अतिथि एवं पात्र शिक्षकों में खिंची तलवारें!
(HTET Haryana : Fight for Permanent Teacher between Guest Teacher and Eligible Teacher intense )
चंडीगढ़, 5 अप्रैल। हरियाणा सरकार द्वारा नियुक्त किए गए अतिथि अध्यापकों एवं पात्रता परीक्षा पास शिक्षकों के बीच टकराव के हालात बनते दिख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा सरकार को नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए करीब एक वर्ष का समय और दिए जाने के बाद पात्रता परीक्षा पास शिक्षकों का गुस्सा और बढ़ गया है। इधर, अतिथि अध्यापक लगातार सरकार पर उन्हें नियमित करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं।
ऐसे में सरकार दोनों पक्षों के बीच फंसी हुई दिख रही है। अगर देखा जाए तो सरकार के सामने आगे कुआं, पीछे खाई वाली स्थिति बनी हुई है। वह न तो अतिथि अध्यापकों को हटा पा रही है और न ही नियमित भर्ती करके पात्र शिक्षकों को एडजेस्ट कर पा रही है। ऊपर से लगातार कोर्ट-कचहरी के चक्कर। हालांकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से सरकार को राहत तो मिल गई है ङ्क्षकतु करीब एक वर्ष बाद क्या स्थिति होगी, इसको लेकर अभी से मंथन का दौर शुरू हो गया है।
राजनीतिक रूप से इसका बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि एक वर्ष के बाद सरकार द्वारा लिया जाने वाला कोई भी फैसला सीधा-सीधा आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों पर असर डाल सकता है। शायद, यही सबसे बड़ी उलझन है, जिसको लेकर सरकार कुछ ज्यादा ही गंभीर दिख रही है। कहने को तो कानूनी जानकारों की भी मदद ली जा रही है ङ्क्षकतु दो पाटों के बीच फंसी हुड्डा सरकार इस ‘संकट’ से कैसे निकलती है इस पर सभी की नज़रें टिकी हुई हैं।
वर्तमान में हरियाणा में शिक्षकों के लगभग तीस हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं। सरकार द्वारा पंद्रह हजार से अधिक गेस्ट टीचर विभिन्न सरकारी स्कूलों में लगाए हुए हैं। वहीं एक लाख से अधिक युवा ऐसे हैं, जिन्होंने सरकार द्वारा निर्धारित किए गए अध्यापक पात्रता परीक्षा को पास किया हुआ है। ये खाली पद पुराने अनुपात के हिसाब से हैं। अब चूंकि हुड्डा सरकार प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लागू कर चुकी है। ऐसे में तीस विद्याॢथयों पर एक शिक्षक की नियुक्ति अनिवार्य है। ऐसे में खाली पदों का आंकड़ा पचार हजार को पार कर जाता है।
यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हुड्डा सरकार को नियमित भर्ती के लिए 322 दिन का समय दिया है। हालांकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 31 मार्च तक सभी अतिथि अध्यापकों को रिलीव करने के आदेश दिए थे और नियमित भर्ती करने को कहा था। इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सरकार को यह समय मिला। गेस्ट टीचरों का कहना है कि उन्हें पढ़ाते हुए पांच साल से अधिक का अनुभव हो चुका है। ऐसे में नियमित भर्ती में उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए। वहीं पात्र शिक्षकों उन्हें हटाने और नियमित भर्ती की मांग पर अड़े हुए हैं।
News : Denik Tribune (6.4.12)