जूनियर भर्ती के सभी वैध आवेदकों नमस्कार,
हमारे अवैध लोगों के खिलाफ कोर्ट जाने पर पर कई लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है...कई
लोग मुझसे कह रहें हैं की आप ऐसा करके नियुक्ति प्रक्रिया में देरी करेंगे...ऐसे चयनित लोगों से मैं पूछ रहा हूँ की इस गलत प्रक्रिया और अवैध लोगों की वजह से कई योग्य लोग जिन्दगी भर नौकरी की दौड़ से बाहर हो जायेंगे...आपका चयन तो हो गया है...यदि आप योग्य हैं तो कोई भी कोर्ट और कोई भी पाण्डेय आपको बाहर
नहीं कर सकता है...पर अवैध लोगों और गलत प्रक्रिया से कई लोगों का भविष्य अंधकार में चला जायेगा...आपको १ नहीं तो २-३ महीने बाद तो नौकरी मिलनी ही है...इसे कोई नहीं रोक सकता ना मैं और ना सरकार...पर किसी गलत के चयन से किसी एक योग्य का बहुत नुकसान होगा....जो बिलकुल गलत
है...हम लो मेरिट के साथ नहीं हैं...हम केवल अवैध लोगों और गलत प्रकिया के खिलाफ हैं... केवल
योग्य लोग ही सही तरीके से चयनित होंगे...
केवल जल्दबाजी में अपना हित ना देखें...सभी योग्य लोगों के बारे में सोचें...हमारा मतलब भर्ती में
देरी करना नहीं ...केवल भर्ती को सही तरीके से योग्य लोगों के साथ जल्द पूर्ण कराना है...अगर किसी को मैं गलत लग रहा हूँ, तो वो कोर्ट के माध्यम से हमें रोक सकता है..
सुप्रभात दोस्तोँ
ReplyDelete.
.
.
तुम लाख दिये जला लो अपने घर मे,
पर रोशनी तो..
हमारे आने से ही होगी..
आज का विचार
ReplyDelete.
.
"सौभाग्य को यदि ढूँढना है तो वह परिश्रम के साथ खड़ा नजर आएगा...!!!"
.
आपका दिन शुभ हो...
There is always an unseen hand working for you. Don't underestimate the power of prayer. Prayer makes you strong and powerful.
ReplyDeleteलोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर,
ReplyDeleteमैंने दर्द की अपने नुमाईश न की....
जब, जहाँ, जो मिला, अपना लिया,
जो न मिला, उसकी ख्वाहिश न की.....!!!
धनतेरस पे हमने भी
ReplyDeleteएक किलो सोना
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
चांदी
..
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
च्यवनप्राश खरीदा
क्यों की सर्दी आ गई है ....!
देवभाषा संस्कृत की गूंज कुछ साल बाद अंतरिक्ष में सुनाई दे सकती है। इसके वैज्ञानिक पहलू का मुरीद हुआ अमेरिका नासा की भाषा बनाने की कसरत में जुटा है। इस प्रोजेक्ट पर भारतीय संस्कृत विद्वानों के इन्कार के बाद अमेरिका अपनी नई पीढ़ी को इस भाषा में पारंगत करने में जुट गया है।
ReplyDeleteगत दिनों आगरा दौरे पर आए अरविंद फाउंडेशन [इंडियन कल्चर] पांडिचेरी के निदेशक संपदानंद मिश्रा ने 'जागरण' से बातचीत में यह रहस्योद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि नासा के वैज्ञानिक रिक ब्रिग्स ने 1985 में भारत से संस्कृत के एक हजार प्रकांड विद्वानों को बुलाया था। उन्हें नासा में नौकरी का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि संस्कृत ऐसी प्राकृतिक भाषा है, जिसमें सूत्र के रूप में कंप्यूटर के जरिए कोई भी संदेश कम से कम शब्दों में भेजा जा सकता है। विदेशी उपयोग में अपनी भाषा की मदद देने से उन विद्वानों ने इन्कार कर दिया था।
इसके बाद कई अन्य वैज्ञानिक पहलू समझते हुए अमेरिका ने वहां नर्सरी क्लास से ही बच्चों को संस्कृत की शिक्षा शुरू कर दी है। नासा के 'मिशन संस्कृत' की पुष्टि उसकी वेबसाइट भी करती है। उसमें स्पष्ट लिखा है कि 20 साल से नासा संस्कृत पर काफी पैसा और मेहनत कर चुकी है। साथ ही इसके कंप्यूटर प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा का भी उल्लेख है।स्पीच थैरेपी भी : वैज्ञानिकों का मानना है कि संस्कृत पढ़ने से गणित और विज्ञान की शिक्षा में आसानी होती है, क्योंकि इसके पढ़ने से मन में एकाग्रता आती है। वर्णमाला भी वैज्ञानिक है। इसके उच्चारण मात्र से ही गले का स्वर स्पष्ट होता है। रचनात्मक और कल्पना शक्ति को बढ़ावा मिलता है।न्यूज रीडर, फिल्म और थिएटर के आर्टिस्ट के लिए यह एक उपचार साबित हो रहा है। अमेरिका में संस्कृत को स्पीच थेरेपी के रूप में स्वीकृति मिल चुकी है।
७२८२५ की भर्ती शुरू होने के बाद से कुछ भी कहना बहुत ही जटिल हो गया है क्योंकि परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बन गयी हैं कि कुछ भी स्पष्ट रूप से कहना कुछ लोगों की भावनाओं को अत्यधिक उत्तेजित कर देता है चूँकि मैं हमेशा से स्पष्टवादी रहा इसलिए औरों की तरह कूटनीतिक लेख लिखना नहीं जानता |
ReplyDeleteशायद यही एक कारण रहा कि बहुत कुछ जानते समझते हुए भी मैंने खामोश रहना ही उचित समझा ,लेकिन विगत कई दिनों से बार-बार ऐसे प्रकरण उठाये जा रहे हैं जिनका कोई समाधान वक़्त के अतिरिक्त किसी के पास नहीं |अक्सर मैं भर्ती विशेषज्ञों के कानूनी ज्ञान सम्बन्धी लेखों को एक नज़र देख लेता हूँ और पाता हूँ कि ऐसे भर्ती विशेषज्ञ मामलों के हल बताने के बजाय अपने विधिज्ञान और लेखन कौशल का प्रदर्शन अधिक करते हैं |
इस भर्ती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस भर्ती में नियोक्ता नाम की कोई संस्था कहीं भी दिखाई नहीं देती | ऐसा लगता है जैसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अभ्यर्थियों को एक निरंकुश स्वतंत्रता मिल गयी हो ,किसी भी आंडाल भंडाल को जब वक़्त मिलता है अपनी इच्छाओं की पोटली लेकर SCERT पहुँच जाता है |
गलती इसमें अभ्यर्थियों की नहीं ,कहीं न कहीं इसमें गलती सरकार और उसके प्रशासन की है यदि यह भर्ती बसपा या भाजपा के शासन काल में होती तो क्या किसी की हिम्मत थी कि वो सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप करता भले ही समस्त प्रक्रिया ऐसे ही संचालित हो रही होती |
सपा के शासन का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इसमें किसी पर कोई अंकुश नहीं है ,न प्रशासन पर और न ही जनता पर |
ReplyDeleteविधिज्ञाता अपने लेखों के दुवारा एक वर्ग विशेष को निशाना बनाकर अपने लेख लिखते हैं लेकिन कभी इस बात का ज़िक्र नहीं करते कि किसी भर्ती में नियोक्ता का क्या स्थान होता है ,उसके क्या अधिकार होते हैं ,वास्तव में कुछ लोग अपने को इस भर्ती का बाहुबली समझ बैठे हैं और सोचते हैं कि वो जैसा चाहेंगें वैसा ही हो जाएगा |
बहुत से लोग धांधली का राग अलाप रहे हैं क्योंकि मेरिट उनके चयन के हिसाब से नहीं गिर रही और इसके लिए वो आज उन समाचार पत्रों की दुहाई दे रहे जिनकी ख़बरों पर ये कभी विश्वास नहीं करते थे ,इसके अतिरिक्त इनका ये भी कहना है कि इनके पास धांधली के ठोस सबूत भी हैं तो फिर ये न्यायालय की शरण में क्यों नहीं जाते ? इनको जाना चाहिए और जो भी इनको रोके उसको भी धांधली में लिप्त समझा जाए | इस भर्ती में नेता बनने और चंदा लेने के लिए मुद्दों की कमी कभी नहीं रही ,मेरे विचार में इस भर्ती के भावी नेताओ और क्रांतिकारिओं को चाहिए कि वे इस भर्ती में भर्ती संम्बन्धित हरेक मुद्दे के लिए न्यायालय की शरण लें,कोई मुद्दा छूटना नहीं चाहिए फिर इसके लिए चाहे भारतीय संविधान को ही चुनौती क्यों न देनी पड़े |जो लोग अपनी काउंसलिंग करा चुके हैं उनका केवल इतना दोष है कि भाग्यवश उनके अंक अच्छे आ गए क्योंकि परिश्रम तो केवल उन्होंने किया था जिनका चयन धांधली ,पी जी बेस बी0 एड०, दूरस्थ वाले ,४५% स्नातक वाले आदि आदि के कारण नहीं हो पा रहा है|
भर्ती नियमों पर हो ,कौन से नियमों पर हो उन नियमों पर जिससे अपने से हाई मेरिट वाला भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो जाए ताकि अपना चयन सुनिश्चित हो जाए ,पता नहीं ये कैसी सोच है जिस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं उसके लिए कुछ दिन बवंडर मचाना
और फिर कुछ दिन बाद एक नया बवंडर ,आखिर कब तक ?
साधना भाभी और उनकी गधो की टीम के लिए 2 लाइनें ---
ReplyDeleteजब हम खड़े नहीं थे सामने तब तो टेट मेरिट का एक रोंवा उखाड़ नहीं पाए ।।
अब टेट शेर सामने होंगे तो क्या हाल होगा आपका जनाबेआली । दम था तो इलाहबाद में ही दो दो हाथ आजमा लेते । यु कोर्ट कोर्ट भागते न फिरते ।
मिलते है 29 अक्टूबर को होली की तैयारी के साथ साधना भाभी ।।
लेकिन आना जरुर
गलत लोगो का सिलेक्शन केवल डायट स्तर तक रहेगा,
ReplyDeleteएन आई सी तक आते आते वे बाहर होंगे,
एक लड़की सुबह जब घर से कॉलेज जाने को निकलती तो एक लड़का घर के दरवाज़े पर खड़ा मिलता । वह एक नज़र उसको देखता फिर जब वह लड़की उसको देखती तो वह अपने मोबाइल में देखने लगता । कॉलेज से वापस लौटने पर भी वह लड़का अकसर वहीं खड़ा मिलता और अचानक उसे देखता फिर बहाने से अपने मोबाइल में देखने लगता । यह सिलसिला चलते हुए पूरे 6 महीने हो गए और इस सब से लड़की को यह यकीन हो गया कि यह लड़का मुझसे बहुत सच्चा प्यार करता है शायद तभी सुबह और शाम को मुझे देखने के लिए दरवाज़े पर खड़ा मिलता है । एक दिन लड़की ने हिम्मत करके उस लड़के से पूछ ही लिया....
