खाद्य एवं रसद विभाग में होगी 1800 पदों पर भर्ती
(1800 Posts Fill in Food and Supply Department UP )
कई वर्ष से खाली पड़े हैं पद, भर्ती से विभागीय कार्यों में आएगी गति, प्रमुख सचिव ने तैयार कराया रिक्त पदों का ब्यौरा
लखनऊ। खाद्य एवं रसद विभाग में रिक्त चल रहे 1841 पदों पर शीघ्र ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद विभाग ने रिक्त पदों का ब्योरा तैयार करा लिया है। लोकसेवा आयोग से शीघ्र ही इन पदों पर भर्ती के लिए अनुरोध किया जाएगा। खाद्य एवं रसद विभाग में ये पद पिछले कई सालों से खाली पड़े हैं। अधिकारी इन खाली पदों को भरने पर ध्यान नहीं दे रहे थे। इसके चलते विभागीय काम समय पर नहीं हो पा रहे हैं।
गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने और अल्प आय वर्ग के लोगों को सस्ते दर पर राशन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार खाद्य एवं रसद विभाग यह कार्य प्रदेश में करीब 73 हजार कोटेदारों के माध्यम से कराता हैं। कोटेदारों पर सीधी निगरानी के लिए विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती करता है, विभाग में इसके लिए 2758 पद हैं। लेकिन, इनमें से मात्र 917 पदों पर ही अधिकारी काम कर रहे हैं। इसके चलते विभाग का काम ठीक ढंग से नहीं चल पा रहा है।
प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद बलविंदर कुमार द्वारा पिछले दिनों बुलाई गई समीक्षा बैठक में राशन वितरण प्रणाली में अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जाने पर नाराजगी जाहिर की थी। इस पर उन्हें बताया गया कि विभाग के पास पिछले कई सालों से जरूरत के मुताबिक अधिकारी नहीं हैं। इसके चलते कार्य कराने में परेशानियां आ रही हैं। इसके आधार पर विभाग में रिक्त पदों का ब्योरा तैयार कराया गया है। रिक्तियों के आधार पर भर्ती के लिए शीघ्र ही लोकसेवा आयोग से अनुरोध किया जाएगा।
ये हैं रिक्त पद
•संभागीय खाद्य नियंत्रक 18 पद 4 खाली।
•संभागीय खाद्य विपणन अधिकारी 18 पद 1 खाली।
•जिला खाद्य विपणन अधिकारी 73 पद 35 खाली।
•वरिष्ठ विपणन निरीक्षक 468 पद 414 खाली।
•विपणन निरीक्षक 1133 पद 655 खाली।
•अपर आयुक्त एक पद वह भी खाली।
•संयुक्त आयुक्त पांच पद सभी खाली।
•उपायुक्त खाद्य 15 पद 6 खाली।
•जिलापूर्ति अधिकारी प्रथम 29 पद 22 खाली।
•जिलापूर्ति अधिकारी द्वितीय 46 पद 15 खाली।
•पूर्ति निरीक्षक 757 पद 597 खाली।
News : Amar Ujala (2.4.12)
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खाली पदों से कैसे सुधरेगी व्यवस्था
लखनऊ, 1 अप्रैल (जाब्यू): शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी का रोना तो जगजाहिर है, लेकिन यह महकमा प्रशासनिक अधिकारियों की किल्लत से भी जूझ रहा है। यह स्थिति तब है जब शिक्षा महकमे के सामने शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को लागू करने की चुनौतियां हैं।
उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा समूह क के 338 स्वीकृत पदों में तकरीबन एक चौथाई पद खाली हैं। समूह क के जो पद कार्यरत भी हैं उनमें भी कई पदों पर तदर्थ रूप से प्रोन्नत अफसर काम कर रहे हैं। समूह ख के 1183 सृजित पदों में वर्तमान में तकरीबन 70 फीसद रिक्त हैं। बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम सूबे में पहली अप्रैल 2010 से लागू है। वहीं माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई को सर्वसुलभ बनाने व उसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना भी यहां क्रियान्वित हो रही है। परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने का दायित्व शिक्षा विभाग (बेसिक व माध्यमिक शिक्षा) के पास है, लेकिन महकमे के पास इन परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जरूरी प्रशासनिक ढांचा ही नदारद है। समूह क के अंतर्गत निदेशक, अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप शिक्षा निदेशक व जिला विद्यालय निरीक्षक के पद आते हैं। विभाग में अपर निदेशक के 12 पद सृजित हैं जिनमें 11 खाली हैं। संयुक्त शिक्षा निदेशक के 21 पदों में से पांच ही भरे हैं। शेष खाली हैं या उन पर निम्न वेतनमान के अधिकारियों को चार्ज दिया गया है। उप शिक्षा निदेशक के 107 पद में से एक दर्जन से अधिक खाली हैं। जिला विद्यालय निरीक्षकों के 193 में से लगभग 25 प्रतिशत पद खाली हैं। समूह ख (उच्चतर) के पदों की स्थिति और भी बदतर है। इनमें सीधी भर्ती के जरिए भरे जाने वाले राजकीय इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यों के 300 पदों में से लगभग 200 खाली हैं। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी/सह जिला विद्यालय निरीक्षक एवं अन्य समकक्ष के 81 में से 15 पद रिक्त हैं। समूह ख में प्रोन्नति कोटा के जरिए भरे जाने वाले प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज/जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी/सह जिला विद्यालय निरीक्षक व समकक्ष के 382 में से लगभग 90 प्रतिशत पद खाली हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के वरिष्ठ प्रवक्ताओं के 420 में से 70 फीसद से अधिक पद रिक्त हैं।
News : Jagran (2.4.12)