कानूनी पेचीदगियों में उलझी शिक्षकों की भर्तियां
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कानूनी पेचीदगियों में उलझी शिक्षकों की भर्तियां
सर्व शिक्षा अभियान के तहत नए स्कूलों को मंजूरी नहीं
बालिका छात्रवासों, मॉडल डिग्री कॉलेजों का निर्माण भी समय से पीछे
एलटी ग्रेड शिक्षकों के आठ हजार पदों पर शीघ्र भर्ती शुरू होगी
राजीव दीक्षित, लखनऊ : प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था विद्यादान करने वाले गुरुजन का अकाल ङोल रही है। शिक्षकों की भर्तियां अरसे से कानूनी पेचीदगियों में उलझी हुई हैं। इसके लिए सरकार भी कम दोषी नहीं है जिसकी भर्ती प्रक्रिया की आए दिन अदालतों में धज्जियां उड़ती हैं। वहीं संसाधनों के अभाव में शिक्षण संस्थाओं और छात्रवासों का निर्माण या तो पूरा नहीं हो पाया या समय से पीछे चल रहा है।
तीन साल से अटकी बेसिक शिक्षकों की भर्ती : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के पौने तीन लाख पद खाली हैं, लेकिन शिक्षकों के 72825 रिक्त पदों पर बीएड डिग्रीधारकों की भर्ती पिछले पौने तीन वर्षो से लटकी हुई है। पहले अदालत में यह बहस चली कि भर्ती अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की मेरिट के आधार पर कराई जाए या अभ्यर्थियों की शैक्षिक मेरिट पर
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को भर्ती तीन महीने में पूरी करने का अंतरिम आदेश दिया है तो सरकार ने तीन महीने का समय और मांगा है। परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में गणित व विज्ञान शिक्षकों के 29334 रिक्त पदों पर पिछले साल शुरू की गई भर्ती भी कानूनी पचड़े में फंस गई है।
नए स्कूलों के निर्माण को केंद्र ने नहीं दी धनराशि : नए परिषदीय स्कूलों के निर्माण के लिए केंद्र ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत चालू वित्तीय वर्ष में धनराशि देने से इंकार कर दिया है। यह कहते हुए कि राज्य सरकार पूर्व के वर्षो में स्वीकृत विद्यालयों का निर्माण पहले पूरा कराए। 11021 राजकीय हाईस्कूलों को नहीं नसीब हुए शिक्षक : राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के आठ हजार पद अरसे से खाली हैं। भर्तियां लंबे समय से नियमावली में प्रस्तावित संशोधन की वजह से अटकी हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत अब तक 1021 जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत कर राजकीय हाईस्कूल में तब्दील किया जा चुका है। पद सृजन के बावजूद इनमें शिक्षकों के पद पर नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। 2012 में शुरू हुई एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती कानूनी विवाद के चलते रोक दी गई गई थी जिसे शासन ने फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। 1आपसी झगड़े की भेंट चढ़ी माध्यमिक चयन बोर्ड की भर्तियां : अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के 31 हजार पद खाली हैं जिन पर चयन की प्रक्रिया उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पदाधिकारियों के आपसी झगड़ों का शिकार है। ताजा मामला प्रधानाध्यापकों के 909 पदों के लिए इंटरव्यू का है। बिना कॉल लेटर जारी किए नियमविरुद्ध तरीके से साक्षात्कार किए गए। शासन की रोक के बावजूद साक्षात्कार जारी रहा। 1संसाधनों के अभाव में नहीं बने 141 बालिका छात्रवास : राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत 42 जिलों में स्वीकृत 141 बालिका छात्रवासों का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया है। पहले मामला कम धनराशि को लेकर फंसा, फिर जब केंद्र ने धनराशि बढ़ाकर किस्तों में इसे जारी किया तो अब तक राज्य से उसके हिस्से की राशि नहीं मिली। 1जमीन पर नहीं उतरे मॉडल डिग्री कॉलेज : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भले 2012-13 के बजट भाषण में 36 पिछड़े जिलों में मॉडल डिग्री कॉलेज की घोषणा की थी, लेकिन आठ को छोड़ बाकी जिलों में निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया है। धनराशि के लिए खत-ओ-किताबत के बाद अब केंद्र ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत 26 जिलों में मॉडल कॉलेजों के लिए पैसे देने के लिए रजामंदी जताई है। 1अनुदानित कॉलेजों की भर्तियों में आरक्षण का पेच : 331 अनुदानित कॉलेजों में शिक्षकों के तकरीबन चार हजार पद खाली हैं जिन पर भर्तियों को लेकर आरक्षण का पेच फंसा है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि भर्तियों में कॉलेजवार व विषयवार आरक्षण का ख्याल रखा जाए। इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल की है। 1आठ साल में न बने राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज : बिजनौर, बांदा, अंबेडकरनगर और आजमगढ़ में आठ साल पहले बनना शुरू हुए राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण अब तक पूरा नहीं हो पाया है। जबकि वर्ष 2010 से इन कॉलेजों की कक्षाएं दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेजों में चलाई जा रही हैं।1
एलटी ग्रेड शिक्षकों के आठ हजार पदों पर शीघ्र भर्ती शुरू होगी। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करने के लिए संबंधित नियमावली में संशोधन प्रस्तावित है। बालिका छात्रवासों के निर्माण के लिए जिलाधिकारियों को दिशानिर्देश भेजे गए हैं।
मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा
News Source / Sabhaar : Jagran (25.06.2014)
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