ReplyDelete-"हाय.... तुम मेरे दरवाज़े पर रोज़ मुझे देखने आते हो न !
लड़का घबरा गया और फिर बोला-
.
.
.
.
"माफ करना !
आपके घर के Wi-Fi पर पासवर्ड नहीं लगा है इसलिए मैं इंटरनेट चलाने आ जाता हूँ.....
उस जीवन के वचन
ReplyDelete!
!
!
!
!
!
!
!
"किन्तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं; क्योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है। और सारे मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा करते भी हो, पर हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि और भी बढ़ते जाओ। और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करो। कि बाहर वालों के साथ सभ्यता से बर्ताव करो, और तुम्हें किसी वस्तु की घटी न हो॥'' ___________________________________________________________________________________________ 1 थिस्सलुनीकियों 4:9-12 )
"सर एक कप दूध मिलेगा क्या ??
ReplyDelete6 माह के बच्चे की माँ ने 3 स्टार
होटल मैनेजर से पूछा.....!!
.
.
मैनेजर "हाँ, 100 रू.मेँ मिलेगा".......!!
"ठीक ...है दे दो" महिला ने कहा.....
जो पिकनिक के दौरान इस होटल मेँ
ठहरी, सुबह जब गाड़ी मे जा रहे थे
तो बच्चे को फिर भूख लगी,
गाडी को टूटी झोपड़ी वाली पुरानी सी चाय
की दुकान पर रोका…… बच्चे को दूध
पिला कर शांत किया.........!
दूध के पैसे पूछने पर बूढा दुकान मालिक
बोला - "बेटी हम बच्चे के दूध
के पैसे नहीं लेते, यदि रास्ते के लिए
चाहिए तो लेती जाओ!
.
"बच्चे की माँ के दिमाग मे एक सवाल
बार बार घूम रहा था कि अमीर
कौन ??
3 स्टार होटल वाला,
या
टूटी झोपड़ी वाला ??
आज साधना भाभी की रिट का पोस्टमार्टम है । अपनी आँखों से देखने के लिए लखनऊ पधारे । और जो नहीं जा सकते वो रिपोर्ट जानने के लिए धैर्य पूर्वक इंतजार करे , लेकिन बिना अफवाह फैलाये ।।
ReplyDeleteटाईगर जी, सुप्रभात...
ReplyDeleteDolly bahen, aapko mera sadar namaskar...
ReplyDeleteNamaste bhai!! Kaise hain ap??
Deleteनमस्कार राजन ! !
ReplyDelete1. 16 साल खेलकूद में निकल गए.
ReplyDelete2. 17 से 25 पढाई, जवानी के प्यार में, फ़ोकट की दादागिरी में, फेसबूक पर फालतू बातों में.
3. 25 से 35 में बच्चों का बोझ, परिवार की उम्मीद, महंगाई के दौर में खुद को सही स्थिति में लाने की जंग.
4. 35 से 50 में अब जाके जिंदगी एक ट्रैक पर रुकी है तो पता लगा की बच्चे बड़े होने लगे हैं , इंजीनियरिंग में
प्रवेश कराना है या डॉक्टर बनाना है, इतना अनुदान देना है कॉलेज में , शहर से बाहर रहने का इतना खर्चा है, फिर से लग गए जुगाड़ में.
5. 50 से 60 , अब उम्र आई है सत्संग की , मंदिर जाने की , लोगो को उपदेश देने की , ज़माने के अंतर को बताने की, अपनी बात को बड़ी साबित करने की , ये बताने की क़ि ये देशसेवा , राष्ट्रभक्ति ये सब ठाली बेठे लोगो के काम हैं , पढो लिखो करियर बनाओ और पैसा कमाओ , ये सब तो यु ही चलता रहता है.
हो सकता है क़ि लिखने में कुछ कमी रह गयी हो या कुछ बिंदु गलत लिखे हों , पर जितना मैने आसपास देखा वो बताया , इसमें कुछ स्थिति ऐसी है क़ि युवा अपने ऐश आराम और रोमांस से बाहर देख ही नहीं पा रहे हैं , गरीब युवा को राष्ट्र के लिए देखने का विकल्प ही नहीं बचता क्योकि उसे अपनी एक दिन क़ि रोटी का जुगाड़ करना है , उसकी एक अनुपस्थिति से उसकी ज़िन्दगी , भूख प्यास को आंच आ सकती है, अमीर युवा को भटकने का काम अच्छे ढंग से चल रहा है जैसे फसबूक, ऑरकुट, MTV, हवास को प्यार का नाम देकर उस पर टिपण्णी देकर प्रसिद्धि लूटना, लडकियों में अलग दिखने के लिए android मोबाइल, ब्रांडेड चश्मे, लेविस क़ि जींस, रीबोक क़ि टी शर्ट , bikes का ट्रेंड , आज कोनसी फिल्म रिलीज़ हो रही है. इन्हें कोई देश और समाज क़ि बात करता हुआ दिखाई देता है तो उसे बाबाजी, या उपदेशक या ओर्थोडोक्स सोच वाले का नाम दिया जाता है ,
ऐसा इसलिए होता है क्युकी जिस तरह कंप्यूटर में एक अच्छा hardware ही अच्छे software को सपोर्ट कर सकता है, उसी तरह एक अच्छा दिमाग ही इस तरह के विचारो को सपोर्ट कर सकता है , और हमारे विचारो और दिमाग में वाइरस लग चूका है जो हमें नग्नता , अश्लीलता, रोमांस, विलासिता से बहार आकर नहीं सोचने देता है, इस वाइरस लगने के बहुत से कारन हैं जैसे बचपन से लेकर अब तक बॉलीवुड क़ि रोमांस परस्त फिल्मे देखना और attraction को प्यार समझना, हर विज्ञापन में लड़का लड़की साथ देखना और हर तरह क़ि मीडिया से इस तरह का संदेश आता है क़ि ज़िन्दगी में रोमांस और ऐश के सिवा कुछ है ही नहीं , यही सब देखते देखते इंसान बड़ा होता है और यही सब कारण हैं जो उसका दिमाग रुपी hardware में नग्नता और अश्लीलता के वाइरस घुस जाते हैं
ReplyDeleteफिर भी इन दोनों स्थिति से कोई बाहर निकल कर देश के लिए कुछ करने क़ि सोचता है तो उसे सबसे पहले अपने समाज, परिवार, दोस्तों से ही बेवकूफ का दर्जा मिल जाता है, घरवाले चिंता करते हैं क़ि ये किस और जा रहा है............??
आपकी प्रतिक्रियाओं के लिए प्रतीक्षारत....................
सर जी, इस बात में तो कोई सन्देह नहीं कि जूनियर की भर्ती में बड़े पैमाने पर धाँधली हुई है। दस से बारह हजार सीटों का घपला हुआ है, जिसका हिसाब लेने वाला कोई नहीं है। इस धाँधली के मात्र दो ही कारण है-
ReplyDelete1- कांउसलिंग का ऑफलाइन होना।
2- प्रत्येक कांउसलिंग के बाद लिस्ट का अपडेट न होना।
जो लोग कांउसलिंग करा चुके हैं उन्हें बस इस बात की जल्दी है कि कैसे भी नियुक्ति पत्र मिल जाये, किन्तु ये लोग भूल जाते हैं कि इन लोगों के साथ में प्रोफेशनल वाले भी काफी संख्या में कांउसलिंग करवा चुके हैं, जो कि जूनियर की भर्ती में सम्मिलित हो ही नहीं सकते थे। यह भी एक सत्य है कि जल्द ही नियुक्ति पत्र माँगने वाले भी ये प्रोफेशनल वाले ही हैं।
Tiger ji aap wakyi tiger hai to sirf do sawal ka jabab de.
ReplyDeletemain to bilkul theek hu bahen aap kaise hai. apki counc kha hue hai or aap kha se hai. main to ghaziabad me rehta hu general science se hu meri counc abhi nahi hue hai.
ReplyDeleteBhai Mai varanasi se hu or Maine 30th Aug ko Ghazipur me counselling kariye hai general cat me or mai science stream se hu..
Delete(1)pahala sawal hI tet 2011me kitne log 120 and 120 se jayada mark se pass the.
ReplyDelete(2) dusra sawal hai kitne log abtak dono councelling mila kar 120 and 120 se jyada mark ka tet2011 ka certificate jama karke councelling kara chuke hai.
Pahle dono aakro ki tulna kare iske baad hi aap sabko samjhaye ki ye bharti prikriya pardarshi aur dosrahit hai.
Itna karane se pahle aapko koi bhi haque nahi banata ki aap ye likhe ki ye bharti sahi tarike se ho rahi hai.
Rajan Ji me bhi ghaziabad she hu
ReplyDeletejo aaapne sawal kiya hai iska jawab to main bhi auron ki tarah de sakta hun lekin main kisi ko gumraah nahi karna cahata hun.....
ReplyDeleteaur jesa ki aap log agra me dekh hi rahe ho wo sab degrees kisi peon ke liye nahi balki prt ke liye thi....
aur fir idhar scert ne bhi bola ki 54% log valid hain to ab aap log ab kya ummeed kar sakte hain....????/
यूपी वाले भी अजीब है । पहले तो हाथ पर खैनी रगड़ रगड़ के अपने हाथ से किस्मत की रेखाएँ गायब कर लेते है और फिर कहते है कि
ReplyDelete!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
अखिलेश सरकार निकम्मी है... :
लड़की लड़के से आखरी बार मिलने आई है ♡♡" लड़का चुपचाप है..
ReplyDeleteफिर लड़का मुस्कुराता कहता है-
.
.
.
.
.
