सरकारी रोक के बावजूद बिक रहे चीनी पटाखे
भारत की पटाखों की राजधानी शिवाकाशी में अबकी दीवाली उतनी चमकदार नहीं होगी. चीन से अवैध तरीके से आयात होने वाले सस्ते पटाखों ने शिवाकाशी में इस उद्योग से जुड़े पांच लाख लोगों के भविष्य पर संकट पैदा कर दिया है.
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चीनी पटाखों के बारे में सूचना देने पर 10 लाख रुपया इनाम
मदुरै। राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे चीनी पटाखों के आयात से बुरी तरह प्रभावित तमिलनाडु के पटाखा कारखानों को बचाने के लिए एक संगठन ने उस देश से पटाखे लेकर आने वाले कंटेनरों के बारे में सूचना देने वाले किसी भी व्यक्ति को दस लाख रुपया इनाम देने की घोषणा की है।तमिलनाडु फायरवक्र्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि चीनी पटाखे लेकर आने वाले कंटेनरों के बारे में खुफिया सूचना देने वाले को 10 लाख रुपया, लॉरियों के जरिए लाए जा रहे पटाखों के बारे में सूचना देने वाले को पांच लाख रुपया और वैनों के जरिए लाए जाने वाले पटाखों के बारे में जानकारी देने वालों को दो लाख रुपया इनाम दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि चीन से पटाखों के आयात के कारण पटाखे बनाने वाले स्थानीय उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हंै। इन कारखानों में हजारों लोग काम करते हैं और शिवकाशी के कुछ व्यापारी खुद चीनी पटाखों का आयात करते हैं।
भारत के पटाखा उद्योग केन्द्र के रूप में जाने जाने वाले शिवकाशी में 'चीनी घुसपैठÓ और विस्फोटक लाइसेंस का शुल्क 15,000 से बढ़ा कर चार लाख रुपया वार्षिक किये जाने के विरोध में 15 अप्रेल को 843 इकाइयों को बंद रखा गया था और सरकार से इसे तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया गया था।
-आईएएनएस
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तमिलनाडु फायरवर्क्स मैन्यूफैक्चर्रस एसोसिएशन के महासचिव सुंदर कहते हैं,
"चीन में बने पटाखे सस्ते हो सकते हैं, लेकिन वे सेहत और पर्यावरण के लिए
बेहद खतरनाक हैं." उनका दावा है कि शिवाकाशी में बने पटाखे सुरक्षा और
क्वालिटी के लिहाज से चीनी पटाखों से काफी बेहतर हैं. तमिलनाडु फायरवर्क्स
एंड एमोर्सेज मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एबीरूबेन कहते हैं, "चीनी
पटाखों में पोटैशियम क्लोराइड का इस्तेमाल होता जो काफी सस्ता है. भारतीय
पटाखों में उसकी जगह एल्यूमिनियम पावडर का इतेमाल होता है जो उसके मुकाबले
छह गुना ज्यादा महंगा है.
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देश में बिकनेवाले 90 प्रतिशत पटाखे और 75 फीसदी माचिस तमिलनाडु के शहर शिवकाशी की देन हैं. शिवकाशी के हर गली-मोहल्ले में पटाखे और माचिस बनाने का काम होता है. साल में आठ-नौ महीने यहां पटाखे बनाने का कारोबार जोर-शोर से होता है. लगभग चार लाख लोग इस कारोबार से जुड़े हैं, जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. बाल श्रम निषेध कानून लागू हुए डेढ़ दशक से ज्यादा बीत चुका है, लेकिन शिवकाशी में अभी भी हजारों मासूम बच्चे इस खतरनाक काम में खट रहे हैं. दिन में 12 से 15 घंटे मेहनत करने के बाद इन बच्चों को 90 से 150 रुपये के बीच दिहाड़ी मिलती है. लगता है नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी की शिवकाशी पर नजर नहीं पड़ पायी है.
