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यूपी पीसीएस-2011 में कैसे छाए यादव
जुलाई 2013 में यूपी लोकसेवा आयोग के खिलाफ प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश पीसीएस-2011 की मुख्य परीक्षा के नतीजे पिछले साल जुलाई में जब आए तो वे अपने साथ एक तूफान भी लेकर आए थे. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों में लगातार धांधली का आरोप लगाते आ रहे छात्रों के सब्र का बांध अचानक टूट गया और इलाहाबाद की सड़कों पर जमकर बवाल हुआ. गोलियां चलीं, सिर फूटे, बसों के शीशे टूटे और गिरफ्तारियां हुईं. छात्रों का आरोप था कि दूसरे इम्तिहान तो अपनी जगह हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े पीसीएस इम्तिहान तक में पूरी तरह ‘‘यादववाद’’ चला है.
छात्रों ने इस तरह के नतीजों के लिए आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव पर पक्षपात के आरोप लगाए. यादव इन आरोपों से बच भी नहीं सकते थे क्योंकि आयोग के अध्यक्ष के नाते किसी भी परीक्षा परिणाम की अंतिम जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है. बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नीतियों में बदलाव किया और न्याय की उम्मीद में छात्र अपने कमरों में लौट गए. इसके बाद दिसंबर 2013 में पीसीएस-2011 का फाइनल रिजल्ट सामने आया और छात्रों का भरोसा फिर टूट गया.
आयोग को पता था कि ये नतीजे नया बखेड़ा लेकर आएंगे इसलिए आयोग ने बड़ी सफाई से पहले तो नंबर ही एक महीने बाद सार्वजनिक किए और वे भी इस तरह कि कोई छात्र सिर्फ अपने नंबर देख सके, वह भी पासवर्ड से. यानी उत्तर प्रदेश पीसीएस-2011 में क्या गोरखधंधा हुआ, इसे बड़ी सफाई से छुपा लिया गया.
लेकिन इंडिया टुडे ने चार महीने की पड़ताल के बाद आयोग के सिमसिम दरवाजे को खोल लिया और परीक्षा में मिले नंबरों के गोरखधंधे तक पहुंच बनाई. इंडिया टुडे ने पीसीएस-2011 में सफल हुए सभी 389 अभ्यर्थियों के आधिकारिक अंकपत्र की प्रतियां हासिल कीं, जो न तो आरटीआइ के जरिए दी जा रही हैं और न ही कोई छात्र किसी दूसरे छात्र के अंक आयोग की वेबसाइट पर देख सकता है.
बहरहाल, पीसीएस-2011 के नतीजों में दो तथ्य सबसे चौंकाने वाले रहे. पहला-अन्य पिछड़ा वर्ग में चयनित 86 छात्रों में से करीब 50 छात्र यादव जाति के रहे. इससे भी बड़ा चौंकाने वाला तथ्य रहा-एकाध अपवाद को छोड़कर यादव जाति के सफल अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 200 में से 135 से 140 के बीच अंक मिलना (देखें टेबल-2).
140 अंक का आंकड़ा इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि आयोग में पिछले कुछ साल से परंपरा रही है कि छात्रों को साक्षात्कार में 80 से 140 के बीच अंक दिए जाते हैं. अगर किसी को 80 से कम या 140 से ज्यादा अंक मिलते हैं तो साक्षात्कार मंडल का अध्यक्ष उस पर अपनी विशेष टिप्पणी करता है. यानी बिना किसी अतिरिक्त जवाबदेही के साक्षात्कार में 140 तक अंक दिए जा सकते हैं. परीक्षा परिणाम में ऐसा संयोग बना कि यादव जाति के वे छात्र जिनके अंक मुख्य परीक्षा में तमाम दूसरे छात्रों से कम थे, वे भी साक्षात्कार में अधिकतम अंक पाने में कामयाब रहे.
दूसरी ओर सामान्य वर्ग के छात्रों को साक्षात्कार में औसतन 115 अंक, गैर यादव ओबीसी जातियों के छात्रों को औसतन 110 अंक और अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को साक्षात्कार में औसतन 105 अंक मिले. पीसीएस के टॉपर हिमांशु कुमार गुप्ता को भी साक्षात्कार में महज 115 अंक ही मिले (देखें-टेबल 1, 3 और 4). यही नहीं, सामान्य श्रेणी में जो ओबीसी कैटेगरी के छात्र अपग्रेड हुए हैं, वे सारे छात्र भी संयोग से सिर्फ यादव जाति के हैं. सामान्य कैटेगरी में चयनित हुए यादव छात्रों को मिला लिया जाए तो कुल यादव छात्रों की संख्या 54 तक पहुंच जाती है (सफल यादव अभ्यर्थियों की यह संख्या उनके उपनाम में जुड़े यादव शब्द और कुछ मामलों में जुटाई गई जानकारी पर आधारित है. वैसे ही आंकड़े में मामूली संशोधन की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है).
यूपी पीसीएस
साक्षात्कार के अंकों के अलावा मुख्य परीक्षा में अपनाई जा रही स्केलिंग प्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. स्केलिंग व्यवस्था इसलिए अपनाई जाती है कि गणित और विज्ञान जैसे कई विषयों में कला संकाय के कई विषयों की तुलना में ज्यादा नंबर दिए जाते हैं. इस विविधता को एकरूपता देने के लिए छात्र को मिले वास्तविक अंकों को स्केलिंग फॉर्मूले के हिसाब से संशोधित कर दिया जाता है. आयोग परीक्षा के विज्ञापन के समय इस फॉर्मूले को प्रकाशित करता है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विक्की खान के शब्दों में, ‘‘करीब एक पन्ने के इस फॉर्मूले को आम आदमी ठीक वैसे ही समझ सकता है, जैसे क्रिकेट प्रेमी डकवर्थ लुइस फॉर्मूले को समझते हैं. समझने से ज्यादा उस पर भरोसा करना होता है.’’ लेकिन पीसीएस-2011 में यह भरोसा भी टूटा है. मुख्य परीक्षा के हिंदी के पेपर को लें तो एक छात्र को पहले और दूसरे पेपर में क्रमशः 140 और 132 नंबर मिले, जिन्हें स्केलिंग के बाद 187.47 और 158.32 आंका गया. वहीं दूसरे छात्र के 140 और 120 नंबरों को क्रमशः 136.82 और 118.11 आंका गया. इन दोनों मामलों में भी संयोग से स्केलिंग में ज्यादा नंबर पाने वाले छात्र यादव हैं.
पीसीएस परीक्षा के अंतिम परिणाम का यह विश्लेषण एक बार फिर आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव की भूमिका को संदिग्ध बना देता है. हालांकि यादव का इस बारे में कहना है कि आयोग के अध्यक्ष का पद संवैधानिक है और ‘‘मुझे न्यायाधीशों की तरह प्रतिक्रिया देना अनिवार्य नहीं है.’’ लेकिन वे यह जुमला जोडऩा नहीं भूलते कि मामला ‘‘अदालत में विचाराधीन है.’’ इस मसले पर बातचीत आयोग के सचिव करते हैं और उनका भी नाम संयोग से अनिल कुमार यादव है.