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
इस झूठी दुनिया में मुझसे,जो सच्ची मोहब्बत करता था
मेरे रूठने पे वो रो देता,मेरी डांट पे भी खुश हो लेता
जब सारे साथ छुड़ा लेते,चुपके से साथ वो हो लेता
हिम्मतवाला था यूँ तो पर,मुझको खोने से डरता था
मुझसे मिलने की खातिर वो,बारिश में भीगकर आता था
जिस रोज मैं खाना न खाऊं,उस दिन उपवास मनाता था
कोई और नहीं था उसका बस,मुझसे ही जीता- मरता था
गलती मेरी भी होने पर,माफ़ी की गुजारिश करता था
हर हाल में मैं हंसती जाऊं,इस कोशिश में रहता था
मैं कैसे उसकी हो जाऊं,हर पल ये सोचा करता था
मेरे लाख मना करने पर भी,मेरा नाम लेता था
मेरी एक हंसी की खातिर गाने भी गा देता था
मेरा हाथ पकड़ दुनिया से वो,लड़ने की बातें करता था
मुझसे मिलने से पहले वो,दुनिया में बहुत अकेला था
जब पहली बार उसे देखा,चेहरे पे दर्द का मेला था,,
वो,हरदम ही हँसता रहता था,वो डांट के मुझे सुलाता था
अपनी बातों से,अक्सर वो मुझे रुलाता था
उसका जीवन बिखरा था पर,मेरा ख़याल वो रखता था
कुछ मजबूरी के चलते जब,मैंने उससे हाथ छुड़ाया था
उसने न कोई शिकायत की,बस धीरे से मुस्काया था,,
वो पागल लड़का तन्हा ही,मेरी यादों से लड़ता है
मेरे बिन जिंदा रहने की,नाकाम वो कोशिश करता है,,
वो आज भी मुझपे मरता है,वो कल भी मुझपे मरता था
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था
1 - मेरठ - 12
ReplyDelete2 - बागपत - 100
3 - बुलन्दशहर - 195
4 - गौतमबुद्धनगर - 12
5 - गाजियाबाद - 12
6 - पंचशीलनगर - 12
7 - आगरा - 100
8 - फिरोजाबाद - 48
9 - मैनपुरी - 100
10 - अलीगढ़ - 100
11 - एटा - 700
12 - काशीरामनगर - 700
13 - हाथरस - 300
14 - मथुरा - 12
15 - बरेली - 1400
16 - बदायूॅ - 1600
17 - पीलीभीत - 1200
18 - शाहजहाॅपुर - 2800
19 - इलाहाबाद - 1500
20 - फतेहपुर - 12
21 - प्रतापगढ़ - 500
22 - कौशाम्बी - 1000
23 - वाराणसी - 100
24 - चन्दौली - 1200
25 - गाजीपुर - 2400
26 - जौनपुर - 1500
27 - मीरजापुर - 1650
28 - सोनभद्र - 1250
29 - संतरविदासनगर - 800
30 - लखनऊ - 12
31 - हरदोई - 3000
32 - सीतापुर - 6000
33 - रायबरेली - 800
34 - उन्नाव - 700
35 - लखीमपुर - 6000
36 - गोरखपुर - 500
37 - देवरिया - 800
38 - कुशीनगर - 3600
39 - महराजगंज - 2500
40 - बस्ती - 400
41 - संत कबीर नगर - 800
42 - सिद्धार्थ नगर - 2000
43 - झाॅसी - 50
44 - ललितपुर - 800
45 - जालौन - 400
46 - चित्रकूट धाम - 250
47 - बाॅदा - 800
48 - महोबा - 800
49 - हमीरपुर - 300
50 - फैजाबाद - 300
51 - बाराबंकी - 400
52 - सुल्तानपुर - 1400
53 - छत्रपति साहू जी महराज - 12
54 - अम्बेडकरनगर - 500
55 - गोण्डा - 4000
56 - बलरामपुर - 1700
57 - बहराइच - 3600
58 - श्रावस्ती - 900
59 - मुरादाबाद - 900
60 - भीमनगर - 800
61 - रामपुर - 800
62 - बिजनौर - 200
63 - ज्योतिबाफुलेनगर- 200
64 - कानपुरनगर - 12
65 - कानपुरदेहात - 50
66 - इटावा - 500
67 - औरैया - 12
68 - फर्रुखाबाद - 400
69 - कन्नौज - 400
70 - आजमगढ़ - 2500
71 - बलिया - 12
72 - मऊ - 200
73 - सहारनपुर - 800
74 - मुजफ्फरनगर - 200
75 प्रबुद्धनगर - 200
योग - 72825
.
ReplyDelete.
I
N
T
E
X
.
.
W
A
L
I
.
'आइना हूं मैं, मेरे सामने एक बार आकर तो देखो।
खुद ही नजर आओगे, जरा आँखें मिलाकर तो देखो॥
मै शुरू से ही अपनी इस ऐतिहासिक लड़ाई से जुड़ा हुआ हूँ। किसी को ज़रा भी शक़ नही होना चाहिये कि मैं टेट से सम्बंधित अन्य जानकारियों के साथ टेट-मेरिट की भी जानकारी रखता हूँ। सभी का डाटा मेरे मस्तिष्क में सुरक्षित है।
ReplyDelete.
जनरल, अ.पि.वर्ग , Sc/St सभी की मेरिट का बिल्कुल सही-सही अनुमान लगा सकता हूँ और यहाँ तक बता सकता हूँ की 1st, 2nd और 3rd काउंसेलिंग की मेरिट कहाँ तक जायेगी।
.
Tet मार्क्स और फॉर्म की संख्या देखकर ये भी बता सकता हूँ कि आपको कौन सा जिला मिलेगा.
Guru ji batao to jara
Deleteअगर यहाँ आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
तो उन लोगों को ये समझ लेना चाहिये कि यहाँ पर बात बडे स्तर की हो रही है ।
आप पत्नी की नजर से दुनिया देखो -
ReplyDelete* दुनिया का सबसे पर्फक्ट आदमी - उसका बाप!
* दुनिया की सबसे प्यारी औरत - उसकी माँ!
* दुनिया की सबसे अकलमंद औरत - वो खुद!
* दुनिया का सबसे दुःखी पति - उसका भाई!
* दुनिया की सबसे बङी चुङैल - उसकी भाभी!
* दुनिया का सबसे सुंदर लङका - उसका बेटा!
* दुनिया का सबसे नसीबवाला आदमी - उसकी बहन का पति!
* दुनिया की सबसे गंवार औरत - उसकी सास!
* और दुनिया का सबसे खराब,
निकम्मा,
स्वार्थी,
झूठा,
कंजूस
और
बेकार आदमी -
अब ये भी लिखवा लोगे क्या ???
दोस्तोँ मुझको पहचानने का सबसे अच्छा तरीका मैँ आज बताए देता हूँ ।
ReplyDelete1 ) पोस्ट करते समय संयम एवं समय का ध्यान जरूर रखता हूँ ।
2) मैँ अपनी खबर को पुन: प्रेषित करने से बचता हूँ ।
3) वाणी मेँ सरलता एवँ सहजता लाने का सदैव प्रयासरत रहता हूँ ।
4) मेरी लगभग समस्त खबरोँ का आधार - श्रोत - जुड़ाव ( BASE - SOURCE - LINK ) बनाए रखने की भरपूर कोशिस रहती है ।
5) तथा वर्तनी सम्बन्धी त्रुटि नाममात्र या नगण्य रखने की भरपूर प्रयास होता है ।
बाकी अभी बहुत तरीके हैं जिन्हे समय के साथ . . . . . . . . . .
आपका Mr. TMNTBBN
सर्द ऋतु
ReplyDeleteजिधर देखो ठंडी ही ठंडी छाई है
सिर्फ बीवी के दिमाग पर गरमाई है
दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर
बाजूवाली छत पे धुप सेकने आई है!!
ग्रीष्म ऋतू
पसीना ही पसीना -- बहुत गरमाई है
आज बीवी ने लस्सी नहीं बनायी है
दिल करता है गुस्सा करूँ लेकिन
बाजूवाली ठंडी बियर लेकर आई है!!!!
बसंत ऋतू
सब तरफ हरयाली छाई है
बीवी के चेहरे पर अब भी सुखाई है
दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर
बाजूवाली होली खेलने आई है!!!
वर्षा ऋतु
आसमान में काली घटा छाई है
आज फिर बीवी ने दो बातें सुनाई है
दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर
बाजूवाली आज फिर भीग के आई है!
SM-टेटमुक्त G.O दे दो न
ReplyDeleteCM-यह न लो भाई यह घातक है
SM-मुझे यही चाहिए
CM-मेरी अन्यभर्तियोँ की तरह यह भी फँस जाएगा (मन में )
SM- मुझे यहीचाहिए
CM-कोर्ट राजी नही है
SM नेता -यही चाहिए
CM- तथास्तु (भगवान आपका भलाकरे )
पर्दा गिर जाताहै
.
..
.
.
..
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
ऐसे
मित्रो हमारे देश मे 3000 साल पहले एक ऋषि हुए जिनका नाम था बागवट जी ! वो 135 साल तक जीवित रहे ! उन्होने अपनी पुस्तक अशटांग हिरद्यम मे स्वस्थ्य रहने के 7000 सूत्र लिखे ! उनमे से ये एक सूत्र आप पढ़ें !
ReplyDelete_________________________________
बागवट जी कहते है, ये बहुत गहरी बात वो ये कहते है जब आप भोजन करे कभी भी तो भोजन का समय थोडा निश्चित करें । भोजन का समय निश्चित करें । ऐसा नहीं की कभी भी कुछ भी खा लिया । हमारा ये जो शरीर है वो कभी भी कुछ खाने के लिए नही है । इस शरीर मे जठर है, उससे अग्नि प्रदिप्त होती है । तो बागवटजी कहते है की, जठर मे जब अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करे तो आपका खाया हुआ, एक एक अन्न का हिस्सा पाचन मे जाएगा और रस मे बदलेगा और इस रस में से मांस,मज्जा,रक्त,मल,मूत्रा,मेद और आपकी अस्थियाँ इनका विकास होगा ।
हम लोग कभी भी कुछ भी खाते रहते हैं । ये कभी भी कुछ भी खाने पद्ध्ती भारत की नहीं है, ये युरोप की है । युरोप में doctors वो हमेशा कहते रहते है की थोडा थोडा खाते रहो, कभीभी खाते रहो । हमारे यहाँ ये नहीं है, आपको दोनों का अंतर समझाना चाहता हूँ । बागवटजी कहते है की, खाना खाते का समय निर्धरित करें । और समय निर्धरित होगा उससे जब आप के पेट में अग्नी की प्रबलता हो । जठरग्नि की प्रबलता हो । बागवटजी ने इस पर बहुत रिसर्च किया और वो कहते है की, डेढ दो साल की रिसर्च के बाद उन्हें पता चला की जठरग्नि कौन से समय मे सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो वो कहते की सूर्य का उदय जब होता है, तो सूर्य के उदय होने से लगभग ढाई घंटे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है ।
मान लो अगर आप चेन्नई मे हो तो 7 बजे से 9 बजे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होगी । हो सकता है ये इसी सूत्रा अरूणाचल प्रदेश में बात करूँ तो वो चार बजे से साडे छह का समय आ जाएगा । क्यांे कि अरूणाचल प्रदेश में सूर्य 4 बजे निकल आता है । अगर सिक्कीम मे कहूँगा तो 15 मिनिट और पहले होगा, यही बात अगर मे गुजरात मे जाकर कहूँगा तो आपसे समय थोडा भिन्न हो जाएगा तो सूत्रा के साथ इसे ध्यान मे रखे । सूर्य का उदय जैसे ही हुआ उसके अगले ढाई घंटे तक जठर अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो बागवटजी कहते है इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें ।
