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Friday, July 26, 2013

BTC 2013 : बीटीसी 2013 के लिए प्रदेश स्तरीय मेरिट


BTC 2013 : बीटीसी 2013 के लिए प्रदेश स्तरीय मेरिट


UPTET  / टीईटी / TET Teacher Eligibility Test Updates / 

Teacher Recruitment News



इलाहाबाद : बीटीसी 2013 सत्र में प्रवेश के लिए प्रदेश भर की एक ही मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। मेरिट में आने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच की काउंसिलिंग गृह जनपद के जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों या जनपद से संबद्ध डायट में की जाएगी। जांच में सही पाए गए अभ्यर्थियों से प्रदेश भर के दस संस्थानों के विकल्प चुनने की छूट दी जाएगी। इसके बाद अभ्यर्थी की वरिष्ठता सूची संस्थानवार जारी की जाएगी। वरिष्ठता सूची प्रदेश भर की कुल बीटीसी सीटों के सापेक्ष जारी की जाएगी। इसमें सामान्य वर्ग की सीटों के दोगुने और अन्य विशेष आरक्षित वर्ग की पांच गुने अभ्यर्थी शामिल होंगे। आवेदन के संदर्भ में डब्ल्युडब्ल्युडब्ल्यु डॉट यूपीबेसिकईडीयूबोर्ड डॉट जीवोवी डॉट इन पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

बीटीसी 2013 के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई। 16 अगस्त तक पंजीकरण और ई-चालान के लिए प्रिंट आउट निकाला जा सकेगा। ई-चालान जमा करने की अंतिम तारीख 19 अगस्त है। अभ्यर्थियों को 22 अगस्त तक अपना आवेदन पूरा कर देना है। ऑनलाइन आवेदन पूरा होने के बाद अभ्यर्थियों की जिलेवार वरिष्ठता सूची डायट प्राचार्यो को भेजी जाएगी। जिलेवार सूची में विषय और वर्ग के अनुसार आरक्षित सीटों के सापेक्ष प्राथमिक स्तर पर चुने गए अभ्यर्थियों का आंकड़ा होगा। डायट पर संबंधित जिले से संबंधित अभ्यर्थी की काउंसिलिंग होगी। डायट प्राचार्य की अनुशंसा के बाद अभ्यर्थियों से संस्थानों के विकल्प लेकर अनंतिम चयन सूची जारी होगी। इस संबंध में बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक को एक निर्देश पत्र जारी किया है।

बीसीए वाले कला वर्ग में

पचास फीसदी स्नातक की अनिवार्यता के साथ कुछ ऐसे पाठ्यक्रम जिन्हें विज्ञान वर्ग के तहत पढ़ाया जाता है को कला वर्ग में माना गया है। इंटरमीडिएट कला वर्ग से पास करने के बाद बीसीए और बीबीए करने वाले को कला वर्ग में माना गया है। इसके अतिरिक्त जिन स्नातक विषयों को लेकर वर्ग का भ्रम है उन मामलों में अभ्यर्थी को इंटरमीडिएट परीक्षा में चुने गए विषयों के आधार पर वर्ग चुनने को कहा गया है


News Sabhaar : Jagran (26.7.13)
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BCA which is a professional course comes in Art Category for BTC course.
May be it happens due to non inclusion of Science Subjects. 
OR Subject experts/ Concerned department have knowledge of this issue.

9 comments:



  1. Aisa prateet hota hai ki ....

    Ye sarkar kewal aandolan aur ugra aakrosh ki bhasha hi samjhti hai.

    see news......

    UPPCS: नई आरक्षण नीति निरस्त, आज रिहा होंगे
    छात्र

    इलाहाबाद/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 26 जुलाई 2013
    9:35 PM IST पर

    उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग ने आखिरकार आरक्षण
    प्रक्रिया में हुए विवादित बदलाव को वापस ले
    लिया है।

    इस बदलाव के साथ पीसीएस मेंस 2011 का परिणाम
    भी निरस्त करदिया गया है। परिणाम नए सिरे से
    घोषित किया जाएगा। आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव
    के खिलाफ आंदोलन के बाद तोड़फोड़ के आरोप में जेल मेंबंद
    22 छात्रों को रिहा करने का फरमान भी शासन
    की तरफ से जारी कर दिया गया।

    इस मसले पर लंबे विवाद के बाद सपा मुखिया मुलायम
    सिंह ने खुद हस्तक्षेप किया। उन्होंने लोक सेवा आयोग
    अध्यक्ष, सचिव और सदस्यों से बातचीत के बाद
    शुक्रवार को छात्र प्रतिनिधियों से बात की।
    सभी पक्षों से राय के बाद छात्रों पर से गंभीर धाराएं
    हटाने का आदेश दिया। छात्र
    इसी की खुशी मना रहे थे कि देरशाम उन्हें
    दोहरी जीत का तोहफा मिला।

    लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ने शाम को हाईकोर्ट बार
    अध्यक्ष और इलाहाबाद विश्वविद्यालय अध्यापक
    संघ के अध्यक्ष की मौजूदगी में विशेषज्ञों के साथ
    बैठक की और 27 मई को आरक्षण प्रावधानों में
    बदलावको वापस लेने पर सहमत हो गया।

    विशेषज्ञों की सलाह पर आरक्षण प्रक्रिया में
    बदलाव के मद्देनजर जारी आदेश को निरस्त कर
    दिया। आयोग ने साफ किया कि 27 मई की बैठक में
    आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव के मद्देनजर पीसीएस
    मुख्य परीक्षा का जो परिणाम जारी किया गया,
    उसे निरस्त किया जाता है। परिणाम फिर से
    तैयारकिया जाएगा।

    पीसीएस मुख्य परीक्षा का परिणाम निरस्त
    करने की घोषणा मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप परहुई।
    सीएम अखिलेश यादव ने आयोग के अध्यक्ष अनिल
    यादव कोबृहस्पतिवार को ही बुलाया था। अध्यक्ष के
    साथ कुछ सदस्यऔर सांसद भी थे।

    पार्टी के जुड़े कुछ जनप्रतिनिधियों ने पहले ही यह
    बात पहुंचाई थी कि इस मसले पर सरकार और
    पार्टी के खिलाफ माहौल बन रहा था। सीएम से
    मिलकर लौटे लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल
    कुमार यादव ने देर शाम आयोग की आकस्मिक बैठक
    बुलाई।

    बैठक में मौजूद हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष कंदर्प
    नारायण मिश्र और इलाहाबाद विश्वविद्यालय
    अध्यापक संघ के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चन्द्र
    त्रिपाठी ने बताया कि आयोग के अध्यक्ष इस बात
    पर सहमत दिखाई पड़े कि आरक्षण प्रावधानों में
    बदलाव करने में कही चूक हुई है।

    बैठक के बाद आयोग के सचिव की ओर से
    जारी विज्ञप्ति में कहागया है कि 27 मई
    को आयोग की ओरसे लिया गया निर्णय वापस लेनेके
    साथ चार जुलाई को जारी पीसीएस मुख्य
    परीक्षा का परिणाम भी निरस्त कर
    दिया गयाहै। संशोधित परिणाम बाद में
    जारी किया जाएगा

    ReplyDelete


  2. Tet sathiyo

    Assalam alaikum ( aap sab salaamat rahe )


    Pichhale 20 mahino se 4 February (stay
    laganewale din) k alawa hum logo k saath kuchh bhi
    achha nahi hua‚ sangthan‚sangharsh‚andolan‚jail
    ‚ansan‚ lathicharge‚HC‚SC‚ ek lagbhag antheen ho
    chali mukdamebazi..................... akhir kya-2
    hum logo ne nahi saha aur kiya .

    aaj jabki hum
    sabhi apne echhit parinam k bilkul kareeb hai to
    hume apna Sara dhairy aur urja ek baar fir se
    sanchit kr antim aur nirnayak prahar k liye
    gambhirata se taiyar Hona hoga.

    apni sankhyabal
    ko badhane k saath-2 nirash aur hatash tatha na-
    ummid ho chuke sathiyo ko fir se naye sire se
    jodana hoga.

    sadak pr utar kar andolan karna
    antim astr Hona chahiye tatha Hume is antim astr
    ko use Karne ki ahmiyat Ka baakhubi ehsas bhi
    hona chahiye.

    sadak pr utar kr Jo Kuchh bhi kiya jay
    ek proper homework aur paraspar samanjasy aur
    usaki vyavharikta aur usake parinam tatha apni
    kshamata ke samuchit ankalanke baad hi Hona
    chahiye‚ aur besaq andolan us samay sabse
    prasangik hoga jab gend government k paale me
    chali jayegi.jaldibazi me koi nirnay na liya jai .

    At least 2 date Hume abhi aur dekhani hogi. Jo bhi
    sathi shighr andolan k pakshdhar hai unhe kam se kam itna intezar karna hi chahiye sath hi apni
    nyaypalika pr pura bharosa bhi rakhana
    hoga.

    apne sanchit aakrosh ko sanjoye rakhiye waqt
    uska bhi ayega jab hume is besharm sarkar ko usi
    k lahje me javab dena hoga.

    Jay TET

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  3. LOK SEWA AAYOG K SABHI CANDIDATES KO
    BADHAI AUR 72825 TRAINEE TEACHER BHARTI K
    CANDIDATES K LIYE SARKAR KA EK ISHARA KI WO
    KEWAL AANDOLAN KARNE WALON KI SUNTI HAI
    GHAR PAR YA BLOG PAR BAITHE CANDIDATES
    SE UNHE KOI MATLAB NAHI HAI.