लेकिन इस इनकार के बावजूद पहले से ही जाति विशेष को सरंक्षण देने के आरोपों से घिरी और लोकसभा चुनाव 2014 में मात खा चुकी सपा सरकार के लिए पीसीएस परीक्षा का यह विश्लेषण नया सिरदर्द देने वाला है. आयोग के कई परीक्षा परिणामों को इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनौती देने वाले वकील संतोष श्रीवास्तव की बात पर गौर करें, ‘‘सबसे पहला सवाल यह उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी में कोई 234 जातियां शामिल हैं. ऐसे में अगर सिर्फ एक जाति के लोग ओबीसी का 58 फीसदी कोटा ले जाएंगे और बाकी 230 जातियां सिर्फ 42 फीसदी हिस्सेदारी पर सिमट जाएंगी तो आरक्षण की मूल भावना का मतलब ही क्या रहेगा. कोई कितना भी मेधावी क्यों न हो, लेकिन ये नतीजे जाति विशेष की ओर नतीजों का झुकाव दिखा रहे हैं.’’
पीसीएस में ओबीसी जातियां
उधर, ‘‘प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति’’ के बैनर तले पीसीएस-2011 के नतीजे के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले अवनीश कुमार पांडेय सीधे आयोग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं, ‘‘इलाहाबाद में लड़के-लड़कियां 10-10 साल से इस उम्मीद में तैयारी करते रहते हैं कि एक न एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी. लेकिन आयोग जिस तरह से हर परीक्षा परिणाम में एकतरफा रवैया अपना रहा है, उससे छात्रों का दिल टूट रहा है और दिमाग गुस्से से उबल रहा है.’’ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ‘‘ब्राह्मी’’ सामान्य हिंदी’’ किताब के लेखक अवनीश की बात को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. सपा के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद के करीबी माने जाने वाले यादव के लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनने के बाद आए कुछ अन्य परीक्षा नतीजों पर गौर करें तो भी ‘‘यादववाद’’ के आरोप को बल मिलता है. पिछले साल सीधे इंटरव्यू के जरिए पीडब्ल्यूडी में जूनियर इंजीनियर (कंप्यूटर) के 48 पदों पर हुई भर्ती में ओबीसी के हिस्से में 58 फीसदी (यादव 42 फीसदी) और सामान्य वर्ग की श्रेणी में 23 फीसदी (ब्राह्मण 12.5 फीसदी) पद आए.
राज्य सरकार के संस्कृति निदेशालय में क्षेत्र सहायक के एक मात्र पद पर जब इंटरव्यू के माध्यम से भर्ती हुई तब भी इसी जाति का अभ्यर्थी सबसे योग्य निकला. कॉमर्स प्रवक्ता पद पर जब दो भर्तियां होनी थीं तो आरक्षित और अनारक्षित दोनों पदों पर जाति विशेष के व्यक्ति का चयन हुआ. समाजशास्त्र के प्रवक्ता के लिए जब 19 पदों पर भर्तियां हुईं, तो सामान्य वर्ग की 9 सीटों में से 4 सीटें यादव जाति के खाते में चली गईं.
सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी के लिए इलाहाबाद आए गरीब परिवार के 23 वर्षीय शालिग्राम बिंद की हताश टिप्पणी देखिए, ‘‘अगर इसी तरह यादवों की भर्ती होती रही तो हम जैसे दबों-कुचलों को तो पीसीएस में बैठने का इरादा ही छोड़ देना चाहिए.’’ हिंदी साहित्य, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र से बी.ए. करने के बाद कंपीटिशन की दुनिया में कदम रखने वाले इस अति पिछड़ा वर्ग के लड़के का पस्त हौसला आयोग की साख के संकट को और बढ़ा देता है. जौनपुर से इलाहाबाद आए 37 वर्षीय जटाशंकर मौर्य 2011 का पीसीएस मेन्स क्वालीफाइ नहीं कर पाए और अब कहते हैं, ‘‘पीसीएस का जो हुआ सो हुआ, जिन परीक्षाओं के नतीजे आने हैं, अगर उनमें भी यही नतीजा रहा तो मैं तो बरबाद हो जाऊंगा.’’
नतीजों में पक्षपात किया गया है या फिर यादव समाज के अभ्यर्थी वाकई अत्यंत मेधावी हो गए हैं, यह तो अदालतें या आयोग के कर्ताधर्ताओं का अंतःकरण की बता सकता है. लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए ऐसे परिणाम शुभ सियासी संकेत तो जरूर ही नहीं लाएंगे.
क्या कहते हैं अध्यक्ष
वहीं यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव कहते हैं, " आयोग के अध्यक्ष का पद संवैधानिक पद है और मैं कोई प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्य नहीं हूं. वैसे भी मामल अभी अदालत में है."
अनिल कुमार यादव
(यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव )
नीचे देखिए किन-किन जातियों के अभ्यर्थियों को मिले कितने नबंर-
यूपी पीसीएस में सामान्य श्रेणी के छात्र
यूपी पीसीएस में गैर यादव अभ्यर्थी
यूपी पीसीएस में सफल यादव
यूपी पीसीएस में अजा/जनजाति के अभ्यर्थी
News Source : http://aajtak.intoday.in/story/how-yadav-dominated-in-pcs-2011-1-768040.html
सौजन्य: इंडिया टुडे | उत्तर प्रदेश, 17 जून 2014 | अपडेटेड: 19:38 IST टैग्स: पीसीएस-2011| यूपी लोक सेवा आयोग| अनिल कुमार यादव| अखिलेश यादव| सपा| यादव |
पीयूष बबेले |
दोस्तों
ReplyDelete.