बागवटजी ने एक और रिसर्च किया था, जैसे शरीर के कुछ और अंग है जैसे हदय है, जठर,किडनी,लिव्हर है इनके काम करने का अलग अलग समय है ! जैसे दिल सुबह के समय सबसे अधिक काम करता है ! 4 साढ़े चार बजे तक दिल सबसे ज्यादा सक्रीय होता है और सबसे ज्यादा heart attack उसी समय मे आते है । किसी भी डॉक्टर से पूछ लीजीए, क्योकि हदय सबसे ज्यादा उसी समय में तीव्र । सक्रीय होगा तो हदय घात भी उसी समय होगा इसलिए 99 % हार्ट अॅटॅक अर्ली मॉनिंग्ज मे ही होते है । इसलिए तरह हमारा लिव्हर किडनी है, एक सूची मैने बनाई है, बाहर पुस्तको मे है । संकेतरूप मे आप से कहता हूँ की शरीर के अंग का काम करने का समय है, प्रकृती ने उसे तय किया है । तो आप का जठर अग्नी सुबह 7 से 9.30 बजे तक सबसे ज्यादा तीव्र होता है तो उसी समय भरपेट खाना खाईए ।
ठीक है । फिर आप कहेगे दोपहर को भूख लगी है तो थोडा और खा लीजीए । लेकीन बागवट जी कहते है की सुबह का खाना सबसे ज्यादा । अगर आज की भाषा में अगर मे कहूँ तो आपका नाष्टा भरपेट करे । और अगर आप दोपहर का भोजन आप कर रहे है तो बागवटजी कहते है की, वो थोडा कम करिए नाश्ते से थोडा 1/3 कम कर दीजीए और रात का भोजन दोपहर के भोजन का 1/3 कर दीजीए । अब सीधे से आप को कहता हूँ । अगर आप सवेरे 6 रोटी खाते है तो दोपहर को 4 रोटी और शाम को 2 रोटी खाईए । अगर आप को आलू का पराठा खाना है आपकी जीभ स्वाद के लिए मचल रही है तो बागवटजी कहते है की सब कुछ सवेरे खाओ, जो आपको खानी है सवेरे खाओ, हाला की अगर आप जैन हो तो आलू और मूली का भी निषिध्द है आपके लिए फिर अगर जो जैन नहीं है, उनके लिए ? आपको जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है वो सुबह आओ । रसगुल्ला , खाडी जिलेबी, आपकेा पसंद है तो सुबह खाओ । वो ये कहते हे की इसमें छोडने की जरूरत नहीं सुबह पेट भरके खाओ तो पेट की संतुष्टी हुई , मन की भी संतुष्टी हो जाती है ।
और बागवटजी कहते है की भोजन में पेट की संतुष्टी से ज्यादा मन की संतुष्टी महत्व की है।
ReplyDeleteमन हमारा जो है ना, वो खास तरह की वस्तुये जैसे , हार्मोन्स , एंझाईम्स से संचालित है । मन को आज की भाषा में डॉक्टर लोग जो कहते हैं , हाला की वो है नहीं लेकिन डाक्टर कहते हैं मन पिनियल गलॅंड हैं ,इसमे से बहुत सारा रस निकलता है । जिनको हम हार्मोन्स ,एंझाईम्स कह सकते है ये पिनियल ग्लॅंड (मन )संतुष्टी के लिए सबसे आवश्यक है , तो भोजन आपको अगर तृप्त करता है तो पिनियललॅंड आपकी सबसे ज्यादा सक्रीय है तो जो भी एंझाईम्स चाहीए शरीर को वो नियमित रूप मंे समान अंतर से निकलते रहते है । और जो भोजन से तृप्ती नहीं है तो पिनियल ग्लॅंड मे गडबड होती है । और पिनियल ग्लॅंड की गडबड पूरे शरीर मे पसर जाती है । और आपको तरह तरह के रोगो का शिकार बनाती है । अगर आप तृप्त भोजन नहीं कर पा रहे तो निश्चित 10-12 साल के बाद आपको मानसिक क्लेश होगा और रोग होंगे । मानसिक रोग बहुत खराब है । आप सिझोफ्रनिया डिप्रेशन के शिकार हो सकते है आपको कई सारी बीमारीया ,27 प्रकार की बीमारीया आ सकती है , । कभी भी भोजन करे तो, पेट भरे ही ,मन भी तृप्त हो । ओर मन के भरने और पेट के तृप्त होने का सबसे अच्छा समय सवेरे का है ।अब मैने(राजीव भाई ने ) ये बागवटजी के सूत्रों को चारो तरफ देखना शुरू किया तो मुझे पता चला की मनुष्य को छोडकर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्रा का पालन कर रहा है । मनुष्य अपने को होशियार समझता है । लेकिन मनुष्य से ज्यादा होशियारी जीव जगत के प्राणीयों मे है । आप चिडीया को देखो, कितने भी तरह की चिडीये, सबेरे सुरज निकलते ही उनका खाना शुरू हो जाता है , और भरपेट खाती है । 6 बजे के आसपास राजस्थान, गुजरात में जाओ सब तरह की चिडीया अपने काम पर लग जाती है। खूब भरपेट खाती है और पेट भर गया तो चार घंटे बाद ही पानी पीती है । गाय को देखिए सुबह उठतेही खाना शुरू हो जाता है । भैंस, बकरी ,घोडा सब सुबह उठते ही खाना खाना शुरू करंगे और पेट भरके खाएँगे । फिर दोपहर को आराम करेंगे तो यह सारे जानवर ,जीवजंतू जो हमारी आँखो से दीखते है और नही भी दिखते ये सबका भोजन का समय सवेरे का हैं । सूर्योदय के साथ ही थे सब भोजन करते है । इसलिए, थे हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते है ।
मैने आपको कई बार कहा है आप उस पर हँस देते है किसी भी चिडीया को डायबिटीस नही होता किसी भी बंदर को हार्ट अॅटॅक नहीं आता । बंदर तो आपके नजदीक है ! शरीर रचना मे बस बंदर और आप में यही फरक है की बंदर को पूछ है आपको नहीं है बाकी अब कुछ समान है । तो ये बंदर को कभी भी हार्ट अॅटॅक, डासबिटीस ,high BP ,नहीं होता ।
मेरे एक बहुत अच्छे मित्रा है, डॉ. राजेंद्रनाथ शानवाग । वो रहते है कर्नाटक में उडूपी नाम की जगह है वहाँपर रहते है । बहुत बडे ,प्रोफेसर है, मेडिकल कॉलेज में काम करते है । उन्होंने एक बडा गहरा रिसर्च किया ।की बंदर को बीमार बनाओ ! तो उन्होने तरह तरह के virus और बॅक्टेरिया बंदर के शरीर मे डालना शुरू किया, कभी इंजेक्शन के माध्यम से कभी किसी माध्यम से । वो कहते है, मैं 15 साल असफल रहाँ । बंदर को कुछ नहीं हो सकता । और मैने कहा की आप ये कैसे कह सकते है की, बंदर कुछ नहीं हो सकता , तब उन्हांने एक दिन रहस्य की बात बताई वो आपको भी ,बता देता हूँ । की बंदर का जो है न RH factor दुनिया में ,सबसे आदर्श है, और कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है ना ! तो वो बंदर से ही कंम्पेअर करता है , वो आपको बताता नहीं ये अलग बात है । कारण उसका ये है की, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । ब्लड मे कॉलेस्टेरॉल बढता ही नहीं । ट्रायग्लेसाईड कभी बढती नहीं डासबिटीस कभी हुई नहीं । शुगर कितनी भी बाहर से उसके शरीर मे डंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । तो वो प्रोफेसर साहब कहते है की, यार ये यही चक्कर है ,की बंदर सवेरे सवेरेही भरपेट खाता है । जो आदमी नहीं खा पाता ।
तो वो प्रोफेसर रवींद्रनाथ शानवागने अपने कुछ मरींजों से कहा की देखो भया , सुबह सुबह भरपेट खाओ ।तो उनके कई मरीज है वो मरीज उन्हे बताया की सुबह सुबह भरपेट खाना खाओ तो उनके मरीज बताते है की, जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तो , डासबिटीस माने शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घटनों का दर्द कम हो गया कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई पेट मे जलन होना, बंद हो गयी नींद अच्छी आने लगी ..... वगैरा ..वगैरा । और ये बात बागवटजी 3500 साल पहले कहते ये की सुबह की खाना सबसे अच्छा । माने जो भी स्वाद आपको पसंद लगता है वो सुबह ही खाईए ।
तो सुबह के खाने का समय तय करिये । तो समय मैने आपका बता दिया की, सुरज उगा तो ढाई घंटे तक । माने 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपक भोजन हो जाना चाहिए । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । ये नाष्ता हिंदुस्थानी चीज नहीं है । ये अंग्रेजो की है और आप जानते है हमारे यहाँ क्या चक्कर चल गया है , नाष्टा थोडा कम, करेंगे ,लंच थोडा जादा करेंगे, और डिनर सबसे ज्यादा करेंगे । सर्वसत्यानाष । एकदम उलटा बागवटजी कहेते है की, नाष्टा सबसे ज्यादा करो लंच थोडा कम करो और डिनर सबसे कम करो । हमारा बिलकूल उलटा चक्कर चल रहा है !
ReplyDeleteये अग्रेज और अमेरिकीयो के लिए नाष्टा सबसे कम होता है कारण पता है ??वो लोग नाष्टा हलका करे तो ही उनके लिए अच्छा है। हमारे लिए नाष्टा ज्यादा ही करना बहूत अच्छा है । कारण उसका एकही है की अंग्रेजो के देश में सूर्य जलदी नही निकलता साल में 8-8 महिने तक सूरज के दर्शन नहीं होते और ये जठरग्नी है । नं ? ये सूरज के साथ सीधी संबंध्ति है जैसे जैसे सूर्य तीव्र होगा अग्नी तीव्र होगी । तो युरोप अमेरिका में सूरज निकलता नहीं -40 तक . तापमान चला जाता है 8-8 महिने बर्फ पडता है तो सूरज नहीं तो जठरग्नी तीव्र नहीं हो सकती तो वो नाष्टा हेवियर नही कर सकते करेंगे तो उनको तकफील हो जाएँगी !
अब हमारे यहाँ सूर्य हजारो सालो से निकलता है और अगले हजारो सालों तक निकलेगा ! तो हमने बिना सोचे उनकी नकल करना शुरू कर दिया ! तो बाग्वट जी कहते है की, सुबह का खाना आप भरपेट खाईए । ? फिर आप इसमें तुर्क - कुतुर्क मत करीए ,की हम को दुनिया दारी संभालनी है , किसलिए ,पेट के लिए हीं ना? तो पेट को दूरूस्त रखईये , तो मेरा कहना है की, पेट दुरूस्त रखा तो ही ये संभाला तोही दुनिया दारी संभलती है और ये गया तो दुनिया दारी संभालकर करेंगे क्या?
मान लीजिए, पेट ठीक नहीं है , स्वास्थ ठीक नहीं है , आप ने दस करोंड कमा लिया क्या करेंगे, डॉक्टर को ही देगे ना ? तो डॉक्टर को देने से अच्छा किसी गोशाला वाले को दिजीए ;और पेट दुरूस्त कर लिजिए । तो पेट आपका है तो दुनिया आपकी है । आप बाहर निकलिए घरके तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए । दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए माने जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा । खाली फल खायें , ज्यूस दही मठठा पिये । शाम को फिर खाये ।
अब शाम को कितने बजे खाएं ???