    ReplyDelete

  4. दरोगा हारे,

    पुलिस हारे ,

    लोक सेव आयोग हारे...

    अब भी समझ मे नही आया असमाज्वादियो ????

    ReplyDelete


  5. Akhirkar s.p gov ne aaj fir se apna thuka hua chat
    hi liye!

    Uppsc me arakshan sambandhi
    niyam court k nirnay ane se pahle hi liye wapas.

    Aakhir kar ye gov itna utpatang kam kyo kr rahi
    hai ? Jabki wo janti h ki wo galat h.

    Ye sab wah occhi
    asamajvadi rajniti kxe liye kar rahi hai.

    Ek din tet merit se bharti bhi hogi or ye s.p gov ke
    muh par tamacha hoga.


    ReplyDelete
  6. कब समझेंगे बेसिक शिक्षा की जमीनी हकीकत

    अभिमत

    सरकारी बेसिक शिक्षा को सुधारने की तमाम
    कवायद बेअसर हो रही है। कमीशन के फेर में
    ऐसी कमरों में बैठकर आला अफसर योजनाएं बनाते हैं और
    जनता का पैसा जनता के नाम पर पानी की तरह
    खर्च किया जा रहा है। लेकिन
    करोड़ों की र्बबादी के बाद भी कागज पर दिखाए
    गए सब्जबाग अबतक हकीकत में नहीं बदल सके।
    दरअसल, बेसिक शिक्षा के आका जमीनी हकीकत
    को समझने की कोशिश नही करते हैं।
    अगर एक दशक पीछे जाया जाए तो प्राइमरी स्कूल
    के बच्चों की पढ़ाई का स्तर इतना खराब नहीं था।
    जबकि उस समय इंटर और स्नातक
    डिग्रीधारी ही इन स्कूलों में पढ़ाते थे। अब तो उच्च
    शिक्षित लोग प्राइमरी के टीचर बन गए हैं। साथ
    ही सुधार और बेहतरी की कवायद के तहत सरकार
    ने विभिन्न योजनाओं की शुरुआत भी की, जिन पर
    हर साल बड़ी धनराशि खर्च की जाने लगी।
    जैसा कि अघोषित नियम-सा बन गया है
    कि किसी भी सरकारी योजना का काम
    बिना कमीशन के पूरा नहीं होता, सो बेसिक
    शिक्षा में भी यह दस्तूर चलन में आ गया। इसी दस्तूर
    के तहत स्कूलों में होनेवाला हर काम शिक्षकों के
    जरिए कराया जाने लगा। वजह साफ है कि आकाओं
    का शिक्षकों से कमीशन लेना बड़ा आसान है।
    शिक्षकों की कमान उन्हीं के हाथ में होती है,
    इसलिए हर अच्छे-बुरे में उनकी हां में
    हां मिलाना मास्टरजी की मजबूरी है।
    इसी मजबूरी ने शिक्षकों के रूप बदल दिए हैं। अब
    वह भवन का ठेकेदार, लेखाकार, बाबू बन गया है।
    कभी टेलर के साथ कपड़ा सिलवाता है
    तो कभी पोथी लेकर गांव और मजरे के घरों में
    गिनती करता है। इन सब के साथ बैंकों की दौड़
    लगाता है, सो अलग। बस शिक्षक अगर कोई काम
    नहीं कर पाता तो वह शिक्षण का कार्य है। जिसके
    लिए उसकी नियुक्ति की जाती है।
    रही-सही कसर पंचायती राज के प्रधानजी और
    कुछ नए नियमों ने पूरी कर दी है। शिक्षक अब
    छात्रों को फेल नहीं कर सकते। लंबे समय तक
    भी गैरहाजिर रहने पर नाम नहीं काटा जा सकता।
    घर पर वे पढ़ते नहीं। नतीजन बच्चों को कुछ नहीं आता।
    मगर पास करने की अनिवार्यता के चलते
    शिक्षकों को ऐसे गोबर गणेश को भी पास
    करना पड़ता है। अक्सर
    सरकारी स्कूलों का दौरा करने वाले और बेसिक
    शिक्षा से जुड़े लोग बताते हैं कि इसी मजबूरी के
    चलते कभी-कभी बच्चों की कॉपी भी लिखवाई
    जाती है और नकल तो आम बात है। बच्चों के अभिभावक
    भी पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर नहीं होते। केवल
    वजीफा लेना और दूसरी औपचारिकताएं पूरी करने
    के अलावा वे
    सरकारी स्कूलों की शिक्षा की अहमियत
    नहीं समझते हैं।