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आज ये दिन सरकार के कुछ निर्णयों से भरा रहा चाहे वो केंद्र सरकार का रेल किराये में बढ़ोतरी जो कि 14.5% की गयी और माल भाड़े में 6.5% की बृद्धि की गयी। यह आम जनता के लिए बहुत ही कष्टकारी है।
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ReplyDeleteअब बात करते है उत्तर प्रदेश सरकार की जिसने बेरोजगारी भत्ता कन्या विद्याधन और लैपटॉप वितरण योजना को बंद कर दिया ।
ReplyDeleteदोस्तों मै बताता हूँ ये लैपटॉप इन्होने किसके पैसे से बांटा था ।ये पैसा था उन बेरोजगार युवाओ का जिन्होंने अपने माँ बाप के खून पसीने की कमाई से प्राइमरी शिक्षक भर्ती और जूनियर शिक्षक भर्ती में हर जिले के लिए 500 रुपये के हिसाब से 270000 युवाओ ने सभी जिलो में आवेदन किये ।उन्ही पैसे से सरकार ने लैपटॉप बांटा।
फिर से सरकार के पास पैसे की जरुरत आन पड़ी तब दोस्तों सरकार ने विज्ञानं वर्ग के बेरोजगारों के लिए 29334 पद सृजित किये और उसमे 100000 से अधिक युवाओ ने हर जिले में 500 रुपये की फीस देकर आवेदन किया।
लेकिन दुर्भाग्य हम सभी बेरोजगारों का कि सरकार ने हमारे पैसे लूटाये और हम बेरोजगारों को कोर्ट के मामले में उलझा दिया।
सरकार ने सोचा होगा लोग उससे मुफ्त का पैसा लेंगे और वोट देंगे पर ऊपर वाला देखता है।
हुआ वही जो कुदरत को मंजूर था। इसीलिए कहते है जैसी नेकी वैसी बरक्कत।
आज भी हम इसी इंतजार में है कि हे भगवान अब तो सदबुद्धि दे दो इन्हें कि बेरोजगारों को रोजगार देने से प्रदेश का विकास होगा और शिक्षा का स्तर ऊपर उठेगा।
शायद अब आंख खुल जाये और बेरोजगारों के बारे में सोचे।
सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
ReplyDeleteसाथियों,
1- शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक के सन्दर्भ में टेट मोर्चा युद्धस्तर पर कार्य में जुट गया है,,,हमारे मोर्चे के कुछ अग्रणी बंधुओं ने आज पूरे दिन भागीरथ प्रयत्न करके 19 वें संशोधन और नियुक्ति प्रक्रिया से सम्बंधित शासनादेश सहित तमाम जरुरी दस्तावेज (जिनका विवरण यहाँ नहीं दिया जा सकता) हासिल कर लिए हैं और अग्रिम रणनीति के तहत रविवार को एक निश्चित योजना बनाकर सोमवार सुबह सभी अग्रिम पंक्ति के नेतागण इलाहाबाद में डेरा डाल देंगे। सोमवार की शाम तक हमारे अधिवक्ता हायर कर लिए जायेंग। हमारे कुछ बन्धु जो इस समय इलाहाबाद में ही हैं वे बराबर इस मामले के विधिक पहलुओं से हमारे वकीलों को अवगत करा रहे हैं और उनके निर्देश पर जरुरी कागजात एकत्र किये जा रहे हैं,,,निरहुआ स्वयं पूरे प्रकरण से लगातार जुड़ा हुआ है और अग्रणी बंधुओं की दूरदर्शिता और विधिक कारवाही की बेजोड़ तैयारी को देखकर आज फख्र से कहता है की शिक्षामित्रों का पाला अब बी.टी.सी. के नवागत मुकदमेबाजों से ना पड़कर विधिक चाणक्यों से पड़ने वाला है जो एक ही वार में इन्हें ऐसा धूल में मिलाने वाले हैं की ये समायोजन का राग अलापना छोड़ अपनी संविदा नियुक्ति को ही बचाने के चक्कर में पड़े घूमते नजर आएँगे। निरहुआ टेट बंधुओं को यकीन दिलाना चाहता है की शिक्षामित्रों के समायोजन का स्वपनजाल जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही छिन्न-विछिन्न कर दिया जाएगा।
2- 72825 शिक्षक भर्ती मामले में हमारे कुछ बन्धु (किन्ही कारणों से नाम नहीं बता रहा हूँ) बेसिक शिक्षा (विशेष सचिव) जीतेन्द्र बहादुर सिंह से मिले,,उन्होंने विवेक वाष्णेय ( विशेष सचिव/बेसिक शिक्षा,,जो की 72825 शिक्षक भर्ती मामला देख रहे हैं) का हवाला देते हुए बताया की टेट मोर्चा से कम्युनिकेशन गैप की वजह से ही अफवाहें फ़ैल रही हैं और असंतोष फ़ैल रहा है। उन्होंने बातचीत करके मुद्दे को हल करने पर जोर देते हुए बताया की यथासंभव जल्द से जल्द भर्ती कराने को वे प्रतिबद्ध हैं किन्तु टेट मोर्चे द्वारा समय-समय पर होने वाली आन्दोलनकारी गतिविधियों से कार्य बाधित हो रहा है (जबकि सच्चाई ये है की टेट मोर्चा की ऐसी गतिविधियाँ इनकी नींद हराम कर देती हैं) 30 जून को प्रस्तावित आन्दोलन पर उन्होंने विनम्रता के साथ कहा की टेट मोर्चा इसे स्थगित करके हमें सहयोग करे,,,साथ ही उन्होंने विवेक वाष्णेय जी का संपर्क सूत्र देते हुए कहा की आप लोग लगातार इनके संपर्क में रहिये और भर्ती प्रक्रिया में हमारी सहायता कीजिये ( हालाँकि उनके चेहरे और हाव-भाव बता रहे थे की 30 जून के आन्दोलन की खबर से वे काफी त्रस्त हैं)। पूरे वार्तालाप के दौरान उनका जोर बातचीत करके मुद्दा हल करने पर था,,यहाँ तक की 3 जून का हवाला देते हुए जनाब कह बैठे की SCERT डाइरेक्टर समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों का एक दल उस दिन हमारी प्रतीक्षा कर रहा था किन्तु दुर्भाग्य से अनहोनी घटित हो गई। उन्होंने हमारे अग्रणी बंधुओं की एक संक्षिप्त मुलाक़ात विवेक वाष्णेय जी से बुधवार को तय भी करवा दी है।
ReplyDelete3- सुप्रीम कोर्ट में समय सीमा बढ़ाने वाली सरकारी याचिका जुलाई के प्रथम सप्ताह लिस्टेड होगी,,,मोर्चे द्वारा उस तारीख में पैरवी हेतु पटवालिया जी के विकल्प के रूप में एक तेजतर्रार वकील के नाम पर सहमती बन चुकी है,,,शिक्षामित्रों से निपटने के तुरंत बाद दिल्ली धावा बोल दिया जाएगा। सभी बन्धु निश्चिंत रहें और चैन की नींद सोयें क्योंकि आपके भरोसे पर 100% खरा उतरते हुए इस समय अग्रिम पंक्ति के नेता जी-जान से जुटे हुए हैं,,,वे अपना दिन का चैन और रात की नींद इस महासमर में बलिदान कर बैठे हैं,,,परन्तु निरहुआ आप सभी टेट बंधुओं से एक विनम्र प्रार्थना करता है की ये कर्मठी अग्रिम पंक्ति के नेतागण जब भी आपकी ओर निरीह दृष्टि से देखें तब इन्हें आपका भरपूर समर्थन और प्यार अवश्य मिले क्योंकि आज परीक्षा की इन घड़ियों में ये आपके प्रेम और विश्वास के सहारे ही ये पुरोधा मोर्चे पर डटे हुए हैं।
ReplyDeleteशेष अगले अंक में ,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,
जय हिन्द-
जय टेट,,,,
शुभ रात्रि।
Vinay Pandey Allahabad 40 mins · Edited >>>>>>>>>>>>>>>>>>> PRIME POST OF UPTET APPOINTMENT>>>>>>> MERE TET SUPPORTER SATHIYO... 1)jaisa ki aaj hamare tet morcha ke pradesh adhyax ganesh dixit aur pradesh mahamantry rakesh yadav ji lucknow me siksha sachivo se apni bharti ke vishay me janne ke liye gye aur kaha ki agar 30 ke pahle ku6 dczen na liya gya to ham fir lucknow ki sadko par utarenge aur vidhan sbha gherav krege,. to sachiv ne hamare pradesh adhyax ko kafi dhamki dete huye kaha ki s.p aur s.s.p sb ki nigah tum par hai tum pradesh adhyax hone ke nate ku6 jyada netagiri kar rahe ho .tum par abki bar kadi karywahi hogi..is par ganesh dixit ne kaha aap apna kam kare ham apne hak ke liye apna kam krte rahege aur rahi bat aap ke karywahi krne ki to aap ham par kitne din karywahi krege bas bahut jyada to 2 sal ..jb tak ye gov. Hai..ganesh bhai ki bato ko sunkar adhikariyo ke hosh ud gaye wo punh unhe budhwar ko bat chit ke liye bulaye hai aur kaha ki aap logo ka kam teji se ho raha hai.. 2) dosto ye s.p gov. July me jb dattu sir ke samne jayegi us wakt iski akad dheeli hogi..waise 30 june ko lucknow me fir se maha aandolan ki bat sunkar adhikari avi se paresan ho chuke hai tbi punah varta ke liye hamare pradesh adhyax ko budhwar ko bulaya hai.. 3) dosto tet sangharsh morcha siksha mitro ko rokne liye gov. Ke g.o ko jald challenge krega aur wo v b.t.c walo ki writ se conect ho jayega.. Hamare tet morcha ki taraf se ashok khare utarege siksha mitro ko rokne ke liye..aur iske liye jaruri kagjat collect kar liya gya hai..siksha mitr kabhi bhi teacher nahi ban payege... 3) dosto siksha mitro ke mamle me avi court ne counter aur rejoinder maga hai..ye ek samany prakriya hai jisme sbhi paxo ko barabar ka mauka diya jata hai...siksha mitro ko koi rahat nai milegi kyuki avi to lambi kanuni ladai ladni pdegi..single bench ,double bench aur suprime court tak ye ladai jana tay kyuki sikshamitro ne v application dal ke party ban gye hai..aur suprime court ne pahle hi siksha mitro ko siksha satru tak kah diya hai.. 5) dosto junior bharti bina suprime court me pending 15va sansodhan ki sunwai ke nai ho sakti..aur agar gov. Ne bina tet watage diye bharti ki to rukna tay hai..kyuki larger bench aur n.c.te ke guideline ko ignor nai kar skti government...thanx
ReplyDeleteGOOD MORNING
ReplyDeletewith a small good news......