तो बाग्वट जी कहते हैं हमे प्रकति से बहूत सीखने की जरूरत हैं । दीपक । भरा तेल का दीपक आप जलाना शुरू किजीए । तो पहिली लौ खूप तेजी से चलेगी और अंतिम लव भी तेजी से चलेगी माने जब दीपक बूजने वाला होगा, तो बुझने से पहले ते जीसे जलेगा , यही पेट के लिए है । जठरग्नी सुबह सुबह बहूत तीव्र होगी और शमा को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी, बहुत तीव्र होगी । वो कहते है , शामका खाना सूरज रहते रहते खालो; सूरज डूबा तो अग्नी भी डूबी । तो वैसे जैन दर्शन में कहा है सभी भोजन निषेध् है बागवटजी भी यही कहते है ,तरीका अलग है ,बस । जैन दर्शन मे अहिंसा के लिए कहते है,वो स्वास्थ के लिए कहेते है । तो शाम का खाना सूरज डुबने की बाद दुनिया में ,कोई नहीं खाता । गाय ,भैंस को खिलाके देखो नहीं खाएगी ,बकरी ,गधे को खिलाके देखो, खाता नहीं । हा बिलकूल नहीं खाता । आप खाते है , तो आप अपने को कंम्पेअर कर लीजीए किस के साथ है आप ? कोई जानवर, जीवटाशी सूर्य डूबने के बाद खाती नही ंतो आप क्यू खा रहे है ?
ReplyDeleteप्रकृती का नियम बागवटजी कहते है की पालन करीए माना रात का खाना जल्दी कर दीजिए ।
सूरज डुबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खायिए । अब कितना पहले ? बागवट जीने उसका कॅल्क्यूलेशन दिया है, 40 मिनिट पहले सूरज चेन्नई से शाम 7 बजे डूब रहा है । तो 6.20 मिनट तक हिंदूस्थान के किसी भी कोने में जाईए सूरज डूबने तक 40 मिनिट तक निकलेगा । तो 40 मिनिट पहले शाम का खाना खा लिजीए और सुबह को सूरज निकलने के ढाई घंटे तक कभी भी खा लीजीए । दोनो समय पेट भरके खा लिजिए । फिर कहेंगे जी रात को क्या ? तो रात के लिए बागवटजी कहेते है की, एक ही चीज हैं रात के लिए की आप कोई तरल पदार्थ ले सकते है । जिसमे सबसे अच्छा उन्होंने दूध कहा हैं । बागवटजी कहते है की, शाम को सूरज डूबने के बाद ‘हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन्स और रस या एंझाईम पैदा होते है जो दूध् को पचाते है’ । इसलिए वो कहते है सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध् है । तो रात को दूध् पी लीजीऐ । सुबह का खाना अगर आपने 9.30 बजे खाया तो 6.00 बजे खूब अच्छे से भूक लगेगी ।
फिर आप कहेंगे जी, हम तो दुकान पे वैठे है 6 बजे तो डब्बा मँगा लीजिए । दुकान में डिब्बा आ सकता है । हाँ दुकान में आप बैठे है, 6 बजे डब्बा आ सकता है और मैं आपको हाथ जोडकर आपसे कह रहाँ हूँ की आप मेरे से अगर कोई डायबिटीक पेशंट है, कोई भी अस्थमा पेशंट है, किसी को भी बात का गंभीर रोग है आज से ये सूत्रा चालू कर दिजीए । तीन महिने बाद आप खुद मुझे फोन करके कहंगे की, राजीव भाई, पहले से बहुत अच्छा हूँ sugar level मेरा कम हो रहा है ।
अस्थमा कम हो रहा है। ट्रायग्लिसराईड चेक करा लीजीए, और सूत्रा शुरू करे, तीन महीने बाद फिर चेक करा लीजीए, पहले से कम होगा, LDL बहुत तेजी से घटेगा ,HDL बढ़ेगा । HDL बढना चाहिए, LDL VLDL कम होना ही चाहिए । तो ये सूत्रा बागवटजी का जितना संभव हो आप ईमानदारी से पालन करिए वो आपको स्वस्थ रहने में बहुत मदद करेगा !!
पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
दादा जी़– दादा जी आपके लिए कोई लेटर आया है।
ReplyDeleteबेटा जरा पढ तो सही किस का है।
पोता- दादा जी अपने कोई 72825 के लिए आवेदन
किया था हा बेटा शायद किया तो था। दादा जी कुछ
नेताओ का नाम लिखा हुआ है। कहते है आप सब
लोगो से सहयोग चाहिए 72825 का केस री ओपन
करवाना है। दादा जी बेटा तुम पुछते थे न
कि आपको बच्चो को पढना पसन्द था तो आप टीचर
क्यो नही बने, इन्ही जैसे कमीनो की वजह से,
पोता अच्छा किया आपने बता दिया मैं तो बी0एड0
करने जा रहा था। अब मै वकील या जज बनुगा,
दादाजी– बेटा वकील तो ओर भी कमीने
निकले उन्ही कमीनो की वजह से ही तो अध्यापक
बनने की इच्छा न रही। कमीने हमेशा डेट ओर डेट रहे।
न ही अभ्यर्थीयो की परवाह की और न उनकी जिन
बच्चो के स्कूल में अध्यापक नही है ओर केवल
कागजो में स्कुल चल रहे है। बच्चा तो दादा जी में
नेता बन जाता हॅू, दादाजी –
बेटा सारा डरमा तो नेताओ ने ही रचा था पहले ने दूसरे
को ओर दूसरे ने पहले के नियमो को गलत बताया और
भर्ती को अपने निजी स्वार्थ के लिए लटकाया। पोता–
तो दादा जी मे क्या बनू दादाजी– बनना है
तो बेटा देश का सैनिक बन जा जो देश के लिए
स्वतन्त्र होकर लड तो सकता है क्याकि बोर्डर पर
ये दुष्ट नेता, वकील और लीडर नही जायेगे। वहॉ तू
अपने देश के लिए कुछ कर सकता है। ये नेता केवल
खाना जानते है। इनके हाथ उठते है
तो लोगो को उत्थान के लिए नही,जनता से मांगने के
लिए ।
बेटा -हॅा दादाजी कुछ हद तक सच्चाई है
तुम्हारी बातो में।
Q. आसमान में जो बिजली कड़कती है ये कैसे पैदा होती है, कितने वोल्ट की होती है..? . Ans==> बिजली आमतौर से गरजदार तूफ़ान के दौरान पैदा होती है. बादल जब काफ़ी ऊँचाई पर पहुंच जाते हैं तो वहां तापमान बहुत कम होता है. उस समय आधे जमे पानी के कणों का घनात्मक और ऋणात्मक चार्ज बदलने लगता है. इस बदलाव की प्रक्रिया में ये कण आपस में टकराते हैं और चिंगारी पैदा होती है. इसी को हम बिजली कहते हैं. ये 10 करोड़ वोल्ट तक की हो सकती है. ये बिजली बादलों के बीच में पैदा हो सकती है, बादलों और हवा के बीच या फिर बादलों और ज़मीन के बीच. इस बिजली का तापमान 50 हज़ार डिग्री फ़ैरनहाइट तक का हो सकता है. जो सूर्य की सतह के तापमान से भी अधिक है. इसलिए अगर यह ज़मीन पर किसी से टकरा जाए तो उसे तुरंत भस्म कर देती है. बिजली बहुत तेज़ी से हवा को गर्म करती है जिससे वह अचानक फैलती है और फिर सिकुड़ती है. इससे विस्फोट होता है और ध्वनि तरंगें पैदा होती हैं. इसी को हम बादलों के गर्जन के रूप में सुनते हैं. प्रकाश एक लाख 86 हज़ार मील प्रति सैकेंड की रफ़्तार से चलता है जबकि ध्वनि एक सैकेंड में 352 गज़ की गति से, इसलिए हमें बिजली कड़कती पहले दिखाई देती है और गरज उसके बाद सुनाई देती है. .
ReplyDeleteसब कुछ माँगने से मिल जाता तो इतिहास के पन्ने कभी लाल नही होते ।
ReplyDeleteसबको मिलेगी भाई. . . . .
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
.
नौकरी भी
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
और "वो' भी ।
" सूरज तो नहीं हूँ, एक अदना सा दिया हूँ मैं,
ReplyDeleteजितनी मेरी बिसात, उतनी रौशनी कर रहा हूँ मैं "
GOOD BYE ..................
ReplyDelete.
.
I
N
T
E
X
.
.
W
A
L
I
.
ये बोल कर हमे छोड़ बाजार चली गयी
दोस्तों ..........
.
.
.
तुम्हारे तो आर्टिकल ही
ख़त्म नहीं होते , .
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
तुम प्यार क्या करोगे ?
pls sir batiye maine gonda m couns karvai h waha pr mere intermediate k marks galat likhe hue the baad m un logo n correct kiya kya m safe hu???????????
ReplyDeleteयह अजीब मुल्क है, रिश्वत सुविधा शुल्क है ।
ReplyDeleteकाम होगा मरजी से, जल्दी है तो शुल्क है ।
यह नदियों का मुल्क है, पानी भी भरपूर है ।
बोतल में बिकता है, पन्द्रह रू. शुल्क है ।
यह शिक्षकों का मुल्क है, स्कूल भी खुब है ।
बच्चे पढने जाते नहीं, पाठशालाएं नि : शुल्क है ।
यह गरीबों का मुल्क है, जनसंख्या भी भरपूर है ।
परिवार नियोजन मानते नहीं, नसबन्दी नि : शुल्क है ।
यह अजीब मुल्क है, निर्बलों पर हर शुल्क है ।
अगर आप हो बाहुबली, हर सुविधा नि: शुल्क है ।
यह अपना ही मुल्क है, कर कुछ सकते नहीं, कह कुछ
सकते नहीं, बोलना नि : शुल्क है ।
यह शादियों का मुल्क है, दान दहेज भी खुब है ।
शादी करने को पैसा नहीं, कोर्ट मेरिज नि : शुल्क है ।
यह पर्यटन मुल्क है, रेले भी खुब है ।
बिना टिकट पकङे गये, रोटी कपङा नि : शुल्क है ।
यह धनी मुल्क है, कपङे खऱिदने को पैसे नहीं ।
आधे कपङे पहन के कहते, यह हमारी शान है ।
यह अजीब मुल्क है, हर जरूरत पर शुल्क है ।
ढूंढ कर देते है लोग सलाह नि : शुल्क है ।
यह जनता का मुल्क है, नेता चुनने का हक है ।
वोट देने जाते नहीं, मतदान नि : शुल्क है ।
यह अजीब मुल्क है, यह अजीब मुल्क है ।
Renu singh ji kya aap ye bata sakti hai ki gonda main koi cut off list lagai gayi hai ya nahi ?
