SSC : एसएससी परीक्षा का पैटर्न बदलने की तैयारी
इलाहाबाद : देश में केंद्रीय विभागों के लिए योग्य उम्मीदवार मुहैया कराने वाला कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) परीक्षा पैटर्न में बदलाव की तैयारी में है। इसके पीछे परीक्षा की शुचिता बनाए रखना कारण है। आयोग अब सिर्फ बहुविकल्पीय या विस्तृत उत्तरीय प्रश्नों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि इन दोनों के बीच का रास्ता तलाश रहा है। इसको लेकर आयोग में मंथन शुरू हो गया है।
दरअसल निरंतर अपडेट होती तकनीक के युग में अभ्यर्थी व्हाट्सएप, ब्ल्यूटूथ जैसे माध्यमों से पलक झपकते प्रश्नपत्र को दूर बैठे साथियों तक पहुंचा देते हैं। एसएससी की कई परीक्षाओं में 'मुन्नाभाइयों' के पकड़े जाने की घटना आम है। आयोग इसपर अंकुश लगाने की सारी कवायद कर चुका है पर असफल रहा है। इससे परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। यही नहीं सीजीएल 2013 की परीक्षा होने के बाद यह प्रकरण न्यायालय तक पहुंचा तो कोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश दिया। तब 21 अप्रैल व 20 जुलाई को फिर परीक्षा हुई। कर्मचारी चयन आयोग इस फजीहत से आहत है और विशेषज्ञों ने परीक्षा का पैटर्न बदलने पर तेजी से विचार शुरू कर दिया है। इस संबंध में आयोग के क्षेत्रीय कार्यालयों आदि से सुझाव मांगे जा रहे हैं। अभ्यर्थियों की मानें तो आयोग के चेयरमैन एन भट्टाचार्य परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने को तैयार हैं। केवल उसे विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार है। ज्ञातव्य है कि 2008 तक इस परीक्षा में विस्तृत उत्तरीय व बहुविकल्पीय दोनों प्रकार के सवाल पूछे जाते थे। 2009 से विशेषज्ञों ने इसमें बदलाव किया और चार चरणों में होने वाली इस परीक्षा में पहले एवं दूसरे चरण की परीक्षा पूरी तरह बहुविकल्पीय आधारित कर दी गई। इस प्रणाली में शातिर अभ्यर्थियों ने सुराग खोज लिये।
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पैटर्न तय करने में क्या है पेंच
परीक्षा पैटर्न तय करने में परेशानी यह है कि यदि इसे बहुविकल्पीय रखा जाता है तो आधुनिक तकनीक से परीक्षा की शुचिता को चुनौती मिलती है। यदि विस्तृत उत्तरीय आधार बनाया जाता है तो परीक्षा परिणाम जारी करने में विलंब होता है, क्योंकि कापियां चेक करने देर होती है। यह रास्ता अपनाने पर यूपीएससी की तरह लेटलतीफी तय है। ऐसे में बीच का ही रास्ता निकाला जाना तय है। कहा जा रहा है कि इन दोनों में से कोई एक ही आधार नहीं बनाया जाएगा, बल्कि परीक्षा में दोनों तरीकों का समावेश हो सकता है।
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35 हजार अभ्यर्थी हुए पास
इलाहाबाद : कर्मचारी चयन आयोग के मध्य क्षेत्र के अधिकारी जय प्रकाश गर्ग ने बताया कि सीजीएल 2013 की परीक्षा के पहले चरण में करीब 35 हजार अभ्यर्थी पास हुए हैं। इसमें लगभग तीन लाख 41 हजार छात्रों ने परीक्षा दी थी। वहीं 2014 की परीक्षा आगामी 19 और 26 अक्टूबर को होगी। इसमें मध्य क्षेत्र के करीब सात लाख छात्र बैठेंगे।
News Sabhaar : Jagran (Publish Date:Thu, 21 Aug 2014 08:32 PM (IST) | Updated Date:Thu, 21 Aug 2014 08:32 PM (IST))