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  7. एक तरह से ये शिक्षा के केंद्र कई लोगों की कमाई
    का माध्यम बन गए हैं। इसलिए अक्सर गांव
    की राजनीति का अड्डा भी ये स्कूल बन जाते हैं।
    पंचायतीराज के प्रधानजी गावं में स्कूलों के
    आका ही होते हैं। नेताओं के बारे में तो कुछ कहने
    की ही जरूरत नहीं। बस, समझिए कि गांवों के इन
    मुखियों की तस्वीर भी बाकी नेताओं जैसी ही है।
    शिक्षकों को इनका भी दबाव झेलना पड़ता है और
    इनके मन का कहा करना पड़ता है। क्योंकि हमेशा ये
    उनकी सही-गलत शिकायतों का पुलिंदा तैयार
    रखते हैं और अपनी मर्जी की हाजिरी न लगाने
    या मीनू के हिसाब से भोजन बनाने का दबाव डालने पर
    शिक्षकों को निलंबित करने की धमकी देने से
    नहीं चूकते।
    मिड डे मील का भी शिक्षकों पर भारी दबाव है।
    बिहार में 22 मासूमों की मौत के बाद तो यह
    जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। दोपहर के भोजन में
    भी प्रधान की मनमानी चलती है और आरोप
    हेडमास्टर पर लगता है। जबकि दोनों की सामूहिक
    जिम्मेदारी और बैंक में संयुक्त खाता भी होता है,
    लेकिन सरकारी कर्मचारी होने के नाते
    फंदा मास्टरजी के गले में पड़ता है। शिक्षकों से कम
    वेतन पाने वाले और उनसे कम पढ़े-लिखे लोग
    उनकी हाजिरी या पढ़ाई की गुणवत्ता चेक करते
    हैं। अपनी नौकरी बचाने के लिए शिक्षकों को इसे
    सरकारी फरमान मानकर करना और झेलना पड़ता है।
    धन की आवाजाही ने कुछ
    शिक्षकों को लालची भी बना दिया है और वे बचे समय
    में भी शिक्षा देने के मूल कार्य से जी चुराने लगे हैं।
    अगर अपवादों को छोड़ दिया जाए तो आज
    भी शिक्षकों का बड़ा तबका ईमानदार है और
    पूरी ईमानदारी से इल्म बांटना चाहता है। अक्सर
    ऐसे शिक्षकों को यह कहते सुना गया है कि सरकार
    उन्हें पर्याप्त वेतन देती है, इसलिए किसी तरह
    दूसरे जरिए से पैसा कमाने की जरूरत नहीं है। बस
    उन्हें राष्ट्रीय कार्यक्रमों को छोड़कर शिक्षा से
    इतर काम पर न लगाया जाए। सिर्फ और सिर्फ
    शिक्षा के मोर्चे पर तैनात रखा जाए।
    गौरतलब है कि इस बारे में अदालतों की सख्त
    टिप्पणियां भी आ चुकी हैं। हाल में ही इलाहाबाद
    उच्च न्यायालय ने एक वाद की सुनवाई करते हुए
    फिर कहा है कि शिक्षक पढ़ाने के लिए हैं,
    बच्चों को मिड डे मील पकाकर देने के लिए नहीं हैं।
    शिक्षकों को भी पढ़ाई के लिए जी-जान
    लगा देनी चाहिए, क्योंकि उनपर
    मासूमों को दिशा देने की जिम्मेदारी है। शिक्षक
    अगर शिक्षण कार्य से जी चुराते हैं तो वे पाप के
    भागीदार होने के साथ उन मासूमों पर जुल्म कर रहे
    हैं, जो बड़ी हसरत से स्कूलों में दाखिला लेते हैं।
    शिक्षकों को ध्यान देना चाहिए कि सामान्य घरों के
    ये बाल मन ऐसा सोचने को मजबूर न हों कि अगर उनके
    परिजन भी साधन सम्पन्न होते तो वे भी शान से बड़े
    स्कूलों में पढ़ने जाते। बहरहाल, जबतक शिक्षा के
    सरकारी कर्णधार और नीति निर्माता इस
    बहुआयामी असलियत को नहीं समझेंगे, तबतक
    किसी तरह के सुधार की उम्मीद
    नहीं दिखती है। बस इसी तरह करोड़ों रुपए फूंके जाते
    रहेंगे


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  8. <<<© About Me @>>>


    My Name >>… MOHAMMAD SHAKEEL




    Vill >>… HARCHANDPUR



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    UPTET ( 6-8 ) >> 114


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    CONTACT NO. >> 96 48 20 73 47




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  9. jai shree Ram.ye hai akta aur aandolan ki taqat jisne sabko hila ke rakh diya.prarambh se hi sp ke sare nirnay galat sabit hua hai aur har ek matter ko hc se rok lagaya gaya aur galat sabit kiya gaya hai.us din ka besabri se intejaar hai jab up se sp aur bsp ka patta saf ho jaye.JAI HIND.

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