ReplyDeleteउस जीवन के वचन
ReplyDelete!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
"उसी समय यीशु ने कहा, हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु; मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया है। हां, हे पिता, क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा। मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।'' ____________________________________________________________________________________________ मत्ती 11:25-27 )
गणेश दीक्षित द्वारा साधना मिश्रा की याचिका की कापी निकाल ली गयी है जिसपर संक्षेप में मेरी और उनकी चर्चा हो चुकी है ,,, याचिका पूरी तरह से modified है जिसमे बहुत से ऐसे मुद्दे उठाये गए हैं जिनपर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कभी इसलिए बात नही की गयी क्योंकि वहाँ के सभी वकील,जज और पैरवीकार वेटेज से भर्ती पर सहमत थे ,,, किसी को उम्मीद ही नहीं थी कि कभी 30-11-11 का विज्ञापन बहाल भी हो सकेगा तो इन मुद्दों को उठाकर करता भी क्या .... यह केस इलाहाबाद की जगह लखनऊ बेंच में डाला ही इसलिए गया है जिससे अब तक इन मुद्दों को ना उठाने की वजहों से सम्बंधित सवालों से बचा जा सके ,,,
ReplyDeleteमेरे हिसाब से टेट मोर्चे के वकीलों द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में लिया स्टैंड यदि दोषरहित ही होता तो सुप्रीम कोर्ट अंतरिम भर्ती का आदेश देने के बावजूद स्वयं ही केस को वापस हाईकोर्ट ना refer करता ,,, इन हालात में यही उचित समझता हूँ किसी पर ऊँगली उठाने की जगह स्वयं ही पार्टी बनकर अपना वकील खड़ा करे ,,, टेट संघर्ष मोर्चा क्या करेगा ये वही जाने ,,, गणेश दीक्षित सीनियर काउन्सिल जयदीप नारायण माथुर को खड़ा कर रहे हैं ,,
ReplyDeleteजितने भी लोग काउंसिलिंग करा चुके हैं या 3rd में कराने जा रहे हैं उन सभी को मेरी सलाह है कि किसी के भी साथ रहें लेकिन पार्टी अवश्य बनें और impleadment application की कापी लें ... मेरे साथ सिर्फ वही लोग आयें जो इस कथन से सहमत हों कि भर्ती होगी तो टेट मेरिट से वरना उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में कभी कोई भर्ती नहीं होगी.....
ReplyDeleteअब या तो कपिलदेव यादव इस दुनियाँ में रहेगा या मैं ......
कट ऑफ तो बहुत नीचे जायेगा इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन इस बार ओवर फ्लो भी बहुत अधिक होगा।
ReplyDeleteइसलिए जिलों के चयन में अत्यधिक सावधानी रखें, सावधानी से मतलब यह नहीं है कि जहाँ सबसे अधिक सीट है वहाँ पहुँच जाइए।
सभी लोग सीतापुर से सबक तो ले ही चुकें होंगे, अब वही गलती दुबारा न दोहराइयेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिनका 120 पर बाहर हुआ है वो 115 वाले के बराबर ही डरा हुआ है, जब 120 वाला भी गोंडा सिद्धार्थ नगर पहुंच जाएगा तो 115 वाला क्या करेगा?
जिनका 118 से अधिक है वो बेवजह हल्ला कर रहे हैं, अगर ये किसी कम सीट वाले जिले में भी जाएंगे तो सुरक्षित ही रहेंगे, अधिक सीट वाले जिलों को कम मेरिट वालों के लिए छोड़ दें तो ओवर फ्लो भी नहीं होगा और सभी का भला हो जाएगा।
ReplyDeleteलेकिन मेरे कह देने से तो कोई यह बात मान नहीं जाएगा, कोई क्या मैं खुद न मानता इसलिए अब अगर कम अंकों वालों ने सूझ बूझ से काम लिया जो बात अधिक अंक वाले नहीं समझ पा रहे हैं वो बात कम अंक वाले समझ जाएं तो इस भर्ती में बहुत बड़ा उलटफेर भी हो सकता है। इस बार किसी को किसी के अधिक अंक से घबराने की जरूरत नहीं है इस समय सभी का एक बराबर ही अंक मान सकते हैं यह भी देखने को मिल सकता है 114 > 118.
सभी डायट की सूचना, अपनी स्थिति और क्षेत्र की स्थिति यह सभी जानकारी से खुद को अपडेट रखिये, कुछ भी असंभव नहीं होगा। अगर आपको काउंसलिंग करवाने का सौभाग्य प्राप्त होता है तो इसका पूरा फायदा उठाइयेगा चाहे आपका कितना भी कम अंक क्यों न रहे।
ReplyDeleteये वक़्त की मार है या तक़दीर की बेरुख़ी,,,,,,
ReplyDeleteकम्बख़्त जिसे देखो वही
'साधना' मेँ फ़ना है !!!
टेट बहादुरो दोयम दर्जे के उभयलिंगी सधाना से डरने की कोइ जरूरत नही अब गुणांक को पूर्ण दफन करके ही दम लिया जायेगा ।
ReplyDeleteचाहे वो जूनियर हो या LT ग्रेड हो या आनेवाले समय में BTC में प्रवेश प्रक्रिया हो ।
किसी को नही छोड़ा जायेगा ।
दुनिया बेताब है खूबसूरत चेहरों के लिये..!
ReplyDeleteमगर हमको आज भी तलाश खूबसूरत दिल
की है..!
क्या चंदा सिर्फ लो मेरिट वालो ने दिया था ?
ReplyDeleteक्या डंडे सिर्फ लो मेरिट वालो ने खाए थे ?
हम सब कल भी एक थे आज भी एक है और जो बन्धु ये बता रहे है की लो मेरिट वालो अब चंदा मत देना और साधना भौजी को अपनी होली वाली भौजाई समझ रहे है उनको बता दू की आपकी भाभी जी की सरिता जी की तरह किताबे बिकेंगी जिनको पढ़ कर के आप अपने को कुछ देर तक सुखी महसूस करेंगे और आप चंदा दो या न दो इससे कोई फर्क नही पड़ेगा क्योकि अगर 3rd काउंसलिंग तक पहुच चुके लोग ही चंदा दे दे तो आपकी भाभी जो को हाई कोर्ट के परिसर में ही डांस करवा देगा मोर्चा ।।
अब तो सलभ दादा भी आर पार के मूड में है ।।
इसलिए आप चंदा न देना बल्कि वो रूपये तो आपकी भाभी के कपड़े खरीदने के काम में आयेंगे क्योकी कोर्ट के बाहर तो वो शायद कपड़ो में न निकल पाएगी ।।
कपड़ो से मेरा तात्पर्य इज्ज़त से है
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसाधना भाभी ने दो-दो वक़ील किया,,,,,।
ReplyDeleteपहले का नाम कालिया, और दूसरे का नाम भी कालिया ।।
कपिल देव लाल बहादुर यादव और साधना उर्फ सधाना मिश्रा,,,,
ReplyDelete.
.
ये वो 2 नमूने हैं जिन्हें बनाकर ऊपर वाला भी आज दुःखी हो रहा होगा कि मैंने इन्हें किन्हें मनुष्यों के बीच धरती पर भेज दिया है।
.
.
ये वो हैं, जिनके बस का खुद तो कुछ है नही, औंरो को भी पाते देखकर फटी मे टाँग अड़ाने के सिवा और कुछ काम है नही।
.
टाँग अड़ाना ही क्यूँ, ये तो वो है जो दूसरों के जख्मों पर नमक छिड़ककर मजे उड़ाते हैं।
.
.
3 साल ही होने को जा रहे हैं, इनके कारण ही हम जो 1 भी दिन चैन से रहे हो।
.
.
पता नही, भगवान इनके कर्मों की इन्हें क्या सजा देगा???????????
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteदो भाई समुद्र के किनारे टहल रहे थे , दोनों के बीच
ReplyDeleteकिसी बात को लेकर बेहस होगई, बड़े भाई ने छोटे भाई
को थप्पड़ मार दिया ,छोटे भाई ने कुछ
नहीं कहा सिर्फ रेत पे लिखा... "आज मेरे बड़े भाई ने
मुझे मारा "-- अगले दिन दोनों फिर समुद्र किनारे घूमने
के लिए निकले छोटा भाई समुद्र में नहाने लगा अचानक
वो डूबने लगा बड़े भाई ने उसे बचाया छोटे भाई ने पत्थर
पे लिखा " आज मेरे भाई ने मुझे बचाया " बड़े भाई ने
पूछा जब मेने तुम्हे मारा तब तुमने रेत पे लिखा और जब
तमको बचाया तो पत्थर पे
लिखा ऐसा क्यों विवेकशील छोटे भाई ने जवाब
दिया ----- जब हमे कोई दुःख दे तो रेत पे
लिखना चाहिए ताकि वे जल्दी मिट जाये परन्तु जब
कोई हमारे लिए अच्छा करता हे तो हमें पत्थर पर
लिखना चाहिए जहा मिट ना पाएं भाव ये हे की हमे
अपने साथ हुई बुरी घटना को भूल जाना चाहिए
जबकि अच्छी घटना को सदेव याद रखना चाहिए
Sir meri friend k 109 no h AGR WO kisi aesi district me conclg kraye jha genrl 105 ho or uski conckg gnrl me ho jaye or by chance vha over flow ho jaye or WO nikl jaye to kya WO BC me tarncfr ho jayega ya nhi plz rply WO bhut preshan h...,
DeleteSadhna babhi ne bahut tarakki ki hai 2-2 kaliya (lawyer)rakh liye.
ReplyDeleteएस.सी.ई.आर.टी में हुआ मजाक !!!!!!!!!
ReplyDeleteज्ञापन दिया गया ,
फर्जीवाड़े के सुबूतों के साथ-साथ फर्जी मार्कशीट भी दी गयी परन्तु इन्हे भर्ती में कहीं फर्जीवाड़ा नहीं दिख रहा है और तो और कह रहे हैं आप बेकार परेशान हो सत्यापन होगा तभी कुछ होगा |
पूछने पर सत्यापन कब होगा तो कह दिया कि अभी तो काउंसलिंग हो रही है प्रोसेस चल रहा है चलने दीजिये बीच में मत आइये | हमने कहा की ऑनलाइन करिये, हमारी रैंक तो दिखाइए कह दिया की हमारे पास जंक डेटा बहुत है हमारे लिए पॉसिबल नहीं है |
कहने का मतलब न ही पहली के बाद कोई बाहर हुआ और न ही दूसरी के बाद कोई होने जा रहा है और ये बात पहले ही बता दी थी सभी को तो पकड़ो
कुछ मुद्दे :
१) ५४% सीट्स लॉक हो गयी हैं जिनमे फर्जी , २०१२ वाले सब हैं और वे ५% जिनपे संशय है वे वो हैं जिनपे समस्या निवारण समिति का निर्णय आएगा |
२) संजीव मिश्रा की तीखी नोकझनोक हो गयी की आप लिस्ट दीजिये तो कह दिया की ७२८२५ वे चयन के पश्चात |
३) स्पेशल रिजर्व्ड केटेगरी के लिए उन्होंने साफ़ किया की ये ४४ जगह से डिवाइड होकर तब फाइनल होती हैं और अंत तक चलता रहेगा यानी ७२८२५ के अक्कोर्डिंग आप खुद निकल लेना |
४) शिक्षा-मित्रों पर भी चुप्पी |
५) कोई भी चयनित नहीं हैं कोई भी बाहर नहीं है और अंत तक का कौन देखेगा ?
