viprit hai . Aur govt. ne galti swikar karte huye pratyek dist. Me form mange .
1 dist. Ke liye 500 ka dd aniwary kiya gaya tha is hisab se.
Per candidate ne 500*4=2000.
Aur total candidate 272000*2000=54000000. Kamaye.
Lekin HC ka faisla ane ke baad candidates ne aur DD bhi banwa kar kai sare dist. Me avedan kar diya.
HC ke faisle ke bad govt. Ne vigyapan ko sanshodhit kiya aur kaha ki 1 hi DD ki photo copy laga kar bheje.
Baki 4 DD return karne ka GO baad me Pramukh samachar patron me diya jayega.
Aaj tak nahi diya.
(dhyan de ye pahle se nirdharit tha)
Fir ab HC me vigyapan ko jari karne sambandhi appeal dali gayi KAPIL DEV YADAV namak candidate ke madhyam se jo khud SP ka yuvaa Karykarta hai (22:12:2011) aur HC ne bharti process pe rok laga di .
Form submit karne ki date sanshodhit vigyapan ke anusar (09:01:2012) thi.
Dhyan de case file karne aur form submit karne ke madhy 17 din ka gap tha.
Ab jabki govt. Change ho chuki hai.
(dhyan de poorv nirdharit ) ye govt. Bhi apni galti man ke vigyapan ko aur process ko cancel karne sambhandhi bate kar rahi hai.
ab jabki dono govt. Apni galti swikar kar rahi hai .
Tab
Koun jawab dega.
Akhir hamari(candidate) kya galti hai
Agar ye apni galtiya swikar kar rahi hai. To un 17 dino ,me hamre form kyo accept kiye gaye?
Aur isse ikaththa huwa dhan kaha gaya.
One aam admi niymo ko kya jane .
Aapne hame jaise kaha usi shart ke anusar humne form submit kar diya.
Its mean its decided pre planning.
Regards,
Anand tiwari
Ab to bus sarkar ke saath aar ya paar ka rasta bacha hai so all tetiance lakhnow me 28 ko pahuncho
ReplyDeleteDOsto jha aap log is par dhyan de rhe hai wha court me bhi ladna bahut jaroori hain aur aap log 30 ki kya tyari hai ye bhi batane ka kast kare ...............!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteMr Karan,
ReplyDeleteChat Box mein Go ke neeche "Profile" par click karen,
Agar aap ka naam already kisee doosre user ne le liya hai to aap doosra naam chun karke, apne user/password bana sakte hain.
------------
Mera sabhee logo se anurodh hai kripya, profile name mein
".".","
":"
Dot, Comma, Colon ityadi na use karen
Apne Unique profile name chune.
Kyonki bahut se log doosre ka profile name chunne kee kosish karte the, aur unke naame se bhadde comment pass karte the.
Isleeye Unique name system adopt kiya gaya.
Ganesh Dixit > Uptet
ReplyDeletefriends, it is my request to
all the tetians who wants
selection on the basis of tet
merit please come to
lucknow on 28 april at
charbagh railway station at
8A.M because our selection
is totally depend on our
strength.
bus ab aur nahi lets go to sup.court wahi faisla hoga aisa pehle bhi kai bar ho chuka hai 2004 mai btc candidates court gaye aur faisla sarkar ke khilaf aur students ke haq me aaya akhilesh ji ko kewal apne chunwi wade ko pura karna hai jo unhone bina soche samjhe kiya tha ki tet nirast kar dege
ReplyDeleteTo all tetiens (Master Ji)
ReplyDeleteAgar aaj hum kahenge ki lucknow chale hum
Tabhi to kal kah sakenge ki school chale hum
Akhilesh ko ye article padhne ke liye do ya to uske wall pe paste karo.usko mail karo. Shayad buddhi khul jaye.
ReplyDeletedosto sabse pahle mai yah kahata hun ki hum log hi jat pat ko dekhkar vote karte hai aur yadi hum jat pat se upar uthkar aise candidates ko chune jo vastav me sewa bhav se rajniti me jana chahata hai tabhi hum usase umeed kar sakte hai ki wo janata ke hit me kam karega.agar hum dusto,choro ko chunege to wo apane bhare me hi sochege janta ke bhare me nahi.aap logo se apeel hai ki mcd ke chunav me aap aise logo ko chune jo janta ke hit me kam karne wale lage.
ReplyDeleteamran anshan karne se kuch nahi hoga allahabad university ke students ne jis tarah ka rasta apnaya hai usi prakar hume bhi apnana hoga tabhi jakar kuch hoga.amaran anshan wanha kiya jata hai janha tumhare marne se unko koi fark padta ho.tumhare marne se sarkar ko koi fark nahi padne wala hai isliye amaran anshan ki bat chodkar lucknow me ek din ke liye puri tarah se jam laga diya jaye.aur kisi ek sadak par jam lagne ki bajay lucknow me enter karne wale sabhi rasto par jam lagaya jaye taki police hum par koi karwahi na kar paye kyonki itne jagho par jam lagne se bahut sari olice force chahiye jo jam khulwa sake.logo ko paresani hogi tabhi hari bato ka samachar media me esthan milega.akhilesh badle ki rajniti kar raha hai 2014 me apne baap ko pm banane ki soch raha hai aap logo se nivedan hai ki aap log kisi lalach me aakar vote na kare sahi candidates ko hi chune jo janta ke hit ke liye kam kare.laptop, tablet aur bhatte ki lalach me fir mat aana.aap sabhi ne en sabke lalach me sarkar banwa dee aur sarkar banane ke bad ghosdaon me niyam kanoon lagakar aap logo ko isase vanchit kar diya.isliye aap logo se nivedan hai ki aap log sahi candidates ko hi 2014 me hone wahe chunav me chune.sabse badi baat sab log sochte hai ki mere lucknow na jane se kya fark padega.boond boond se hi ghda bharta hai isliye aap log adhik se adhik sankhya me lucknow chale tabhi hame safalta milegi.
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