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Saturday, April 26, 2014

72825 Teacher Recruitment : 50% Reservation Meaning

72825 Teacher Recruitment : 50% Reservation Meaning


UPTET  / टीईटी / TET Teacher Eligibility Test Updates / Teacher Recruitment News   


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72825 Teacher Recruitment, Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order, UP-TET 2011,

आजकल सोशल मीडिया लोग भ्रामक प्रचार करने में लगे हुए हैं -
कि ५०% सामान्य का मतलब सिर्फ सामान्य वर्ग

ऐसा नहीं है , 50 % सामान्य जाती की सीटों का मतलब -
मान लो 100 उम्मीदवारों की जगह खाली है तो पहली 50 सीटें (टॉप रेंकर्स की ) सभी जातियों के लिए हैं भले ही वह आरक्षित वर्ग का उम्मेदवार हो ।

यह जरूर हो सकता है की किसी अच्छे जिले में आरक्षित वर्ग की काम कट - ऑफ़ पर अच्छा अवसर मिल जाये
जो भी हो सोच समझ कर आपको फैसला लेना है और बेस्ट ऑप्शन चुनना है, जीवन आपका है , मौका आपका है

यहाँ ध्यान देने की बात है की काउंसलिंग किस प्रकार की होती है - एक सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग या फिर अलग अलग दिनों में अलग अलग जिलों की काउंसलिंग , सारी बात इस पर निर्भर करेगी

यह भी ध्यान देना होगा की प्राथमिक शिक्षक भर्ती जिला संवर्ग की है मतलब जिस  जिले में चयन होगा , उस जिले से बहार पोस्टिंग नहीं मिल पाएगी

अगर उपरोक्त विवरण देने में मुझसे कुछ गलती हो तो सुधर के लिए कमेन्ट के मध्यम से सूचित करें


11 comments:

  1. MATLAB 50% me b other category walo ki fight hogi ?

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  2. दोस्तों यह कोई नई बात नहीं है आज से पहले भी ५०% आरक्षण था और आगे भी रहेगा ।
    यदि आरक्षित वर्ग की मेरिट सामान्य वर्ग की मेरिट से अधिक या बराबर हो तो आरक्षित वर्ग का चयन सामान्य वर्ग की सीटों मे होता है ।

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  3. DD VAPSI VAALE BHEE IN HO JAYENGE, SABRA RAKHEN
    डिअर मेंबर्स एक चीज़कहना जरूर चाहूंगा क्यूंकि टेट का नशा है मुझे:::::::::

    जिसने नए ऐडमें अप्लाईकियावो ठीक कामसे काम १०००० तोखर्च किये होंगेन |

    पर वेभरोसा करने लायक है नहीं जिन्होंने पैसे वापस लिए |

    फॉर्म नए ऐड मेंमैंने भी डाले थेपर दोस्तों वो टेट मोर्चेकी गलती को लेके खैर ये बात बड़े लेवल कीहैक्यूंकि शलभ तिवारी जी के आलावा बहुतकाम लोगहोंगे जिन्हे२१/१२/१२ की डेट के आर्डर का पता हो|

    खैर में तो चाहता हूँसबका हो जाये पर आज उनसे एक अपील करूँगा जिन्होंने डी.डी. वापसी के लिए अप्लाई किया था ??????? येसोचियेजरा!!!!!! क्या आज आप वाकई टेट समर्थक हैं?????? जिस नौकरी के लिए आप उत्साहितहैं, क्या आपनेडी.डी वापसीका अप्लाईकरतेहुए सोचा था की आप अपने भाइयों को छोड़ रहे हो ? सोचियेखुद और जवाबदीजिये, मुझे नहीं अपनीअंतरात्मा को |

    आप किसी भी तरह टेट मोर्चे को blame नहीं कर सकतेहो अपनी मदद के लिए | पर सब इन् हैं |

