उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता चाहने वालों की लाइन में अब केवल स्नातक ही नहीं हैं, बल्कि डॉक्टर और इंजीनियर भी शामिल हो गए हैं. अधिकारियों की मानें तो सूबे में अब तक 300 से अधिक डॉक्टर और इंजीनियर विभिन्न सेवायोजन कार्यालयों में अपना पंजीकरण करा चुके हैं.
समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि प्रदेश में सपा की सरकार बनने पर 35 वर्ष से अधिक उम्र के बेरोजगारों को 1000 रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. सपा सरकार ने अपने इस वादे पर अमल करते हुए कैबिनेट की पहली बैठक में ही बेरोजगारी भत्ता दिए जाने को मंजूरी दे दी.
निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए पिछले करीब तीन माह में 300 से अधिक डॉक्टर एवं इंजीनियर अपना पंजीकरण करा चुके हैं. जनवरी में 45, फरवरी में 107 और मार्च में अब तक 160 नए टेकि्न कल छात्र अपना पंजीकरण करवा चुके हैं.
अधिकारी ने बताया कि रोजगार एवं सेवायोजन निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब 28 लाख लोग अपना पंजीकरण करवा चुके हैं. जिला रोजगार एवं पजीकरण कार्यालयों पर पंजीकरण कराने के लिए अभी भी लोगों की भीड़ लग रही है जिसे देखते हुए पुलिस के अलावा पीएसी की भी मदद लेनी पड़ रही है.
अधिकारी ने बताया कि अभी तक पंजीकरण कराए गए करीब 28 लाख लोगों में से 35 वर्ष से अधिक आयु वाले बेरोजगारों की संख्या तकरीबन 5 लाख से अधिक हो चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ मंडल में सबसे अधिक डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने अपना पंजीकरण कराया है और इसके बाद फैजाबाद में लगभग 50 हजार तथा वाराणसी में 75 हजार से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं.
News : aajtak.intoday.in (28.3.12)
हराम के रुपयोँ का मजा ही कुछ और है.....
ReplyDeleteहराम के रुपयोँ का मजा ही कुछ और है.....
ReplyDeleteगलत तो नहीँ कहा Mr. & Mrs.
kya bol raha hai bhai
ReplyDeleteyaaron jaldi se sup court chalo yahi ek rasta hai aur kuch ni
ReplyDeleteYe sarkar school nahi chalayegi bacho ko gaya bhais charane ke liye kahegi .
ReplyDeleteKOI TO MISHRA G ARTICLE KO ABSE LIKH KE BLOG PE SHOW KARE AUR HAN MERE ID PE BHI BHEJ DE JIS SE MAI ALL U.P. KE NEWS PAPER MAI CHAPWA SAKU
ReplyDeletehttp://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2012-04-02&pageno=6#id=111737037932521312_49_2012-04-02
ReplyDeleteApril 2, Monday , 2012
हाईकोर्ट की मंजूरी पर ही बीएड कालेजों कोमान्यताठ्ठ दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ उच्च न्यायालय कीइजाजत के बिना नेशनल कांउसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) अब हरियाणा के किसी भी कालेज को न तो जेबीटी और बीएड की मान्यता दे पाएगा और न ही संबद्धता। हाईकोर्ट का मानना है कि एनसीटीई पैसा लेकर मास्टर बनाने वाली इन फैक्टि्रयों पर शिकंजाकसने में नाकाम रहा है। इस बात पर खफा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राम किशोर को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में की जा रही जांच से हाईकोर्ट संतुष्ट नही है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामले में आप लोगों की जांच के लिए क्यों न एक समिति का गठन कर दिया जाए। हाईकोर्ट ने यह प्रतिक्रिया एनसीटीई द्वारा कोर्ट में पेश एक जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए दी। एनसीटीई ने कोर्ट को बताया कि उसने 44 जांच दल बनाए हैं, जिन्होंने 434 संस्थान की जांच की है व 390 की रिपोर्ट तैयार कर ली है। 15 संस्थान की पहचान कर उनको नोटिस जारी किया गया है। खंडपीठ ने डॉ. राम किशोर से कहा कि इस मामले की जांच सही नहीं हो रही है। एनसीटीई की कमी के कारण ही दुकान की तरह कालेज खुले हैं। अगर एनसीटीई की कार्यप्रणाली सही होती तो ऐसे हालत पैदा नही होते। कोर्ट ने कहा एनसीटीई की कार्यप्रणाली की जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने क्षेत्रीय निदेशक को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि हरियाणा में हाईकोर्ट की इजाजत के बिना किसी भी कालेज को न तो मान्यता दी जाए व न ही संबद्धता दी जाए। कोर्ट ने एनसीटीई को यह भी निर्देश दिया कि उसने 434 में जिन 390 संस्थानों की रिपोर्ट तैयार कर ली है, उनका अवलोकन कर, और जिन कालेजों की मान्यता रद की गई है, उनकी रिपोर्ट अदालत में पेश करे। कोर्ट ने कहा कि इसका निर्णय अदालत करेगी कि बाकि कालेजों की जांच किससे करवानी है।
Hc ne apne decision me b.ed colleges ko paisa lekar master banane wali factory kaha hai, jo bilkul sahi baat hai.
