News : सऊदी अरब में अब आतंकवादी माने जाएंगे नास्तिक
सऊदी अरब में अब नास्तिक होना एक अपराध होगा और ऐसे किसी भी शख्स को आतंकवादी माना जाएगा। साथ ही अगर कोई इस्लाम या सऊदी सरकार पर सवाल उठा रहा है या फिर उसका अपमान कर रहा है, तो उसे आतंकवादी घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे लोगों को खतरनाक आतंकवादियों जैसी ही सजा भी मिलेगी।
सऊदी अरब में लागू किए गए नए आतंक निरोधी कानूनों में प्रावधान किया गया है कि सरकार और इस्लाम की आलोचना करने वाले किसी भी शख्स को 20 साल तक की सजा हो सकती है। इन कानूनों में धर्म को न मानने वाले सेक्युलर लोगों के वैचारिक अपराधों को उसी श्रेणी में रखा गया है जिसमें अल-कायदा और सऊदी हिजबुल्ला जैसी संगठनों के अपराधों को रखा गया है। ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में कहा गया है कि अगर कोई सऊदी नागरिक या राज्य में रह रहा कोई विदेशी किसी भी तरह से नास्तिक विचार रखता है या फिर इस्लाम की किसी बात पर कोई सवाल उठाता है, उसे 20 साल तक की सजा दी जा सकती है।
सऊदी किंग अब्दुल्ला की ओर से जारी इस आदेश में ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है जो किसी और देश में जाकर जंग लड़ रहे हैं। यह कानून खासकर उनके खिलाफ है, जो सीरिया के गृहयुद्ध में भाग ले रहे हैं। सऊदी सरकार को डर है कि ऐसे लोगों में से कई वापस आकर यहां की राजशाही के खिलाफ लोगों को ट्रेनिंग दे सकते हैं। इस नए कानून के जरिए सऊदी के राजा अब्दुल्ला के सभी राजनीतिक विरोधियों और विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए अभियान तेज कर दिया गया है।
इस बीच अल-कायदा की स्थानीय शाखा ने इन कानूनों की आलोचना करते हुए कहा है कि इन कानूनों से उससे जुड़ने वालों की संख्या पर कोई असर नहीं होगा। उसने सऊदी अरब पर अमेरिकी पिट्ठू होने का आरोप लगाया है और कहा कि ये नए कानून भी उसी गुलामी का एक हिस्सा हैं
सऊदी अरब में अब नास्तिक होना एक अपराध होगा और ऐसे किसी भी शख्स को आतंकवादी माना जाएगा। साथ ही अगर कोई इस्लाम या सऊदी सरकार पर सवाल उठा रहा है या फिर उसका अपमान कर रहा है, तो उसे आतंकवादी घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे लोगों को खतरनाक आतंकवादियों जैसी ही सजा भी मिलेगी।
सऊदी अरब में लागू किए गए नए आतंक निरोधी कानूनों में प्रावधान किया गया है कि सरकार और इस्लाम की आलोचना करने वाले किसी भी शख्स को 20 साल तक की सजा हो सकती है। इन कानूनों में धर्म को न मानने वाले सेक्युलर लोगों के वैचारिक अपराधों को उसी श्रेणी में रखा गया है जिसमें अल-कायदा और सऊदी हिजबुल्ला जैसी संगठनों के अपराधों को रखा गया है। ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में कहा गया है कि अगर कोई सऊदी नागरिक या राज्य में रह रहा कोई विदेशी किसी भी तरह से नास्तिक विचार रखता है या फिर इस्लाम की किसी बात पर कोई सवाल उठाता है, उसे 20 साल तक की सजा दी जा सकती है।
सऊदी किंग अब्दुल्ला की ओर से जारी इस आदेश में ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है जो किसी और देश में जाकर जंग लड़ रहे हैं। यह कानून खासकर उनके खिलाफ है, जो सीरिया के गृहयुद्ध में भाग ले रहे हैं। सऊदी सरकार को डर है कि ऐसे लोगों में से कई वापस आकर यहां की राजशाही के खिलाफ लोगों को ट्रेनिंग दे सकते हैं। इस नए कानून के जरिए सऊदी के राजा अब्दुल्ला के सभी राजनीतिक विरोधियों और विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए अभियान तेज कर दिया गया है।
इस बीच अल-कायदा की स्थानीय शाखा ने इन कानूनों की आलोचना करते हुए कहा है कि इन कानूनों से उससे जुड़ने वालों की संख्या पर कोई असर नहीं होगा। उसने सऊदी अरब पर अमेरिकी पिट्ठू होने का आरोप लगाया है और कहा कि ये नए कानून भी उसी गुलामी का एक हिस्सा हैं