according to hindustan-
ab bina varification k hogi primary bharti.......
so ku6 to time bachega sbka....
dhanywaad...
have a nice day
प्रिय युवा बेरोजगार साथियों,
ReplyDeleteकृपया अपनी स्पष्ट राय से अवगत करावें। प्रतिदिन अपने युवा साथियों के कष्टों को देखकर मुझे असहनीय वेदना हो रही है। प्रतिदिन अपने साथियों तथा उनके परिवारजनों को counsilling की मिथ्या जानकारी देते देते अब आत्मग्लानी हो रही है। अपने साथियों की आर्थिक तथा मानसिक वेदना को देख पाने की क्षमता अब कम से कम मुझमे तो नहीं है। यद्यपि की मुझे किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन अपने प्रशिक्षित योग्य युवा स्वाभिमानी प्रतीक्षित शिक्षकों पर हो रहे इस समाजवादी अत्याचार को बर्दाश्त करना नर्क में जीवन बीताने की कल्पना से भी बदतर है। अनेकों आन्दोलनों के पश्चात् बी इस गूंगी बहरी समाजवादी सरकार के कानों पे जूँ तक नहीं रेंग रहा है। माननीय ऊच्चतम न्यायालय का आदेश भी इस अलोकतांत्रिक सरकार के लिए मायने नहीं रखता है। ऐसी स्थिति में मैं सोचता हूँ की यदि विधान सभा के सामने मेरे द्वारा आत्मदाह करने से मेरे साथियों को न्याय मिल जाये तो शायद इस प्रदेश के 72825 परिवारों के चेहरे पे मैं मुस्कान बिखेर सकूँ। क्या मेरे द्वारा आत्मदाह करने से ये सरकार चेत सकती है? यदि ऐसा है तो मेरे साथियों मैं सहर्ष तैयार हूँ। मेरे लिए अब उन युवा बेरोजगार साथियों से निगाहें मीलाना दुश्वार हो रहा है जो इस महंगाई में उतने ही वेतन पे निजी शिक्षण दूकानों में कार्यरत है जितने की हमारे राज्नेतागन जो हमारे लिए नीतियाँ बनाते हैं अपने जूतों की पॉलिश पे खर्च कर देते हैं।
आज मैंने अपने एक साथी को अपनी बीमार माँ की दवा खरीदने हेतु मात्र 170 ₹ की दवा खरीद पाने असमर्थ देखा है।
जय हिन्द
जय युवा
जय भारत का सम्विधान
जय टी ई टी।
जहाँ कदम कदम पे मौत घूम रही है आपकी फिराक़ में ....
ReplyDeleteअगर जिगर में है दम तो कुछ दिन गुजारिये ईराक में .....
शिक्षामित्रों की दशा ठीक उस नौकरानी की तरह है जो भर्ती नौकरानी (शिक्षामित्र ) के तौर पर की जाती है पर काम पत्नी ( सहायक अध्यापक ) का लिया जाता है और जब नौकरानी पत्नी का दर्जा मांगती है तो नियोक्ता की धर्मपत्नियाँ (पूर्व से कार्यरत अध्यापक ) उनको सौतन मानते hue use ghar se bahar nakal deti hain.।
ReplyDeleteटेट साथी 4 फरवरी से पूर्व की स्थिति पर विचार करे । उस वक्त हमारे टेट मोर्चा के बड़े बड़े नाम हर घंटे पोस्ट कर रहे थे कि नए विज्ञापन मे आवेदन न करने पर आप खुद जिम्मेदार होंगे। पुराने विज्ञापन की फीस वापस लेने से रोकने के लिए भी मुझे और शलभ तिवारी को थोक के भाव मे गालियाँ खाने के अलावा कुछ नही मिलता था क्यों कि दोनोँ अवसर पर मुझे और शलभ तिवारी को छोड़कर बहुत कम लोग नए विज्ञापन मे आवेदन न करने और पुराने विज्ञापन की फीस वापस न लेने की पोस्ट लिखने की हिम्मत कर पाते थे क्योंकि उक्त विषय की पोस्ट लिखने का मतलब सिर्फ और सिर्फ गालियाँ खाना था
ReplyDeleteमुद्दत के बाद मिले तो मेरा नाम ही पूछ लिया,
ReplyDeleteरुखसत के वक़्त
जिसने कहा था तुम बहुत याद आओगे...
GOOD
ReplyDelete.
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MORNING
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Zamane ki khushiya tumhare liye ho. sabhi tumhare gumm hamare liye ho.
Tumhe jo mile wo mubaraq ho tumko.
Hamhe jo mile wo sab tumhare liye ho.
जिसे चाहा बड़े प्यार से उसने हमे सताया बहुत।
ReplyDeleteजिसे भुलाने की कोशिश की वो याद आया बहुत।
सौ दफा झुके कदमो में बेदर्द ने ठुकराया बहुत।
खुद ही पोछता था आँसू अबकी उसने रुलाया बहुत।
खूब की मनमानी उसने हम पर जोर आजमाया बहुत।
एक पल भी जाता नही क्यों दिल से कसम से हमने उसे भुलाया बहुत।
कोई रिश्ता नही बंधन नही वो क्या था जिसे निभाया बहुत।
M
ReplyDeleteY
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खूबसूरत है वो लब जिन पर ;
दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए..