ReplyDeleteखाली पदों से कैसे सुधरेगी व्यवस्था
ReplyDeleteलखनऊ, 1 अप्रैल (जाब्यू): शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी का रोना तो जगजाहिर है, लेकिन यह महकमा प्रशासनिक अधिकारियों की किल्लत से भी जूझ रहा है। यह स्थिति तब है जब शिक्षा महकमे के सामने शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को लागू करने की चुनौतियां हैं। उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा समूह क के 338 स्वीकृत पदों में तकरीबन एक चौथाई पद खाली हैं। समूह क के जो पद कार्यरत भी हैं उनमें भी कई पदों पर तदर्थ रूप से प्रोन्नत अफसर काम कर रहे हैं। समूह ख के 1183 सृजित पदों में वर्तमान में तकरीबन 70 फीसद रिक्त हैं। बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम सूबे में पहली अप्रैल 2010 से लागू है। वहीं माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई को सर्वसुलभ बनाने व उसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना भी यहां क्रियान्वित हो रही है। परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने का दायित्व शिक्षा विभाग (बेसिक व माध्यमिक शिक्षा) के पास है, लेकिन महकमे के पास इन परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जरूरी प्रशासनिक ढांचा ही नदारद है। समूह क के अंतर्गत निदेशक, अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप शिक्षा निदेशक व जिला विद्यालय निरीक्षक के पद आते हैं। विभाग में अपर निदेशक के 12 पद सृजित हैं जिनमें 11 खाली हैं। संयुक्त शिक्षा निदेशक के 21 पदों में से पांच ही भरे हैं। शेष खाली हैं या उन पर निम्न वेतनमान के अधिकारियों को चार्ज दिया गया है। उप शिक्षा निदेशक के 107 पद में से एक दर्जन से अधिक खाली हैं। जिला विद्यालय निरीक्षकों के 193 में से लगभग 25 प्रतिशत पद खाली हैं। समूह ख (उच्चतर) के पदों की स्थिति और भी बदतर है। इनमें सीधी भर्ती के जरिए भरे जाने वाले राजकीय इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यों के 300 पदों में से लगभग 200 खाली हैं। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी/सह जिला विद्यालय निरीक्षक एवं अन्य समकक्ष के 81 में से 15 पद रिक्त हैं। समूह ख में प्रोन्नति कोटा के जरिए भरे जाने वाले प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज/जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी/सह जिला विद्यालय निरीक्षक व समकक्ष के 382 में से लगभग 90 प्रतिशत पद खाली हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के वरिष्ठ प्रवक्ताओं के 420 में से 70 फीसद से अधिक पद रिक्त हैं।
Newspaper vale ansan ko tarjeeh nahi de rahe bkaj ye bhi to sarkar ke chamche hain .time ki mang hai jaise loot sako looto logo ki najaro se bachke ye sp sarkar hai.