नई दिल्ली : सरकारी रोक के बावजूद राजधानी में चीनी पटाखे धड़ल्ले से बिक रहे हैं। असंगठित व छोटे बाजारो में चीनी पटाखों को खपाया जा रहा है। इन पटाखों की ब्रिकी से घरेलू पटाखा व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुकानदारों की मानें तो इससे देसी पटाखों की ब्रिकी में करीब 40 फीसद की कमी आई है। दुकानदारों की मानें तो रोक लगने से पहले ही बाजार में काफी अधिक मात्रा में चीनी पटाखे आ गए हैं।
गौरतलब है कि देसी पटाखों को बढ़ावा देने के मकसद से प्रशासन ने पिछले दिनों दिल्ली में चीन के पटाखों की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगा दी थी। सदर बाजार, जामा मस्जिद आदि थोक बाजार में लाइसेंस लेकर पटाखा बेचने वाले व्यापारी चीनी पटाखों की बिक्री नहीं कर रहें हैं। इन बाजारों में प्रशासन के डर से कारोबारियों ने अपनी दुकानों के बाहर किसी भी तरह के चाइनीज पटाखे न खरीदने और न बेचने के बोर्ड लगा रखें हैं। लेकिन छोटे बाजारों में चीनी पटाखों को चोरी-छिपे बेचा जा रहा है। इससे घरेलू थोक पटाखा कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है
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Ban on Chinese firecrackers hard to enforce
Maria Akram, TNN | Oct 2, 2014, 01.45AM IST
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NEW DELHI: With Dussehra round the corner and Diwali three weeks away, the central government has suddenly remembered the rules banning imported crackers (read Chinese fireworks) on the grounds that they don't meet standards due to a high potassium chlorate content, which makes production cheaper but hazardous. The crackers are also polluting.
The Union minister of state for commerce and industry, Nirmala Sitharaman, said in a conference on Monday that the government hasn't given permission or any licence for the import of firecrackers. But these Chinese crackers were never allowed in the country. Then how is it that they have been flooding the market every festive season, so much so that Diwali seems incomplete without them?
This time the government has issued strict instructions to stop their sale. TOI spoke to traders in Sadar Bazar and Chandni Chowk dealing in crackers and they seem to have overnight turned environmentally conscious and vowed not to sell the Chinese varieties.
Rakesh Tanwar, a trader on Qutub Road, sells crackers all round the year. "This is good news for us as we use only India-made crackers from Sivakasi (Tamil Nadu). Moreover, these (Chinese) crackers are hazardous." Potassium chlorate is believed to add colour and gives height to the fireworks. Another trader, Narinder Kumar, explained that Indian crackers are made using potassium nitrate and aluminium powder, which escalates the cost by three times compared to potassium chlorate. "There is no way that Indian crackers can be sold at the price of Chinese as the cost is much more."
However, those who have already placed orders in China are now staring at huge losses as their consignments will be seized at ports. "Usually, traders go to China and place orders. On an average, each trader would suffer a loss of Rs 2-3 crore. A pack of 12 rockets, not the fancy ones, usually cost a trader around Rs 30-35 whereas a Chinese pack would cost Rs 18," said Tanwar.
Many traders said it would be hard to crack down on Chinese crackers. Sunil Kumar, a Chinese crackers seller, said, "The consignments that have reached and the stock in circulation have to be sold. No new orders will be placed as customs officials are very vigilant nowadays." Recently, four consignments carrying Chinese fireworks worth Rs 3.6 crore were seized in Navi Mumbai.
After China, India is the second largest producer of firecrackers, which is a Rs 3,000 crore industry, and Sivakasi alone caters to 80% of India's needs. Tamil Nadu's former CM, Jayalalithaa, had written in April to the Prime Minister's office asking the customs department to be more effective and check smuggling. Even Narendra Modi in a rally in Tamila Nadu before Lok Sabha polls had criticized the Centre for letting fireworks units bleed.
Source : Various News Source including Jagran Paper News, Times of India News