खूबसूरत है वो मुस्कान जो ;
दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए..
खूबसूरत है वो दिल जो ;
किसी के दुख मे शामिल हो जाए..
खूबसूरत है वो जज़्बात जो ;
दूसरो की भावनाओं को समझ जाएँ ..
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे ;
प्यार की मिठास हो जाए..
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे ,
किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ ..
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के ;
लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए..
खूबसूरत है वो दामन जो ;
दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए..
खूबसूरत है वो किसी के आँखों के आसूँ जो ;
किसी के ग़म मे बह जाएँ ...!
One day I will leave the world n
ReplyDeletenever come back...
U Will cry when u will see my number,
Your phone book.
U will miss me when you sit alone,
There will be no more ME to irritate, tease, make you laugh..
&
say sorry stupidly..
Tears Might
flow out of eyes...
But, i will be gone,
long and forever so enjoy my silly
stupid company as much before
I close my eyes forever. 5EVER
आपकी तो रात बीत गई साहब....
ReplyDelete!
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अब ज़रा हसरतों का हश्र उस भूखे बच्चे से भी पूछो जिसे आसमानी थाली में चाँद निवाला दिखाई देता है !!
LISTEN........MY
ReplyDelete.
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मैने उस दिन भी कहा था और आज फिर सुन ले....
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सिर्फ उमर ही छोटी है...
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लेकिन सलाम तो सारी दुनिया ठोकती है....!!!!!
।। टाइम टाइम और टाइम ।।
ReplyDeleteटाइम पास का खेल।।
जिसे पल्टुआ हम लोगों के साथ आज ढाई सालों से खेल रहा है.....
साथियों कुल मिलाकर इस सपा सरकार को 72825,tet और 29334 में कोई दिलचस्पी नहीं हैं। यह सरकार
बस केवल टाइम पास कर रही हैं।
जैसा कि कल के meeting से साफ पता चलता है कि सरकार जल्द भरती करने के मुड में नहीं हैं।
क्योंकि अभी तो counseling करने का साफ्टवेयर ही तैयार नहीं और तैयार करने में ६-७ सप्ताह का समय फिर, चेक करने में २-४ सप्ताह लगनेवाला हैं फिर.....
कुल मिलाकर पल्टुआ से बड़ा
कमिना,
दोगला,
पापी,
दिशाहिन,
अविवेकी
सन्सार में और कोई नहीं हैं...
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ReplyDeleteN
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Darta Hoon Kehne Se Ki Pasand Hai Tu Mujhko...
Meri Zindagi Badal Dega Tera Inkaar Bhi
Aur*
Aur*
Aur
Tera Iqraar Bhi...!!
जो लोग पत्नी का मजाक उड़ाते है।
ReplyDelete.
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उन सभी के लिए
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Please Read This....
A Lady's Simple Questions
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Surely It Will Touch A
Man's heart...
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देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
पाँव मेरे ,
महावर तुम्हारे नाम की ।
उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
बड़ों की चरण-वंदना
मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
तुम्हारे नाम का ।
और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
तुम्हारे नाम के ।
यहाँ तक कि
कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
सब कुछ तो
तुम्हारे नाम का...
तब बीवी पूछती है
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आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?
A
ReplyDeleteN
G
E
L
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I AM BAD in ENGLISH
BUT i can tell you that I MISS YOU....
I am BAD in GEOGRAPHY
BUT
i can tell you that you LIVE in my
HEART...
I am BAD in HISTORY
BUT
I can REMEMBER when i FIRST saw
you.
I am BAD in CHEMISTRY
BUT I can tell WHATS the REACTION
when you SMILE..
I am BAD in PHYSICS
BUT
I can tell the INTENSITY of SPARK of my
EYES when they SEE you..
I am BAD in every SUBJECT
BUT
I can TELL ALL..
I will PASS all SUBJECTS if the TOPIC
is YOU !♥ ◕‿◕
ReplyDeleteG
E
L
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I never force you to
love me ...
I never flirt with someone
to make you angry ...
I never want you to do
not speak with others ...
I never say don't do the
thing you don't want me
to do ...
You are the bird for me ...
Free to fly away anywhere
you want to go ...
Only thing you must
know ,
Wherever you go or
whatever you do ...
Just remember ...
" I'm always here for
you ... " ♥♥
Golu........G
ReplyDelete.
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Aap ki jankari sahi hai aurmaine bhi pata kar liya dubara.
Aap is 72825me valid hain.
ReplyDeletehi
ReplyDeleteAaj tak meri ye bat samajh me nahi aayi ki up government sc ke order ko itna halke me kyo le rahe h...kya ye koi sazis kar rahe h...ya ye sc se bhi uper ho gaye h....
ReplyDeleteजूनियर भर्ती की उम्मीद बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के करना ठीक ऐसा ही है जैसे हाथी से अंडा देने की उम्मीद करना !
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वैसे असंभव कुछ भी नहीं हाथी अंडा दे भी सकता है बसप के हाथी ने कुछ दिन पहले लोकसभा में अंडा दिया है !
क्या है १६ वा अम्मेण्डमेण्ट ?
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देखिये आपको एक चीज़ बता देता हूँ बी.एड. डिग्री धारकों के लिए कभी भी उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा नियमावली में जगह नहीं थी पर आर.टी.ई एक्ट के तहत हमें एन.सी.टी.ई से छूट मिली और हम प्राइमरी में एलिजिबल हुए|
अब तक जो बेसिक शिक्षा नियमावली थी उसमे बी.टी.सी वालों का चयन होता था वो भी गुणांक पे |
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:-)
१९८१ बेसिक शिक्षा रूल्स के तहत गुणांक पे चयन होता आया था पर एन.सी.टी.ई के नोटिफिकेशन के बाद टेट की अनिवार्यता और टेट भारांक का लफड़ा चालू हुआ |
१५ वा अम्मेण्डमेण्ट वही है जिसके बेस पर बी.टी.सी करने के बाद चयन होता था |
अब आते हैं हैं मुद्दे पर !!!!!!!!!!!
ReplyDelete!
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१५ वा उसी के अपने रूल्स हैं जिन्हे एक ही नियमावली के अंतर्गत अलग अलग जैसे १२ वा , १५ वा , १६वा नाम दिए गए हैं |
१५ वा अम्मेण्डमेण्ट और १६ वा अम्मेण्डमेण्ट एक ही सिक्के के २ पहलु है क्यूंकि मामला गुणांक का है |
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गुणांक पे फैसला नहीं आया है और ये कोर्ट में राकेश द्विवेदी की वजह से विचाराधीन है |
पर न्याय विभाग इनका मैंने पहले ही कहा था न्याय विभाग वो जगह है जहाँ से सपा का नाश चालू हुआ था |
Or nirhua bhai....
ReplyDeleteYE KAISE POSSIBLE H KI HC KI EK BANCH TO TET KE FAVRE ME JUDGEMENT DE....OR DUSRI ACADEMIC KE FAVRE ME....
AB KYA ISME SARI KI SARI IMPORTANT BHUMIKA SC KI RAH JATI H....