६) काउंसलिंग का डेटा ऑनलाइन नहीं होगा क्यूंकि आवेदन ऑफलाइन थे , पूछने पर जूनियर में क्या किया तो कह दिया हमें ७२८२५ का ठेका मिला है |
७) काउंसलिंग में क्या चल रहा है रेशफलिंग को लेकर तो कहा ये शासन स्तर का निर्णय है आप कोर्ट जाइये , हमने कहा कुछ भी तो हाथ में नहीं हैं तो वे चुप |
८) अंत मैं अखिलेश त्रिपाठी ने कहा की हमने जो भी आपसे पुछा हमारी रैंक हमारी आर.टी.आई किसी का जवाब आप नहीं देते हैं तो कहा देंगे भी नहीं |
९) साफ़-साफ़ कहकर आये हैं की भर्ती का भुर्ता बना दियाहै आपने और फर्जीवाड़ा करा रहे हैं आज के बाद कोई ज्ञापन नहीं दिया जायेगा अब कोर्ट में ही जायेंगे |
१०) अंत में हम लोग कहकर आ गए हैं की रिजल्ट तो ऑनलाइन कराकर ही मानेंगे कोर्ट से |
उपरोक्त के विषय में आगे की रड़नीति बता दी जाएगी बाद में |
धन्यवाद
मित्रो साधना भाभी की रिट के सम्बन्ध में कानूनी विचार मंथन चल रहा है लेकिन जो प्रथम दृष्टया जानकारी मिली है उसमे वही मुद्दे है जिनसे हम पहले ही अवगत है । जिसमे कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स इस तरह है-
ReplyDelete1- नियमावली में मेल/फिमेल और आर्ट /साइंस का वर्गीकरण नहीं है इसलिए विज्ञापन नियमावली को फ़ॉलो नहीं करता ।
2- टेट वेटेज का प्रकार और अनिवार्यता का मुद्दा जिसमे ncte को पार्टी बनाकर एक बार फिर से जवाब माँगा गया है ।
मित्रो ये बात सही है की पहला पॉइंट नियमावली के हिसाब से नहीं है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की ये इतना बड़ा मुद्दा है जिस पर पूरी भर्ती प्रभावित हो जाये । प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन नियुक्ति का जरुर है लेकिन सहायक अध्यापक का नहीं । ये विज्ञापन नियुक्ति के साथ ट्रेनिंग का भी है जिसमे व्यक्ति को stipend मिलेगा वेतन नहीं ।अतः इसमें ट्रेनिंग के लिए जरुरी शर्तो का भी प्राविधान किया गया है । इसलिए इसका विभिन्न प्रकार का वर्गीकरण केवल नियमावली के आधार पर गलत नहीं ठराया जा सकता । लेकिन कुछ कम टेट मेरिट वाले अब इस कमी को अपने अवसर के रूप में देख रहे है क्योकि उन्हें लगता है कि अब उनका चयन वर्तमान व्यस्था से संभव नहीं है । sci/आर्ट वर्गीकरण से किसी कों प्रोब्लम नहीं है क्योकि उसकी मेरिट में कोई अंतर नहीं है लेकिन महिला पुरुष का वर्गीकरण जरुर लोगो को अंदर ही अंदर जला रहा है । इसलिए मेल फिमेल का वर्गीकरण या तो ख़त्म हो जाये या फिर भर्ती ही न हो । इसलिए इस मुद्दे पर वो कपिल की लाइन मे खड़े नज़र आ रहे है जबकि वो भूल रहे है की कपिल का उद्देश्य वर्गीकरण ख़त्म कराना नहीं है इसलिए उसकी लाइन में खड़े होना आत्महत्या ही है मतलब वो अपने कों हर स्थिति में बाहर ही समझे । इसमें सबसे बड़ी बात अब ये देखना है की लो मेरिट के बाद भी काउंसलिंग का मजा ले रही और जॉब के सपने देख रही कितनी महिलाये अपने अधिकारो की रक्षा के लिए आगे आती है । आज तक कुछ गिनती की महिलाओ को छोड़ केवल पुरुषो ने ही लाठी खायी है अब देखना की महिलाये कोर्ट का चक्कर लगा पाती है या नहीं क्योकि इस बार उनके घर को छोड़ कोई दूसरा पुरुष उनकी मदद नही करने वाला ।
ReplyDelete2- मित्रो दूसरा मुद्दा ncte के टेट वेटेज का है जिसमे पहले की तरह ही ढाक के तीन पात ही होना है मतलब अंत में कुछ नया नहीं निकलेगा ।
सारांश---- कुल मिलकर साधना की रिट से कोई घबराने वाली बात नही है जब टेट के वकील खड़े नहीं थे तब तो अकेडमिक टीम का वकील सरकार और ncte से जवाब तक नहीं मांग पाए जो कि एक सामान्य प्रक्रिया होती है जबकि अकेडमिक वालो ने लखनऊ के काफी जाने माने वकील कालिया & कालिया को खड़ा किया है तो अब कौन सा बम फोड़ देंगे । जो कुछ भी है पहले पॉइंट में ही है। लेकिन जब मुद्दा नियमावली से सम्बंधित हो तो सावधानी जरुरी हो जाती है ।इसलिए यही कहा जा सकता है की इस बार अकेडमिक टीम का वार एक महिला की तरफ से हुआ है जिसकी काट टेट टीम की तरफ से किसी महिला को ही संभालना होगा । अब देखना है टेट की तरफ से कितनी महिलाये आगे आती है ।
आगे का अपडेट मिलने पर फिर करूँगा ।
धन्यवाद
थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता
ReplyDeleteऐ दोस्त
ये वो मामला है जिसमें या तो सब कुछ...
या फिर कुछ नहीं.....
एक बंदूकधारी घुड़सवार अपनी यात्रा के दौरान
ReplyDeleteएक जगह चाय पीने के लिये रुका।
:
उसने अपना घोड़ा चाय के होटल के पास एक पेड़ से
बांध दिया और अंदर चाय पीने चला गया।
: जब वह लौटा तो पाया कि उसका घोड़ा जगह
पर नहीं है। किसी ने उसे
चुरा लिया था।
:
बंदूकधारी ने बंदूक से एक हवाई फायर दागा और
चिल्ला चिल्ला कर कहने
लगा - "जिसने भी मेरा घोड़ा चुराया है वो सुन
ले! मैं एक चाय और पीने
अंदर जा रहा हूं। इस बीच अगर मेरा घोड़ा वापस
जगह पर नहीं मिला तो याद रखना ..।
इस जगह का वही हाल
करूंगा जो घोड़ा चोरी होने पर मैंने जयपुर में
किया था!"
:
:
चाय पीकर बंदूकधारी जब
लौटा तो उसका घोड़ा अपनी जगह पर वापस
बंधा था।
: वह उसपर सवार होकर चलने लगा
.....तभी होटलवाले ने आवाज देकर उसे रोका -
"भाई,
जरा वो किस्सा तो सुनाते जाओ । जयपुर में
आखिर आपने क्या किया था ?"
: :
बंदूकधारी :- "करना क्या था! !
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
वहां से पैदल
ही चला गया था!"
कालिया लखनऊ बेंच के अच्छे एडवोकेट में गिने
ReplyDeleteजरुर जाते हैं पर बहस करते-करते भटक भी जाते
हैं..मामले पर कोई सार्थक नतीजा निकाल पाने
में असमर्थ हैं...पर इसका मतलब यह नही है
कि हम चुपचाप देखते रहें...पुराने अनुभवों से
सीखते हुए हम परिपक्व हो चुके हैं
तो पैरवी भी पुराने अंदाज में ही हो जाये..संगठन
के अग्रणी बंधु और टेट मोर्चे के
रणबांकुरों तैयार रहो...साधना जैसे लोग अब
साधन बन गये हैं पैसे कमाने के लिए...
.
गली-कुचे के पहलवान उतारे जा रहे है अब
एकेडमिक की तरफ से बडे
पहलवानो की लंगोटी तो कब
की उतारी जा चुका है मोर्चा...
.
ReplyDelete.
I
N
T
E
X
.
.
W
A
L
I
.
तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर,
मुझे जहर लगता है तेरा औरों से बात करना.....
विज्ञापन आने पर सभी लोगों ने सीतापुर लखीमपुर में फार्म डाले थे आप सभी ने संभवतः अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लिया होगा।
ReplyDeleteयदि आप बहुत अधिक संघर्ष करेंगें तो शिक्षामित्र की सीट मिलने पर सामान्य कला वर्ग की मेरिट कुछ नीचे जाएगी।
सामान्य विज्ञान वर्ग की मेरिट काफी कुछ जूनियर भर्ती में सरकार के रुख पर निर्भर करेगी।
आने वाली काउंसिलिंग में लगभग जिलों की मेरिट एक समान रहने की उम्मीद है परंतु फिर भी भीड़ का दबाव गोंडा बहराइच बलरामपुर महाराजगंज में अधिक रहेगा। किसी को कुछ समझ में नहीं आएगा और अंत में सब वहीं भागेंगे जहाँ सीट अधिक दिखेगी।
ReplyDeleteजब इतनी भारी संख्या मेँ लोगों का दिल टूटेगा तो फिर पूरी कायनात में कहाँ पर उन्हें कहाँ ठिकाना मिलेगा। ऐसे जितने भी लोग आर्थिक और मानसिक रूप से ठगे गये हैं आज की तारीख में सच्चाई से अवगत हो चुके हैं जो नहीं हुए हैं वो आगामी लिस्ट आने पर अपनी स्थिति का आकलन कर लेँगे।
ReplyDeleteअच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे,
ReplyDeleteजिसकी जैसी सोच थी उसने उतना ही पहचाना मुझे..........
उक्त शासनादेश भी सेवा नियमावली के अमेंडमेंट 12 के तहत राज्य सरकार की नीतिगत इच्छाओं के कारण था अतः अमेंडमेंट 12 को रद्द तो किया जा सकता है परन्तु उस पर जारी हो चुके शासनादेश तथा उसकी भर्ती प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता है।
ReplyDeleteवर्तमान में जो भर्ती चल रही है नियुक्ति नियमावली के तहत टीईटी मेरिट सही है परन्तु इसके अतिरिक्त अनेक कमी है जिसे सरकार या तो संशोधित विज्ञप्ति जारी करके सुधार करे या फिर सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के याचियों के हितों की रक्षा करते हुये परमादेश जारी करे।
यदि सरकार डिवीज़न बेंच के आदेश पर अमल नहीं करती है अर्थात काउंसिलिंग में नियुक्ति नियमों का पालन नहीं करती है तो फिर निर्णायक आदेश में सुप्रीम कोर्ट सटीक फैसला करेगी।
अतः मौजूदा भर्ती में जिसे तनिक भी अवैधानिककार्य दिखेहाई कोर्ट में चुनौती दे । सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का मतलब यह नहीं है इस प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है ।अभी अंतरिम आदेश का मात्र इतना अर्थ है कि यह भर्ती सेवा नियमावली और RTE एक्ट के तहत सही है।
यदि आप चाहें तो अभी बहुत कुछ बदला जा सकता है। जिसपर मै अतिशीघ्र निर्णय लूँगा।
धन्यवाद
जिसको तलब हो हमारी, वो लगाये
ReplyDeleteबोली....
सौदा बुरा नहीं .बस "हालात" बुरे है....
डाबर कंपनी ने वालों ने खाना हजम करने के लिए हाजमोला तो बना दिया लेकीन पैसा हजम करने वाला हाजमोला भी बना दिया होता तो आज दुर्गति नहीं होती|
ReplyDeleteदामाद का प्यार!
ReplyDeleteएक बार एक सास अपने 3 दामादों का प्यार देखने के लिए दरिया में कूद गयी
तो एक दामाद ने बचा लिया।
सास ने उसे कार तोहफे में दे दी।
अगले दिन फिर कूद गयी तो दूसरे दामाद ने बचा लिया उसे मोटरसाइकिल मिली।
फिर तीसरे दिन सास दोबारा कूदी तो तीसरे दामाद ने सोचा कि अब तो साइकिल ही मिलेगी
तो उसने सास को नही बचाया, सास मर गयी लेकिन फिर भी दामाद को मर्सिडीज़ मिली।
कैसे?