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ReplyDeleteटीईटी आंदोलनकारियों का वार्ता से इनकारसीएम की घोषणा का करेंगे इंतजार, सात और की हालत बिगड़ीलखनऊ। टीईटी आंदोलनकारी अब आर-पार की लड़ाई पर उतर आए हैं। तीन दिन से अनशन परबैठे आंदोलनकारियों ने शासन के उच्च अधिकारियों से वार्ता करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे अब मुख्यमंत्री की घोषणा का इंतजार करेंगे। तब तक अनशन जारी रहेगा। अनशन पर बैठे सचिन राणा ने कहा कि पिछले दिनों अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है, जबकि नतीजा सिफर है। हर बार वार्ता विफल होने के कारण आंदोलनकारियों ने निर्णय लिया है कि अब वे किसी भी अधिकारी से वार्ता नहीं करेंगे।उधर, अनशन के तीसरे दिन आंदोलनकारियों की हालत बिगड़ने लगी है। रविवार को सात अन्य आंदोलनकारियों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें अनशनकारीअतुल तिवारी, राजकुमार, सचिन, वीर बहादुर, सुधाकर, सुरेंद्र और मनोज शामिल हैं। इससे पहले शनिवार को दो आंदोलनकारियों को अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। तीन दिन से अनशन पर बैठे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी सरकार की ओर से जारी पूर्व प्रकाशित विज्ञप्ति के अनुसार मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी नेटीईटी अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए सरकार से मांगों पर सकारात्मक निर्णय करने कीमांग की है। एसोसिएशन अध्यक्ष का कहना है कि अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ी की सजा अभ्यर्थियों को न दी जाए।
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ReplyDeletenewspaper walon ne dharne par baithe tetions ki photo kyon nahin chhapi.
ReplyDeleteशिक्षकों के रिक्त पदों का फिर से तैयार होगा ब्योरालखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषदमें रिक्त सहायक अध्यापकों का ब्योरा फिर से तैयार किया जाएगा। रिक्तियों का ब्योरा मिलने के बाद शिक्षकों की भर्ती के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से नए सिरे से अनुमति मांगी जाएगी। शिक्षकों के रिक्त पदों का ब्योरा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से शीघ्र ही मांगा जाएगा।शिक्षा का अधिकार अधिनियमलागू होने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) देश के सभी राज्यों को बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में सीधे शिक्षक रखने की अनुमति दी थी। इसके लिए टीईटी अनिवार्य करते हुए यह भर्ती 1 जनवरी 2012 तक करने की अनुमति दी गई थी।
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govt.sikshak pado ki sankhya badhane ja rahi hai,ab lagbhag 1.25 lakhs pado par bharti ki jayegi,
par iska fayda hame tab hi milega jab tet bachegi
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ReplyDeleteटीईटी आंदोलनकारियों का वार्ता से इनकारसीएम की घोषणा का करेंगे इंतजार, सात और की हालत बिगड़ीलखनऊ। टीईटी आंदोलनकारी अब आर-पार की लड़ाई पर उतर आए हैं। तीन दिन से अनशन परबैठे आंदोलनकारियों ने शासन के उच्च अधिकारियों से वार्ता करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे अब मुख्यमंत्री की घोषणा का इंतजार करेंगे। तब तक अनशन जारी रहेगा। अनशन पर बैठे सचिन राणा ने कहा कि पिछले दिनों अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है, जबकि नतीजा सिफर है। हर बार वार्ता विफल होने के कारण आंदोलनकारियों ने निर्णय लिया है कि अब वे किसी भी अधिकारी से वार्ता नहीं करेंगे।उधर, अनशन के तीसरे दिन आंदोलनकारियों की हालत बिगड़ने लगी है। रविवार को सात अन्य आंदोलनकारियों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें अनशनकारीअतुल तिवारी, राजकुमार, सचिन, वीर बहादुर, सुधाकर, सुरेंद्र और मनोज शामिल हैं। इससे पहले शनिवार को दो आंदोलनकारियों को अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। तीन दिन से अनशन पर बैठे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी सरकार की ओर से जारी पूर्व प्रकाशित विज्ञप्ति के अनुसार मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी नेटीईटी अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए सरकार से मांगों पर सकारात्मक निर्णय करने कीमांग की है। एसोसिएशन अध्यक्ष का कहना है कि अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ी की सजा अभ्यर्थियों को न दी जाए।
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शिक्षकों के रिक्त पदों का फिर से तैयार होगा ब्योरालखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषदमें रिक्त सहायक अध्यापकों का ब्योरा फिर से तैयार किया जाएगा। रिक्तियों का ब्योरा मिलने के बाद शिक्षकों की भर्ती के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से नए सिरे से अनुमति मांगी जाएगी। शिक्षकों के रिक्त पदों का ब्योरा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से शीघ्र ही मांगा जाएगा।शिक्षा का अधिकार अधिनियमलागू होने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) देश के सभी राज्यों को बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में सीधे शिक्षक रखने की अनुमति दी थी। इसके लिए टीईटी अनिवार्य करते हुए यह भर्ती 1 जनवरी 2012 तक करने की अनुमति दी गई थी।
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