OR AGAR SC ME INHONE RTE KA HAWALA DEKAR APNE HAQ ME JUDGEMENT KARWA LIYA TO ....
HUM HO JAYEGE PURI TARAH SE BARBAD....
OR HUMARA HO JAYEGA...
GAME OVER. ....
SATH ME LIFE KA BHI GAME OVER. ....
ये सरकार अगर कोई भर्ती करना चाहती न तो कबका कर चुकी होती , एक साथ इतनी नियमावली न निकलती |
ReplyDeleteऔर अब भी वही किया है जूनियर भी चालू , प्राइमरी सुप्रीम कोर्ट से होगी पर जी.ओ शिक्षा मित्र का |
कुछ समझे ??????
और में आपको बता दूँ शिक्षा मित्रों का जी.ओ इनके लिए नाक की नकेल बनेगा दत्तू सर की कोर्ट में |
P.M. SE ICHAMRATU MAGNE KA KYA TRIKA H KYUKI AB AUR KOI RASTA NHI H KOI PARTY YA NEWS WALA IS TOPIC PE BAT NHI KRTA H
ReplyDeleteआज के हिन्दुस्तान वाली खबर में लोग सिर्फ इतना पढ रहे हैं
ReplyDelete" बिना verification होगी शिक्षकों की भरती "
अरे उसके बगल में भी पढो जहाँ लिखा है कि पिछली दो भरतिया भी बिना verification के हुई
ये सरकार का सिरदर्द है कि कैसे भी भरती करे ,,,!
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हमारा नहीं
Bhai jis tarike se pcs ke exam me apne viradri ke khas logo ko niyukti dilwaya.
ReplyDeleteMughe to lagta hai isme bhi apne logo ka data feeding kara raha hai Jo itana time laga raha hai. ye satta ke liye apne matribhumi ko bhi bech dega dogla.
Ye up ke liye khatra hai beimaan.iska akkal kam nahi kar raha hai.
vinas kale biprit budhi charitarth ho raha hai.sabhi bhaio se anurodh hai ki diet per bhi najar rakho.Aur vaha bhi dabaw banana suru kar do thanks.
Jai maata di.
टीईटी मोर्चे में शिक्षा मित्र मसले पर पहले से ही डबल बेंच में फैसला पा चुकी रिट को रीओपेन कराने पर पूर्ण सहमति बन चुकी है ,
ReplyDeleteयह वह रिट है जो मोर्चे का बृहमास्त्र होगा और शिक्षा मित्रों को एक ही वार में धराशायी कर देगा ,
इस रिट पर जब बहस हुई थी तो लगातार 15 दिन लंच के बाद हियरिंग हुई थी । और फैसला सुरक्षित हो गया था। पर समय बीतने के साथ फैसला डिस्पोस हो गया और अब दोबारा केस रीओपेन करना होगा
इस रिट से सरकार और शिक्षा मित्र इतना घबडाते हैं कि उसी समय जिस समय हियरिंग चलती थी , तो दुश्मनोंकी ओर से दूसरे तरीके से भी केस को दबाने के असंवैधानिक प्रयास भी किये गये थे।
ReplyDeleteखैर ,,,,,अशोक खरे जी से बात हो चुकी है।
कल हुये शिक्षा मित्र केस वाले मैटर पर हुई बातचीत पर उन्होंने चुटकी लेते हुये कहा कि जीओ आ गया है , अब केस फंसेगा , बिना जीओ और शासनादेश और नियमावली के बीटीसी वाले कोर्ट गये ही क्यों
पहली ही डेट में स्टे मिल कर ही रहेगा ।ये उनके शब्द हैं
और डबल बेंच वाले रीओपेन केस के वकील भी अशोक खरे जी ही थे।
इसीलिए मोर्चा अब तक शान्त था। पर अब शिक्षा मित्रों की अगली तारीख उन्हें हाईटेन्शन तार का झटका देगी ।
सरकार ने अपने प्लान में 10 जुलाई से 22 तक SM का काउंसिलिंग शिडयूल रखा है।
ReplyDeleteकैसा लगेगा उन्हें , जब खतरनाक स्टे मिलेगा ।
मोर्चा पूरी रणनीति बना चुका है। इसलिए सभी जिलाध्यक्षों से आवश्यक धन एकत्र करने के निर्देश लखनऊ मीटिंग में हो चुके हैं ।
अब अपने मैटर पर कोर्ट आफ कन्टेम्प्ट दाखिल होगा ,,यदि 30 तक काउंसिलिंग शिडयूल जारी होता है तब भी
इसके लिये पटवालिया जी को हायर करने की बात चल रही है , जब वो माने तब ही कुछ हो सकता है। दूसरे लोगों पर भी विचार चल किया जायेगा यदि पटवालिया जी न माने तो
अभी अधिकांश वकील विदेश प्रवास पर हैं । पर कान्टेक्ट जारी है।
आप को बता दूं कि पिछली बार केस में लोगों ने वकील तो बहुत कर लिये थे पर कोर्ट के अन्दर पटवालिया जी के जितना कोई भी बहस नही करता था। अब तो वो वकील के रूप में पटवालिया जी सालिसीटर जनरल आफ इंडिया बन चुके हैं । अब अपने मैटर के लिये दुआ तो यही रहेगी कि वे पुनः मान जायें , ताकि केस में जान आ सके
ReplyDeleteMitro apne bharti prt ke bare me bhi khyal rakho jiska Kuch news nahi aa raha hai.
ReplyDeleteGov ke upper dabaw banana jaruri ho gaya hai isko sochane ka mauka nahi dena chayihe.
Var pe var jaruri hai.
मोर्चा अब पूरी तरह से पाठक जी और अवनीश यादव जी पर केन्द्रित है , और इस बार वित्त कमेटी अवनीश जी के ही पास रहेगी ,,और केस लडने का पूरा एकत्रित धन वही वहन करेंगे । इससे अलग कोई किसी और को चंदा देता है तो वो इन लोगों से प्रश्न करने का हकदार नही है और न ही भविष्य में होगा । इसलिए अपने अपने जिलाध्यक्षों को धन देते वक्त अपने मोर्चे के लीडर के बारे में जरूर पूंछ लें और समय समय पर केस स्थिति की जानकारी लेते रहें ।
ReplyDeleteदाखिल होकर ही रहेगी इसलिए जज साहब को भर्ती न करने की वजह के ढेर सारे कारण देकर केस को मोडने का प्रयास किया जायेगा । इस चीज के लिये आपकी प्रार्थना काम आयेगी कि वो जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतें
ReplyDeleteधन्यवाद
इस समय अपने कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़कर अपने जिलाध्यक्ष के साथ कलेक्शन के लिये निकलें और स्वयं भी एक लाजबाब आर्थिक योगदान दें
ReplyDeleteये जिम्मेदारी आपकी है । मोर्चे के आर्थिक हाथ मजबूत करना आपका कर्तव्य है ।
इस बार केस हमारा भी लडना है और भिक्षा मित्रों का भी
आगे बढें
यदि सही और सटीक सोंच रखते हों तो
अपनी क्षमतानुसार सहयोग करें और करवायें ।
सुनो शिक्षा मित्रों का केस !!!!!!!!!