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  4. Mere anusar merit low hogi bcz.... j log ye bta rhe h k merit high jayeg to wo ye jan le k ...... 1- 1st step me 5 dist form jo k lgbag 90% log bhar diye the. 2- 2nd step me all dist. with one droft 3- lgbhg sb log 6th droft bnwaye. 4- gov k ordr aane pr b sb log nye sire se form dale jbki 5 dist. Ko chodkr form bharna tha. 5- 90% log home dist. Lakhimpur bhraich. Sitapur. Bhare h. ......dosto lgbhg hr 5dist me for dubhara gya jisme condidate ek..... hi h isliye 1st coun. Me merit high ho skti h bt 2nd me bhut doun jayegi..... m

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  5. बिक रहे थे रिश्ते खुलेआमव्यापार में..

    कांपते होठों सेमैंने पुछा, "क्या भाव हैभाईइन रिश्तों का?"

    दूकानदार बोला:

    "कौनसा लोगे..?

    बेटे का ..या बाप का..?

    बहिन का..याभाईका..?

    बोलो कौनसा चाहिए..?

    इंसानियत का.या प्रेम का..?

    माँका..या विश्वास का..?

    बाबूजी कुछ तो बोलो कौनसा चाहिए.चुपचाप खड़े हो कुछ बोलो तोसही...

    मैंने डर कर पुछ लिया दोस्त का..?

    दुकानदार नमआँखोंसे बोला:

    "संसार इसी रिश्ते पर ही तो टिका है ..,माफ़करना बाबूजी ये रिश्ता बिकाऊ नहींहै.. इसका कोई मोल नहीं लगा पाओगे,

    और जिस दिन येबिक जायेगा... उस दिन येसंसार उजड़ जायेगा..."

    सभी मित्रों को समर्पित..

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  6. एक मिनट लगेगा जरूर पढेँ अच्छा लगे तोlike करना न भूलेँ?? एक अमीर ईन्सान था। उसनेसमुद्र मेँअकेले घूमनेके लिए एक नावबनवाई। छुट्टी केदिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही थाकि अचानक एक जोरदार तुफान आया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गईलेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मेँकूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँभी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भीनजर नही आ रहा था। उस आदमीने सोचाकि जब मैंने पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नहीकिया तो मे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..? उस ईन्सान को लगा कि खुदा नेमौतसे बचाया तो आगे का रास्ता भी खुदा ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा। अब धीरे-धीरे उसकी आस टूटने लगी, खुदा पर से उसका यकीन उठगया। उसको लगा कि इस दुनिया मेँ खुदा है ही नही। फिर उसने सोचा किअब पूरी जिंदगी यही इस टापूपर ही बितानी हैतो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......? फिर उसने झाडकी डालियो और पत्तोसे एक छोटी सी झोपडी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोनापडेगा। रात हुई ही थी किअचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कनेलगी.! तभीअचानक एक बिजली उस झोपडी पर आगिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी। यह देखकर वह ईन्सान टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तूखूदा नही, बैरहम है। तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तूबहुतक्रूर है। और वह ईन्सान हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू केपास आई। नावसे उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोलेकि हम तुमे बचाने आये हैं। दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबतमेँ है। अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तोहमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमीकी आँखो सेआँसूगिरनेलगे। उसने खुदा सेमाफीमाँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझेबचाने केलिए मेरी झोपडीजलाई थी। ========================== moral - दिन चाहे सुख केहों या दुख के, खुदा अपनेबनदौ के साथ हमेशा रहते हैं।

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  7. अदालतकी तौहीन!