इलाहाबाद : देश में केंद्रीय विभागों के लिए योग्य उम्मीदवार मुहैया कराने वाला कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) परीक्षा पैटर्न में बदलाव की तैयारी में है। इसके पीछे परीक्षा की शुचिता बनाए रखना कारण है। आयोग अब सिर्फ बहुविकल्पीय या विस्तृत उत्तरीय प्रश्नों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि इन दोनों के बीच का रास्ता तलाश रहा है। इसको लेकर आयोग में मंथन शुरू हो गया है।
दरअसल निरंतर अपडेट होती तकनीक के युग में अभ्यर्थी व्हाट्सएप, ब्ल्यूटूथ जैसे माध्यमों से पलक झपकते प्रश्नपत्र को दूर बैठे साथियों तक पहुंचा देते हैं। एसएससी की कई परीक्षाओं में 'मुन्नाभाइयों' के पकड़े जाने की घटना आम है। आयोग इसपर अंकुश लगाने की सारी कवायद कर चुका है पर असफल रहा है। इससे परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। यही नहीं सीजीएल 2013 की परीक्षा होने के बाद यह प्रकरण न्यायालय तक पहुंचा तो कोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश दिया। तब 21 अप्रैल व 20 जुलाई को फिर परीक्षा हुई। कर्मचारी चयन आयोग इस फजीहत से आहत है और विशेषज्ञों ने परीक्षा का पैटर्न बदलने पर तेजी से विचार शुरू कर दिया है। इस संबंध में आयोग के क्षेत्रीय कार्यालयों आदि से सुझाव मांगे जा रहे हैं। अभ्यर्थियों की मानें तो आयोग के चेयरमैन एन भट्टाचार्य परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने को तैयार हैं। केवल उसे विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार है। ज्ञातव्य है कि 2008 तक इस परीक्षा में विस्तृत उत्तरीय व बहुविकल्पीय दोनों प्रकार के सवाल पूछे जाते थे। 2009 से विशेषज्ञों ने इसमें बदलाव किया और चार चरणों में होने वाली इस परीक्षा में पहले एवं दूसरे चरण की परीक्षा पूरी तरह बहुविकल्पीय आधारित कर दी गई। इस प्रणाली में शातिर अभ्यर्थियों ने सुराग खोज लिये।
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पैटर्न तय करने में क्या है पेंच
परीक्षा पैटर्न तय करने में परेशानी यह है कि यदि इसे बहुविकल्पीय रखा जाता है तो आधुनिक तकनीक से परीक्षा की शुचिता को चुनौती मिलती है। यदि विस्तृत उत्तरीय आधार बनाया जाता है तो परीक्षा परिणाम जारी करने में विलंब होता है, क्योंकि कापियां चेक करने देर होती है। यह रास्ता अपनाने पर यूपीएससी की तरह लेटलतीफी तय है। ऐसे में बीच का ही रास्ता निकाला जाना तय है। कहा जा रहा है कि इन दोनों में से कोई एक ही आधार नहीं बनाया जाएगा, बल्कि परीक्षा में दोनों तरीकों का समावेश हो सकता है।
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35 हजार अभ्यर्थी हुए पास
इलाहाबाद : कर्मचारी चयन आयोग के मध्य क्षेत्र के अधिकारी जय प्रकाश गर्ग ने बताया कि सीजीएल 2013 की परीक्षा के पहले चरण में करीब 35 हजार अभ्यर्थी पास हुए हैं। इसमें लगभग तीन लाख 41 हजार छात्रों ने परीक्षा दी थी। वहीं 2014 की परीक्षा आगामी 19 और 26 अक्टूबर को होगी। इसमें मध्य क्षेत्र के करीब सात लाख छात्र बैठेंगे।
News Sabhaar : Jagran (Publish Date:Thu, 21 Aug 2014 08:32 PM (IST) | Updated Date:Thu, 21 Aug 2014 08:32 PM (IST))