ReplyDeleteदेखिये में ये नही चाहता हूँ की टेट मोर्चा किसी भी तरह से टेट की अनिवार्यता को लेके शिक्षा मित्रों पे प्रहार करे क्यूंकि समाजवादी पार्टी का क्या है वे टेट आयोजित करा देंगे और गारंटीड इन्हे पास करके समयनियोजन कर देंगे |
हमें इनकी जड़ काटनी है |
वो २ काम एक तो जी.ओ वाला और दूसरा टेट की अनिवार्यता बी.टी.सी वाले करेंगे और सभी मामले एक साथ बंच होने |
इन २ पहलु पे हम भी राजेश भाई की रिट में अफ्फिडफिट डालेंगे पर हमारा प्रयास है इनको जड़ से ख़त्म करना है |
मोर्चा पूरी तरह से इसी पे फोकस किये हुए है और अफवाह से दूर रहे
ऐसे लोगों से निवेदन है स्प्राइट पियें गर्मी बहुत है |
Collection kiske account m jma hona h.plz btayen.
ReplyDeleteमुझे यह समझ मे नहीं आ रहा है ७२८२५ के लिए अभी तक काउन्सिलिंग साफ्टवेयर तक नहीं बना पाये और sm का समायोजन कैसे कर रहा है चुतिया क्या इसमें साफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं है क्या
ReplyDeleteDosto- 72825 bharti me aa rahi badhao se nibatane ke liye hame UPTET SANGHARSH MORCHE ko economic rup se majboot karna hoga tabhi hamari jeet sambhav hai . Atah aap sabhi se nivedan hai ki vitt commetee ke khate me sahyog kare. ...................................Avanish Yadav a/c-32980061185 SBI branch-Sandi Hardoi , IFSC CODE- SBIN0011182 ..............thanks
ReplyDeleteशिक्षामित्र प्रकरण
ReplyDeleteशिक्षामित्रों के मामले में दायर हुई सभी रिट पेटीशन्स, जिनकी फाइल्स मैं इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बीते वर्ष निकलवा पाया था, निम्न हैं। काफी खोज-बीन भी सेक्शन से सर्वाधिक महत्वपूर्ण WRIT - A No. - 28004 of 2011 Santosh Kumar Mishra And Others Vs State Of U.P. And Others रिकॉर्ड में नहीं मिली, क्यों, ये मुझे आज तक समझ में नहीं आया।
इसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण कि सिर्फ इसी याचिका में शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता पर प्रश्नचिह्न लगाया गया था, वो भी इतने जोरदार ढंग से, की माननीय न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने 18.05.2011 को शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को प्रथमदृष्टया अवैध मानकर स्थगनादेश जारी कर दिया। (आदेश की प्रति संलग्न फाइल में यथास्थान है). बाद में SPECIAL APPEAL No. - 1032 of 2011 State Of U.P. And Others Vs. Santosh Kumar Mishra And Others पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और भर्ती सप्रू की पीठ ने 30.5.2011 को दिए जा रहे प्रशिक्षण से स्थगनादेश हटते हुए स्पष्ट किया की प्रशिक्षण की वैधता रिट पेटिशन के अंतिम निर्णय के अधीन होगी। (आदेश की प्रति संलग्न फाइल में यथास्थान है). बस यही से खेल शुरू हुआ।
ReplyDeleteइस मुख्य याचिका की सुनवाई के पुनः प्रारम्भ होते ही न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता ने 27.9.2011 को इस मामले को ऐसी याचिकाओं के झुण्ड संलग्न कर दिया जो उन शिक्षामित्रों द्वारा दायर याचिकाएं थी, जो किसी कारणवश सरकार द्वारा दिए जा रहे दो-वर्षीय प्रशिक्षण में चयनित होने से छूट गए थे और स्वयं को भी प्रशिक्षण में सम्मिलित किये जाने का निर्देश दिए जाने के लिए न्यायलय की शरण में गए थे। जाहिर है, इन याचिकाओं की प्रकृति और प्रवृत्ति में बहुत फर्क था।
ReplyDelete1. WRIT - A No. - 50096 of 2011 Nav Prakash Singh And Others Vs State Of U.P. And Others (Ashok Khare)
2. WRIT - A No. - 50674 of 2011 Ajit Pratap Singh And Another Vs State Of U.P. And Others
3. WRIT - A No. - 50676 of 2011 Satish Chandra Vaishya And Others Vs State Of U.P. And Others
4. WRIT - A No. - 53589 of 2011 Rishi Kumar Mishra Vs State Of U.P. And Others
5. WRIT - A No. - 52878 of 2011 Arvind Singh And Others Vs State Of U.P. And Others
6. WRIT - A No. - 53210 of 2011 Jitendra Singh Vs State Of U.P. And Others
7. WRIT - A No. - 53914 of 2011 Manoj Kumar Singh And Others Vs State Of U.P. And Others
8. WRIT - A No. - 51295 of 2011 Anil Kumar And Others Vs State Of U.P. And Others (Ashok Khare)
9. WRIT - A No. - 52206 of 2011 Bhola Ram Pachori And Others Vs State Of U.P. And Others
10. WRIT - A No. - 50060 of 2011 Gyanendra Kumar Dwivedi And Others Vs State Of U.P. And Others
11. WRIT - A No. - 53501 of 2011 Hari Shankar And Others Vs State Of U.P. And Others
12. WRIT - A No. - 51243 of 2011 Sumit Kumar And Others Vs State Of U.P. And Others
13. WRIT - A No. - 28004 of 2011 Santosh Kumar Mishra And Others Vs State Of U.P. And Others 18.5.2011
इन सभी याचिकाओं की सुनवाई होती रही और 26.9.2011 को उपरोक्त सभी याचिकाओं के सन्दर्भ में निर्णय सुरक्षित कर लिया गया और लगा कि मानो अब न्याय होने ही वाला है पर यह निर्णय दिए जाने के लिए सुरक्षित नहीं किया गया था। लगभग 9 महीने बाद गुप्ता जी जागे और 6.7.2012 को पुनः सुनवाई शुरू कर दी। ऐसी सुनवाई, जो फिर हुई नहीं ! क्यों, कैसे? बस कयास लगाइये, प्रशिक्षण तो पूरा हो गया न ? अब नियुक्ति के विरुद्ध दायर याचिका में भी यही खेल हो रहा हो तो क्या ताज्जुब ?