    अदालतमें मुक़दमा चल रहा था कि शराबी पति नेअपनी पत्नी का हाथ तोड़ दिया।जज के सामनेजब पति को पेश कियागया तोउसने सुबकते-सुबकतेसारी घटना सुना दी। जज नेपति से भविष्य सेअच्छा व्यवहार करनेके वायदेपर उसे छोड़ दिया।

    लेकिन दूसरे दिन ही उसेपत्नी का दूसरा हाथ तोड़नेपर जज के सामने लाया गया।इस बार उसनेसफाई देतेहुए बताया, "हजूर छूटनेपर अपने कोसम्भालनेके लिए मैंने थोड़ी सी शराब पीपर जब इससेभी कोई फर्क नहीं आयातो थोड़ी-थोड़ी करके मैं दो बोतलें पी गया। दो बोतल शराब पीनेके बादजब मैं घर पहुंचा तो मेरी पत्नी मुझ पर चिल्लानेलगीकि शराबी ,आ गया नाली में लेटकर।हजूर मैंने अपनी हालतपर गौर किया और सोचा शायद यह ठीक कहती है। इसलिए मैं खामोश रहा। इसकेबाद वह बोली,"हरामखोर, कुछ कामधन्धा भी करा कर।" हजूर मैं इस पर भीमैंकुछ नहीं बोला पर फिर तो इसने हद हीकर दी और बोली, "अगर जज मेंथोड़ीसी भी अकल होती तो तूअबतक जेल मेंहोता।

    " बस हजूर, अदालत की तौहीन मुझसे बर्दाश्तना हुई।

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  8. ेंसिल और इरेज़र यह कथा अभिभावकों और बच्चोंको समर्पितहै.

    पेंसिल - मुझेक्षमा करो.

    इरेज़र - किस बात केलिए? तुमनेकोई गलत काम नहीं किया है.

    पेंसिल - मैं क्षमाप्रार्थी हूँ क्योंकि तुम्हे मेरेकारण चोट लगती है. मैं जबभी कोई गलती करतीहों, तुम हमेशा उसे साफ़ करने के लिए तैयार रहते हो. पर जब भी तुम मेरी गलतियों को साफ़ करते हो, तुम अपना एक हिस्सा खो देतेहो. हर बार तुम छोटे और छोटे होतेजाते हो.

    इरेज़र - सही बातहै. पर मैं इस बातपर ध्यान नहीं देता हूँ. तुम देखोगी कि मेरा जन्मही इस बातके लिए हुआ है. मुझेबनाया ही इस बात केलिए गयाहैकि जब भी तुमकुछ गलतकामकरो तो मैंतुम्हारीसहायता करू. मैं जानता हूँकि एक दिन मैं समाप्त हो जाऊंगा और कोई अन्य इरेज़र मेरी जगह ग्रहण कर लेगा. मैं वास्तव मेंअपना काम करके प्रसन्न हूँ. अतः कृपया, चिंता करना बंद करो. मुझे तुम्हे दुखी देख कर बुरा लगता है.

    मुझेपेंसिल और इरेज़र केमध्य यह संवाद बहुत ही प्रेरणादायक लगा. अभिभावक इरेज़र केसमान होतेहैंजबकि बच्चेपेंसिल के समान. अभिभावक हमेशा बच्चोंकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं. कभीकभी अभिभावकों की भावनाएं आहत भीहोती हैं और वेकमजोर, बीमार और अंत में इस दुनिया को छोड़कर चले जातेहैं. बच्चोंको उनकाजीवन साथीतोमिल जाताहैकिन्तु अभिभावक हमेशा खुश रहते हैं क्योंकि उन्होंने अपने बच्चोंके लिए, जो वेचाहतेथे, किया हैऔर हमेशा अपने बच्चों को चिंताग्रस्त / तनावग्रस्त देखकर दुखी होते हैं.

    मैंअपने पूरी जिंदगीमें पेंसिल बना रहाऔर मुझे यह देखकर दुःख होता है किमेरे माता पिता प्रत्येक दिन वृद्ध होते जा रहे हैं. मैं यह भी जानता हूँ कि एक दिन मैं भी इरेज़र बन जाऊंगा और मेरेसाथ मेरे माता पिता की सुनहरी यादें रहेंगी.

    अज्ञात

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  9. formula-12 aap bata sakte hai ki 2lak 70 hazar tet pass candidat me 2012 B.ED wale hai ki nahi

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