.
.
.
.
.
.
.
ससुर ने दी।
जब भी ठंडी का मौसम आता हैं AK 49 सर तैश में आ जाते हैं| अब बस उनका मफलर खूंटी पर कूद रहा हैं| बस कुछ दिनों का इंतजार और हैं| जल्द ही मफलर और खांसी एक साथ दिखने वाला हैं|
ReplyDeleteएससीआर टी का सख्त निर्देश है कि प्रत्येक डायट 28 अक्टूबर तक डाटा को संशोधित करके भेज दे ....
ReplyDeleteत्वरित टिप्पणी....
ReplyDeleteआज के एस सी ई आर टी घटनाक्रम से काउँसलिंग करा चुके अभ्यर्थियों की पेशानी पर बल पड़ना लाजमी है जबकि दूसरी ओर वेटिंग काउँसलिंग अभ्यर्थियों का हाल पहले जैसा ही है क्योंकि ये झुलस तो रहे ही हैं एक लपट और सही.........
इंसान
ReplyDeleteवो
जो
दुसरो
का
दुःख
समझे,
अपना
दुःख
तो
जानवर
भी
समझते
है..।
मिड डे मील ....
ReplyDeleteस्कूल में मध्यांत भोजन के उपरांत एक बच्चा अपने
भोजन का कुछ हिस्सा बचाकर स्कूल के गेट की जाली से बाहर एक हमउम्र गरीब बच्चे को दे दिया करता था, उसे देखकर उसके कुछ मित्र भी ऐसा ही करने लगे,.. जब यह क्रम नियमित होने लगा तो दोपहर मध्यांत भोजन के समय स्कूल के मुख्य द्वार पर बहुत सारे गरीब बच्चे जमा होने लगे, और उन्हें भोजन देने के लिए बहुत सारे स्कूल के बच्चे.. भीड़ अधिक बढ़ने लगी तो बात शिकायत के रूप में स्कूल के प्रधान अध्यापक तक पहुंची, स्तिथि का मुआइना करने जब वे पहुंचे तो द्रश्य ह्रदय विदारक था। मुख्य द्वार के एक ओर साफ सुथरे उजले कपड़ों में संस्कारित बचपन भोजन देने की चाह में आतुर और दूसरी ओर फटेहाल मैला कुचला भूखा बचपन हाथ फैलाये खड़ा था। वे सोच रहे थे.. 'क्या ये ठीक है?',.. लेकिन इसमें गलत क्या है?.. 'कुछ भी तो नहीं', बच्चों का क्या है.. बच्चे तो कुछ भी करते रहते है.. शायद मन ने कहा 'मै भी बच्चा क्यों नहीं'.. चुपचाप चले गए,.. हाँ मध्यांत भोजन उस स्कूल में कुछ अधिक मात्रा में बनने लगा।
आप ऑनलाइन भी RTI फ़ाइल करके सरकार से अपने सवालों जवाब पा सकते हैं। यह सरकार द्वारा शुरू की गयी सुविधा नहीं है। बल्कि यह प्राइवेट सुविधा है। आप ऑनलाइन RTI फाइल करेंगे तो यह सरकारी नियमों के अनुसार सही विभाग तक आपकी बात पहुँचा देंगे। इसके लिए आपको 99 रूपये उनका सर्विस चार्ज, 40 रुपये आपका पत्र सही विभाग तक पहुँचाने के लिए स्पीड पोस्ट के देने होंगे। साथ ही 10 रुपये से 100 रुपये के बीच जो भी सरकार की फीस होगी, वो अलग से देनी होगी। आपको फायदा ये होगा कि आप फिजिकली भाग दौड़ करने से बच जायेंगे। और अपना समय बचा लेंगे। वो ही सरकार के नाम का डिमांड ड्राफ्ट बनवायेंगे और पोस्ट ऑफिस जाकर आपका पत्र सही विभाग को स्पीड पोस्ट से भेजेंगे। इन सब काम के लिए आपको असली कीमत से केवल 99 रूपये अतिरिक्त देने होंगे।
ReplyDeleteलिंक है https://onlinerti.com/
Ghhazipur diet ki kuch updateshai?
ReplyDeleteplease please Ghazipur DIET ki 2nd councelling ki kucj data ho to share kijie..Gen Fem Arts
ReplyDeleteसाधना देवी की रिट में कुछ खास नही है बस मोर्चा इसमें इसलिए हस्तक्षेप कर रहा है ताकि वो महान दुरात्मा हम सबकी अनुपस्थिति में कोर्ट को भ्रमित करके लखनऊ जैसी शिशु अदालतों से टुच्चे आर्डर न करा लायें ।
ReplyDeleteअब इसे एकेडमिक पशु बढा चढा कर चन्दा मांग कर फिर धन उगाही कर रहे हैं तो चन्दा मांगने के लिये इतना दिमाग खपाकर खुर पेंच ढूंढने के लिये उनकी प्रशंसा भी करनी पडेगी ।
कमजोर हृदयी टीईटीयन्स और अथाह निम्न मेरिट का अभ्यर्थी ये सब सुनकर बहुत खुश है
साधना देवी की रिट में कुछ खास नही है बस मोर्चा इसमें इसलिए हस्तक्षेप कर रहा है ताकि वो महान दुरात्मा हम सबकी अनुपस्थिति में कोर्ट को भ्रमित करके लखनऊ जैसी शिशु अदालतों से टुच्चे आर्डर न करा लायें ।
ReplyDeleteअब इसे एकेडमिक पशु बढा चढा कर चन्दा मांग कर फिर धन उगाही कर रहे हैं तो चन्दा मांगने के लिये इतना दिमाग खपाकर खुर पेंच ढूंढने के लिये उनकी प्रशंसा भी करनी पडेगी ।
कमजोर हृदयी टीईटीयन्स और अथाह निम्न मेरिट का अभ्यर्थी ये सब सुनकर बहुत खुश है
जिनका इस जन्म में इस 72825 भर्ती में नही होना है वो आज भी दिन लोगों को भडका भडका कर प्रयासरत हैं कि ये करवा देंगे , वो करवा देंगे ।
ReplyDeleteशायद द्वितीय बेंच में ओल्ड एड बहाली वाली जीत से इतने गुमान में आ गये कि औकात भूल गये । और हर चीज पर उन्हें ये महसूस होता है कि सबकुछ सरकार के हाथ में न होकर उनके हाथ में है।
अब कहा और किया भी क्या जा सकता है । अभी भी ईश्वर की लाठी न समझे ,
एकेडमिक से उनका तो नही होगा
टीईटी से उनका तो नही होगा
जब किसी में औकात ही नही है तो काहे भौं भौं कर रहे हैं , समझ नही आता ।
न जाने कौन सा नशा चढ गया है कि 72825 में खुद के चयन होने का असम्भव सपना अभी भी देख रहे हैं ।
देखो भई देखो
सपने देखने पर कोई टैक्स नही है।
ReplyDelete72825, शिक्षकोँ की गतिमान प्रक्रिया जैसे
!
!
!
!
!
!
"किसी पिता की सुरक्षित निगाह मेँ सड़क पर खेलता बच्चा" ।
गाजीपुर का कट आफ आंशिक रूप से संशोधित कर पुनः प्रकाशित किया गया है जो निम्नवत है–
ReplyDelete1. male obc art- previuosly 118 dob 01/08/1989 and now 117 dob 10/01/1971
2. male obc dff- previuosly 96 dob 17/08/1985 and now 97 dob 01/05/1984
शेष सभी वर्गों के कट आफ पूर्ववत ही हैं। सिर्फ इन्हीं दो वर्गों के कट आफ ही चेंज हुए हैं। उक्त कट आफ वाले अभ्यर्थियों को छोडकर अन्य अभ्यर्थी कृपया 27 oct से 30 oct के बीच अपने डाक्यूमेंट्स वापस ले लें ।
एक नगर में , एक सेठ जी अपने खुश हाल बच्चों सहित रहते थे।
ReplyDeleteउनका बेटा जब बड़ा हुआ तब ,विवाह संस्कार होने पर अत्यन्त सुंदर सुशील बहु घर आ गई। संस्कार उसके व्यवहार से ही झलकते थे। बहु का नाम लक्ष्मी था।
बहु ने देखा ससुर करोडिमल बड़े सज्जन हैं लेकिन बड़े कंजूस हैं।
लक्ष्मी का मन दुखी हो गया।
एक दिन बाजरे और ज्वार के आटे की मोटी रोटी बना कर ससुर जी को परोस दी।
भोजन देखते ही सेठ जी बहु से बोले -बेटी लक्ष्मी , घर में आटा तो गेहूं का है , पर मुझे बाजरे ज्वार की रोटी क्यों परोसी है ?
बहु ने नम्रता पूर्वक जवाब दिया -पिताजी , आपने जो भंडारा गरीबों के लिए खोल रखा है , उसमें भूखे , गरीब लोग तो किसी तरह अपना पेट भर लेते हैं और मैंने सुना है कि यही भोजन आप दान करते है। ज्ञानी पुरूष कहते हैं कि जैसा इस लोक में दान किया जाता है , वैसा ही परलोक में मिलता है। आप परलोक में ऐसी रोटी कैसे खा पाएंगे , यही सोच कर आपकी थाली में यह रोटी परोसी है।
सेठ जी समझ गए , कि मुझे दान भी उत्तम और स्वच्छ ही करना चाहिए।
लक्ष्मी के धर्म ज्ञान पर सेठ जी प्रसन्न हो गए और भंडारे की बागडोर बहु को सौप दी गई।
हर बार सुलझा कर रखता हूँ फिर भी उलझी हुई मिलती है...
ReplyDeleteऐ जिन्दगी तू ही बता जरा तेरा मिजाज मेरे ईयरफोन सा क्यूँ है?
GOOD NIGHT
.
ReplyDelete.
.
.
I
N
T
E
X
.
.
W
A
L
I
.
.
.
"सो भी जाऊं तो क्या मिलेगा मुझे?
तुम तो ख़्वाबों में भी नहीं आते....!"
Good Night ! Ninety Eight !
जो सोचते है कि उन्हें नौकरी की ज़रुरत है,
ReplyDeleteउनकी सोच गलत है । !
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
उन्हें बस सैलरी की ज़रुरत है।
G
O
O
D
.
.
N
I
G
H
T
mr.tiger kya aap pta hona ke 2011 tet result me hui dhandli ka.aur merit ka high jana use ka nteja hai. 110 marks se uper ke 85% candidate fergi hai.neukti dene se phele TET-2011 resut per cear hona chaheye ke ketne candidate ne fergi number bedwai hai.
ReplyDeleteNaresh Saini bhai itne lambi mat pheko ki koi lapait hi na sake. Maana bharti me kuch dhandli jarur hai lakin 85% farji impossible. Bhai jab ye sab mark bhadwa rahe the to aap kha the?
ReplyDeleteMere 113 no hey 2011 tet me mere pas original & or net dono mark sheet hey sc cat science to ye Mt bolo 85% farji hey
ReplyDelete