ReplyDeleteWRIT - A No. - 28004 of 2011 Santosh Kumar Mishra And Others Vs State Of U.P. And Others को विपरीत प्रकृति और असमान स्वाभाव वाली इन याचिकाओं के साथ 27.9.2011 को जोड़ा जाना समझ से पर है, अगर याची की प्रार्थना पर, तो क्यों? अगर प्रतिपक्ष की मांग पर या न्यायालय द्वारा, तो याची द्वारा सुई को भूसे के ढेर में छिपाने की कोशिश का विरोध क्यों नहीं हुआ? आज तक सुई छिपी पड़ी है। देखिये, ये सुई जंग लगकर गल जाती है या किसी के चुभती है या
शिक्षामित्रों ने अपनी छापामार युद्ध प्रणाली के तहत एक बड़े हमले की तैयारी पूरी कर ली है।
ReplyDeleteअशोक खरे को वकील खड़ा करने का फैसला किया है।
संभवतः आज होगी श्री खरे से मुलाक़ात।
मुझे आज भी याद है वो दिन जब जस्टिस दिलीप गुप्ता जी ने कहा था कि ये अशोक खरे रिट संख्या 28004/11 की बहस में इतने अधिक लोगों की जिन्दगी बर्बाद कर देंगे कि उत्तर प्रदेश हिल जायेगा अर्थात शिक्षामित्र तबाह हो जायेंगे।
ReplyDeleteउस समय मै शिक्षामित्रों का रहनुमा था अतः पक्ष-विपक्ष की हर आतंरिक रणनीति से वाकिब था।
खरे साहब ने शिक्षामित्रों के भीख मांगने का बंदोबस्त करा दिया था तथा जिसके परिणाम स्वरुप जस्टिस गुप्ता ने शिक्षामित्रों के खिलाफ आदेश लिख दिया था परन्तु वो आदेश जब छः महीने तब नहीं सुनाया गया रिट क्लोज मोड में चली गयी तथा याची आज तक केस पुनः नहीं खुलवा सके क्योंकि मुख्य याची संतोष मिश्र समेत कई याचियों ने अपना नाम वापस ले लिया।
आज उस रिट के साथ राजेश पाण्डेय, करुनेंद्र मिश्र एवं पवन तिवारी समेत चार ही याची बचे हैं।
आखिरकार अखिलेश सरकार ने अपनी लोक लुभावनी योजनाओं पर ताला लगा दिया है. बेरोजगारी भत्ता, लैपटॉप , कन्या विद्या धन अब नहीं मिलेगे जिसके लिए अखिलेश सरकार ने कोष खाली होने का रोना रोया है. कुछ लोगो का कहना है की लोकसभा नतीजो से निराश होकर सपा सरकार ने यह कदम उठाया है . जबकि मेरा मानना है कि इस निकम्मी सरकार पूर्व नियोजित तरीके से सही समय पर इन योजनाओं को बंद कर दिया है. इस मौकापरस्त सरकार को राज्य की जनता चाहे ८० सीट लोकसभा में दिला देती तो भी ये योजनाये बंद होनी तय थी क्योकि इन लोक लुभावनी योजनाओं का ध्येय लोक सभा चुनावों को साधना ही था....... इस सरकार का असली चेहरा तो अब सामने आएगा जब अपराध अपने चरम पर होगा और ताजा अपराधिक घटनाओं से यह सिद्ध भी होने लगा है...........
ReplyDeleteA
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Kabhi Kabhi Dil Chahta Hai Kuch Aisa Ho
Jaye
Paper ho par Result na aye,
Class ho par Teachr na aye,
Bus me baithe par School n jaye,
Picnic jaye or Wapis na aye,
Hafte me 3 din ho or
fir Sunday aye,
Sote rahe Dinbhar,
Shaam ko Ghumne jaye,
Hum bilkul na Padhe or
Pass ho jaye,
Sab dost sath rahe or
Chuttiyan manaye,
Jise chahte he Dil se
vo Apna ho jaye,
Barish me Bhige or
Zor se gae,
"Duniya ko bhul kar fir Bachche ban
jaye"
Bheed se dur ek Duniya banaye,
Sari Zindgi bas yu hi kat jaye,
Kash ye sare Sapne Sach ho jaye,
Kabhi Kabhi Dil Chahta Hai Kuch Aisa Ho
Jaye.....!!!!
रेल मंत्रालयसे अनुरोध है की वे किराया बढ़ा ले
ReplyDeleteदिक्कत नहीं है पर
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..बाथरूम मे बंधे मग्गे की चेन
भी लम्बी करे
.जहा तक पहुचना चाहिए वहा तक
पहुचता नहीं है
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(जनहित मे जारी)
1.शिक्षामित्रों के मामले में नियमावली को चुनौती दी जा चुकी है वह सरकार का नीतिगत मामला है अतः उसे जब तब शिक्षामित्रों को संविदाकर्मी नहीं साबित किया जाता रद्द नहीं कराया जा सकता है।
ReplyDeleteजैसे अपने मामले में जब अमेंडमेंट 15 को आर्टिकल 14 के तहत पकड़ा गया तब रद्द कराया जा सका।
अतः इस मामले में 28004/11 की याचिका पर फैसला जरुरी है।
2. शिक्षामित्रों के समायोजन हेतु शासनादेश जारी हो चुका है जिसपर अभी स्थगन लेने की जल्दबाजी करने की बजाय विज्ञप्ति का इंतजार करना चाहिए लेकिन सचिव ने जीओ जारी करके कोर्ट की अवमानना की है अतः अवमानना कोर्ट जाया जा सकता है।
क्योंकि कोर्ट ने कहा है कि जब तक एकल बेंच 28004/11 की रिट डिस्पोज ऑफ़ शिक्षामित्रों के पक्ष में नहीं करती है सचिव शासनादेश नहीं जारी करेंगे।
3. वकील के तौर पर अशोक खरे, शैलेन्द्र श्रीवास्तव और राहुल अग्रवाल बेहतर विकल्प होंगे।
4. रिट 28004/11 में राजेश , करुनेंद्र एवं पवन समेत चार ही याची बचे हैं अतः याचियों की संख्या बढ़ानी चाहिए।
5. सिंगल बेंच जैसे ही शिक्षामित्रों को
11 महीने का संविदा शिक्षक साबित करेगी फिर सुप्रीम कोर्ट का संविदाकर्मी मामले में दस वर्ष से कम अवधि का आदेश लगाकर उनको विदा कर देना चाहिए।
6. तत्काल राहत के लिए टीईटी अनिवार्यता, संविदाकर्मी , सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षाशत्रु आदि का तर्क देकर विज्ञप्ति पर स्थगन प्राप्त करना चाहिये।
रेलयात्रा के दौरान बीसोँ बार चाय कुरकुरे पर पैसा खर्च कर देँगे अगर भाजपा ने किराया बढा दिया तो कौन सी आफत आ गयी खाली आदर्शवाद के सहारे काम नही चलता यहाँ यथार्थ मेँ जीना पडता है और ये भी एक यथार्थ है कि कांग्रेस जो बोकर गयी है वो तो इनको काटना ही पडेगा उससे ये बच नही सकते ।
ReplyDeleteएक सांसद के खेत से दो कटहल क्या चोरी हो गए उसकी जाच के लिए कमेटी का गठन तक हो गया|
ReplyDeleteअरे भाई कही से दो कटहल ला कर दे दिए होते जाच करने में जो पैसा खर्च होता वो गरीबो की सुरक्षा में काम आता|
Chalo aaaj kahin duuuuuuuuuuuuuuuuuur chalte hain jahaan se wapas aana mumqin na ho jjaise
ReplyDeletejaise
Jaise
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Bina visa ke pakistaan .........
Tmntbn Ji prt ke bharti ke bare me Kuch news nahi hai. Kya hua feeding to Bahut speed se karaya gaya din raat ek karke.ab samay kam nahi hai gov ke pass Jo chupchap baith gayi. samay badwa kar Kya fayda hoga. jab abhi jo samay hai uska ka Kuch nahi kar rahe hai. reply regarding that.
ReplyDelete